Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:07 PM,
#92
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
भाभी एक छोटी सी कोठरी में घुस गयी और मैं उनके पीछे दरवाजे पर ही खड़ा हो गया, उन्होंने टॉर्च की रोशनी में फ्यूज बॉक्स देखा और उसका ढक्कन खोला......फिर मेन स्विच गिराया.....और फ्यूज को बाहर खींचने की कोशिश करने लगी.


फ्यूज भोसड़ी का जाम था......टस से मस नहीं हो रहा था...


भाभी एक हाथ से टॉर्च पकडे दूसरे हाथ से उसको खींचने लगी.....पर वो तो ठान के बैठा था की बॉस आज तो लंड नहीं निकलूंगा......


भाभी ज़ोर लगते हुए बोली, "ऊओह.....यह तो बहुत टाइट फंसा है......हिल भी नहीं रहा...."


"हाँ भाभी लगता है गरम होने से दोनों चिपक गए है....", मैं टर्राया.


"हाँ .......हैं......क्या.......??"


मेरी गांड फटी. "न...न....नहीं......आप खींचो इसको......"


"आहन.....हाँ.....पर.....ये.....तो......बहुत.......ही......टाइट......है.......ऊओह....."


मादरचोद फ्यूज निकाल रही है या मोटे लंड से चुदवा रही है ? ?


"आह.....नहीं......निकलता........उह......अरे आप क्या खड़े हो वहाँ पर......लो यह टॉर्च पकड़ो और इधर लाइट मारो.........मैंने दोनों हाथ से हिलाती हूँ"


मेरा ही हिला दो भाभी.......


मैंने टॉर्च पकड़ ली.....और फ्यूज बॉक्स पर लाइट मारने लगा.....भाभी पूरी जान लगा कर फ्यूज पर पिली हुयी थी और वो भड़वा तो निकलना दूर हिल भी नहीं रहा था.


इस जोराजोरी में कोमल भाभी पूरी हिल रही थी.....और उनकी हर हरकत पर उनकी विकराल गांड थर्रा रही थी......माँ की भोसड़ी फ्यूज की.......भाभी की गांड में तो जैसे भूकम्प आया हुआ था.


मेरी नज़रे भाभी की थर्राती थिरकती गांड पर शहद पर मख्खी चिपके ऐसी चिपक गयी......


बेचारी पसीना पसीना हो रही थी......और पसीना ऑन हसीना हमेशा ही बड़ा खतरनाक कॉम्बिनेशन होता है


बाबूराव ने तुरंत अपना सर उठाया और मेरे पजामे में अपने तम्बू तन लिया.


कोमल भाभी अपने नाज़ुक नाज़ुक हाथों से फ्यूज पर लटके जा रही थी और वो भड़वा तो मज़े ले रहा था.


मज़े तो अपुन का बाबूराव भी ले रहा था .....भाभी के हिलती गांड को देख कर बाबूराव ने भी ठुनकी मार कर

सिग्नल देना शुरू कर दिया.


मैं पजामे में हाथ डालकर अण्डरवियर एडजस्ट करने लगा, टॉर्च वाला हाथ मुड़ कर पजामे पर ही फोकस मारने लगा.....साला लंड लटका रहता है तो गरीब आदमी जेसे २ इंच की जगह में भी एडजस्ट हो जाता है और जो कहीं भेनचोद चूत की खुशबु मिल गए तो भोसड़ी का सवा सात इंच का नाग बन कर अपना फन लहराने लगता है.....बाबूराव ने उत्तेजना और ख़ुशी के मारे अपना मुंह ( सुपाड़ा......भाई) अण्डरवियर के इलास्टिक से बाहर निकाल लिया था......और मैं उसको जैसे तेसे अण्डरवियर के अण्डर करने के कोशिश कर रहा था..


"अरे.....लाइट इधर करो.......कहाँ......कर रहे हो......हाआआआय राआआआम"


भाभी घूम गयी और इधर मैं खड़ा.... अपने लंड पकडे टॉर्च का फुल फोकस बाबूराव की चमकीले टोपे पर.


एक छोटी सी प्रीकम की बूंद सुपाड़े के छेद पर थी......टॉर्च की रोशनी में वो बूंद मोती जेसे चमक रही थी.


भाभी फिर चिल्लाई....."हाय राम....."


अब छोटी से चड्डी में इतने बड़े लौड़े को कहा छुपायूं.....मैंने पजामे का इलास्टिक छोड़ दिया.....

सटाक की आवाज़ के साथ इलास्टिक सुपाड़े पर जा टकराया.


"आआह.........", मैं चिल्लाया.....


"हाय.......राम......", भाभी चिल्लाई....


मेरे और बाबूराव.....दोनों के खेल लग गए थे.


फटफटी का इंजन सीज़.



सुपाड़ा यानि कि लंड का टोपा लंड का सबसे नाज़ुक स्थान होता है...पजामे के इलास्टिक ने वो चोट मारी थी कि बस......मेरी तो बैंड बज गयी थी..



"ऊओह.....शिट........आउ....आह.......आह.....", मेरी तो आवाज़ ही बैंड नहीं हो रही थी....


मैं सहारा लेकर वही फर्श पर बैठ गया. और अपने बाबूराव को हाथों से दबा लिया....


कोमल भाभी एक दो सेकंड मुझे देखती रही और फिर तीखी आवाज़ में बोली,


" बेशरम कहीं के......क्या कर रहे....थे....हाँ ?......अपने हाथ हटाओ......वहाँ से....."


माँ की चूत......यहाँ मेरे लंड में भूचाल आया हुआ था.....बेचारा दर्द के मारे दोहरा हो रहा था....


मैंने हाथ हटाया तभी मेरे बाबूराव में एक टीस उठी और मैं उसे हाथों से दबाकर फिर दोहरा हो गया.


अब कोमल भाभी ने चिंता जताई, "हाय.,..हाय......ज़ोर से लग गयी क्या.......दबाओ मत.....और दुखेगा......"


मैंने तो उनकी परवाह ही छोड़ दी थी....लंड की परवाह करना ज्यादा जरुरी था भाई.


मैंने कराहते हुए उठने की कोशिश करने लगा......थोडा दर्द हुआ तो मैं फिर बैठ गया.....


हुआ यूँ था की इलास्टिक सुपाड़े को रगड़ता हुआ गया था.....और इसी लिए दर्द हुआ....अब धीरे धीरे दर्द तो कम हो रहा था...मगर मेरी गांड की फटफटी ये सोच सोच कर रेस मार रही थी की यह साली बहनचोद भाभी सबको बता देगी और मेरा जालिम बाप मेरी गांड में सरिया डाल कर मुंह से निकाल देगा.


दिमाग के घोड़े तो सरपट दौड़ ही रहे थे......अब मैंने नाटक करना शुरू कर दिया.......

मैं और ज़ोर ज़ोर से हाय हाय आह आह करने लगा.
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