RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मेरे मूह खोलते ही डिज़िल्वा ने अपना पूरा बैठा हुआ लॉडा मेरे मूह में डाल दिया. डिज़िल्वा का बैठा हुआ लंड भी इतना बड़ा था कि मुश्किल से पूरा मेरे मूह में समा रहा था. में ज़ोर से डिज़िल्वा का लॉडा चूसने लगी, कुछ मिनाटो के बाद डिज़िल्वा का लंड धीरे धीरे मेरे मूह मैं मुझे खड़ा होता महसूस हुआ. लंड चूस्ते चूस्ते में अपना सर मोडके अपनी मा को उन तीनो के हाथो इस्तेमाल होता देख रही थी. तीनो पागल की तरह मा पे टूट पड़े थे. चंगू और रामू ने अब मा को ज़मीन पे अपने साइड पे लेटा दिया था उन्होने उसकी एक टाँग उपर कर ली थी. चंगू ने अपना मूह मा की चूत पे लगा कर अपनी जीब उसमे डाल दी थी. रामू पागल कुत्ते की तराह मा की गान्ड को चाट रहा था. गान्ड को चाटते चाटते वो अपने दातों से ज़ोर से एक दो बार काट भी लेता. कुछ मिनिट ऐसा करने के बाद उसने अपना मूह मा की गान्ड के छेद पे लगा दिया और अपनी जीब बाहर कर मा के छोटे से छेद के अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा.
चंगू और रामू के मूह से ‘स्ल्ल्ल्लर्र्र्र्रप्प्प्प्प स्ल्ल्ल्ल्लर्र्र्र्रप्प्प्प्प्प्प्प की अव्वाज़े आ रही थी’
दोनो की गीली जीब और गीले होंठो के एहसास से मा को मज़ा आ रहा था, उसकी गान्ड और चूत के दर्द पे वो मरहम का काम कर रहा था. पर मंगु अभी भी मा का मूह ज़बरदस्ती अपने बैठे हुए लंड से चोद रहा था. इससे मा को बहुत तकलीफ़ हो रही थी.
डिज़िल्वा ये सब देख के बहुत उत्तेजित हो रहा था, उसको लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था, और वो बेरहमी से मेरे मूह में उससे ठुस रहा था. मुझे डर था कि अगर लंड पूरा खड़ा होने पर डिज़िल्वा मेरे मूह को चोदेगा तो पता नही क्या हाल होगा मेरा. पर डिज़िल्वा को मेरी चूत को चोदनि थी, उसने अब मुझे ज़मीन पे लेट जाने को कहा. वो मेरे दोनो पैरों के बीच बैठ गया और अपना आधा खड़ा लंड मेरी चूत पे रगड़ने लगा, मेरी चूत पे डिज़िल्वा का गरम लंड मुझे मदहोश कर रहा था. मेरी चूत पूरी गीली हो गयी और दो मिनिट में डिज़िल्वा का लंड पूरा टाइट हो के खड़ा हो गया. डिज़िल्वा के मोटे और लंबे लौडे को खड़ा देख मेरे दिल में हलचल हो रही थी. मुझे वो लंड मेरी चूत के अंदर महसूस करना था. डिज़िल्वा भी अब और इंतेज़ार नही कर सकता था और अपना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत पे रख उसने एक तगड़ा धक्का लगा दिया. इतने दिनो के बाद मेरी चूत में गरम लंड का एहसास पा के मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. डिज़िल्वा ने मेरी चूत में लगातार धक्के लगाना शुरू कर दिए. हम दोनो चोदते और चुदवाते हुए मा की चुदाई देख रहें थे. फिर उसने मेरा सर सीधा करके मेरे होंठो पे अपने होंठ लगा कर मुझे ज़ोर से किस करना शुरू कर दिया. उसकी आँखे मा की चुदाई पे थी. में ज़मीन पे लेटी थी और डिज़िल्वा ने मेरा सर सीधा कर के रखा था. इस वजह से मुझे मा की चुदाई दिखाई नही दे रही थी. में अपना सर मोड़ने की कोशिश कर रही थी पर डिज़िल्वा को मेरा सर सीधा पकड़ अपनी जीब मेरे मूह में डाल के किस करने में बहुत मज़ा आ रहा था. कुछ मिंटो तक डिज़िल्वा मुझे ऐसे ही किस करके चोदता रहा. उसके लंबे लंड के एहसास से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मुझे मा की चुदाई की आवाज़ सुनाई दे रही थी. मा उन लोगों से रोते हुए भीक माँग रही थी ‘नही ऐसा मत करो’ ‘रेहेम करो मुझे पे आाआईयईईईईईई…..’ ‘भगवान के लिए जाने दो मुझे’. मुझे ये सब देखने की उत्सुकता हो रही थी पर डिज़िल्वा को मेरे होंठो से अपने होंठ अलग नही करने थे. बहुत देर मुझे किस करने के बाद डिज़िल्वा ने अपने होंठो से मेरे गले को चाटना शुरू किया. मैने मौका पा के अपना सर मोडके मा की तरफ देखा. मा की बहुत ही बुरी हालत थी. चंगू ज़मीन पे लेटा था और उसने मा को अपने उपर लेटा के रखा था, उसका मोटा लंड मा की गान्ड में था. मंगु मा के उपर था और उसकी चूत में अपना लंड तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. रामू अपना लंड मा के मूह में पूरा ठुसने की कोशिश कर रहा था.
