Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:59 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
मिनी और सुनेल सुमन के घर पहुँच जाते हैं, जहाँ एक तरफ मिनी अंदर से घबराई पड़ी थी कि सच जानने के बाद सुनेल की क्या प्रतिक्रिया होगी, वहीं सुनेल के दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी आज वो अपनी असली माँ से मिलनेवाला था, अपने जुड़वा भाई से मिलने वाला था, अपनी उस दीदी से मिलने वाला था जिसका पता उसे बहुत बाद मे चला था. आँखों में नमी समा चुकी थी, बाँहें अपनो को सीने से लगाने को बेताब हो रही थी.
मिनी डोर बेल बजाती है और सुनेल उसके पीछे छुप जाता है.

दरवाजा सुमन खोलती है और सामने मिनी को देख एक पल तो उसे यकीन नही होता. सुमन का मुँह हैरानी से खुला रह जाता है.

मिनी मुस्काती हुई "क्या हुआ माँ भूल गयी क्या मुझे" और झुकती है सुमन के पैर छूने के लिए और सुमन की नज़र उसके पीछे खड़े सुनेल पे पड़ती है - रत्ती भर भी फराक नही सुनील और सुनेल में बस सुनेल ने फ़्रेच कट रखी हुई थी और लंडन में रहने की वजह से थोड़ा और गोरा हो गया था सुनील के मुक़ाबले.

सुमन को झटका लगता है आँखों पे विश्वास नही होता 'सुनील!!!!!!!' वो ज़ोर से चिल्लाती है और लहराती हुई गिरने लगती है - सुनेल फट से आगे बढ़ उसे संभाल लेता है ' माँ' सुनेल चीख सा पड़ता है और सुमन को गोद में उठा अंदर सोफे पे लिटा देता है. सुमन की चीख सुन सुनील दौड़ा हुआ आता है, रूबी भी पहुँच जाती है और सुनील अपने सामने सुनेल को देख पत्थर का बूट सा बना खड़ा रह जाता है.

सुनेल : अबे बुत क्यूँ बन गया इधर आ माँ को संभाल.

मिनी थर थरा सी गयी, पत्नी सुनील सूमी को कैसे पुकरेगा कहीं अभी ही बॉम्ब ना फट जाए. मन ही मन उपरवाले से दुआ माँगने लगी.

सुनील होश में आया और लपका सूमी की तरफ और उसे अपनी बाँहों में उठा लिया सोफे से. ' सूमी क्या हुआ? होश में आओ'

सुनेल को अपने कानो पे यकीन ना हुआ बोखला गया वो. एक बेटा अपनी माँ को निक नेम से बुला रहा था.

इससे पहले कि सुनेल कुछ बोलता मिनी ने उसे चुप रहने का इशारा किया.

मिनी रूबी से : रूबी इन्हे सवी मासी के पास ले जाओ

रूबी जो सुनेल को देख खोई हुई थी होश में आई ' आइए भाई, देखिए पता नही क्या हो गया उनको'

सुनेल और मिनी रूबी के साथ सवी के कमरे में गये.

सुनेल चल के सवी के पास बैठ गया. अपनी आँखें बंद कर ध्यान लगाने लगा.

तभी एक दम सुनेल को झटका लगा और वो उड़ता हुआ दीवार से जा टकराया.
सवी उठ के बैठ गयी उसकी आँखें लाल सुर्ख थी. उसके मुँह से एक मर्द की आवाज़ निकली ' आ गया तू फिर से, जा चला जा, नही तो अब नही बचेगा, खबर दार कोई मेरी सवी के नज़दीक आया'
आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई गुर्रा रहा है हो, रूबी और मिनी तो डर के मारे काँपने लगी.

सुनेल उठा और सवी के सामने खड़ा हो गया ' कॉन हो तुम, क्यूँ तुमने मेरी मासी को क़ब्ज़े में रखा है'

कोई जवाब ना आया.

सुनेल ने दो बार सवाल और दोहराया. पर कोई जवाब नही. तभी सवी का जिस्म हिला तेज़ी से और शांत हो गया. उसने फिर अपनी आँखें खोली. अब तक सुनील सूमी को लेकर आ गया था.

सवी सुनील को देख शरमा गयी. तभी उसकी नज़र सुनेल पे पड़ी और बेसकता उसके मुँह से निकल गया. ' तुम ! तुम कब आए और क्यूँ इतनी जल्दी'

सूमी ने ये सुना तो फट पड़ी.

'मिनी तू जानती थी कि ये जिंदा है, फिर भी इतने सालों तक इसे मुझ से दूर रखा.हरामजादी तेरे लिए मैं सब करने को तयार हो गयी, अपना सुनील भी तेरी झोली में डाल दिया और तू इतनी बड़ी दगाबाज़'

अब सुनेल के कानो में धमाके होने लगे उसे सुनील का सुमन को सूमी बोलने का मतलब समझ आने लगा.

आआआआआआआआआअ सवी फिर चीखी और बेहोश हो गयी.

सवी की परवाह ना करते हुए सूमी सुनेल की तरफ लपकी और उससे लिपट गयी ' मेरा बच्चा जिंदा है, मेरा बच्चा जिंदा है और पागलों की तरहा उसके चेहरे को चूमने लगी उसकी आँखों से गंगा जमना बह रही थी.

