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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 37
"क्या हुआ क्या देखा तुमने ??"
डॉ ने मेरे आंखे खोलते ही कहा
"कुछ नहीं,हमें चलना चाहिए "
हम वंहा से उठकर चले गए ..
"राज आखिर देखा क्या तुमने ??"
कार में जाते समय डॉ ने फिर से पूछा ,
"कुछ नहीं डॉ साहब ,बस मुझे माँ के पास जाना है "
डॉ मेरी बात सुनकर शांत हो चुके थे ,जो भी हो रहा था वो मेरे मन के अंदर ही हो रहा था ,एक द्वन्द था जो अंदर ही अंदर मुझे खाये जा रहा था ,बार बार मेरे आँखों के सामने भैरव सिंह और माँ का चेहरा घूम जाता था वही मेरे पिता की मुझे हँसते हुए दिखाई देते ,
वो मुस्कुराते और उनकी ये मुस्कुराहट मेरे लिए किसी नासूर से कम नहीं थी ,दिल में समाया हुआ एक ऐसा नासूर जिसने मेरा पूरा बचपन ही खत्म कर दिया ,नासूर जिसका जख्म मेरे पैदा होने से पहले से ही पिता जी को सताता रहा होगा और जिसका शिकार मैं हुआ हु,अब मुझे इस नासूर को साथ लेकर जीना था ..
हम हॉस्पिटल में थे मेरी बहने भैरव के साथ घर जा चुकी थी ,पता चला की पिता जी के अंतिम यात्रा की तैयारी हो रही है,हम सब तो अभी बच्चे ही थे,ऐसा लग रहा था जैसे भैरव ने ही हमारे अभिभावक की जगह ले ली है,
रश्मि की माँ अर्चना और उसकी चाची सुमन भी वंहा आ चुके थे ,जबकि उसे चाचा भीष्म अभी मेरे घर गए हुए थे ,एक बार मेरी और रश्मि की आंखे मिली ,ऐसा लगा की बहुत कुछ कहना चाहती हो लेकिन जुबान फिर भी ना हिले ,
"बेटा जो हुआ उसे नहीं बदला जा सकता अब तुम्हे अपने पिता की अंतिम विदाई सम्पन्न करने में ध्यान देना होगा,"
अर्चना आंटी ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा ..
"लेकिन माँ ??"
"बेटा अनुराधा ठीक हो जायेगी ,उसने कभी किसी का बुरा नहीं किया है भगवान उसके साथ कभी बुरा नहीं करेगा ,वो अब ठीक है ,बस थोड़े देर में उसे होश आ जायेगा ..लेकिन पिता का काम तो तुम्हे ही करना होगा "
माँ को होश आ जायेगा ,मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की मैं उनका सामना कैसे करूँगा ..अगर वो पिता जी को देखने की जिद करेगी तो,मैं उन्हें कैसे ये बताऊंगा की उनका चेहरा आप देख नहीं पाओगी ..
मैं वंहा से चलता हुआ हॉस्पिटल में बने गार्डन में पहुंचा,कोने में जाकर चाय के साथ एक सिगरेट जला कर मैं भविष्य के बारे में सोच रहा था ,अभी एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा ,
"रश्मि तुम ??" रश्मि मेरे बाजु में आकर बैठ गई ,वो कुछ भी नहीं बोल रही थी ना ही मैं कुछ बोलने की स्तिथि में था ,
"आखिर कौन हो सकता है जिसे हमारी खुशियों से इतनी जलन है "
मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया
"राज मुझे नहीं लगता की ये दौलत के लिए किया गया था .."
"हां रश्मि ,ये बहुत ही पर्सनल अटेक था "
"लेकिन राज सोचने वाली बात है की किसके ऊपर ,क्या तुम्हे नहीं लगता की टारगेट तुम भाई बहन थे और कोई आंटी को बचा रहा था ,वो भी अभी क्यों ? अगर करना ही था तो पहले क्यों नहीं मारा तुम लोगो को उसने ??"
मैंने एक बार रश्मि की ओर देखा ,उसका प्यारा सा चेहरा मुरझा सा गया था
"हां रश्मि मुझे भी लगता है की प्लान तो हमे मरने का था लेकिन माँ के बीच में आने के कारण उसने पिता जी को फोन किया ,लेकिन वो माँ को बचा क्यों रहा था ??"
रश्मि की आंखे थोड़ी नम होने लगी
"क्या हुआ रश्मि ??"
"मुझे लगता है की जिसने भी ये किया होगा वो तुम्हारी माँ से प्यार करता है ,"
वो चुप हो गई ,और मै स्तब्ध ,हां ये सही था और ये ख्याल मेरे दिमाग में भी आया था लेकिन मेरा स्तब्ध होना रश्मि के आंसुओ के कारण था ,मै समझ गया था की आखिर वो क्या सोच रही है ..
"नहीं रश्मि मुझे नहीं लगता की तुम जो सोच रही हो वो सही हो सकता है .."
"क्यों राज ??"
"क्योकि उनके पास कोई कारण नहीं है ऐसा करने का .."
हम भैरव की बात कर रहे थे ,भैरव रश्मि का पिता था और रश्मि को भी पता था की जवानी के दिनों में भैरव मेरी माँ से प्यार करता था ,
"कारन तो कुछ भी हो सकता है राज ..."
"नहीं रश्मि मुझे नहीं लगता की अंकल ऐसा करेंगे ,उन्होंने तो हर मुश्किल में मेरा साथ दिया है,और माँ के लिए उनका प्यार सच्चा है ,सच्चा प्रेम कभी किसी को दुःख नहीं पहुँचता ,उसमे कोई संघर्ष नहीं होता कोई जीत हार नहीं होती ,क्या तुम्हे कभी ऐसा लगा की अंकल ने तुम्हारी माँ को कम प्यार किया ,(रश्मि ने ना में सर हिलाया ) ,हां रश्मि तुम्हारे पिता ने तुम्हारी माँ को भी भरपूर प्यार दिया ,भले ही शायद आज भी वो मेरी माँ से प्रेम करते हो लेकिन ....लेकिन वो एक प्रेमी ही है और प्रेमी अपने प्रेम की पूजा करते है ना की वो किसी मोह में प्रेम को दुःख देते है ,अंकल ने माँ के जाने के बाद भी शायद उनसे प्रेम किया हो लेकिन फिर भी उन्होंने तुम्हारी माँ को भरपूर प्रेम दिया ,तुम्हे भरपूर प्रेम दिया ,वही एक मेरे पिता थे जिनकी आँखों में मैंने कभी माँ के लिए प्रेम नहीं देखा ,वो उनके लिए एक उपलब्धि थी जिसे वो सेलेब्रेट किया करते थे प्रेम नहीं ,अगर मेरे पिता की बात होती तो शायद मै मान भी लेता की वो मेरे साथ ऐसा करना चाहते हो ,लेकिन अंकल... नहीं ..जब मैं उनके पहली बार मिला था तो उनके आँखों में एक चमक थी ,उस चमक को मैं पहचान सकता था ,वो चमक तब आती है जब कोई इंसान अपने अजीज के बच्चो को देखता है ,मैंने अपने मन से इसे महसूस किया है,उनके अंदर मेरे लिए एक अनकहा सा प्रेम है ..वो ऐसा नहीं कर सकते ,क्या तुमने ये महसूस नहीं किया ??"
रश्मि के चेहरे पर एक मुस्कान खिल गई ...
"तुमने मेरे दिल का एक बोझ ही हल्का कर दिया ,लेकिन .."
वो कहते कहते रुक गई थी
"लेकिन क्या ?"
"लेकिन राज मुझे आज एक बात पता चली "
मैं जानता था की उसे क्या पता चला है ,वो मेरी आँखों में देख रही थी जैसे कोई इजाजत मांग रही हो ...मैंने अपने आँखों से ही उसे वो इजाजत दे दी थी ..
"राज तुम्हारे पिता जी को जीवन भर ये शक था की तुम ..(वो कुछ सेकण्ड के लिए चुप हो गई ) की तुम मेरे पिता का खून हो .."
रश्मि ने इतना बोलकर अपनी आंखे निचे कर ली
"और तुम्हे क्या लगता है "
उसने फिर से सर उठाया और मेरे आँखों में देखने लगी
"मुझे नहीं पता "
मैं हंस पड़ा ,और हसते हँसते मेरी आँखों में पानी आ गया ,वो किसी गम का नहीं एक अहसास का पानी था,इस लड़की के प्रेम का अहसास ,हो इन चीजों को छिपा भी सकती थी ,लेकिन वो मेरे लिए अपने पिता को भी कातिल समझने को तैयार थी ,मैंने प्यार से उसके गालो को सहलाया
"नहीं रश्मि मुझे अपनी माँ पर पूरा भरोसा है,मैं ये मान सकता हु की उन्होंने तुम्हारे पिता से प्रेम किया होगा,लेकिन ये नहीं की उन्होंने शादी के बाद मेरे पिता से धोखा किया होगा ,नहीं मै ये नहीं मान सकता ,उन्होंने तो अपना पूरा जीवन ही पिता जी को समर्पित कर दिया था रश्मि ,और जंहा बात है की पिता जी के ऐसा सोचने की तो जो आदमी जीवन भर अपनी बीबी को धोखा देता रहा उसके दिमाग में अगर ऐसी बात आ भी जाए तो इसमें अचरज क्या है,लोग जैसा सोचते है वैसा ही देखते भी है,उन्हें लगता की पूरी दुनिया उनके जैसी है .नजारो को अच्छा या बुरा हमारी नजरे ही तो बनाती है ,ये दृष्टि ही दृश्य को परिलक्षित करती है "
मेरी बात सुनकर रश्मि के चेहरे में एक मुस्कान आ गई
"तुमने मेरे मन का एक बोझ हल्का कर दिया राज "
उसकी इस बात से मेरे चेहरे में भी मुसकान खिली ,ये भरी गर्मी की दोपहर में मिलने वाली ठंडी सुकून भरी हवा जैसा अहसास था ,इस द्वन्द और युद्ध की स्तिथि में उसका प्रेम से भरा हुआ चेहरा और दिल से खिलती हुई वो मुस्कान मेरे लिए सुकून भरे थपकी से कम नहीं था ,
"तुम उस कमीने को ढूंढ लोगे राज ,मुझे तुमपर पूरा यकीन है ,उस कमीने को छोड़ना मत ,बस तुम्हे आंटी के ठीक होने का इंतजार करना चाहिए शायद इन सबका राज उनके अतीत से जुड़ा होगा "
"हां रश्मि मुझे भी ऐसा ही लगता है,शायद कोई और ऐसा है जो हमारी नजरो से ओझल होते हुए भी हमरे जीवन पर असर कर रहा है ,अतीत के कुछ किस्से कब वर्तमान को प्रभावित करने लगते है हमे पता ही नहीं चलता ,और हम इसी भ्रम में जीते है की अभी हमसे कुछ गलती हुई होगी ,लेकिन रोग पुराना होता है ,हां उसका इलाज जरूर नया हो सकता है "
मैंने मुस्कुराते हुए रश्मि को देखा ,
उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा
"राज अब शयद हमे चलना चाहिए,तुम्हे अपने घर जाकर अंकल के अंतिम संस्कार का कार्यक्रम सम्पन्न करना चाहिए ,मैं ,मम्मी और चाची जी यही रुके हुए है हम आंटी का पूरा ख्याल रखेंगे और चाचा भी थोड़े देर में आ जायेगे "
मैंने हां में सर हिलाया और हम वंहा से निकल गए .....
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 38
पिता की अन्तोष्टि का कार्यक्रम ख़त्म हो चूका था ,लेकिन अभी भी माँ को होश नहीं आया था ,मैं लगातार रश्मि के संपर्क में था ...
अभी घर में आये मेहमानो की भीड़ को सम्हला ही रहा था की एक सफ़ेद रंग के सलवार में लिपटी हुई कोई हुस्न परी सी लड़की मेरी ओर आते हुए मुझे दिखी ..
"हैल्लो मिस्टर सिंह ,कैसे है आप "
उसने मेरे बाजु में खड़े हुए भैरव सिंह से कहा
"ओह समीरा तुम ..मैं तो अच्छा हु तुम कैसी हो "
"बॉस के गुजर जाने के बाद कैसी हो सकती हु सर "
उसने चेहरे पर एक दुःख का भाव तो लाया लेकिन साफ साफ पता चल रहा था की उसका ये दुःख बिलकुल बनावटी था .
