RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मैं एक पल में समझ गया कोनसी दवाई. "खुजली वाली"......चाची ने अन्दर से बोला, "नहीं.....अब मेरे सर में दर्द नहीं है......मत लाना"
चाचा को कुछ समझ नहीं आया.....फिर वो समझ गया की चाची सब के सामने कोड वर्ड में बोल रही है..........उसने बैल जैसे सर हिलाया और चला गया. चाची ने मुझे चाय लाके दी ....तभी मोंम ने किचन से पूछा...... "अरे नीलू.....तेरा सर दुख रहा है ????? दवाई क्यों मंगा रही है .......क्रोसीन पड़ी है खा ले........"
चाची ने बोला, "अरे नहीं भाभी ....अब ठीक है......."
चाची की दवाई तो मेरे पजामे में छुपी थी. मेरी और चाची की नज़रे मिली और चाची मुस्कुरा दी......धीरे से बोली ...
"अब दवाई की ज़रूरत नहीं है......."
मुझे समझ नहीं आ रहा था की साली अभी तो अन्दर गुस्सा दिखा रही थी और अभी फिर से उंगली शुरू कर दी. फिर उसने बड़ी अदा से अपना पल्लू ठीक किया...... साड़ी सही करने के बहाने से मुझे अपनी चिकनी कमर दिखाई और नितम्ब मटकाती हुयी किचन में चली गयी.
साला.......ये चल क्या रहा है ??????
कॉलेज में मन ही नहीं लग रहा था.......इच्छा हो रही थी की दौड़ के घर पर जाओ और चाची की पकड़ के........पकड़ के.........ठोक दू बस......मगर चाची गुस्सा क्यों हुयी ?
खैर... ....क्लास में तो मन लगा नहीं......बाहर निकला और नवजोत मिल गया.......आज का साला दिन ही ख़राब था.
"न न न नमस्ते माट साब..........क क क कैसे है आप......", मेरी नक़ल निकालते हुए नवजोत ने कहा.
" ठ ठीक हूँ", मैंने अपने हक्लेपन को कंट्रोल किया.
"आज आप पढ़ाने नहीं आयेंगे ?", नवजोत ने फिर मसखरी की.
अब मैंने सोच लिया की इस भेन्चोद को औकात दिखानी ही पड़ेगी. मैंने बूंद बूंद करके हिम्मत बटोरी और कहा, "देखो......पिया.....मेरा मतलब है की आपकी सिस्टर अकाउंट में बहुत ही कमज़ोर है........मुझे फीस से कोई मतलब नहीं है...मैं उसकी मदद सर के कहने पर कर रहा था.....अगर आपको प्रोब्लम है तो ठीक है..... आप देख लो...."
मैंने मेरे जीवन में नवजोत से इतनी बात नहीं की थी.....उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया......मगर मेरी बात उसके मोटे भेजे में आ गयी थी. उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुंह बंद किया और धीरे से बोला.... "आय एम् सोरी......देखना यार......वो फेल नहीं हो जाए.....पापा बहुत गुस्सा होंगे...."
ये बोल कर वो खिसक लिया......और मेरी तो खुद की फटी पड़ी थी.....मुझे तो लगा था की आज यह सूअर मुझ पर ही हमला ना कर दे.
तभी मेरा मोबाइल बजा......पिया का फोन था......"कहाँ हो तुम.....?"
मैंने कहा, "पार्किंग में.....", वो बोली, "चलो मैं वही आ रही हूँ......" और फोन काट दिया.
मैं अपने मोबाइल में SMS पढ़ रहा था. नज़रे उठाई तो सामने से पिया आती दिखी, मेरी साँसे सीने में ही रुक गयी. उसने ब्लू कलर की लो वेस्ट जींस पहनी थी, उसके ऊपर एक ब्लेक टॉप था जो उसने जींस में इन किया हुआ था, जींस ठीक उसकी कमर के घुमाव पर टिकी थी और उसका टॉप बड़े गले का था जिससे उसका एक कन्धा पूरा पूरा बाहर आ रहा था. चिकना चिकना कन्धा धुप में ऐसे चमक रहा था मानों संगमरमर हो.......उसने ब्लैक गोगल लगा रखा था. उसके गोरे बदन पर ब्लैक टॉप क़यामत लग रहा था. साली बहुत ही कटीली दिख रही थी.
