Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
12-26-2018, 10:52 PM,
#30
RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
प्यार की कहानी स्वीटी के साथ



दोस्तो, मैं 30 साल का मर्द हूँ, अहमदाबाद मैं रहता हूँ। अहमदबाद मैं वैसे तो बहुत गर्मी होती है और अप्रैल-मई की बात ही अलग है।
कहानी की शुरुआत के लिए हमें 10 साल पीछे जाना पड़ेगा। मेरी उम्र उस वक़्त 20 साल की थी जब मैंने पहली बार अपने पडोसी की लड़की पर प्यार का जाल बिछाया था, जाल तो सिर्फ इक बहाना था उसको चोदने का।

उसका नाम था स्वीटी, कद लम्बा, उसकी चूची छोटी थी पर देखने मैं वह बहुत अच्छी लगती थी। पड़ोसी होने के नाते हम दोनों घरों के बीच कभी बनती नहीं थी और हर वक्त लड़ाई होती रहती थी। इसी बात का फायदा उठा कर मैंने उसके साथ प्यार का नाटक करना शुरू किया क्यूंकि उसी वजह से मेरे और उसके घरवालों को कभी हमारे बारे में शक न हो।

वह हर रोज दोपहर को कपड़े सुखाने के लिए छत पर आती थी और मैं उससे बात करने की कोशिश करता।

एक दिन हमारी बात होना शुरू हुई और जैसा चाहा था, वैसे ही उसने जवाब दिया क्यूंकि मैं भी जनता था कि उसको भी लण्ड की ज़रूरत है जो मैंने कई बार उसकी आँखों में देखा था। प्यार का इज़हार बहुत जल्दी हो गया और हम दोनों एक दूसरे को मिलने के बारे में सोचने लगे। हमारा गाँव बहुत छोटा था, हम इसी वजह से मिल नहीं पाते थे।
रात को जब वह कभी कचरा डालने के लिए नीचे आती तो मैं चुपके से मिल लेता और थोड़ी बात कर लेता, पर कब तक....?

एक दिन मैंने उसको पकड़ लिया और अपने गर्म होंठ उसके होंठों पर रख दिए। वह मेरे और उसके लिए पहला एहसास था। मुझे अब तक याद है कि उस दिन के बाद तीन दिन तक मेरा लण्ड पानी बहाता रहा था। अब इतना होने के बाद मैं अपने आप को काबू के बाहर समझने लगा, मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करूँ, और उससे मिलने को बेताब हो रहा था।

एक दिन मैंने उसको छत पर बुलाया और कहा- मैं तुझे नंगा देखना चाहता हूँ।

वो इन्कार करने लगी और मैं उसको किसी भी तरह मनाने लगा। वैसे तो मैंने काफी लड़कियों और औरतो को छुपछुप के कपड़े बदलते देखा है कभी कभी मैंने उसके लिए 2 से 3 घंटे तक इंतज़ार भी किया है।
आखिर वो राजी हो गई और मैंने उसको बोला- तू खिड़की पर आ जा और सामने की खिड़की पर मैं रहूँगा।

हम दोनों की खिड़की बिल्कुल आमने-सामने थी और मैं उसके बेडरूम का नज़ारा देख सकता था जहाँ मैंने कई बार उसकी माँ को कपड़े बदलते हुए भी देखा था।

वैसे दोपहर के 3 बजे का समय तय हुआ था और मैं उसकी इंतजार में 2:30 पर ही खिड़की के पास खड़ा हो गया।

तभी उसकी माँ आ गई जो एक बहुत बदनाम औरत थी, उसके कई चक्कर थे और मैंने कई बार उसको दूसरे मर्दों के साथ देखा था।

मैंने अपने आपको छुपा लिया और थोड़ा इधर-उधर होकर उसकी राह देखने लगा।

थोड़ी देर बाद वो आई और बोली- मेरी मम्मी बाहर जा रही है, 15 मिनट के बाद बेडरूम में आ जाऊँगी।

मैंने कहा- ठीक है !

और फिर मैं किसी और काम में लग गया।

15 मिनट के बाद वो आई। उसने आसमानी रंग का ड्रेस पहना हुआ था जो के एक चूड़ीदार सूट था और वो काफी सजधज कर आई थी।

मैंने पूछा- क्यूँ इतना सजधज कर आई हो?

तो उसने बताया- पहली बार किसी लड़के को अपना जिस्म दिखा रही हूँ तो थोड़ा अपने आप पर प्यार आ गया।

मैं बोला- जानेमन, इतना मत तड़पाओ और शुरुआत करो।

वो बोली- राहुल, मुझे शर्म आती है।

मैंने कहा- अगर तुझे शर्म आती है तो मैं भी अपने कपड़े उतारूँगा ताकि तेरी शर्म दूर हो जाये।

आखिर उसने पहले अपने बालों को साइड में किया और पीछे घूम कर मुझे अपना पूरा जिस्म कपड़ों के साथ दिखाने लगी।

मैं उसकी चूची पर तो फ़िदा था ही और आज मैं उसकी गाण्ड पर भी फ़िदा हो गया।

मैं सोच रहा था- कपड़ों के साथ इतनी अच्छी लग रही हैं तो बिना कपड़ो के क्या क़यामत लगेगी !

फिर पीछे होकर धीरे-धीरे अपनी कमीज़ के हुक खोलने लगी।

मैं धीरे-धीरे गर्म हो रहा था मुझे लड़की को धीरे धीरे नंगी होती देखने में बहुत मज़ा आता है।

हुक खुलते ही पीछे से उसकी काली ब्रा की पट्टी दिखने लगी। उसने पहले बाएं और फ़िर दाएं कंधे से ब्रा को धीरे धीरे जीचे सरकाया और पीछे से पूरा कमीज़ नीचे कर दिया।

मैं उसको सिर्फ पीछे से देख पा रहा था, मैंने उसको घूम कर आगे से दिखाने के लिए कहा तो उसने जवाब दिया- राहुल, मुझे कुछ हो रहा है, अभी धीरज रखो।

फिर वो घूम गई। वाह ! क्या नज़ारा था !

काली ब्रा के अन्दर उसकी चूची जो क़यामत थी ! उसके गोरे बदन पर काली ब्रा बहुत अच्छी लग रही थी।

मेरा लण्ड अब तक पूरा खड़ा हो चुका था और उसके जवाब में मैंने भी अपनी टीशर्ट उतार दी।

फिर उसने ब्रा की पट्टी के साथ खेलते हुए पीछे से ब्रा के हुक खोल दिए।

शायद यह नज़ारा मेरे लिए जिंदगी का सबसे अच्छा नज़ारा था, एक लड़की जिसको पाने के लिए मैं काफी अरसे से राह देख रहा था, उसका नंगा बदन मेरे सामने था पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।

ब्रा के हुक खुलते ही उसकी दोनों छोटी छोटी चूचियाँ मेरे सामने आ गई जो सिर्फ 28 इन्च की लग रही थी और उसके ऊपर भूरे रंग का छोटा सा निप्पल!

मैं अपने लण्ड को सहलाने लगा और मैंने अपनी बनियान निकाल दी।
अब बारी उसकी सलवार की थी!

वो मना करने लगी कि सलवार नहीं उतारूँगी!

पर मेरे जोर और कसम देते ही वो मान गई और उसके अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
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