RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
पूनम: (राज की बाहों मे मचलते हुए) उफ़फ्फ़ बाबूजी जी क्या कर रहे हैं….मालकिन आ जाएगी.
राज : बहुत तड़पाया है मेरी रानी तुमने. आज मुझ अपनी तड़प मिटा देने दो. तुम्हारे कदमों मे दुनिया भर की दौलत बिछा दूँगा.
पूनम: (चौंकने का नाटक करते हुए, उसकी तरफ घूम गयी. और अपनी बाहों को राज के गले मे डाल दिया) सच बाबू जी. मैं आपको इतनी अच्छी लगती हूँ ?
राज : हां मेरी रानी. बस एक बार इस प्यासे की प्यास बुझा दो.
पूनम: वो तो मे बुझा दूँगी. और फिर कभी आपको प्यास भी नही लगेगी. पर आपको मेरी एक बात माननी पड़ेगी.
राज : (पूनम की चुचियों को मसलते हुए) एक क्या, मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ. एक बार बोल कर तो देख.
पूनम: ठीक है बाबू जी. पर आपको मुझे पाने के लिए कल तक का इंतजार करना पड़ेगा.
राज : नही मेरी रानी, अब मे एक पल और इंतजार नही कर सकता. तुम्हारी गदराई हुई जवानी का रस चखने के लिए.
पूनम: नही बाबू जी आज नही. अगर किसी को पता चल गया, तो मे किसी को मुँह दिखाने के लायक नही रहूंगी. और अगर मालकिन को पता चल गया, तो और बाबा भी तो यहीं पर है ना. यहाँ नही. आप मुझ कहीं और ले चलें कल. जहाँ कोई ना हो. और फिर ये सारी की सारी पूनम आपकी दासी आपकी सेवा के लिए हाजिर है.
राज : पर यहाँ क्या डर है ?
पूनम: बाबू जी आप मेरी इतनी सी भी बात नही मान सकते. मैं बस यही चाहती हूँ कि, मेरे और आपके बारे मे किसी को पता ना चले.
राज : (थोड़ी देर सोचने के बाद) चल ठीक है मेरी जान. जहाँ तुम्हे पाने के लिए इतने सालो इंतजार किया, तो एक दिन और सही. कल रात को तुम हवेली के बाहर मेरा इंतजार करना. मे तुम्हे खेत वाली हवेली ले चलूँगा.
पूनम: हां पर आप अकेले रहोगे ना वहाँ पर. मैं नही चाहती कि, मुझे कोई भी वहाँ पर देखे. आप अपने गुण्डों जैसे आदमियों को साथ मे नही लेकर आओगे ना. अगर वहाँ पर आपके अलावा कोई और हुआ, तो मे वापिस आ जाउन्गी.
राज : तुम घबराओ नही मेरी जान. मेरे अलावा और वहाँ कोई नही होगा. मैं सब को जाने लिए कल बोल दूँगा.
ये कहते हुए. राज ने ब्लाउस के ऊपेर से ही, पूनम की चुचियों को ज़ोर-2 से मसलना चालू कर दिया. पूनम दर्द के मारे सिसक उठी. तभी नीचे से कुछ आहट हुई, तो पूनम राज की बाहों से निकल कर तेज़ी से नीचे भाग गयी. और पीछे बने हुए अपने रूम मे चली गयी. साहिल भी उठ चुका था. उसने साहिल को सारी बात बताई, और साहिल फ्रेश होकर राज के पास चला गया.
जब साहिल हवेली के अंदर आया तो, राज सोफे पर बैठा हुआ था. साहिल को देखते हुए, वो मुस्कुराया और बोला.
राज : आओ बैठो . थोड़ी देर रूको, फिर मैं तुम्हे अपनी दूसरी हवेली मे ले चलता हूँ. हमारा ज़्यादा तर काम वहीं से होता है. और जो मुनीम हमने वहाँ रखा है, वो तुम्हे सब काम समझा देगा.
राज उठ कर अपने रूम मे चला गया. और थोड़ी देर बाद तैयार होकर बाहर आया. और साहिल को लेकर अपने खेतो मे बनी हवेली की ओर चल दिया. जैसे ही राज और साहिल हवेली के पास पहुँचे , तो उसने देखा कि, हवेली के चारो तरफ राज के पाले हुए गुंडें हथियारो के साथ पहरा दे रहे थे. साहिल एक बार सोच मे पड़ गया. ये सब देख कर. वो सोचने लगा कि, कल रात को वो कैसे राज के इस चक्रव्यूह को बेध पाएगा.
कहीं कुछ गड़बड तो नही हो जाएगी. राज ने जो पूनम से वादा किया है, क्या राज उस पर अटल रहेगा. यही सोचते हुए, साहिल राज के पीछे चलते -2 हवेली के अंदर आ गया. हवेली मे बहुत से रूम थे. कुछ बंद थे. पर कुछ खुले हुए थे. राज साहिल को सीधा एक रूम मे ले गया. वहाँ पर कोई 55 साल की उमर का एक बूढ़ा मुनीम बैठा हुआ, हिसाब किताब कर रहा था.राज को देखते ही, वो चेयर से खड़ा हो गया.