"हम्म इनसे मिलो ये तुम्हारे नए बॉस है मिस्टर राज "
भैरव अंकल ने मुझे अड्रेस करते हुए कहा
"हैल्लो सर मैं आपसे मिलने ही वाली थी की ये हादसा हो गया ,मैंने सोचा की बिजनेस की बाते ये सब ख़त्म होने के बाद करेंगे "
उसने मेरी ओर हाथ बढ़ाया और मैंने भी उसके साथ हाथ मिला लिया ..
"कोई बात नहीं शायद आप पापा की पर्सनल सेकेट्री है ??"
मैंने कभी कभी इसका नाम सुना था ..
"जी सर और अब आपकी .."
उसके चेहरे में एक सौम्य सी मुस्कान आई ..
"जी ..मेरे ख्याल से हम आराम से बिजनेस के बारे में चर्चा करेंगे ,अभी ये समय सही नहीं है "
"जी सर मुझे भी यही लगता है लेकिन आपको कल ही ऑफिस ज्वाइन कर लेना चाहिए ,क्या है ना की सर के गुजरने के बाद और पूरी प्रॉपर्टी का बटवारा होने के बाद हमारे इन्वेस्टर थोड़े से परेशान है ,अगर आप आगे आकर उन्हें हिम्मत दे तो बात अलग होगी .."
मैं जानता था की बिजनेस में पर्सनल इमोशंस की कोई जगह नहीं होती और सभी इन्वेस्टर्स कंपनी के भविष्य को लेकर चिंतित होंगे ,इसलिए मैंने हां में सर हिला दिया .....
************
"इस लड़की को ध्यान से देख लो राज ,ये है एक दो धारी तलवार है ,ये तुम्हे आसमान में भी पंहुचा सकती है और गर्त में भी "
अंकल ने समीरा की और दिखते हुए कहा ..
"आखिर आप ऐसा क्यों बोल रहे हो अंकल ?"
उन्होंने एक गहरी साँस ली ,
"समीरा खन्ना ,एक रिक्शा चलने वाले की बेटी,MBA इन हर,झोपडी में पली बढ़ी लेकिन ख्वाब हमेशा ही इसने ऊंचे देखे,अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर यंहा पहुंची है ,तुम्हारे पापा की सबसे खास और भरोसेमंद मुलाजिम और तुम्हारे कंपनी चांदनी के बाद नंबर 2 का पावर रखने वाली शख्स ,कंपनी की 20% की शेयर होल्डर ,और अब तुम्हारी कंपनी की सबसे पावर फूल पर्सन ...."
मैंने आश्चर्य से भैरव अंकल की और देखने लगा
"हां राज ये सही है ,बिजनेस में पैसा और पावर ही सब कुछ होता है ,और समीरा के पास दोनों ही है साथ ही है एक गजब का दिमाग जिसका उपयोग करके तुम्हारे पिता ने अपने पुरखो की दौलत को कई गुना तक बड़ा दिया ,चांदनी की एक खासियत थी की उसे हीरो की समझ रही उसने समीरा जैसे हिरे को खोज निकला और अपना राइट हेंड बनाया ,उसे कंपनी में शेयर दिए ,समीरा ही थी जो तुम्हारे पिता की राजदार थी ,उसके पर्सनल और प्रोफेसनल जिंदगी की राजदार ....तुम ये मत समझना की तुम कंपनी के मालिक हो तो तुम समीरा से जयदा पावर फूल हो गए ,नहीं ऐसा नहीं होता क्योकि तुम्हारे साथ कंपनी के बाकि शेयर होल्डर्स भी है और बोर्ड ऑफ़ डिरेक्टर्स भी ,अब तुम्हे ऑफिसियल कंपनी का CEO बना दिया जायेगा लेकिन तुम अब भी इतने पावर फूल नहीं हो की तुम अपनी बात मनवा सको क्योकि उस बोर्ड में अब तुम्हारी बहने भी होंगी ,चांदनी के पास तुमसे ज्यादा पावर थी लेकिन अब पावर बोर्ड के पास होगी ,और इस समय बोर्ड की सबसे तजुर्बेकार और शक्तिशाली मेंबर समीरा ही होगी ,इसने ही कंपनी को इतने इन्वेर्स्टर दिलाये है तो इसकी एक इज्जत सभी के दिल में है और वो लोग तुम्हारी नहीं इसकी बात ही सुनेंगे ,ये मत समझना की ये तुम्हरी पर्सनल सेकेट्री है तो तुम इसके बॉस हो ,इसने वो पद अपनी मर्जी से अपनाया था तुम्हारे पिता के लिए,लेकिन ये तुम्हारी लिए भी उतनी ही वफादार रहे इस बात की कोई गारंटी नहीं है,ये जब चाहे तुम्हारा जॉब छोड़कर जा सकती है और इसके जाने का एक ही मतलब है की सारे इन्वेस्टर भी इसके साथ जायेंगे .."
मैं उनकी बात ध्यान से सुन रहा था मुझे तो लगा था की बिजनेस आसान सी चीज होगी ,मैं मालिक और बाकि मेरे मुलाजिम लेकिन ये बात इतने भी आसान नहीं थी ,खासकर जबकि मुझे बिजनेश की कोई खास समझ भी नहीं थी ..
"अंकल मुझे क्या करना चाहिए "
"अभी तो कुछ ज्यादा नहीं ,जब तक तुम अपने इन्वेस्टर्स को और बोर्ड के लोगो को अपने काबू में नहीं कर लेते तब तक तुम्हे समीरा का ही भरोसा है ,और सभी को बस एक ही चीज चाहिए वो है प्रॉफिट ,अगर किसी को भी लगा की तुम्हारे फैसले से कंपनी को लॉस होगा तो समझो वो तुम्हे छोड़ने में थोड़ी भी देरी नहीं लगाएंगे ,यंहा पर्सनल इमोशंस की कोई क़द्र नहीं होती ,चांदनी की ये बात सबसे खास थी की वो आदमी भले ही कितना भी कमीना हो लेकिन बिजनेस मैन वो कमाल का था सभी को अपने काबू में रखता था ...अब तुम्हे भी ये सब करना होगा सीखना होगा ,खासकर समीरा को नाराज मत करना ,वो भी शेयर होल्डर है तो उसे भी कंपनी की फिक्र है ,और वो भी लॉस बर्दास्त नहीं करेगी ,"
मैंने हां में सर हिलाया
*********************
मैं हॉस्पिटल में बैठा हुआ था बाकि सभी लोग जा चुके थे ,मेरे अलावा वंहा बस निकिता दीदी ही बैठी थी ..
"क्या हुआ भाई इतने टेंसन में दिख रहा है .."
"दीदी कल से मुझे कंपनी सम्हालनी है पता नहीं कैसे कर पाउँगा ,पापा की बात अलग थी उनका रुतबा था ,उनके पास पहचान थी सब था ,लेकिन मेरे पास .."
मैं चुप ही हो गया ,स्वाभाविक था जो लड़का अभी अभी स्कुल से निकला हो कालेज में जिसने कदम भी नहीं रखा उसके ऊपर अब 14 हजार करोड़ की कम्पनी की जिम्मेदारी थी ,इन्वेस्टर और शेयर होल्डर्स को खुस करना था ,सभी को अपने ऊपर भरोसा दिलाना था ,माँ ने कभी बिजनेस किया नहीं था ,मैं ही एक फेस था जिसके ऊपर लोग उम्मीद करके बैठे थे ...
दीदी मुझसे ज्यादा मेच्युर थी ,उनके बिजनेस की सेन्स भी मुझसे ज्यादा थी इसलिए वो मेरी बात को तुरंत ही समझ गई ,उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा ..
"भाई ऐसे डरने से कुछ नहीं होगा,मुझे पता है की अभी हमारी स्तिथि क्या है लेकिन तुझ फिक्र करने की जरूरत नहीं है हमारे परिवार के कुछ बहुत ही वफादार लोग अब भी कंपनी में है ,हमरे बिजनेस में मेरा थोड़ा दखल रहा था ,मैं पापा के साथ कभी कभी ऑफिस जाया करती थी ,मुझे वंहा की थोड़ी समझ है ,मैं तुम्हे उन लोगो से मिलवा दूगी .."
"दीदी आज मैं समीरा से मिला .."
समीरा का नाम सुनते ही दीदी का चेहरा लाल हो गया था ..
"वो साली रंडी ...'
इतना ही बोलकर दीदी चुप हो गई
"क्या बात है दीदी ..??"
"मेरा बस चलता तो मैं उसका कत्ल ही कर देती लकिन क्या करू उसने पापा का दिल जीत रखा था ,अपने हुस्न और काम से पापा ने उसे कंपनी का शेयर होल्डर भी बना दिया ,पता नहीं वो पापा के लिए ऐसा क्या करती थी की पापा उसपर इतने मेहरबान थे ,कहने को तो वो बस एक पर्सनल सेकेट्री है लेकिन कंपनी उसके ही इशारो में चलती है ,मुझे ये डर है भाई की वो हमारे इन्वेस्टर को डाइवर्ट न कर दे "
"क्या हम उसे कंपनी से निकाल नहीं सकते ??"
मेरे दिमाग में ये प्रश्न बहुत देर से घूम रहा था
"नहीं भाई अभी वो है जो इस कंडीसन में हमारे इन्वेस्टर्स को रोके रख सकती है ,और उसकी अहमियत इतनी है की उसे निकलने के बारे में तो हम सोच भी नहीं सकते ,लेकिन तुम्हे उससे होशियार रहना होगा ,वो हमारे लिए इतनी काम की है उससे कही ज्यादा खतरनाक भी ,साली रंडी की औलाद जो है .."
"आप उससे इतना क्यों चिढ़ती हो दीदी ??"
दीदी के मन में समीरा के लिए बहुत गुस्सा था ..
"साली सड़क छाप लड़की है जिसे पिता जी ने अपने सर में बिठा दिया ,उसका बाप रिक्शा चलाता था और माँ एक रंडी थी ,उसने अपने हुस्न से पिता जी को फंसा लिया और क्या देखो आज क्या बन गई है,अब ऐसी लकड़ी का क्या भरोसा करोगे "
दीदी गुस्से में लग रही थी ,इसलिए मैंने उनसे कुछ कहना ठीक नहीं समझा ,एक तरफ भैरव अंकल समीरा की तारीफ करते नहीं थक रहे थे तो दूसरी तरफ दीदी उसकी बुराई करते नहीं थक रही थी ...
साली मेरी जिंदगी में कभी आराम से काम करना लिखा ही नहीं था ,जंहा भी जाता था षडयंत्र पहले पहुंच जाती थी ,
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 39
मैं और निकिता दीदी ऑफिस में थे ..
सभी ने बड़े ही प्यार से हमारा स्वागत तो किया लेकिन एक अजीब सा डर उनके चहरे और बातचीत में मैंने महसूस किया ,ऐसा लगा जैसे कोई नवसीखिया को राजा बना दिया गया हो और सभी का भविष्य अब उसके ही हाथो में हो ,वंहा मुझे समीरा मिल गई और साथ ही दीदी ने मुझे हमारे एक पुराने वफादार से भी मिलवाया जिसका नाम सतीश था ,दीदी ने मुझसे कहा की सतीश से उसे ऑफिस के अंदर की जानकारी मिलेगी लेकिन वो सभी के सामने उससे ज्यादा बात ना करे ,समीरा और दीदी के रिश्ते कुछ खास नही थे लेकिन समीरा ने मुझे बहुत भाव दिया ,इन्वेस्टर के सामने कैसे बात करना है क्या कहना है सभी कुछ हमने मिलकर ही तय किया ,इसके लिए एक पर्सनल मीटिंग रखी गई थी जिसमे मेरी अनुरोध में मेरा वकील और भैरव सिंह भी आये हुए थे,मुझे अभी इनकी जरूरत थी क्योकि बिजिनेस मेरे लिए नया था और समीरा का अभी मैं कोई भरोसा नही कर सकता था ...दीदी पूरे मीटिंग में चुप ही रही समीरा ने ही प्लान बनाया था जो की सभी को बहुत पसंद आया ,
फिर इन्वेस्टर्स और ऑफिस के कर्मचारियों के साथ मीटिंग्स हुई एक प्रेस कांफ्रेंस भी करवाई गई ,कुल मिलाकर उद्योग के गलाकाट प्रतियोगिता वाले जगत में मेरा आगाज हो गया ,कुछ लोगो को मुझसे उम्मीदे थी तो कुछ को मेरे ऊपर शक था जो भी था मुझे बस हवा के बहाव में बहना था क्योकि मैं अभी उसके विपरीत जाने के लायक नही हुआ था ……
समीरा ने मीटिंग्स के बाद एक छोटी सी पार्टी भी अरेंज करवाई थी जिसमे मेरा आना सबसे ज्यादा जरूरी था,इस पार्टी के जरिये वो कुछ बड़े लोगो के सामने मुझे इंट्रोड्यूज करवाना चाहती थी ,अभी मेरा पार्टी करने का कोई भी मूड नही था मेरे पिता जी अभी अभी गुजरे थे और मेरी मा अभी भी हॉस्पिटल में थी जो की बेहोश थी ,लेकिन भैरव अंकल ने भी मुझे समझाया साथ ही निकिता दीदी ने भी की ये पार्टी मेरे लिए कितनी जरूरी है ,और मुझे वंहा जाना ही पड़ा,निकिता दीदी हॉस्पिटल के लिए निकल गई लेकिन भैरव अंकल वही रुक गए …
पार्टी में बड़े बड़े नेता ,बिजनेसमैन ,सरकार के बड़े अधिकारी ,मीडिया के लोग और हमारे इन्वेस्टर और कंपनी से जुड़े कुछ खास लोग आये हुए थे ,कहने को छोटी सी पार्टी में लगभग 150 लोगो का जमावड़ा था ,
बातचीत का दौर जारी था ,मैं कुछ इन्वेस्टर्स के साथ खड़ा हुआ था ..
