Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:01 PM,
#51
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
चाची ने मुझे इस कदर चूस चूस कर किस करना शुरू किया जैसे मुझे सांप ने होटों पर काट लिया हो और चाची को मेरी जान बचाने के लिए मेरे होटों से जहर चूस कर निकलना हो. चाची के इस कदर चूसने से मेरे दिमाग में ...........

कीड़ा कुलबुलाने लगा.......

मैंने किस करते करते ही चाची को थोडा घुमाया और जब उनका जलता बदन बिस्तर की किनारे पर आ गया तो उनको धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया. इसके पहले की वो कुछ बोल पाती मैंने उनके ऊपर लेट कर अपने होटों से उनके होटों को सील कर दिया. चाची इतने मज़े से किस कर रही थी की मल्लिका शेरावत भी शरमा जाती और अपना इमरान हाश्मी तो चाची के चुम्मे के लिया अपनी तीसरी टांग पे खड़ा हो जाता. चाची ने मम मम....आवाज़े निकलना शुरू कर दिया था. वो लगातार गरम पे गरम हो रही थी और मैं सोच रहा था की बस लोहा थोडा और गरम हो जाये फिर बस .............. 

चाची ने मेरे मुंह में अपनी जुबां डाली और मेरी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाने लगी. हाय......क्या मज़ा आ रहा था. 

मैंने अपने होटों को चाची के होटों से अलग किया और औरतों की सबसे कामुक जगहों में से एक उनकी गर्दन पर कान के निचे की ओर चूमने लगा......चाची के होटों से फिर से आह निकल पड़ी........मैं किस करते करते निचे की और जाता जा रहा था........चाची के मम्मो ने मुझे और निचे जाने से रोकने की कोशिश की मगर मेरा इरादा पक्का था. 
लंड खड़ा होने के बाद तो इंसान फरिश्तों की नहीं सुनता .......चाची के मम्मे क्या चीज़ थे......

मैंने अपनी जीभ से चाची की नाभि के चारो और गोला बनाया और धीरे धीरे जीभ से उनकी नाभि को सहलाने लगा. उत्तेजना से चाची का पूरा पेट कांपने लगा.........मैंने चाची की कमर पर चूमा और उनकी कमर पर अपने दांत धीरे से गदा दिए, चाची का पूरा बदन सिहर गया और उनके मुंह से फिर से हाय...निकल गयी.

मेरा निशाना तो चाची की चमेली थी.......भेन्चोद.......आज बच के कहा जाएगी.

मैं निचे और निचे सरकता हुआ चाची के पेरों के पास पहुँच गया. मैंने घुटनों के बल बैठ कर चाची की चिकनी जांघे पकड़ी और जहाँ पर चाची की जांघ पर "बलमा" लिखा था.....वहीँ पर एक ज़ोरदार चुम्मा दे डाला.......चाची के पूरी गांड और कमर बिस्तर से ऊपर उठ गए और उन्होंने वो मादक सिसकारी मारी की उसे सुनकर साधू सन्यासी भी फिर से मोह माया के भंवर में फंसने को आतुर हो जाते......

मैंने चाची की दोनों जांघे पकड़ी और जिस तरह लालची बनिया धीरे धीरे अपनी तिजोरी खोलता है वैसे ही मैंने चाची की जवानी की तिजोरी खोल दी.

हाय.......मर.....जावा.........क्या नज़ारा था...........

चाची की चिकनी चमेली इतनी देर से मेरे ध्यान नहीं देने के कारन मानो नाराज़ थी. बिलकुल गुस्से में लाल होकर मुंह फुलाए बैठी थी. और कुछ आंसू भी टपका दिया थे. चाची के कामरस की कुछ बूंदें उनकी चूत की पंखुड़ियों पर सुबह की ओस जैसी बैठी थी. चाची की चूत पर एक भी बाल नहीं था. इतनी चिकनी थी मानो करीना का गाल हो...........

मैंने एक सेकंड के लिए ये शानदार ठरकी नज़ारा देखा और असली कुत्ते की तरह अपनी जीभ से चाची की चिकनी चमेली पर आई कामरस की बूंदों को चाट लिया. चाची ने इतनी जोर से झटका खाया और सिसकारी मारी की एक सेकंड के लिए मुझे लगा की भोसड़ी की को कहीं जवानी में ही अटेक तो नहीं आ गया. मगर चाची के चूत से किया हुआ यह खिलवाड़ उनका सर घुमा चूका था. उन्होंने सर उठा कर मेरी आँखों में ऑंखें डाली और धीरे से सर हिलाने लगी.............

चाची बोली, " ल ल ल लल्ला........म म म मत कर रे.......गन्दा है.........."

भेन्चोद........कोंन चुतिया चाची की शानदार चिकनी चूत को गन्दा बोलेगा.......वो तो गुलकंद का पीस लग रही थी.

मैंने चाची की आँखों में ऑंखें डाले डाले ही फिर से उनकी चूत की पंखुड़ियों पर अपनी जीभ चलाई.......चाची ने आह भरी और अपने सर पीछे फेंक दिया और अपनी गांड ऊँची करके चिकनी चमेली मेरे भूखे होटों को समर्पित कर दी.

मैंने चाची के चूत के छेद पर अपनी जीभ टिकाई और अपनी जीभ को सिकोड़ कर बिलकुल नोकदार कर दिया, मैं अपनी जीभ को ऊपर चलाता गया और चाची की मुनिया धीरे धीरे गुलाब के फुल की तरह खिलती गयी. चाची की मुनिया का चिकनापन देखने लायक था इतनी चिकनी थी मानो किसी टीनेजर लड़की की हो.....उसमे से नमकीन खुशबु आ रही थी और इतनी देर से जो नंगेपन का नाच चल रहा था उसके कारण इतनी पनियाई हुयी थी की मुझे लग रहा था की मैं किसी शरबत के ग्लास में जीभ से कुत्ते की तरह चाट चाट के शरबत पी रहा हूँ.....

अनुभवी जानते होंगे की औरत की चूत से ज्यादा कामुक उनकी क्लिटोरिस होती है जिसको चना या दाना भी बोलते है.....
मैं अनजाने में ही अपनी जीभ से चाची के दाने को छेड़ बैठा और बेचारी चाची का बचा खुचा कंट्रोल भी ख़तम हो गया और वो ऐसे सिसियाने लगी जैसे उनकी चूत पर किसी ने मिर्च डाल दी हो.......मैं पहले उनकी चूत को धीरे से अपनी जीभ से खोदता और फिर जीभ ऊपर ले जाकर उनके दाने से अपनी जीभ का दंगल करवाता.......चाची ऐसे हाय हाय करके अपनी चूत मेरे मुंह पर दबा रही थी की मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी.....मैंने उनकी मुनिया की पंखुड़ियों को अपने होटों में दबाया और किस लेने के अंदाज में चूस मारा.....अब तो चाची की मुनिया ढेर हो गयी और जो चाची ने मेरा सर अपनी जन्घो में दबा कर सिसकारी मारी मुझे लगा कहीं जोश जोश में मैंने चाची की मुनिया पर काट तो नहीं लिया.....मगर चाची जोर जोर से साँसे ले कर जोर से फिर बोली, "उईईईई........माँ......आ आ ........"

और चाची का पूरा बदन अकड़ गया........भेन्चोद ने मुझे अपनी टांगों के बीच दबा रखा था, मैं तो ढंग से सांस भी नहीं ले पा रहा था, मेरी गांड भी फटी कि यह चाची को क्या हो गया.......बड़ी मुश्किल से मैंने अपना सर चाची की विशाल जाघों में से निकला और देखा की उनकी ऑंखें बंद थी और वो जोर जोर से सांस ले रही थी......

फिर उन्होंने अपनी ऑंखें धीरे से खोली, उनकी ऑंखें इस कदर नशीली थी मानो उन्होंने 5 -6 पैग लगा रखे हो. अब मैं समझा की चाची का सिग्नल तो डाउन हो गया था.....मगर मेरा नहीं........

