Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:55 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
लेकिन मुंबई में ..कुछ और हो रहा था...सुनेल की साँसे और धड़कन कभी कभी रुक जाया करती थी लेकिन मिनी जो हर पल उसके साथ रहती थी उसका हाथ थामे दोनो के गुज़रे हुए बीते पलों के बारे में उसे सुनाती रहती थी...वो शायद कुदरत के खेल में सबसे बड़ी बाधा बन रही थी...प्यार लड़ रहा था मौत से.....

सुनेल बेजान हो जाता और फिर उसमे उसी पल जान लॉट आती ..

शायद सुनेल की आत्मा कोई दूसरा घर तलाश कर रही थी.. अब ये क्या खेल चल रहा था..ये तो वक़्त ही बताएगा....

12 हफ्ते हो गये ...सुमन को प्रेग्नेंट हुए ...घर में खुशी का महॉल रहता था...यही वक़्त था जब उस अजन्मे बच्चे के जिस्म में आत्मा ने वास लेना शुरू करना था और उसके दिल ने धड़कना शुरू करना था........

यहाँ बच्चे ने धड़कना शुरू किया ....उधर सुनेल के दिल की धड़कन बंद हो गयी...

उसकी आत्मा ने अपना नया घर ढूंड लिया था...वही कोख ..जिस से वो एक बार पहले भी जनम ले चुकी थी..

यहाँ सुनेल के दिल की धड़कन रुकती है...मिनी चिल्लाके डॉक्टर्स को बुलाती है...जो सुनेल पे जुट जाते हैं...डॉक्टर्स मिनी को बाहर जाने को कहते हैं ..पर वो नही मानती सुनेल का हाथ पकड़े वहीं रहती है उसके चेहरे की तरफ देख बार बार चिल्लाती है...तुम नही जा सकते मुझे छोड़ कर ...और सुनेल की आत्मा जो खुद एक जंग लड़ रही थी ...वो मिनी के प्यार के आगे हार जाती है...

सुमन सीडी से नीचे उतर रही थी कि उसका पैर फिसल जाता है...एक चीख मार वो सीडीयों से नीचे लुढ़कती है.........यहाँ उसके बच्चे के दिल की धड़कन बंद होती है ...उधर सुनेल के दिल ने फिर से धड़कना शुरू कर दिया था.....

सनडे का दिन था सभी घर पे थे...सुमन को फटाफट हॉस्पिटल ले जाया गया..पर कुदरत अपना खेल खेल चुकी थी...सुमन का बच्चा बच नही सका था....ये सदमा सब पे भारी पड़ा ..पर सब से ज़्यादा सुमन पर ..जो होश आने के बाद बस रोती ही जा रही थी...उसे नींद का इंजेक्षन दे कर सुलाना पड़ा...

वहाँ जब सुनेल के दिल की धड़कन दुबारा शुरू हुई तो उसने मिनी के हाथ को कस के पकड़ लिया ...ये एक इशारा था कुदरत का..कि वो कभी भी कोमा से बाहर निकल सकता था..

वक़्त गुज़रता है...सुमन थोड़ा संभालती है ..और उसे संभालने में सोनल दिन रात लगी रहती थी.......सुमन डिसचार्ज हो कर घर आ जाती है..........लेकिन वो जैसे पत्थर की बन चुकी थी ..कोई प्रति क्रिया नही करती थी...बैठे बैठे उसके आँसू टपकने लगते थे...अपने उस बच्चे को याद कर जो जनम नही ले पाया..

सुनील/सोनल/रूबी ...उसे खुश रखने की हर संभव कोशिश करते थे ...लेकिन सुमन अपने दर्द से बाहर नही निकल पा रही थी...और इसका कारण था कि वो दुबारा माँ नही बन सकती थी...उसका गर्भांशय कमजोर हो गया था उस आक्सिडेंट के बाद.....क्यूंकी अगर वो प्रेग्नेंट होती दुबारा तो उसका यूटरस झेल नही पाता और अबॉर्षन हो जाता...

सुमन की माँ बनने की इच्छा ...और उसकी आज की दशा उसे अंदर ही अंदर तोड़ रही थी......

वक़्त गुज़रता है....सोनल की एमडी हो जाती है...सुनील और रूबी भी एमबीबीएस पूरी कर लेते हैं....

एक दिन.....सुनील और सोनल...सुमन को हँसने की कोशिश कर रहे थे....

सोनल...दीदी आपके लिए एक खुश खबरी है...आप फिर से माँ बन सकती हो....

सुनील हैरानी से सोनल की तरफ देखता है ...ये पागल तो नही हो गयी क्यूँ झूठ बोल रही है सुमन से..

सुमन भी उसकी बात सुन चॉक जाती है.....सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखती है...

सोनल ..सच दीदी ....आप फिर से माँ बनोगी ...बस फरक इतना होगा...आपका बच्चा मेरे पेट में पलेगा ....हां दीदी ..आपका यूटरस कमजोर है तो क्या...मेरा तो सही सलामत है...वो बच्चा हम सब का बच्चा है अगर तुम्हारे पेट की जगह कुछ महीने मेरे पेट में गुज़ार लेगा तो कॉन सी बड़ी बात है...मैं भी तो उसकी माँ ही हूँ...

