Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:01 PM,
#46
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
20


मैंने कांपते हाथों से मोमबत्ती उठाई और बाथरूम की तरफ बड़ा. बाथरूम का डोर खुला था, और चाची मेरी ओर पीठ करके खड़ी थी. उन्होंने साडी उतार दी थी और सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में खड़ी थी. मोमबत्ती की टिमटिमाती रोशनी में उनकी पेटीकोट में छुपे नितम्ब बहुत ही मारू लग रहे थे. उनका पेटीकोट उनके कमर के कटाव के सबसे बड़े हिस्से पर टिका था. ऐसा लग रहा था मानो पेटीकोट बस उनकी गांड की गोलों के दम पर ही टिका था वर्ना कब का गिर जाता. चाची अपना ब्लाउस खोल रही थी. मेरी तरफ पीठ होने से मुझे दिख तो कुछ भी नहीं रहा था मगर उनके हाथ चलने से उनकी विशाल गांड थरथरा रही थी. और उसको ऐसे हिलते देख मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया.


चाची बोली, "हाय राम....तू अन्दर क्यों आया ?"

मैं बोला, "च च च चाची.......आ आ आपने ही तो मोमबत्ती मांगी थी........"


चाची बोली, " हें....हाँ रे.....वो वहां पर रख दे.......हाँ.......अरे वो जहाँ शेम्पू रखा है......बस उसके पास.......हाय राम इधर मत देख बेशरम"


मैंने बहुत कोशिश की मगर पापी मन नहीं मान रहा था....... बार बार मेरी नज़र चाची की तरफ ही जा रही थी.


चाची का ब्लाउस आधा खुल चूका था.......जैसे ही वो यह सब बोलने के लिए मुड़ी मेरी नज़र सीधे चुम्बक के जैसे उनके आधे खुले ब्लाउस में से झांकते मम्मो पर जा चिपकी.


किसी ने सत्य ही कहा है की औरत के बदन की असकी कामुकता आधे ढके होने में है.....


पूरी नग्न औरत से तो आधी ढकी औरत ही ज्यादा सेक्सी लगती है......


चाची के ब्लाउस को सिर्फ दो हुक पूरी हिम्मत और ताकत के साथ संभाले हुए थे वर्ना वो तो फटने के लिए बेताब था. हमेशा की तरह चाची ने आज भी ब्रा नहीं पहनी थी, जो नज़ारा उभर के आया था वो किसी मरते आदमी की साँसें चालू कर देता और जिन्दा इंसान की साँसे बंद, मम्मे ब्लाउस में कसे इस कदर कसमसा रहे थे मनो हुको को तोड़ डालेंगे.


मोमबत्ती मेरे हाथ में थी और मेरा मुंह खुला का खुला ही था. चाची अब पूरी पलट के खड़ी हो गयी. उनका तराशा हुआ बदन सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में मेरे सामने था. ब्लाउस के तो हाल आप जानते ही हो.....पेटीकोट चाची ने काफी नीचे बांधा था...उनकी मद मस्त नाभि मोमबत्ती की रौशनी में कुए जैसी दिख रही थी. चाची ने अपने हाथ अपने मम्मो के ऊपर रख लिए और चिल्लाई...."अरे हरामी......बाहर क्यों नहीं जाता......निकल बाहर....." और पलट के अपने ब्लाउस के बचे खुचे हुक खोलने लगी.


मैं सकपकाते हुए बाहर जाने लगा तो वो फिर चिल्लाई "अरे ये मरी मोमबत्ती तो रखता जा...."


मैंने कांपते हुए हाथों से मोमबत्ती को ग्लास की रेक पर रखा और पलट के जाने लगा. मोमबत्ती ढंग से टिकी नहीं थी.

जैसे ही मैं मुड़ा. मोमबत्ती नीचे गिरी और बुझ गयी.


पूरा बाथरूम घुप्प अँधेरे में हो गया. कुछ भी नहीं दिख रहा था.


चाची जोर से चिल्लाई. " हाय राम......जान नहीं है क्या हाथों में......जा माचिस ला.....कहा गयी मोमबत्ती...."


मैं माचिस लेन की बजाये फर्श पर टटोल टटोल के मोमबत्ती ढूंढ़ने लगा......तभी मेरा हाथ चाची के हाथ से टकराया...चाची भी मोमबत्ती ढूंढ़ रही थी.


कीड़ा कुलबुलाने लगा.....


मैंने थोडा हाथ आगे बढाया और चाची की तरह आगे बड़ा.......अचानक मेरे हाथ से कुछ कड़क सा टकराया.....मुझे समझ नहीं आया की ये क्या है.....मैं बैठा था और मेरे हाथ चाची के सीने की ओर थे.......मुझे लगा शायद चाची का मंगल सूत्र है.....मैंने फिर हाथ बढाया और अब की बार मेरे हाथ से कुछ नरम नरम सा टकराया.......


मैं वहीं पर रुक गया.......मेरी नसे सनसनाने लगी.......जो मेरे हाथ से टकराया था वो चाची का खड़ा हुआ निप्पल था.

चाची ने अपना ब्लाउस पूरा खोल लिया था.


