Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:37 PM,
#59
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
तब तक वेटर मार्टिनी भी ले आया तो कामेश ने एक तो अपने लिए उठा लिया और दूसरा कामया की ओर बढ़ा दिया 
कामेश- देखो कितने सारे लोग बैठे है और सभी लडीस या लड़कियाँ एक दो पेग पी रही है अरे यार कुछ नहीं होता 

कामया- नहीं बस 

कामेश- तुम्हारी मर्ज़ी पर एक घुट तो ले ही सकती हो सिर्फ़ मेरी खातिर सेलेब्रेशन के लिए 

कामया ने ग्लास उठ लिया और कामेश ने चियर्स किया 

कामेश- नये एमडी और गाड़ी के लिए 
और हँसते हुए एक लंबा सा घुट मार लिया कामया ने भी एक छोटा सा घुट लिया कोई बहुत बुरा स्वाद नहीं था पर डर था अंदर इसलिए ग्लास रख दिया 

कामेश- बुरा लगता हो तो छोड़ देना नहीं तो एक पेग में कुछ नहीं होता 

कामया- नहीं घर में सब है अगर पता चल गया तो गजब हो जाएगा 

कामेश- अरे यार मम्मी तो है नहीं जब तक जाएँगे पापाजी भी सो चुके होंगे कुछ नहीं होता पी लो पर धीरे-धीरे 

कामया भी सोचने लगी ठीक ही तो है कौन सा पापाजी के पास जाना है और पी भी रही है तो अपने पति के साथ और उसी के कहने पर कोई दिक्कत हुई तो कामेश तो है ही 

खाना आने तक कामाया ने धीरे-धीरे एक पेग खतम कर दिया था और कामेश का साथ दे चुकी थी पर कामेश ने दो और पेग आर्डर कर दिया कामया गुस्से से कामेश की ओर देखी वो दो पीचुका था फिर से दो क्यों 

खाने के साथ ही कामया ने दो और कामेश के तीन पेग पीचुके थे कामया का शरीर उड़ रहा था वो बिल्कुल बेफिक्र थी बहुत मजा आ रहा था आज पहली बार उसने शराब चखी थी या पी थी उसे बहुत अच्छा लग रहा था उसके शरीर में एक अजीब सी फुर्ती आ गई थी वो कामेश की हर बात पर बहुत ही ज्यादा चाहक रही थी या फिर जोर-जोर से हँस रही थी कामेश भी नशे की हालत में था वो देखकर ही अंदाज़ा लगा सकती थी पर वो तो खुद ही अपने काबू मे नहीं थी चुननी कहीं जा रही थी और कदम भी ठीक से नहीं पड़ रहे थे 

हां पर मजा बहुत आ रहा था वो और कामेश लगभग झूलते हुए एक दूसरे को सहारा देते हुए बाहर अपनी गाड़ी पर आ गये थे और घर की ओर रवाना हो रहे थे 

गाड़ी में बैठे ही कामेश थोड़ा सा चुपचाप था पर कामया तो बिल्कुल बिंदास हो गई थी 

कामया- चलो अब ड्राइवर 

कामेश- हाँ… कुछ मीठा हो जाए 

कामया- यहां नहीं घर चलो 

कामेश- पति हूँ प्लीज थोड़ा सा बाकी घर में ठीक है 

कामया- नहीं कोई देख लेगा नहीं 

कामेश- अरे यार देखने दे पति हूँ कोई ऐसा वैसा नहीं हूँ 
और कामया के बिना पूछे ही उसने कामया के माथे के पीछे हाथ फँसा कर कामया को अपने पास खींच लिया और एक लंबा सा चुंबन उसके होंठों पर जड़ दिया कामया कुछ कहती तब तक तो हो चुका था जो होना था 

कामया का पूरा शरीर सिहर उठा कामेश के बारे में उसकी धारणा एकदम से बदल गई थी वो भी तो एक जंगली की तरह ही था या सिर्फ़ दिखाने को ऐसा तो उसने कभी नहीं किया वो अवाक सी कामेश की ओर देखती ही रह गई कामेश हँसते हुए गाड़ी का इग्निशन ओन करके बड़ी ही सफाई से पार्किंग से निकला और कोई फिल्मी गाना गुनगुनाते हुए गाड़ी ड्राइव करने लगा 

कामेश- क्यों कैसा लगा 

कामया- धात कोई देख लेता तो 

कामेश- कहो तो मैं रोड में ही गाड़ी रुक कर फिर से किस करू 

कामया- नहीं कोई जरूरत नहीं है 

कामेश ने अचानक ही फिर से गाड़ी रोक ली और बिना किसी ओपचारिकता के फिर से कामया को अपनी ओर खींचकर एक लंबा सा चुंबन फिर से जड़ दिया और हँसते हुए गाड़ी चलाने लगा 

कामया के होंठों पर भी एक हँसी फूट पड़ी और कामेश के किस करने से जो थूक उसके होंठों पर लगी थी उसे चाट कर अपने मुख में ले लिया 

कामया---आज तो बहुत रोमँटिक हो गये हो 

कामेश- आज में बहुत खुश हूँ आज से तुम मेरी बिज़नेस पार्ट्नर भी हो लाइफ पार्ट्नर भी हो और क्या चाहिए एक इंसान को अब में बाहर का काम देखूँगा और तुम यहां का 

