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RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
गाँव की नेहा से नेह conti..........................
अब लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद में भी झड़ने वाला था और कुछ ही पलों में एक तेज़ आवाज़ ‘आआआःह्हआआ’ के साथ मेरे लण्ड ने भी नेहा की चूत में पिचकारी चलानी शुरू कर दी और मैं निढाल होकर नेहा के ऊपर गिर पड़ा।
नेहा भी एकदम चित पड़ी थी।
अब आगे…
कुछ देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर मेरे फोन में 4 बजे का अलार्म बज गया, अब मैं नेहा के ऊपर से जल्दी से उठा और नेहा भी बैठ गई।
नेहा के बैठते उसकी चूत से खून ओर वीर्य दोनों बाहर निकलने लगे और बेड के पास फर्श पर टपक गया।
नेहा की चूत और उसके मम्मे बुरी तरह से लाल हो गए थे, उसकी चूत सूज गई थी, मैंने नेहा की चूत को कपडे से साफ कर दिया और उसने मेरे लण्ड को चाटकर साफ कर दिया।
जब नेहा उठी तो उससे चला भी नहीं जा रहा था, मैं उसे सहारा देकर उसकी छत पर छोड़ आया और अपने कमरे में जैसे ही वापस आया तो बेड देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।
बेड की चादर बुरी तरह से खून में सन गई थी।
मुझे लगा कि अब तो मैं गया…
तभी मेरी नज़र बेड के पास रखी टेबल पर गई जहाँ वाटर कलर रखे हुए थे।
मैंने रेड कलर को एक ग्लास पानी में घोल कर बेड पर डाल दिया और लेट गया।
फिर में सरदर्द का बहाना करके दोपहर के 12 बजे तक सोता रहा।
उस दिन नेहा भी कॉलेज नहीं गई थी क्योंकि उसे बुखार हो गया था।
उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।
अब मैं बहुत खुश था क्योंकि जिससे पूरी गली के लड़के बात करने तक को तरसते थे, मैंने उसकी चूत मार ली थी।
अब मेरा मन उसकी गांड मारने के लिए करने लगा था।
अब ऐसे ही पूरा दिन गुज़र गया और रात के 8 बजे में ॠतु को पढ़ाने के लिए उनके घर गया।
तो जाते ही आंटी ने पूछा- रात को तू छत से ही चला गया था क्या?
मैंने बोला- जी आंटी!
वो बोली- ठीक है।
मैं फिर ऊपर वाले कमरे में चला गया, वहाँ नेहा लेटी हुई थी और ॠतु पढ़ रही थी।
मुझे देखकर नेहा बैठ गई।
मैंने नेहा से पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं, बस रात सर्दी से बुखार हो गया।
मैं जोर से हँस पड़ा और बोला- इतनी गर्मी में सर्दी से बुखार हो गया?
और फिर ऋतु भी हँस पड़ी।
अब मैंने ॠतु को पढ़ाना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद आंटी ने नीचे से ॠतु को आवाज़ दी और नेहा की दवाई ले जाने के लिए बोला।
ॠतु नीचे चली गई, मैंने नेहा से कहा- क्यों, रात मज़ा आया या नहीं?
वो बोली- पहले तो मैं दर्द के मारे मर ही गई थी लेकिन बाद में बहुत मज़ा आया।
तो मैं बोला- आज रात को फिर आ जाना, क्या पता हम कल रहें, ना रहें?
