Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:31 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
अगले दिन जब सुनेल उठा तो घर में उसने तेज तेज आवाज़ें सुनी ...कुछ ऐसा ही उसे पता चला कि किसी को कुछ बताना है......रोज उसकी मोम उसे उठाने आती थी जब वो घर होता था.....अगले दिन ही उसे हॉस्टिल जाना था...पर आज ऐसा नही हुआ था...जब तक वो अपने कमरे से बाहर निकला उसने सिर्फ़ इतना सुना कि वो घर से जा रही है शाम को आएगी तब तक उसके डॅड को अपना माइंड मेक अप करना था.....

सुनेल नीचे उतरा ...मोम जा चुकी थी.......डॅड हॉल में बैठे गुस्से में उफ्फन रहे थे.......

सुनेल....डॅड मोम सुबह कहाँ चली गयी ...आज तो मॉर्निंग टी भी नही दी....

डॅड...पागल हो गयी है वो....दिमाग़ ठिकाने आएगा तो आजाएगी वापस शाम तक

सुनेल....ऐसा लगा जैसे किसीने दिल में छुर्रि घोंप दी हो.........डॅड!!!!!

डॅड....सॉरी बेटा वो बस तेरी मोम का दिमाग़ आज कल हिल गया है...तू बैठ मैं तेरा ब्रेकफास्ट........अभी बात पूरी भी नही हुई थी कि डॅड का मोबाइल बजने लगा

सुनेल की मोम का फेटल आक्सिडेंट हो गया था............

दोनो बाप बेटे बताए गये हॉस्पिटल भागे पर देर हो चुकी थी......शी वाज़ डिक्लेर्ड डेड....

अपनी बीवी को खोने के बाद...अब कोई इच्छा बाकी नही रह गयी थी सुनेल के डॅड के मन में....और अंतिम संस्कार होने के बाद........सुनेल के डॅड ने एक डाइयरी थमा थी जो सुनेल की माँ लिखा करती थी......उसमें एक फोटो थी ....जो सुनील-सुमन--समर की थी......


जैसे जैसे सुनेल ने वो डाइयरी पड़ी.......वैसे वैसे उसका खून खोलता गया........मेरी माँ कोई और है......मेरे बाप ने मेरी माँ को धोखा दिया - वो स्वपिंग की योजना.......काश इस वक़्त समर मेरे सामने हो और मैं उसकी गर्दन दबा दूं........माँ......कोई बेटा.....चाहे वो पास हो या दूर.....अपनी असल माँ की इज़्ज़त ...से बहुत प्यार करता है...........वो फोटो.......जिसमे समर सुमन और छोटा सुनील थे ...एक वही पहचान मिली थी सुनेल को अपनी माँ को पहचानने के लिए....

माँ...माँ....माँ ...दिल चीत्कार कर रहा था...अपनी माँ को बुला रहा था...उस से मिलने को तड़प रहा था......माँ ....मैं आ रहा हूँ......आ रहा हूँ माँ

और सुनेल भूल गया...उसका कोर्स..उसका सब कुछ..उसका करियर..बस उसे अपनी माँ से मिलना था....उसे अपने उस बाप से बदला लेना था...जिसने उसे उसकी माँ से जुदा किया था....नफ़रत हो गयी थी उसे अपने अब के बाप से...जिसने उसे पाला था...इसे पालना नही कहते..इसे अपनी भूख मिटाना कहते हैं...वो भूख जो वो खुद बाप बन कर नही मिटा सकता था...तो किसी और के बच्चे को चुरा लिया...वो बाप कैसा था...जो अपने ही बच्चे को चुरा कर अपनी बहन को दे गया...और सालों साल उस बच्चे को उसकी माँ से दूर रखा....

सुनेल ने अपना समान पॅक किया...अपना बॅंक बॅलेन्स चेक किया...12000 पौंड थे उसमे जो उसने अपनी पॉकेट मनी और प्राइज़स मिला के बचा रखे थे .....चल पड़ा वो मुंबई..समर से मिलने...क्यूंकी समर ही रास्ता था..उसकी माँ तक उसे पहुँचाने का.....

और एक दिन वो समर के घर पहुँचा...ये वही दिन था...जब सुनील..रूबी को लेने आया था.....

जिस वक़्त सुनेल समर के घर पहुँचा...दरवाजा थोड़ा खुला था और अंदर उसने हूबहू अपने आप को देखा जो उसके उस तथाकथित बाप की ठुकाई कर रहा था....दिल तो किया कि अंदर घुस्से और अपने भाई के साथ मिल समर की वो हालत करे ...जो कभी किसी की ना हुई हो.......पर बड़ी मुश्किल से उसने खुद को रोका....और सुनता रहा ...किस तरहा उसका भाई दहाड़ रहा था.....समर को उसकी काली कर्तुते बता रहा था........