कामया- बाहर का मतलब 

कामेश- अरे यार अभी कुछ नहीं बस घर चले फिर तुम्हें बहुत प्यार करूँगा और फिर कहूँगा ठीक है 

कामया थोड़ा सा शर्मा गई थी हाँ… उसे बहुत जरूरत थी कामेश के प्यार की वो बहुत गरम हो चुकी थी किसने तो जैसे आग में घी का काम कर दिया था पीने से तो वो बहुत उत्तेजित थी ही पर फिर किस उउउफफफ्फ़ जल्दी से घर आ जाए 
घर पहुँचते ही कामया भी अपनी ओर से जल्दी से निकली और कामेश भी पर जैसे ही डाइनिंग रूम को पार करने वाले थे कि पापाजी को टेबल पर बैठे देखा तो दोनों की हवा निकल गई 

पापाजी- आ गये क्यों बहू कैसी लगी गाड़ी हाँ… 

कामया- जी पापाजी बहुत अच्छी 

पापाजी- अच्छी हमारे घर की पहली मर्सिडीज है भाई वो भी हमारे बहू के लिए 

कामया- जी पापाजी 

पापाजी- अरे कामेश ध्यान चाँद जी का फोन आया था और दुकान में भी आए थे कुछ बातें करनी थी तुमसे फोन करने को कहा है वो तो तभी लगाने वाले थे मैंने मना कर दिया 

कामेश- जी पापा करलूंगा 

पापाजी- आओ बहू बैठो खाना खा लिया क्या 

कामया- जी पापाजी 

पापाजी- हाँ… बहुत अच्छा किया सेलेब्रेट किया करो ऐसे घर में बैठी बैठी तो तुम भी मम्मीजी जैसे ही हो जाओगी 

कामया- जी और पापाजी से थोड़ी दूरी बनाकर वो पापाजी के खाने का खतम होने का इंतजार करने लगी पर पापाजी तो पता नहीं कहाँ की बातें बताने लगे थे पर कामया क्या करती वही बैठी हुई हाँ ना और जी में जबाब देती रही 

पापाजी के खाना खतम होने के बाद कामया लगभग दौड़ती हुई अपने कमरे में पहुँची तो देखकर सन्न रह गई कामेश तो बिस्तर पर लेट चुका था हिल भी रहा था मतलब सोया नहीं था उसका इंतजार कर रहा था वो जल्दी से अपने कपड़े लेके बाथरूम में घुसी और अपने को कामेश के लिए तैयार करने लगी आज उसने कामेश का लाया बेबीडोल वाली गाउन पहनी थी जो कि अंदर तो सिर्फ़ एक शमीज जितनी लंबी थी और बहुत ही महीन थी जाँघो के बहुत ऊपर ही खतम हो जाती थी 
दो धागे समान स्टीप से बस उसे लटकाए हुए थे कामया के कंधे पर कामया ने अपनी ब्रा भी उतार दी और अपना मेकप भी थोड़ा सा ठीक किया और ऊपर गाउनका दूसरा हिस्सा जो कि पैरों तक जाता था पर था वो भी वैसा ही महीन पर ढकने को अच्छा था पहनकर अपने कमरे में वापस आ गई पर यह क्या कमरे में कामेश के हल्के खर्राटे सुनाई दे रहे थे सो चुका था वो बेड के पास जाके कामेश को एक दो बार धक्के भी मारे पर वो तो जैसे कुम्भकरण की नींद में था

उसे कोई चिंता ही नहीं थी जो भी बातें उसने गाड़ी में की थी या फिर आने तक की थी वो सब खतम वा फिर वो सब फालतू था कामया का दिमाग खराब होने को था वो वही बेड पर बैठ गई थी और कामेश की ओर देखती रही उसने गुस्से में आके अपनी गाउन भी उतार दी और कामेश को एक बार-बार फिर अपने हाथों से थोड़ा सा धकेला पर कहाँ कामेश तो अपनी निद्रा में मस्त था अपनी इस दुनियां को छोड़ कर कही और ही पहुँच गया था पर कामया क्या करे वो तो कुछ और ही मूड में थी आज उसने पहली बार शराब भी पी थी और जो भी कामेश रास्ते भर उसके साथ करता हुआ आया था 
उससे उसके शरीर में एक भयानक आग लग गई थी वो उसे शांत करना चाहती थी पर कामेश को उसकी कोई चिंता नहीं थी वो तो सो चुका था कामया को इसी तरह मजधार में छोड़ कर कामाया बेड के कोने में बैठकर अपने आपको कोष रही थी और कामेश की ओर देखते हुए अपने भाग्य पर जो इतना इतरा रही थी वो सब यहां आने के बाद फुस्स हो जाता था वो गुस्से में अपनी चादर खींचकर अपने तकिये में मुँह छुपाकर लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी 


लाइट भी बंद करदी और सुबह से लेकर शाम तक की घटना को परत दर परत खोलने की कोशिश करने लगी सुबह से कितना अच्छा दिन निकला था हर किसी ने उसे कितना इज़्ज़त दी थी हर कोई उसके आगे पीछे घूमता हुआ नजर आया था हर कोई उसकी एक झलक पाने को उतावला था चाहे वो कॉंप्लेक्स में हो या फिर शोरुम में ही क्यों ना हो पर रात होते होते कामेश ने सब कचरा कर दिया उसकी नजर में उसकी क्या इज़्ज़त थी वो जान गई थी उसकी नजर में कामया क्या थी वो जान गई थी 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 02:37 PM

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