मैंने हिम्मत की और फिर से अपने हाथ बढाया......मेरा हाथ सीधे लेजर बोम्ब की तरह निशाने पर गया और चाची के मम्मे से जा टकराया.....मैंने अपने हाथ वही पर रख दिया और चुतिया बनाने के लिए कहने लगा.....

"अरे च च चाची......आ आ आप हो क्या..."


चाची दबी हुयी जुबान से बोली, "ओर क्या हरामी यहाँ पे माधुरी दीक्षीत थोड़ी बैठी है. हाथ हटा......"

मैंने हाथ नहीं हटाया और चाची के मम्मे को हाथ में ले लिया और धीर धीर दबाते हुए बोला, "न न नहीं च च चाची आप थोड़ी हो......ये तो शायद नहाने का स्पंज है......" मैंने दबाना बंद नहीं किया.......


मेरी गांड फटे जा रही थी मगर खुदा की कसम क्या मज़ा आ रहा था.....चाची का मम्मा मेरे हाथो में तो समां नहीं पा रहा था मगर इतना सोफ्ट था की सचमुच का स्पंज हो.


चाची जोर से बोली, " हरामी छोड़....."

मैंने भी हिम्मत पकड़ी, "क्या छोडू च च चाची......."


चाची ने अब आवाज़ धीरे की और बोली, "मेरा बोबा........छोड़ हरामी.........मेरा मम्मा .....छोड़ कमीने...."


मैंने समझ लिया की चाची को गुस्सा आ गया है........मैंने बहुत मुश्किल से चाची के मम्मो को छोड़ दिया.


चाची बोली, "लल्ला......बहुत ही बेशरम हो गया है रे........कुछ लाज शरम है की नहीं........"


पूरा घुप्प अँधेरा था. मुझे लगा की चाची मुस्कुरा रही है मगर साला कन्फर्म नहीं था.........अगर सच में गुस्सा हुयी तो.....ये सोच कर मेरी गांड फटने लगी.


मैंने कहा, "च च च चाची म म मैं माचिस ले आता हूँ........"


चाची बोली, "नहीं.....तू यहीं पर रुक......अँधेरे में न जाने क्या गिराएगा क्या तोड़ेगा.......मुझे पता है माचिस कहाँ है.......यहीं रुक जा....."


मैं कुछ बोलता उसके पहले चाची के आगे बड़ने की आवाज़ आई और वो अँधेरे में टटोलते टटोलते बाथरूम से बहार जाने लगी. बहुत ही हलकी सी रोशनी रोशनदान से आ रही थी. मुझे सिर्फ चाची कहाँ है ये दिखाई दे रहा था मगर उनके नंगे मम्मे और चिकनी कमर अँधेरे में छुपे बैठे थे. चाची ने अपने दोनों हाथ आगे बढाकर चलना शुरू किया और उनका हाथ मेरे बेल्ट के बक्कल से जा टकराया. वो बोली, " हें ये मरा नल यहाँ कहाँ से आ गया" और उन्होंने अपने हाथ सीधा मेरे जींस की चेन पर रख दिया. जी हाँ.....सीधा मेरे मासूम बाबुराव पर.......मैंने और बाबुराव दोनों ने झटका खाया........तभी चाची ने जोर से मेरा बाबुराव जींस के ऊपर से ही दबा दिया, मेरे मुंह से आह निकल गयी, चाची बोली, " हाय राम.......ये तू है क्या लल्ला ? मुझे लगा की नल है और उसपे कपडा पड़ा है........परे हट......."


साली चाची मेरे साथ मेरा ही गेम खेल गयी. मुझे तो ये ही समझ नहीं आ रहा था की वो चाहती क्या है ? उनकी बातों से कभी लगता की ठुकवाने को बेकरार है और कभी एकदम सती सावित्री बन जाती.


चाची बाथरूम से बाहर निकल गयी और मैं गंगू गमने जैसा बाथरूम में ही खड़ा रहा.


सच में त्रिया चरित्र किसी के बाप के समझ में नहीं आया होगा. साली....चाची की सारे हाव भाव येही बताते है की उनकी क्या इच्छा है.......मैं उनकी आँखों के वो गुलाबी डोरे और उनकी वो टेडी मुस्कान नहीं भूल पा रहा था जब उन्होंने मेरा लंड हिला हिला कर मेरा पानी निकाल दिया था. मगर वो नाराज़ होती तो मेरी गांड की फटफटी स्टार्ट हो जाती.........


बाहर रूम से बर्तन गिरने की आवाज़ आई. अँधेरे में उस आवाज़ से मानो पूरा घर कांप गया. मैंने पूछा, "चाची......क .क...क्या हुआ......"


कोई जवाब नहीं आया......मैं धीरे धीरे बाथरूम से निकला और चाची के बेड के पास से टटोलता टटोलता आगे गया तभी चाची बोली, "लल्ला......दूध का ग्लास गिर गया" मैंने कहाँ, "चाची आ आ आपको लगी तो नहीं..........".


चाची बोली, " नहीं रे.......मरा मेरा पेटीकोट मेरे पाँव में उलझा और मेरा बेलेंस बिगड़ गया........पूरा पेटीकोट दूध में हो गया.......हाय राम यह मरी बिजली भी......"
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