RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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मैंने हेलमेट का ढक्कन हटाया और उसे बुलाया.....
पिया ने एक सेकंड तो मुझे घुरा फिर पहचान गयी और फिर बोली, " वाव....आज तो क्या बात है......बुलेट पर स्मार्ट लग रहे हो.."
मैंने उसे बैठने के लिए कहा.....वो मेरे पीछे बिंदास लोंन्डों की तरह दोनों और पैर करके बैठ गयी. मैंने गाड़ी जैसे ही आगे बड़ाई गाड़ी झटका खाकर बंद हो गयी. मैंने भगवान का नाम लेकर फिर से स्टार्ट की...हो गयी.
और हम दोनों वहां से निकल लिए.
मैंने गाड़ी उसके घर के रस्ते पर डाली तो वो बोली, "अरे तुम कहाँ जा रहे हो.....?"
मैंने कहा," तुम्हारे घर......क्यों ?"
वो बोली, "अरे तुम पागल हो क्या.....बोला ना की घर पर कॉलेज का बोल कर आई हूँ....."
मैंने कहा, " त त तो अब कहाँ जाओगी......?"
वो बोली, "कहाँ जाउंगी मतलब .........ऐसे पूछो की अब कहाँ चले ?"
मेरी गांड फटी......भेन्चोद सुबह सुबह इस कश्मीर की कली को कहाँ ले जाऊ.
वो बोली, "अच्छा चलो वो तालाब वाली रोड पर चलते है.......मज़ा आएगा."
तालाब वाली रोड.....तालाब के चारो और बनी सड़क थी.....एक तरफ पहाड़ियां और दूसरी तरफ तालाब...........शहर के जितने लैला मजनू थे. वो वहीँ पर पूजा पाठ करते थे मतलब आप समझ ही गए.
मैं तो कभी वहां गया नहीं था.....जाता किसके साथ ?
मगर मेरे कुछ दोस्त जो अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ वहां गए थे....किस्से सुना सुना के मेरी गांड जलाते थे. मैंने सोचा चलो आज तालाब वाली रोड भी देख लेते है.
बात करने के कारण मैं बुलेट स्लो चला रहा था. मैंने धीरे से स्पीड बड़ाई और बुलेट हवा से बातें करने लगी. तभी पिया ने अपने हाथ बड़ा कर मेरी जांघ पर रख दिया.
ठीक वैसे ही जैसे बहुत सी भाभियाँ अपने पतियों की जांघ पर हाथ रख कर बैठती है.
मेरे दिमाग के मोबाईल में नेटवर्क आना ही बंद हो गया. उसने बड़े ही आराम से हाथ रखा था मगर मुझे उसका हाथ 10 -15 किलो का लग रहा था. मेरा ध्यान हाथ पर होने के वजह से मुझे स्पीड ब्रेकर नहीं दिखा और मैंने अच्छी स्पीड में ब्रेकर से गाड़ी कूदा दी. बेचारी पिया का भी ध्यान नहीं था. बैलेंस बनाने के चक्कर में वो आगे झुकी और उसके तपते हुए मम्मे मेरी पीठ पर बेदर्दी से आ सटे. पतली सी टी शर्ट में से मुझे उसके निप्पल महसूस हो रहे थे. उसने बैलेंस बनाने के चक्कर में अपने हाथ मेरी जांघ से हटा कर मेरी कमर में डाल लिए थे और मुझसे बिलकुल चिपक कर बैठी थी.
मेरा बाबुराव खुश होकर गाना गा रहा था......"ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना.........यहाँ कल क्या हो किसने जाना......"
तभी मेरी गांड की फटफटी फुल स्पीड में चालू हो गयी...........
सामने से पिया का भाई........वो सांड........नवजोत भी बाइक पर आ रहा था और उसकी नज़र हमारे ऊपर ही थी. शायद उसने पिया को पहचान लिया था. पिया ने जैसे ही उसको देखा, बोली ,
"शील......फटाफट यहाँ से चलो .....अगर भाई ने तुमको मेरे साथ देख लिया तो गज़ब हो जायेगा................वो कुछ भी नहीं सुनेगा......प्लीज़.......गाड़ी भगाओ......"