“भई राज हमे लगता है की तुम सब कुछ अच्छे से सम्हाल लोगे आखिर समीरा और राजा जी का साथ है तुम्हारे पास “
ये कोई बड़ा इन्वेस्टर था मैंने सिर्फ उसे धन्यवाद कहा वही भैरव अंकल हँसते हुए उसके कांधे पर हाथ रख दिया ..
“क्यो SP साहब चंदानी जी के मर्डर के केस में कुछ सुराग मिला आपको “
साथ खड़े दूसरे व्यक्ति जो की कोई मंत्री टाइप थे ने शहर के SP से पूछा
“नही सर अभी तक कोई सुराग नही मिला है लेकिन हम पूरी कोशिस कर रहे है “
“तुमसे कुछ ना हो पायेगा मुन्ना ,इसे तो वो हल करेगा “
उस मंत्री ने एक ओर इशारा किया जन्हा से मुझे डॉ चूतिया और काजल साथ आते हुए दिखाई दिए ,आते ही सभी ने उनका अभिनंदन किया ,थोड़ी देर तक बाते चलती रही ..जाते जाते मंत्री साहब ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बात करने के लिए मुझे थोड़ा अलग ले गए …
“बेटा मैं तुम्हारे पिता का बहुत ही अच्छा दोस्त था ,मुझे उनके गुजरने पर बहुत ही अफसोस है ,लेकिन इस बात की खुशी है की आज तुम्हारे पीछे इतने काबिल लोग खड़े है ,समीरा जैसी इंटेलिजेंट लड़की तुम्हारे साथ है,राजा साहब (भैरव सिंह ) तुम्हे अपना मानते है,डॉ चूतिया जैसा इंसान तुम्हारा दोस्त है ,इतने छोटी उम्र में तुम्हे प्रोटेक्ट करने के लिए तुम्हारे आस पास बहुत ही काबिल लोग है ,लेकिन बस एक इंसान की कमी मुझे खल रही है ..”
मैं उसे देखने लगा
“विवेक अग्निहोत्री ,तुम्हारे पिता और राजा साहब दोनो का अच्छा दोस्त था और साथ ही गजब का वकील भी ,काश वो भी तुम्हारे साथ होता ,क्या दिमाग था साले के पास मेरा भी वकील वही था “
“मुझे भी उनके दुखद मौत पर दुख हुआ “
मुझे उस वकील की याद आ गई जो की हमारा पुराना फेमली फ्रेंड भी था और साथ ही साथ मा का अच्छा दोस्त भी
“पता नही क्यो उसने आत्महत्या की ,वो ऐसा इंसान तो नही था ,बहुत ही मजबूत शख्सियत थी ,आजतक ना कोई उसे डरा पाया ना कोई हिला पाया ,पता नही अंतिम दिनों में उसके साथ ऐसा क्या हो गया ,खैर ..अब उसकी पत्नी भी गायब थी सुना है की उसका आचरण ठीक नही था,कुछ दिन पहले जंगल में उसकी लाश मिली “
“ओह”
ये मेरे लिए नई खबर थी
“खैर हमे भी अपना ही समझना कभी कोई भी जरूरत हो तो मिल लेना या फिर समीरा से कहकर मेरे सेकेट्री से बात कर लेना “
“जी धन्यवाद आपका “
मैंने सीधे उसके चरण स्पर्श कर लिए ,मैं भी थोड़ी राजनीति सिख रहा था उसने मुस्कुराते हुए मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और वंहा से निकल गया ..
तभी मेरी शहर SP पर नजर पड़ी जो की दारू पी कर मस्त हो रहा था
“हैल्लो सर “
“ओ हैल्लो राज जी “
उसने बड़े ही अदब से मेरा नाम लिया इस उम्र में भी मुझे समझ आने लगा था की पावर की सभी इज्जत करते है
“सर आपसे एक बात करनी थी “
“जी जी बिल्कुल कहिए ,चंदानी साहब के मर्डर के बारे में “
“नही नही वो विवेक अंगिहोत्री की वाइफ के मर्डर के बारे में “
“ओ वो ,उसका किसी गैर मर्द के साथ तालुक थे ,वो अग्निहोत्री जी का ही कोई मुलाजिम था पहले ,उनके मौत के समय से ही गायब था ,वकील साहब को इस बात का पता चल गया तो उन्होंने उसे नॉकरी से निकाल दिया था उसके बाद से ही उसका कोई पता नही चला ,हम आज भी उसे ढूंढ रहे है शायद वकील साहब ने इन सब चीजो के कारण ही आत्महत्या की हो और उस इंसान ने वकील साहब की बीवी को भी मार दिया हो ,हमारा प्राइम सस्पेक्ट तो वही इंसान है “
“जी क्या नाम था उस शख्स का .??”
“अतुल वर्मा “
“ओके क्या मुझे उसके घर का अड्रेस मिल सकता है कौन कौन है उसके घर में “
“जी बीवी और बच्चे है उसके ,लेकिन आपको इस केस में इतना इंटरेस्ट कैसे जाग गया “
“असल में मुझे हमेशा से लगता है की वकील साहब ने आत्महत्या नही की बल्कि उनका मर्डर किया गया था ,और इसका लिंक मेरे पिता जी के मर्डर से भी हो सकता है “
इतना कुछ होने के बाद मुझे इस बात का इल्म हो गया था की विवेक को मारने वाला शख्स ही इस पूरे फसाद की जड़ था ..
“जी बिल्कुल अगर ऐसा है तो मैं आपको उसका अड्रेस सेंड कर दूंगा “
“जी धन्यवाद “
थोड़ी देर बाद मेरा फोन बजा ,निकिता दीदी ने फोन किया था ,
“भाई मा को होश आ गया है “
उनका ये कहना था की दिल को एक सकून सा मिल गया ,मैं तुरंत ही हॉस्पिटल के लिए निकल गया ...
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 40
मुझे देखते ही माँ की आंखे जैसे फुट पड़ी थी ,मैं सीधे उनसे लिपट गया था ,दोनो ही आंखों में आंसू की धार बरस रही थी ,यंहा मेरे परिवार के सभी लोग मौजूद थे ,मेरी सभी बहने थी जिनका रो रो कर बुरा हाल पहले ही हो चुका था,मेरे साथ आये भैरव अंकल भी थोड़ी देर खड़े सब कुछ देख रहे थे ..
थोड़ी देर बाद माँ थोड़ी सामान्य हुई ..
उन्होंने अंकल को देखा
“थैंक्स भैरव मेरे बच्चों को सम्हालने के लिए “
अंकल कुछ ना बोले बस उन्होंने हा में हल्के से सर हिलाया
रात काफी हो चुकी थी मैंने बहनो को घर भेज दिया था ,मैं हॉस्पिटल में ही रुक गया था ..
मन में उनसे कहने के लिए ढेरो सवाल थे ,सबसे बड़ा सवाल ये था की क्या मैं भैरव सिंह का खून था ,लेकिन मेरे सभी सवाल माँ की इस हालत के सामने मुरझा से गए थे मैं पहले उन्हें स्वस्थ्य देखना चाहता था,इस हालत में जबकि वो खुद शारीरिक और मानसिक दुख से गुजर रही थी मैं और कोई सवाल पैदा कर उनकी दशा को बिगड़ना नही चाहता था …..
मैं उनसे हल्के फुल्के बाते कर रहा था ..
“तो आज तुम ऑफिस गए और इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग भी किया ,कैसा रहा “
माँ अब तक कुछ शांत हो चुकी थी
“बढ़िया था माँ,सभी ने मुझे सपोर्ट किया खास कर भैरव अंकल ने और समीरा ने “
समीरा का नाम सुनकर माँ का भी चहरा उतर गया था ..
“ह्म्म्म “वो बस इतना ही बोल पाई तभी कमरे में रश्मि दाखिल हुई साथ ही उसकी मा भी थी ,रश्मि की माँ अर्चना माँ की अच्छी सहेली भी थी तो मैंने दोनो को बात करने के लिए छोड़ दिया और मैं रश्मि के साथ वंहा से बाहर आ गया ..
“मैंने तुम्हारे और निशा के लिए *** कॉलेज का फार्म भर दिया है “
रश्मि ने मुझे देखते हुए कहा ..
“थैंक्स यार ,मुझे समझ नही आ रहा है की ये सब कैसे मेंटेन करूँगा,पढ़ाई भी पूरी करनी है ,बिजनेस भी सम्हलना है और साथ ही मेरे दुश्मन को भी ढूंढना है जिसने ये सब किया है,वो आज भी जिंदा है और शायद हमारे ऊपर नजर भी रखे है ,कभी कभी तो कुछ भी समझ नही आता “
रश्मि ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा
“सब कुछ ठीक हो जाएगा राज तुम फिक्र मत करो ,मैं जानती हु की तुम कितने बहादुर हो और कितने टैलेंटेड ,आखिर तुम्हारे पास तुम्हारे बाबा जी की दी शक्तियां भी तो है ..”
इतने दिनों के बाद मुझे ये याद आया की मेरे पास कुछ अमानवीय शक्तियां भी है ,लेकिन लकड़ी के जाने के बाद उसपर ध्यान भी नही जाता था …इतने दिनों के बाद मुझे बाबा जी की भी याद आयी ..
रश्मि ने मुझे चुप देखकर फिर से कहा
“एक बार उनसे मिल आते है ,तुम्हारे साथ इतना कुछ हो गया और उन्हें खबर भी नही होगी ,”
मैंने हा में सर हिलाया
“कल चले ,मैं पापा से बोलकर हेलीकाफ्टर का इंतजाम कर देती हु”
“ह्म्म्म कल चलते है “
रश्मि ने फिर से मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा
“राज यार तुम ही ऐसे दुखी रहोगे तो सबको कौन सम्हालेगा ,तुम्हे ही अपने परिवार को और बिजनेस को सम्हलना है और साथ अपने आप को भी ...इतना टेंशन मत लो ..”
मैंने उसे देखकर एक स्माइल की
“कल चलते है बाबा जी के पास “
***********
सुबह के 6 ही बजे थे और मैं ,रश्मि और टॉमी के साथ बाबा जी के पास था ,
सूरज अभी अभी उगा ही था हमे देखकर उनके चहरे में चिर परिचित सी मुस्कान खिल गई …
“आओ आओ राज इतने दिनों के बाद सब ठीक तो है ??”
ये कहते हुए भी उनके चहरे में मुस्कान थी जैसे वो जानते हो की सब कुछ ठीक नही है …
हम उनके साथ थोड़ी देर बैठे फिर बाबा जी के हुक्म के अनुसार रश्मि टॉमी के साथ वंहा से घूमने चले गई
और मैंने बाबा जी को पूरा वृतांत बात दिया ..
“ह्म्म्म तुमने अपनी लकड़ी खो दी ,तो क्या तुम नई लकड़ी लेने आये हो ??”
“नही बाबा जी मैं तो बस आपसे मिलने आया हु “
“अच्छी बात है ऐसे भी मैं तुम्हे कुछ नही देने वाला “
वो जोरो से हंस पड़े ,मुझे समझ नही आया की क्यो ?