वो सीधी मेरे पास आई और बोली, "क्या यार तुमको क्लास में भी आवाज़ लगाई, सुनते ही नहीं हो ? कहा रहतो हो ? सची सची बताओ GF के बारे में सोच रहे थे न ?"
अब मैं उसको क्या बोलता की मैं GF के बारे में नहीं, चाची की मटकती गांड के बारे में सोच रहा था. मैंने कहा, "न न नहीं यार.....व व वो ...रात को नींद नहीं आई थी इसलिए.......". उसने ऑंखें गोल गोल नचा के कहा, "ओ हो......मिस्टर......क्या बात है ? अब तो बता दो की कोन है वो ?"
साला.......मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की चाची को गुस्सा क्यों आया.....और इधर इस बात की दुकान का मुंह बंद नहीं हो रहा था......भेन्चोद पटर पटर बोले ही जा रही थी......ठीक है .....सुंदर है......सेक्सी है.........मगर मेरा दिमाग चाची में इतना उलझा था कि मैं पिया की बात ही नहीं समझ पा रहा था. और वो बोले ही जा रही थी...
"अरे मिस्टर.....नाम तो बता दो...", उसने फिर उंगली की.
मेरा ध्यान था नहीं. मैंने उस को चुप रहने के लिया कहा, "पिया.........".
मैं आगे कुछ बोलता इस के पहले उसने एक दम अपने मुंह पर हाथ रख लिया....और उसका मुंह शर्म से लाल हो गया......
उसने धीरे से कहा, "क्या...ये......सच....है......शील"
अब मुझे समझ में आया की यह क्या हुआ. मेरी गांड की फटफटी का इंजन ही फेल हो गया. मैंने उसको चुप करने के लिया उसका नाम लिया था और वो समझी मैं उस के बारे में सोच रहा था. मैंने बात सँभालने की कोशिश की, "अ अ अ अरे.....न न न नहीं.....व. व.वव.वो.....म म म मैं तो तुम को......"
मेरी बात कट के वो धीरे से बोली, "अब कुछ मत कहो.....मैं तुम्हारी बात समझ गयी......"
इसकी माँ की ........हम हकले बिचारे जितनी देर में एक शब्द कहते है जमाना उतनी देर में महाभारत दो बार पढ़ लेता है.
साली मुझे बोलने ही नहीं दे रही थी. मगर ये तो था की वो बहुत खुश हो गयी थी. उसने मुझे धीरे से कहा, "मुझे चोकलेट खाना है"
मैंने उसको घुरा और पूछा, "म म म मतलब ?? "
उसने बड़ी अदा से मुझे देखा और बोली, "अरे बुद्धू मुझे डेरी मिल्क नहीं खिलाओगे क्या ? आज शुभारम्भ है ना ......"
अब मैं उसको क्या कहता की मेरा शुभारम्भ तो कल रात को ही हो गया.
कॉलेज की कैंटीन से उसको डेरी मिल्क दिलवाई. साली......हाथ पकड़ के चल रही थी और मेरी गांड फटे जा रही थी की कही इसका वो सांड भाई मिल गया तो ये शुभारम्भ सीधा THE - END में बदल जायेगा. खैर गांडफटो की किस्मत जोरदार होती है ये तो आप जानते ही है.......वो तो नहीं मिला मगर इसको इसकी दो तीन फ्रेंड्स मिल गयी.
लड़कियां यूँ तो इतना बोलती हैं मगर वक़्त आने पर इशारो में ही बात कर लेती है, पिया ने सबको नज़र नज़र में ही बता दिया. मेरी गांड फटे ही जा रही थी.
