Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
12-26-2018, 11:03 PM,
#75
RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
आंटी प्लीज मान जाओ -2
फिर उसके बाद आंटी बोली- अब जो तेरे साथ होने वाला है वो तू जिंदगी भर याद रखेगा। 
मैंने कहा- देखते हैं, आप क्या करती हो? क्योंकि ऐसा बहुत कुछ है जो मैंने देखा है तो जरूरी नहीं कि इसे जिंदगी भर याद रख ही लूँगा। 
मेरी बात सुन कर आंटी ने मुझे कान पर काट हल्के से काटा और दांतों को बड़े प्यार से कान पर चलाने लगी मानो दांत पीस रही हो, एक अद्भुत ही अनुभूति थी वो, और फिर वो धीरे से मेरे ऊपर आ गई और फिर मेरे दूसरे कान को भी इसी तरह से चूम कर काटने लगी। 
मुझे लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ, 
उसके बाद उन्होंने मेरे बायें कान को छोड़ा और उसके थोड़ा नीचे एक बार काट कर दांतों से निशान बना दिया, मुझे मजा भी बहुत आया और दर्द भी हुआ पर मैं आह करने के अलावा कुछ और कर नहीं सकता था तब, उसके बाद आंटी ने मेरी ठोड़ी और कान के बीच एक बार हल्के से काट लिया और मैं बोल ही पड़ा- क्या कर रही हो यार तुम ? 
तो जवाब मिला- तुझे जिंदगी भर ना भूल सकने वाली याद दे रही हूँ ! 
उसके बाद आंटी थोड़ा नीचे खिसकी और मुझे फिर कंधों पर काट कर निशान बना दिया फिर एक निशान, दूसरा निशान, तीसरा निशान इस तरह से उन्होंने एक एक कर के मेरे शरीर पर जाने कितने लव बाइट्स देना शुरू करे और रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैं उन लव् बाइट्स से तड़प भी रहा था और मजा भी ले रहा था। 
जब आंटी मुझे ये निशान दे रही थी तो खुद को, अपनी चूत को भी मेरे शरीर के जिस हिस्से पर हो सकता था वहाँ टिका कर रगड़ते भी जा रही थी। उन्होंने कुछ और निशान बनाए होंगे कि वो झड़ने लगी, झड़ने के बाद वो कुछ देर रुकी और फिर से उन्होंने मुझे काटना शुरू कर दिया। 
पहले कंधा फिर दूसरा कंधा बाजू दूसरा बाजू सीना, पेट कांख कमर जांघे, पैरों की पिंडलियाँ तो अलग उन्होंने तलवों तक को नहीं छोड़ा। मेरे शरीर का कोई हिस्सा नहीं बचा था जहाँ उन्होंने काट कर निशान न बनाए हों। 
बाद में उन निशानों की गिनती में कुल संख्या 197 निकली थी। 
उस वक्त मेरी हालत ऐसी थी कि मजा तो बहुत मिल रहा था पर दर्द भी उतना ही होता जा रहा था। 
और इस सब में आंटी को जाने कितना मजा आ रहा था कि वो दो बार झड़ भी गई। 
जब वो मेरे पूरे शरीर पर निशान बना चुकी तो मुझे बोली- अब बता? तू भूल पायेगा इस दिन को? 
और मेरा जवाब था- नहीं भूल पाऊँगा। 
मैंने फिर आंटी से कहा- अब तो खोल दो ! 
तो आंटी बोली- अभी तो और बाकी है न ! वो भी हो जाने दे, फिर खोल दूँगी ! 
यह कह कर वो मेरे सामने आकर बैठ गई और उन्होंने मेरा लण्ड मुँह में लिया और चूसना शुरू कर दिया। उनके लण्ड चूसने का अंदाज भी निराला ही था पहले लण्ड को मुंह में लेती और फिर कुल्फी की तरह धीरे धीरे बाहर की तरफ चूस कर होंठ बाहर ले आती, और फिर हाथों से लण्ड को पकड़ कर सुपारे की चमड़ी फिर से पीछे खींच देती थी। उन्होंने थोड़ी देर ही ऐसे किया होगा, मुझे लगा मैं झड़ने वाला हूँ और जैसे ही उन्हें लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ आंटी ने चूसना बंद कर दिया। 
मैंने कहा- क्या हुआ? रुक क्यों गई? 
तो बोली- अभी तुझे झड़ने थोड़े ही देना है। 
और फिर आंटी ने लण्ड को छोड़ कर मेरे बालों को सहलाना शुरू कर दिया, उस वक्त मैं चाहता तो यह था कि आंटी को अभी पटक कर चोद दूँ और सारा वीर्य उनकी चूत में ही भर दूं। मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था, हाथ पैर दोनों बंधे हुए थे। 
जब आंटी को लगा कि मैं फिर से सहन करने की हालत में आ गया हूँ तो उन्होंने अपनी पैंटी उतारी और अपनी चूत मेरे मुंह पर रख दी और मुझे फिर से चूसने लगी। 
अब वो मुझे चूस रही थी और मैं उनको और जब भी उन्हें लगता कि मैं झड़ने की कगार पर हूँ, वो मुझे चूसना बंद कर देती और अपनी चूत को मेरे मुँह पर और जोर से रगड़ना शुरु कर देती थी। 
हम दोनों ने इसी तरह एक दूसरे को थोड़ी देर चूसा था कि आंटी अपनी चूत का नमकीन सा रस मेरे मुंह पर छोड़ते एक बार और झड़ गई। जब आंटी झड़ चुकी तो उठ कर मेरे बगल में तकिये पर लेट गई और चादर उठा कर खुद भी ओढ़ ली और मुझे भी ढक लिया। 
मुझे इस बात पर गुस्सा आ रहा था कि खुद तो जाने कितनी बार झड़ चुकी हैं और मुझे अभी भी बाँध कर पटक रखा है, मैंने कहा- आंटी उठो ! 