इतना कहते ही उसने मेरा मुँह बंद कर दिया और बोली- आज तो कह दिया, अब कभी मत कहना… अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी ज़िंदा नहीं रहूँगी।
मैंने उसे कहा- पूरी रात मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला रहेगा, एक बजे तक आ जाना…
वो बोली- ठीक है।
फिर मैं ऋतु को पढ़ा कर अपने घर आ गया और नेहा के आने की प्रतीक्षा करने लगा।
12.30 बजे नेहा मेरे कमरे में आ गई।
नेहा के आते ही मैं उस पर टूट पड़ा, उसे बुरी तरह से चूमने लग गया, उसका शरीर बुखार की वजह से अब भी गर्म था।
अब मैंने नेहा को पीछे बेड पर लिटा दिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डालकर चूसने लगा, उसके चूचे कमीज के ऊपर से ही दबाने शुरू कर दिए।
5 मिनट बाद मैंने उसका कमीज उतार दिया और अब वो मेरे सामने ब्रा में थी।
मैंने उसके मुम्मे चूसने और दबाने शुरू कर दिए।
नेहा भी मेरे सिर को पकड़ कर अपने चूचों पर जोर जोर से दबा रही थी और सिसकारी भर रही थी।
उसके चूचे फूल कर कड़े हो गए थे।
अब मैंने उसकी ब्रा भी उतार फेंकी, उसके चूचे मुझे आज कल से बड़े दिख रहे थे, मैं उनका निप्पल मुँह में लेकर चूसने लग गया।
अब नेहा और भी तेज़ सिसकारी लेने लगी थी, उसके चूचों से हल्का सफ़ेद पानी निकलने लगा था, जिसे में बड़े चाव से पी रहा था।
अब मैं उसके कान के पीछे और गर्दन पर किस करने लग गया, नेहा तो पागल सी होती जा रही थी।
फिर मैंने उसकी सलवार उतार दी और एक हाथ से उसके चूतड़ सहलाने लग गया ओर एक हाथ से उसकी चूत को।
मैंने उसकी पैंटी भी उतार फेंकी जो गीली हो गई थी, उसकी चूत भी सूजी हुई थी।
मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में जैसे ही डाली, वो कराह उठी।
फिर मैंने धीरे धीरे ऊँगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी और अपनी जीभ से उसकी चूत के दाने को चाटने लग गया।
फिर मैंने उसकी गांड भी चाटनी शुरू कर दी।
अब नेहा मादक आवाज़ें निकाल रही थी और मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबा कर बोल रही थी- जान खा जाओ मेरी चूत को आआज्ज…
फिर हमने पोजीशन बदली और 69 की पोजीशन पर आ गए, अब वो मेरे लण्ड की मुट्ठ मार रही थी और अपने होंठों से चूस रही थी।
अब मैं उसकी चूत और गांड दोनों को चाट रहा था और उसके चूचों को भी मसल रहा था, उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था जिसे मैं चाट रहा था।
अब मैंने एक हाथ उसके चूचे से हटाकर एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी।
नेहा के मुख से ‘ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ! की आवाज़ आ रही थी।
मैंने नेहा को घोड़ी बनने को कहा तो वो उठी और घोड़ी बन गई।
नेहा मुझ से बोली- जान धीरे से करना, कल बहुत दर्द हुआ था।
मैं बोला- ठीक है, आज पीछे से करूँगा, थोड़ा दर्द होगा, पर सह लेना… बाद में कल से भी ज्यादा मज़ा आएगा।
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RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
गाँव की नेहा से नेह conti..........................
वो बोली गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है, मुझे मेरी सहेली ने बताया था।
मैंने कहा- मैं धीरे से करूँगा।
मैंने अपनी ऊँगली पर खूब सारी वैसलीन ली, और उसकी गाँड में अंदर तक अच्छी तरह से लगा दी।
थोड़ी अपने लंड पर भी लगा ली।
जैसे ही मैं धक्का लगाने की कोशिश करता, वैसे ही नेहा आगे को हो जाती, कितनी ही बार ऐसा हुआ।
फिर मैंने उसे बेड से नीचे उतार कर झुकने को कहा, वो झुक गई।
मैंने उसे कस के पकड़ लिया और लण्ड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर सही तरह टिका कर जोर से दबाया, जैसे ही मेरा सुपाड़ा अंदर गया, नेहा चीख पड़ी- आआआआईईई ‘मेरी गांड फट गई, छोड़ दो मुझे, मुझे नहीं मरवानी गांड !
मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी कमर गर्दन और कान को चूमने लग गया।
थोड़ी देर में नेहा का दर्द कम हो गया और इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने एक धक्का जड़ दिया।
अबकी बार मेरा लण्ड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतर गया, नेहा रो पड़ी और वो रोते हुए कह रही थी- छोड़ दो प्लीज, मुझे छोड़ दो!
तभी मैं बोला- बस हो गया, अब नहीं होगा दर्द !
