Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:31 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भीमा की गति तो थी ही तेज पर अब उसने अपने को संभाल लिया था नशे में उसे कुछ नहीं दिख रहा था पर धक्का अब से थोड़ा संतुलित हो गया था हर धक्के पर उसका लिंग कामया के अंदर तक जाता था और बहुत अंदर तक हर धक्का कामया को आगे की ओर करता था और फिर पीछे की ओर हो जाती थी लगता था की भीमा का स्पर्श वहां से हटाना नहीं चाहती थी लेकिन वो अब ज्यादा देर रुक नहीं सकती थी उसके अंदर का तुफ्फान बस रास्ता ही देख रहा था की कब निकले कामया अपने जीवन का यह पल नहीं भूल पाएगी इतने दिनों के बाद जो सुख उसे मिल रहा था वो उन सुखो से कही ज्यादा था जो वो अब तक भोग चुकी थी अश्राम में भी उसे सिर्फ़ उत्तेजित ही किया गया था और उसे शांत किया गया था जो भी उन महिलाओं ने उसके साथ किया था वो तो सिर्फ़ काम चलाऊ था पर यह सुख तो स्वर्ग से भी परे है भीमा की ताकत और भेदने की गति के आगे सब कुछ फैल था भीमा की हर चोट उसकी बच्चे दानी तक जाने लगी थी और अब तो भीमा के दोनों हाथ भी उसकी कमर बल्कि नितंबों के आस-पास ही घूम रही थी और जब तब उसके गोरे और कोमल नितंबो पर प्रहार भी करने लगी थी पकड़ने की कोशिश में हुआ होगा ऐसा पर नहीं भीमा तो सच में उसके नितंबो पर जोर-जोर से चाटे मार रहा था जैसे कोई घोड़ा चलाते हुए उसे मारता है वो लगातार ऐसा ही किए जा रहा था और कस्स कस्स कर खुद के आगे होते ही उसकी कमर को खींचकर पीछे की ओर ले जाता था 

कमाया- अह्ह मारो मत चाचा मारो मत कर तो रही हूँ अच्छा नहीं लग रहा 

भीमा- अरेमार नहीं रहा हूँ बहू बस रास्ता दिखा रहा हूँ मजा आ गया आज तो और जोर से करू बोल 

कामया- हाँ… करो बस करते रहो 

भीमा अपने पूरे जोर से कामया को रोंधते हुए उसके शरीर को अपने से जोड़े हुए अपने हाथों को उसके गोल और खूबसूरत नितंबों पर घूमता जा रहा था बीच बीच में अपने उंगुठे को भी उसके गुदा द्वार के अंदर कर देता था पहले तो एक ही उंगुठे को डालता था पर धीरे-धीरे वो दोनों उंगुठे को उसके अंदर डालने लगा था कामया अपने शिखर के बहुत पास थी और उसके मुख से सीस्करी के साथ ही हर धक्के पर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज बार-बार निकलती जा रही थी हर बार उसकी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज गहरी होती जा रही थी 


कामया जो की अब तक अपनी कोहनी के बल अपने आपको संभाल रखा था अब अपने कंधों के बल बेड पर लेट गई थी पर कमर को झुका कर अपने नितंबों को भीमा के लिए खोलकर रखा था और भीमा भी उसके इस तरह से रहने पर अपने आपको पूरा आजाद पा रहा था उसकी चोट अंदर तक कामया को हिलाकर रख दे रही थी अब तो कामया की दोनों बाँहे भी पीछे की ओर होते होते भीमा की जाँघो को छूने लगे थे अपने नरम और कोमल हाथों पर भीमा के सख्त और बालों से भरी हुई जाँघो का एहसास पाते ही कामया उसे अपनी गिरफ़्त में लेने के लिए और भी थोड़ा सा पीछे हो गई थी पर नजाने कैसे भीमा की नजर उसकी हथेलियों पर पड़ गई थी और उसके एक-एक कर उसकी दोनों कलाईयों को पकड़कर पीठ की ओर उठा लिया था अब कामया अपने आपको हवा में पा रही थी और अब उसका शरीर भीमा के कब्ज़े में था और वो दोनों हाथों को पीछे की ओर पकड़कर उसे एक जगह पर रखते हुए धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था कामया हवा में झूलती हुई अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी 