सागर ...जिसे सुनील अपना पिता बोल रहा था...वो अब इस दुनिया में नही रहा था...कैसा होगा वो...जिसके साए तले सुनील पनपा......भाई ...देख इसे किस्मत कहते हैं...हम दोनो में से मैं ही अभागा निकला जिसे पालने से उठा कही और दे दिया गया...कितनी अच्छी किस्मत है तेरी......और मैं शायद पिछले जनम में किए गुनाह की सज़ा भुगत रहा था......आँसू टपक रहे थे....सुनेल की आँखों से...रो रहा था दिल..तड़प रहा था..उसका वजूद...हिम्मत नही हो रही थी अंदर घुस अपने भाई के सीने से लगने की....

सुनील जब रूबी और सवी को ले बाहर निकला तो सुनेल छुप गया........और उसका पीछा करने लगा......आधे रास्ते पता नही उसे क्या सूझा ...वो वापस समर के घर की तरफ पलट पड़ा.......तभी रमण घर घुसा और समर का प्रकोप उसपे टूट पड़ा...

सुनेल समर का पीछा करते हुए बार मे पहुँचा.....

कुछ देर पीने के बाद समर पास बैठे किसी इंसान से बात करने लगा....और जो सुनेल ने सुना..उसके रोंगटे खड़े हो गये.....

समर ने सुनील को मारने की सुपारी दे डाली थी......सुनील की जान ख़तरे में थी......समर तो चला गया काफ़ी पीने के बाद...लेकिन सुनेल उस इंसान के पीछे लग गया जो शायद एरपोर्ट जा रहा था...उसके पास सुनील की फोटो थी.....

सुनेल ने उस आदमी का ध्यान अपने उपर लगा दिया...और वो आदमी ये समझा कि वो सुनील है और ...सुनेल के पीछे लग गया....

सुनेल सीधा रेलवे स्टेशन गया और एक ट्रेन में चढ़ गया....

इस तरहा सुनेल ने सुनील की मौत को अपने पीछे लगा लिया.....

एक लुक्का छुपि का खेल शुरू हो गया........सुनेल उस इंसान की नज़रों के सामने जाता और गायब हो जाता कुछ दिन एक शहर कुछ दिन दूसरे शहर ......यू7न भागते हुए वो उस आदमी को एक दिन कोचीन तक ले गया.....जहाँ वो और आगे ना भाग पाया और उस आदमी के ज़रिए एक जान लेवा आक्सिडेंट का शिकार हो गया....

वो आदमी ये समझा कि उसने सुनील को मार दिया और वहाँ से गायब हो गया...

सुनेल की आँख जब खुली तो वो हॉस्पिटल में था और सब भूल चुका था..उसकी याददाश्त जा चुकी थी.....

'म्म्म्म.मममाआआआआआआआआआआअ' अमर ज़ोर से नींद में चिल्लाता है और हांफता हुआ उठ जाता है....

उसकी चीख से सवी की नींद खुल जाती है.....

सवी भाग के अमर के पास आती है जो इस वक़्त बहुत डरा हुआ था...जैसे उसने कोई भयानक सपना देखा...पूरा जिस्म पसीने से तरबतर था......

'क्या हुआ बेटा...कोई सपना देखा क्या...कुछ याद आया क्या तुम्हें.....तुम्हारी माँ.....कहाँ है तुम्हारी माँ.......बोलो बेटा....'

'पता नही...कुछ पता नही....' और वो फुट फुट के रोने लगा....

सवी ने सोचा था कि अमर को एक नौकरानी की देख भाल में छोड़ जाएगी...पर उसकी आज की हालत देख...ये अब नामुमकिन था...वो अमर को अकेले नही छोड़ सकती थी...

24 घंटे हर पल एक तड़प रहती थी अमर के दिल में...वो कुछ याद करने की कोशिश करता था...पर उसे कुछ याद नही आता था...कभी कभी सपने में एक हँसीन लड़की उसे आवाज़ लगाती हुई दिखती थी...पर उसका चेहरा कभी उसे दिखाई नही देता था...कभी वो खुद को देखता था...पर पहचान नही पाता था.....

जिंदगी एक जंग बन के रह गयी थी...जो हर पल एक नया खेल खेल रही थी.....

*****

वहाँ मालदीव में सुनील/सुमन और सोनल....रूबी के पास पहुँच गये थे......

मिनी के सामने जब सुनील आया...तड़प के रह गयी वो......ये मुझे पहचान क्यूँ नही रहा...आख़िर क्या राज़ है इसके पीछे.......सुनील की बेरूख़ी उसे पल पल मारती रहती ...और वो एक आस में जी रही थी...आज नही कल वक़्त उस पर मेहरबान होगा ही...यही वजह थी कि रमण के मरने के बाद वो यहीं रुकी रही .......

