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RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
वो मायूस हो गया. मैने उसे मुस्कुराते हुए पूछा कि “तुमने पीनू और मेरे बीच और क्या क्या देखा था होते हुए ? क्या तुमने ये भी देखा था कि मैने उसका वो भी हिलाया था और चूसा भी था” मेरे मूह से ये सुन कर वो हैरान हो गया. उसकी हालत देखने वाली थी. क्यूकी मैं अब पूरी तरह से खुल कर बोल रही थी.
मैने फिर अपने होंटो को धीरे से अपने दातों से दबा लिया. यह देख वो पागल हो उठा और ज़ोर से अपने लिंग को हाथ से हिलाने लगा जैसे की हस्तमैथुन कर रहा हो. वो बोला कि अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो क्या मैं मूठ मार सकता हूँ.
“बिल्कुल करो पीनू तो अक्सर मेरे सामने करता था ये. मुझे अच्छा लगता है ये देखना. चलो स्टार्ट करो.” मैने उसे उकसाने के लिए कहा.
वो ज़ोर ज़ोर से अपने लिंग को अपनी हाथों की उंगलियों में लेकर हस्तमैथुन करने लगा. जब 5 मिनिट हो गयी और उसने आँखे बंद कर ली तो मैं समझ गयी अब ये झदाने वाला है. यही तो मैं चाहती थी.
वो भी अब मुझसे कुछ कुछ बोलने लगा, मेरी शरीर के बारे में. मुझे भी मज़ा तो आ ही रहा था.
“आहह कब आएगा वो दिन जब मैं तुम्हारी मखमली गांद मारूँगा.”
“जल्दी आएगा सब्र करो तुम. और धीरे बोलो.”
“तुम्हारी चुचियाँ बिल्कुल बड़े बड़े संतरों जैसी हैं. नही संतरे नही नारियल जैसी है” वो झटके लेता हुवा बोला.
“धत्त शरारती कही के.”
अचानक मेरा ध्यान बाहर की हलचल पर चला गया. तभी उसने एक हाथ से मेरे बायें उभार को दबोच लिया. “वाह क्या संतरें हैं.”
मैने गुस्से में उसका हाथ झटक दिया और बोली, “ मेरे संतरे हर किसी के लिए नही है. “
वो मायूस हो गया.
“पीनू ने तो मेरे सन्तरो पर आइस क्रीम लगा कर चॅटी थी. क्या तुम ऐसा कर सकते हो” मैने उसे और चढ़ाने के लिए अपने और पीनू की झूठी बातें बोलने लगी
मगर यह सब कहते कहते मैं खुद ही एग्ज़ाइट होने लगी…लेकिन मैं डरने भी लगी कि कहीं कोई आ ना जाए…आंड मोरोवर इसका झाड़ भी नही रहा था…व्हाट टू डू.
“चल दीखा तो दे ये संतरे एक बार. मेरा पानी छ्छूटने में आसानी होगी.”
“अभी नही फिर कभी दिखाउन्गि, तुम तो खुद देख रहे हो कि सब लोग छत पर ही है कोई अगर यहाँ पर आ गया तो.? मुझे बोहोत डर लग रहा है” मैने उसे समझाते हुए कहा ताकि वो मुझसे दूर रहे.
“अरे मेरी रानी कोई नही आएगा यहाँ कोई नही आता है. तू बस अब खोल दे जल्दी से” उसने वही से बैठे बैठे मेरी छाती को एक टक देखते हुए कहा. ” पीनू को तो तुमने बड़े प्यार से अपनी चूत भी दी थी और अपने संतरे भी चुस्वाए थे. मुझे भी थोड़ा दिखा दो तो मेरा भी काम हो जाएगा.”
मुकेश की बात सुन कर मैं एक दम हैरान हो गयी. यानी इस बुड्ढे हरामी ने उस दिन छत पर सब देख लिया था. “ क्या क्या देखा था तुमने ?” मैने उस से जिग्यासा वश पूछा ताकि पता चले कि पीनू और मेरे बीच उसने क्या देखा था.
