RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
मैंने दरवाजा खोला, मैं सोच रहा था कि इतनी सुबह वो मेरी बीवी से मिलने क्यों आई है जबकि उसे मालूम था कि मेरी बीवी पिछले हफ्ते अपने पिता के यहाँ गई हुई है और अभी वहीं रहेगी।
मैंने दरवाजा खोला और कहा,” गुड मोर्निंग रागिनी !”
वो वहीं चुपचाप खड़ी रही..
मैंने कहा,”वहीं खड़ी रहोगी क्या? हेल्लो भी नहीं कहोगी?”
“हाय” उसने कहा।
वो मुस्कुराई,” संगीता कहाँ है? रागिनी ने पूछा।
“तुम्हें संगीता ने पिछले हफ्ते फोन करके बताया था ना कि वो अपने पिता के यहाँ जा रही है, उसके पिताजी की तबियत ठीक नहीं थी। खैर तुम इतनी सुबह सुबह कैसे आई?” उससे बात करते हुए मेरी नज़रें उसकी उभरी हुई चूचियों पर बार बार जा रही थी और नीचे मेरे लंड में तनाव आ रहा था। वो मेरे शोर्ट में टेंट न बना ले इसलिए मैं एक हाथ से उसे दबाने की कोशिश में लगा था और हल्के से मसल भी रहा था।
वो अन्दर आई, मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा। फ़िर अन्दर जाकर उसके लिए एक कप काफ़ी ले कर आया और उसे दिया। फ़िर उसके सामने बैठते हुए मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए कहा,”इतनी सुबह सुबह भी तुम काफी खूबसूरत लग रही हो ! और मजाक में कहा,”शायद मुझे कुछ हो जाए तुम्हें देख कर !”
रागिनी मेरे इस दुस्साहस पर कुछ बोली नहीं, इसलिए मुझे भी आश्चर्य हुआ। मेरी हिम्मत और बढ़ी, उसने काफ़ी ख़त्म की और कहा,”मै चलती हूँ।”
मैंने कहा,”तो आप यहाँ सिर्फ़ अपनी सहेली से मिलने आई थी? वो नहीं है तो एक बुढ्ढे को अकेला छोड़ कर जा रही हो?”
“ओह, आप बुढ्ढे हो?” और वो मुस्कुराई।
मैंने उसे मुस्कुराते देखा, उसकी यह मुस्कराहट कुछ अलग थी।
“क्या यही मौका है.. जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था.. क्या मेरा सपना सच होने वाला है?” मैंने सोचा।
वो उठी और कमरे में घूम कर देखा. मैंने अब बाहर का दरवाजा बंद कर दिया। यह पहला मौका था कि हम दोनों एक बंद कमरे में अकेले थे। मैं सोफे पर उसके साथ बैठ गया। हम अपनी घर की बातें करने लगे। कुछ इधर उधर की बात करने के बाद बात मेरी बीवी के बारे में होने लगी। हमारी शादी को 15 साल हो चुके थे। मैंने बताया कि अब वो अपने बच्चे में ज्यादा ख्याल देती है, मेरी जरुरत को इनता महत्व नहीं देती और सेक्स के प्रति भी बहुत उदासीन हो चुकी है। अब हमारे बीच में कुछ नया नहीं है जिसके लिए हम ज्यादा परेशान हों या व्याकुल रहें।
रागिनी ने कहा- फ़िर भी आप अपनी बीवी और बच्चे का बहुत ख्याल रखते हो और संगीता भी खुश है।
मैं उसकी इस बात पर खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया। फ़िर मैंने उससे पूछा,”रागिनी अब तुम अपने परिवार के बारे में बताओ, तुम्हारे पति भी तुम लोगों का बहुत ख्याल रखते हैं, तुम्हें खुश रखते हैं ! है ना?” मैंने कहा।
मैंने रागिनी के चेहरे पर उदासी देखी I
एक गहरी साँस लेकर उसने कहा- सभी यही सोचते हैं कि हम लोग खुश हैं।
“रागिनी क्या बात है? तुम दुःखी लग रही हो, तुम्हारे चेहरे से लग रहा है कि तुम खुश नहीं हो?”
“नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. सब कुछ ठीक ही है।” उसने कहा।
“नहीं रागिनी.. तुम कुछ छुपा रही हो ! क्या तुम मुझे बताना नहीं चाहोगी?”
“मेरी समस्या यह है कि मेरी बीवी अब मुझमें रुचि नहीं लेती। तुम समझ रही हो न कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? उसे मेरी फिकर करनी चाहिए लेकिन फ़िर भी हम दोनों के बीच कोई तनाव नहीं है, हालाँकि हमारे बीच प्यार और सेक्स वाली बात अब इतनी ज्यादा नहीं है, मैं उससे दूर जाना चाहता हूँ, लेकिन जा नहीं पाता। मुझे लगता है कि शायद वो फ़िर से मुझे समझ ले !”
रागिनी मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी, उसने कहा- मैं सब समझ रही हूँ !
कुछ देर में हमारी बातें बहुत गंभीर होने लगी, भावुकता आने लगी बातचीत में ! मैं थोड़ा भावुक होने लगा। तब रागिनी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और मुझे समझाने की कोशिश करने लगी। उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में गर्मी सी आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा।
अब मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा,”रागिनी, मैं यह कहना नहीं चाहता था लेकिन अब बिना कहे रहा नहीं जाता, जिस दिन पहली बार मैंने तुम्हें देखा था, उसी दिन से मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ, और यही सच है !”
यह सुनते ही उसने मेरी तरफ़ देखा उसकी नज़रों में थोड़ा आश्चर्य था, उसने कहा,” तुम बहुत बदमाश हो ! अच्छा हुआ कि यहाँ तुम्हारी बीवी नहीं है और उसने यह सुना नही ! अगर वो यह सुन लेती तो मुझसे बात करना बंद कर देती और मुझे ग़लत समझती !”
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