मैं उसे लगातार किस किये जा रहा था और उसकी चूची दबा रहा था।
जब नेहा रो रही थी तो मैं यह सोच कर बड़ा खुश था कि मेरे लण्ड में इतना दम है।
फिर मैंने उसे बातों में लगाये रखा और अपना लन्ड धीरे धीरे उसकी गांड में सरकाता रहा।
जब मेरा लंड उसकी गांड में जड़ तक पहुँच गया गया, तब मैं कुछ देर रुका।
उधर नेहा की आँखों से आँसू लगातार टपक रहे थे, कुछ देर में उसका दर्द कम हो चला था।
अब मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरु कर दिया।
शायद अब उसे भी मज़ा आने लगा था और उसने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी थी।
उसे दर्द तो अब भी हो रहा था पर अब उसके मुख से हल्की ‘आआआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ‘की आवाज़ भी निकलने लगी थी और मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार कुछ बढ़ा दी थी।
और कुछ ही देर में नेहा का दर्द बिल्कुल गायब हो गया, वो कूल्हे उठा कर मेरा साथ देने लगी।
अब उसके मुख से निकलने वाली आवाज़ें तेज़ होने लगी थी, वो कह रही थी- फाड़ दे मेरी गांड को साले ! और जोर से कर, और जोर से, !
अब मैं भी पूरी ताक़त से धक्के मार रहा था पर नेहा ने तो एक बात रट ही ली थी- और जोर से… और जोर से!
अब मैं थक चुका था तो मैं बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर आने को कहा।
वो मेरे ऊपर आकर मेरे लंड पर बैठकर अपनी कमर उचकाने लगी।
अब मैंने उसके दोनों चूचों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया।
नेहा तो मानो सातवें आसमां पर थी और उसकी मादक आवाज़ें निकल रही थी- आआःह हआआ उम्म्म उम्म्म ऊओह्ह्हू !!
उसने भी मेरे ऊपर चुम्बन की बौछार कर दी थी।
अब मेरा वीर्य निकलने वाला ही था इसलिए अब मैं नेहा के ऊपर आ गया।
मैंने अपना लण्ड उसकी गांड से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया।
उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि एक ही बार में मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में फच्च से चला गया और फिर में धक्के लगाता रहा।
अब कमरे में ‘फच्च फच्च’ की आवाज़ें गूंजने लगी थी और नेहा भी अपनी मोहक आवाजों के साथ मेरा पूरा साथ दे रही थी।
तभी मेरा लण्ड उसकी चूत में एकदम फूल गया, मेरे शरीर में खिंचाव के साथ मेरे लण्ड ने उसकी चूत में वीर्य की बौछार करनी शुरु कर दी।
इसी के साथ नेहा की भी चीख निकल पड़ी और उसका शरीर भी एकदम अकड़ गया।
वो मुझ से इस तरह से चिपक गई जैसे चमगादड़ दीवार पर चिपक जाती है।
हम दोनों एक साथ ही झड़ गए और मैं नेहा के ऊपर कुछ देर तक ऐसे ही पड़ा रहा।
फिर मैंने नेहा की चूत से अपना लण्ड निकाल लिया, नेहा मेरे लण्ड को चूसने लग गई और मेरे लण्ड पर लगा सारा कामरस अच्छी तरह से साफ़ कर दिया और अपनी चूत भी साफ़ कर ली।
और मैंने उसकी गांड पर लगा खून भी साफ़ कर दिया।
नेहा को खड़ा होने में भी दिक्कत हो रही थी, मैंने ही उसे सहारा देकर खड़ा किया फिर मैंने उसकी गाण्ड, जो सूज गई थी, पर बोरोलीन लगाई और उसे एक दर्दनिवारक की गोली देकर उसके कमरे तक उसे छोड़ कर आ गया।
अपने कमरे में आकर मैंने अपना लण्ड देखा जो छिल गया था, मैंने उस पर भी बोरोलीन लगाई और सो गया।
उसके बाद हमारी चुदाई का कार्यक्रम लगभग रोज़ चलने लगा और करीब एक साल तक हमने खूब जमकर चुदाई की जिसकी वजह से हमारी हर रात को सुहागरात मनती थी।
उसके बाद नेहा की शादी हो गई।
नेहा मेरे साथ फ़ोन पर अब भी बातें करती है, कहती है- चुदाई को जो सुख मेरी जान तूने मुझे दिया, उसे दुनिया का कोई भी मर्द मुझे नहीं दे सकता।
अब नेहा के एक 3 साल का लड़का और 1 साल की लड़की भी है, और जब भी वो गाँव में आती है तो मैं भी गाँव में चला जाता हूँ!
