Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:23 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील के रियेक्शन को सुन किचन में खड़ी सुमन की हँसी छूट ते छूट ते रह गयी..बड़ी मुश्किल से काबू पाया था उसने….
सुनील के लिए कॉफी तयार कर वो कमरे में चली गयी..सोनल कमरे में बैठी मुस्कुरा रही थी…सुनील बाथरूम में था.
सूमी को देख सोनल बोले बिना ना रह सकी

आग है लगी हुई
आग है लगी हुई हर तरफ यहाँ वहाँ
जल रही है ये ज़मीन, जल रहा है आसमान
आग है लगी हुई हर तरफ यहाँ वहाँ
जल रही है ये ज़मीन, जल रहा है आसमान
आग है लगी हुई

दिल क्या काँच का खिलोना है, स्वप्न एक सलोना है
दिल बड़ा नाज़ुक है ये टूट ना जाए कही
खेलते हैं दिल से जो ये सफ़र उनको नहीं
दिल बड़ा नाज़ुक है ये टूट ना जाए कहीं
खेलते हैं दिल से जो ये सफ़र उनको नहीं
दिल गया तो क्या रहा दिल के साथ है जहाँ
जल रही है ये ज़मीन जल रहा है आसमान
आग है लगी हुई

तब तक सुनील बाथरूम से बाहर निकल आया …’क्या बात है कहाँ आग लग गयी’

सोनल ….अजी अब आपको क्या बताएँ कहाँ कहाँ लगी हुई है….जल रहा है ये जिस्म …उठ रहा है धुआँ धुआँ

‘इरादे नेक नही लगते मेम्साब के’

‘लो कर लो बात….हज़ूर की एक नज़र यहाँ आग के शोले भड़का देती है…और जनाब को हमारे इरादे नेक नही लगते’

सुमन का हँस हँस के बुरा हाल हो गया.

‘लगता है आज मेरी खैर नही’ सुमन के हाथ से कप ले बैठ गया और कॉफी पीने लगा.

‘उम्म्म मज़ा आ गया …तो रेफ्रेशिंग व्हेन यू मेक इट’

‘मैं तो सोच रही थी कि आपको कुछ और रेफ्रेशिंग लगता है…..’ सोनल बड़ी अदा से बोली…

सुनील ने कॉफी का कप साइड में रखा और झपट्टा मार सोनल को अपनी गोद में खींच लिया….और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए…..सुमन ने फट से दरवाजा बंद कर दिया.

कुछ पल बाद जब सुनील ने अपने होंठ सोनल के होंठों से हटाए …उसकी आँखें बंद हो चुकी थी ……’अब कॉफी पीने की इज़ाज़त मिलेगी’

सोनल ने अपनी आँखें खोली…एक दम लाल सुर्ख हो चुकी थी…साँस तेज चल रही थी…….

‘बहुत गंदे हो…..’ इतना कह वो बिस्तर पे लूड़क गयी और खुद पे छाए नशे को काबू में करने की कोशिश करने लगी.

‘ये हुआ क्या है इन दोनो को आज ‘ सुनील का इशारा सवी और मिनी की तरफ था.

सुमन …पता नही पूछ लो दोनो से

सुनील….मिनी तो समझ में आती है रमण को खुश करने के लिए ये ड्रेस पहन ली होगी…पर ये सवी को क्या हुआ…दो जवान लड़कियाँ घर में और माँ को अपनी नुमाइश का शोक चढ़ गया…क्या असर पड़ेगा रूबी और कविता पे.

सुमन…रहने दो ना खुश उसे…घर में ही पहन रही है बाहर तो नही जा रही ऐसे कपड़ों में

सुनील…लगता है पागल हो गयी है…वही हो रहा है जिसका मुझे डर था….शी’ज ट्राइयिंग टू सिड्यूस मी.

सुमन…….तो हो जाओ सिड्यूस होना चाहते हो तो ….नही होना चाहते तो आपको क्या फरक पड़ता है..करने दो उसे जो कर रही है.

