Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:24 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
करीब 9 00 बजे के आस-पास घर के बाहर शंख और ढोल की आवाज से यह पता चल गया था कि गुरु जी आ गये है और सभी पापाजी मम्मीजी और बहुत से मेहमान जल्दी से दरवाजे की ओर दौड़े 

कामया भी मम्मीजी के साथ थी एक हाथ में फूल भरी थाली थी और मम्मीजी के पास आरती करने वाली थाली थी और मिसेज़ धरमपाल भी थी उसकी शायद कोई लड़की भी और ना जाने कौन कौन था 

घर के दरवाजे पर जैसे ही गाड़ी रुकी थी पहले कामेश निकला था और फिर कुछ बहुत ही सुंदर दिखने वाले एक दो लोग और फिर पीछे का दरवाजा खोलकर गुरु जी बाहर आए थे वहाँ क्या गुरूर था उनके चहरे पर बिल्कुल चमक रहा था उनका चेहरा सफेद सिल्क का धोती और कुर्ता था रेड कार्पेट स्वागत था उनका फूलो से और खुशबू से पटा पड़ा था उनका घर कामया खड़ी-खड़ी गुरु जी को सिर्फ़ देख रही थी कुछ करने को नहीं था उसके पास मम्मीजी और मिसेज़ धरमपाल ही पूरा स्वागत का काम कर रही थी कामेश आके कामया के पास खड़ा हो गया था 
कामेश- देखा 
कामया- 
कामेश- गुरु जी रबाब क्या दिखते है ना बहुत रस था यार सड़क पर बाहर भी लोग खड़े है पोलीस भी लगी है बड़ी मुश्किल से पहुँचा हूँ 

कामया- 
क्या बोलती वो चुपचाप खड़ी हुई गुरु जी के रुतबे को देख रही थी कैसे लोग झुक झुक कर उनका आशीष लेने को बेताब है और कैसे वो मुस्कुरा कर हर किसी के अभिनंदन का जबाब दे रहे थे कामया को यह देखकर बड़ा अलग सा ख्याल उसके दिमाग में घर करने लगा था इतना सम्मान और रुतबा तो सिर्फ़ मिनिस्टर्स का ही होता है और किसी का नहीं पर गुरुजी का तो जबाब ही नहीं वो और कामेश सभी के साथ चलते हुए अंदर आ गये थे अंदर आते ही भीड़ थोड़ी कम हुई और सांसें लेने की जगह बनी 

मंदिर के सामने एक दीवान पर उनका आसान बनाया गया था गुरु जी पहले मंदिर में प्रणाम करते हुए उस आसान में बैठ गये थे पापाजी मम्मीजी और सभी उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगे थे एक-एक कर सभी कामेश के साथ जब कामया उनके सामने आई तो 

मम्मीजी- यह कामेश है और यह हमारी बहू कामया 

गुरुजी की एक नजर कामया पर पड़ी कामया का पूरा शरीर एक बार ठंडा सा पड़ गया था कितनी गहरी नजर है उनकी तब तक कामेश उनके पैर छूकर उठ चुका था और जैसे ही कामया उनके पैरों पर झुकी गुरु जी ने अपने पैर खींच लिए थे 
सभी आचंभित थे और एकदम सन्नाटा छा गया था घर में 

गुरु जी- नहीं आप नहीं आप तो इस घर की लक्ष्मी है और इस घर की लक्ष्मी को किसी बाहरवाले के पैरों पर झुकना नहीं है 
पापाजी- पर गुरु जी आपका आशीर्वाद तो चाहिए ना हमारी बहू को 

कामया हाथ बाँधे और सिर झुकाए हुए खड़ी थी बड़ी ही असमंजस में थी क्या करे 

गुरु जी- हमारे आशीर्वाद की कोई जरूरत ही नहीं है ईश्वर (कामेश के पिता का नाम) यह तो खुद लक्ष्मी है और सिर्फ़ राज करने के लिए है 

पापाजी और पूरा घर शांत हो गया था कोई कुछ नहीं कह सका था सभी चुपचाप् कभी कामया की ओर तो कभी गुरु जी की ओर देख रहे थे कामया एक काटन साड़ी पहने हुए अपने आपको पूरा ढँक कर वही बीच में कामेश के साथ खड़ी थी नज़रें झुका कर 

गुरु जी- विद्या (कामेश की मा) और ईश्वर हमारा यहां आना कोई ऐसे ही नहीं है बहुत बड़ा काम और दायत्व से भरा हुआ है हमारा आगमन थोड़ा सा समय के बाद बताऊँगा पहले बैठो 

सभी बैठने लगे थे वही नीचे गद्दी में पर 

गुरु जी- नहीं नहीं आप नहीं आप नीचे नहीं बैठेंगी और किसी के पैरों के पास तो बिल्कुल भी नहीं यहां हमारे पास एक कुर्सी रखिए और यहां हमारी बराबरी में बैठिए 