बड़ी इज्ज़त और प्यार से उसने डेरी मिल्क मेरे साथ शेयर की. अपुन तो बिलकुल सुन्न हो गए थे. हां....हुन्न....में ही टाइम निकल गया. वो बोली, "चलो मुझे घर छोड़ दो"
मैंने हकलाते हुए कहा, "त त तुम्हारी गाड़ी क क को क्या ह ह हुआ "
"अरे वो अभी तक पंचर है"
मैं अपने बाप का स्कूटर लाया था. उसी पर हम दोनों निकले, बार बार "रब ने बना दी जोड़ी" याद आ रही थी. फर्क ये था की उसने पीछे से मेरे जांघ पर हाथ रखा हुआ था. बाबुराव में दिमाग तो होता नहीं......उसने तुरंत सर उठा कर सलाम दे दी...........एक दो स्पीड ब्रेकर कूदे तो उसके सोफ्ट सोफ्ट मम्मे भी मेरी पीठ पर आ धमके.
भले ही नवजोत की बहन थी....मगर थी तो पटाका......धीरे धीरे मैं भी रिलेक्स हो गया और जान बुझ कर एक दो बार जोर से ब्रेक मार दिया. वो तो जैसे ब्रेक लगने का ही इंतज़ार कर रही थी, मैं ब्रेक लगाता और वो अपना जोबन सीधे मेरी पीठ पर चिपका देती. उसके घर पहुँचते पहुँचते तो बाबुराव बगावत पर उतारू था. बड़ी मुश्किल से पेंट में बने तम्बू को सेट किया. वो उतरी और बोली, "जा रहे हो.....यार.......टाइम का पता ही नहीं चला.....भाई आनेवाला है ......मुझे फ़ोन लगाना.....प्लीज़ ??? बाय "
मैं बड़ी शान से "तुझ में रब दीखता है" गुनगुनाते हुए अपने स्कूटर से घर आ गया. पूरा घर अँधेरे में डूबा था. मुझे समझ नहीं आया की क्या हुआ ?
अपनी चाबी से मैंने दरवाजा खोला, अन्दर गया तो देखा डायनिंग टेबल पर एक मोम बत्ती रखी है और चाची वहीँ पर बैठी थी. मैंने पूछा, "क्या हुआ चाची ?"
चाची से लम्बी सांस ली और बोली, "राम...गाँव में बिजली नहीं रहती समझ आता है, यहाँ तो इतने बड़े शहर में भी डब्बा गोल है. कुछ ट्रांसफार्मर ख़राब हो गया है. अब तो कल सुबह ही बिजली आएगी."
मैंने इधर उधर देखा और पूछा, "सब लोग कहाँ है ? "
चाची बोली, "राम राम लल्ला......इस उम्र में ही तेरी तो याददाश्त ख़तम हो गयी, अरे पड़ोस वाले सक्सेना जी के यहाँ शादी नहीं है क्या ? मरा तेरे चाचा का एक ही तो दोस्त है......विनोद सक्सेना......उसी के भाई की शादी है.......होटल राज विलास में है........ठाठ है ..........बिजली नहीं थी तो भाभी ने मुझे बोल दिया की जमाना ख़राब है, चोरी चकारी का डर है........और तू भी नहीं आया तो तुझे खाना भी खिलाना था......इसीलिए भई मैं तो नहीं गयी.........गए भी इतनी दूर है..........एक डेड़ घंटा तो आने जाने में ही लग जाता है......"
चाची का मुंह भी फुल स्पीड में ही चलता है. १ मिनट का न्यूज़ अपडेट चाची से अच्छा तो स्टार न्यूज़ भी नहीं दे सकता. मुझे हंसी आ गयी.......
चाची बोली, " हें लल्ला.....इस में हंसने की क्या बात हुयी ? "
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं चाची आज ऐसे ही हंसी आ रही है"
मोमबत्ती की टिमटिमाती हुयी रोशनी में चाची का चेहरा किसी कमसिन लड़की के जैसा मासूम लग रहा था. वो मेरे लिया खाना लेन उठी तो रौशनी से उनकी कमर चमकने लगी और धीरे धीरे मेरे अन्दर का शैतान जागने लगा....
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