सुनेल भी उससे लिपट गया ' माँ! ओह माँ! कितना दूर रहा तुझ से मैं'

सूमी : अब तुझे कहीं नही जाने दूँगी, अब तू मेरे पास रहेगा मेरे साथ रहेगा.

माँ बेटे के इस मिलन को देख सबकी आँखें भर आई, पल भर को सब सवी को भूल गये.

कुछ पल बाद सुनील : माँ से ही मिलेगा क्या! इस भाई से भी तो मिल' सुनील ने अपनी बाँहे फैला दी.

सुनेल सूमी से अलग हुआ और दोनो भाई गले लग गये. यूँ चिपके जैसे कभी अलग ना होंगे.

और मिनी जहाँ इस मिलन को देख खुश थी, वहीं आनेवाले तूफान के बारे में सोच घबरा भी रही थी.

कुछ देर बाद दोनो अलग गुए और सूमी फिर सुनेल से चिपक गयी. 'चल तुझे तेरी दीदी से मिलाऊ'

सुनेल ' सोनल दीदी बड़ी तमन्ना थी उनसे मिलने की मिनी ने बहुत बताया था उनके बारे में'

सुनील : चल.

सब सोनल के कमरे की तरफ बढ़ गये और सवी को तो जैसे भूल ही गये.

सब सोनल के कमरे में घुसे, सुनेल और मिनी अभी पीछे थे जो सोनल को नज़र नही आए.

सोनल उठ चुकी थी और थोड़ा नाराज़ सी थी आज गूडमॉर्निंग किस जो नही मिला था.

सोनल : जान नयी बीवी क्या मिली मुझे भूल गये.

सुनील : अपनी जान को कैसे भूल सकता हूँ

सोनल : देखो ना तुम्हारे बच्चे कितना तंग करने लग गये हैं. ओउच लात मारी दोनो ने

सुनील : शिकायत करोगी तो ऐसा ही करेंगे. देखो तुम से कॉन मिलने आया है.

सुनेल तो ये सब सुन पत्थर बन चुका था

सुनील और सुमन साइड हुए और पीछे खड़े सुनेल और मिनी सोनल की नज़रों के सामने आ गये.

सोनल की नज़रें जब सुनेल पे पड़ी तो उसकी आँखें फटी रह गयी दुनिया का आठवाँ अजूबा जैसे उसके सामने था.

मिनी : ऐसे क्या देख रही हो सोनल, ये सुनील के जुड़वा सुनेल हैं तुम्हारा दूसरा छोटा भाई, वक़्त ने इन्हें तुमसे जुदा कर दिया था.

सोनल : सुनील का जुड़वा, मेरा छोटा भाई........(बहुत धीरे से बोली सोनल)

सूमी : हां जान ये सच है, अपनो ने ही मुझे धोका दिया और मेरे बच्चे को सालों मुझ से दूर रखा पर खून खून से ज़्यादा दिन दूर नही रहता.

सोनल : लेकिन मेरे लिए तो अब ये देवर हुए भाई कैसे बोलूं.

सुनेल जो अब तक पत्थर था चिल्ला उठा : ककककक्क्क्यययययययययाआआआआआअ

सुनील : हां भाई जिंदगी बहुत खेल खेलती है हमारे साथ भी खेल गयी...

सुनेल : चिल्ला उठा चुप कर हरामजादे ....अपनी बड़ी बहन के साथ शादी कर डाली .....

सोनल : चिल्ला पड़ी ...सुनेल खबरदार अगर इनकी बेज़्जती करी. तुम्हें क्या मालूम क्या क्या हुआ तुम तो सामने नही थे ना.

सुनेल ...ओह! तो तुम भी इस रंग में रंग चुकी हो ....ये सुअर इतना भी नही जानता था कि माँ और बहन की पूजा की जाती है उनसे शादी नही की जाती.

सुनील चुप रहा ..कैसा समझाता जो हुआ क्यूँ हुआ कैसे हुआ. जो दर्द उसने सहा उसे वो फिर से नही जीना चाहता था.

सूमी : चुप सुनेल, मैं सुनील के खिलाफ कुछ नही सुनूँगी...अभी तुम बोखला रहे हो थोड़ा आराम करो सब समझा दूँगी.

सुनेल एक पल को दीवार से सट गया उसकी आँखों में आँसू थे....सब कुछ छीन लिया इसने मुझ से..काश मैं इसकी जान नही बचाता.... और लपक के उसने सुनील की गर्दन जकड ली... आज ही मार दूँगा तुझे तू इंसान नही....

न्न्लआआणन्नाआअहहिईीईईईईईईईई मिनी चिल्लाई ....

सुनेल जो उसके साथ बैठा था ...अरे क्या हुआ कोई सपना देख रही थी क्या.

मिनी का पूरा जिस्म पसीने से तरबतर था...उसकी साँस तेज चल रही थी. कहीं भाई भाई के बीच खून ख़राबा ना हो जाए.

दोनो इस वक़्त फ्लाइट में थे और आसपास बैठे पॅसेंजर भी हैरानी से मिनी को देख रहे थे.

सुनेल ..क्या हुआ जान...सपने सपने होते हैं..क्यूँ परेशान हो रही हो.
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