बाबुराव गुस्से में अपने सर इधर उधर हिला रहा था........सुपदा बिलकुल फुल कर टमाटर की तरह लाल सुर्ख हो गया था.......चाची ने पहले मुझे देखा और फिर मेरे सांप जैसे लहराते लंड को और मुस्कुरा दी. मैं थोडा आगे होके उनके पास गया और उनका हाथ पकड़ कर अपने गुस्सैल बाबुराव पर रख दिया,

चाची ने फिर जड़ से पकड़ा और बच्चो से बात करने वाली अदा में बोली, "अले अले......देखो तो......कैसा नाराज़ हो गया है.........अभी खुश करती हूँ मेले पप्पु लाला को........." और जोर जोर से मेरी मुठ मारने लगी..................... 
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03-26-2019, 12:02 PM,
#52
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मस्ती से मेरी तो ऑंखें ही बंद हो गयी......चाची अपने हाथ से बाबुराव को बेदर्दी से हिलाए जा रही थी मगर बाबुराव भी WWF के पहेलवान जैसे इतनी मार खा के भी डटा हुआ था. चाची ने अपने दूसरा हाथ बड़ा कर मेरे गोटें सहलाने शुरू कर दिया......मैं समझ गया की यह कमीनी अब मेरा जल्दी से निकलने की फ़िराक में है. मेरे गोटों में सुरसुरी शुरू हो गयी मगर मैं आज जल्दी हल्का होने के मुड में नहीं था.........मैंने लम्बी लम्बी साँसे लेना शुरू कर दिया.......जो सुरसुरी मेरे गोटों में शुरू हुयी थी वो बंद हो गयी और चाची के हाथ का कसाव मेरे लंड पर और बढ़ गया.

उन्होंने अब मेरे गोटों को अपने नाखुनो से रगड़ना शुरू कर दिया.......भेन्चोद.....मुझे तो अँधेरे में भी हजारो वॉट की रोशनी दिखने लगी......मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गोटों में उबलते हुए लावे को रोका......... 

ये साली आज नहीं मानेगी...... 

मैंने ऑंखें खोली और मेरी नज़र सीधी चोकलेट पर पड़ी. मैंने पक्क से चाची के हाथ से अपने लौड़ा खिंचा और चोकलेट को अपने लंड पर लथेड कर चाची के हैरान चेहरे के सामने कर दिया.......

बाबुराव चोकलेट में लिपटाहुआ मासूम और खूंखार दोनों लग रहा था. मेरे चेहरे पर भी पापा रंजीत वाली मुस्कराहट आ गयी और मैंने चाची के सर को अपने लौड़े की तरफ करके कहा, "च च च चाची.......ऐ ऐ ऐसे नहीं निकलेगा.........
प्लीज़ .........इसे.......च च चूस लो ना........"

चाची एकटक मेरे चोकलेट में लिपटे लौड़े को देख रही थी. मगर उन्होंने चूसने में कोई इच्छा नहीं दिखाई, 

मैं चाची के चेहरे से १० इंच की दुरी पर बाबुराव को लाकर धीरे धीरे हिलाने लगा. मैंने फिर कहा, " च च चाची प्लीज़ चूस लो ना.....देखो कैसा तड़प रहा है .......आह ह ह ह ........."

चाची ने मुझे देखा फिर मेरे प्यारे बाबुराव को.......और मेरी आँखों में देखते हुए धीरे से मुंह खोल कर मेरा लाल लाल फुला हुआ सुपाडा अपने होटों के बीच दबा लिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी......

चाची के नरम नरम होटों के बीच मेरा सुपाडा फंसा था यह सोच सोच कर ही मेरे फ़रिश्ते भांगड़ा कर रहे थे मगर वो मुंह में मेरा सुपाडा दबाये जिस कातिल अदा से मेरी आँखों से ऑंखें मिलाये हुयी थी, मेरे रोम रोम से पसीना छुट रहा था. 

चाची ने मेरे सुपाड़े को धीरे से चुसना शुरू किया........मैंने आज तक ना जाने कितनी बार मुठ मारी थी मगर कभी वो मज़ा नहीं आया था जो चाची के सिर्फ मेरा सुपाड़े के चूसने में ही आ रहा था. साली हरामन ......एकटक मुझसे नज़रे मिलाये हुयी थी. मेरे सुपाड़े को ऐसे चूस रही थी मानो दशहरी आम हो. मुझे तो जन्नत का मज़ा आ रहा था.

चाची ने मेरे सुपाड़े को छोड़ा और अपनी जीभ की नोक से सुपाड़े के छेद को खोदने लगी.......भेन्चोद.....मेरी तो सांस ही रुक गयी......चाची की जीभ लपालप मेरे बाबुराव के छेद को छेड़े जा रही थी और वो बेशरम औरत मेरी आँखों में आये मस्ती के भाव देखे जा रही थी. चाची ने छेद को खोदने के बाद जीभ से सुपाड़े पर सपाटा मारा और छेद से लंड की चमड़ी के जोड़ पर अपनी शरारती जीभ ले आई.......ओह्ह.......स्वर्ग के सारे सितारे और नज़ारे दिख गए भैया.......वहां पर जीभ लाकर चाची ने चमड़ी और सुपाड़े के जोड़ पर जीभ से ठुनकी मरना शुरू कर दी.....मैंने चाची का सर पकड़ा और उसको अपने लंड पर दबाने लगा ताकि वो मेरे सुपाड़े पर रहम खा ले... क्योकि ये सब चलता रहा तो मैं क्या सल्लू बाबा भी अपने कमिटमेंट भूल जाते और पिचकारी छोड़ देते....... चाची ने सुपदे पर हरकत करना बंद नहीं की......बल्कि
उन्होंने सुपाड़े के छेद पर फिर से जीभ घुमाई और लंड की लार पर से जुबान इस तरह उठाई की एक तार सा बन गया.......हाय ये साली तो आज मेरा लंड फोड़ कर ही मानेगी..........लंड की लार और चाची की लार से पूरा सुपाडा तर हो चूका था और मोमबत्ती की रोशनी में चमक रहा था.

मैंने सिसियाते हुए कहा, "आह.......च च चाची.........प प पूरा ले लो.....अ अ अन्दर.......ऊह......आह........"

चाची ने मेरी बात अनसुनी कर दी और मेरे सुपाड़े का बलात्कार करना जारी रखा........मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने चाची के बाल पकडे और अपना लंड उनके खुले मुंह पर दबा दिया..........घप्प करके मेरा लंड चाची में मुंह में घुस गया...........

मेरी गांड भी फटी, की साली भेन्चोद नाराज़ हो गयी या नाटक चोदने लगी तो बॉस अपनी तो पक्की KLPD हो जाएगी......

चाची ने पहले तो कोई रिएक्शन नहीं दिया और अचानक उनके होंट मेरे लंड पर कस गए और उन्होंने मेरे लंड को जोर जोर से कुल्फी की तरह चुसना शुरू कर दिया.......अब सर पीछे फ़ेंक कर आँहें भरने की बारी मेरी थी. साली के बाल पकड़ कर थोडा सा कड़कपन दिखाया तो भेन्चोद और गरमा गयी...........और बिलकुल ठरकी पने से लंड को पूरा मुंह लेकर चूसते हुए बाहर लाती और फिर से गप्प से पूरा अन्दर डाल लेती ..... उनका एक हाथ मेरे लंड को जड़ से पकडे था मानो लंड कोई कबूतर है......की छोड़ा तो उड़ जायेगा और उनका दूसरा हाथ मेरे गोटों को सहला और मस्का रहा था. कभी कभी वो मेरे गोटों को नाखुनो से रगड़ देती और मेरी आह और सिसकियाँ निकल जाती.

मेरी सिसकियाँ मुझे ही अजनबी लग रही थी मेरे होंट सुख चुके थे और मेरी ऑंखें खुल नहीं पा रही थी........मेरे गोटों में सुरसुरी शुरू हो गयी थी. मैं समझ गया की गुरु अब नहीं रुके तो फिर घंटा नहीं रुक पाएंगे......मैंने फिर से चाची के बाल पकड़ के उनका सर पीछे खिंचा और मेरा lucky लोडा पक्क की आवाज़ के साथ चाची के भूखे मुंह से बाहर आ गया..........चाची ने साडी चोकलेट चूस चूस कर साफ़ कर दी थी और पूरा लंड चाची की लार से सराबोर था. लंड इस कदर लाल सुर्ख हो गया था की ऐसा लग रहा था की चाची के चुसना बंद कर देने से नाराज़ हो गया है. साला....बार बार ऐसे ठुनकी मार रहा था मानो अभी मारने दोड़ेगा. 

चाची ने मुझे आधी खुली नशीली आँखों से देखा और अपनी भंवे उठा कर इशारों में पूछने लगी की क्या हुआ........मैंने कुछ नहीं कहा और धीरे से झुक कर चाची के भीगे होटों पर किस कर दिया...........मर्डर मूवी में तो सिर्फ इमरान हाश्मी ने गाया था की " भीगे होंट तेरे........." मगर उस भीगे होंट का मतलब और स्वाद मुझे आज आया.

