Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
12-26-2018, 11:10 PM,
#87
RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
मैं और मेरी कामुक मम्मी (भाग-1)




मेरा नाम रवि है और मैं आप लोगों को अपनी सच्ची कहानी बता रही हूँ जो की कुछ साल पहले मेरे साथ हुई.

मैं अपनी माँ के साथ एक गाओं मे रहता हूँ. मैने शहर के एक स्कूल से 12 पास की और गाओं मे आ गया अपनी माँ के साथ रहने और खेती बरी संभालने. मेरी माँ चाहती थी की मैं शहर मे ही रहूं पर मेरे पापा ने ज़ोर देकर कहा की अब मुझे ही खेती बरी संभालने हैं सो मैं गाओं मे आ गया. मेरे पापा शहर मे रहते हैं और महीने मे एकबार ही घर पर आते हैं. हमारे घर पर दो कमरे थे,


एक मेरा और दूसरा मेरी माँ का.मेरी आगे 19 है और माँ की 40 है. मेरी माँ एक बहुत ही कामुक औरत है. माँ वैसे तो घर मे सारी, ब्लाउस और लहंगा पहनती है पर रात को सोते समय अपना लहंगा खोल कर सिर्फ़ ब्लाउस और सारी पहन लेती है. मेरी माँ के माममे 38D साइज़ के हैं और उसकी गाँड बहुत टाइट दिखती है. रात को सोते समय अक्सर मैं उनके मम्मो को देख सकता हूँ उनके ब्लाउस से झँकते हुए जब वो सो रही होती है तब. एक दिन मैने उनके जाँघ देख लिए. वो सो रही थी और उनकी सारी जाँघ पर आ गयी थी तो मैने उसके सफेद सफेद जाँघ देख लिए. मेरा लंड एकद्म खड़ा हो गया और मैं जल्दी से बातरूम मे जाकर मूठ मारकर आ गया. मैने सोचा पता नहीं माँ नंगी कैसे दिखती होगी. मेरे जाने के कुछ दीनो बाद से ही मैने देखा की माँ थोड़ी बेचैन है. मैने पूछा तो माँ बोली की कोई परेशानी नहीं है.

कुछ दीनो के बाद मेरे चाचा आए. उनकी उमर 60 थी. मैने देखा की माँ बहुत खुश लग रही है. चाचा को रात को रहना था हमारे घर पर और अगले दिन सुबह को अपने गाओं लौटना था. चाचा को दूसरा कमरा देकर माँ बोली की मैं रात को उनके साथ ही बिस्तर पर सो जाओं. रात को मैं और माँ बिस्तर पर सो गये.

अचानक कुछ आवाज़ से मेरी नींद टूटी तो देखा की माँ कमरे का दरवाज़ा बंद करके कहीं जा रही है. मैने सोचा रात को माँ कहाँ जा रही होगी. मैं उठा और दूसरे दरवाज़े से बाहर आकर देखा की माँ चाचा के कमरे मे जा रही है. मैं जल्दी से खिड़की के पास गया और उसमे से चुपके चुपके देखने लगा.

माँ के घुसते ही साथ चाचा बोले, ‘कितनी देर लगा दी तुमने शीला, कब्से मेरा लंड फंफंना रहा है. माँ बोली, “ रवि के सोने का इंतेज़ार कर रही थी मैं तो. चूत तो मेरी भी कब से पानी छोड़ रही है आप के घोड़े जैसा लंड के बारे मैं सोच के, मैं भी बहुत बेचैन हूँ आपके मोटे डंडे को सहलाने के लिए. देखिए ना मेरी चूत कैसे तड़प रही है आपके लंड को पाने के लिए.”