कामया- उूउउम्म्म्मम छोड़ो मुझे प्लेआस्ीईईईईई दर्द हो रहा है चाचा प्लेआस्ीईईईईई 

भीमा पर कोई असर नहीं हुआ था पर कामया की चीख उस कमरे के बाहर शायद नहीं जा रही थी 

कामया- प्लेआस्ीईई चाचा छोड़ो उूउउम्म्म्मममम आआआआअह्ह और नहीं प्लेआस्ीईईईईईईई ईईईईईईईईईई 
करती हुई हवा में ही उसके अंदर का सारा ज्वर निकलकर बाहर की ओर बहने लगा था पर भीमा अब भी चालू था और नशे की हालत में एक बार झड़ चूकने के बाद लगता था की वो एक वहशी दरिन्दा बन गया था उसे कामया की कोई फिकर नहीं थी और लगातार वैसे ही पकड़े हुए उसके अंदर तक भेद-ता हुआ अपने सफर को आगे बढ़ाए हुए था


कामया के मुख से अब सिर्फ़ अयाया और उउउम्म्म्म के सिवा कुछ नहीं निकल रहा था और नहीं कोई आपत्ति ही दर्ज करा रही थी भीमा भी कुछ देर योनि पर टूटा पड़ा रहा फिर अचानक ही उसका लिंग उसी तेजी से बाहर की ओर निकला था और कामया की योनि का ढेर सारा रस लिए हुए कामया की गुदा भाग में झट से धूमिल हो गया था वही तेजी और वही गति थी उसके अंदर पर जगह चेंज था कामया एक बार फिर से चीख उठी थी पर इस बार झड़ने की वजह से नहीं बल्कि गुदा भाग में लिंग और वो भी इतना मोटा सा के अंदर जाने के कारण वो छटपटा उठी थी पर भीमा नहीं रुका था 

कामया- नहीं वहां नहीं प्लेआस्ीईईईईई मर जाऊँगी प्लीज ईईईईई छोड़ो मुझे नहीं प्लेआस्ीईए 
पर अपने आपको किसी भी हालत में भीमा का साथ देते नहीं पा रही थी कामया की दर्द के मारे जान जा रही थी पर भीमा था की कोई चिंता ही नहीं थी उसे और एक के बाद एक धक्के के साथ ही उसका लिंग धीरे-धीरे उसके पीछे की और समाता जा रहा था कामया को दर्द तो था पर इतना नहीं पर इस तरह से बिना बताए और बिना आगाह किए भीमा इस तरह से उसके पीछे से प्रवेश कर जाएगा उसका उसे जरा भी अनुमान नहीं था पर यह तो जरूर था कि तेल की मालिश और उन महिलाओं ने उसके गुदा द्वार को इतना चिकना और मुलायम बना दिया था कि वो दर्द के कारण अनायास ही आक्रमण से ज्यादा डर गई थी 


भीमा को लेकिन कोई फरक नहीं पड़ता था एक तो नशे में और ऊपर से इतने दिनों बाद कामया के शरीर से खेलने का मौका उसे मिला था वो निश्चिंतता से अपने काम में लगा था उसकी आखें कामया के बदन को देखती हुई और कामया के ना नुकर के कारण और भी चमक उठी थी एक जीत दर्ज करा चुका था वो और अपनी जीत को और आगे बढ़ाते हुए वो बिना कामया की रिक्वेस्ट को सुने आवेश और रफत्तार से कामया के पीछे के भाग को भेदता जा रहा था कोई रहम नहीं ना ही कोई सम्मान था आज था तो सिर्फ़ सेक्स की भूख और एक दूसरे को हराने की भूक बस कामया भी अब ज्यादा देर तक अपने आपको भीमा के आक्रमण से रोक नहीं पाई थी धीरे-धीरे वो भी अपने आपको उस परिस्थिति में अड्जस्ट करने की कोशिश करने लगी थी भीमा अब भी उसके दोनों हाथों को पीछे की ओर खींचते हुए पकड़े रखा था और बहुत ही जबरदस्त तरीके से उसके गुदा द्वार के अंदर-बाहर हो रहा था कामया को पता भी नहीं चला की कब वो इतना बड़ा और मोटा सा लिंग उसके अंदर तक समा गया था पर हाँ… अब धीरे-धीरे उसे दर्द नहीं हो रहा था पर तकलीफ में जरूर थी वो उसे इतना मजा नहीं आरहा था पर उसे मालूम था की जब तक भीमा शांत नहीं होगा तब तक कोई चारा नहीं है बचने का सो उसने भी अपने आपको पूरा उसके सहारे और उसकी इच्छा के समर्पित कर दिया और सिर्फ़ उसके आक्रमण को झेलती रही पर लगता था की आज भीमा झड़ने वाला नहीं है 