आज भी अगर हमें चुदाई करने का मौका मिलता है तो हम चूकते नहीं हैं।
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RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
अनाड़ी
में शर्मिला हीरो पटना बिहार से फिर स्टोरी लेकर आया हूँ. मेरी पहले की कहानी (भाभी की जमकर गांड मारी और मोसी के साथ मस्ती की) आपने पढ़ी होगी. अब में आपको बोर ना करके अपनी कहानी पर आता हूँ. मेरे पड़ोस मे आशा नाम की औरत रहती हे. वो बहुत सेक्सी हे. मे उसको रोज देखता हूँ और सोचता हूँ की कब उसकी चुदाई करू. आशा का रोज हमारे घर आना जाना था. मे आशा को भाभी कह के बुलाता था. जब मे आशा को देखता था तो मेरे लंड तन जाता था. आशा के घर मे वो और उसका पति रहता था. एक दिन आशा का पति 1 हफ्ते के दिल्ली ऑफीस के काम से जाने वाला था .तो मेरी माँ ने मुझे कहा की पड़ोस मे रहने वाली भाभी के पति थोड़े दिनो के लिये बाहर जा रहे हे और तुझे वहाँ जाकर रहना है. क्योकी आशा भाभी को अकेले में बहुत डर लगता था. जैसे ही आशा भाभी के पति गये तो मे उनके घर चला गया. जैसे ही घर पे गया और घन्टी बजाई तो आशा भाभी ने दरवाजा खोल दिया और कहा साजन आप आ गये क्या मैने कहा हाँ भाभी मे आ गया और हम अंदर चले गये और मे टी.वी देखने लगा .
भाभी ने कहा की मुझे थोड़ा काम है तुम टी.वी देखो और मे आपना काम ख़त्म कर के आती हूँ. थोड़ी देर बाद आशा भाभी काम ख़त्म करके मेरे साथ टी.वी देखने बेठ गयी और हम दोनो बाते करने लगे . मेरे मन मे बार बार यही ख्याल आ रहे थी की कब आशा भाभी की चुदाई करू. रात को हम खाना खा के सोने चले गये पर मुझे नींद नही आ रही थी इसलिये मे टी.वी देखने लगा रात को 12 बजे डिस्क वाले ने ब्लू फिल्म लगाई तो मे वो देखने लगा और आशा भाभी सो रही थी. फिल्म के सीन देखकर मेरा लंड तन गया और मे मूठ मारने लगा मेरे लंड का साइज़ 7”इंच है. रात को एकदम से आशा भाभी की नींद खुल गई और टी.वी वाले रूम मे आई तो मुझे मूठ मारते हुये देख लिया और टी.वी मे ब्लू फिल्म को भी. मे डर गया और चुपचाप बेठ गया मेरी पेन्ट खुली हुई थी. आशा भाभी बोली की ये क्या कर रहे हो मे कुछ नही बोला और चुपचाप बेठा रहा. आशा भाभी मेरे लंड को देखती रही. आशा भाभी मेरे पास आई और मेरे लंड को पकड़ कर बोली की कितना मोटा लंड है इतना तो मेरे पति का भी नही. ये देखकर मेरी हिम्मत बड़ी और कहने लगा भाभी ये लंड आपके लिये है. आशा भाभी मेरी तरफ आई और मुझे किस करने लगी और मे भी उनका साथ देने लगा .