“राज जो भी तुम्हारे साथ हो रहा है उसे अपनी परीक्षा ही समझो ,शायद तुम्हे ये जानकर आश्चर्य हो लेकिन अब तुम पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो चुके हो ,हा दैवीय शक्ति नही लेकिन राक्षसी शक्तियों के द्वारा ,अब शक्ति कैसी भी हो वो शक्ति ही होती है ,कई ऐसे अघोरि और तांत्रिक लोग भी होते है जो की राक्षसी शक्ति से ही लोगो का भला करते है और कई ऐसे लोग भी होते है जो की दैवीय शक्ति के बावजूद लोगो को तकलीफ ही देते है ,तो तुम्हे अपनी शक्तियों का इस्तमाल करना चाहिए तुम्हे फिक्र करने की कोई जरूरत नही है ,तुम्हरी शक्तियां पहले से बढ़ी ही है कम नही हुई है ,जन्हा तक उस अघोरी और उसकी साधना की बात है तो ऐसी साधना करने वाले अघोरियों का एक समुदाय है जो शैतानो से अपनी ताकत प्राप्त करते है ,उनके एक मुख्य गुरु मुझे हिमालय प्रवास के दौरान मिले थे ,देखने में खतरनाक थे लेकिन दिल के वो भी एक संत ही थे ,मेरे ख्याल से तुम्हे उनसे मिलना चाहिए वो कुछ मदद कर दे “
मैं उन्हें आशा से देखने लगा ,और वो बोलते गए
“लेकिन वो तुम्हे उस अघोरी तक ही पहुचा पाएंगे ,उस कातिल तक नही जो ये सब कर रहा है ,क्योकि जन्हा तक मैं उन अघोरियों के बारे में जानता हु वो अपनी शक्तियों का उपयोग किसी नेक काम में ही करते है ,हा उनका शक्ति प्राप्त करने का तरीका जरूर गलत होता है...और वो किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नही निकालते,जैसा तुम्हारे साथ हो रहा है ,तो इस बात से इत्मीनान रखो उस अघोरी का तुम्हारे पिता की हत्या से कोई संबंध नही है ,वो हत्यारा जरूर अतीत के पन्नो में ही छिपा होगा जिसे तुम्हे ढूंढ कर निकालना होगा,जैसा तुमने मुझे बताया उसके अनुसार तुम्हे अपने माँ के बारे में पता करना होगा ,वही उस वकील और उससे जुड़े लोगो के बारे में भी और साथ ही साथ उसकी पत्नी के उस आशिक के बारे में भी ,अपने पिता से संबंधित लोगो को बारे में भी पता करो और भैरव सिंह पर इतना भी विस्वास करना भी ठीक नही है ,वो भी तुम्हारी मा को चाहता था तो कातिल तो वो भी हो सकता है,और समीरा भी ,समीरा और भैरव के पास तुम्हारे पिता और तुम्हारे परिवार का कत्ल करने की पर्याप्त वजह भी है ,मेरे ख्याल से इस मामले में तुम्हे डॉ चूतिया और काजल की मदद लेनी चाहिए,वो एक जासूस भी है और वो तुम्हारी मदद कर सकते है ..”
मैं बस हा में सर हिलाता रहा
“और मैं तुम्हे अघोरी गुरु का पता बताता हु जब तुम्हे उस अघोरी के बारे में जानने की इक्छा हो तो उसके पास चले जाना ,लेकिन अकेले ही जाना …”
उन्होंने कोई पता नही दिया बल्कि अपने हवन कुंड से कुछ राख निकाल कर मंत्र पढ़कर कागज में बांधकर दे दिया साथ ही एक मंत्र भी लिखकर दिया
“इस राख को अपने मस्तक में लगा लेना और थोड़ा मुह में डालना और फिर इस मंत्र का जाप करना वो तुम्हे अपने पास बुला लेगा “
वो फिर से मुस्कुराने लगे ,
,मुझे लगा था की बाबा जी के पास आकर मुझे समस्या का कोई समाधान मिलेगा लेकिन समस्या जस की तस थी बस कुछ राह जरूर मिल गए थे …...और सबसे बड़ी चीज मिली समस्याओं से लड़ने का हौसला….
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 41
एक नए जोश के साथ मैं फिर से अपने काम में भिड़ चुका था ,मेरे पास जो भी जानकारी थी उनके बेस में मुझे आगे बढ़ना था ,बाबा जी के पास से आने के बाद मैंने पहला काम किया की मैं डॉ चूतिया से मिलने पहुच गया ..
वंहा मेडम मेरी ने मेरा स्वागत एक शरारती मुसकान के साथ किया लेकिन अभी मेरा फोकस अलग जगह पर था ..
मैंने डॉ को सभी बाते बताई ,और ये भी की भैरव ने क्या कहा था,और साथ ही बाबा के बारे में भी और अतुल वर्मा के बारे में भी…
उन्होंने एक फोन लगाया और मुझे कहि ले गए ,1 घण्टे गाड़ी चलाने के बाद हम एक घर के सामने खड़े थे ..
“ये हमारा वर्किंग प्लेस है ,सिर्फ जासूसी के लिए “
उन्होंने मस्कुराते हुए कहा …
कमरे का दरवाजा काजल ने खोला और मुझे सारी बाते समझ में आ गई ..
“वेलकम राज “
“ओह तो आप दोनो फिर से साथ में काम करने लगे ?”
मैंने मुस्कराते हुए काजल को देखा वो हमेशा की तरह हसीन लग रही थी
“बिल्कुल थैंक्स टू यु ..”उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
वो हमे एक कमरे में ले गई जन्हा एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ था और उसमे मुझसे संबंधित बहुत सारी बाते लिखी थी ..मैं बिल्कुल ही आश्चर्य से इसे देखने लगा ….डॉ ने बोलना शुरू किया
“राज किसी भी मिस्क्ट्री को साल्व करना हो तो एक एक चीज को गहराई से समझना जरूरी है ,इसके अलावा मानव की आंतरिक भावनाओ को भी समझना चाहिए ,अधिकतर क्राइम मानसिक भावनाओ के कारण ही किया जाता है,तुम्हारे केस में हमे अतीत में जाना होगा,तुम्हारे बारे में हमारे पास जानकारी है ,तुम्हारे परिवार के बारे में हमारे पास जानकारी है लेकिन ..लेकिन हमारे पास कई पर्सनल जानकारी नही है ,खासकर जो चीज घूम फिर कर सामने आ रही है ,तुम्हारी माँ का अतीत….वो तो तुम्हे ही उनसे पता करवाना होगा,तुमने अतुल वर्मा वाली चीज नई बताई है मुझे लगता है की इससे कहानी में नया ट्विस्ट आने वाला है ,उसके बारे में हम आज से ही पता करना शुरू कर देते है बाकी जानकारियां निलवाने के लिए हमने आदमी रख छोड़े है ,उनसे अभी इनफार्मेशन आने में समय है ..”
उनकी तैयारी देखकर मैं खुश हो गया था ..
“डॉ साहब आप मेरे लिए इतना कुछ कर रहे हो ,वो भी बिना किसी स्वार्थ के ,मैं आपका आभारी हु ..मैं ये अहसान तो नही चुका सकता लेकिन …..लेकिन मैं आपको फीस जरूर आफर करना चाहूंगा “
मेरी बात सुनकर डॉ खिलखिला कर हंस पड़े
“अरे यार तुम्हे क्या लगता है की हमारे पास पैसों की कमी है ??”
“नही सर लेकिन इन सबमे भी तो पैसे खर्च होते होंगे “
उन्होंने एक बार काजल की ओर देखा काजल ने मस्कुराते हुए हामी भर दी …
“ओके तुम्हे जो फीस देनी हो दे देना लेकिन काम होने के बाद ,अभी तो केस में फोकस करना चाहिए “
उन्होंने बोर्ड को ध्यान से देखा मैं भी उसे ध्यान से देख रहा था ..
मेरे बचपन से लेकर आज तक की चीजे उसमे लिखी गई थी ,मेरे पूरे परिवार का बॉयोडाटा मौजूद था साथ ही भैरव सिंह ,रश्मि,के परिवार का भी और यंहा तक की समीरा ,चन्दू ,कान्ता रामु ,अब्दुल शबीना सभी कुछ वंहा मौजूद था …
आज डॉ ने उसमे विवेक अग्निहोत्री उसकी बीबी और अतुल वर्मा को भी ऐड कर दिया ..
“काजल सिटी SP को काल करो और अतुल वर्मा की डिटेल मंगवा लो और अपने एक आदमी को उसकी जानकारी लेने उसके घर भेज दो ,याद रहे वो आदमी पुलिस वाला नही होना चाहिए,ना ही उसके परिवार को ऐसा लगे की कोई उनकी पुछताज कर रहा है,कोई दूसरा जरिया अपनाना होगा वरना सही तरीके से सच सामने नही आएगा ..”
डॉ की बात सुनकर काजल ने हा में सर हिलाया
“पहले पता तो चले की उसका परिवार किस तरह का है उसी हिसाब से आदमी भेजूंगी “
काजल ने क्या कहा मुझे अभी समझ नही आया था लेकिन मुझे इन दो शख्स की काबिलियत में जरूर यकीन था ..
**********
मुझे आज अपना आफिस भी जॉइन करना था ,मैंने अपनी बहनो को सख्त हिदायत दे रखी थी की हॉस्पिटल में माँ को बिल्कुल भी अकेला ना छोड़े ,कोई ना कोई उनके साथ जरूर रहता था ,साथ ही मैंने अपने परिवार पर सिक्युरिटी भी बढ़वा दी थी ...हर गाड़ी को मेटल और बम्ब डिटेक्टर से पहले चेक किया जाता था ,पुरे घर में कैमरे से नजर रखी जा रही थी ,अपने तरफ से मैं कोई दूसरा हमला सहने की हालत में नही था और इसलिए पूरी सुरक्षा के इंतजाम कर रखे थे…..
शाम हो चुका था तब मैं ऑफिस पहुचा ..
वंहा समीरा ने मेरा स्वागत किया ..
“आइये राज सर आपका स्वागत है ..”उसके चहरे में वही चिर परीचित मुस्कान थी जो आपको किसी भी होटल के रिसेप्शनिस्ट के चहरे में मिल जाएगी ,अंदर से कोई खुशी नही लेकिन मुस्कराना उनका काम होता है….
“प्लीज समीरा मुझे सर मत कहा करो और साथ ही मुझे ये फार्मेलटी भी नही चाहिए ,मेरे साथ दोस्तो वाला विहेब करो ना की बॉस वाला “
इस बार फिर से समीरा मुस्कुरा उठी लेकिन अबकी मुस्कुराहट असली थी ..
“तुम अपने पिता पर ही गए हो उन्होंने भी कभी मुझे बॉस जैसा ट्रीट नही किया “
वो मुझे मेरे केबिन में ले जाते हुए बोली
“हा तूम दोनो के किस्से तो मशहूर है ,मेरी माँ तूमसे नफरत करती है “
पता नही क्यो लेकिन मैंने ये बोल ही दिया
वो एक बार तो आश्चर्य से मुझे देखने लगी फिर हल्के से हंसी
“पहले ये मेरा काम था राज लेकिन बाद में मेरे लिए ये पर्सनल चीज हो गई ...तुम्हारे पिता एक अच्छे इंसान थे और शायद इसलिए मैं कंपनी की शेयर होल्डर होने के बावजूद उनकी पर्सनल सेकेट्री के रूप में रही और आज भी यही हु तुम्हारे साथ …”
एक अजीब सा भाव था उसकी बात में ,एक अजीब सा अहसास मुझे समझ नही आया की मेरे पिता इसके लिए इतने इम्पोर्टेन्ट क्यो थे ….
मुझे समझ ही नही आ रहा था की मैं उसका क्या जवाब दु ,मैंने ये तो सुन रखा था की मेरे पिता में एक गजब का आकर्षण था और लड़कियो का उन्हें शौक भी था लेकिन कोई उनकी इतनी इज्जत करता होगा ये मैंने नही सोचा था ..क्योकि उनके इस आकर्षण और शौक की कीमत मेरे माँ ने चुकाई थी अपने पति की बेवफाई को उन्हने जीवन भर नजरअंदाज किया था …
“कहा खो गए ,केबिन कैसा है तुमने बताया नही “
मैंने के बार पूरे केबिन को गौर से देखा ,बड़ा सा कमर था बड़े ही तरीके से सवार गया था,एक तरफ दीवाल की जगह कांच लगा हुआ था जन्हा से पूरे शहर का मंजर दिखाई देता था उसके सामने एक बड़ा सा टेबल ,टेबल अर्द्धवृत्ताकार था और उसमे एक डेस्कटॉप के अलावा कुछ भी नही था ,बाजू की दीवाल पर किताबो को बड़े ही सही तरीके से सजाया गया था ,दूसरे बाजू की दीवार खाली थी लेकिन मेरी पारखी आंखों से कुछ नही छिप पाया ,
मैंने उस खाली दीवार कोई ध्यान से देखा ..