बेचारे इमरान को कहाँ मल्लिका के ऐसे भीगे होंट नसीब हुए होंगे.
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03-26-2019, 12:02 PM,
#53
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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मैं चाची के नरम मगर गरम होटों को पागलों की तरह चुसे जा रहा था और वो ठरकी औरत गरम पे गरम हुए ही जा रही थी. मेरे हाथ उनको मम्मो तक पहुँच गए और फिर से उनकी बेदर्दी से रगड़ने लगे, चाची किस करते करते ही मम्म मम्म आवाज़ निकल रही थी. वो बिस्तर पर बैठी थी और मैं बेड के किनारे पर नीचे खड़ा था, मैंने किस करते करते ही धीरे से चाची को बिस्तर की ओर दबाया और उनको बिना किस तोड़े बिस्तर पर लेटा दिया और उनके ऊपर आ गया. 

जिस का मुझे था इंतज़ार......जिसके लिए दिल था बेकरार........वो घडी आ गयी.......आ गयी....

मैंने इस के पहले चुदाई की ही नहीं थी.......मगर जैसे ही मैं चाची के ऊपर लेटा और मेरा लंड उनके पेट और टांगों से जोड़ से टकराया.....मैंने अपने घुटने बिना कुछ सोचे ही मोड़े और चाची की जांघों में फसा कर उनकी टांगे खोल दी और अपने घुटने के बल लेट गया......ऐसा करते ही मेरे बाबुराव का सामना चाची की चिकनी चमेली से हो गया. मैं थोडा सा आगे झुका और मेरे लंड ने उचल के चाची की चूत की पप्पी ले ली......चाची एक दम सिहर गयी और उनकी ऑंखें खुल गयी..........उन्होंने अपने मुंह मेरे मुंह से अलग किया और बोली, " आह......मत कर.......आह.......हरामी..........हट मेरे ऊपर से........क्या कर रहा था........उठ जा...........आह"

मुझे लगा की अगर चाची की बात मान ली तो KLPD और नहीं मानी और वो नाराज़ हो गयी तो गांड पे डंडा.......भेन्चोद करू क्या ???

मुझे कुछ नहीं सुझा तो मैंने चाची का हाथ पकड़ा और अपने सिसकी मारते बाबुराव पर रख दिया....बेचारा.....अब कुछ तो दें उसको.......और मैंने चाची के निप्पल को धीरे से अपनी जीभ से छेड़ा......चाची फिर बोली, "उठ.....हरामी.......सब आने वाले होंगे......कमीने.........हट....जा......आह.........ऊह......मत कर.......उठ.....आह......"

मुझे समझ आ गया की निप्पल चाची की कमजोरी है.......मैंने अपने मुंह खोला और चाची का मम्मा पूरा का पूरा अपने मुंह में ले लिया और इतनी जोर जोर से चुसना शुरू किया की चाची की आवाज़ पहले तो बंद ही हो गयी और फिर उन्होंने ने ऐसी आह भरी की विद्या बालन भी उनके आगे फ़ैल हो जाती.

चाची ने कचकचा कर मेरे लौड़े को फिर से मुठियाना शुरू कर दिया और मैंने चाची का मम्मा मुंह में लिए लिए ही उनके निप्पल को अपनी जीभ से छेड़ना शुरू कर दिया......अब तो चाची ब्लू फिल्मो की हिरोइन के जैसी जोर जोर से आहें भर रही थी......और चाची की आंहें सुन सुन कर मेरे पसीने निकल रहे थे.

मैं थोडा सा आगे आया......अब लंड चाची की चूत से मुश्किल से 4 -5 इंच दूर था..........मेरा इरादा था की चाची को पता लगे उसके पहले गप्प से अपना लंड पेल दू......
चाची ने मेरे लंड को हिलाते हिलाते ही आगे खीचा.......अब लंड बिलकुल चूत के मुंह पर दस्तक दे रहा था मगर छु नहीं पाया था.......

मैं कुछ करता इसके पहले चाची ने ही मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.........मुझे इतना आनंद आया की मेरे मुंह से निकल गया, "आह......च च चाची...........ऊह........" 

अचानक मेरी कमर ने झटका खाया.........ये अपने आप हुआ था.......ऐसा लग रहा था की मेरा शरीर अब मेरे दिमाग का कंट्रोल ले रहा हो........झटका खाने से लंड चाची की चूत में तो नहीं घुस पाया मगर उनकी चूत पर से रगड़ खाता हुआ उनके दाने को छेड़ता हुआ चाची के पेट पर आ गया.....चाची का पूरा बदन गनगना गया...और मेरी तो पहले ही गाड़ी रिज़र्व में चल रही थी.........हम दोनों के मुंह से एक साथ आह निकल गयी.......मेरी कमर ने फिर से झटका खाया और फिर से लंड चाची के चूत पर से फिसल कर निकल लिया.......चाची ने बेचारे अंधे लौड़े को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर रख दिया........ और कांपती आवाज़ में बोली,

" ल ल लल्ला .......बेटा.......क क क कुछ होगा तो नहीं ना...........कंडोम तो लगा ले.......आह......."

भेन्चोद......कंडोम लेन का क्या मेरे बाप को सपना आया था..........कंडोम गया माँ चुदाने.........यहाँ मेरा सब कुछ सुलग रहा था और इस को कंडोम की पड़ी थी......

मैंने दांत भींचे और जोर से झटका देकर अपना लंड चाची की चूत की अटल गहराईयों में उतार दिया. चाची की चूत को चोद चोद कर चाचा ने पहले ही 4 लेन का हायवे बना दिया था.......पक्क से पूरा लंड अन्दर उतर गया और मेरे और चाची के पेट आपस में फक्क की आवाज़ से टकराए......चाची ने जोर से आह भरी और अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट ली और मुझे तो इतने में ही जन्नत का दरवाजा दिख गया. 

चाची की चूत इतनी गरम थी की मुझे लग रहा था की मेरा लंड किसी सेंडविच में है.........चाची की चूत भी दिल की तरह मानो धड़क रही थी.........बिलकुल मखमली एहसास था........लंड अन्दर डाले मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा......चाची मेरे नीचे धीरे से हिली और फिर अपनी गांड हिलाने लगी......

फिर बोली, "सस स स...........कर ना.......हरामी.......आह..........."

मैंने अपनी कमर उठाई और धक्का मारा. फटाक से फिर से चाची के पेट से मेरा पेट टकराया.......आज तक इतनी ब्लू फिल्म देखी थी मगर मुझे ढंग से धक्के मारना भी नहीं आ रहा था. चाची फिर बोली, "अरे......आह.........कर ना......कमीने.......ऊह........."

मैंने अपने हाथो को चाची के दोनों और टिकाया और अपने वजन अपने हाथों और घुटनों पर लेकर फिर से लंड चाची की चूत से बाहर निकला और फिर से अन्दर उतार दिया. फिर से चाची और मेरा पेट टकराया और फक्क आवाज़ आई. भेन्चोद......वो आवाज़ से ही आनंद आ गया. चाची फिर निचे से अपनी कमर उचकाने लगी. फिर बोली, "हरामी.......ऐसे ही डाल के मेरे ऊपर पड़ा रहेगा क्या........कर ना..... " 

ब्लू फिल्मे देख देख कर इतनी मुठ मार चूका था की अपने आप को चुदाई का ब्लैक बेल्ट समझता था मगर यहाँ धक्के मारना ही नहीं आ रहा था......मैंने अपनी कमर धीरे धीरे हिलाना शुरू की.......क्या मज़ा आ रहा था......मगर चाची भी अपनी कमर हिला रही थी और उनके ऐसे कमर हिलाने से मेरा लंड फिर से चाची की चूत से बाहर आ गया.........

मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ के चाची की चूत में डालने की कोशिश की मगर मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं घप्प से चाची के ऊपर गिर गया. चाची ने मुझे जोर से धक्का दिया और दांत पीस कर बोली, 

"हट हरामी.......चोदना तो आता नहीं......बड़ा आया......परे हट......"

मैं चूतिये जैसे अपने लंड अपने हाथ में पकडे मुंह खोले चाची को देख रहा था.......चाची बिस्तर से उतरी....और पैर पटकते पटकते बाथरूम में चली गयी.......चाची पूरी नंगी थी और इस तरह चलने से उनकी गोल गोल गांड इस कदर हिल रही थी की मेरा दिमाग ख़राब हो गया.....

चाची मुझे इस हाल में छोड़ कर चली गयी थी. 