सुनील और सुमन की आँखों में खुशी के आँसू आ जाते हैं........तीनो की रूह ..इस से बेहतर एक दूसरे के लिए क्या करती ....ये था असली मिलन ..इन तीन आत्माओं का...

दो आत्माओं के मिलन को तीसरी आत्मा जनम देगी ...और ये तीन कभी एक दूसरे से जुदा नही हो पाएँगे...

सुमन के चेहरे की खुशी लॉट आती है...और तयारि शुरू हो जाती है...सुमन ...और सुनील...के बच्चे को सोनल के गर्भ में स्थापित करने की...पर सोनल...एक और बात करवा लेती है...सुमन के साथ साथ वो अपने बच्चे को भी जनम देना चाहती थी...तो लिहाज़ा....सोनल...और सुनील के एग और स्पर्म का मिलन लॅबोरेटरी में करवाया जाता है और ...दो ...बच्चों को एक साथ सोनल के गर्भ में स्थापित कर दिया जाता है...यानी सोनल दो जुड़वा को जनम देगी...एक की बाइयोलॉजिकल मदर वो खुद होगी और एक की सुमन......पिता तो दोनो का सुनील ही था..

दोनो बच्चे सोनल के गर्भ में पलने लगे ....और सबको इंतेज़ार था उनके जनम लेने का......घर की खुशियाँ लॉट आई थी....

एमबीबीएस पूरी होते ही कवि ..राजेश के साथ वापस मुंबई चली गयी थी...उसे सुमन के साथ हुए हादसे के बारे में कुछ नही पता था ना ही उसे बताया गया था...

जिस दिन....सोनल के गर्भ में दो बच्चों की स्थापना हुई ...उसी दिन...सुनेल ने अपनी आँखें खोली थी...और सबसे पहला अल्फ़ाज़ जो उसके मुँह से निकला था ...वो था ...सुनील....

सुनेल के मुँह से जब सुनील ..निकला तो पास बैठी ..मिनी की आँखें फटी रह गयी...ये तो कभी सुनील से मिले नही फिर सुनील का नाम इनकी ज़ुबान पे कैसे....उस वक़्त मिनी अकेली थी हॉस्पिटल में सुनेल के साथ ....उसने फट से सबको फोन कर बुला डाला...

विजय आरती ....राजेश कवि...सवी सब दौड़े चले आए....

सुनेल इतना कमजोर हो चुका था कि उससे बोला नही जा रहा था...मुश्किल से इतना बोला...सुनील को बचा लो....

विजय...घबराने की ज़रूरत नही बेटा...वो अटॅकर पकड़ा जा चुका है..उपरवाले का शुक्र है तुम कोमा से बाहर आ गये...बस अब जल्दी ठीक हो जाओ...

सुनेल में इतनी हिम्मत नही थी कि जवाब दे पता ..बस एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पे आ गयी ..जैसे उसकी रूह को सकुन मिल गया और वो नींद में चला गया....

विजय ...मिनी ..ये तेरा प्यार ही है जो इसे वापस ले आया.....प्राउड ऑफ यू बेटा...गॉड ब्लेस्स यू...( विजय की आँखें नम हो चुकी थी)

कवि ...भाभी ...कल तक मैं आपके बारे में कुछ और सोचती थी...आज मुझे गर्व है कि आप मेरी भाभी हो...

सवी....बेटी ...अब वो ठीक हो जाएगा...चल कुछ पल आराम कर ले ....कितने दिन हो गये तू ढंग से सोई भी नही ...एक पल का भी आराम नही किया....

मिनी......आराम...जब ये हॉस्पिटल से बाहर निकलेंगे तो बस तब आराम ही आराम ....

राजेश......भाभी मेरा कोई हक़ तो नही ...पर आज आपकी नही सुनूँगा ......आप घर जाइए आज आराम कर लीजिए ..मैं और कवि ...सुनेल भाई के पास रहेंगे...

राजेश ने जिस तरहा कहा ...मिनी उसकी बात टाल ना सकी और सबके साथ वापस चली गयी ..उसके दिल को सकुन मिल चुका था..उसका सुनेल जल्दी ही ठीक हो जाएगा

उधर जैसे ही सोनल के गर्भ में दोनो भ्रून्ड सही तरीके से स्थापित हो गये ....यानी वो वाक़ई में समय आने पर दो बच्चों को जनम देगी ...तो सुमन ...ने इंड्यूस्ड लॅक्टेशन का सहारा लिया .....यानी वो दवाइना लेनी शुरू की जिससे उसके अंदर दूध पैदा हो ...इस कार्य में महीने लग जाते हैं........और जब तक बच्चे जनम लेते ....सुमन इस काबिल हो जाती कि उसके मम्मो में से दूध निकलने लगे .....ऐसा उसने दो कारणों से किया था...एक तो वो बच्चे को अपना दूध पिलाना चाहती थी ....ताकि ...उसके अंदर ये भाव ना आए कि बच्चे को उसने जनम नही दिया ..उदर की उस पीड़ा से नही गुज़री .....जो आम तोर पे हर औरत गुजरती है...कम से कम ..बच्चे को अपना दूध पिला कर वो मातृत्व को अच्छी तरहा भोग सकती थी....
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