RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
‘ये लो मेरा पानी आआअहह… ’ कह के डिज़िल्वा झरने लगा.
डिज़िल्वा पागल की तराह अपने लंड को तेज़ी से हिला रहा था. उसके लंड से वीर्य की बारिश होने लगी. मा अभी भी गान्ड के दर्द से रो रही थी, पर एक पतिव्रता औरत की तरह उसने अपने पति का वीर्य अपने चेहरे पे लेना जारी रखा. डिज़िल्वा झरते झरते अपना लंड कभी बेटी के चेहरे पे तो कभी मा के चेहरे पे रखता और 3 मिनिट तक झरने के बाद हम दोनो का चेहरा पूरा वीर्य से गीला हो गया था. चेहरे से वीर्य टपक टपक के थोड़ा बूब्स पे भी गिर गया था.
‘अब तुम दोनो एक दूसरे के चेहरे पे से मेरा पानी चटके सॉफ कर लो ‘ मा ने मेरा सर अपने हाथों से पकड़ लिया और मेरे चेहरे से डिज़िल्वा का वीर्य चाटने लगी.
मा के चूमने और चाटने से मुझे अब मज़ा आ रहा था. में भूल गयी थी कि में अपनी मा के साथ सेक्स कर रही हूँ. मेरा चेहरा चाटते वक़्त जब उसका मूह मेरे होंठो के पास आता तो में अपनी जीभ आगे कर देती.
मेरे चेहरे पे से सारा वीर्य चाटने के बाद मा ने अपना चेहरा पीछे लिया. मा के चेरे पे ढेर सारा वीर्य था और इस रूप में वो मुझे बहुत ही सेक्सी लग रही थी. मैने उसको अपने बाहों में भर लिया और उसको ज़ोर से चूमने और चाटने लगी, दो ही मिनिट में उसके उपर का सारा वीर्य मेने सॉफ कर दिया था. मुझे अब मेरी मा के जिस्म को और चखने का मन कर रहा था और में चूमते चूमते उसके गले और फिर उसके गोरे बूब्स तो चूमने लगी. माँ की गान्ड का दर्द अब थोड़ा कम हो गया था और मेरे चूमने से उसके बदन में गर्मी छा रही थी. मैने मा के गोरे जिस्म को चूमना जारी रखा, उसके बूब्स को चूसने के बाद मेने अपने होंठ धीरे धीरे और नीचे लेना शुरू किया. मा बिस्तर पे लेट गयी और मेरे मज़ा लेने लगी. में अब बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी, मेरे होंठ मा की चूत के नज़दीक पहुचते ही मैने अपने होंठ मा की चूत पे रख अपनी जीब बाहर निकाल मा की चूत में घुसा डाली. मा के मूह से ‘आआअहह…’ निकल पड़ी.में मा की चूत को ऐसे चूम रही थी जैसे कोई किसी के होंठो को चूमता हो. में अपने होंठ पूरे ज़ोर से मा के चूत पे दबा के अपनी जीब पूरी की पूरी 3 इंच तक आगे बढ़ा कर मा की चूत को उस से चोदने लगी. मा बहुत ही उत्तेजित हो कर सिसकिया भर रही थी.
मैने मा की चूत को अपनी जीब से चोदते चोदते अपना बदन घुमा दिया और अपनी गीली चूत मा के नरम होंठो पे लगा दिए. मा ने भी पूरी लगन से मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया.
डिज़िल्वा दोनो मा और बेटी को एक दूसरे की चूत चाटते देख रहा था और अपना बैठा हुए लंड को सहला सहला कर धीरे धीरे खड़ा कर रहा था.
में और मा दोनो अब झरने के बहुत करीब थे, और तेज़ी से एक दूसरे की चूत को अपनी जीब से चोद रहें थे. में अपनी गान्ड को आगे कर के अपनी चूत को ज़ोर से मा के मूह पे दबा रही थी. आख़िर हमारा दोनो का झरना शुरू हो गया. हम दोनो मा और बेटी झरते झरते अपनी गान्ड आगे कर रहे थे और अपने होंठ पूरे ज़ोर से एक दूसरे की चूत पे दबा रहें थे. दो तीन मिनिट तक हम यूँ ही झरते रहें और आख़िर हमारा झरना बंद हुआ.
में बिस्तर पे मेरी मा के साथ पड़ी रही और हम दोनो झरने के बाद ज़ोर से साँसे ले रहे थे. झरने के बाद मेरा दिमाग़ धीरे धीरे ठिकाने पे आने लगा. मुझे अपने किए पे बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी.
डिज़िल्वा साइड में जा के मा और बेटी का सेक्स शो देख के खुश हो गया था. उसका मोटा लंड फिर से खड़ा हो गया था. मा की गान्ड फाड़ने के बाद अब उसको बेटी की गान्ड का भी वो ही हाल करना था. वो अब अपना मोटा लंड हाथ में लिए हमारी ओर आने लगा. मेरी नज़र उसपे पड़ी. में झट से खड़ी हो के वहाँ से निकलने लगी, डिज़िल्वा ने मुझे पकड़ ने के लिए हाथ बढ़ाया पर में झट से वहाँ से भाग कर कमरे से निकल गयी.