मैंने हिम्मत की और बाथरूम का डोर खटखटाया. चाची अन्दर चिड कर बोली, "क्या है......???"

मैंने अपने बाबुराव को सहलाते सहलाते कहा, "च च चाची......न न नाराज़ मत हो.....प्लीज़.....मैं ढंग से करूँगा.....प्लीज़......आ जाओ "

चाची अन्दर से बोली, "साले.....हरामी.....मुतने तो दे........"

मैंने ठंडी सांस ली.......चलो आ रही है.
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03-26-2019, 12:02 PM,
#54
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
चाची ने भड़क से दरवाजा खोला और मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया, अपने होंट मेरे होंटों पर जड़ दिए. मैं हक्का बक्का रह गया की यह क्या हुआ.......चाची और मैं दोनों नंगे खड़े थे और पागलों की तरज एक दुसरे तो चूमे चुसे जा रहे थे. चाची मुझे धीरे से धक्का लगते लगते बिस्तर के किनारे ले आई और मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया.

मैं चाची को देखने लगा की यह कर क्या रही है.......चाची ने अपने घुटने मोड़े और मेरे दोनों और अपने पैर करके मेरे ऊपर सवारी करने वाली पोसिशन में आ गयी और बोली, " लल्ला......तुझे तो अभी खेलना आया नहीं.......मैं तुझे बताती हूँ की तेरे जैसे अनाड़ी घोड़े के सवारी कैसे करते है.....तू बस मज़े ले....." 

यह बोल कर चाची ने मेरे ठुनकते हुए बाबुराव को पकड़ा और अपनी रस से सराबोर मुनिया के मुंह पर लगा दिया.....इसके पहले की मैं कुछ समझ पाता. चाची मेरे लंड पर बैठ गयी और बाबुराव तलवार की तरह चाची की लपलपाती चूत में उतर गया.

अगर पहले चाची की चूत गरम थी तो अब तो भट्टी बन गयी थी. मेरी तो सांस ही रुक गयी.....इसके पहले की मैं संभल पाता, चाची ने फिर से अपनी गांड उठाई और धप्प से फिर मेरे लंड पर बैठ गयी. 

अरे......क्या मज़ा आ रहा था.

चाची ने फिर से अपनी विशाल गांड उठाई और मेरे लंड को चोदने लगी.

कौन सोच सकता था की मेरी सती सावित्री चाची जो घर में अपने सर से पल्लू नहीं गिरने देती थी, हमेशा घूँघट डाले रहती थी वो मेरे नंगी मेरे लंड पर बैठी थी और ऐसे कूद कूद कर मुझे चोद रही थी की यह दुनिया का आखिरी दिन है.

चाची के ऐसे कूदने से उनके मम्मे इस कदर इधर उधर फिंका रहे थे की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कचकचा कर उनके एक मम्मे को अपने हाथों में दबा लिया, मेरा ऐसा करना हुआ और चाची की मस्ती और बढ़ गयी. वो दुगने जोश से मेरे लंड पर कूदने लगी. उनकी ऑंखें आधी खुली थी और वो इतनी जोर जोर से सांस ले रही थी मानो दमे की मरीज़ हो. फटाक फटाक की आवाज़े पुरे रूम में घुंज रही थी और चाची के बिखरे बाल इधर उधर हो रहे थे....ऐसा लग रहा था की उन पर कोई भुत चढ़ गया है........

जैसे मेरा लंड चाची के चूत में पूरा उतर जाता उनके कुल्हे मेरी जांघों में फटाक की आवाज़ से टकराते और उनके मम्मे और उनकी नाभि के आसपास का पेट का हिस्सा थरथरा जाता.....चाची बिना रुके अपनी गांड फिर से उठती और फटाक की आवाज़ के साथ फिर अपनी गांड मेरे लंड पर पटक देती. उनकी चूत इस कदा पनिया चुकी थी की वो जैसे ही अपनी गांड उठाती और मेरा लंड चूत में से थोडा बाहर निकलता तो पूरी तरह से चाची के काम रस में भीगा होता. ऐसी कड़क चुदाई होने से लंड पर मख्खन जैसे सफ़ेद सफ़ेद झाग दिखने लगे थे. सच ही तो था....आखिर चाची मेरा मख्खन ही तो निकाल रही थी. मेरे दोनों हाथ उनके मम्मो को मसल मसल कर लाल कर चुके थे........अब मैंने उनके मम्मो से हाथ हटा कर उनकी गांड को दबोच लिया था और लेटे लेटे ही उनके कुलहो को मसल रहा था........ 

चाची ने अब मेरे लंड पर कूदने बंद करके अपनी गांड हिलाना शुरू कर दिया....वो मेरे लंड को अपनी चूत में पूरा अन्दर तक डाले अपनी गांड मेरी जांघो पर घिस रही थी......और मेरे गोटों भी इस रगड़ का पूरा आनंद ले रहे थे.......

चाची अचानक ही जोर जोर से साँसे लेने लगी और उनकी आखें बंद हो गयी.....उन्होंने हिलना बंद करके अपनी चूत को एक दम सिकोडा और मानो उनकी चूत मेरे लंड को चूसने लगी.....चाची के एक हाथ अपने मम्मे पर गया और वो खुद ही जोर जोर से अपने मम्मो को रगड़कर दबाने लगी.....यह सीन देखकर तो दद्दू भी पहलवान हो जाते मैं तो पहले से ही ठरक की ट्रेन में चदा हुआ था.....मैंने अपना हाथ बढ़कर उनके दुसरे मम्मे को पकड़ा और अपने अंगुली और अंगूठे के बिच उनके निप्पल को लेकर चुटकी में मसल दिया.....चाची के मुंह से हाय निकली और वो मेरे ऊपर गिर सी गयी. 

अचानक मुझे मेरे लंड पर गिला गिला सा लगा और फिर मेरे गोटों से होता हुआ पानी मेरी जांघों को भी भिगो गया.
मैंने सिर्फ सुना था की कुछ औरतों का climax होने पर वो भी पानी छोडती है मगर मेरी तो पहली चुदाई में ही बरसात हो गयी.

चाची मेरे ऊपर लेटी हुयी लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी........फिर वो धीरे से उठी और मेरा lucky लोडा फच्च की आवाज के साथ चाची के चूत में से बाहर आ गया. चाची पेट के बल मेरे बगल में लेट गयी........

भेन्चोद.......यह क्या ? अबे मेरा क्या ? 

मैंने चाची से कहा, "च च च चाची.......मेरा निकला नहीं......आ आप निकाल दो........."

चाची धीरे से बोली, " हाय राम.....लल्ला......तू तो सांड ही है रे.........अब तो मुझमे शक्ति नहीं है रे..........तू हाथ से ही हिला ले......"

इसकी माँ की चूत.......घंटा हिलाले हाथ से..........साली भेन्चोद खुद तो मज़े से उछल उछल कर लंड ले लिया और अब बोल रही है की हिला ले.........

मैंने फिर कहा, " च चाची......व.व..वो.......आप.....कुछ ....करो.....ना ......"

चाची तो ऑंखें बंद किये पड़ी थी.......बोली, "लल्ला.......सब आनेवाले होंगे......तू या तो निकाल ले.....या फिर तेरे रूम में जा......."

मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से को काबू किया..........मैं उठ कर घुटने के बल बिस्तर पर खड़ा था.......और मेरा मायूस लंड अभी भी पूरा खड़ा था और उलटी लेटी चाची की गांड को देख देख कर ठुन्कियाँ मारे जा रहा था. 

मेरा तो मुड ही ख़राब हो गया. मैंने सोचा की चल भाई......रूम में चलते है.......अँधेरे में ही मुठ मार लेंगे....
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03-26-2019, 12:02 PM,
#55
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मोमबत्ती भी फडफडा कर मानो मेरी हाँ में हाँ मिला रही थी

चाची ने उलटे लेटे लेटे ही अपने सर घुमा कर मुझे देखा और कहा, 

" जा लल्ला.....सब आते होंगे......और सुन.....मेरा गाउन दिखा क्या ? देख तो ज़रा कहाँ रखा है......."

गाउन वहीँ चाची के सिरहाने पड़ा था....चाची के नज़र उस पर पड़ी और वो उठी........

मैं चाची के पीछे था.....चाची उठी और बिलकुल कुतिया की तरह पोसिशन में आ गयी......उन्होंने गाउन उठाने के लिया हाथ आगे बढाया जिससे उनकी गांड और उठ गयी और उनकी चूत का भीगा छेद मेरे सामने आ गया.......मैं चाची के पीछे घुटने के बल खड़ा था.....मेरा लंड बिलकुल चूत के सामने ही था.