राज : और सब कैसा चल रहा है मुंशी जी ?
मुंशी: (हाथ जोड़ कर खड़ा होते हुए) सब ठीक है बाबू जी.
राज : अच्छा इनसे मिलो. इसका नाम अजय है. आज से ये आपके काम मे आपको मदद करेगा.
मुंशी: जी जैसा आप कहे.
राज : (घड़ी की ओर देखते हुए) अच्छा मुझे अभी निकलना है. आप इसे हमारे काम के बारे मे सब समझा देना.
मुंशी: जी.
राज : (साहिल को) तुम यही रूको, और मुंशी जी से काम के बारे मे सीखो. शाम को अकेले हवेली मे पहुँच जाओगे ना.
साहिल: जी सर आप फिकर ना करिए. मैं अकेला पहुँच जाउन्गा.
राज वापिस चला गया. राज के जाने के बाद, मुंशी ने साहिल से उसके और उसके परिवार के बारे मे पूछा. और फिर राज के काम धंधो के बारे मे बताना चालू कर दिया. साहिल और मुंशी को दो घंटे बीत चुके थी. शाम ढाल चुकी थी.
मुंशी: अच्छा आज के लिए काफ़ी है. कल सुबह आ जाना. मैं भी बहुत थक गया हूँ. चलो बाहर चल कर थोड़ा घूमते हैं.
साहिल: जी मुंशी जी.
दोनो बाहर आ गये. बाहर अभी भी राज के आदमी पूरी चोकसी के साथ चारो तरफ नज़र रखे हुए थे. साहिल और मुंशी हवेली के चारो तरफ के खेतो मे थोड़ी देर घूमे. और फिर गाँव के लिए निकल पड़े.
फाइनल डे
आज साहिल को अपनी माँ की मौत का बदला लेना था. आज उसे अपने छीने हुए बचपन का राज से हिसाब लेना था. पर इन्सब के बावजूद भी साहिल बेहद घबराया हुआ था. रात के 9 बज रहे थी. राज घर से निकलने के लिए तैयार हो रहा था. सुमन भी जानती थी, की आज राज के पाप के साम्राज्य का अंत होने वाला है.
सुमन: आप इस समय तैयार होकर कहाँ जा रहे हैं ?
राज : वो वो आज कुछ ज़रूरी काम से सहर जा रहा हूँ. कल सुबह ही वापिस आउन्गा. तुम मेरा इंतजार ना करना.
राज जैसे ही कार लेकर हवेली के बाहर निकला. तो उसे हवेली के एक साइड की दीवार के साथ पूनम खड़ी हुई मिली. राज ने उसे इशारे से कार मे आने के लिए कहा. ब्लू कलर की साड़ी मे लिपिटी हुई, पूनम आज उसे किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी.
जैसे ही पूनम कार की तरफ बढ़ी. राज ने कार का डोर खोल दिया. पूनम कार मे बैठी , और राज ने डोर बंद कर दिया. और खेतो के बीच बनी दूसरी हवेली की ओर चल दिया. जैसे ही राज की कार की आवाज़ आना बंद हुई. साहिल हवेली से बाहर की ओर जाने लगा. पर तभी उसे पीछे से सुमन की आवाज़ आई.
सुमन: साहिल रूको.
साहिल: (सुमन की ओर चोन्कते हुए देखता है) मम्मी जी आप इस समय यहाँ क्या कर रही है.
सुमन: मैं भी तुम्हारे साथ चल रही हूँ.
साहिल: नही मम्मी जी. आपका मेरे साथ चलना ठीक नही होगा. अगर हम राजको मार नही पाए, तो यक़ीनन वो हम दोनो को मार देगा. इसलिए मैं आपकी जान ख़तरे मे नही डालना चाहता.
सुमन: मुझे अपनी जान की परवाह नही है. मैं बस उस दरिंदे को अपनी आँखों के सामने तड़पता हुआ दम तोड़ते देखना चाहती हूँ. अब हमारे पास बहस करने का टाइम नही है. जल्दी चलो.
साहिल जानता था, कि वक़्त उसके हाथों से रेत के तरहा फिसलता जा रहा है. इसीलिए दोनो हवेली के पीछे की दीवार को फाँद कर हवेली से बाहर आ गये. और छुपते छुपाते खेतो के बीच बनी हवेली की तरफ चल पड़े. दूसरी तरफ पूनम और राज हवेली के बाहर पहुँच चुके थे. वहाँ पहुँचते ही. पूनम ने हवेली के चारो तरफ नज़र दौड़ाई. वहाँ दो आदमी अभी भी चोकन्ने होकर पहरा दे रहे थे.
पूनम: ये क्या बाबू जी. आप ने कहा था. यहाँ पर कोई नही होगा.
राज : अर्रे ये मेरे बहुत खास और वफ़ादार आदमी है.
पूनम: पर मे नही चाहती कि, मुझ आपके साथ यहाँ पर कोई भी देखे. मैं नही जाउन्गी अंदर.
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