यह बोलकर माँ ने जल्दी से अपनी साडी कमर तक उठाई और चाचा को अपनी चूत दिखाने लगी. मैने भी माँ की चूत को देखा, चूत पर बाल का तो कोई निशान भी नही था, चाचा ने झट से अपनी हथेली उसकी चूत पे रख दी और उसे घिसने लगे. माँ अपने हाथ को चाचा के लूँगी के पास ले गये और उसे खोल दिया. जैसे हे माँ ने चाचा का लंड देखा "है हाए दायया ! 4 साल पहले भी तो आप से ही चुदवाती थी पर उस वक़्त तो इतना बड़ा नही था "

चाचा बोले सर्जरी करवाइ है मेरी कुट्टिया, चल अपने कपड़े उतार और जल्दी नंगी हो जा. 4 साल हो गये तुझे चोदे हुए.”अब मैं समझा क्यूँ माँ चाहती थी की मैं शहर मे ही रहूं.

जिससे की वो चाचा से चुदवाती रहे. अब जल्दी से अपने कपड़े उतरने लगी और अपनी चोली और सारी को उतार फेंका. तब तक चाचा भी नंगे हो गये. अब मैने माँ को पूरी तरह नंगा देखा. उसके मुममे बहुत बड़े बड़े थे और उसके निपल तो एकदम खड़े थे. चाचा का लंड करीब 9+ होगा अब चाचा लेट गये और माँ झट से चाचा के उप्पर 69 के पोज़िशन मे हो गये.

चाचा ने माँ की चूत को चाटना चालू किया और माँ ने चाचा के लंड को चूसने लगी. माँ अपने मूह मे चाचा के लंड को ले लिया और उसको पूरी तरह से अपने मूह मे घुसने लगी. उधर चाचा माँ की चूत को चाटने के साथ साथ उसकी चूत अंदर अपनी दो उंगली डाल दी और आगे पीछे करने लगे.

माँ धीरे धीरे ऊउउइईई माआअ ….. आआहह……. ऊऊओह…. करते हुए सिसकियाँ लेने लगी.

माँ …"आप की उंगली भी किसी लंड जैसे है भैया,

चाचा....” उंगली लेते वक़्त भैया ना कहा कर रानी.

माँ अब चाचा के लंड को बहुत ज़ोर ज़ोर से चूस रहे थी और उनके अंदो (बॉल्स) को दबाने लगी. चाचा बोले,” आबे साली मेरा माल मूह मे ही ले लेगी तो तेरे चूत मे लंड कौन लेगा. चल सीधी होकर मेरे लंड पर बैठ जा और सवारी शुरू कर दे.”

माँ कुछ देर तक वैसे ही चाचा के लंड को चूस्टी रहे फिर उठकर सीधी हो गयी और चाचा के पैरो के बीच बैठ कर उसके लंड को हाथ से मसालने लगी.

फिर माँ झुकी और चाचा के लंड को चाटने लगी और फिर पूरा लंड मूह मे घुसा लिया. ऐसा करते समय माँ की गाँड उप्पर हो गयी और मुझे उसकी गाँड और चूत दोनो की एक साथ दर्शन हो गयी.

तब मैने देखा की माँ जैसे जैसे चाचा का लंड और थैला चूस्टी चाचा भी अपने पैर के अंगूठे से माँ की चूत पर घिसते जाते. अचानक मैने देखा की चाचा का अंगूठा पूरा माँ की चूत मे चला गया है और माँ अचानक ही एक ज़ोर की सिसकी लेकर चाचा के उप्पर लेट गयी. मैं समझ गया की माँ ने अपना पानी छोड़ दिया चाचा पर.

चाचा ने अब माँ की चुचि से खेलना शुरू किया और उसे मूह मे ले लिए. दूसरे चुचि को वो हाथ से दबाने लगे और उसकी घुंडी को मसालने लगे. माँ एकद्म से फिर गरम हो गयी और चाचा के लंड से खेलना शुरू कर दिया. अब माँ चाचा के लंड को हाथ से पकड़ कर अपने चूत को पास लाई और धीरे से उस पेर बैठ गयी और उनके लंड को अपने चूत मे दल लिया.