मैंने कुछ नहीं सोचा और पापा रंजीत का नाम लेकर चाची की कमर पकड़ी और एक झटके में अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया. 

"हाय राम.........आआह.....आअ.....हा.......हाय........छोड़ ह ह हरामी........आ......ह......उई मा......", चाची की चीख से मेरा गुस्सा और बढ़ गया......मैंने कचकचा कर दांत पिसे और अपने लंड चाची की चूत में से खिंच कर दुगनी ताकत से वापस उनकी चूत में पेल दिया......मेरा पेट चाची के गद्देदार कुलहो से टकराया और फटाक की आवाज़ पुरे कमरे में गूंज गयी......मैंने अपनी कमर कुत्ते की तरह चलाना शुरू कर दी.....हर धक्के पर मेरा पेट चाची की गांड से टकराता और मेरा जोश और बढ़ जाता.....

चाची कराहती हुयी बोली, "हाय.....रा....राम.........हरामी......कमीने.........छोड मुझे......आह........ ध ध धीरे कर......" 
मगर मेरे सर पर तो खून सवार था......धीरे तो दूर मैं तो और जोर जोर से धक्के मारने लगा..........चाची ने थोडा आगे होके बचने की कोशिश की......तो मैंने हाथ बड़ा कर चाची के कन्धों पर रख लिए और उनको वहीँ पर जकड लिया और पहले से भी और जोर से उनकी चूत की ठुकाई करने लगा......

चाची के मुंह से हाय और आह दोनों एक साथ निकाल रही थी......उस भेन्चोद को मज़ा भी आ रहा था और शायद थोडा दुःख भी रहा था....मगर मैं तो अब लंड परवाह करने वाला नहीं था.....मेरा पूरा शरीर पसीने में भीग चूका था.....और मेरे टट्टे हर झटके के साथ चाची की खुल चुकी चूत के दाने से टकरा रहे थे.......

चाची ने फिर से आगे बढ़ कर बचने की कोशिश की.....मैंने उनके खुले बाल पकडे और जैसे घुड़सवार घोड़े के लगाम पकड़ते है मैंने उनके बाल पकड़ कर उनकी चूत को बेदर्दी से पेलना शुरू कर दिया.....

चाची की हाय अब कम हो गयी थी और वो भी जोर जोर से मज़े के सिसकियाँ लेने लगी.....अब तो चाची भी मेरे हर धक्के का जवाब पलटे में धक्का मार कर दे रही थी.....उनके मुंह पीछे मुडा और हमारी ऑंखें मिल गयी.....

मेरा पूरा चेहरा तना हुआ था.....दांत भींचे हुए थे और चाची का मुंह उत्तेजना से खुला हुआ था.......मेरी आखो में देखते देखते ही चाची से अपने सूखे होटों पर जुबान फेरी और मेरे धक्के और तेज़ हो गए.

अब मेरे हर धक्के पर उनकी गांड जेली की तरह थरथरा रही थी.......और उनके मम्मे तो लावारिस सामान की तरह इधर उधर फिंका रहे थे. 

चाची के मुंह से फिर आवाज़ निकली, 

"हाय......मार डाला.......हरामी.......आह......सांड ही है तू तो........हाई.........उई.........हाँ......हाँ.......ऐसे ही.............आह .......ठोक......आह...........कमीने.....धीरे.....आह."

मैं तो सब भूल चूका था.....मुझे सिर्फ चाची की हिलती गांड और उनकी नशीली ऑंखें ही दिख रही थी.....चाची फिर से चिल्लाई " आह......लल्ला.....आ.....आ......आ............मार.....हाँ........आअ.....मैं तो.....गयी......रे......."

मेरे तो खुद के गोटों में वो सनसनी और सुरसुरी मची हुयी थी की बस ये गया और वो गया.....

चाची ने हाय हाय करते हुए जोर से अपनी गांड को मेरे लंड पर झटका और मेरे लंड को अपनी चूत में सिकोड़ कर पकड़ लिया.......मेरे लंड का लावा उफनने ही वाला था......चाची ने हुनकर भरी और जोर से मेरे लंड पर एक और झटका मारा और चिल्लाई......"मैं तो गयी रे..........मेरे......बलमा........हाय......." 

और मैंने भी एक दो करारे झटके मारे और मेरे लंड से उबलता हुआ लावा सीधा चाची के लपलपाती चूत में धार पे धार मारते हुए उतरने लगा.........मेरा पूरा शरीर सनसना रहा था.....मेरी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया और मेरे गोटों ने पूरा अमृत चाची की चूत को अर्पित कर दिया.

चाची ऐसे पेट के बल लेट गयी उनका पूरा बदन थरथरा रहा था.....मेरा लंड अभी भी चाची के चूत में फंसा था और अभी तक बूंद बूंद अमृत चाची की भूखी चूत में टपका रहा था........मैंने चाची के कंधे को चूम लिया और जैसे ही चाची ने गर्दन घुमाई मैंने उनके होटों को अपने होटों में जकड लिया और फ्रेंच किस करने लगा.......

चाची के मुंह से अभी भी म्मम्म म्मम्म आवाज़ आ रही थी.....कहाँ तो मुझे चोदना भी नहीं आ रहा था और कहाँ मैंने इतनी से देर में चाची को दो बार झाड़ दिया था.

मेरी नज़र बिस्तर के पास टेबल पर पड़ी चोकलेट पर पड़ी........मैंने चोकलेट अपनी अंगुली में ली और चाची को चटा दी.....

चोकलेट तो बनती थी....

आखिर मेरा शुभारम्भ हो गया था............
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03-26-2019, 12:02 PM,
#56
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
24
सुबह आँख फ़ोन की घंटी से खुली.......भोसड़ी का ऐसे चीख रहा था मानो उस की चूहे जैसी गांड में हाथी जैसा लंड फंसा हो. 
मैंने बंद आँखों से ही फ़ोन टटोला और बिना नम्बर देखे उठा लिया. मैंने जैसे हेल्लो कहा......

"तुम अगर मोबाईल उठाते नहीं तो रखते क्यों हो........"

मैं कन्फ्यूज हो गया की भेन्चोद ये कौन है ?

मैंने कहा, "ह ह ह हेल्लो ???? कौन ?"

"अच्छा जी........अब मैं कौन ........तुम सोये थे क्या ?", पिया ने पूछा.

जैसे करंट का झटका एक सेकंड में पूरा शरीर हिला देता है वैसे ही उसकी आवाज़ ने मुझे एक झटके में जगा दिया. 

मैंने कहा, "न न न नहीं......म म म मेरा मतलब है की हाँ.......वो म मैं.....सोया था......."

"ओके ओके ......अच्छा एक बात बताओ.......तुम कितनी देर में तैयार हो सकते हो....?" उसने पूछा...

मैंने कहा, "म्म...यार मुझे.....एक घंटा तो लगेगा........क्यों क क्या हुआ.....?"

"अरे यार....मेरा अपनी फ्रेंड्स के साथ मूवी का प्रोग्राम था........फर्स्ट डे फर्स्ट शो......वो है ना......सलमान खान की ...........तो मैं ना कन्फ्युसन में गलत थियटर पर आ गयी हूँ....अरे वो बिग.......अब क्या है की यार कॉलेज की तो बंक मार दी है.....घर जा नहीं सकती......यहाँ पर ऑटो भी नहीं मिल रहा....तुम आ सकते हो क्या ...... "

नेकी और पूछ पूछ............. कोई चुतिया ही मना करता......

मैंने कहा, "पिया.....म.म.मैं.....१० मिनट में आ रहा हूँ......"

मैं बेड से सीधा कूदा और फटाफट शोवर लिया.......फिर याद आया की ब्रुश नहीं किया.......फटाफट ब्रुश किया और ब्लैक टी शर्ट और जींस पहनी और भागा. 

वो कहते है ना की किस्मत में लिखे हो लौड़े तो कहाँ से मिलेंगे पकोड़े.......

बाहर देखा तो मेरे बाप का 90 मॉडल का स्कूटर गायब था.

मेरा चाचा जो कभी स्कूटर नहीं चलाता था.....भेन्चोद आज स्कूटर ही ले गया.

मेरे मुंह से गाली ही निकल गयी. इधर उधर देखा और सोचा की अब क्या करू....? वहां पर वो हसीना मेरा इंतज़ार कर रही है और मैं यहाँ लंड हिला रहा हूँ.......

तभी मेरी नज़र कपूर अंकल पर पड़ी......वो शायद सब्जी लेकर आये थे.......गाड़ी स्टैंड पर ही लगा रहे थे....मैंने सोचा चलो चांस मारते है.....