उनका आदेश कामया के लिए था सभी फिर से चुप कुछ खुसुर फुसर भी हुई सभी कामया की ओर बड़े ही इज़्ज़त से देख रहे थे गुरु जी के पास और उनके बराबरी वाह बड़ी किश्मत वाली है कामया इतना मान तो आज तक गुरु जी ने किसी को नहीं दिया होगा जितना कामया को मिल रहा था 

कामया अपने आप में ही सिकुड़ रही थी उसे अभी-अभी जो इज़्ज़त मिल रही थी वो एक अजीब सा एहसास उसके दिल और पूरे शरीर में उथल पुथल मचा दे रहा था अभी-अभी जो इज़्ज़त गुरु जी से मिल रही थी उसे देखकर वो कितना विचलित थी पर जब उसे थोड़ा सा इज़्ज़त मिली तो वो कितना सहम गई थी कामया के लिए वही डाइनिंग चेयर को खींचकर गुरु जी के आसान के पास रख दिया गया था थोड़ा सा दूर थी वो कामया को बैठ-ते हुए शरम आ रही थी क्योंकी सभी नीचे बैठे थे और वो और गुरु जी बस ऊपर थे पापाजी मम्मीजी, कामेश और सभी सभी की नजर एक बार ना एक बार कामया की ओर जरूर उठ-ती थी पर गुरु जी की आवाज से उनका ध्यान उनकी तरफ हो जाता था 

बहुतो की समस्या और कुछ की निजी जिंदगी से जुड़े कुछ सवालों के बीच कब कितना टाइम निकल गया था कामया नहीं जान पाई थी सिमटी सी बैठी हुई कामया का ध्यान अचानक ही तब जागा जब कुछ लोग खड़े होने लगे थे और गुरु जी की आवाज उसके कानों में टकराई थी 

गुरु जी- अब बाद में हम आश्रम में मिलेंगे अभी हमें बहुत काम है और ईश्वर से और उसके परिवार से कुछ बातें करनी है तो हमें आगया दीजिए 

सभी उठकर धीरे-धीरे बाहर की ओर चल दिए कामया भी खड़ी हो गई थी जो बुजुर्ग थे अपना हाथ कामया के सिर पर रखते हुए बाहर चले गये थे रह गये थे धरम जी उनकी पत्नी और कामेश का परिवार हाल में सन्नाटा था 

गुरु जी- बहुत थक गया हूँ थोड़ा भी आराम नहीं मिलता 

पापाजी- हम पैर दबा दे गुरु जी 

गुरु जी- अरे नहीं ईश्वर पैर दबाने से क्या होगा हम तो दाइत्व से थक गये है चलो तुम थोड़ी मदद कर देना 

पापाजी- अरे गुरु जी में कहाँ 

गुरु जी- कहो ईश्वर कैसा चल रहा है तुम्हारा काम 

पापाजी- जी गुरु जी अच्छा चल रहा है 

गुरु जी कुछ उन्नती हुई कि नहीं 

पापाजी- हाँ… गुरु जी उन्नती तो हुई है 

गुरु जी- हमने कहा था ना हमारी पसंद की बहू लाओगे तो उन्नती ही करोगे हाँ तुम्हारे घर में लक्ष्मी आई है 
कामया एक बार फिर से गुरु जी की ओर तो कभी नीचे बैठे अपने परिवार की ओर देखने लगी थी 

मम्मीजी- जी गुरु जी उन्नती तो बहुत हुई है और अब तो बहू भी काम सभालने लगी है 

गुरु जी- अरे काम तो अब संभालना है तुम्हारी बहू को हम जो सोचकर आए है वो करना है बस तुम लोगों की सहमति बने तब 

पापाजी और मम्मीजी- अरे गुरु जी आप कैसी बातें करते है सब कुछ आपका ही दिया हुआ है 

गुरु जी- नहीं नहीं फिर भी 

कामेश- जो आप कहेंगे गुरु जी हमें मंजूर है 

गुरु जी---अरे यह बोलता भी है हाँ… बहुत बड़ा हो गया है पहले तो सिर्फ़ मुन्डी हिलाता था 

कामेश झेप गया था और 

मम्मीजी- आप तो हुकुम कीजिए गुरु जी 

गुरु जी- धरम पाल कैसा है 

धरम पाल- जी गुरु जी ठीक हूँ सब आपका असिर्वाद है 

गुरु जी- एक काम कर तू ईश्वर की दुकान और उसका काम संभाल ले और उसका हिस्सा उसके पास पहुँचा देना ठीक है 

धरम पाल और कामेश और सभी एक बार चौंक गये थे यह क्या कह रहे है गुरु जी दुकान कॉंप्लेक्स और सभी कुछ धरम पाल जी के हाथों में फिर वो क्या करेंगे पर बोला कुछ नहीं 

गुरु जी- ईश्वर और विद्या तुम लोग आराम करो है ना बहुत काम कर लिया क्या कहते हो 

ईश्वर- जी जैसा आप कहे गुरु जी 
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