Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 10:01 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील सवी और विजय के जाने के बाद जब उस कमरे में घुसा तो वहाँ शोले भड़क रहे थे, विकास एक तरफ सर झुकाए खड़ा था और अगी की आकृति पूर्णतया लाल सुर्ख थी ऐसी जैसे अभी उसकी आकृति से अगी के शोले निकलें हों जिनमें समर की आत्मा झूलुस रही थी और मुक्ति द्वार की तरफ प्रस्थान कर रही थी. वो मुक्ति द्वार अगी ने उसे दिया था अन्यथा ना जाने कितने जन्मों तक वो पटल नगरी में रहता.

अगी की काया धीरे धीरे शांत होने लगी और जाने से पहले वो सुनील के चारों तरफ घूमी और सुनील को कोई शक्ति देती हुई चली गयी, जिसकी शायद सुनील को भविश्य में ज़रूरत पड़ने वाली थी.

विकास को अपनी मुक्ति के लिए अभी इंतजार करना था, वो अगी के साथ जुड़ लिया और सुनील एक ठंडी साँस छोड़ता हुआ हॉस्पिटल की तरफ बढ़ चला.

जिंदगी का एक कड़वा अध्याय पूरा हो गया था, सुनील को अब सुनेल और मिनी की चिंता होने लगी.

सुनील जब हॉस्पिटल पहुँचा तो सुनेल को होश आ चुका था और वो दर्द से कराह रहा था.

सुनील जब सुनेल से मिला तो सुनेल के चेहरे पे दर्द के भाव थे जो जिस्मानी दर्द के नही कुछ और ही ब्यान कर रहे थे.

सुनील : भाई तूने कुछ नही खोया, तेरे लिए सब रिश्ते वही हैं जो तू चाहता है जिनसे तू मिलना चाहता था, हां मेरे रिश्ते बदल गये, क्यूँ बदले कभी फ़ुर्सत में बताउन्गा, और मेरे लिए भी इस रास्ते पे चलना आसान नही था. जिस दर्द के सागर को मैने लाँघा है वो मैं और सूमी ही जानते हैं, तेरे लिए सूमी तेरी वो माँ है जिससे तू बचपन में बिछड़ गया था. अब जल्दी ठीक हो जा तेरी माँ तेरा इंतजार कर रही है.

सुनेल ने कुछ बोलना चाहा पर दर्द ने ज़ुबान का साथ नही दिया और उसकी आँखों से आँसू टपक पड़े.

तभी विजय अंदर आया.

विजय : अब ये दोनो ख़तरे से बाहर हैं, मिनी को कभी भी होश आ जाएगा. तुम घर जाओ मैं यहाँ देख लूँगा, घर पे सुमन जी बहुत परेशान हो रही होंगी.

विजय की बात अभी ख़तम ही नही हुई थी कि कमरे में राजेश और कविता आ गये, कविता दौड़ के सुनील के गले लग गयी, बड़े गंदे हो, बिना मिले जाओगे.

कविता सुनील से गले लग अपने शिकवे कर रही थी.

विजय : बहू छोड़ उसे अभी उसे जाने दे फिर आएगा, और तेरा दूसरा भाई भी तो यहाँ है.

तब कविता की नज़र सुनेल पे पड़ी तो पलकें झपकाना भूल गयी, उसने सुनेल के बारे में सुना था पर कभी मिली नही थी.
कभी वो सुनील को देखती और कभी सुनेल को.

सुनील : अरे चल बाहर इसे अभी आराम करने दो, मिलती रहना, और मैं जल्द वापस आउन्गा, जब सुनेल ठीक हो जाएगा तो सब एक साथ छुट्टी मनाने चलेंगे.

सब बाहर आ गये, और सुनेल आँखें बंद कर सोचने लगा अभी कितने दिन इस बिस्तर पे रहना पड़ेगा कब वो तसल्ली से अपनी माँ और बहन से मिलेगा. कविता का सुनील को भाई कहना भी उसे अजीब लगा था क्यूंकी वो कविता के बारे में नही जानता था.

एक पूरा इतिहास था जिसे उसे जानना था, जिसके बारे में उसे कोई इल्म नही था, अब वक़्त उसे कितना बताता है और कब बताता है, ये तो वक़्त ही जानता है.

सुनेल को धीरे धीरे नींद ने घेर लिया और क्यूंकी कार तो स्वाहा हो चुकी थी सुनील सूमी को फोन करने के बाद, फ्लाइट से घर की तरफ चल दिया, रास्ते भर सवी अपनी आने वाली जिंदगी के सपने बुनने लगी.


सुनील सवी को लेकर सीधा घर पहुँचता है और सूमी और सोनल उसके साथ लिपट जाती हैं, अब शर्म नाम की चीज़ ख़तम हो चुकी थी क्यूंकी घर में रहने वाली चारों औरतें उसकी बीवी ही थी, फिर एक दूसरे से क्या शरमाना, और सुनील की जुदाई वो दर्द भरे ख़यालात , सबने सूमी और सोनल को जैसे तोड़ ही डाला था, दोनो सुनील से ऐसे लिपटी जैसे अब कभी अलग नही होंगी और उसके जिस्म के अंदर ही समा जाएँगी.

कुछ देर बाद.

रूबी : अरे अब तो छोड़ो कुछ देर इन्हें आराम तो करने दो, और आज तो सवी दीदी की सुहागरात होगी, जो मुकम्मल ना हो सकी पहले.

