Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:53 PM,
#80
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
पेन किल्लर देने के बाद वो बाथरूम गया फ्रेश हुआ और साथ ही टब गरम पानी से भर दिया.

फिर कमरे में आकर सुमन की टाँगों के बीच बैठ गया और अपने मुँह की भाप की गर्मी से सुमन की चूत की सिकाई करने लगा.

'क्या कर रहे हो - छोड़ो - ' सुमन को शर्म आ रही थी और बहुत प्यार आ रहा था सुनील पे.

'कुछ नही तुम बस लेटी रहो'

थोड़ी देर ऐसे ही सुमन की सिकाई करता रहा और फिर सुमन को गोद में उठा कर बाथरूम ले गया और धीरे से बाथ टब में लिटा दिया.

गरम पानी सुमन के दुख़्ते जिस्म को सकुन पहुँचाने लगा.

'अब तुम बाहर जाओ'

'क्यूँ'

'जाओ ना शर्म आ रही है'

'तुम यार शरमाती बहुत हो'

'नही जाओ बस मेरी कसम'

मूँह बनाता हुआ सुनील बाहर निकल गया और सुमन अपना दर्द भूल खिलखिला पड़ी उसके चेहरे की रंगत देख.

'पक्का बेशर्म है' आपने आप से बोली उसके बाहर निकलने के बाद.

सूरज को जब पता चला कि चाँद छुप छुप के इनकी प्रेम लीला देख रहा था तो उसने चाँद को साइड कर दिया और खुद आगे आ गया. चिड़ियाँ चेह्चहा कर इनके जीवन की नयी शुरुवत की बधाइयाँ देने लगी.

सुनील अपने कमरे में जा कर बाथरूम में घुस्स गया और नहाने लगा. नहाते नहाते सुनील सोचने लगा - सुमन दुनिया से सब छुपाएगी कैसे - ये मेहन्दी भरे हाथ और पैर - माँग में सिंदूर, गले में मन्गल्सूत्र---- ये कैसे छुपेंगे... उसे सुमन की टेन्षन होने लगी - किसी भी कीमत पे वो नही चाहता था कि कोई भी उस पर उंगली उठा सके.

इसका हल उसे आज ही निकालना था.

नहाने के बाद वो तयार हुआ और किचन में घुस गया कॉफी बनाने के लिए. इस वक़्त वो बस यही सोच रहा था कि क्या करे.

सुनील एक कप कॉफी पी चुका था और सुमन का इंतेज़ार कर रहा था जिसे करीब घंटा हो गया था बाथरूम में.

‘यार कितना टाइम लोगि’ उसने बाथरूम के डोर पे नॉक करते हुए पूछा.

‘बस 5 मिनट और’

. उसने फिर दो कप कॉफी बनाई और सुमन का इंतेज़ार करने लगा. सुमन बाथरूम से बाथरोब पहन के बाहर निकली और देखा कि गरमागरम कॉफी उसका वेट कर रही थी.

‘अपनी तो किस्मेत चमक गयी – सुबह सुबह मिया जी के हाथ की बनी कॉफी मिल रही है’ सुमन – सुनील के साथ चिपक के बैठ गयी और कॉफी का कप उठा लिया.

सुनील ने कोई रिक्षन नही दिया बस सुमन को देखने लगा – बालों से टपकती पानी की बूंदे जब उसके गालों पे गिरती तो शरमाते हुए नीचे फिसल जाती. सुमन को देख के ही लग रहा था कि कितनी खुश है --- उसका चेहरा दमकने लगा था.

सुनील को सीरीयस देख उसने पूछ ही लिया – ‘क्या हुआ ये चेहरे पे 12 क्यूँ बजे हुए हैं.

‘ये जो तुमने इतनी नक्काशी करी हुई है वो दुनिया से कैसे छुपाओगी – गले में मन्गल्सुत्र, माँग में सिंदूर – अँधा भी समझ जाएगा – शादी कर चुकी हो – दस सवाल खड़े होंगे --- तुम कह रही थी अभी ये बात किसी को नही बताएँगे ---- तो फिर कैसे --- क्या सोच रखा है तुमने’

‘जान ये बातें बाद में करेंगे – अभी मूड बहुत अच्छा है खराब मत करो’

‘आइ’म डॅम सीरीयस बेबी – डॉन’ट वान्ट एनी वन टू लिफ्ट फिंगर अट यू --- आइ कॅन’ट बेअर युवर इन्सल्ट.’ सुनील कुछ ज़ोर से बोला.

सुमन उसका गुस्सा देख सीरीयस हो गयी.

‘किसी को कुछ नही पता चलेगा – 10 दिन की छुट्टी ले रखी है – तब तक ये मेहन्दी गायब हो जाएगी – घर से निकलूंगी तब कोई देखेगा ना – रही बात सविता की तो मुझे उससे कोई डर नही वो मेरी बात समझ जाएगी ---- मंगल सुत्र को मॉडिफाइ करवालूँगी कमरबंध में जो किसी को नज़र नही आएगा- लिपस्टिक और नाइल पोलिश नॅचुरल यूज़ करूँगी – कपड़े वही पुराने पहनुँगी ताकि विधवा लगूँ ---- सिर्फ़ रात को तुम्हारे सामने रंगीन कपड़े पहनुँगी – जी भर के अपने अरमान पूरे करूँगी – खूब सजुन्गि सांवारूँगी – रही बात सिंदूर की तो लगाउन्गी ज़रूर पर माँग में नही कहीं और--- अब खुश – हो गयी तुम्हारी प्राब्लम सॉल्व – जब तक तुम्हारी डिग्री पूरी नही हो जाती मुझे ये करना पड़ेगा – दुनिया के सामने मुहे विधवा के रूप में ही रहना पड़ेगा – जब मेरा प्यार मुझ से इम्तिहान माँग रहा है तो देना तो पड़ेगा ही’ सुमन की आँखों में आँसू आ गये थे.

