Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:50 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल उसे अपने पास खींच रही थी ....... अपने आप को शांत करता हुआ ... वो उसकी तरफ खिचने लगा और बिस्तर के पास जा के खड़ा हो गया.

अहह सुनील के पास होने के अहसास ने सोनल को ठंडक पहुँचाई. वो बिस्तर से उठी और सुनील के करीब जा उसके पैरों में झुक गयी. सुनील ने फट से उसे उठाया ... ये क्या कर रही हो .

'उन कदमो की धूल ले रही हूँ ... जहाँ मुझे सारी जिंदगी रहना है' काँपती आवाज़ में सोनल बोली.

सुनील ने उसे अपने सीने से लगा लिया - फिर कभी ना ऐसा सोचना और ना ऐसा करना - तुम और सूमी दोनो मेरे दिल की धड़कन हो

सोनल ने अपने बाहों का हार सुनील की गर्दन में डाल दिया ' मैने आपको और माँ को बहुत बुरा भला कहा ..... मुझे माफ़ कर दो प्लीज़.... सोनल की आवाज़ रुआंसी हो रही थी.

'कितनी बार माफी माँगोगी .... कहा तो था कर दिया माफ़ ........ लेकिन मैं जानता हूँ सूमी ... अंदर ही अंदर बहुत तड़प रही है ....उसे बहुत गहरी चोट लगी है'

'मैं बहुत बुरी हूँ .... और सोनल का रोना छूट गया ....... ये कैसी सुहाग रात थी ..... जहाँ दुल्हन इतना रो रही थी.

'बस चुप.... तू बुरी नही बेवकूफ़ है पगली '

'आप और दीदी जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी ... कभी शिकायत का मोका नही दूँगी ... मुझे अपने दिल में थोड़ी जगह देदो ... बस और कुछ नही चाहिए'

'मेरा दिल मेरा रहा ही कब ... वो तो तुम दोनो हथिया चुकी हो .... मेरा तो वजूद ही तुम दोनो से है'

'ओह सुनील आप बहुत अच्छे हो'

सोनल को याद आया सूमी ने क्या कहा था.... वो सुनील से अलग हुई और कमरे में रखे एक चाँदी के ग्लास की तरफ बढ़ गयी .... छन छन करती उसकी पायल बज रही थी .... काँपते हाथों से उसने वो ग्लास उठाया और सुनील के करीब पहुँच .... आपके लिए .... ग्लास उसकी तरफ बढ़ा दिया.

'पहले इसे मीठा तो कर दो ' सोनल लजा गयी चेरा लाल सुर्ख हो गया सुनील ने ग्लास उसके होंठों से लगा दिया और सोनल को घूँट भरना ही पड़ा - फिर सुनील ने आधा ग्लास खुद पिया और आधा उसे पिलाया... अब तक वो खुद को सम्भल चुका था ... शायद ये सूमी का ही असर था ... जो उसे इस कमरे में धकेल गयी थी.


दूध का ग्लास ख़तम होने पर - सोनल ने उसे साइड टेबल पे रख दिया और सर झुकाए खड़ी हो गयी - इस इंतेज़ार में की कब सुनील उसे अपनी बाँहों में समेटता है.

सुनील आगे बढ़ा और सोनल को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पे बिठा दिया.
धक धक धक सोनल के दिल की तेज धड़कनो के सुर कमरे में गूंजने लगे.

सुनील ने जेब से सॉलिटेर की एक अंगूठी निकाली और सोनल के हाथ को अपने हाथों में थाम उसे पहना दी ' ये है एक छोटा सा नज़राना मेरी जान को मुँह दिखाई का'

सोनल - इसकी क्या ज़रूरत थी - मेरे लिए तो बस आप ही सब कुछ हो - इन गहनो से मुझे कोई लगाव नही है - बार अपने प्यार का गहना पहना दी जिए.