“क्या ये कोई सीक्रेट दरवाजा है “
मैंने उसे ध्यान से देखते हुए कहा
“इम्प्रेसिव ...तुम्हारे पिता सही कहते थे तुम जंगल से आने के बाद से कुछ ज्यादा ही इंटेलिजेंट हो गए हो “
समीरा किताबो के पास आयी और एक किताब को हटाकर उसके पीछे लगे एक बटन को दबाया और खाली दीवार में बना दरवाजा खुलता चला गया ,अंदर एक पूरा कमरा था .एक बड़ा सा बिस्तर और बार काउंटर जिसमे महंगी शराबे रखी गई थी ,कहने की जरूरत नही है की ये मेरे पिता के मौज मस्ती के लिए बनाया गया था ….
मैंने उस बिस्तर को ध्यान से देखा,एक गोल बिस्तर था जिसमे सफेद रंग की बेडसीट लगी हुई थी ,इस बिस्तर में ना जाने कितनी लडकिया नंगी हुई हो ...ये सोचकर ही मेरे अंदर के शैतान में थोड़ी जागृति आई और मेरा लिंग फुंकार मारने को खड़ा होने लगा ,लेकिन अभी ये सही जगह नही थी ..
मैं खुद को सम्हलता उससे पहले ही समीरा कमरे में बने बार काउंटर की ओर बड़ी ..
“कुछ पीना चाहोगे ??”
वो जब मेरे सामने से निकली तो मेरी नजर उसके मटकते हुए नितंबो में चली गई ,उसने एक सेकेट्री वाली ड्रेस ही पहनी थी ,मिनी स्कर्ट शर्ट और एक कोर्ट,सभी कुछ काले रंग का था ,टिपिकल ऑफिसियल ड्रेस ...मुझे कुछ ना बोलता देखकर वो अचानक से मुड़ी,मेरी नजर अभी भी उसके मटकते हुए नितंबो पर थी,
“माय गॉड ,तुम सच में अपने पिता की कार्बन कॉपी हो “
वो खिलखिलाई और मुझे होश आया
“सॉरी .वो कुछ भी बना दो “
उसने मुस्कुराते हुए एक दो पैक बनाये और एक मेरी ओर किया और खुद जाकर बिस्तर में बैठ गई ,मैं भी उसके बाजू में बैठ गया था …..
हम दोनो ही चुप थे ,समीरा ने अपना कोर्ट उतार कर रख दिया ,उसके उजोरो अब शर्ट को फाड़कर बाहर आने को बेताब लग रहे थे..
मुझे अपने वक्षो को घूरता हुआ देखकर वो मुस्कुराई
“क्या देख रहे हो “
“सोच रहा हु की बेचारों पर कितना जुल्म हो रहा है ,इन्हें आजाद ही कर दो ,बेचारे कसे कसे तड़फ रहे होंगे “
मेरा शैतान जाग चुका था और अब शर्म ,डर और झिझक जैसी चीजे तेल लेने जा चुकी थी ,लिंग सरिया बन चुका था ,और आंखे अभी भी समीरा के मादक वक्षो पर थी ..
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
मेरी बात सुनकर वो जोरो से हँस पड़ी
“यार तुम तो कुछ ज्यादा ही फ़ास्ट हो “
अब मेरी नजर उसके नजर से मिली ,लगा जैसे मैं उसे सच में पाना चाहता हु ,और कुछ हुआ वही वो उस दिन निकिता दीदी के साथ हुआ था ,मेरी एक इक्छा और वो जैसे मुझसे सम्मोहित सी हो गई,उसके चहरे का रंग बदल गया था उसकी हँसी गायब हो गई थी ,उसकी आंखे जैसे आश्चर्य से भर गई थी ,वो बस मुझे देखे जा रही थी जैसे समझने की कोशिस कर रही हो की आखिर उसे हुआ क्या है ..
“तुम क्या कर रहे हो मेरे साथ ..”
उसने पूछ ही लिया ,मुझे समझ आ चुका था की ये मैं ही कर रहा हु मेरे अंदर की शैतानी शक्ति से …
मैं मुस्कराया
“तुम्हे पागल बना रहा हु ..”
मैंने अपने पैक को एक बार में खत्म किया और उसके ग्लास को भी लेकर जमीन में रख दिया ,मेरे हाथ उसके वक्षो पर पहुच गए थे,मैंने एक बार उसे जोरो से दबाया ,
“वाह..”
“ओ तुम सच में बहुत ही फ़ास्ट हो ,मैं खुस को कंट्रोल क्यो नही कर पा रही “
“क्योकि तुम भी यही चाहती हो “
मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा और उसके गले में अपने होठो को रख दिया ,वो जैसे पिघल ही गई थी
“उम्म क्या कर दिया तुमने राज “उसने मेरे बालो को अपने हाथो से जकड़ लिया ,मेरे हाथ उसके वक्षो को जोरो से दबा रहे थे वही मेरे होठ उसके गले को गीला कर रहे थे …
एक एक करके मैंने उसके शर्ट के सारे बटन खोल दिए ,वो बस ब्रा और स्कर्ट में थी ,मैंने हाथ बढ़ाया और उसके स्कर्ट से उसकी जांघो को सहलाता हुआ उसके जांघो के बीच तक ले गया ,उसकी पेंटी में फंसा हुआ उसके यौवन का द्वार अभी आश्चर्य जनक रूप से गीला हो चुका था ,मैंने हल्के से उसकी पेंटी को हटाया और उंगली को उसकी योनि पर ले गया ..मैं हल्के से सहलाया ही था
“मार डालोगे क्या “
वो बिस्तर में ढेर हो गई ,और वासना की आग से जलने लगी ,मैं उसके ऊपर आ चुका था ,उसके ब्रा के हुक को खोलकर आराम से उसके वक्षो को अपने मुह में डालकर चूसने लगा..वो और भी तड़फने लगी ,
तभी ...तभी मेरा मोबाइल बजा ,ऐसा लगा जैसे किसी ने खड़े लंड में धोखा कर दिया हो ..
“अभी कौन है मादरचोद “मैंने झल्लाते हुए स्क्रीन को देखा
देखा तो नंबर डॉ साहब का था ..
“हैल्लो सर “
“राज अतुल का पता लगाया हम लोगो ने ..तुम कहा हो अभी “
ऐसा लगा जैसे कीसी गुब्बारे से पूरी हवा एक बार में ही निकाल ली गई हो …..
“जी ओफिस में “
“ओके तुरंत यंहा आ जाओ “
“जी जी अभी आता हु “
बेचारी समीरा मुझे ऐसे देख रही थी जैसे किसी ने बच्चे के हाथो से चॉकलेट छीन लिया हो …...
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03-19-2020, 12:21 PM,
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 42
डॉ का फोन आने पर मैं भागता हुआ उनके पास चला गया ,
उन्होंने मुझे उसी घर में बुलाया जिसे वो जासूसी के लिए प्रयोग में लाते थे ..
“क्या पता लगा है डॉ साहब अतुल के बारे में “
मैं जब उनके पास पहुचा तो मैं हांफ रहा था ..
डॉ साहब ये देखकर मुस्कुराये लेकिन कुछ बोले नही ,बल्कि काजल ने बोलना शुरू किया ..
“असल में बात ये है की तुम्हारे जाने के बाद ही मैंने अपने एक खास आदमी को अतुल की जानकारी लेने उसके घर भेज दिया ,अतुल एक गरीब और कम पड़े लिखे परिवार से है ,उसकी माँ बहुत ही ज्यादा पूजापाठ करने वाली है और जब से अतुल गायब हुआ है वो दिन रात दुवा में ही रहती है ..
और यही हाल उसकी पत्नी का भी है ..
तो हमने प्लान किया की हमारा आदमी उनके घर एक बाबा बन कर जाएगा ,और प्लान काम कर गया ,उसकी माँ और बीबी ने उसे बहुत ही आदर सत्कार दिया ,और अतुल के बारे में सभी बाते भी बताई “
“क्या बताया उसने “
“जो हमे पता चला वो ये की अतुल बहुत ही सीधा साधा आदमी था ,खून दूर मख्खी भी मरना उसके लिए मुश्किल था ,उसकी बीबी ने बताया की विवेक अग्निहोत्री की बीबी ही अतुल पर डोरे डालती थी ये बात अतुल ने खुद ही अपनी बीबी को बताई थी,आस पड़ोस से भी यही पता चला की वो एक नेक इंसान था ,उसके घर की हालत अभी बहुत ही बत्तर है ,एक मात्रा कमाने वाला अतुल ही था वो की अब गायब है ,पुलिस बार बार उन्हें परेशान करती थी कुल मिलाकर बहुत ही गंदी हालत में है वो लोग ,मुझे तो लगता है की तुम्हे उनकी मदद करनी चाहिए “
काजल की बात सुनकर मेरे होश ही उड़ गए
“आप लोग पागल हो गए हो ,जिस आदमी ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी मैं उसकी मदद करू”
मेरी बात सुनकर डॉ बोलने लगे
“देखो राज सबसे बड़ी बात ये ही की अभी अतुल के खिलाफ़ हमे कोई भी सबूत नही मिला है ,और जो कुछ भी हमने पता किया उससे ऐसा लग रहा है की उसे भी किसी ने इन सबमे फसाया है ,अतुल के पास कोई कारण नही था विवेक को मारने का या फिर तुम्हारे पिता को मारने का,उसकी परवरिस भी अलग जगह हुई है ,वो तो काम की तलाश में शहर आया,हमने उसके गांव से भी सब कुछ पता करवा लिया कुछ भी नही कही भी कोई ऐसी बात नही की उसपर किसी तरह का शक किया जाए,जो भी ये सब कर रहा है उसे करने के लिए मास्टरमाइंड वाला दिमाग चाहिए ,खूब पैसे चाहिए और सबसे बड़ी चीज कोई वजह चाहिए ,अतुल के पास इनमें से कुछ भी नही है ...और उसकी मदद करके तुम्हे एक फायदा ये भी हो सकता है की अगर उसकी बीवी को तुम काम में रख लो तो हो सकता है की कोई सुराग तुम ही उससे निकलवा पाओ ,उसकी बीबी को अपने ऑफिस में काम में रख लो ,और औरतो को हेंडल करने में तो तुम अब माहिर भी हो चुके हो :”
ये कहते हुए डॉ के होठो पर एक मुस्कान आ गई वही मुस्कान काजल के चहरे पर भी थी …
मैने हामी ने सर हिला दिया
“और तुम्हारे लिए एक नया सरप्राइज है हमारे पास “
ये कहकर डॉ ने मुझे अपने साथ आने का इशारा किया ,वो मुझे एक दूसरे कमरे में ले गए जन्हा कई अजीब उपकरण रखे थे ,वही उन्होंने मुझे एक बड़ा सा हेडफोन दिया ..मैंने आश्चर्य से उन्हें देखा ,काजल ने मुस्कुराते हुए कहना शुरू किया
“हमने समीरा का कॉल्स को हैक किया है ,हम भैरव के कॉल्स को भी हैक करना चाहते थे लेकिन वो खुद ही एक राजा है और हमारे पुलिस में बैठे दोस्तो ने उसके कॉल्स को हैक करने में मदद करने में असमर्थता दिखाई ,अगर उसे पता चल गया तो बवाल हो जाएगा ,लेकिन समीरा के साथ ऐसी प्रॉब्लम नही थी तो आसानी से एक्सेस मिल गया ,तुम्हे इसे सुनना चाहिए ,जानते हो तुम्हारे ऑफिस से निकलने के बाद उसने सबसे पहले किससे बात की ?”
“किससे ???:?:”
“भैरब से “
काजल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ,मैंने तुरंत हेडफोन अपने कानो से लगाया ,और डॉ ने एक बटन प्रेस कर दिया ..
“हैल्लो राजा साहब ..” अभी समीरा थोड़ी हांफ रही थी मतलब की मेरे जाने के तुरंत बाद ही उसने भैरव से बात की
“हैल्लो समीरा कैसे रहा राज का पहला दिन ..”
