RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मौसी ने कहा:,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तू तो जानती हैं तेरे नानाजी कन्हैयालाल बहुत बड़े ज़मींदार हैं. हमारी मा यानी तेरी नानी ने बचपन से हमेशा अपनी बेटियों को नानाजी से दूर रखा. हम जब पूछते तो वो कहती कि नानाजी बहुत गुस्से वाले हैं इसीलिए. बचपन से ही हमे बड़ी सी बोरडिंग स्कूल में भेज दिया था. छुट्टियों पे घर आते तो नानी हमेशा हमारे आस पास रहती और कभी भी हमे नानाजी के साथ अकेले नही रहने देती.
फिर जब मा की उमर *****साल की थी और में ****साल की थी तब अचानक नानी की तबीयत बिगड़ गयी. उसी वक़्त मा की दसवीं की एग्ज़ॅम चल रही थी. नानी की तबीयत के कारण मा एग्ज़ॅम में फैल हो गयी. हम दोनो बोरडिंग स्कूल से घर वापस आ गये. घर वापस आते ही कुछ दिनो में नानी का स्वरगवास हो गया.
नानी के गुज़रने के कुछ ही वक़्त बाद में एक दिन अपनी गुड़िया से खेल रही थी. हमारे घर पे एक कमरा था जहाँ पिताजी का सब ज़मींदारी का हिसाब किताब होता था. वहाँ पर आम तोर पे मुनीम जी काम किया करते थे. मुनीम जी लगभग 60 साल के थे, बचपन से ही हम उनको प्यार से मुनीम अंकल कहते थे. उस कमरे में कोई नही था. में साइड के एक टेबल के नीचे जा कर अपनी गुड़िया से खेल रही थी. तभी वहाँ नानाजी और मुनीम जी आए.
नानाजी मुनीम जी से बात कर रहें थे ‘तो इसका मतलब आज से ये सारी जायदाद जो मेरी बीवी के नाम थी उसका मालिक सिर्फ़ में हूँ?’
‘जी हुकुम’
‘और मेरी बेटियाँ के नाम कुछ भी नही ?’
‘जी हुकुम सारी कारवाही भी पूरी हो गयी हैं’
‘बहुत खूब हहहे अब तो जश्न मनाने का वक़्त हैं, सावित्री को बुला के यहाँ लाओ’
‘जी हुकुम, में अभी सावित्री बेबी को लेकर आता हूँ’
में टेबल के नीचे छुपी रही.
‘जी पिताजी आपने मुझे बुलाया ?’ मुनीम जी मा को लेकर आए.
नानाजी के हाथ में मा की दसवीं का रिज़ल्ट था.
‘ये क्या हैं’
‘जी वो मा की तबीयत ठीक नही थी इसलिए मुझसे ठीक तरह से पढ़ाई नही हुई’
‘हमारे घर में आज तक कोई फैल नही हुआ, साली कुत्ति’ ऐसा कह के नानाजी ने मा को एक कस के चाँटा लगा दिया.
मा का गाल लाल हो गया और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे. आज तक उसको ज़िंदगी में किसी ने डांटा भी नही था. उसको अपने गाल के दर्द से ज़्यादा नानाजी की गाली और मुनीम जी के सामने अपमानित होने का दुख ज़्यादा हुआ.
‘तुम्हारी मा ने दोनो बेटियो को बिगाड़ के रख दिया हैं. तुझे सज़ा देनी होगी’
‘मेरी छड़ी लाओ मुनीम जी’ मुनीम जी ने कही से एक छड़ी लादी.
‘चल अब टेबल पर झुक जा’
‘जी ये क्या कह रहें हो पिताजी’
‘सुनाई नही देता ? लगाऊ एक और चाँटा’ नानाजी ने अपना हाथ उपर किया
डर के मारे मा टेबल पे झुक गयी. उसके टेबल पे झुकते ही नानाजी ने रस्सी निकालके उसके हाथ टेबल के साथ बाँध दिए.
‘ये क्या कर रहें हो पिताजी, जाने दो मुझे’
‘अगर हाथ नही बाँधा तो ठीक से सज़ा कैसे दूँगा तुझे’
ऐसा कह के नानाजी ने मा का स्कर्ट एक झटके में उपर कर दिया.
‘आए ये क्या कर रहें हो पिताजी, मुझे जाने दो, में अब बच्ची नही हूँ’ मा अपने हाथ रस्सी से निकालने की कोशिश करने लगी.
‘चुप बैठ सावित्री, अगर बचपन में छड़ी से सज़ा दी होती तो अपने बाप के सामने ऐसे ज़बान नही चलाती’
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