उसके बोलने के पहले ही मेरी फटी हुयी गांड से भागने का सिग्नल मेरे दिमाग को मिल चूका था. मैंने बुलेट का कान (एक्सीलेटर) मरोड़ा और फुल स्पीड में तूफान की तरफ निकल लिया. हम जैसे ही नवजोत से क्रोस हुए, वो चिल्लाया...."अबे ओये............ओये पिया.........रुक.........ओये........"
उसकी सांड की आवाज़ सुन के मेरी बचीखुची हिम्मत भी BSNL के नेटवर्क जैसे गायब हो गयी. मैंने गाड़ी ऐसे दौड़ाई की मानो मेरे पीछे सन्नी देओल अपना ढाई किलो का हाथ लेकर आ रहा हो.
बुलेट के आगे उस सांड की बाइक कहाँ ठहरती.....
आगे एक मोड़ था, मैंने मोड़ लिया और बुलेट को एक गली में घुसेड दिया. थोड़े ही देर में नवजोत सांड अपनी बाइक से फुल स्पीड में क्रोस हुआ और सीधा चला गया.
उसने हमें नहीं देखा था. मैंने बुलेट मोड़ी और जिस रस्ते से आये थे उसी पर गाड़ी डाल दी. मेरी तो ठीक पर पिया की गांड भी फट के गले में आ गयी थी. वो बिलकुल चुपचाप बैठी थी.
मैंने उससे कहा, "उस सांड ने ....म.....म.....म.......मेरा मतलब है की नवजोत ने तुम्हे पहचान लिया था क्या ? अब क्या करे ? "
कुछ लड़कियों में गज़ब की डेरिंग होती है..........और कुछ बिलकुल गांडफट.
पिया बोली, "पता नहीं यार........घर चलो........अगर वो पहले पहुँच गया तो हंगामा कर देगा........"
मैंने पिया को तो उसके घर के मोड़ पर ही छोड़ दिया......कहीं सांड बुलेट देख लेता तो..........तुरंत घर आया और कपूर अंकल को उनकी बुलेट सधन्यवाद लौटा दी.
मेरा मन नहीं लग रहा था.......मैंने सोचा पिया से पुछु की क्या हुआ......? उसका मोबाईल लगाया.......बंद था.
मेरी गांड फटी........मगर ये मालूम करना जरुरी था की आखिर क्या हुआ........मैंने हिम्मत जुटाई और उसके घर पर फ़ोन लगाया. घंटी बजी, उस सांड ने ही फ़ोन उठाया. फोन पर उसकी आवाज़ भोंगे जैसी गूंज रही थी......
मैंने कहा, "ह ह हेल्लो.......प प पिया है....."
वो बोला, "कौन बोल रहा है.........."
मैंने अपनी फटती हुयी गांड को काबू में करके कहा, "म म म ....मैं......श श शील......."
वो बोला, "अरे हाँ........शील.........बोल..........क्या हाल है.......आज पढ़ाने नहीं आएगा क्या ?"
मेरी आवाज़ बड़ी मुश्किल से निकली, "ह ह ह हाँ.....वो........श...श....शाम को आऊंगा ना......"
वो बोला, "हाँ......ठीक है.....पिया अभी घर पर नहीं है.........बाद में लगाना......."
ये बोल कर उसने फोन रख दिया और मेरे समझ नहीं आ रहा था की यह हुआ क्या......पिया को तो मैं अभी घर छोड़ कर आया था.
थोड़ी देर में अंकित जो मेरा कॉलेज का फ्रेंड था......फ़ोन आया.......
वो बोला, "अबे आज कॉलेज नहीं आ रहा है क्या ?"
मैंने मना किया तो वो बोला, "अबे सब काम छोड़ आ जा........आज तो गजब सीन है......."
मैंने पूछा, " क्या हुआ ? "
वो बोला, "अबे मेरे को किसीने बताया की सुबह सुबह वो नवजोत सांड की बहन......अरे वो पिया........किसी लौंडे के साथ तालाब वाली रोड पर घूम रही थी, उसको वहां पर सांड ने देख तो लिया था मगर लड़का कौन था ये सांड को पता नहीं......बोले तो लड़के ने हेलमेट लगा रखा था......मगर गाड़ी बुलेट थी......तो कॉलेज के जितने भी लौंडो के पास बुलेट है......उन सबकी तो सांड गांड ही ले रहा है........अबे आजा मज़ा आ जायेगा.........."
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