RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
‘मम्मी मम्मी मुझे कल की तरह तुम्हारी गान्ड में डालना हैं’
‘नही सुभाषबेटे तुम दूसरे छेद में डालोगे तो तुम्हे और मज़ा आएगा’
‘नही मुझेगांद में ही डालना हैं’
‘देख तू ज़्यादा ज़िद मत कर वरना तुझे मार पड़ेगी’
‘फिकर मत कर सुभाष, मम्मी अगर मना करे तो मैं तेरी मदद करूँगा’ ये बात सुनके सुभाष ने मुझे जाकड़ लिया.
‘नही सुभाष जाने दे मुझे’
‘देखा सुभाष मेने कहा था तुझे, तेरी मम्मी तेरे साथ ठीक सेनही खेलेगी, लेकिन मेरे साथ रहेगा तो हम दोनो मिलके तेरी मम्मी को ठीक सेखेलने को सीखा देंगे हहेहहे’ ससुरजी मेरे बलात्कार का मज़ा ले रहे थे. दोनो ने मिलके मुझे अपने पेट पे लेटा दिया और सुभाष मेरी जांघे केउपर बैठके मेरी गान्ड पे अपने लंड को रगड़ने लगा.
‘नहीसूभाष प्लीज़ जाने दे मुझे प्लीज़’ में विनती करती गयी लेकिन सुभाष को बहुत सेक्स चढ़ गया था और उसने अपने मोटे लंड के उपर का हिस्सा मेरी गान्ड के छेद पे लगा के एक ज़ोरदार धक्का लगाया. उसके लंड का उपर का हिस्सा मेरी गान्ड में घुस गया.
‘आाआआईयईईईईईईईई सुभाष नहियीईईईई ऐसा मत करो प्लीईएआसए’ससुरजी को मेरा ऐसा हाल देख मज़ा आ रहा था.
‘हहेहहे, बहुत अच्छे सुभाष फिकर मत कर कुछ देर में तेरी मम्मी को खेलने में मज़ा आने लगेगा, ’ ऐसा कह के ससुरजी मेरे सामने आ कर बैठ गये और अपना लंड मेरे मूह में दे दिया. उनका लंड अब धीरे धीरेकड़ा हो रहा था. सुभाष धीरे धीरे ज़ोर लगा कर अपना लंड मेरी गांदमें घुसेड रहा था. ससुरजी मेरा सर नीचे अपने लंड पे दबा रहें थे.
दो ही मिनिट में सुभाष का पूरा लंड मेरी टाइट गान्ड में पूरा घुस्गया था.
‘प्लीज़ सुभाष ज़ोर से मत करना’ मेरी बात मान सुभाष धीरे धीरे से मेरी छोटी सी गान्ड में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा. मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा. मेरे जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी. ससुरजी का लंड अब पूरा टाइट हो कर खड़ा हो गया था और उस मोटे लंड का स्वाद मुझे अच्छा लगने लगा था. मैने अब उनका मोटे लंड को अपने होंठो से चूसना शुरू कर दिया और अपनी जीब उनके लंड के उपर के हिस्से पे हिलाने लगी.
‘आआआहह बहू, बहुत अच्छे आआआहह और ज़ोर से चूसो’
कुछ देर तक ऐसे ही ससुरजी का मोटा लंड ज़ोर से चुस्ती रही, सुभाषका लंबा लंड मेरी गान्ड में मुझे अब अच्छा लगने लगा था और में अपनी गान्ड को पीछे धकेल के उससे चुदवा रही थी. ससुरजी को अब मुझे चोदना था.
‘ऐसा करते हैं सुभाष हम दोनो एक साथ मम्मी के दोनो छेद में डालते हैं, मज़ा आएगा, तू एक मिनट के लिए अपना बाहर निकाल’ मेरे दिल में ये बात सुन कर हलचल होने लगी.मुझे भी ये दोनो तगड़े लंड एक साथ अपने अंदर महसूस करने थे.
‘ठीक हैं दादाजी’ ऐसा बोल के सुभाष ने अपना लंड बाहर निकाला.
ससुरजी बिस्तर पे लेट गये और मुझे मुस्कुराते हुए कहा, ‘आओ बहू अपने ससुर की सेवा करो हहहे’
अब तो में सारी शरम गवाँ बैठी थी और बिल्कु सेक्स के लिए पागल होगयि थी. ससुरजी मेरे सामने बैठे थे और उनका काला लंड शान से खड़ा था और मेरी थूक से चमक रहा था. में जा के उनके उपर बैठ गयी और धीरे से उस मोटे लंड को अपनी चूत के अंदर धीरे धीरे लेती गयी.ससुरजी का गरम लंड मेरी चूत को फैला के अंदर जा रहा था, में आगे की ओर झुक गयी और ससुरजी के मूह के आगे रंडी की तरह अपने बूब्स ला दिए.ससुरजी ने अगले ही पल मेरे बूब्स को दबा दबा के चूसना शुरू कर दिया.बूब्स को चूस्ते हुए ससुरजी मेरे निपल्स को अपने दातों के बीच लेके काट्देते और इससे मेरे सारे बदन में सनसनी फैल जाती.
