Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:13 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने फिर जान बूझ कर डरते हुए,,,,आप माल नही गई ,,क्या रास्ते से वापिस आ गई थी,,,,कब आई आप वापिस

अरे तू फिर से डर क्यू रहा है,,इतना बोलके आंटी ने मुझे अपने पास खींच लिया ऑर अपने गले से लगा
लिया,,,,बोला ना मैं अभी आई हूँ ,,,तू डर मत तेरी कोई चोरी नही पकड़ी मैने,,,,,

मैं जब कोई चोरी की ही नही तो मैं क्यू डरू आंटी जी,,,,,

फिर डर क्यू रहा है,,इतना बोलकर आंटी ने मुझे अपने जिस्म से ज़ोर से चिपका लिया ,,आंटी के हाथ मेरे सर
पर थे ,,आंटी ने मेरे सर को अपने बूब्स पर रख लिया ऑर मेरे सर को अपने बूब्स पर दबा लिया,,

मेरा दिल तो किया कि अभी बूब्स को मूह मे भर लूँ लेकिन मैने कोई जल्दबाज़ी नही की ऑर आंटी ने भी मुझे
ज़्यादा देर तक नही पकड़ा ऑर जल्दी ही छोड़ दिया,,,,,


अच्छा बता डिन्नर मे क्या खाना है,,,,,

डिन्नर अभी,,,,,अभी तो बहुत टाइम है डिन्नर मे आंटी जी,,,,

बेटा तू ठीक से अभी सो नही पाया है,,,,मैं भी कुछ थक गई हूँ,,,,क्यू ना आज जल्दी डिन्नर करले ऑर जल्दी
सो जाए,,,,नही तो तुम्हारा सर दर्द होने लगेगा,,,,ऑर मुझे भी अजीब फील होने लगेगा,,,,

ठीक है आंटी जी जैसा आप बोलो.,,,,,,

फिर आंटी किचन मे चली गई ऑर मेरे हाथ से देसी घी की कटोरी भी पकड़ कर ले गई,,,,

मैं वापिस करण के रूम मे चला गया,,,,,

करीब 5-20 मिनट बाद ही आंटी ने मुझे आवाज़ लगा दी डिन्नर के लिए,,,,मैं हैरान इतनी जल्दी डिन्नर
कैसे बन गया,,,,,


मैं बाहर गया ऑर देखा की आंटी ने राइस बना लिए थे,,ऑर साथ मे जो दाल ऑर सब्जी थी वो कल वाली थी,,,

मैं समझ गया आंटी ने जल्दी जल्दी मे कुछ नही बनाया बिना राइस के,,,,मैं जाकर चेयर पर बैठ गया ऑर
आंटी ने मुझे प्लेट लगा दी,,,,आज मैं डिन्नर टाइम से 2 अवर्स पहले ही डिन्नर कर रहा था,,भूख तो
नही थी लेकिन जल्दी सोने की चाहत मे मैं खाना खाने लगा ऑर आंटी भी,,,,जितना टाइम आंटी ऑर मैं
खाना खाते रहे उतना टाइम आंटी मुझे शरमाते हुए अजीब नज़रो से देख रही थी,,,,,

डिन्नर करके मैं करण के रूम मे चला गया ऑर जाके लेट गया,,,,मैं आज आंटी के रूम मे नही जाना
चाहता था,,,देखना चाहता था कि आंटी के जिस्म मे कितनी आग लगी है आज,,,क्या वो मेरे रूम मे आती है
या नही,,,अगर आ गई तो आज का प्रोग्राम फिट हो जाना है,,,अगर नही आई तो देखते है,,,,,,

करीब 30 मिनट बाद आंटी मेरे रूम मे आ गई,,,,,,

क्या हुआ बेटा ,,आज सोना नही क्या,,,,

सोना है आंटी जी ,,,,,,अभी नींद नही आई थोड़ी देर गेम खेल लेता हूँ शायद नींद आ जाए,,,,

तभी आंटी मेरे बेड पर बैठ गई,,,,ये बेड करण का था जो 4 बाइ 6 फीट का था,,,,एक आदमी के लिए काफ़ी था
लेकिन 2 लोगो का सोना मुश्किल था,,,,