मिनी की नज़रों में हमेशा एक सवाल होता था जब भी वो सुनील को देखती थी...पर सुनील उन नज़रों का कुछ और मतलब ही निकालता था और मिनी से दूरी बना के रखता था...

तीनो जब रूबी के कमरे में पहुँचे तो मिनी ने सब के लिए कॉफी मँगवाई...

कॉफी पीते पीते....

सुनील......रूबी ये ....

मिनी ...हां सुनील जो सुना ठीक सुना..मैने बहुत बार रूबी से उसके इस फ़ैसले के बारे में पूछा..उसका हमेशा एक ही जवाब रहा ..कि वो विमल से शादी करने को तयार है...

सुमन....रूबी तुम छोटी बच्ची तो हो नही ..पर फिर भी मैं जानना चाहती हूँ कि अचानक तुमने ये फ़ैसला कैसे ले लिया.....

रूबी...बड़ी भाभी जिंदगी के कुछ फ़ैसले लेने ही पड़ जाते हैं चाहे दिल उन्हें माने या ना माने.....

तीनो रूबी का चेहरा देखने लगे .....सुमन समझ गयी ...रूबी सबके सामने खुल के बात नही करेगी...

सुमन खड़ी हो गयी...रूबी चल मेरे साथ........और सुमन रूबी को एक रेस्टोरेंट में ले गयी और दोनो कोने की एक टेबल पे जा बैठी....

सुमन....अब बता सच बोलना ..झूठ नही.....

रूबी ....और क्या करती भाभी...सुनील से दूर जाने का यही रास्ता दिखा...वो मुझे कभी नही अपनाएगा और साथ रह कर मैं उसे कभी भूल नही पाउन्गि ....परसो रात ....मिनी ने मेरी वो इच्छाए जगा दी अंजाने में जिन्हें बड़ी मुश्किल से दबाया था...अब घर की इज़्ज़त और अपने जिस्म की प्यास को पूरा कर ने के लिए मुझे यही ठीक लगा.......फिर विजय अंकल में मुझे सागर पापा दिखते हैं...विमल राजेश जीजू का खांस दोस्त है.....कवि सारी जिंदगी मेरे पास होगी...और क्या चाहिए...रही प्यार की बात ..तो हर किसी के नसीब में उसका प्यार नही होता...फिर भी जीना तो पड़ता ही है...शायद वक़्त मुझे विमल से प्यार करना सिखा दे....

सुमन...मुँह खोले रूबी की बात सुनती रही....उसके दिल में आज भी सुनील बसा हुआ था.......और प्यार वो भावना होती है जिसे कोई कुचल नही सकता...कोई दबा नही सकता......एक माँ और एक प्रेमिका और एक बीवी होने के नाते वो रूबी का दर्द उसके प्यार को समझ तो सकती थी...पर उसे उसका प्यार नही दिला सकती थी ....शायद रूबी का ये फ़ैसला हालत को देखते हुए बिल्कुल ठीक था...

सुमन ने एक ठंडी सांस छोड़ी और हालत को मंजूर कर लिया....शायद रूबी के लिए यही सही था...विजय का हाथ उसके सर पे हमेशा रहेगा...वो रूबी की खुशियों का हमेशा ध्यान रखेगा....दिल के किसी कोने में उसे एक तसल्ली मिली कि एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी सुनील और उसके सर से उतर जाएगी.......

रूबी के माथे को चूम...बेटी अपना ध्यान रखना...हम हमेशा तुम्हारे साथ ही हैं और रहेंगे.....तुम्हारे सागर पापा का घर तुम्हारा मायका है और रहेगा...चलो अब चलते हैं......

सुमन ने रूबी को कमरे में छोड़ा और सुनील और सोनल को चलने का इशारा किया...सोनल रूबी से गले मिली उसे प्यार से चूमा और फिर मिलने का कह कर सभी चल पड़े ...अपने होटेल की तरफ.

सुनील को ये जान कर दुख होता और उसे तकलीफ़ होती के रूबी ने शादी का फ़ैसला उस से दूर जाने के लिए लिया था …क्यूंकी वो सुनील को अपने मन से नही निकल पा रही थी…इसीलिए सुमन ने ये बात छुपा ली और बाकी सब कुछ सुनील और सोनल को बता दिया…

सोनल…वाउ कितना अच्छा है ये हॉलिडे हमारा…इनके सर से एक और ज़िम्मेदारी का बोझ उतर गया….
सुमन…हां सच अब चैन से छुट्टियाँ बिताएँगे …जब तक रूबी की शादी होती है ..और मैं तो सोच रही हूँ..कुछ दिन और यहाँ बिता के जाएँगे…
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