“यही कि पीनू ने तुम्हारे संतरो को खूब जी भर कर चूसा था और तुमने भी खूब मज़े से अपने संतरो को चुस्वाया था. तुम दोनो की सब स्टोरी जो भी उस रात छत पर हुई थी मुझे सब पता है..हहहे” उसने वही गंदी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
“क्या देखा है तुमने मेरे और पीनू के बीचे मे मुझे भी तो पता चले. कि कितनी झूठी सच्ची और मंगडंत बाते तुम बना रहे हो ?” मैने उस से सब कुछ उगलवाने के लिए उसे और उकसाया. छत पर अब भी लोगो की भीड़ वैसे ही जमा थी. अंदर ही अंदर मेरा दिल बुरी तरह से इस बात को लेकर धड़क रहा था कि कही कोई आ ना जाए.
मुकेश ने कहा “देखो कोई देख लेगा, मुझे जल्दी से दिखा दो ताकि मैं अपना पानी निकाल सकु वरना अगर कोई अंदर आ गया तो तुम सोच लो.”
मुझे पता तो था कि वो ये सब क्यो कह रहा है पर फिर भी दरवाजे पर हो रही हलचल और आती हुई आवाज़ो ने मुझे बोहोत बैचैन कर दिया था समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू.
“देखो तुमने जब पीनू को दे दी तो मुझे देने मे इतने नखरे क्यू कर रही हो ?” उसने फिर से एक बार गिड़गिदते हुए कहा.
“तुम समझते क्यू नही हो मैने पीनू के साथ कुछ नही किया है तुमने जो भी देखा आइ डॉन’ट नो व्हाट एवर यू सीन वो सब ग़लत है और यहाँ पर मुझे ये सब बिल्कुल भी ठीक नही लग रहा है.” मैने फिर से उसे एक बार समझाने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.
मुकेश- “इस में ठीक लगने, ना लगने की क्या बात है ? ये तो एक खेल है, मज़े से खेलो और भूल जाओ, तुम बेकार में चिंता कर रही हो.” उसने मेरी तरफ ललचाई हुई नज़ारो से देखते हुए कहा.
“तुम आदमी हो, एक औरत की मजबूरी तुम नही समझ सकते.” मैने उसे फिर से समझाते हुए कहा.
“अगर मैं तुमको मजबूर कर रहा हूँ तो मैं ज़रूर ग़लत हू, पर अगर तेरा मन खुद मेरे साथ चुदाई करने का कर रहा है तो तू क्यू अपने मन को मार रही है. अपने मन को ज़बरदस्ती मारना बिल्कुल ग़लत है.” उसने मेरी आँखो को शायद पढ़ लिया था जिनमे इस समय वासना की लहरो ने बोहोत धीमे ही सही पर उठना शुरू कर दिया था.
“तुम समझ नही रहे हो. मैं एक शादी शुदा औरत हू और बाहर मेरे पति मनीष खड़े हुए है अगर उन्हे ज़रा भी पता चल गया तो तुम नही जानते कि क्या हो जाएगा. प्लीज़ तुम अपना जल्दी जल्दी हिला कर पानी निकाल लो.
“अगर तेरा पति तुझे सही तरीके से चोद पता तो तू पीनू से क्यू चुदवाती तूने तो पीनू से अपनी गांद भी मरवाई थी.” उसने मुझे फिर से टोन्ट कसते हुए कहा. उसकी बात सुन कर मैं शर्म से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी.
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RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-27
गतान्क से आगे.........
“अगर तुम्हे मेरी चुचिया देखनी है तो मुझे वो सब बाते बताओ जो तुमने मेरे और पीनू के बीच मे छत पर देखी थी.”
“तुम्हे वो सब सुनना है तो सुनो” कह कर उसने बड़ी चालाकी से अपने लौदे से अपना हाथ हटा लिया और मुझे पीनू ने जो मेरे साथ किया था वो बताने लग गया.