अब ससुरजी का पूरा लंबा लॉडा मेरी चूत के अंदर समा गया था‘आआआआअहह पिताजी आआअहह’ में उनके लंड पे अब उपर नीचे होने लगी. इतने मोटे लंड का एहसास मुझे पागल बना रहा था.
सुभाष ये नज़ारा देख अपने लंड को सहला रहा था. मैने अब अपने दोनो हाथो से अपनी गान्ड को फैला के पीछे सुभाष को देख के कहा ‘आओ सुभाष आआहह अपनी मम्मी के साथ आआआहह…. जी भर के खेलो’. मेरी छोटी सी गान्ड कागुलाबी छेद देख सुभाष खुश हो गया. उसने बिस्तर पे आकर झट से अपना लंड मेरी गान्ड के छेद पे रख ज़ोरदार धक्का लगाया.
‘आआईयईईई’ करके में आगे ससुरजी पे गिर पड़ी. मेरे बड़े . . छाती पे थे. ससुरजी को मेरा नंगा बदन अपने शरीर से चिपका हुआमहसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था. सुभाष बहुत उत्तेजित जो गया था और बेरहमी से मेरी गान्ड में धक्के लगा रहा था, मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन मज़ा बहुत ही ज़्यादा आ रहा था. मेरे बूब्स ससुरजी की छाती पर घिस रहें थे और उनकी छाती के बाल मेरे निपल्स पे लगने से मुझे बहुतमज़ा आ रहा था. ससुरजी भी बहुत उत्तेजित हो गये थे और मेरा सर पकड़केमेरे होंठो पे अपने होंठ लगाके अपनी जीब पूरी मेरे मूह के अंदर डाल केघुमा रहें थे. में भी रंडी की तरह उनके जीब पे अपनी जीब रगड़ रही थी. दोनो तगड़े लंड मेरे अंदर एकदम टाइट हो कर घुसे हुए थे. में तो बिल्लकुल जन्नत में पहुँच गयी थी, ज़िंदगी में इतना मज़ा मुझे पहले नही मिला था. हम तीनो अपने बदन को आगे पीछे कर के चुदाई का भरपूर्मज़ा ले रहे थे. में अब झरने के बहुत करीब थी और ससुरजी को ज़ोर से चूम रही थी. कटरीना कैफ़ जैसी बहू उनको कोई गंदी रांड़ के जैसे चूम रही थी, इससे ससुरजी को बहुत मज़ा आ रहा था. अचानक सुभाष ने मेरी गांदमारना रोक दिया.
‘रोको मत सुभाष बेटे प्लीज़ अपनी मम्मी की गान्ड को ज़ोर से चोदो’मैने मूड के सुभाष को देखा. वो कमरे के दरवाज़े की और देख रहा था और उसके चेहरे पे बहुत डर था. मैने दरवाज़े पे देखा, मेरे पति वहाँ पर खड़े थे, वो ऑफीस से मुझे सर्प्राइज़ देने के लिए जल्दी आ गये थे,उनके हाथो में मेरे लिए एक फूलों का गुलदस्ता था. वो हमारी और देख रहे थे, उनके चेहरे पे गुस्सा नही पर बहुत ही ज़्यादा दर्द था. बिना कुछ कहे वो वहाँ से मूड के अपने कंप्यूटर वाले कमरे में चले गये. में वहाँ से उठके अपने कपड़े फटाफट पहेन के उनके पीछे गयी, मुझे समझ में नही आ रहा था कि में क्या कहूँगी उनको, बहुत डर लग रहा था.
कमरे में जाके मैने देखा कि मेरे पति अपनी कुर्सी पे बैठे थे,उनकी आँखें लाल थी पर उसमे एक भी आँसू नही था. उनके हाथ में थी उनकी रेवोल्वेर. उन्होने रेवोल्वेर मेरी तरफ तान के रखी थी.
‘ठहरिए में आप को सब बताना…’ मेरी बात ख़तम होने से पहले ही उन्होने रेवोल्वेर को अपने मूह में लेके घोड़ा दबा दिया. ठाआआआआण…… करके गॉलींके मूह के अंदर से होती हुई उनके भेजे को चीरती हुई पीछे की दीवार मे जड़ गयी. दीवार पे गोली के साथ खून की पिचकारी और उनका आधा भेजा गिरा.
‘नहियीईईई…’
|