RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कविता भी अब काफ़ी मस्ती मे थी,,,उसके मुँह से अब सिसकियों की आवाज़ भी तेज हो गई थी और वो अपने हाथ से अपने
बूब को ज़ोर ज़ोर से दबा कर मुझे चुस्वा रही थी,,,और दूसरे हाथ से मेरे सर को सहला रही थी साथ साथ
सिसकियाँ लेती हुई मेरा नाम ले रही थी,,,मैं करीब 8-10 मिनट से उसे ऐसे ही चोद रहा था फिर मेरा
दिल किया पोज़ चेंज करने को लेकिन मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मेरा दिल नही कर रहा था उसके उपर से
उठने को या अपना लंड उसकी चूत से बाहर करने को,,इसलिए मैं ऐसे ही लेटा लेटा उसकी चूत मारता रहा कुछ
देर बाद उसकी आवाज़ तेज होने लगी थी करीब 12-15 मिनट बाद मैं समझ गया कि अब वो झड़ने वाली है इसलिए
मैने स्पीड थोड़ी तेज करदी लेकिन इतनी देर मे वो झड गई थी और झडते हुए उसकी आवाज़ पूरे रूम मे घूजने
लगी थी,,,मुझे पता था अब वो दूसरी बार लगातार नही कर सकेगी इसलिए मैने उसके उपर से उतरने की कोशिश
की लेकिन तभी उसने सिसकियाँ लेते हुए मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और मेरी पीठ को तेज़ी से आगे पीछे करने
लगी ,मैं उसकी हिम्मत से हैरान हो गया लेकिन मस्ती मे होने की वजह से मैने झटके लगाना चालू रखा और
तेज़ी से उसकी चूत मारनी शुरू करदी अभी वो ठीक से झड़ी भी नही थी कि दूसरी बार मेरे साथ मस्ती करने
लगी थी,,,,फिर जब तक मेरे लंड से पानी नही निकला मैं उसकी चूत मरता रहा ,,,मैने कोई पोज़ चेंज नही
किया बस उसके उपर लेटा रहा वो भी ऐसे ही लेटी लेटी मेरी पीठ को सहलाती रही,,,जब मेरे लंड से पानी निकलने
लगा तो मैने लंड को बाहर निकाला और अपने हाथ मे पकड़ कर उसके पेट पर रखा और तेज़ी से मूठ मारते हुए
अपने स्पर्म को उसके पेट पर गिरा दिया,,तभी उसकी चूत ने भी पाना बहाना शुरू कर दिया उसकी चूत से
इतना पानी निकला कि बेडशीट भीग गई,,,शायद उसने पेशाब कर दिया था ,,लंड से स्पर्म निकलते टाइम जब उसकी
चूत से निकलने वाले पानी की छींटे मेरी टाँगों पर पड़ी तो मैने मस्ती मे उसकी तरफ देखा तो उसने अपने
फेस को शरमाते हुए एक तरफ मोड़ लिया और तेज़ी से सिसकियाँ लेते हुए तेज तेज साँसे लेने लगी,,,
लंड से पानी निकलने के बाद मैं बेड पर उसकी बगल मे लेट गया और खुद की हालत पर क़ाबू करने की
कोशिश करने लगा,,,,,मैं आज बहुत खुश था कविता के साथ मस्ती करके,,,,मैं तबसे भरा हुआ था जबसे
मैने करण को रितिका को गोद मे उठाकर रूम मे लेके जाते देखा था ,,,मेरा भी दिल था सुहागरात मनाने
के लिए और ये थी मेरी सुहागरात,,भले ही मैने कुछ टाइम पहले कामिनी भाभी के साथ भी मस्ती की थी लेकिन
मुझे जो मज़ा आज कविता के साथ आया था वो मज़ा पूरी ज़िंदगी मे कभी नही आया था,,,,,,,
मैं और कविता दोनो नंगे जिस्म बेड पर लेटे हुए थे ,,,मैं भी बहुत थक गया था और कविता भी ,,सर्दी