मैंने कहा, " अंकल.....गुड मार्निंग......"

वो बोले, "ओ ...गुड मोर्निंग बेटे जी......."

मैंने कहा, "अंकल वो ......आप कहीं जा रहे है क्या ?..."

वो बोले, " ओ नहीं जी.....क्यों क्या हुआ.."

मैंने कहा, "अंकल वो क्या है की.....आज चाचा गाड़ी ले गए है और मेरा टेस्ट है कॉलेज में.....क्या म म मैं आपकी गाड़ी ले जाउ....."

वो बोले, " ओ श्युर बेटे जी......मगर आप चला लोगे ना....."

कपूर अंकल की बुलेट कांच जैसे चमचमा रही थी. भोसड़ी का अपनी बीवी को कम रगड़ता होगा और बुलेट को ज्यादा.
वैसे तो मैंने एक दो बार बुलेट चलायी थी मगर मेरी गांड बुलेट से फटती थी....साली 100 -200 किलो की गाड़ी......गिर जाये तो 4 आदमी उठाने के लिए चाहिए...

मैंने कहा, "हाँ हाँ अंकल.....च च चला लूँगा.......मैं 3 -4 घंटे में आता हूँ....."

अंकल ने गाड़ी की चाबी दी.....भगवन की दया से गाड़ी बटन स्टार्ट थी......मैंने गाड़ी स्टार्ट की तभी अंकल बोले.....
"अरे बेटे जी.....आज हेलमेट नहीं लगाते क्या.....ये लो....मेरा लगा लो.....सेफ रहता है"
यह बोलकर उन्होंने अपना हेलमेट मुझे दे दिया..

मैंने हेलमेट लगाया और गेयर मार कर निकल लिया. 

आंधी तूफान जैसे गाड़ी चला कर मैं थियेटर पहुंचा.....बेचारी पिया बाहर ही खड़ी थी. उसने ब्लू जींस और ब्लू टॉप पहना था.....मस्त लग रही थी.

मैंने हेलमेट का ढक्कन हटाया और उसे बुलाया.....

पिया ने एक सेकंड तो मुझे घुरा फिर पहचान गयी और फिर बोली, " वाव....आज तो क्या बात है......बुलेट पर स्मार्ट लग रहे हो.."

मैंने उसे बैठने के लिए कहा.....वो मेरे पीछे बिंदास लोंन्डों की तरह दोनों और पैर करके बैठ गयी. मैंने गाड़ी जैसे ही आगे बड़ाई गाड़ी झटका खाकर बंद हो गयी. मैंने भगवान का नाम लेकर फिर से स्टार्ट की...हो गयी.
और हम दोनों वहां से निकल लिए.

मैंने गाड़ी उसके घर के रस्ते पर डाली तो वो बोली, "अरे तुम कहाँ जा रहे हो.....?"

मैंने कहा," तुम्हारे घर......क्यों ?"

वो बोली, "अरे तुम पागल हो क्या.....बोला ना की घर पर कॉलेज का बोल कर आई हूँ....."

मैंने कहा, " त त तो अब कहाँ जाओगी......?"

वो बोली, "कहाँ जाउंगी मतलब .........ऐसे पूछो की अब कहाँ चले ?" 

मेरी गांड फटी......भेन्चोद सुबह सुबह इस कश्मीर की कली को कहाँ ले जाऊ.

वो बोली, "अच्छा चलो वो तालाब वाली रोड पर चलते है.......मज़ा आएगा."
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03-26-2019, 12:02 PM,
#57
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
तालाब वाली रोड.....तालाब के चारो और बनी सड़क थी.....एक तरफ पहाड़ियां और दूसरी तरफ तालाब...........शहर के जितने लैला मजनू थे. वो वहीँ पर पूजा पाठ करते थे मतलब आप समझ ही गए. 

मैं तो कभी वहां गया नहीं था.....जाता किसके साथ ? 
मगर मेरे कुछ दोस्त जो अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ वहां गए थे....किस्से सुना सुना के मेरी गांड जलाते थे. मैंने सोचा चलो आज तालाब वाली रोड भी देख लेते है. 

बात करने के कारण मैं बुलेट स्लो चला रहा था. मैंने धीरे से स्पीड बड़ाई और बुलेट हवा से बातें करने लगी. तभी पिया ने अपने हाथ बड़ा कर मेरी जांघ पर रख दिया.
ठीक वैसे ही जैसे बहुत सी भाभियाँ अपने पतियों की जांघ पर हाथ रख कर बैठती है.

मेरे दिमाग के मोबाईल में नेटवर्क आना ही बंद हो गया. उसने बड़े ही आराम से हाथ रखा था मगर मुझे उसका हाथ 10 -15 किलो का लग रहा था. मेरा ध्यान हाथ पर होने के वजह से मुझे स्पीड ब्रेकर नहीं दिखा और मैंने अच्छी स्पीड में ब्रेकर से गाड़ी कूदा दी. बेचारी पिया का भी ध्यान नहीं था. बैलेंस बनाने के चक्कर में वो आगे झुकी और उसके तपते हुए मम्मे मेरी पीठ पर बेदर्दी से आ सटे. पतली सी टी शर्ट में से मुझे उसके निप्पल महसूस हो रहे थे. उसने बैलेंस बनाने के चक्कर में अपने हाथ मेरी जांघ से हटा कर मेरी कमर में डाल लिए थे और मुझसे बिलकुल चिपक कर बैठी थी. 

मेरा बाबुराव खुश होकर गाना गा रहा था......"ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना.........यहाँ कल क्या हो किसने जाना......"

तभी मेरी गांड की फटफटी फुल स्पीड में चालू हो गयी...........

सामने से पिया का भाई........वो सांड........नवजोत भी बाइक पर आ रहा था और उसकी नज़र हमारे ऊपर ही थी. शायद उसने पिया को पहचान लिया था. पिया ने जैसे ही उसको देखा, बोली , 

"शील......फटाफट यहाँ से चलो .....अगर भाई ने तुमको मेरे साथ देख लिया तो गज़ब हो जायेगा................वो कुछ भी नहीं सुनेगा......प्लीज़.......गाड़ी भगाओ......"

उसके बोलने के पहले ही मेरी फटी हुयी गांड से भागने का सिग्नल मेरे दिमाग को मिल चूका था. मैंने बुलेट का कान (एक्सीलेटर) मरोड़ा और फुल स्पीड में तूफान की तरफ निकल लिया. हम जैसे ही नवजोत से क्रोस हुए, वो चिल्लाया...."अबे ओये............ओये पिया.........रुक.........ओये........"

उसकी सांड की आवाज़ सुन के मेरी बचीखुची हिम्मत भी BSNL के नेटवर्क जैसे गायब हो गयी. मैंने गाड़ी ऐसे दौड़ाई की मानो मेरे पीछे सन्नी देओल अपना ढाई किलो का हाथ लेकर आ रहा हो.

बुलेट के आगे उस सांड की बाइक कहाँ ठहरती.....

आगे एक मोड़ था, मैंने मोड़ लिया और बुलेट को एक गली में घुसेड दिया. थोड़े ही देर में नवजोत सांड अपनी बाइक से फुल स्पीड में क्रोस हुआ और सीधा चला गया.
उसने हमें नहीं देखा था. मैंने बुलेट मोड़ी और जिस रस्ते से आये थे उसी पर गाड़ी डाल दी. मेरी तो ठीक पर पिया की गांड भी फट के गले में आ गयी थी. वो बिलकुल चुपचाप बैठी थी. 

मैंने उससे कहा, "उस सांड ने ....म.....म.....म.......मेरा मतलब है की नवजोत ने तुम्हे पहचान लिया था क्या ? अब क्या करे ? "

कुछ लड़कियों में गज़ब की डेरिंग होती है..........और कुछ बिलकुल गांडफट.

पिया बोली, "पता नहीं यार........घर चलो........अगर वो पहले पहुँच गया तो हंगामा कर देगा........"

मैंने पिया को तो उसके घर के मोड़ पर ही छोड़ दिया......कहीं सांड बुलेट देख लेता तो..........तुरंत घर आया और कपूर अंकल को उनकी बुलेट सधन्यवाद लौटा दी.

मेरा मन नहीं लग रहा था.......मैंने सोचा पिया से पुछु की क्या हुआ......? उसका मोबाईल लगाया.......बंद था.