“राजा साहब वो तो अपने बाप की तरह ही निकला ,या ये कहना ज्यादा सही रहेगा की अपने बाप से कई गुना ज्यादा ताकतवर “
“मतलब ..”भैरव उछाल पड़ा था ..
“मतलब की उसके पास भी वही पावर्स है जो की उसके बाप के पास थी ,देखते ही मुझे पगल बना दिया इसने ,लेकिन अपने बाप से बहुत ही ज्यादा पावरफुल है ये तो “
उधर से भैरव कुछ नही बोल पाया कुछ देर तक दोनो ही तरफ से चुप्पी रही ..
“चंदानी ने अपने इसी पावर से मुझसे मेरी अनुराधा (राज की माँ) को छीना था ,मेरी अर्चना(रश्मि की मा ) को बेवफाई करने पर मजबूर किया ,अब उसका बेटा भी उसी के कदमो में चला रहा है,मुझे तो लगता है की इसी के कारण उसने रश्मि के दिल में इतनी जगह बना ली “
भैरव सिंह झल्लाया लेकिन मेरे दिमाग में कई सवाल खड़े हो गए थे .
“आप रश्मि को उससे दूर क्यो नही कर देते,वो दोनो तो भाई बहन ही हुए ना..”
“रश्मि उसके प्यार में पागल है समीरा,और क्या कहूंगा मैं उससे की तुम्हरी मा ने मुझसे बेवफाई की तू उस बेवफाई का नतीजा हो ….नही समीरा मैं अपनी बीबी से बहुत प्यार करता हु ,और रश्मि से भले ही वो मेरा नही चंदानी का खून हो ,लेकिन वो मेरी बेटी है मैं उससे बहुत प्यार करता हु ,मैं जानता हु की अर्चना ने जो किया उसमे उसकी गलती नही थी ,चंदानी ही मादरचोद था ,उसे हर लड़की अपने नीचे चाहिए थी,अब उसका बेटा….नही समीरा जैसे चंदानी ने मेरी अनुराधा की जिंदगी खराब की ये राज मेरी बेटी रश्मि की जिंदगी खराब कर देगा ,साले को अपने बाप के साथ ही मर जाना था ,”
भैरव सिंग गुस्से में था
“लेकिन राज अच्छा लड़का है राजा साहब “
“यही सोच कर तो मैंने अपने बेटी और उसके रिश्ते को सहमति दी थी,ये जानते हुए भी की दोनो का खून एक ही है ,लेकिन ...लेकिन ये भी अपने बाप की तरह है ,नही मैं ऐसा होने नही दूंगा “
भैरव सिंह गरजा ..
“राजा साहब मेरी बात सुनिए ,राज वैसा नही है जैसा आप सोच रहे हो ,हा उसे भी ये जादू आता है जो उसके पिता को आता था लेकिन मुझे लगता है की राज दिल से अच्छा है “
“हा हा हा ...वो कितना अच्छा है ये तो मुझे पता चल ही गया समीरा ,चलो तुम उसपर नजर रखना और मुझे सब कुछ पता चलना चाहिए,हो सके तो उसकी एक वीडियो भी बनाओ अपने साथ ताकि मैं उसे रश्मि को दिखा कर उसके दिमाग से राज का भूत निकाल सकू “
“जी राजा साहब लेकिन आप कुछ ऐसा मत कीजियेगा की राज को आप पर शक हो जाए “
“तूम उसकी फिक्र मत करो मैं उससे पहले जैसा ही व्यवहार करूँगा “
इतना बोलकर भैरव ने फोन रख दिया ..
मैं माथा पकड़ कर नीचे बैठ चुका था ..
“ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ ,मेरा बाप इतना कमीना था की अपने ही दोस्त की बीबी के साथ ...और जिसे मैं अपनी जीवनसाथी बनाना चाहता हु वो मेरी बहन है “
कुछ देर तक कोई कुछ नही बोला लेकिन फिर काजल बोल उठी ..
“तुमने एक चीज मिस कर दी राज ..”.मैंने उसे नजर उठकर देखा ,ना जाने मैंने क्या मिस कर दिया था ..आंखों ही आंखों में मैंने सवाल किया की क्या ??
“यही की भैरव और समीरा तुम्हारे पिता के खूनी नही है ,ना ही बाकी के कामो में उनका कोई हाथ था ..”
“ये आप कैसे कह सकती हो “
“क्योकि भैरव ने तुम्हारे और रश्मि के रिश्ते को मान्यता दे दी थी ,और ये भी क्लियर है की समीरा भैरव के लिए काम करती है ,भैरव तुमसे आज गुस्सा हुआ ना की पहले से था ,तो वो तुम्हे क्यो मारना चाहेगा,भूलो मत की बम तुम्हे और तुम्हारी बहनो को मारने के लिए रखा गया था ना की तुम्हारे पिता और माँ को मारने के लिए ,जब तुम उसके दमांद बनने वाले थे तो वो तुम्हे क्यो मरवाता ..”
काजल की बात में पॉइंट तो था,लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये था की अगर इन सब के पीछे अतुल नही है ,भैरव और समीरा नही है ,तो आख़िर कौन है ..?
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 43
मैं अपनी BMW से वापस घर के लिए निकल गया था ,ये वही गाड़ी थी जिससे मेरे पिता जी अधिकतर आफिस जाया करते थे ,मेरा सर दर्द करने लगा था ,आखिर इन सबके पीछे था कौन …??
मुझे गाड़ी चलाने की ज्यादा आदत नही थी ,अभी अभी तो मैंने ड्राइविंग सीखी थी ,फिर भी मैं जितनी जल्दी हो सके अपने घर पहुचना चाहता था …
अंधेरा हो चुका था ,मैं अपनी गाड़ी को उसी पूरी स्पीड में भगा रहा था,मुझे कुछ दूर जंगल से होकर जाना था और वंहा बहुत ही ज्यादा टर्न थे ,तभी एक मोड़ आया और सामने से आती हुई ट्रक की लाइट सीधे मेरे आंखों में आई ,कुछ देर के लिए मुझे मानो दिखना भी बंद हो गया ,और मैं गाड़ी को सम्हाल नही पाया ,मेरे पैर ब्रेक की जगह एक्सीलेटर में जा लगा और गाड़ी रोड से उतर कर सीधे जंगल में घुस गई ,
दिमाग ऐसे भी खराब था अब पूरा ही हो गया ,
मैं जैसे तैसे गाड़ी से उतरा और जंगल से बाहर आया ,गाड़ी से पेड़ से टकरा कर रुक गई थी ,गनीमत थी की मैंने सीटबेल्ट लगाया था और एयरबेग भी खुल गए ,तभी मेरा फोन बजा …
फोन निकिता दीदी का था ..
“भाई कहा है तू ,मां को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर रहे है “
“क्या इतनी जल्दी ??अभी अभी तो उन्हें होश आया है “
“हा डॉ ने बोला की इन्हें शाररिक नही मानसिक आघात ज्यादा हुआ था इसलिए वो बेहोश हो गई थी ,अब ठीक है नार्मल वार्ड में शिफ्ट कर रहे है ,तो हमने सोचा की क्यो ना घर में शिफ्ट कर दे ताकि हमारे साथ ही रहे ,हॉस्पिटल ने एक नर्स लगा दी है इनके लिए ,तू आजा फिर शिफ्ट करते है “
अब मैं सोच में पड़ गया था ..
“दीदी आपके साथ अभी और कौन है ??”
“मैं और नेहा “
“ओके एक काम करो रोहित को बुला लो साथ ही भैरव अंकल को भी बुला लेना ,मैं अभी नही आ पाऊंगा थोड़ी देर हो जाएगी मुझे आने में “
मेरी बात से दीदी थोड़ा घबरा गई थी
“तू ठीक तो है ना “
“हा दीदी ठीक हु बस काम में फंसा हुआ हु ,आकर बात करते है और सिक्योरिटी का पूरा ध्यान रखना आपके पास सिक्योरिटी चीफ का नंबर है ना “
“हा है,तू फिक्र मत कर मैं कर लुंगी “
“थैंक्स दीदी “
********
अब मेरे दिमाग पहली चीज ये आई की यंहा से कैसे निकलू ,मैंने डॉ को फोन लगाया और सारी बात बताई ,उन्होंने कहा की वो तुरंत मदद भेज रहे है ,मैंने उन्हें अपना लोकेशन शेयर किया और रोड के किनारे एक मिल के पथ्थर में बैठा सभी चीजो के बारे में सोचने लगा ,तभी मेरे दिमाग में एक बात आयी और मैंने तुरंत अपनी जेब चेक की ,
बाबा जी की दी हुई विभूति अभी मेरे जेब में ही था,मैंने मोबाइल से उस कागज में लिखे मंत्र को देखा और एक चुटकी विभूति खाई और आंखे बंद कर मंत्र का जाप करने लगा ..
थोड़ी ही देर हुए थे की मुझे ऐसे लगा जैसे मैं बेहोश हो गया हु जब मुझे होश आया तो मैं किसी अनजान जगह में था ,मुझे समझ आ चुका था की ये मेरा सूक्ष्म शरीर है .
मैं एक बर्फीले पहाड़ी में था लेकिन मुझे नाम मात्रा को भी ठंड का आभास नही हो रहा था ,होता भी कैसे शारीरिक संवेदना तो सिर्फ शरीर को ही महसूस होती है ..
मेरे सामने बर्फ एक ढके पत्थर में एक बड़ी बड़ी जटाओं वाला इंसान आंखे बंद किये बैठा था वो पूरी तरह से नंगा था और शरीर में भस्म लगाए हुए था ,उसे देख कर ही उसकी ताकत का अंदाजा लग जाता था ऐसा लग रहा था की जैसे इस बर्फ की ठंड से उनका शरीर बिल्कुल ही अछूता है ….
मैं जैसे किसी सम्मोहन में चला गया था ,मुझे उनके रूप में देवत्व नाचता हुआ दिख रहा था ….अद्भुत सौंदर्य था उनके रूप में ..
मैं बस मोहित सा उन्हें देख रहा था तभी उनकी आंखे खुली ..
“तो क्या जानने आये हो राज “
उन्होनें मुझे मेरे नाम से पुकारा था
“महाराज आप तो अंतर्यामी है मैं आपसे क्या कहु ..आपको तो सब कुछ पता ही है “
वो मुस्कुराये
“तुम्हे जिससे मिलना है उसका नाम है राजू ,एक सामान्य सा गांव का लड़का जो की मजबूरी में अघोरी बन गया “
“वो मुझे कहा मिलेगा महाराज “
“डॉ चूतिया के पास “
मैं बुरी तरह से चौका
“क्या ??”
“हा उन्हें कहना की तुम्हे बादलपुर वाले राजू से मिलना है ,राजू उनका वैसे ही मित्र है जैसे की तुम हो “
मैं बुरी तरह से चौक गया था इससे पहले की मैं कुछ कह पता मेरी आंखे खुली मैं अपने शरीर में था ..
मैंने तुरंत ही डॉ को फोन किया
“हा राज मदद निकल चुकी है कुछ देर में पहुच जाएगी “
“डॉ साहब मुझे बादलपुर के राजू से मिलना है “
उधर से थोड़ी देर के लिए चुप्पी छा गई
“तुम उससे मिलकर क्या करोगे “
“क्या आपको नही पता की वो कौन है “
“जानता हु उसे लेकिन तुम्हे उससे क्यो मिलना है “
मैं गुस्से से भर गया था
“क्या आपको सही में नही पता की मैं उससे क्यो मिलना चाहता हु “
“नही ,मुझे कैसे पता होगा,???:?: क्या मुझे पता होना चाहिए?:?:”
“बिल्कुल क्योकि वही अघोरी है जिसके कारण चन्दू की मौत हुई और जिसने मुझे मारा था “
“क्या..:o ..ऐसे कैसे हो सकता है वो तो एक सीधा साधा इंसान है “
“मुझे उससे मिलना है ..”
“ठीक है मैं तुम्हे कल ही उससे मिलवाता हु “
मुझे वो अघोरी मिल चुका था ,पता नही उससे मुझे कितना फायदा होना था लेकिन फिर भी मैं उससे मिलना चाहता था ,अब मैं बेसब्री से मदद का इंतजार करने लगा ,थोड़ी देर में दो गाड़िया मेरे पास आकर रुकी कुछ लोग थे जिन्हें मैंने अपने कार की पोजिशन दिखा दी उन्होंने मुझे जाने को कहा वो गाड़ी ठीक करवा कर मेरे घर छोड़ने वाले थे ,मैंने भी जल्द से अपने घर जाना बेहतर समझा….
