RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
डॉली के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी, और वो कुछ ही पलों मे गरम हो गयी….डॉली ने भी अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया…और रवि के होंठो को चूस्ते हुए उसका साथ देने लगी……
रवि डॉली से थोड़ी देर बाद अलग हुआ, और दोनो स्टोर रूम मे आ गये…रूम के अंदर आते है…डॉली ने अपनी कमीज़ को आगे से थोड़ा ऊपेर उठाया, और अपने दोनो हाथों को सलवार के नाडे पर ले आए…डॉली का उतावला पन और उतेजना देख कर रवि का लंड उसके शॉर्ट्स मे झटके खाने लगा…
रवि आँखे फाडे डॉली को एक टक घूर रहा था…जब डॉली ने उसे अपनी तरफ यूँ देखते हुए देखा, तो वो एक दम से शरमा गयी, और अपने सर को झुका लिया….रवि के नज़रें डॉली के हाथों पर थी…जो नाडे को थामे हुए थी….
डॉली: (शरमाते हुए) ऐसे क्या देख रहे हो….
रवि: (रवि से अब और इंतजार नही हो रहा था) जल्दी खोलो ना….
डॉली के होंठो पर मुस्कान फैल गयी…उसने अपनी सलवार के नाडे को खोलना चालू कर दिया…जैसे ही सलवार का नाडा खोला, डॉली की सलवार ढीली हो गयी…और आगे से थोड़ा नीचे सरक गयी…नीचे डॉली ने रेड कलर की पैंटी पहनी हुई थी…जिसका कुछ हिस्सा रवि की आँखों की सामने आ गया…रवि अब और सबर ना कर सका, और उसने आगे बढ़ कर डॉली को अपनी बाहों मे भरते हुए, एक हाथ उसकी ढीली पड़ी सलवार के अंदर डाल दिया….
जैसे ही रवि ने डॉली की चूत पर पैंटी के ऊपेर से हाथ रखा, डॉली एक दम से सिहर गयी…उसका बदन काँपने लगा…रवि पैंटी के ऊपेर से ही डॉली की चूत को सहलाने लगा, और अपने होंठो को डॉली की नेक पर रख कर चूमने लगा…डॉली के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….
डॉली: आह उंह रवि रूको ओह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो…मुझे उतारने ओह्ह्ह्ह….
रवि ने डॉली को बेड पर धक्का देकर लेटा दिया, और उसकी कमर के दोनो ओर से पैंटी और सलवार को एक साथ पकड़ते हुए, नीचे खीचने लगा…डॉली ने भी जल्दी से अपने चुतड़ों को ऊपेर उठा लिया…और रवि ने डॉली की सलवार और पैंटी को अलग कर दिया…
उसके बाद रवि अपनी टीशर्ट और शॉर्ट्स को उतारने लगा…डॉली भी ज़्यादा इंतजार नही कारण चाहता थी…वो बेड पर बैठ गयी, और अपनी कमीज़ उतारने के बाद अपनी ब्रा भी उतार दी…थोड़ी ही देर मे दोनो एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे…
डॉली ने रवि की ओर देखते हुए, अपने हाथ से रवि के हाथ को पकड़ कर, रवि को अपने ऊपेर खेंच लिया…जैसे ही रवि बेड पर चढ़ कर डॉली के ऊपेर आया, दोनो एक दूसरे के होंठो को चूमते हुए., एक दूसरे की बाहों मे गुत्थम गुत्था होने लगी…डॉली भी अब पूरी तरहा से मस्त होकर रवि का साथ दे रही थी, डॉली मे आए इस बदलाव को देख कर रवि बहुत खुश था…उसे उसकी मन माँगी मुराद जो मिल गये थी…
डॉली ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर रवि के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया, और रवि की आँखों मे झाँकते हुए बोली,
डॉली: (वासना से भरी हुई आँखों से रवि की आँखों मे देखते हुए) अब जल्दी से अपना घुसा दे…देख कैसी आग लगी हुई है…
डॉली की बात सुनते ही रवि के होंठो पर मुस्कान और फैल गयी…रवि अपने लंड को डॉली की चूत के छेद पर दबाने लगा,…जैसे ही रवि के लंड का सुपाडा डॉली की चूत के छेद को फैला कर अंदर घुसा, डॉली ने अपना हाथ रवि के लंड से हटा लिया, और अपनी टाँगों को घुटनो से मोड़ कर रवि की पीठ पर कस लिया…
डॉली की चूत और जांघे खुल चुकी थी…और रवि आसानी से डॉली की चूत मे अपने लंड को पेलने लगा…धीरे-2 हर धक्के के साथ रवि का लंड डॉली की चूत की गहराइयों मे उतरता जा रहा था…डॉली भी अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर रवि के लंड पर अपनी चूत को तेज़ी से पटक-2 कर चुदवा रही थी…
स्टोर रूम का महॉल बहुत ही गरम हो चुका था. रवि और डॉली दोनो की मस्ती से भरी सिसकारियाँ उस छोटे से स्टोर रूम मे गूँज रही थी.. दोनो के बदन पसीने से भर चुके थे….चुदाई अपनी रफ़्तार पर चल रही थी….
ये वासना का खेल जो कल रात शुरू हुआ, 5 सालों तक चलता रहा….रवि अब पूरी तरहा जवान हो चुका था…साहिल स्कूल जाने लगा था….इसबीच डॉली और रवि कई बार अपने गाँव भी गये…पर जब से डॉली और रवि के संबंध बने थे…डॉली ज़्यादातर अपने ससुराल मे ही रहने लगी….और उसने साहिल को भी वहीं अड्मिशन दिला दी थी..
दूसरी तरफ राज की ताक़त दिन बा दिन बढ़ती जा रही थी….अब उसे आस पास के इलाक़े के पुलिस ऑफिसर्स और पॉलिटिशियन्स का भी साथ था…सब उसके पैसे के आगे झुकने लगी थी. और राज ने अपनी खेती के आधे मे अफ़ीम जैसी नशीली चीज़ें भी उगाना चालू कर दिया था…उसकी दौलत और जायदाद मे कुछ ही सालों मे बहुत इज़ाफा हो गया था….और विशाल जैसा दोस्त भी उसके हर काम और धंधे का पार्ट्नर जो था.
राज ने निर्मला के साथ-2 और कई फूलों का रस चखा था….और 5 साल तक निर्मला के बदन को भोगने के बाद उसका मन निर्मला से भर गया था..राज ने निर्मला को ढेर सा पैसा देकर वापिस उसके पति के पास भेज दिया था…
एक दिन राज हवेली मे हाल मे सोफे पर बैठा हुआ था, तभी विशाल अपने बेटे को साथ लेकर उसकी हवेली पर आ गया….बीते सालों मे राज और विशाल का एक दूसरे के घर आना जाना बहुत बढ़ गया था…और इसीलिए वो विशाल के बेटे को भी पहचानता था….विशाल के बेटे अरयून ने राज के पावं छुए, और अपने पापा के साथ सोफे पर बैठ गया….
राज : (अरयून की ओर देखते हुए)तो सरकार आज किधर घूम रहे हो…
अरयून: जी अंकल बस आज मे पापा के साथ घूमने जा रहा हूँ..
विशाल: (हंसते हुए) हां यार ये कल से ज़िद्द कर रहा था, अब यार इस के लिए तो दिन रात काम करता हूँ…अगर इसे ही खुश ना रख सकूँ…तो इतना कमाने का क्या फ़ायदा है…
यार मेरी बात मान तू भी शादी कर ले…किसके लिए इतना कमा रहा है….
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