प्यार क्या क्या करवाता है !!!!

एक सधवा विवश हो गयी विधवा का रूप ले कर जीने के लिए. ये दर्द सहना कोई आसान काम नही था.

सुनील ने उसे अपनी गोद में खींच लिया – पछता रहा था – गुस्सा क्यूँ – किया --- सुमन का दर्द समझ रहा था ----अपने पे गुस्सा आने लगा उसे – क्यूकी कोई और रास्ता पासिबल नही था और अभी ओपन्ली डिक्लेर नही कर सकते थे.

सुनील – सुमन के आँसू चाटने लगा -----‘बस अब रोओ मत - मेरी वजह से तुम्हें क्या क्या नही करना और सहना पड़ रहा ‘

‘छोड़ो मुझे जाओ तुम से बात नही करती मैं – सुबह सुबह मूड खराब कर दिया’

‘ लो अभी ठीक कर देता हूँ’ कह कर उसने सुमन के होंठों से अपने होंठ चिपका दिए पर सुमन बिदक गयी – उसकी गोद से खड़ी हो कॉफी का कप ले कर हॉल में चली गयी.

सुनील उसे जाता हुआ देखता रहा कुछ देर ---- - और लपका उसके पीछे ----आज मनाना इतना आसान नही था.

सुनील अभी हाल में घुसा ही था कि डोर बेल बजने लगी.

सुमन अंदर भागी ये बोलते हुए - कोई भी हो कह देना 10 दिन के लिए बाहर गयी हूँ.

कॉन हो सकता है – ये सोच के सुनील भी परेशान हो गया. एक पल को लगा कि कहीं मैड तो नही आ गयी – उसे मना भी नही कर पाएगा काम करने से और उसने सुमन को देख लिया तो.????

धड़कते दिल से उसने दरवाजा खोला तो सामने सविता और उसके साथ एक और लेडी थी.
रूबी साथ में नही दिख रही थी.

‘अरे सुनील कैसा है – तेरे से तो मुलाकात बहुत ही कम होती है अब’ सविता ने अंदर आते हुए कहा – सुनील ने चरण स्पर्श किए और दूसरी लेडी को नमस्ते की.

इससे पहले की सविता और कुछ बोलती – सुनील बोल पड़ा --- मासी मोम – 10 दिन के लिए बाहर गयी है.

‘ओह नो….. आज कितने सालों बाद मिलने का मोका मिला तो मेडम घर ही नही हैं’ वो दूसरी लेडी बोली.

सविता ; कामया बैठ मैं अभी आती हूँ – चाइ लेगी या कॉफी.

कामया : नही यार कुछ नही मैं चलती हूँ --- मूड ऑफ हो गया सुमन मिल जाती तो मज़ा आ जाता – अब तो घर देख लिया है – आती रहूंगी.

सविता : अरे बैठ ना … अभी कहाँ चल दी.

कामया : नही यार और भी बहुत दोस्तो से मिलना है – फिर आउन्गि

ये कह कर वो चल दी – सुनील ने दरवाजा बंद किया और चैन की सांस ली.

हाल से आती हुई आवाज़ों से सुमन समझ चुकी थी कि सविता वापस आ गयी है – उसे डर था कि कहीं वो उसके बेडरूम में ना आ धमके कामया को लेकर. जब कामया चली गयी तो उसे चैन मिला.

अब घड़ी आ गयी थी सविता को सच बताने की.

सुनील चुप चाप सोफे पे बैठ गया और सोचने लगा क्या रियेक्शन होगा - सविता का जब वो सुमन से मिलेगी.

सविता : कहाँ गयी - कुछ बताया भी नही .

तभी अंदर से सुमन की आवाज़ आई - सवी अंदर आ जा

सविता : ये ये... तो सूमी की आवाज़ है - सुनील अब तू झूठ भी बोलने लगा --- मुझे तुझ से ये उम्मीद नही थी. (उसकी आवाज़ में गुस्सा था)

सुनील चुप रहा कोई जवाब नही दिया. गुस्से से सुनील को देखती हुई वो अंदर चली गयी. सुमन अभी भी बाथरूम में थी.

सविता की नज़र जैसे ही सुमन पे पड़ी उसका मुँह खुला रह गया.

'तू पागल हो गयी है क्या ---- ये सब --- मेहन्दी - सिंदूर ..... दिमाग़ खराब हो गया है तेरा - कोई देखेगा तो क्या कहेगा - कमिनि विधवा है तू' सविता बहुत ज़ोर से चिल्लाई .
विधवा शब्द सुनते ही सुमन का पारा चाड गया उतनी ही ज़ोर से चिल्लाई. ' चुप चिल्ला मत --- बैठ आराम से सब बताती हूँ'
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