सूमी तो सुनील को छोड़ देती है पर सोनल नही और सबके सामने सुनील को स्मूच करने लगती है, सुनील भी उसे अपनी बाँहों में कस लेता है, सोनल के साथ उसे एक अजीब सा सकुन मिलता था.

सूमी : अच्छा सुनो अब सब लोग, अब हम यहाँ नही रहेंगे, या तो हम ये देश छोड़ देंगे या वहाँ जा के रहेंगे जहाँ हमे कोई ना जानता हो, पैसे की कोई कमी तो है नही और सब डॉक्टर हैं तो अच्छी कमाई फिर भी हो जाएगी, क्यूँ ना केरला के किसी बीच पे अच्छा सा घर खरीद के वहीं रहें.

सवी की आँखों के सामने कोचीन के मनमोहक नज़ारे घूमने लगे जिनका वो कभी लुत्फ़ नही उठा पाई थी. लेकिन अगर बिल्कुल ही सकुन की जगह और प्रकृति के बिल्कुल पास देखनी हो तो कन्याकुमारी से बढ़िया कोई जगह ना थी, जहाँ तीन समुद्रों के मिलाप को देखा जा सकता था, कितनी शांति होगी वहाँ पे, जहाँ विवेकानंद रॉक है.

सवी के मुँह से निकल ही गया देश छोड़ने से अच्छा क्यूँ ना कन्याकुमारी चलें, बीच के पास कोई घर और फिशिंग फार्म हाउस लेलेंगे मज़ा आएगा.

सोनल एक दम सुनील से अलग हुई, 'अरे वह ये करी ना पते की बात'

सुनील : सब्र बाबा सब्र, पहले सुनेल को ठीक तो होने दो.

सूमी/सोनल एक साथ तो जब तक वो ठीक होता है हम मुंबई रहेंगे, अब यहाँ नही रहना.


सुनील अच्छा यार जो कहोगी वही होगा अब कुछ खिला दो बड़ी भूख लगी है.

रूबी : आप फ्रेश हो जाओ मैं अभी लेके आई,

सुनील सोनल और सूमी के साथ कमरे में चला गया. सवी भी फ्रेश होने चली गयी.

फ्रेश होने के बाद सबने खाना खाया.
सुनील ने फिर विजय को फोन किया और हॉस्पिटल के पास एक घर किराए पे लेने को कहा. विजय का घर बहुत बड़ा था, वो एक दम बिदक गया किराए की बात सुन, और बहुत नाराज़ हुआ. सुनील और सूमी ने उसे समझाने की कोशिश करी कि बेटी का मामला है उसकी ससुराल में कैसे ...तब कविता ने विजय से फोन लिया और सुनील को खूब खरी खोटी सुनाई तब कहीं जा कर सुनील माना और फिर दो दिन बाद मुंबई का प्रोग्राम फिक्स हो गया.

खाना खाने के बाद सुनील चुप चाप कमरे में जा कर लेट गया और इधर रूबी खुशी से सवी के कमरे को सजाने में लगी थी कि सवी ने उसे रोक दिया.

सवी : ना रूबी ये सब मत कर, अभी उनका मूड ठीक नही है और ऐसे में...

रूबी : उफ्फ या तुम भी, तुम्हारा हक़ है अब तो

सवी : हक़ ज़बरदस्ती नही लिया जाता पगली, जब प्यार हो जाता है तो जिस्म की शुदा इतनी नही रहती, वो वक़्त भी आ जाएगा, अभी वो बाहुत परेशान होंगे उन्हें इस वक़्त सूमी या सोनल की ही ज़रूरत होगी, ऐसे में मैं अपना हक़ जताऊ ये ठीक नही, प्यार को बहने दो, उसे कभी बाँधने की कोशिश मत करना. जितना तुम प्यार को आज़ादी दोगे उतना ही वो खुद तुम्हारे पास आएगा.

रूबी : ओह गॉड! यहाँ तो सभी फिलॉसफर बन गये हैं. ठीक है करो देर और मुझे भी तडपाओ.

सवी : ओह हो तो असल बात ये है, बन्नो को बड़ी जल्दी है अपने साजन की बाँहों में जाने की.

रूबी : क्यूँ नही होनी चाहिए क्या, कसम से नींद गायब हो चुकी है, आँखें बंद करती हूँ तो वही नज़र आते हैं, और और और...

सवी : और ( सवी अपनी आँखें मटकाती हुई पूछती है)

रूबी : धत्त बड़ी बेशर्म हो गयी हो ( चेहरे पे गुलाबी पन छा गया और दिल की धड़कन बढ़ गयी)

सवी : होता है बन्नो, जब सुहागरात के दिन नज़दीक आते हैं तो दिल में बस साजन की छवि ही रहती है.

रूबी : हाई आपको तो सुहागरात का एक्सपीरियेन्स भी है, बताओ ना क्या क्या होता है....

सवी : अच्छा जैसे तूने तो कभी कुछ किया ही नही जैसे.

रूबी का चेहरा उतर गया और वही पुरानी टीस जो रमण से उसे मिली थी मुँह खोल के फिर खड़ी हो गयी, उसकी आँखों में नमी आ गयी....

रूबी : काश काश वो सुहागरात ही होती पर पर वो तो...
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-20-2019, 10:01 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 8,483 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 4,012 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 2,792 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,749,883 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 576,460 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,340,555 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,024,507 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,800,071 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,202,601 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,161,935 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)