शुरू हो गई थी लेकिन फिर भी हम दोनो नंगे ही लेटे हुए थे ,,अभी कुछ देर पहले चुदाई की थी एक दूसरे
के जिस्म को अपने जिस्म की गर्मी से गर्म किया था इसलिए सर्दी का एहसास तक नही हो रहा था,,,काफ़ी टाइम तक रूम
मे सन्नाटा रहा बस मेरी और कविता की तेज तेज साँसे गूँज रही थी रूम मे,,फिर कुछ देर बाद मुझे बेड
के हिलने की आवाज़ हुई शायद कविता हिली थी,,मैने अपने सर को कविता की तरफ किया तो देखा कि उसका ध्यान मेरी
तरफ था लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा उसने अपने फेस को दूसरी तरफ टर्न कर लिया और बेड पर उठकर
बैठ गई,,उसकी टाँगे ज़मीन पर थी शायद वो उठने लगी थी,,,तभी उसने उठने की कोशिश की पर शायद उसकी
हालत ठीक नही थी,,उसके जिस्म मे जान नही बची थी उठने के लिए वो बहुत ज़्यादा थकि हुई लग रही थी,,लेकिन
फिर भी उसने कोशिश करके अपने जिस्म को बेड से उठाया और पास मे पड़ी एक चद्दर को अपने नंगे जिस्म पर
ओढ़ लिया और वहाँ से चलके थोड़ी आगे की तरफ हो गई,,,वो आगे को चलने की कोशिश कर रही थी लेकिन सॉफ पता
चल रहा था कि उस से चला नही जा रहा था,,,शायद चुदाई के दर्द की वजह से या फिर चुदाई के सुख की वजह
से उसका जिस्म बहुत ज़्यादा थक गया था,,,,,वो हल्के हल्के कदम बढ़ाती हुई आगे की तरफ बढ़ने लगी फिर एक जगह
रुक कर नीचे झुक गई,,,मैने बेड पर उपर उठके देखा तो वो ज़मीन पर पड़ी हुई अपनी बनियान नुमा कुर्ते
को उठा रही थी जो उसने उतार कर फैंका था अपने जिस्म से,,,,वो जैसे ही कुर्ता उठाने के लिए झुकी तो खुद को
संभाल नही सकी और नीचे गिर गई,,,,
मैं एक दम से बेड से उठा और उसके पास चला गया,,मैने पास जाके उसको सहारा दिया और उठाकर खड़ा कर दिया
फिर नीचे से उसका कुर्ता उठाकर उसको पकड़ा दिया,,,उसने कुर्ता पकड़ते टाइम मेरी तरफ देखा और मेरे नंगे
जिस्म को देखकर शरमाने लगी,,उसने शरमाते हुए अपने कुर्ते को पकड़ लिया,,मैं समझ गया कि ये मेरे से
शरमा रही है इसलिए कुर्ता पहनने के लिए यहाँ आ गई थी,,,क्यूकी और कोई कपड़ा नही था आस पास मे एक चद्दर
थी जिसको उसने पहले ही ओढ़ लिया था अपने जिस्म पर,,,,,मैने उसको सहारा दिया हुआ था फिर मैने उसको बेड की
तरफ लेके आने की कोशिश की लेकिन उसने अपना हाथ उठाकर मुझे बाथरूम की तरफ चलने का इशारा किया,,
मैं उसको बाथरूम की तरफ लेके जाने लगा,,,उसका चलना बहुत मुश्किल हो गया था,,,उसके जिस्म मे शायद जान
ही नही बची थी,,,वो बड़े हल्के कदमो से चल रही थी 1-2 बार तो गिरते गिरते बची थी,,,जैसे तैसे मैने
सहारा देके उसको बाथरूम तक पहुँचा दिया,,,
बाथरूम के दरवाजे के पास जाके उसने मुझे वहीं रोक दिया और बाथरूम के दरवाजे को पकड़कर बाथरूम
के अंदर चली गई और अंदर जाते ही दरवाजा भी बंद कर लिया,,,
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