आंटी बेड पर बैठ गई,,,,,सोने के लिए गेम खेलने की क्या ज़रूरत है,,,मैं सुला देती हूँ तुमको,,,,इतना
बोलकर आंटी ने मेरे हाथ से लॅपटॉप पकड़ा ऑर टेबल पर रख दिया,,ऑर मेरे साथ लेट गई,,,,ऑर मेरे सर
पर प्यार से हाथ फेरने लगी,,,,,चलो सो जाओ वर्ना सर दर्द होने लगेगा,,,,ऑर मुझे भी बहुत नींद आई
है,,,,,

आंटी ने मेरी तरफ करवट ली जबकि मैं सीधा लेटा हुआ था छत की तरफ मूह करके,,,,आंटी मेरे सर पर
हाथ फेरने लगी ओर करीब 15-20 मिनट बाद मेरी स्नोरिंग शुरू हो गई ,,हमेशा की तरह,,,,ये नकली
स्नोरिंग थी लेकिन फरक इतना था कि आज आंटी को भी पता था ये स्नोरिंग नकली है,,,,,स्नोरिंग शुरू होने के
2 मिनट बाद ही आंटी का हाथ मेरे सर से उठा ऑर मेरी छाती पर आ गया ऑर आंटी ने मेरी छाती को
प्यार से सहलाना शुरू कर दिया,,,लेकिन ये सब नॉर्मल था,,कुछ खास नही था,,,कुछ देर ऐसे ही आंटी मेरी
चेस्ट को सहलाती रही,,,मैं समझ गया कि आंटी का दिल तो कर रहा है मस्ती करने का लेकिन आंटी थोड़ा डर
रही है इसलिए आंटी का डर कम करने के लिए मैने आंटी की तरफ करवट ली,,,,बेड पर जगह कम थी ऑर
जैसे ही मैने करवट ली मैं आंटी के साथ चिपक गया,,,,आंटी का फेस मेरी तरफ था ऑर मेरा फेस आंटी
की तरफ,,आंटी का एक हाथ पिल्लो ऑर मेरे सर के बीच था ,,मेरा सर आंटी के हाथ पर था जबकि आंटी का
दूसरा हाथ मेरे सर पर था,,,,मैं मोका देखा ऑर मैने अपने सर को आंटी के बूब्स के करीब कर लिया
लेकिन बूब्स को टच नही किया,,,,,,लेकिन तभी आंटी ने आगे बढ़ कर अपने बूब्स को मेरे करीब कर दिया ऑर
अपने हाथ को भी मेरी पीठ पर ले गई,,,ऑर प्यार से मेरी पीठ को सहलाने लगी,,,,,मैं समझ गया कि आंटी
अकेले कुछ नही करने वाली,,,क्यूकी वो थोड़ा डर रही थी,,,,आंटी का डर दूर करने क लिए मुझे भी आंटी
का साथ देना होगा,,,,,,,,,मैं आगे बढ़ कर अपने सर को आंटी के बूब्स पर दबा दिया ऑर तभी आंटी ने भी
अपने हाथ को मेरी पीठ से उठा कर मेरे सर पर रखा ऑर मेरे सर को अपने बूब्स पर दबा लिया ,,,,