मैं तो काफ़ी पहल ही गरम हो गया था और अपने लंड को हाथ से घिस रहा था. जैसे ही माँ के चूत मे चाचा का लंड पूरी तरह गया मैने अपना माल छोड़ दिया ककच्चे के अंदर ही. अब माँ बड़े ही मज़े से चाचा के लंड की सवारी कर रही थी और चाचा भी मज़े से माँ के मम्मो से खेल रहे थे. इसी बीच माँ ऊउउइईई … माआ……. अहह…….. ऊऊउउइईई……. करते हुए एक और बार पानी छोड़ दिया. चाचा ने तब उसे अपने लंड से उतरा और बिस्तर पर उसे लिटा कर उसे चूत मे अपनी लंड दल दी और धक्के मरने शुरू किए. उनका पूरा लंड माँ की चूत मे घुस गया था और उसका थैला माँ की चूत के नीचे जाकर धक्के मार रहा था. माँ के मूह से …. उउक्क …. उऊउक्कककक …. उउउम्म्म्मम … ऊओउउइईई ….. ऊओफफफफ्फ़….. की आवाज़े निकल रही थी और उसने अपनी आखें बंद कर ली थी. अचानक चाचा बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के मरने लगे और थोड़ी देर मे उसने अपना पूरा गरम माल माँ के चूत मे छोड़ दिया. मुझसे सहा नही गया और मैने एकबार फिर अपने ककच्चे मे अपना माल छोड़ दिया.

इसके बाद मैं जा कर सो गया. शायद माँ और चाचा ने एक और राउंड चुदाई की और फिर सो गये. सुबहह को चाचा अपने गाओं चले गये. उसके बाद एक दिन रात को माँ मुझसे बोली,” रवि, आज तू मेरे साथ ही सो जाना”. मैं बहुत खुश हुआ की शायद आज मुझे माँ को नंगा देखने मिलेगा. मैं रात को माँ के बिस्तर पर लेट गया.

थोड़ी देर मे माँ आई और मेरी तरफ अपनी पीठ करके अपनी चोली उतार दी.उस ने सोचा शायद मैं सो गया.अब तक माँ के एक चुचि पर से सारी हाथ गये थी और मेरे आँखों के सामने उसकी एक चुचि थी. यह देख मेरा लंड टाइट हो गया. मैं माँ की तरफ मूह कर क सो गया वो करवट बदलती- बदलती मेरा लंड को टच हो गया /

लगता है की माँ गरमा गयी थी, रंडी साली. फिर एक नाख़ून से मेरे लंड की टोपी को धीरे धीरे से गिसने लगी . मैं भी आगे-पीछे होने लगा. मेरा टाइट लंड अब उनके सामने था. माँ बोली,” उई माँ ! यह क्या है तेरे जाँघो के बीच मे इतना बड़ा सा. बेटा तेरा लंड तो बिल्कुल टाइट है. और तेरी झाण्टे भी बहुत घनी है. तेरा लंड तो बहुत बड़ा है रवि. यह कैसे हो गया?’

मैं बोला, ”मैं भी जवान हो गया हूँ. पर यह अभी पूरा बड़ा कहाँ हुआ है, अभी तो तोड़ा बाकी है. हाथ से सहलाने से पूरा बड़ा हो जाएगा.” माँ बोली, “अर्रे बेटा मुझे मालूम ना था की तू इतना बड़ा हथियार घर मैं हे ले क घूम रहा है, नही तो दिन मैं 4-4 बार चोदवाती तुझसे. पर तेरा ये लंड तो सचमुच ही बहुत बड़ा है. क्या मैं इसे थोडा सहलाके देखूं और कितना बड़ा हो सकता है?”

यह बोल कर माँ ने झट से मेरा लंड अपने हाथ मे ले लिए ओर उसे घिसने लगी जिससे की मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो गया. अब माँ बोली, “र वि, क्या तेरा लंड क्या हमेशा इतना बड़ा रहता है?”