“पीनू ने जब तुम से कहा था कि एक बार दे दो ना. और तुम्हारे होंटो से अचानक निकल गया, क्या ? और तुम ना चाहते हुवे भी शर्मा गयी थी. जिस पर पीनू ने तुमसे बेशर्मी से हंसते हुवे कहा, वही दे दो जहा मनीष भैया तुम्हारी लेते है, सच जब से तुम्हारी ली है रात मे मेरा लंड मेरे को कोस्ता रहता है कि मनीष ने क्या किशमत पाई है.”
ये सुन कर एक पल को मेरे होश उड़ गये. मेरे मन का एक कोना भी तो ऐसा ही चाहता था पीनू का जब से लिंग देखा था मेरी आँखो के आगे तो बस वही सब घूम रहा था. पर ये बुढहा आधी बात अपने मन की और आधी सही बोल रहा था शायद इस समय इसके उपर शराब के नशे का असर हो रखा था. जो वो ये सब बोल रहा था पर इस नशे की हालत मे भी ये गनीमत थी कि वो ज़्यादा तेज जैसा की आम तौर पर और नशेड़ी करते है जो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लग जाते है वैसा कुछ नही कर रहा था.
पर फिर मैने खुद को संभाला और कहा “चुप करो, मैं ऐसा नही कर सकती, पीनू और उसके साथ तुमने जिसे भी देखा हो पर वो मैं नही थी और अब ये अपनी झूठी कहानी सुनाना बंद करो.” मैने मुकेश को घुस्से से डाँटते हुए कहा.
मुकेश ने कहा “सच बताना क्या दुबारा तुझे लंड लेने की इच्छा नही हो रही है मेरा लॉडा देख कर ? क्या तुझे इस समय वो पल याद नही आया जब पीनू ने तेरी गांद मारी थी ? मेरे लॉड को देख कर सच सच बता”
ये सब सुन कर मैं फिर से अपने होश खो बैठी, मेरी आँखो में फिर से वो पल घूम गया जब पीनू बहुत तेज-तेज मेरे नितंबो में धक्के लगा रहा था और मैं उसके हर धक्के का मज़ा सिसकारिया भर कर ले रही थी.
उसने फिर पूछा, बता ना शर्मा मत क्या सच मे तूने पीनू को अपनी गांद मारने दी थी. मैने तो छत पर देखा भी था कि छत पर उस तरफ साइड मे जहाँ पर उस दिन कंडे रखे हुए थे उसने तेरी गांद मे पूरा लॉडा घुसेड दिया था जिस से तेरी बुरी तरह से चीख निकल गयी थी. जब से पीनू और तेरी चुदाई देखी है तब से उपर वाले से यही दुआ माँग रहा हू कि मुझे भी पीनू की तरह एक बार तेरी गांद की सेवा करने का मौका मिल जाए. मैं भी तेरी गांद का एक बार मज़ा ले सकु देखु तो सही की तेरी मस्तानी गांद का कैसा मज़ा आता है.
वो ऐसी बाते कर रहा था कि कोई भी सुन कर बहक जाता, मैं भी थोड़ा सा बहक गयी, पर फिर मैने कहा, “नही मुझे कुछ याद नही आया, तुम अब चुप चाप अपना हिलाओ, और मेरा पीछा छोड़ दो और मुझे मेरे परिवार में खुश रहने दो. मैं एक शादी शुदा औरत हू और तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे या उस हरामी पीनू के साथ ऐसा कुछ कर भी सकती हू”
वो बोला, “तू तो खुश ही है मैं ही दीवानो की तरह यहा तेरी गांद के चक्कर मे भटक रहा हू, देख तेरे सन्तरो की एक झलक पाए बिना मेरे लंड ने भी पानी निकालना बंद कर दिया है.. ये भी तेरे सन्तरो की एक झलक का दीदार करना चाहता है..”
मैने उसकी हालत देख कर उसको और ज़्यादा चिढ़ाते हुए कहा “तो मैं क्या करूँ मैने तो तुम्हे अपने पीछे नही लगाया ना और ना मैने तुम्हे मेरे पीछे यहाँ पर आने को कहा था?”