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 43
मैं अपनी BMW से वापस घर के लिए निकल गया था ,ये वही गाड़ी थी जिससे मेरे पिता जी अधिकतर आफिस जाया करते थे ,मेरा सर दर्द करने लगा था ,आखिर इन सबके पीछे था कौन …??
मुझे गाड़ी चलाने की ज्यादा आदत नही थी ,अभी अभी तो मैंने ड्राइविंग सीखी थी ,फिर भी मैं जितनी जल्दी हो सके अपने घर पहुचना चाहता था …
अंधेरा हो चुका था ,मैं अपनी गाड़ी को उसी पूरी स्पीड में भगा रहा था,मुझे कुछ दूर जंगल से होकर जाना था और वंहा बहुत ही ज्यादा टर्न थे ,तभी एक मोड़ आया और सामने से आती हुई ट्रक की लाइट सीधे मेरे आंखों में आई ,कुछ देर के लिए मुझे मानो दिखना भी बंद हो गया ,और मैं गाड़ी को सम्हाल नही पाया ,मेरे पैर ब्रेक की जगह एक्सीलेटर में जा लगा और गाड़ी रोड से उतर कर सीधे जंगल में घुस गई ,
दिमाग ऐसे भी खराब था अब पूरा ही हो गया ,
मैं जैसे तैसे गाड़ी से उतरा और जंगल से बाहर आया ,गाड़ी से पेड़ से टकरा कर रुक गई थी ,गनीमत थी की मैंने सीटबेल्ट लगाया था और एयरबेग भी खुल गए ,तभी मेरा फोन बजा …
फोन निकिता दीदी का था ..
“भाई कहा है तू ,मां को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर रहे है “
“क्या इतनी जल्दी ??अभी अभी तो उन्हें होश आया है “
“हा डॉ ने बोला की इन्हें शाररिक नही मानसिक आघात ज्यादा हुआ था इसलिए वो बेहोश हो गई थी ,अब ठीक है नार्मल वार्ड में शिफ्ट कर रहे है ,तो हमने सोचा की क्यो ना घर में शिफ्ट कर दे ताकि हमारे साथ ही रहे ,हॉस्पिटल ने एक नर्स लगा दी है इनके लिए ,तू आजा फिर शिफ्ट करते है “
अब मैं सोच में पड़ गया था ..
“दीदी आपके साथ अभी और कौन है ??”
“मैं और नेहा “
“ओके एक काम करो रोहित को बुला लो साथ ही भैरव अंकल को भी बुला लेना ,मैं अभी नही आ पाऊंगा थोड़ी देर हो जाएगी मुझे आने में “
मेरी बात से दीदी थोड़ा घबरा गई थी
“तू ठीक तो है ना “
“हा दीदी ठीक हु बस काम में फंसा हुआ हु ,आकर बात करते है और सिक्योरिटी का पूरा ध्यान रखना आपके पास सिक्योरिटी चीफ का नंबर है ना “
“हा है,तू फिक्र मत कर मैं कर लुंगी “
“थैंक्स दीदी “
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अब मेरे दिमाग पहली चीज ये आई की यंहा से कैसे निकलू ,मैंने डॉ को फोन लगाया और सारी बात बताई ,उन्होंने कहा की वो तुरंत मदद भेज रहे है ,मैंने उन्हें अपना लोकेशन शेयर किया और रोड के किनारे एक मिल के पथ्थर में बैठा सभी चीजो के बारे में सोचने लगा ,तभी मेरे दिमाग में एक बात आयी और मैंने तुरंत अपनी जेब चेक की ,
बाबा जी की दी हुई विभूति अभी मेरे जेब में ही था,मैंने मोबाइल से उस कागज में लिखे मंत्र को देखा और एक चुटकी विभूति खाई और आंखे बंद कर मंत्र का जाप करने लगा ..
थोड़ी ही देर हुए थे की मुझे ऐसे लगा जैसे मैं बेहोश हो गया हु जब मुझे होश आया तो मैं किसी अनजान जगह में था ,मुझे समझ आ चुका था की ये मेरा सूक्ष्म शरीर है .
मैं एक बर्फीले पहाड़ी में था लेकिन मुझे नाम मात्रा को भी ठंड का आभास नही हो रहा था ,होता भी कैसे शारीरिक संवेदना तो सिर्फ शरीर को ही महसूस होती है ..
मेरे सामने बर्फ एक ढके पत्थर में एक बड़ी बड़ी जटाओं वाला इंसान आंखे बंद किये बैठा था वो पूरी तरह से नंगा था और शरीर में भस्म लगाए हुए था ,उसे देख कर ही उसकी ताकत का अंदाजा लग जाता था ऐसा लग रहा था की जैसे इस बर्फ की ठंड से उनका शरीर बिल्कुल ही अछूता है ….
मैं जैसे किसी सम्मोहन में चला गया था ,मुझे उनके रूप में देवत्व नाचता हुआ दिख रहा था ….अद्भुत सौंदर्य था उनके रूप में ..
मैं बस मोहित सा उन्हें देख रहा था तभी उनकी आंखे खुली ..
“तो क्या जानने आये हो राज “
उन्होनें मुझे मेरे नाम से पुकारा था
“महाराज आप तो अंतर्यामी है मैं आपसे क्या कहु ..आपको तो सब कुछ पता ही है “
वो मुस्कुराये
“तुम्हे जिससे मिलना है उसका नाम है राजू ,एक सामान्य सा गांव का लड़का जो की मजबूरी में अघोरी बन गया “
“वो मुझे कहा मिलेगा महाराज “
“डॉ चूतिया के पास “
मैं बुरी तरह से चौका
“क्या ??”
“हा उन्हें कहना की तुम्हे बादलपुर वाले राजू से मिलना है ,राजू उनका वैसे ही मित्र है जैसे की तुम हो “
मैं बुरी तरह से चौक गया था इससे पहले की मैं कुछ कह पता मेरी आंखे खुली मैं अपने शरीर में था ..
मैंने तुरंत ही डॉ को फोन किया
“हा राज मदद निकल चुकी है कुछ देर में पहुच जाएगी “
“डॉ साहब मुझे बादलपुर के राजू से मिलना है “
उधर से थोड़ी देर के लिए चुप्पी छा गई
“तुम उससे मिलकर क्या करोगे “
“क्या आपको नही पता की वो कौन है “
“जानता हु उसे लेकिन तुम्हे उससे क्यो मिलना है “
मैं गुस्से से भर गया था
“क्या आपको सही में नही पता की मैं उससे क्यो मिलना चाहता हु “
“नही ,मुझे कैसे पता होगा,???:?: क्या मुझे पता होना चाहिए?:?:”
“बिल्कुल क्योकि वही अघोरी है जिसके कारण चन्दू की मौत हुई और जिसने मुझे मारा था “
“क्या..:o ..ऐसे कैसे हो सकता है वो तो एक सीधा साधा इंसान है “
“मुझे उससे मिलना है ..”
“ठीक है मैं तुम्हे कल ही उससे मिलवाता हु “
मुझे वो अघोरी मिल चुका था ,पता नही उससे मुझे कितना फायदा होना था लेकिन फिर भी मैं उससे मिलना चाहता था ,अब मैं बेसब्री से मदद का इंतजार करने लगा ,थोड़ी देर में दो गाड़िया मेरे पास आकर रुकी कुछ लोग थे जिन्हें मैंने अपने कार की पोजिशन दिखा दी उन्होंने मुझे जाने को कहा वो गाड़ी ठीक करवा कर मेरे घर छोड़ने वाले थे ,मैंने भी जल्द से अपने घर जाना बेहतर समझा….
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 44
अभी तक कोई घर नही पहुचा था तो मैंने निकिता दीदी से बात की और हॉस्पिटल चला गया ,
मा खुस थी की उन्हें घर ले जाया जा रहा है ,वंहा भैरव सिंह भी मौजूद थे ,मुझे देखकर वो थोड़ा नर्वस हुए ..
“नमस्ते अंकल कैसे हो आप “
में भी उसके मजे लेना चाहता था
“ठीक हु ,तूम कहा गए थे ??”
“बस थोड़ा काम था ,उस कातिल के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रहा हु “
“ह्म्म्म”
सब मिलकर मा को घर ले आये और एक नर्स भी साथ आयी जिसे 24 घण्टे मा के साथ ही रहना था ,उसके लिए एक कमरा भी दे दिया ,घर आते ही अपने कमरे में पहुचने पर माँ रोने लगी ,उनका पति मरा था ये स्वाभाविक भी था,और उस कमरे में आते ही उन्हें पापा की याद आ गई ..
पापा कितने भी कमीने क्यो ना रहे हो मा ने हमेशा ही उन्हें प्यार किया था…..
लेकिन कहते है की वक्त हर जख्म को भर देता है ,सब कुछ फिर से ठीक हो जाएगा मुझे ऐसी ही उम्मीद थी…
बड़े दिनों बाद मैं अपने कमरे में सोया था …
निशा अभी मा के पास थी ,मैं अपने कपड़े निकाल कर अपने बिस्तर में गिर गया ,तभी कमरे का दरवाजा खुला मुझे लगा की निशा होगी लेकिन ये नेहा दीदी थी …
“कितना बेसरम है तू घर में तीन तीन जवान बहन है और तू नंगा ही सोया है वो भी दरवाजा खोल कर “
उन्होंने आंखे बन्द करते हुआ कहा ..
उनकी बात सुनकर मैं जोरो से हंस पड़ा
“अरे दीदी आप लोगो से कैसी शर्म “
मैं उठकर एक टॉवेल लपेट लिया
“तू निशा और निकिता दीदी के सामने नंगा घुमा कर मेरे सामने नही “
मैं थोड़ा चौका
“क्या निकिता दीदी ?:?:”
“तुझे क्या लगता है मुझे पता नही चलेगा,निशा मेरी खबरी है उसने मुझे सब बता दिया :laugh:“
“लेकिन निशा को कैसे पता चला :?:“
“उसने उस दिन तुझे दीदी के कमरे में जाते देख लिया था ,लेकिन उसने तुझसे कुछ नही कहा अभी तक “
“ओह तो ये बात है “
“हा यही बात है “वो मेरे बिस्तर में आकर बैठ गई
मैं भी उनके बाजू में बैठ चुका था ,नेहा दीदी भी कुछ कम नही थी,ऊँचाई में थोड़ी छोटी थी लेकिन शरीर बहुत ही जानदार था ,बड़े बड़े वक्ष और निकला हुआ लेकिन टाइट पिछवाड़ा उनकी सबसे आकर्षक चीजे थी ..
“ऐसे दीदी आपको जानकर बुरा नही लगा “
उन्होंने मुझे देखा और मुस्कुराई
“नही ,असल में दीदी को तो तेरी जरूरत थी ,देख ना पहले कैसे चुप चाप रहती थी और अब कितनी अच्छे से रहती है,पुराना बॉयफ्रेंड भी वापस मिल गया उन्हें”
“हम्म और आपको मेरी जरूरत नही है “
मैंने उन्हें मुस्कुराते हुए देखा
“बिल्कुल है ..”उन्होंने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया
“तो आज की रात आपने नाम “उन्होंने हल्के से मेरे गाल में चपत लगा दी
“जरूरत है इसका मलतब ये नही तेरे साथ वो सब कर लू जो तो और निशा करते हो ,तू मेरा भाई है और मैं भी तुझसे बहुत प्यार करती हु लेकिन इसका मतलब नही की मुझे तेरा जिस्म चाहिए “
मैंने उन्हें प्यार से देखा क्योकि वो सच कह रही थी ,मैंने उनके आंखों में देखा और उनके अंदर की वासना को जगाने की कोशिस करने लगा जिसमे मैं एक्सपर्ट हो चुका था ..
वो मेरी आंखों में खोने लगी
“ये तू क्या कर रहा है मेरे साथ “
“कुछ भी नही ,” मैंने मुस्कराते हुए कहा और अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिया ..मैंने उन्हें थोड़ा अपनी ओर खिंचा ..
वो मुझसे सट चुकी थी ,उन्होंने एक ढीली सी नाइटी पहनी थी और शायद अंदर वक्षो में कुछ नही पहना था,उनके वक्षो का आभास मुझे साफ साफ होने लगा ,मेरा शैतान भी जगाने लगा था ,
मेरे हाथ उनके वक्षो पर आ गए मैंने उसे हल्के से सहलाया
“आह ,राज “
उनकी आंखे बंद होने लगी थी की उन्होंने अपना सर झटका और जोरो से उठकर खड़ी हो गई ..