‘क्या हुआ अमित डार्लिंग’ मा ने पूछा.
‘कुछ नही, कटरीना कैफ़ चली गयी, कैसी लगी तुझे’ डिज़िल्वा बिस्तर पे मा के साथ आके बोला.
‘बहुत ही सेक्सी है वो, उसका जिस्म छू कर लगता हैं कि जैसे कोई रेशम को छू रहा हो’
‘सच बात हैं, कभी मोका मिलेगा तो में फिर से उसको तेरे साथ सेक्स करने के लिए मना लूँगा, फिलहाल तू अपने पति देव के लंड की सेवा कर’ ऐसा बोल के डिज़िल्वा ने अपना लंड मा की चूत पे रख धक्का लगा दिया.
‘ऊऊओह अमित… आआआआअहह, तुम्हारे लौडे के आगे तो करटिना कैफ़ भी कुछ भी नही आआअहह’ करके मा, डिज़िल्वा के लंड का मज़ा लेने लगी.
मैं वहाँ से निकल के अपनी रूम में पहुच गयी. मेरे दिल पे बहुत गहरी ठेस पहुँची थी. डिज़िल्वा ने मेरी मा और मेरे बीच सेक्स करवा के बहुत ही बुरा काम किया था. मैने ठान लिया की आज के बाद में डिज़िल्वा के साथ कोई भी सेक्स के बारे में बात चीत नही करूँगी. दसवी के एग्ज़ॅम पास करके मैने बाहर गाँव की कॉलेज में अड्मिशन ले लिया ताकि में डिज़िल्वा से दूर रहूं. मा को दुख हुआ पर मेरे पास कोई चारा नही था.
यहाँ मा की ज़िंदगी में डिज़िल्वा ने खुशी भर दी थी. धीरे धीरे डिज़िल्वा ने मा के सारे बिज़्नेस की ज़िम्मेदारी ले ली. मा को भी यही चाहिए था, उसका मन अब कारोबार पे नही पर सेक्स में था. इतने सालो तक अपने जिस्म की भूक को दबा के रखने के कारण अब जब उसको सेक्स का मौका मिला था तो बिल्कुल ही दीवानी सी हो गयी थी. उसको सारे वक़्त सिर्फ़ सेक्स ही दिमाग़ में रहता था. डिज़िल्वा के लिए भी ये सबसे अच्छी बात थी. वो जो चाहे और जब चाहे मा से करवाता था. कभी उसकी टाइट गान्ड में अपना लंड डालता तो कभी उसके मूह से अपनी गान्ड चटवाता. ऐसा कुछ भी नहीं था जो मा डिज़िल्वा के लिए नहीं करती. आख़िर दीवाली का समय आ गया.
दीवाली में हर साल मा घर पे नज़दीक के झोपड़पट्टी से ग़रीब भिखारियों को बुला के खाना देती थी. उस साल भी मा ने ऐसा ही किया, उसकी मदद करने में घर आ गयी थी. सुबह से ही घर के सामने लाइन लग गयी थी. मैने इतने दीनो से सेक्स नही किया था और मुझे इससे बहुत बैचैनि हो रही थी.
डिज़िल्वा मेरे पास आके मुझे कहा ‘जब तुम कॉलेज चली गयी तो मुझे और तुम्हारी मा को बहुत याद आती हैं’
‘मैं जानती हूँ तुम्हारे मन में क्या हैं’
‘नहीं सच कहता हूँ, आज मैने तुम्हारे लिए एक शो का इंतज़ाम किया हैं’
‘कैसा शो’
‘शो गेस्ट रूम में होने वाला हैं, 2 बजे तुम कमरे की बाथरूम में छुप जाना’
‘देखो मुझे तुम्हारे साथ अब कोई गंदी चीज़ नही करनी’
‘तुम ग़लत मत समझो मानसी, शो देख के तुम्हे बहुत मज़ा आएगा,तुम्हारी मा भी हैं शो में’
‘मा भी हैं ? तो फिर ठीक हैं’
में दो बजे गेस्ट रूम के बाथरूम में जा के बैठ गयी. गेस्ट रूम बहुत बड़ा कमरा था.
कुछ देर बाद मा और डिज़िल्वा कमरे में आए. दोनो एक दूसरे को ज़ॉरो से चूम रहे थे. मुझे लगा की डिज़िल्वा फिर से मुझे अपनी मा और उसकी चुदाई दिखाना चाहता हैं. पर उसने अपना मूह मा से अलग किया और कहा ‘सावित्री, तुमने शादी की रात मुझे दो औरत के साथ मज़ा लेने का मौका दिया, लेकिन मैने आज तक तुमको एक साथ दो लंड का मज़ा नही लेने दिया’
‘जी ये आप क्या कह रहें हैं, भला में किसी और मर्द के साथ कैसे कुछ कर सकती हूँ’
‘सच बता सावित्री क्या तुझे मन नही करता एक साथ दो या तीन मर्द तुझे ज़ॉरो से चोदे, ज़रा सोच एक साथ तेरे मूह और चूत में लंड’
‘जी मेरे मन में बात तो आई थी लेकिन…’
‘लेकिन वेकीन कुछ नहीं, आज मैने तेरे लिए 3 मर्द का इंतज़ाम कर दिया हैं’
|