सुनील ने आगे बढ़ उसकी चुनरी को उसके जिस्म से अलग कर दिया ...... और जब गौर से सोनल के चेहरे को देखा तो खुद उसका दिल जोरों से धड़कने लगा -- आज पहली बार वो सोनल को बहन के रूप में नही एक सुंदर अप्सरा के रूप में देख रहा था और खुद को खुश किस्मत समझने लगा था के इतना प्यार करने वाली लड़की ने उसे अपना जीवन साथी चुना.

सोनल की आँखें बंद हो चुकी थी - उसके लब काँपने लगे थे और जब सुनील ने अपने हाथों में उसका चेहरा थामा ---- एक हलचल सी मच गयी सोनल के पूरे जिस्म में - आज उसे उसका प्यार मिलने वाला था - उसके प्यार ने उसे कबूल कर लिया था.... और क्या चाहिए था सोनल को .

सोनल का मोहक चेहरा सुनील को अपनी तरफ खींच रहा था - जैसे चुंबक लोहे को खींच लेती है.

सोनल के माथे को जब उसने चूमा तो सोनल का पूरा बदन कांप उठा.
'सोनल डॅड के दिए हुए संस्कारो को तोड़ना आसान नही था मेरे लिए - बहुत लड़ा हूँ अपने आप से - इन्सेस्ट मेरी जिंदगी में आ जाएगा - ये मैने कभी नही सोचा था - इसलिए कभी तुम्हारे प्यार की कद्र नही की थी - हो सके तो मुझे माफ़ कर देना'

सोनल की आँखें खुल गयी और उसने फट से अपना हाथ सुनील के मुँह पे रख दिया ' आपको माफी माँगने की कोई ज़रूरत नही - और ना ही कभी अपने मन में कोई ग्लानि की भावना लाना --- मैं जानती हूँ आप मुझे बहुत प्यार करते हो --- जहाँ संस्कार होते हैं वहाँ इन्सेस्ट को अपनाना आसान नही होता ... मैं भी खुद से बहुत लड़ी थी - जब आपसे प्यार होना शुरू हुआ था - लेकिन ये होना था - मेरा मोहसिन आपने ही बनना था - भूल जाइए पुरानी बातें'

'मेरा वादा है तुमसे जहाँ की सारी नैमते तुम्हारी झोली में डाल दूँगा - तुम्हारे सोचने से पहले ही तुम्हारी आरज़ू पूरी हो जाएगी'

'ओह सुनील - तुम कितने अच्छे हो ' सोनल सुनील के गले लग गयी.

फिर झट से अलग हो गयी और अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया ------- ऐसे वो सुनील से चिपक जाएगी ये सोच उसकी लाज ने उसका बुरा हाल कर डाला - उसकी साँसे तेज हो गयी - और चेहरे की रंगत बदल गयी - गुलाबी से लाल सुर्ख हो गया.

सोनल ने जब अपना चेहरा ढका तो सुनील को झटका सा लगा - सागर से गहरी वो आँखें जिनमे वो डूबना चाहता था - उन्हों ने खुद को ढांप लिया था

सुनील ने धीरे से उसके हाथों को उसके चेहरे से अलग किया ' अपने रुख़ पे निगाह पड़ने दो, खूबसूरत गुनाह करने दो , रुख़ से परदा हटाओ जाने हया , आज दिल को तबाह करने दो'

सोनल का सीना एक लय में उपर नीचे हो रहा था ...... अचानक शोर करती हुई लहरें शांत हो गयी ......... सोनल की साँसों की गति से निकलता हुआ मोहक संगीत फ़िज़ा में फैलने लगा --- और लहरों ने शोर मचा भी तो इसलिए बंद किया था कि वो इस संगीत की मधुरता का आनंद लेना चाहती थी.

चाँद ने देखा की लहरों ने उसके आकर्षण को नकार दिया है - तो उसे बड़ा ताजुब हुआ ..... इसका कारण ढूँढते हुए जब वो उस खिड़की पे पहुँचा जहाँ ये दोनो थे तो जैसे ही उसकी नज़र सोनल पे पड़ी - उसके मदमाते हुस्न के आगे नतमस्तक हो गया और लहरों से कहने लगा -- शोर मत करो - पर उस संगीत का आदर तो करो - और लहरें धीरे धीरे जैसे नृत्य करते हुए उपर नीचे होने लगी उसी ले में जिस ले में सोनल की साँसे चल रही थी.