आंटी ने आज लोंग नाइटी पहनी हुई थी ,,,,,जो उनके घुटनो तक आती थी,,,लेकिन ये नाइटी भी काफ़ी पतले कपड़े
की थी,,,,,आगे से एक पट्टी थी जिस से उन्होने अपनी नाइटी को अपने पेट पर बाँधा हुआ था,,,,,जहाँ से पट्टी
पेट पर बँधी हुई थी वहाँ से तो उनकी नाइटी ठीक थी लेकिन बाकी जगह से उनकी नाइटी थोड़ी खुली हुई थी
जिसस वजह से उनके बूब्स भी नंगे हो गये थे,,,उन्होने नीचे ब्रा भी नही पहना हुआ था,,,,मेरा सर उनके
दोनो बूब्स की लाइन पर चला गया था,,,आंटी के बूब्स बहुत बड़े बड़े थे,,,,उनका उपर की तरफ वाला बूब
मेरे गाल पर लगा हुआ था ऑर उनके बूब की ब्राउन कॅप मेरे गाल को टच कर रही थी,,मैने हिम्मत
करके अपने फेस को हल्का सा टर्न किया ऑर अपने लिप्स को बूब की कॅप पर टच कर दिया,,,मेरे ऐसा करते ही
आंटी के मूह से हल्की अह्ह्ह्ह निकल गई ,,,,,
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12-21-2018, 02:13 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मेरे लिप्स आंटी के एक बूब की कॅप पर टच तो हो गये थे लेकिन मैने इस से आगे कुछ नही किया ऑर आराम
से लेटा रहा तभी आंटी का हाथ पूरी मस्ती मे मेरी पीठ ऑर सर पर घूमने लगा,,,,उनसे अब कंट्रोल नही
हो रहा था ,,वो अपनी मस्ती को जाहिर करने के लिए बड़े मस्त अंदाज़ से मेरी पीठ ऑर सर पर अपना हाथ
घुमा रही थी,,,,,,लेकिन मैं ऐसे ही लेटा रहा ऑर हल्की स्नोरिंग करता रहा,,,आंटी को पता था कि मैं
जाग रहा हूँ लेकिन मैं डर रहा हूँ कुछ करने से इसलिए उन्होने हिम्मत की ऑर अपने उस बूब को
अपने हाथ मे पकड़ लिया जिसकी कॅप मेरे लिप्स पर टच कर रही थी,,,,आंटी ने उस बूब को हाथ मे पकड़ा
ऑर अपने हाथ से हिला कर अपने बूब की कॅप को मेरे होंठों पर रगड़ने लगी,,,वो मुझे इशारा कर रही
थी अपने लिप्स खोलने के लिए ऑर मैने भी ऐसा ही किया,,,,एक ही पल मे अपने लिप्स खोल दिया ऑर आंटी के बूब
की कॅप को अपने लिप्स मे भर लिया,,,लेकिन आंटी इतने से खुश नही हुई उन्होने अपने बूब को हाथ से आगे
करके ऑर ज़्यादा मेरे मूह मे भरने की कोशिश की ऑर मैने भी अपने मूह को ऑर ज़्यादा खोल दिया जिस से बूब
मेरे मूह मे भर गया ,,,,लेकिन अभी भी मैने उसको चूसना शुरू नही किया,,,,


ये बात नही थी कि मैं मस्त नही हुआ था लेकिन मैं चाहता था कि ज़्यादा से ज़्यादा मेहनत आंटी करे ऑर
कुछ ऐसा करे कि मैं मस्ती मे पागल हो जाउ,,,,वैसे मैं मस्त हो चुका था ऑर मेरा लंड भी पूरी
ओकात मे आ गया था,,,,ऑर इस बात का आंटी को भी पता चल गया था,,,,मेरा लंड आंटी की टाँगों के
साथ टच हो रहा था ,,,तभी आंटी ने अपनी एक टाँग से मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया ऑर अपने
घुटने से मेरे लंड को हल्के से रगड़ने लगी,,,,,,,लेकिन फिर भी मैने कुछ नही किया तो आंटी से अब
रहा नही गया आंटी ने जल्दी से अपने हाथ को नीचे किया ऑर निक्कर के उपर से मेरे लंड को हाथ मे पकड़
लिया,,,,,बस मेरे लिए इतना ही काफ़ी था ,,,,मैने भी अपने मूह को हल्का सा खोला ऑर आंटी के बूब को ऑर भी
ज़्यादा मूह मे भर लिया ऑर हल्के से चूसने लगा,,,,,आंटी के मूह से आह निकली ऑर आंटी ने मेरे लंड को
निक्कर के उपर से सहलाना शुरू कर दिया,,,,,पहले तो आंटी ने लंड को मुट्ठी मे दबा लिया ऑर हल्के हल्के
दबाती रही फिर आंटी का हाथ मेरे लंड पर उपर नीचे चलने लगा,,,ऑर इधर मैं भी आंटी के बूब को
अच्छी तरह से चूसने लगा,,,,तभी मैने अपने हाथ को नीचे किया ऑर आंटी के हाथ को अपने लंड से अलग
करके अपने लंड को निक्कर से बाहर निकाल दिया ऑर फिर से आंटी का हाथ पकड़ा ऑर अपने लंड पर रख दिया


,,,,,पहले तो आंटी ने हाथ हटा लिया लेकिन मैने दोबारा से आंटी का हाथ पकड़ा ऑर अपने लंड पर रख
दिया,,,इस बार आंटी ने हाथ दूर नही किया ऑर मेरे लंड को प्यार से सहलाने लगी,,,मैने भी हिम्मत की
ऑर आंटी के बूब को मूह मे भरके चूसने लगा,,,,फिर मैने अपने हाथ से नाइटी की उस पट्टी को खोल
दिया जो आंटी एक पेट पर बँधी हुई थी,,ऐसा करते ही नाइटी का वो हिस्सा जो बेड पर नीचे की तरफ था वो
बेड पर गिर गया ओर उपर वाले हिस्से को मैने अपने हाथ से उठा कर उनकी पीठ की तरफ मोड़ना चाहा ,,,