मा ‘म्म्म्ममममम.. म्म्म्मममम..’ करके विरोध कर रही थी और अपने हाथ हवा में मार रही थी. मा का इस तरह से रेप देख मुझे बहुत मज़ा आया और मेरा झरना शुरू हो गया. मा की चुदाई देख मैं बहुत ज़ोर से झर रही थी, डिज़िल्वा का मोटा लंड मुझे पागल बना रहा था. कुछ मिनिट बाद मेरा झरना आख़िर बंद हुआ. डिज़िल्वा अभी भी लगातार मेरी चूत में अपना लॉडा अंदर बाहर कर रहा था.
कुछ देर मेरे गले को चाटने के बाद डिज़िल्वा ने फिर से मेरा मूह सीधा कर दिया और मुझे ज़ोर से किस करने लगा. पता नही कितनी देर तक उसने मुझे जंगली की तरह ज़ोर से चोदा. आख़िर उसका झरना शुरू हो गया, उसने अपनी चुदाई की रफ़्तार और बढ़ा दी, उसके लौडे से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था और मुझे वो गरम गरम वीर्य अपनी चूत मे बहता हुआ महसूस हो रहा था. तीन चार मिनिट तक ज़ोर्से झरने के बाद डिज़िल्वा ने मुझे चोदना बंद किया और मेरे होंठो को किस करना बंद किया. उसके सर छोड़ने पे मैने फिर से अपना सर मोडके मा की ओर देखा. वो तीनो वहाँ से चले गये थे.
मा पूरी नंगी ज़मीन पे पड़ी हुई थी. उसकी गान्ड और चूत से वीर्य बह रहा था. उसके चेहरे और सारे बदन पे वीर्य चिपका हुआ था. उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे. उसका मूह आधा खुला था और उसमे से भी थोड़ा वीर्य बाहर निकल रहा था. वो इतनी थक गयी थी की अपने बदन से वीर्य सॉफ करने की भी ताक़त उसमे नही थी. मेरी सेक्स की भूक मिटने से मेरा दिमाग़ अब धीरे धीरे ठिकाने पे आने लगा. मा का हाल देख मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे. डिज़िल्वा रूम में जा के मा के पास गया. उसने मा को उठा के अपने बेडरूम में ले गया. वहाँ उसने मा को नहला कर सॉफ किया और फिर बिस्तर पे लेजा कर उसको धीरे धीरे से चोद के खुश किया. सुबह तक माँ ने डिज़िल्वा को माफ़ कर दिया था. मुझे यकीन नही हो रहा था कि किस हद तक मा को डिज़िल्वा ने अपने जाल में फ़सा के रखा था. मैने एक बार फिर से कसम खा ली कि आज के बाद में कभी भी डिज़िल्वा के साथ सेक्स नही करूँगी. और में जानती थी कि इस बार मेरी कसम को कोई नही तोड़ सकेगा.
कुछ दिन बाद मेरे स्कूल का दोस्त विवेक हमारे घर आया…
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