अपने होंठों को सोनल के होंठों के बहुत करीब ले गया सुनील --- दोनो की साँसे एक दूसरे में घुलने लगी .... और आने वाले पल को समझ सोनल का बुरा हाल होने लगा. ' आँखें खोलो ना ' सोनल ने ना में गर्दन हिला दी ' प्लीज़.....' फिर से वही ना में गर्दन हिल गयी ..... सोनल की शरम-ओ-हया सुनील पे अपना जादू बिखेर रही थी.

'इतना शरमाओगी तो कैसे चलेगा .... तुम्हारी झील सी आँखों में उतरने को दिल बहुत बेताब हो रहा है'

' प्लीज़ मुझे बहुत शर्म आ रही है... मुझ से नही होगा'

'शर्म गेरो से हुआ करती है - अपनो से नही - शर्म हम से भी करोगी तो मुसीबत होगी - मुसीबत होगी'

धीरे धीरे सोनल ने अपनी पलकें खोल ली ----- लाल सुख डोरे यूँ तैर रहे थे उसकी आँखों में - जैसे आँखें ना हों .... दो नशीले पयमाने हों.

दोनो की नज़रें चार हुई - और वहीं रुक के रह गयी ...... समय तक थम गया....... तपते हुए सुनील के होंठों ने लरजते हुए सोनल के होंठों को छू लिया.

अहह सिसक पड़ी सोनल .... बदन में नशा फैलता चला गया.

'कैसी हसीन आज बहारों की रात है
एक चाँद आसमान पे है एक मेरे साथ है'

'सुनीिल्ल्ल्ल्ल'

अब सुनील और ना रुक सका उसके होंठ सोनल के होंठों से सट गये - सोनल की पलकें बंद हो गयी - दिल के तार छिड़ गये ..... होंठों का कंपन बढ़ गया.

सुनील सोनल के होंठों की लाली चुराने लगा और सोनल के हाथ अपने आप सुनील के सर पे जा उसके बालों को सहलाने लगे.

सोनल की सिसकियाँ दब रही थी - उसके जिस्म में अंजाने तरंगें उठ रही थी... उसका प्यार उसे उन वादियों में ले जा रहा था जिनसे वो अंजान थी. होंठों के चुंबन का अहसास उसे झकज़ोर रहा था ... दिल चाह रहा था कि सुनील से लिपट जाए पर शर्म उसे रोक रही थी. सुनील ने जब उसके निचले होंठ को अपने होंठों में ले हल्के हल्के चूसना शुरू किया --- उसके होंठों में बसे मधु का रस पान करने लग गया - तब सोनल भी खुद को रोक ना सकी और उसका साथ देते हुए उसने सुनील के उपरी होंठ को चूसना शुरू कर दिया. दोनो के गर्म साँसे एक दूसरे से टकराते हुए कमरे में फैली कामुक हवा का स्पंदन बड़ा रही थी ... जिस्मो का तापमान धीरे धीरे बढ़ने लग गया था ..... अपने प्यार का ये पहला चुंबन ... सोनल की सांसो की महक को और बढ़ा रहा था. कितनी देर दोनो इसी तरहा एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे ...... अपने दिल की धड़कनो की लय को बदता हुआ महसूस करने लगे ... रक्त का प्रवाह धमनियों में तेज होने लगा ... सांसो की रफ़्तार बढ़ने लगी और सुनील अपनी ज़ुबान से सोनल के चमकते दाँतों को छू छू के उनका अहसास लेने लगा.

दिल की तड़प को शांत करने के प्रयास में जिस्म हार खाने लगता है - यही हुआ दोनो के साथ - होंठ अलग नही होना चाहते थे पर साँसे फूल चुकी थी ... मजबूरन होंठों को एक दूसरे से जुदा होना पड़ा .... होंठों की वो तड़प देखने वाली थी .... इस तरहा फड़फड़ाने लगे जैसे उनकी जान उनसे जुदा हो रही हो.
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