RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
मेरे मन का बोझ उतर गया. मेरा रास्ता सॉफ था. मैंने चाची से पूछा कि आख़िर क्यों राजीव चाचा को उन जैसी सुंदर स्त्री से भी लगाव नहीं हैं. वी हँस कर टाल गयीं. मुझे चूमते हुए बोलीं कि बाद में समय आने पर बताएँगी.
और देर ना करके मैंने कस कर चाची को बाँहों में भर लिया. उनकी वासना अब तक चौगुनी हो गयी थी. झट से अपने ब्लाउज के सामने वाले बटन उन्होंने खोल दिए और उनके मोटे मोटे स्तन उछल कर बाहर आ गये. स्तनों की घुंडियाँ एकदमा तन कर अंगूर जैसी खडी थीं. उन्होंने झुक कर एक स्तन मेरे मुँह में दे दिया और मुझ पर चढ. कर मेरे उपर लेट गयीं. मुझे बाँहों में भींच कर अपनी टाँगों में मेरी कमर जकड.कर वे उपर से धक्के लगाने लगीं मानों काम क्रीडा कर रही हों.
उनका तना मूँगफली जैसा निपल मुँह में पाकर मुझे ऐसी खुशी हुई जैसी एक बच्चे को माँ का निपल चूसते हुए होती है. मैंने भी अपनी बाँहें उनके इर्द गिर्द भींच लीं और निपल चूसता हुआ उनकी चिकनी पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगा. फिर उनके नितंब साड़ी के उपर से ही दबाने लगा. वे ऐसी बिचकीं कि जैसे बिच्छू ने डंक मारा हो. मेरे चेहरे को उन्होंने छाती पर और कसकर भींच लिया और आधा स्तन मेरे मुँह में ठूंस दिया.
उसे चूसता हुआ मैं अब सोचने लगा कि चाची चोदने को मिले तो क्या आनंद आए. दस ही मिनिट में मेरा जवान लंड फिर ऐसा खड़ा हो गया था जैसे कभी बैठा ही ना हो. किसी तरह निपल मुँह में से निकाल कर चाची से बोला. "गीता चाची, कपड़े निकाल दीजिए ना, आपका यह बदन देखने को मैं मरा जा रहा हूँ." वे बोलीं. "नहीं लल्ला, कुछ भी हो, हम छत पर हैं, पूरा नंगा होने में कम से कम आज की रात सावधानी करना ठीक है. कल से देखेंगे और दोपहर को तो घर में हम अकेले हैं ही"
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