लंड को कस कर पकड़े हुये वो अपना हाथ लंड तक ले गयी जिससे सुपडा बाहर आ गया. सुपडे की साइज़ और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी. “बाबा कहा छुपा रखा था इतने दिन” उन्होने पूछा. मैने कहा, “यही तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान नही दिया. भाभी बोली, “मुझे क्या पता था की तुम्हारा इतना बडा होगा,.” मुझे उनके बिंदास बोलने पर आश्चर्य हुआ जब उन्होने “लंड” कहा और साथ ही मुझे बडा मज़ा आया. वो मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर खीच रही थी और कस कर दबा रही थी. फिर भाभी ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुये लंड को अपनी जाँघो के बीच लेकर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ करवट लेकर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके. उनकी चूचि मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और में उन्हे कस कस कर दबा रहा था. अचानक उन्होने अपनी एक चूचि मेरे मुँह मे डालते हुये कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर.” मैने उनकी बायी चूचि अपने मुँह मे भर ली और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. थोडी देर के लिए मैने उनकी चूंचि को मुँह से निकाला और बोला, “में हमेशा तुम्हारे ब्लाउज मे कसी चूचि को देखता था और हैरान होता था. इनको छुने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था की इन्हे मुँह मे लेकर चुसू और इनका रस पीऊँ. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कही मुझसे नाराज़ ना हो जाओ. तुम नही जानती भाभी की तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है?” “अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो में तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहो वैसा ही करो” भाभी ने कहा.
फिर क्या था, भाभी की हरी झंडी पाकर में उनकी चूचियों को चूसने लगा. मेरी जीभ उनके कडे निपल को महसूस कर रही थी. मैने अपनी जीभ भाभी के उठे हुये कडे निपल पर घुमाया. मै दोनो बोबो को कस के पकड़े हुये था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था. में ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे की उनका पूरा का पूरा रस निचोड लूँगा. भाभी भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुहँ से “ओह! ओह! आह! स, स! की आवाज़ निकल रही थी. मुझसे पूरी तरफ से सटे हुये वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड रही थी. उन्होने अपनी सीधी टांग को मेरे कन्धों के उपर चडा दिया और मेरे लंड को अपनी जाँघो के बीच रख लिया. मुझे उनकी जाँघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. यह उनकी चूत थी. भाभी ने पेंटी नही पहन रखी थी और मेरा लंड का सुपडा उनकी झांटो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था.
में भाभी से बोला, “भाभी मुझे कुछ हो रहा और में अपने आपे मे नही हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ में क्या करू?” भाभी बोली, “तुमने कभी किसी लड़की को चोदा है आज तक?” मैने बोला, “नही.” कितने दुख की बात है. कोई भी लड़की इसे देख कर कैसे मना कर सकती है. शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा है क्या? में क्या बोलता. मेरे मुँह मे कोई शब्द नही थे. में चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुये चूचि मसलता रहा. उन्होने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी भाभी को चोदोगें? क्यों नही” में बडी मुश्किल से कह पाया. मेरा गला सुख रहा था. वो बडे मादक अंदाज़ मे मुस्कुरा दी और मेरे लंड को आज़ाद करते हुये बोली, “ठीक है, लगता है अपने अनाडी देवर राजा को मुझे ही सब कुछ सिखाना पडेगा.चलो अपनी चड्डी उतार कर पूरे नंगे हो जाओं.” में पलंग पर से उतर गया और अपनी चड्डी उतार दी. में अपने तने हुये लंड को लेकर नंगा अपनी भाभी के सामने खडा था. भाभी अपने रसीले होठों को अपने दातों मे दबा कर देखती रही और अपने पेटीकोट का नाडा खीच कर खोल दिया. “तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ” कहते हुये मैने उनका पेटिकोट को खींचा. भाभी ने अपना चूतड उपर कर दिया जिससे की पेटिकोट उनकी टांगो से उतर कर अलग हो गया. भाभी अब पूरी तरह नंगी होकर मेरे सामने चित पडी हुई थी. भाभी ने अपनी टांगो को फैला दिया और मुझे रेशमी झांटो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला. नाइट लैंप की हल्की रोशनी मे चमकते हुये नंगे जिस्म को देखकर में उत्तेजित हो गया और मेरा लंड खुशी के मारे झूमने लगा. भाभी ने अब मुझसे अपने उपर चडने को कहा. में तुरंत उनके उपर लेट गया और उनकी चूचि को दबाते हुये उनके रसीले होठ चूसने लगा. भाभी ने भी मुझे कस कर अपनी बाहों मे कस कर जकड लिया और चुम्मा का जवाब देते हुये मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी. क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी. में भी उनकी जीभ को ज़ोर जोर से चूसने लगा. हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के मे था और फिर पूरे जोश के साथ.
कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर में अपने होठ भाभी की नाज़ुक गर्दन पर रगड रगड कर चूमने लगा. फिर भाभी ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पकड लिया और उसे नीचे की तरफ किया. में अपने होंठ उनके होंठो से हटा कंधो को चूमता हुआ चूचि पर पहुँचा. में एक बार फिर उनकी चूचि को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा. उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टागें एक-दूसरे से दूर हो गई. अपने दाएँ हाथ से वो मेरा लंड पकड कर उसे मुट्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और अपने बाएँ हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड कर अपनी टांगों के बीच ले गयी. जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगड दिया. समझदार को इशारा काफ़ी था. में उनकी चूचि को चूसता हुआ उनकी चूत को रगडने लगा. “बाबा अपनी उंगली अंदर डालो ना?” कहती हुये भाभी ने मेरी उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दी.
मैने अपनी उंगली उनकी चूत की दरार मे घुसा दी और वो पूरी तरह अंदर चली गई. जैसे जैसे मैने उनकी चूत के अंदर उंगली को आगे पीछे करता रहा और मेरा मज़ा बडता गया. जैसे ही मेरी उंगली उनकी चूत के दाने से टकराई उन्होने ज़ोर से सिसकारी लेकर अपनी जाँघो को कस कर बंद कर लिया और चूत उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी. उनकी चूत से पानी बह रहा था. थोडी देर बाद तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैने अपनी उंगली उनकी चूत से बाहर निकाल ली और सीधा हो कर उनके उपर लेट गया. भाभी ने अपनी टाँगे फैला दी और मेरे फनफनाते हुये लंड को पकड कर सुपडा चूत के मुहँ पर रख लिया. उनकी झांटो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर भाभी ने हसं कर बोला, “अब अपना लंड मेरी चूत मे घुसाओ, प्यार से घुसाना नही तो मुझे दर्द होगा, अहह!” मेंने कभी ऐसा नहीं किया था इसीलिये शुरू शुरू मे मुझे अपना लंड उनकी टाइट चूत मे घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुई. में जब ज़ोर लगा कर लंड अंदर डालना चाहा तो उन्हे दर्द भी हुआ. लेकिन पहले से उंगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गई थी. भाभी भी हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे लंड अंदर चला गया. इससे पहले की भाभी संभले, मैने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड जैसे चूत की जन्नत मे दाखिल हो गया. भाभी चिल्लाई , “उईईइ ईईईईईई ईईईई माआआ उहुहुहह ओह बाबा, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, ! बडा जालिम है तुम्हारा लंड. मार ही डाला मुझे तुमने देवर राजा.” भाभी को काफ़ी दर्द हो रहा लगता है.
पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लंड उनकी चूत मे घुसा था. में अपना लंड उनकी चूत मे घुसा कर चुपचाप पडा था. भाभी की चूत फडक रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लंड को मसल रही थी. उनकी उठी उठी चूचि काफ़ी तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मैने हाथ बडा कर दोनो चूचि को पकड लिया और मुँह मे लेकर चूसने लगा. भाभी को कुछ राहत मिली और उन्होने कमर हिलानी शुरू कर दी. भाभी मुझसे बोली “बाबा शुरू करो, चोदो मुझे. ले लो मज़ा जवानी का मेरे राजा,” और अपनी गांड हिलाने लगी. में तो अनाडी था. समझ नही पाया की कैसे शुरू करूँ. पहले अपनी कमर को उपर किया तो लंड चूत से बाहर आ गया. फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नही बैठा और भाभी की चूत को रगडता हुआ नीचे फिसल कर गांड मे जाकर फँस गया. मैने दो तीन धक्के लगाये पर लंड चूत मे वापस जाने की बजाई फिसल कर गांड मे चला जाता. भाभी से रहा नही गया और तिलमिला कर ताना देती हुई बोली, “ अनाडी का चोदना और चूत का सत्यानाश, अरे मेरे भोले राजा ज़रा ठीक से निशाना लगा कर डालो नही तो चूत के उपर लंड रगड रगड कर झड जाओंगे.” में बोला, “भाभी अपने इस अनाडी देवर को कुछ सिख़ाओ, जिंदगी भर तुम्हे गुरु मानेगां और लंड की दक्षिणा दूँगा.”