मैं बोला, “ नही माँ तेरी गाँड देख कर ऐसा हो गया है.”

माँ, “अर्रे शैतान तेरा लंड अपनी माँ के गाँड देख कर बड़े हो गयी है. मैं तुझे मज़ा चखाती हूँ.” यह बोल माँ ने मेरा लंड अपने मूह के पास ले गयी और लंड के टोपी को चूसने लगी. मैं तड़प उठा. माँ हंसकर बोली, “तुझे आज मैं पूरा मज़ा चखाती हूँ.”

फिर माँ ने मेरे सूपाडे को अपने मूह मे ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगी साथ ही मेरे अंदो (बॉल्स) को हाथों से मसालने लगी. अब माँ ने मेरा पूरा लंड अपने मूह मे ले लिया और ज़ोर ज़ोर से अपना मूह अप्पर नीचे करने लगे. मैं अपना लंड माँ के मूह से बाहर आते और अंदर जाते हुए देखने लगा.

फिर माँ ने मेरे लंड को निकल कर मेरे अंदो से खेलने लगी और उन्हे चाटने लगी फिर अचानक से पुर थैले को मूह मे लेकर चूसने लगी. मैं सुख से कराह उठा. थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा और फिर माँ मेरे पास लेट गयी और मैने उसके वक्षो को मूह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया. साथ ही मैने अपना दूसरा हाथ माँ के साड़ी के अंडर डाल दिया और उसके चूत को सहलाने लगा. माँ के चूत से पानी निकल रहा था.

माँ बोली, “अरे रावी बेटे मेरे लाल ज़रा मेरे नीचे वाले होंठ को चूस कर मुझे मज़ा दे मेरी जवानी का. चल अपनी माँ की साड़ी उतार कर नंगा कर दे. »

मुझसे रहा नही गया और मैने झट से उसकी साड़ी उतार दी एर उसे नंगा कर दिया. माँ ने अपने पैर फैला दिए थे और मेरा सिर उसके चूत की तरफ खिचने लगी. मैं जल्दी से उसके चूत को चाटने लगा. उसकी चूत बहुत फूली हुई थी और उसके चूत के होंठ एकदम खुले हुए थे

एग्ज़ाइट्मेंट मे. उसमे से उसका रस भी चूत रहा था. मैने अपने मूह उसके चूत पर लगा दिया और उसके होतों को फैला कर उसके चूत के अंडर भी अपनी जीभ घुसा दी और उसे अपनी जीभ से चोदने लगा. माँ को बहुत मज़ा आ रहा था.

उस पर बॉल नही थे मैने पूछा मा"तुम्हरे बॉल क्यो नही है बेटा, तुम्हारी माँ की ये सड़क भी तो चलती रहती है. थोड़ी देर बाद माँ बोली, “अब तू लेट जा और मैं तेरी सवारी करती हूँ.”

मैं जल्दी से लेट गया और माँ मेरे दोनो तरफ अपने पैर फैला कर मेरे लंड के अप्पर धीरे धीरे बैठने लगी. जल्दी ही मेरा ताना हुआ लंबा लंड माँ के चूत मे था. उसके गरम चूत मुझे बहुत गर्म कर चुकी थी. इसके बाद माँ धीरे धीरे मेरी सवारी करने लगी और आगे पीछे होने लगी.

10 मिनिट तक माँ मुझे चोदती रही और फिर झड़ गयी. अब मैने माँ को लिटाया और जल्दी से उसके चूत मे अपना लंड डाल दिया और उसे घपा घाप घपा घाप चोदने लगा. माँ अपनी गाँड उछाल उछाल के मेरा साथ देने लगी. माँ ने अपने पैर पूरे फैल्ला दिए जिससे की मैं पूरी तरह उसके चूत मे लंड पेल सकूँ.