सुनील…भाड़ में जाए वो..जो करना है कर ले…अब मुझे थोड़ी देर पढ़ने दो….और एक थर्मस कॉफी की मेरे पास रख दो.

सुमन…मैं हूँ ना बनाने के लिए…कोई थर्मस नही आपको जब चाहिए तब फ्रेश कॉफी बन के मिलेगी…थर्मस में टेस्ट खराब हो जाता है. तू लेगी सोनल…

सोनल हां में गर्दन हिलाती है …अजीब नज़रों से सुनील को देखती है और अपने कमरे में चली जाती है.

सुनील और सोनल को कॉफी देने के बाद सुमन खाने की तायारी में लग गयी आज सवी नही आई उसका हाथ बटाने पर कुछ देर में मिनी आ गयी…माजी मैं भी कुछ हाथ बटा दूं..

‘अरे नही बेटी ..तू जा रमण को कब तेरी ज़रूरत पड़ जाए….’

‘नही माँ वो ठीक हैं अब…बस प्लास्टर ही तो खुलना बाकी रह गया है…मुझे अच्छा नही लगता आप ही सारा काम करें….’

सुमन कुछ नही बोली आगे और मिनी साथ में हाथ बटाने लगी.

जब खाना तयार हो गया तो सुमन ने मिनी को बोला जा के सबको ले आए वो सुनील और सोनल को बुलाती है. हालाँकि मिनी खुद सुनील को बुलाना चाहती थी पर चुप रही और बाकी को बुलाने चली गयी.

सवी जब आई तो एक मस्त ड्रेस में थी और उसने कुछ बटन खोल रखे थे...कोई भी होता इस वक़्त तो सीधा उसे अपने नीचे लेने के ख्वाब देखने लगता.


रूबी और कविता भी आज हैरान थी कि माँ को क्या हो गया है आज....पर दोनो चुप ही रही थी.

सुनील आया एक नज़र सवी पे पड़ी उसका तो पारा ही चढ़ गया...चुप चाप खाना अपनी प्लेट में डाला और निकल लिया कमरे की तरफ ये बोलता हुआ...'बॉन अपेटिटे ...मुझे काम है कमरे में ही खा लूँगा'

सुनील का फिर इस तरहा ओवरलुक करना ना मिनी को अच्छा लगा और ना ही सवी को. सवी के चेहरे पे तो सॉफ सॉफ गुस्सा दिखने लगा था..क्यूंकी उसे अपना अपमान महसूस हो रहा था...और सोनल उसकी शकल देख मन ही मन हँस रही थी.

सुमन....चलो लड़कियों फटाफट खाना ख़तम करो और लग जाओ अपनी पढ़ाई पे.

सब चुप चाप खाने लगे .....सुनील कमरे में खाने के बाद पढ़ने बैठ गया था.

खाने के बाद सुनील पढ़ने तो बैठ गया था…पर दिमाग़ में उफ्फनता हुआ गुस्सा उसे पढ़ने नही दे रहा था…किताबों को एक तरफ रख पहले तो वो कमल के बारे में सोचने लगा…कितनी घटिया सोच का आदमी निकला…प्यार को पाने के लिए रेप करना ठीक समझा…दिल तो कर रहा था कि लॉक अप में जा के 2-3 लगा दे उसे ….पर खुद पे मुश्किल से थाने में कंट्रोल रखा और घर में जो हो रहा था उसने तो उसका फ्यूज़ उड़ा दिया था….कहीं गुस्से में सवी को कुछ ऐसा ना कह दे जो रूबी और कविता को भी बुरा लगे….आख़िर समझ क्या लिया है उसको सवी ने….वासना का पुतला…कल समझाने पे मासी बन गयी आज फिर वही धाक के तीन पात …क्या सेक्स सब कुछ होता है जिंदगी में…

ये तो गनीमत थी कि उसे पता नही था इनकी बातों के बारे में ….वरना दोनो की खैर नही थी…उसके कहर से सूमी भी नही बच पाती.
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