भाभी लम्बी सांस लेती हुई बोली, “हाँ बाबा, मुझे ही कुछ करना होगा नही तो देवरानी आकर कोसेगी की तुमने कुछ नही सिखाया.” मेरा हाथ अपनी चूचि पर से हटाया और मेरे लंड पर रखती हुई बोली, “इसे पकड कर मेरी चूत के मुँह पर रख दो और लगाओ धक्का ज़ोर से.” मैने वैसा ही किया और मेरा लंड उनकी चूत को चिरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया. फिर भाभी बोली, “अब लंड को बाहर निकालो, लेकिन पूरा नही. सुपडा अंदर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लंड अंदर डाल देना, बस इसी तरह से करते रहो.” मैने वैसे ही करना शुरू किया और मेरा लंड धीरे धीरे उनकी चूत मे अंदर-बाहर होने लगा. फिर भाभी ने स्पीड बडा कर करने को कहा. मैने अपनी स्पीड बडा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा. भाभी को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लंड बाहर निकल जाता. इससे चुदाई का सिलसिला टूट जाता. आख़िर भाभी से रहा नही गया और करवट लेकर मुझे अपने उपर से उतार दिया और मुझको झट से लेटा कर मेरे उपर चड गयी. अपनी जाँघो को फैला कर बगल में करके अपने गद्देदार चूतड रखकर बैठ गयी. उनकी चूत मेरे लंड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थी और बोली, “में दिखाती हूँ की कैसे चोदते है,” और मेरे उपर लेट कर धक्का लगाया. मेरा लंड घप से चूत के अंदर दाखिल हो गया. भाभी ने अपनी रसीली चूचि मेरी छाती पर रगडते हुये अपने गुलाबी होठ मेरे होठ पर रख दिये और मेरे मुँह मे जीभ डाल दी. फिर भाभी ने मज़े से कमर हिला हिला कर शॉट लगाना शुरू किया. और कस कस कर शॉट लगा रही थी मेरी प्यारी भाभी. चूत मेरे लंड को अपने मे समाये हुये तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मुझे लग रहा था की में जन्नत में पहुँच गया हूँ. अब पोज़िशन उल्टी हो गयी थी. भाभी मानो मर्द थी जो की अपनी माशुका को कस कस कर चोद रहा था. जैसे जैसे भाभी की मस्ती बड रही थी उनके शॉट भी तेज़ होते जा रहे थे. अब भाभी मेरे उपर मेरे कंधो को पकड कर घुटने के बल बैठ गयी और ज़ोर ज़ोर से कमर हिला कर लंड को तेज़ी से अंदर-बाहर लेने लगी. उनका सारा बदन हिल रहा था और साँसे तेज़ तेज़ चल रही थी. भाभी की चूचिया तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मुझसे रहा नही गया और हाथ बडा कर दोनो चूचियो को पकड लिया और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा. भाभी एक जमे हुये खिलाडी की तरह कमान अपने हाथो मे लिये हुये थी और कस कस कर शॉट लगा रही थी.
जैसे जैसे वो झडने के करीब आ रही थी उनकी रफ़्तार बडती जा रही थी. कमरे मे पच पच की आवाज़ गूँज रही थी. जब उनकी सांस फूल गयी तो खुद नीचे आकर मुझे अपने उपर खीच लिया और टागों को फैला कर उपर उठा लिया और बोली, “में थक गयी मेरे राजा, अब तुम मोर्चा सभाल लो.”में झट उनकी जाँघो के बीच बैठ गया और निशाना लगा कर झटके से लंड अंदर डाल दिया और उनके उपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा. भाभी ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड लिया और ज़ोर ज़ोर से चूतड उठा उठा कर चुदाई मे साथ देने लगी. में भी अब उतना अनाडी नही रहा और उनकी चूचि को मसलते हुये धका धक शॉट लगा रहा था. कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से गूंज पडा था. भाभी अपनी कमर हिला कर चूतड उठा उठा कर चुदा रही थी और बोले जा रही थी, “आह आअहह आह्ह्ह ऊओह ऊऊहह हाआआं हाई मेरे राजा मर गई रे, लल्ला चोद रे चोद. उईईईईईई मेरी माँ, फट गई रे आज तो मेरी चूत. मेरा तो दम निकाल दिया तूने आज. बहरा जालिम भी बोल रही थी. आह रे तुम्हारा लंड तो एक दम महीन मसाला पीस हे.बड़ा तड़पाया हे तूने मुझे ले ले मेरी भाभी अब ये लंड तुम्हारा ही हे अह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह क्या जन्नत का मजा सिखाया हे तूने.
