Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
09-18-2018, 12:09 PM,
#18
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
राज : (मन मे सोचता है लगता है इसे चढ़ गयी अब चलना चाहिए नही तो इसका यहीं ड्रामा शुरू हो जाएगा) चल लकी बहुत हो गया अब चलते हैं 

लकी: यार तू भी ना अभी एक एक और हो जाए 

राज : नही यार कल क्लास मे भी जाना है चल उठ

लकी: (नशे मे) चल यार आज मे तेरी किसी बात को टालूगा नही चल 

और दोनो उठ कर होटेल से बाहर आकर कार मे बैठ जाते हैं और फ्लॅट की तरफ चल देते हैं फ्लॅट पहुँच कर दोनो मे से किसी ने खाना नही खाया और वैसे ही सो गये अगली सुबह जब लकी की आँख खुली तो राज जॉगिंग के लिए जा चुका था लकी उठ कर बाथरूम मे चला गया राज यूनिवर्सिटी के ग्राउंड मे जॉगिंग कर रहा था तभी ललिता भी एंटर हुई और जॉगिंग करने लगी राज ललिता के आने से पहले दो राउंड लगा चुका था इसीलिए वो बेंच पर आकर बैठ गया और पानी पीने लगा ग्राउंड मे सुबह -2 जॉगिंग करने वालों की भीड़ थी ग्राउंड बहुत बड़ा था इसीलिए कितने लोग ग्राउंड मे हैं इस बात का अंदाज़ा नही लगाया जा सकता था जब ललिता जॉगिंग करते हुए राज के पास से गुज़री तो राज और ललिता दोनो ने एक दूसरे को देखा दोनो की नज़रें मिली ललिता के होंटो पर राज को देख कर मुस्कान आ गयी ललिता की नज़रें राज से हट नही रही थी ललिता राज के सामने से गुजर गयी ललिता ने एक बार फिर पीछे मूड कर देखा राज भी ललिता को ही देख रहा था बेखयालि मे ललिता का पावं उबड़ खाबड़ ज़मीन पर पड़ गया जिससे उसका पैर मूड गया और वो घास पर गिर गयी और दर्द से चिल्ला उठी ललिता को गिरता देख राज एक दम चोंक गया और बेंच से उठ कर ललिता की तरफ भागा और ललिता के पास जाकर उसे कंधों से पकड़ कर सहारा देकर खड़ा किया 

राज : आप ठीक तो हैं ना ज़्यादा तो नही लगी 

ललिता: (फेस पर अभी भी दर्द के भाव थे ) हाँ ठीक हूँ लगता हैं मोच आ गयी है (राज ने उसे सहारा देते हुए बेंच पर लाकर बैठा दिया)

राज ने ललिता को पानी दिया और उसके पास बेंच पर बैठ गया 

राज : लगता है काफ़ी चोट लगी है आपको 

ललिता: नही बस ज़रा सी मोच आ गयी है थॅंक्स फॉर हेल्प 

राज : (वैसे तो ललिता का नाम जानता था बात शुरू करने के लिए उसे और कुछ नही सूझा) जी आपका नाम क्या है 

ललिता: ललिता 

राज : ललिता बहुत ही दिलकश नाम है वैसे मुझ राज कहते हैं 

ललिता: जानती हूँ जब आप ने उसे लड़की को उन गुण्डों से छुड़वाया तो मैं भी वहीं थी मेरे दोस्त ने मुझ आप का नाम बताया था 

राज : तो आप क्या कर रही हैं मेरे मतलब कॉन सा कोर्स कर रही हैं 

ललिता: मैं बी.ए 2न्ड एअर मे हूँ 

राज : और मैं फाइनल एअर मे अगर आप को अभी भी तकलीफ़ है तो मे आपको घर छोड़ देता हूँ 

ललिता: नही मे ठीक हूँ मे चली जाउन्गी 

राज : आर यू स्योर 

ललिता ने हां मे सर हिला दिया और जैसे ही वो खड़ी होकर चलने लगी तो उसके पैर मे फिर से तेज दर्द होने लगा और उसका बॅलेन्स बिगड़ गया इससे पहले कि ललिता गिरती राज ने जल्दी से उठ कर उसे सहारा देकर गिरने से बचा लिया और उसे फिर से बेंच पर बैठा दिया 

राज : आप कुछ देर के लिए यहीं बैठिए मैं अभी अपनी कार लेकर आता हूँ 

ललिता: नही उसकी ज़रूरत नही मे चली जाउन्गी आप क्यों तकलीफ़ कर रहे हैं 

राज : कोई बात नही मैं अभी आता हूँ 

और ये कह कर राज तेज़ी से अपने फ्लॅट की तरफ भागा ललिता होंटो पर मुस्कान लिए राज को जाते हुए देख रही थी राज फ्लॅट के बाहर पहुँचा और उसने लकी को आवाज़ लगाई आवाज़ सुन कर लकी बाहर आया 