कामया- प्लीज हाथ छोड़ दो चाचा दर्द हो रहा हाीइ उूुउउम्म्म्ममम उसके मुख से आख़िर में निकल ही गया था 

भीमा- हाँ हा बहू क्यों नहीं तू तो मेरी रानी है क्यों नहीं बोल और जोर से करू यहां 
किसी सेडिस्ट की तरह से उसने कमाया के दोनों हाथों को छोड़ते हुए कस्स कर उसकी चूचियां पर अपने हाथों का कसाव दिया था और उसके कानों में कहा था 

कामया- नहीं प्लीज वहां और नहीं प्लीज उूुउउम्म्म्ममममम 

भीमा- बस थोड़ी देर और अच्छा लग रहा है बस थोड़ा सा और सहन करले नहीं निकला तो मुख से निकाल देना ठीक है 

कामया- उूउउम्म्म्म सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह प्लेआस्ीईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईईईईई 

कामया की हालत खराब करके रख दिया था आज भीमा ने पर एक बात तो थी आज भीमा चाचा के मुख से भी आवाज निकली थी नहीं तो सिर्फ़ काम से काम रखने वाले थे वो 

कामया का शरीर पसीने से भीगा हुआ था और भीमा का भी पर शायद भीमा भी अपने परवान चढ़ने लगे थे कुछ देर में ही उसने एक झटके से अपने लिंग को उसके पीछे से निकाल लिया था और जोर से अपने चहरे को उसके पीछे की ओर लगाके दो तीन बार चाट-ते हुए एक झटके से कामया को पलटा लिया था और जब तक कामया कुछ समझती उसका लिंग कामया के होंठों पर सपर्श कर रहा था 

कामया घिन के मारे अपने होंठों को उससे दूर हटाना चाहती थी पर भीमा की पकड़ उसके बालों पर और चहरे पर इतनी मजबूत थी की उसे अपना मुख खोलना ही पड़ा था और एक ही धक्के में उसका मोटा सा काला सा और लंबा सा लिंग कामया के नाजुक होंठों के सुपुर्द कर दिया था 

भीमा- जल्दी जल्दी चूस बहू नहीं तो फिर से पीछे घुसा दूँगा जल्दी कर ठीक से जीब लगा के कर 

कामया- उूुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममममममममममममममममम नहियीईईईईईईईईईईईईईईई प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लेआस्ीईईईईईईईईईई 

कुछ नहीं कह पाई थी जिस तरह से भीमा की पकड़ और अपने लिंग को पूरा का पूरा उसके मुख में उतारने की जल्दी थी उससे कही ज़्यादा जल्दी इस बात की थी की वो अपने शिखर पर पहुँच जाए इस जल्दी में ना तो भीमा ने कामया की स्थिति ही देखी थी और नहीं उससे कोई मतलब ही था 

भीमा का लिंग कामया के छोटे से मुख में आता कितना उसकी ताकत के आगे कितना लड़ती कामया किसी तरह से अपने आपको अड्जस्ट करते हुए उसके लिंग को जगह देने की कोशिश करने लगी थी कामया पर लिंग इतना मोटा हो चुका था की उसके मुख में सिर्फ़ 1्/4 हिस्सा से भी कम आता था पर भीमा उसके अंदर तक उतारना चाहता था कामया के गले तक पहुँच आ जाता था वो और फिर खींचकर बाहर निकालता था फिर अंदर 

कामया जैसे ही उसका लिंग थोड़ा सा बाहर की ओर आता गहरी सांसें लेने की कोशिश करती पर उससे कम देर में ही उसका लिंग उसके गले तक पहुँचा जाता किसी तरह से अपने आपको रोके हुए और अपने सांसों को नियंत्रण करते हुए कामया थोड़ा सा एडजस्ट करने की कोशिश की पर हर बार भीमा का लिंग उसके गले तक चला जाता था 

कई बार तो खाँसते हुए कामया ने अपने चेहरे को खींच भी लिया था पर भीमा जल्दी से उसके चेहरे को उसके लिंग पर फिर से अड्जस्ट करके उसके मुँह के अंदर कर देता था कामया भी लड़ते हुए थक गई थी और उसकी हालत को अनदेखा करके भीमा को शांत करने का बीड़ा उठा ही लिया और जितना दम उसमे बचा था अपनी जीब और होंठों की मदद से उसे शांत करने में लग गई थी 
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