मेरी गांड फटी........मगर ये मालूम करना जरुरी था की आखिर क्या हुआ........मैंने हिम्मत जुटाई और उसके घर पर फ़ोन लगाया. घंटी बजी, उस सांड ने ही फ़ोन उठाया. फोन पर उसकी आवाज़ भोंगे जैसी गूंज रही थी......

मैंने कहा, "ह ह हेल्लो.......प प पिया है....."

वो बोला, "कौन बोल रहा है.........."

मैंने अपनी फटती हुयी गांड को काबू में करके कहा, "म म म ....मैं......श श शील......."

वो बोला, "अरे हाँ........शील.........बोल..........क्या हाल है.......आज पढ़ाने नहीं आएगा क्या ?"

मेरी आवाज़ बड़ी मुश्किल से निकली, "ह ह ह हाँ.....वो........श...श....शाम को आऊंगा ना......"

वो बोला, "हाँ......ठीक है.....पिया अभी घर पर नहीं है.........बाद में लगाना......."

ये बोल कर उसने फोन रख दिया और मेरे समझ नहीं आ रहा था की यह हुआ क्या......पिया को तो मैं अभी घर छोड़ कर आया था. 
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03-26-2019, 12:03 PM,
#58
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
थोड़ी देर में अंकित जो मेरा कॉलेज का फ्रेंड था......फ़ोन आया.......

वो बोला, "अबे आज कॉलेज नहीं आ रहा है क्या ?"

मैंने मना किया तो वो बोला, "अबे सब काम छोड़ आ जा........आज तो गजब सीन है......."

मैंने पूछा, " क्या हुआ ? "

वो बोला, "अबे मेरे को किसीने बताया की सुबह सुबह वो नवजोत सांड की बहन......अरे वो पिया........किसी लौंडे के साथ तालाब वाली रोड पर घूम रही थी, उसको वहां पर सांड ने देख तो लिया था मगर लड़का कौन था ये सांड को पता नहीं......बोले तो लड़के ने हेलमेट लगा रखा था......मगर गाड़ी बुलेट थी......तो कॉलेज के जितने भी लौंडो के पास बुलेट है......उन सबकी तो सांड गांड ही ले रहा है........अबे आजा मज़ा आ जायेगा.........."

जैसे बाईक में पेट्रोल ख़तम हो जाने पर झटके लगते है वैसे ही मेरी बची खुची हिम्मत भी ख़तम होने से मेरी गांड की फटफटी झटके खाने लगी.

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शाम को पिया को पढ़ने का समय नजदीक आ रहा था और मेरा BP बड़ा जा रहा था. मैंने सोचा की कहीं उस सांड ने मुझे पहचान लिया तो...............

मगर अगर मैं पिया को पढ़ने नहीं गया तो भी सांड को शक हो सकता है......भेन्चोद समझ नहीं आ रहा था की करू तो क्या करू.......उसके ऊपर से चाची मुझसे जब भी बात करती तो इस तरह से टेडी मुस्कान मारती मानो कह रही हो की अभी आके ठोक दो.......

मेरा हल्का हल्का सर दुःख रहा था.......मैं छत पर चला गया. बादल छाये थे........हलकी हलकी हवा भी चल रही थी.....और चाची वहां पर कपडे सुखा रही थी. उन्होंने अपने पल्लू को अपनी कमर में फंसा रखा था. इस कारण से उनकी नाभि साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी. पल्लू छाती पर भी इतना कसा था की उनके मम्मे मचल मचल जा रहे थे. 

मैं जा कर एक टूटी हुयी कुर्सी पर बैठ गया..........पुरे मोहल्ले में हमारी छत सबसे ऊँची थी और मुझे वहां से सबकी छत दिखाई दे रही थी और दिख रहा था चाची का साडी में लिपटा बदन. मेरी निगाहें चाची के बदन को धीरे धीरे सहलाने लगी. चाची ने एक दो बार मुझे देखा और होंट दबाकर मुस्कुराते हुए कपडे सुखाने लगी. मैं बैठे बैठे उन्हें घूरने लगा......

चाची कपडे सुखाते सुखाते बोली, "क्यों रे लल्ला.......कोई काम धाम नहीं है क्या........निकम्मों जैसे आके बैठ गया........कॉलेज क्यों नहीं गया......."

मैंने बोला, "अरे गया था.....आज कोई सर नहीं आये इसलिए मैं जल्दी आ गया......."

मैं फिर बोला, "चाची.....कपडे ज्यादा है क्या......."

चाची बोली, "हाँ रे..........दो दिन के है ना......."

मैं उठा और उनके पास जाके खड़ा हो गया. मैंने डबल मीनिंग कहा, "आप कहो तो दबा दबा कर पानी निकाल दूँ........."

चाची ने झुके झुके ही मुझे देखा और टेडी मुसकन मारकर बोली, "लल्ला.......दबा दबा कर पानी ढंग से नहीं निकलता रे........अच्छे से दबा कर निचोड़ना भी पड़ता है........अगर अच्छे से दबा कर नहीं निचोड़ा तो मज़ा नहीं आता........कपडे गिले गिले ही रह जाते है..." 

साली....इतनी ठरकी है है की क्या बोलू......

मैंने कहा, "चाची......अब आप को खुजली तो नहीं हो रही ना....."

चाची ने अनजान बन के पूछा, "कौन सी खुजली......."

पहले तो मुझ से बोलने नहीं बना फिर मैं पूछा, "वो आपको होती थी ना खुजली......मैंने ट्यूब ला कर दिया था......"

वो बोली, "अरे हाँ वो.......अब तो ठीक है......कभी कभी हो जाती है........तो क्या करू ...? ट्यूब लगा लूँ ना........"

मैंने कहा, "हाँ.....चाची......ऐसे मौसम में वहां पर खुजली ज्यादा ही होती है.........आप क्रीम लगा लिया करो........"

चाची बोली, "हाँ रे......पर बीच में लगाने पर कुछ होगा तो नहीं...."

ठंडी हवा में भी मेरे कान गरम हो गए.......मैंने पूछा, " बी... बी... ...बीच में मतलब......"

चाची ने मेरी आँखों में देखा और कहा, "अरे लल्ला......बीच में मतलब........उस जगह में ......लगा लूँ ना.....क्रीम......वहां पर खुजली हो रही है......."
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03-26-2019, 12:03 PM,
#59
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
ठरक के कारण मेरी आवाज़ ही नहीं निकाल रही थी.....चाची ने फिर से एक कपडा उठाया और बड़ी अदा से उसको निचोड़ा.......ऐसा लगा मानो ये मेरा बाबुराव है और चाची उसको.......हाय.......साला जींस में फिर से तम्बू तन गया था. 

चाची कपडा निचोड़ कर उसे छत की मुंडेर पर सुखाने लगी. उनकी BMW कार जैसी लम्बी चौड़ी गांड मेरी नज़रों के सामने थी.....चाची कपडा फ़ैलाने के लिए थोडा सा झुकी हुयी थी बार बार कपडा फ़ैलाने के कारण उनकी गांड इस कदर थरथरा रही ही मानो मुझे बुला रही हो. 

बाबुराव इस कदर कड़क हो चूका था की लो वेस्ट जींस में उसको जगह ही नहीं मिल पा रही थी. मैंने सोचा की बाबुराव को भी सेट करना पड़ेगा नहीं तो भोसड़ी का जींस फाड़ देगा. मैंने चेन खोली और अन्दर हाल डाल कर मेरे लंड को सही करने लगा........मगर लो वेस्ट जींस की चेन इतनी छोटी होती है की उनमे से मुतने की लिए लंड ही नहीं निकल पाता है....हाथ क्या घंटा अन्दर जाता. मज़बूरी में मैंने जींस का बटन खोला और जींस थोड़ी सी नीचे की, मुझे अपनी अंडरवियर भी थोड़ी सी नीचे करनी पड़ी.
मैं बाबुराव को ऊपर करके सेट करने लगा. 

अचानक चाची पीछे मुड़ गयी और मेरे हाथ से जींस छुट गयी. 

अंडरवियर तो मैं पहले ही निचा कर चूका था.....बाबुराव आधा अंडरवियर में छुपा चाची को निहारने लगा. चाची ने अपने हाथ मुंह पर रखा और बोली, 

"हाय राम.....बेशरम........क्या कर रहा है रे..........खुल्ले आम ही नंगा हो गया हिरसू......हाय राम.........."

मेरे मुंह से कुछ निकला ही नहीं.....मैंने झुक कर जींस उठाने की कोशिश की तो मेरी अंडरवियर नीचे ही खिसक गयी और मेरा खड़ा हुआ बाबुराव फनफना कर बाहर आ गया. 