पर वो तो थक कर सो चुकी थी और मुझे नींद कहाँ आनी थी। पर मैं कुछ कर सकने की हालत में नहीं था तो मैंने आंटी को जगाने की कोशिश नहीं की और थोड़ी देर में मुझे भी नींद लग गई। 
जब मेरी नींद खुली तो आंटी जग चुकी थी और मेरे बगल में ही लेटी हुई मेरे सीने पर हाथ फेर रही थी। 
जब उन्होंने देखा कि मैं भी जाग गया हूँ तो उन्होंने मेरे होंठों को चूम लिया और मैंने भी उनके चुम्बन का जवाब चुम्बन से ही दिया। 
उनके चुम्बन और सीने पर उनकी नाजुक उँगलियों ने फिर से मेरे सोये हुए लण्ड को खड़ा कर दिया और बचा हुआ काम आंटी ने अपने हाथ को नीचे ले जाकर कर दिया। 
अब मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था तो आंटी ने तकिये के नीचे से कंडोम निकाल कर उसे मेरे लण्ड पर चढ़ाया और फिर मेरे होंठों को चूमने लगी और चूमते चूमते ही मेरे ऊपर आ गईं। 
मैं कुछ कहने की हालत में नहीं था पर मैं अभी भी यही मान कर चल रहा था कि यह खुद चरम सुख पायेगी और फिर से मुझे छोड़ कर चली जायेगी तो मैंने कुछ ज्यादा उम्मीद भी नहीं रखी, हालात से भी मैं समझौता कर चुका था। पर इस सबके बाद भी आंटी जैसे ही मुझे चूमती थी मेरा लण्ड सलामी देने लगता था। 
आंटी ने मुझे चूमते हुए ही एक हाथ से मेरा लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक झटके में अंदर डाल दिया और हम दोनों के ही होंठों से एक मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी। 
उसके बाद आंटी ने फिर से चुदाई शुरू कर दी वो मेरे ऊपर रह कर उनकी कभी उनकी चूत को रगड़ती और कभी अंदर-बाहर करती रही, बीच बीच में मुझे कभी होंठों पर तो कभी सीने पर चूम ले रही थी। 
उन्होंने थोड़ी देर इस तरह से चुदाई की होगी और वो झड़ने लगी। और झड़ कर फिर से पहले की ही तरह चूत में लण्ड को रखे रखे मेरे ऊपर लेट गई। 
मुझे लगा अभी यह फिर से चली जाएगी। लेकिन दो मिनट के बाद आंटी ने मेरे दाएँ हाथ की रस्सी खोल दी, और फिर से मेरे ऊपर ही लेट गई। 
मैंने जल्दी से मेरे दायें हाथ से बाएं हाथ की रस्सी खोली और आंटी को लिए लिए मैं उठ कर बैठ गया और फिर मैंने अपने पैरों की रस्सी भी खोल दी। 
अब मैं पूरी तरह से आजाद था, और आंटी की चूत में मेरा लण्ड घुसा हुआ ही था। 
उसके बाद मैंने आंटी की ब्रा खोल कर उनके दोनों कबूतरों को आजाद करने की तरफ पहला कदम बढ़ा दिया और आंटी को पीछे लेटाया और मैं उनके ऊपर आ गया। 
आंटी ने मुझे उनकी बाहों में जकड़ रखा था तो मैं उनकी ब्रा नहीं उतार सकता था लेकिन इस हालत में मेरा मन आंटी की ब्रा उतारने के बजाय उनको चोदने का था तो मैंने आंटी को चोदने शुरु कर दिया और आंटी ने मुझे थोड़ी देर में ढीला छोड़ दिया और फिर मैंने उनकी ब्रा को उनके बदन से अलग करने में जरा भी देर नहीं की। 
यह पहला मौका था जब मैं आंटी के स्तनों को बिना ब्रा के देख रहा था तो मैंने आंटी के स्तनों को चूमना शुरू कर दिया और नीचे से धक्के लगा ही रहा था। 
मैं काफी देर से रुका हुआ था अपने अंदर एक सैलाब लेकर, मुझे लगा कि मैं अब झड़ जाऊँगा तो मैंने आंटी के एक स्तन को मुंह में लिया दूसरे को हाथ में पकड़ा और रफ़्तार तेज कर दी, तेज तेज धक्के मारने लगा। 
आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, कभी मेरे बाल सहलाती और कभी मेरी पीठ। 
मैंने ऐसे ही कुछ 30-40 धक्के मारे होंगे कि मैं झड़ने लगा ! और जब मैं झड़ा तो मेरे मुंह से एक चीख ही निकल गई और एक बड़े झटके के बाद मैं 10-12 छोटे छोटे झटके मारता रहा और उसके बाद थक कर आंटी के ऊपर ही लेट गया।
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 12-26-2018, 11:03 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 12,515 06-26-2024, 01:31 PM
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 8,952 06-26-2024, 01:04 PM
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 19,213 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 9,175 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 6,329 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,765,885 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 578,630 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,348,019 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,032,247 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,811,752 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 2 Guest(s)