में तो तेरा गुलाम हो गया हूँ.”भाभी गांड उछाल उछाल कर मेरा लंड अपनी चूत मे ले रही थी और में भी पूरे जोश के साथ उनकी चूचियों को मसल मसल कर अपनी भाभी को चोदे जा रहा था. भाभी मुझको ललकार कर कहँती, लगाओ शॉट मेरे राजा”, और में जवाब देता, “यह ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत मे”. “ज़रा और ज़ोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत मे मेरे राजा”, “यह ले मेरी रानी, यह लंड तो तेरे लिये ही है.” “देखो राजा मेरी चूत तो तेरे लंड की दीवानी हो गयी, और ज़ोर से और ज़ोर से आआईईईई मेरे राजा. में गई रे,” कहँते हुये मेरी भाभी ने मुझको कस कर अपनी बाहों मे जकड लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा चोड दिया. अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और में बोला, “में भी आया मेरी जान,” और मेने भी अपना लंड का पानी चोड दिया और में हाफते हुये उनकी चूचि पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया. यह मेरी पहली चुदाई थी. इसीलिये मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थी. में भाभी के सिने पर सर रख कर सो गया. भाभी भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुये दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी.
कुछ देर बाद होश आया तो मैने भाभी के रसेले होठों के चुंबन लेकर उन्हे जगाया. भाभी ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फूस-फूसा कर बोली, “बाबा तुमने तो कमाल कर दिया, क्या गजब की ताक़त है तुम्हारे लंड मे.” मैने उत्तर दिया, “कमाल तो आपने कर दिया है भाभी, आज तक तो मुझे मालूम ही नही था की अपने लंड को कैसे इस्तेमाल करना है. यह तो आपकी मेहरबानी है जो की आज मेरे लंड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.” अब तक मेरा लंड उनकी चूत के बाहर झांटो के जंगल मे रगड मार रहा था. भाभी ने अपनी मुलायम हथेलियो मे मेरा लंड को पकड कर सहलाना शुरू किया. उनकी उंगली मेरे अन्डो से खेल रही थी. उनकी नाज़ुक उंगलियो का स्पर्श पाकर मेरा लंड भी जाग गया और एक अंगडाई लेकर भाभी की चूत पर ठोकर मारने लगा. भाभी ने कस कर मेरे लंड को क़ैद कर लिया और बोली, “बहुत जान तुम्हारे लंड मे, देखो फिर से फड –फडाने लगा, अब में इसको चोदूगी.” हम दोनो अगल बगल लेटे हुये थे. भाभी ने मुझको लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चडा कर लंड को हाथ से मसलने लगी. साथ ही साथ भाभी अपनी कमर हिलाते हुये अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगडने लगी.
उनकी चूत पिछली चुदाई से अभी तक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाये हुये था. अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर भाभी की तरफ मुँह करके लेट गया. उनकी चूचि को मुँह मे दबा कर चूसते हुये अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा. भाभी एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर लिपट गयी और ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुये मेरी उंगली से चूदवाने लगी. अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रही थी. मेरा लंड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सक्त हो गया था. अब भाभी की बेताबी हद से ज़्यादा बड गयी थी और खुद चित होकर मुझे अपने उपर खीच लिया. मेरे लंड को पकड कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली, “आओं मेरे राजा, सेकेंड राउंड हो जाये. ”मैने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा धँस गया. भाभी चिल्ला उठी और बोली, “जीओ मेरे राजा.., क्या शॉट मारा. अब मेरे सिखाये हुये तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फाड दो मेरी चूत को. ” भाभी का आदेश पाकर मे जोश मे आ गया और उनकी चूंचि को पकड कर भाभी की चूत मे लंड डालने लगा. उंगली की चुदाई से भाभी की चूत गीली हो गयी थी और मेरा लंड सटसट अंदर-बाहर हो रहा था. भाभी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब पूरे जोश के साथ दे रही थी. भाभी और मेने ऐसे ही सात दिन तक चुदाई की और बहुत मज़े किये…..
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