Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:47 PM,
#96
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
3 साल – का लंबा समय – यही कह के गया था सुनील – 3 साल उसे रूबी से दूर रहना था – 3 साल बाद सुनील पूछेगा कि अब भी रूबी से प्यार करते हो – तो वो हमे मिलने देगा ---- जिस तरहा सुनील रूबी का ख़याल रख रहा है – एक कज़िन भाई – होने के नाते – मैं – क्यूँ नही रख सका – ये प्यार था – या ये वासना – कितना बड़ा सवाल छोड़ गया मेरे लिए- एक छोटा भाई – जिसे मुझे रास्ता दिखाना चाहिए – वो मुझे रास्ता दिखा गया ---- हज़ारों सवाल रमण के मन में खड़े हो गये – जैसे जैसे वो ठीक हो रहा था वैसे वैसे उसका चेहरा सख़्त होता जा रहा था – उसने कुछ सोच लिया था – उसे एक इम्तिहान लेना था – अपना इम्तिहान – और अपना इम्तिहान लेना कोई मज़ाक नही होता.

जब रमण ठीक हुआ – तो पहला काम उसने ये किया कि एमडी की पढ़ाई बीच में छोड़ दी – घर वो वापस नही जाना चाहता था – कुछ दिन अपने दोस्त के घर रहा – फिर एक दिन घर गया – अपना समान लेने के लिए ---- चाबी पड़ोसियों से मिली – जो उसका दोस्त उन्हें दे गया था….. समर का कुछ पता ना था.

रमण ने अपना समान पॅक किया – अपने पैसे जो उसने जमा कर रखे थे अपनी अलमारी में वो लिए और समर की अलमारी से भी कुछ पैसे ले लिए.

एक बार वो रूबी के कमरे में भी गया --- रूबी की सब चीज़ें गायब थी – कमरा बिल्कुल वीरान था – उसने एक ठंडी साँस ली – घर बंद किया --- और अपनी बाइक पे बैठ – किसी गाँव की तरफ चल दिया जहाँ उसने नोकरी ले ली थी--- वहाँ कोई डॉक्टर जाता ही नही था – इसीलिए उसे फटाफट ये नोकरी मिल गयी और वो चल दिया – दूर बहुत दूर मुंबई से .

एक छोटा गाँव जहाँ रमण को पहुँचने के लिए दो दिन लग गये अपनी बाइक पे. रात को रास्ते में जो भी जगह मिल जाती वहीं रुक जाता था. तीसरे दिन सुबह वो गाँव पहुँच चुका था और सीधा उस हॉस्पिटल गया जहाँ उसे काम करना था ---- हॉस्पिटल के केर टेकर ने उसे पूरा हॉस्पिटल दिखाया – करीब 20 कमरे थे वहाँ 2 नर्स थी 2 वॉर्ड बॉय थे और एक सफाई के लिए करम्चारी था. --- बहुत आधुनिक तो नही पर अच्छा इलाज़ करने के लिए वहाँ सब सहूलियत थी – नही था तो बस कोई अच्छा इलाज़ करनेवाला.

हॉस्पिटल के साथ ही एक अपार्टमेंट था डॉक्टर के लिए पूरा दो रूम का सेट. रमण को वही दे दिया गया.

ये हॉस्पिटल गाँव के सरपंच ने बनवाया था – अपने मरहूम अब्बा हज़ूर की याद में जिनका सपना था कि गाँव में हॉस्पिटल होना चाहिए.

रमण दिलो जान से वहाँ बिज़ी हो गया - गाँव की आबादी कोई 30,000 के करीब थी ....... रमण के आते ही मरीज आने शुरू हो गये ..... और रमण उनके इलाज़ में जुट गया.

रूबी के साथ क्या हो रहा है – रमण का बारे में तो सोचना ही छोड़ चुका था ….सबसे बेख़बर सुनील – हनिमून सूट में सोया पड़ा था ……दिन निकलने में दो ही तो घंटे बचे थे जब वो सूमी को बाल्कनी से बेडरूम तक लाया था ----जिस्म की प्यास अधूरी रह गयी थी --- पर दिल की प्यास पूरी हो चुकी थी ---- वो जानता था….. समझ गया था… कि सूमी को भरपूर आनंद मिला था…… और क्या चाहिए था उसे…. यही तो मक़सद था उसका… सूमी के जीवन में आने का.
और जो प्यार करते हैं वो अपनी इच्छाओं का गला घोंट लेते हैं …. अपने प्रेमी की खुशी से खुश हो अपने जीवन को सार्थक समझने लगते हैं … यही तो प्यार की असली परिभाषा है – कितने लोग समझते हैं ये ---- कहते हैं दो अंजान लोग – जब अरेंज्ड मॅरेज करते हैं तो वक़्त के साथ उनमे प्यार हो जाता है ---- ये प्यार होता है – या एक मजबूरी --- ये आज तक कोई समझ नही पाया ….. कहीं कहीं तो वाक़्य में प्यार हो जाता है …. सुना था किसी से …. अब क्या वक़यी में सच बोल रहा था या नही ---पता नही.

नयी पीढ़ी बदलाव ले के आई …. शादी …. ना ना … लेट्स फर्स्ट नो ईच अदर…. माँ बाप चीखते रहते हैं समझने की कोशिश करते हैं – पर ये तो … देखना चाहते हैं … कि इन्हें आपस में प्यार है या नही --- वाना ट्राइ लिव इन रिलेशन्षिप …… ….पासे पलट जाते हैं…. आदते … जो पहले पता ना थी … उनके सामने आते ही… दरारें पड़ने लग जाती हैं … फिर एक अलगाव और एक नया सफ़र…. कुछ ऐसे भी निकल जाते हैं जो वाक़्य में … एक दूसरे को समझ लेते हैं… प्यार करने लगते हैं…… पर आज तक …. कोई ये समझ नही पाया … कि प्यार होता .. क्या.. है.. कब होता है… क्यूँ होता है……..बस हो जाता है…. अब इसे बीमारी कहो …. या जिंदगी की सबसे बड़ी नैमत कहो ….. आज तक इसका कोई डाइयग्नोसिस नही हो पाया……..

अपना गाना ख़तम कर कमाल चुप चाप एक जगह बैठ गया जहाँ से वो रूबी को देख सकता था...... उसे खुद समझ नही आ रहा था ... कि उसके साथ ये क्या हो रहा है.... हमेशा अपनी किताबों में खोया रहने वाला आज एक लड़की के जादू का शिकार बन चुका था.

फेरमन्स .... हां यही तो कहते हैं.... इन्पे किसी का बस नही होता.... आँखें कब ... इनको आक्टीवेट ... कर दें.... ये आँखें.... याद है वो सुमन का दिया हुआ पहला लेसन... शुरुआत करती हैं फेरमन्स की आक्टिवेशन का.... जो सेक्स और प्यार की पहली सीडी होते हैं.... इनफाचुयेशन.... ये इनफाचुयेशन ही सेक्स की तरफ खींचता है... एक तलब को जनम देता है.... और कभी कभी ये तलब ... प्यार में बदल जाती है.... जब दिल की धड़कने किसी को देख ..... एक मधुर संगीत को जनम देने लगती हैं..... कमल भी इनका शिकार हो गया था.... रातों की नींद और दिन का चैन... सब गायब हो चुका था..... किताबें खोलता... तो रूबी की वो आँखें नज़र आती ... जिनमे डूब जाने का मन करता.... क्यूँ होता है किसी के साथ ऐसा ... ये नही पता... बस हो जाता है.
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