चाची बोली, "राम.......छोरे.....इसको तो अन्दर कर....." उनकी नज़र मेरे लपलपाते लंड पर थी. 

मैंने कहा. "चाची .....मैं......वो......अरे ये........अन्दर करता हूँ........वो अंडरवियर में नहीं आ रहा था.......मैं.......वो .....सॉरी...."

तभी नीचे से किसी ने चाची को आवाज़ दी......चाची ने अनसुनी कर दी........फिर से आवाज़ आई तो चाची ने मुंडेर से मुंह निकाल कर नीचे झाँका और चिल्लाई....

" अरे कौन है.......गला फाड़े जा रहा है..........अरे कोमल भाभी........हाँ खाना बन गया .........मैं कपडे सुखा रही हूँ............"

कोमल भाभी हमारे पड़ोस में कुछ ही दिन पहले रहने आये रिषभ भैया की वाइफ.........चाची से उनकी बहुत अच्छी पटती थी.....दोनों दिन भर पटर पटर बाते करती रहती थी. वो ही अपने घर की छत पर खड़ी खड़ी चाची से बातें कर रही थी. कोमल भाभी अपने घर की छत पर थी जो हमारे घर से लगा हुआ था. मगर हमारी छत से एक मंजिल नीचे थी. इसलिए कोमल भाभी को चाची का थोडा सा हिस्सा दिखा रहा था और वो मुझे नहीं देख पा रही थी. 

चाची मुझे भूलकर उनसे बातों में लग गयी थी, "और सुनाओ......कल वो मिश्रा आंटी क्या बोल रही थी.......हाँ यार.....उनको तो पूरा मोहल्ले की गोसिप पता है...."

नीचे से कोमल भाभी बोली, "अरे नीलू भाभी.........आप मानोगे नहीं की क्या हुआ.......मिश्रा आंटी बता रही थी की वो कोने वाले घर में जैन साहब रहते है ना उनकी बड़ी बहु का अपने देवर से ही चक्कर है......अरे हाँ तो........"

चाची मुंडेर पर पूरी तरह से झुकी हुयी थी.......उनकी गांड इस कदर उभर कर बाहर आ गयी थी की मेरा मन सावन के मौसम में बावला हो गया.

मैं आगे बड़ा और मैंने अपने हाथ चाची के उभरे नितम्बो पर रख दिया. चाची एक दम से चुप हो गयी......नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई...."क्या हुआ नीलू चाची...."

चाची क्या बोलती......मैंने धीरे धीरे से चाची के नितम्बो को सहलाना शुरू कर दिया........चाची एक दम कड़क हो गयी और उन्होंने पीछे पलट कर मुझे देखा. मैंने भी बेशरम जैसे उनकी आँखों में ऑंखें डाल कर उनकी मख्खन गांड को दबाना जारी रखा. 

कोमल भाभी फिर से चिल्लाई...." अरे क्या हुआ नीलू चाची...."

चाची ने मुझे घूरते हुए कोमल भाभी से कहा "अरे कुछ नहीं......वो एक दो कपडे निचोड़ना भूल गयी........"

मेरा बाबुराव लपलपा कर अंडरवियर से बाहर आ गया था......सावन की ठंडी ठंडी हवा उसको सहला रही थी.......और वो भड़वा मस्ती में ठुनकी पे ठुनकी मारे जा रहा था.

चाची ने कोमल भाभी से पूछा, "वो जैन साहब की बहु......क्या नाम है उसका........हाँ सुषमा.......सच में उसका अपने देवर से चक्कर है क्या ?"

मैंने चाची की साड़ी धीरे धीरे ऊपर करना शुरू कर दी. भरे दिन में चाची की गदरायी टांगो से साड़ी ऐसे उठ रही थी मानो किसी नाटक के स्टेज से पर्दा उठता है. इंच इंच करकर उनकी चिकनी टंगे नंगी होती जा रही थी. चाची के हाथ मुंडेर पर टिके थे और वो कोमल भाभी की बातें सुनने की कोशिश कर रही थी. चाची ने मेरा हाथ अपनी गांड पर से हटाने के लिए अपनी गांड मटकाई......मगर मैंने उनकी साड़ी ऊपर उठाना जारी रखा.
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03-26-2019, 12:03 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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चाची ने निचे देखते देखते ही मेरे हाथ पर जोर से मारा. मगर मुझे तो ठरक चढ़ गयी थी मैं अब कहाँ सुनने वाला था. नीचे से कोमल भाभी ने कुछ कहा तो चाची फिर से नीचे देखने लगी और मैंने चाची की साड़ी को और ऊपर कर दिया. अब पेंटी में फंसे उनके नितम्ब दिखने लगे थे.....उनका दीदार होते ही मेरा बाबुराव और मेरा दिल दोनों भड भड धड़कने लगे. मैंने दांत पीस कर चाची के गांड के गोलों को पकड़ा और मसल दिया. आव देखा न ताव.....चाची की पेंटी खिंच कर नीचे कर दी और अपनी उंगली उनके गांड के सल से फेरता हुआ उनकी मुनिया के पास ले जाने लगा. चाची ने पीछे पलट के देखा और होंट दबा कर बोली, 

"साले हरामी......मान जा......खुल्ले में किसी ने देख लिया तो गज़ब हो जायेगा.......कल रात की हरकत से दिल नहीं भरा क्या......बेशरम."

नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई...." अरे नीलू चाची......कोई और भी है क्या आपके साथ........?"

अब चाची की गांड फटी....."न न न नहीं रे.........वो हवा में कपडे उड़ न जाये......इसलिए देख रही थी.......हाँ तुम क्या बोल रही थी......"

कोमल भाभी बोली, "अरे वो मिश्रा आंटी यह भी कह रही थी की वो जैन साहब की बहु का केरेक्टर ठीक नहीं है......शादी के पहले भी उसका तीन चार लड़कों के साथ चक्कर था....और तो और वो एक बार नेहरु पार्क में किसी लड़के के साथ पकड़ा भी गयी थी.......बिना कपड़ो के......हाय राम.....कितनी बेशरम है......."

चाची कुछ बोलती इस के पहले मैंने उनकी मुनिया को अपनी ऊँगली से छेड़ दिया......चाची के मुंह से आह निकल गयी......कोमल भाभी ने पूछा, "अरे क्या हुआ...."

चाची हडबडा कर बोली, " ह ह ह हैं... ....राम ....कमर में दर्द है......." 

कोमल भाभी हँसते हुए बोली, " क्यों चाची......कल रात को doggi किया क्या ? तभी कमर दुःख रही है ........" और खी खी करके हंसने लगी.

उस को क्या पता की रात को चाची की चिकनी चमेली की doggi में और न जाने किस किस पोसिशन में रगड़ाई हुयी थी. 

कोमल भाभी की ऐसी बातें सुन कर मुझे भी मज़ा आ गया और मैंने धीरे से अपनी उंगली चाची की मुनिया में उतार दी. चाची भले ही मना कर रही थी मगर उनकी मुनिया अन्दर से मस्त पानी छोड़ रही थी. मेरी उंगली पच्च करके अन्दर ऊतर गयी. 

चाची के मुंह से फिर आह निकल गयी......और वो कोमल भाभी तो नॉन स्टॉप बोले जा रही थी. फिर बोली, "अरे चाची वो सक्कू बाई है ना....वो भी बोली की उसने वो सुषमा और उसके देवर को एक साथ कमरे ने निकलते देखा है......राम राम.....अपने देवर के साथ ही......वैसे तो मेरा तो कोई देवर है नहीं.......मगर मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती..."

चाची को भी शायद कोमल भाभी की बातों में मज़ा आ रहा था......उनकी मुनिया मेरे उंगली करते करते ही पनियाने लगी थी.......

क्या सीन बन गया था.........कोई कमज़ोर दिल वाला देख लेता तो शायद उसका पानी देखते ही निकल जाता......चाची मुंडेर पर झुकी हुयी.....अपनी विशाल गदराई गांड हवा में उठाये......टांगे फैलाय......खुले आसमान के नीचे.......अपनी मुनिया में अपने प्यारे भतीजे शील से उंगली करवा रही थी.... 

मैंने धीरे से अपनी उंगली निकली और अब एक की जगह दो उंगली चाची की लपलपाती मुनिया में ठूंस दी.

चाची ने धीरे से आह भरी और थोड़ी सी गर्दन मोड़ कर होंट चबा कर धीरे से बोली, " धीरे धीरे कर हरामी........रबड़ की नहीं है......फाड़ ही देगा क्या ?"
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