लकी: क्या हुआ कहाँ से भागा आ रहा है 

राज : वो तुझे मे बाद मे बताता हूँ पहले ज़रा कार की चाबी नीचे फेंक 
लकी ने कार की कीज़ उठाई और नीचे फेंक दी राज ने चाबी को लपका और तेज़ी से कार का डोर खोल उसमे बैठ गया और कार को यूनिवार्सिटी की तरफ मोड़ लिया और ग्राउंड के बाहर कार पार्क करके ललिता के पास आ गया राज की साँसे फूली हुई थी जिस देख ललिता के होंटो पर मुस्कान आ गयी 

राज : चले आपको छोड़ देता हूँ 

और ललिता खड़ी होने लगी पर दर्द अभी भी उसे खड़े होने मे दिक्कत दे रहा था राज ने अपना हाथ उसकी पीठ से लेजा कर उसके कंधे पर रख लिया जैसे उसके गले मे एक आर्म को डाल दिया हो राज ने एक पल के लिए ललिता की तरफ देखा जैसे उसका रियेक्शन जानने की कोशिस कर रहा हो ललिता के होंटो पर मुस्कान और आँखों मे हया देख राज के दिल को तसल्ली हुई और वो ललिता को लेकर कार की तरफ चलने लगा कार के पास पहुँच कर उसने कार का डोर खोला और ललिता को आगे की सीट पर बैठा कर डोर बंद कर दिया और खुद दूसरी तरफ से जाकर कार मे बैठ गया और कार स्टार्ट करके ड्राइव करने लगा 

राज : तो ललिता जी आपका घर कहाँ पर है मुझ रास्ता बताते जाइएगा 

ललिता: जी

और ललिता उसे रास्ता बताती गयी और कुछ ही मिनिट मे कार ललिता की नानी के घर के बाहर खड़ी थी राज ने कार से निकल कर ललिता को सहारा देकर कार से निकाला और गेट तक ले गया ललिता ने डोर बेल बजाई थोड़ी देर बाद ललिता की नानी ने गेट खोला ललिता को राज का सहारा लिए खड़े देख ललिता की नानी परेशान हो गयी 

नानी: ललिता पुतर क्या हो गया चल जल्दी अंदर आ 

नानी और राज ललिता को सहारा देकर अंदर ले आए और उसे सोफे पर बैठा दिया 

नानी: क्या हुआ मेरे बच्चे (नानी की आँखें नम हो गयी)

ललिता: कुछ नही नानी बस पैर मे ज़रा सी मोच आ गयी है आप यूँ ही फिकर कर रही हो जल्दी ठीक हो जाएगा नानी ये मेरे साथ पढ़ते हैं राज इन्होने आज मेरी बहुत मदद की है 

नानी: (राज के सर पर हाथ रखते हुए) जुग जुग जियो बेटे 
राज : जी अब मैं चलता हूँ ललिता आज आप रेस्ट कर लीजिएगा कॉलेज से छुट्टी ले लो परसों मिलेंगे 

ललिता: जी ज़रूर 

और राज बाहर की तरफ जाने लगा 

नानी: बेटा बैठो तो सही मैं जूस लेकर आती हूँ 

राज : नही आंटी मे लेट हो जाउन्गा अभी तैयार भी होना 

और राज वापिस आ गया आज उसके चहरे की रोनक देखने लायक थी जो लकी से छुपी ना रही 

लकी: लगता है भाई आज तू कोई किला फ़तह करके आया है 

राज : (मुस्कुराते हुए) यार ललिता आज सुबह ग्राउंड मे मिली थी उसके पैर मे मोच आ गयी थी इसे लिए उसे घर छोड़ने गया था 

लकी: वाह यार तू तो सीधा उसके घर तक पहुँच गया बहुत जल्दी तरक्की करेगा 

राज : क्यों तू खुश नही है 

लकी: कैसी बात कर दी यार मुझ से भला और कॉन ज़्यादा खुश होगा

राज : चल तैयार होकर नाश्ता करतें हैं वैसे भी देर हो रही है 

और राज और लकी दोनो नाश्ता करके तैयार हो गये और कॉलेज के लिए निकल गये राज कॉलेज मे पहुँच कर सीधा क्लास मे चला गया और लकी सीधा लाइब्ररी मे और वहाँ पहुँच कर गुरमीत के पास जाकर बैठ गया 

लकी: (धीरे से) और बेब क्या हाल है 

गुरमीत: (लकी को देखते हुए) तुम तुम यहाँ क्या कर रहे हो 

लकी: मेरी जान जहाँ होंगी बंदा भी तो वही होगा 

गुरमीत: देखो लकी सब देख रहे हैं तुम्हें और कोई काम नही है क्लास मे क्यों नही गये 

लकी: अपनी जान को यहाँ अकेला छोड़ कैसे जाता और आज का क्या प्रोग्राम हैं

गुरमीत: कॉन सा प्रोग्राम जाओ यहाँ से वरना मारूँगी हां

लकी: तो फिर बता दो ना आज मिलॉगी कि नही 

गुरमीत: नही आज पॉज़िबल नही है माँ घर पर ही है अच्छा अब तुम जाओ यहाँ से 

लकी: थोड़ी देर तो अपनी दिल की शज़ादी को देख लूँ फिर चला जाता हूँ 

गुरमीत: (होंटो पर मुस्कान आ गयी ) अच्छा ठीक है देखना ही है तो सामने वाले टेबल पर जाकर बैठ जाओ
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