मेरा आँड का थैला उसकी चूत से टकराने लगा और माँ मज़े से चोदवाती रही. करीब बीस मिनिट टुक लंड पेलने के बाद मुझे लगा मैं झड़ने वाला हूँ और माँ भी समझ गयी तो उसने मुझे अपने अंदर ही झड़ने के लिए बोल दिया और मैं वैसे लंड पेलते हुए उसके अंडर झाड़ गया.

फिर मैं माँ से पूछने लगा की इस किस से चूत ढीली करवाई है तो माँ बोली"1 तो तेरे नाना जब मैं 14 की थी वो ढ़ाचा दच्चा चोद्ते था.मेरे चारो बाई.और जो मैं मार्केट जाती तो 1 या 2 से ढिल्ले करवा आती वो मुज़े याद नही,पर बेटा आज तक 1 भी दिन नही गया जब मेरी चूत मैं कुछ ना गया हो..लंड नही तो मुल्ली,

फिर मैने माँ से पूछा काबी गांद मरवी है ,

मा" नही वो मर्वानी भी नाही.
मैने कहा मैं मारना चाहता हो,
वो बोली मुज़े मेरे पिया की कसम कभी नही करना वैसे मैने,
मैं बोला. मैं तो बस ऐसे हे पूच रहा था मा.

2 दिन बाद मैं ओर माँ सेक्सी मोविए धेक रहे थे उस मैं लड़का लड़की को उल्टिकार उस के हाट बेड की 1 साइड बाँध दियाया फिर उस की चुदाई की तभी मेरे दिमाग़ मैं आइडिया आया माँ की गंद की धगिया उड़ा डुगा.

मैने माँ को वैसे हे सेक्स करने को कहा वो तो तैय्यर बैठे थी, मैने माँ क हाथ बेड क आगे ओर पैर पीछे बंद कर यूयेसे फ्लाइयिंग सूपरमन की पोज़िशन मैं किया ता क गाँड मार साकु, मैं माँ की चूत मैं उंगली डाली गील्ली थी मैं वाहा से ही चूत का पानी उस की गंद मैं लगाने लगा ओर मिद्देल फिंगर 'घुप'से दल दे.

माँ को चल समाज आ गई बोली ,कुत्ते ज्ञड़ का ख़याल डेमाग से निकल दे,मैने लंड पर टेल की मालिश करने लगा माँ की आइज़ मैं डर के आँसू आ गये 8 इंच का लंड गाँड
की मोरी सदा के लिए खोल देगा, मैने कहा लंड क लिया रेडी हो जा

माँ,नही बेटा ऐसा ना करते , मैं लंड को छेड़ पर रख कर 1 तूफ़ानी जटका मारा ओर बाल्स तक मेरा लंड माँ की गाँड मे धँस दिया , माँ चिड़िया की तरह छटपटा उठी उसक मूह से खुल के एक चीख निकल गयी 'आआआ एयाया आऐययई ईईईईईई ईईईईई ईईईईईई ईईईईईई ईईईई,, मैं सारा लंड माँ की गाँड मे डालकर 16 मिंट तक वैसे ही लेता रहा ओर माँ क चुप होने का इंतज़ार करता रहा,15 मिंट बाद वो सिर्फ़ पायट मैं हे रो रही थी फिर मैने धीरे- धीरे लंड अंदर बाहर करने लगा,वो फिर रोने लगी मैने 1 घंटे तक माँ की गाँड मरि अब मैं थोड़ी देर रुक जाता ओर अपनी उंगली काट लेता जब मैने गाँड से लंड बाहर निकाला मुज़े माँ पर तरस आ गया माँ की गाँड का छेद दो रुपये सिक्के जितना बड़ा हो गया था,, ओर बेड पर भी खून गिर रहा था, उस रात माँ की 6 बार गाँड मारी,3 दिन तक माँ को चलने में प्रेशानि होती रही 2 दिन तक च्छेद पर उंगली रकति ओर कहती हराम के देख कितनी खोल के रख दी. मैने कहा सॉरी मां,फिर धीरे 2 माँ गान्डू भी बन गई,
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