“तूने अभी ये मेरे साथ क्या किया ,तुझे समझ नही आता जो मैंने कहा था ,मैं तुझसे प्यार करती हु तू मेरा भाई है लेकिन ये सब छि …”
वो तेजी से मेरे कमरे से बाहर निकल गई ,मेरा जादू पहली बार फेल हो रहा था ...लेकिन मुझे इसका दुख नही था मुझे दुख इस बात का था की मैंने दीदी को समझ नही पाया ...और उन्हें दुखी कर दिया ..
मैं उनके पीछे दौड़ा लेकिन उन्होंने खुद को अपने कमरे में बन्द कर लिया
“दीद मुझे माफ कर दो प्लीज “मैं उनके दरवाजे के बाहर खड़ा था
“चले जा यंहा से अभी मुझे तुझसे कोई बात नही करनी “
“दीदी ..”
“राज प्लीज् चले जा ,मैं नही चाहती की कुछ बुरा हो जाए ऐसे भी हमारे परिवार पर अभी संकट आया हुआ है ..”
मुझे दीदी की बात सही लगी और मैं एक बार फिर उन्हें सॉरी बोलकर वंहा से निकल गया,लेकिन इस हादसे ने मेरी नींद ही छीन ली थी,मैंने एक शार्ट नीचे डाली और थोड़ा टहलने निकल गया ,नीचे निकिता दीदी और निशा माँ के कमरे में थी मैं उनके कमरे की ओर ही जा रहा था की मेरे कान ने एक सिसकी सुनी ..
ये सना के कमरे से आई थी ,उसका कमरा माँ पिता जी के कमरे के पास हि था ,मैं उस ओर चल पड़ा ,अंदर लाइट जल रही थी लेकिन दरवाजा लगा हुआ था मैंने थोड़ा ध्यान लगाया तो मुझे साफ साफ सुनाई दिया की सना की हल्की हल्की आह निकल रही है ..
मुझे भी शैतानी सूझ गई और मैंने दरवाजा खटखटा दिया ..
उसकी सिसकी बंद हो चुकी थी ..
“कौन है “
“मैं हु सना “
“ओह भैया ..रुकिए खोलती हु “
थोड़े देर में उसने दरवाजा खोला चहरा लाल टमाटर हो रहा था सांसे अभी भी थोड़ी तेज ही थी ,कपड़े जैसे जल्दी जल्दी में पहने गए थे ,एक टीशर्ट और एक शॉर्ट देख कर ही लग रहा था की अंदर कुछ भी नही पहना है ,,बिस्तर में पड़ा मोबाइल और हेडफोन इस बात की गवाही दे रहा था की बंदी पोर्न या कुछ ऐसा ही देख रही थी और शायद उंगली कर रही थी …
“जी भइया आप ???“
“या यंहा से गुजर रहा था तेरी आवाज सुनी तो घबरा गया की तू ठीक है की नही “
“आवाज :o ...कैसी आवाज भइया:fear:”
“लगा की तू दर्द से कहार रही है ,तू ठीक तो है ना “
सना के चहरे में डर साफ साफ दिख रहा था ,और मैं मन ही मन हंस रहा था ,उसको उस हालत में देखकर मेरा लिंग टाइट होने लगा था जो की मेरे शार्ट में एक तंबू जैसा बनाने लगा ,यू ही बाहर खड़े होकर बात करना मुझे ठीक नही लगा मैं खुद ही अंदर आकर उसके बिस्तर में बैठ गया ..
मैंने उसका मोबाइल उठा लिया
“क्या देख रही थी कोर्स का पढ़ रही थी क्या “
वो हड़बड़ाए हुए मेरी ओर भागी और हाथो से मोबाइल छीन लिया
“अरे क्या हुआ “
“नही भइया वो..”
“वो क्या बैठ यंहा “
वो घबराते हुए मेरे बाजू में बैठ गई
मैंने अपने हाथो से उसके बालो को सहलाया ,
कितनी मासूम और प्यारी लग रही थी सना,एक बार मुझे भी लगा की मैं शायद इसके साथ गलत कर रहा हु ,फिर मेरी नजर उसके अनछुए वक्षो पर गई ,सारी शराफत जैसे तेल लेने चली गई थी ..
वो शर्म और डर से लाल हुए जा रही थी जिससे उसका गोरा रंग पूरी तरह से लाल हो गया था ,बाल अभी भी बिखरे हुए थे ,मैंने देखा की उसके बिस्तर के पास रखे ड्रेसिंग में नीचे का दराज कुछ खुला हुआ है लगा जैसे जल्दी में बंद किया हो ..
मैं वंहा पहुचा ,सना जो की अभी नजर नीचे किये बैठी थी मुझे उस तरफ जाते देख बिजली की तेजी से उठ खड़ी हुई
“भइया “
डर से जैसे उसका पूरा चहरा पिला पड़ गया था ,मुझे समझ आ गया था की हो न हो इस दराज में कुछ तो है ,मैंनेभी बिना देर किये उसे खोल दिया ,और मैंने जो अदंर देखा उसे देखकर मेरा लिंग एक बार फिर जोरो से फुकार मारने लगा ..
“ओह तो मेडम इस लिए सिसकिया ले रही थी “
मैंने दराज के अंदर हाथ डालकर उस सिलिकॉन के खिलौने को बाहर निकाला जिसे डिलडो कहा जाता है ,एक बड़ा सा डिलडो उसकी दराज से मुझे मिला ,लाल कलर का ,
वो जैसे जम गई हो ,नजर नीचे ही थी और पसीने से पूरी तरह से भीग चुकी थी..
मैंने पहला काम ये किया की कमरे का दरवाजा बंद किया और उसके पास आकर खड़ा हो गया..
“इतनी मासूम सी है ,इतनी प्यारी है मुझे तो लगता था की तू बड़ी ही शरीफ है ,डॉ बनेगी लेकिन तू तो अभी से इंगजेक्शन साथ लिए घूम रही है ...तू इतना बड़ा ले लेती है “
वो बुरी तरह से घबराई हुई थी और कांप रही थी मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे बिस्तर में खीच लिया और अपने गोद में बिठा लिया मेरा लिंग सीधा उसके मख्खन जैसे नितंबो पर जा लगे लेकिन फिर भी वो हिली नही ..
मैं उसके गालो को हल्के से सहलाने लगा
“अरे बात ना सच में ले लेती है इसे पूरा “
उसने ना में सर हिलाया
“तेरे पास कहा से आया ये “
“वो ..वो दीदी ने दिया “
“दीदी ने किसने “
“निकिता दीदी ने ,बोली की अब ये मेरे किसी काम की नही तो तू मजे कर “
मैं जोरो से हंसा
“अरे पागल जब असली चीज सामने हो तो इन खिलौनों से क्यो खेल रही है “
मैं खड़ा हुआ और अपना शार्ट नीचे कर दिया,मेरा फंफनाता हुआ लिंग मेरी कमर में झूलने लगा था ,सना की आंखे जैसे ही उसपर गई उसकी नजरे ही वंहा जम गई ,वो मुह फाड़े इसे देख रही थी ,देखती भी क्यो ना इसके सामने तो वो डिलडो भी फैल था ..
मैंने उसका हाथ अपने हाथो से पकड़ा और उसे अपने लिंग में लगा दिया
“तेरे डिलडो से भी मजबूत ,और रियाल भी है चाहे तो मुह में डालकर भी देख ले “
अचानक ही उसने मेरे लिंग को छोड़ दिया
“नही भइया ये आप क्या कह रहे है”
सना कच्ची कली थी और बहुत ही नाजुक भी,शायद बेचारी ने आज ही पहली बार ये सब ट्राय करने की कोशिस की हो और पकड़ी गई,लेकिन मुझे ये भी पता था की वो जिस उम्र में है वो हार्मोन्स के सबसे ज्यादा उछलने की उम्र है ,और सना का बदन भी अब भोग लगाने के लायक तो हो ही चुका था ..
मैं उसके बाजू में बैठकर उसके बालो को सहलाने लगा ..
“देख सना मैंने तुझे अपनी बहनो जैसा ही प्यार किया है,और मेरी बहन को किसी चीज की कमी नही होनी चाहिए,निकिता दीदी जिस असली चीज के बारे में बोल रही थी वो यही है ,तो तू भी तो मेरी बहन है तुझे क्यो इस फालतू खिलौने से खेलने दे सकता हु जब तेरे भाई के पास इससे भी अच्छी चीज है ..है ना “
उसने एक बार मुझे देखा उसकी आंखों में गजब का आश्चर्य था ..
“निकिता दीदी और आप “
“तो क्या हुआ मेरी जान मेरी आंखों में देख “
उसने मेरी आंखों में देखा और मेरा काम हो गया वो ऐसे भी पहले से ही गर्म थी तो उसे और गर्म करना मेरे लिए चुटकियों का खेल था ..
मैंने उसे बिस्तर में लिटा दिया और उसके होठो में होठ डालकर अच्छे से उसके वक्षो की मालिस शुरू कर दी ..
अब हम दोनो ही तड़फ रहे थे ,मैंने उसके शॉर्ट के अंदर अपने हाथ डाले उसकी अनछुई योनि कामरस से पूरी तरह से गीली थी ,लग रहा था की आज ही इसने अपने जंगल को साफ किया था ,मेरी एक उंगली अंदर जाते हुए वो उछाल पड़ी ..
उसका मुह खुला का खुला था,ये भी एक कच्ची काली थी तो इसके लिए भी मुझे थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी ..
ये सोचकर मैंने उसे अपने गोदी में उठा लिया और सीधे अपने कमरे में ले गया ,टॉमी मुझे देखकर खड़ा हो गया वो अभी मेरे बिस्तर में ही सोया हुआ था ...उसने एक बार मुझे और सना को देखा और जैसे सब कुछ जान गया बिस्तर से उतर कर नीचे लेट गया..
वो भी सोचता होगा की कुत्ता तो मैं हु लेकिन असली कुत्ता तो ये साला राज ही है ……
उसके बाद खेल शुरू हुआ और वो लगभग 1 घंटे तक चलता रहा ,तेल लगा लगा कर मैंने सना के कोमल और सीलबंद माल को अच्छे से खोल दिया था ,वो अभी भी इतनी कसी हुई थी की मेरा लिंग आधे में ही अटक जाता ,लेकिन एक दो बार के ओर्गास्म के बाद मेरा लिंग उसके अंदर पूरी तरह से समाने लगा था ..
लेकिन मेरी वही पुरानी प्रॉब्लम साला वो बेचारी थककर चूर हो चुकी थी लेकिन अभी भी मेरा लिंग वैसे ही अपने अकड़ में था …
मुझे सना पर दया आ गई उसका आज पहली बार ही था तो मैंने उसे कपड़े पहना कर फिर से अपने गोद में उठा लिया ..
जैसे ही मैं अपने कमरे से निकला था नेहा दीदी भी अपने कमरे से निकली और मुझे देखकर उनके चहरे में आपार गुस्सा उमड़ पड़ा ..
“इस बेचारी को तो बक्स देता “
मैंने तुरंत ही सना को गोद से उतार दिया वो बेचारी शर्म से नीचे देखे जा रही थी ,दीदी की नजर मेरे लिंग में गई जो अभी मेरे शार्ट में ही उछाल रहा था ..
“तू पूरा हवसी हो गया है अब इस बेचारी की ये हालात करने के बाद भी तेरा मन नही भरा ..छि ,भाई नही शैतान है तू “
उन्होंने गुस्से में सना का हाथ पकड़ा और उसे उसके कमरे की ओर ले जाने लगी तभी वो पलटी ..
“वही खड़ा रह निशा या निकिता दीदी को भेजती हु तेरे अंदर के शैतान को ठंडा करने “
और वो नीचे चली गई ..मैं अवाक वही खड़ा रह गया था ,
नेहा दीदी मुझे समझ ही नही आ रही थी ,एक तरफ उन्हें ये सब गलत लगता था वही दूसरी तरफ वो मेरा सपोर्ट भी कर रही थी …
ख़ैर थोड़ी देर में निशा कमरे में आयी और फिर सारी रात मैंने पहले निशा को फिर निकिता दीदी को प्यार किया जब तक मेरे नन्हे शैतान ने पानी नही छोड़ दिया…(यंहा प्यार का मतलब चोदना ही है लेकिन प्यार बोल दो तो अच्छा लग जाता है
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