वो बोला, “ठीक है ग़लती मेरी ही है, जो सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे पड़ा हूँ, मैं चला जाउन्गा पर एक बार अपने संतरे तो दिखा दो”
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RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-28
गतान्क से आगे.........
मुकेश ये सुन कर बुरी तरह से चोव्न्क गया. “क्या हुआ जानू अभी तो तुम इतने अच्छे से लंड चूस रही थी फिर यूँ अचानक जाने की बात क्यू कर रही हो ? मैने तुम्हे बताया ना कि मेरे लंड से पानी तभी निकलेगा जब वो तुम्हारी चूत देख लेगा जब तक चूत नही देख लेता ये पानी नही छ्चोड़ता है.” मुकेश ने अपने लंड पर हाथ फिराते हुए कहा.
“अब तुम्हरा पानी निकले या ना निकले मुझे इस से कोई लेना देना नही है. मैं जा रही हू यहाँ से बस.” कह कर मैं वहाँ से वापस मूड गयी. उसने बैठे बैठे मेरे नितंबो को थाम लिया और साड़ी के उपर से ही मेरी योनि पर मूह रगड़ने लगा.
मैं उसकी इस हरकत से हड़बड़ा कर पीछे हट गयी. और उस से बोली “छ्चोड़ो मुझे ये क्या कर रहे हो”
उसने कहा “अब कम से कम च्छू कर उपर से महसूस ही कर लेने दो दिखा तो तुम रही हो नही उपर से ही महसूस कर के मैं तुम्हारी चूत को महसूस कर लू”
मैने उसे कोई जवाब नही दिया उस वक़्त ना जाने मुझे क्या हो गया था कि मैं उसे रोक ही नही पा रही थी. ओर मैं वही किसी पत्थर की मूर्ति के जैसे जम गयी थी. और वो साड़ी के उपर से ही मेरी योनि को चाटने मे लगा रहा. मैं इस समय चाह कर भी खुद से उसको रोक नही पा रही थी जब की मुझे अच्छे से पता था कि अगर मैं बहक गयी तो मेरा खुद का थमना मुश्किल नही ना मुमकिन हो जाएगा. पर ना जाने क्यू मैं उसे नही रोक पा रही थी और वो बराबर मेरी साड़ी के उपर से ही मेरी योनि पर अपना मुँह लगा रहा था.
वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था, जैसा कल हुआ था, वैसा ही आज भी हो रहा था. फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि कल पीनू था और आज ये मुकेश. मैं चुपचाप वहाँ खड़ी रही और वो मेरी योनि को कपड़ो के उपर से ही चूमता रहा, मैने खुद को थामने की बहुत कॉसिश की पर मैं मदहोश होती चली गयी. उसके दोनो हाथ मेरे नितंबो को आटे की तरह घूथे जा रहे थे. जिस कारण मेरी मदहोशी और भी बढ़ती जा रही थी. मैं कयि दिनो से चाहती थी कि मनीष मेरे नितंबो को इसी तरह जैसे आज ये बुढहा मुकेश मसल मसल कर दबा रहा है ऐसे ही दबाए.. पर वो ना हो सका और आज हुआ भी तो इस मरियल बुढहे के हाथो से.
थोड़ी देर बाद यूँ ही साड़ी के उपर से योनि को चूमने के बाद वो बोला “जान मज़ा नही आ रहा अपनी साड़ी खोल दो ना.”
पीनू के साथ एक्सपीरियेन्स के कारण मैं खुद ऐसा ही चाहती थी, पर मैं खुद उसके लिए अपनी साडी नही खोल सकती थी. उसकी बात सुन कर भी मैने अनसुनी कर दी.
जिस पर उसने फिर से गिड-गिदाते हुए कहा “प्लीज़ जानेमन खोल दो ना, मज़ा नही आ रहा.”
मेरी साँसे तेज हो गयी, मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ क्या नही. बाहर से लोगो की आवाज़ आनी भी लगभग अब ना के बराबर रह गयी थी एक बार को तो मन मे आया कि अब बाहर निकल जाउ पर मेरे सरीर ने मेरा साथ छ्चोड़ दिया वो इस समय पूरी तरह से बहक गया था.
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