RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
मैंने अब रिक्वेसटिंग में भाभी से क्वीन माँगी तो उन्हूने ब्लाउज के अंदर हाथ डाल के क्वीन निकालने की कोशिश की पर वो शायद अंदर गुस गयी थी तब उन्हूने आ गे आ कर मुझे कहा लो तुम खुद ही निकल लो मैंने ब्लाउज के अंदर हाथ डाला एक हाथ दूसरा हाथ पर ब्लाउज टाइट था दोनों हाथ बड़ी बड़ी से भाभी के मम्मो को छू कर सहला कर ही बाहर आ गये ..तब भाभी ने कहा रुको ब्लाउज खोलना पड़ेगा ये कह कर मेरी और पीठ का ली ..मैं दो मिनट खड़ा रहा तो भाभी बोली खोलो ना ब्लाउज के हुक खोलो ..तब मैंने पहली बार भाभी का ब्लाउज खोला हुक खुलते ही ब्लाउज नीचे लटक गया तब भाभी मेरी और घूमी…भाभी के मस्त बूब्स ब्लाउज में कसे हुए आधे बाहर को झांकते …मैं चुप खड़ा भाभी के बूब्स को देखता रहा …दो मिनट बाद भाभी ने कहा ..अब निकालो ना ..मैंने पूछा क्या ब्रा !!?/ भाभी हँसी और बोली नहीं रे तेरी क्वीन..तो मैंने कहा मेरी क्वीन तो अब तुम ही हो …तो भाभी ने कहा तो फिर ठीक हाउ ये कह कर वोआप्ना ब्लाउज वापस पहनने लगी तो मैंने कहा रुको रुको मैं निकलता हूँ क्वीन ये कह कर मैंने आपना एक हाथ ब्रा में डाला तो उनका एक मस्त बूब मेरे हाथ में आ गया मैंने उसे प्यार से सहलाया और फिर हल्के से दबाया और फिर सहलाया इससे ही कराता रहा और भाभी चुप खड़ी रही फिर मैंने उनके निप्पल को हलक़ेंसे दबाया तो वो बोली क्वीन ढूँढ त्तरहे हो या शैठानी कर रहे हो तो मैंने कहा शायद क्वीन दूसरी और है ये जकेह कर मैंने दूसरा हाथ डाल कर दूसरे बूब के साथ भी ऐसा ही किया फिर पहला फिर दूसरा ,,तभी भाभी बोली रुको तुमसे नहीं होगा एेकेः कर भाभी ने खुद हाथ डाल कर क्वीन निकल के मुझे दे दी और फिर ब्लाउज पहन लिया….इसे छोटी मोटी शराराते और छीना झपटी चलती रहती…बाथरूम का मेरी और का दरवाजा खुला रहता था और जब मुझे बाथरूम यूज करना होता था तो मैं दरवाजे को हल्के से धक्का देता ..यदि बाथरूम में कोई नहीं होता तो बाथरूम खुल जाता और मैं उसे कर लेता…..
फिर भाभी को मायके जाने का टाइम आया भाभी दो दिन बाद मायके जाने वाली थी तीन महीने के लिए ……आंटी अंकल मंदिर गये थे सुबह के 9 बज रहे थे उनको 12 बजे के बाद आना था घर में मैं और भाभी ही थे…इतने में मुझे बाथरूम यूज करने की हुई तो मैं उठ कर बाथरूम की और गया दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया दरवाजा बंद नहीं था देखा तो भाभी नहा रही थी बिलकुल नंगी…शायद दरवाजा बंद करना भूल गयी थी….मेरी और उनकी पीठ थी और वो फ़वारे के नीचे नहा रही थी पनो की बूंदें उनके शरीर पर गिर रही थी और वो मस्त से नहा रही थी….दरवाजे की हल्की आवाज़ से वो पलटी ..उन्हूने मुझे देखा पर ना तो शरमाई ना झेंपी ना उन्हूने आपना कुच्छ छिपाया वरण वो वैसी ही सीधी खड़ी रही और मैं उनकी पिंकी चिकनी फुददी और मस्त बूब्स को पानी में भीगते देखता रही…
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