मेरी आँखें बंद थी लेकिन नाइटी को अड्जस्ट करते टाइम मैने अपनी आँखें खोल ली थी,,,,रूम की लाइट अभी
भी जल रही थी,,,,मैं नाइटी को आंटी की पीठ की तरफ करते हुए एक बार नज़रे उठा कर आंटी की तरफ देखा
तो आंटी ने जल्दी से मेरे लंड पर से अपना हाथ उठा लिया ऑर अपने हाथ को बेड के पीछे की तरफ लगे स्विच
बोर्ड की तरफ ले गई ऑर लाइट बंद करदी,,,,,,,मैं समझ गया कि आंटी कुछ डरी हुई थी,,,,वो मेरी नज़रो का
सामना करने से खुद को बचा रही थी,,इसलिए तो लाइट ऑफ करदी थी,,,,,,लाइट ऑफ होते ही मेरी हिम्मत पूरे
जोश के साथ बढ़ गई ऑर मैने आंटी की नाइटी को उनकी पीठ की तरफ मोड़ दिया ओर आंटी के दोनो बूब्स को
अपने हाथों मे पकड़ लिया ऑर एक बूब को मूह मे भरके चूसने लगा ऑर दूसरे को हाथ मे लेके मसल्ने
लगा,,,,,आंटी के मूह से आह आह की सिसकियाँ निकलने लगी ऑर आंटी ने अपने हाथ को वापिस मेरे लंड
पर रख दिया,,,,मैने अपनी टाँगों को थोड़ा हिला हिला कर अपनी निक्कर को नीचे किया ऑर फिर अपनी टाँगों
से अलग करके साइड पर फैंक दिया ऑर नंगा हो गया ऑर अपने एक हाथ को आंटी की चूत की तरफ ले गया लेकिन
मैने आंटी की चूत को हाथ नही लगाया बल्कि आंटी की एक टाँग को पकड़ कर उपर उठा लिया ऑर अपनी कमर
पर रख दिया जिस से आंटी की चूत खुल कर मेरे लंड के सामने आ गई ऑर आंटी ने भी खुद को अड्जस्ट करते
हुए अपनी चूत को मेरे लंड के करीब कर दिया,,,,आंटी का हाथ मेरे लंड को सहलाता हुआ उनकी चूत पर
टच करने लगा था ऑर साथ ही मेरे लंड की टोपी भी आंटी की चूत पर रगड़ खाने लगी थी,,,मेरे से
अब सबर नही हो रहा था मैने आंटी की टाँग को पकड़ा ऑर उपर उठा दिया ऑर अपनी कमर को आगे की
तरफ झटका मारा तो लंड आंटी की चूत के मूह पर लगने लगा,,,आंटी भी समझ गई कि अब मेरे से
रुका नही जा रहा तो आंटी ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा ऑर अपनी चूत के मूह पर रख दिया ऑर
तभी मैने झटका मार तो मेरा 3 इंच लंड आंटी की चूत मे घुस गया ऑर आंटी के मूह से एक लंबी
आहह निकल गई लेकिन आंटी ने जल्दी से अपने हाथ को अपने मूह पर रखा ऑर आवाज़ को दबाने की कोशिश
की लेकिन आंटी थोड़ा लेट हो गई,,,,उनके मूह से आहह निकल चुकी थी ऑर उनकी मस्ती को ब्यान कर चुकी
थी,,,,
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12-21-2018, 02:14 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने आंटी की टाँग को अपने हाथ मे पकड़ा ऑर फिर लंड को पीछे किया ऑर तेज़ी से झटका मारा तो एक बार
मेरा आधे से ज्याद लंड आंटी की चूत मे घुस गया ऑर आंटी की फिर से आहह निकल गई लेकिन आंटी का
हाथ उनके मूह पर था इसलिए अहह कुछ दब कर रह गई,,,,,मैने अपनी कमर को पीछे किया ऑर तीसरा झटका
मारा तो पूरा का पूरा लंड आंटी की चूत मे घुस गया ऑर इस बार मूह पर हाथ रखा होने के बावजूद
आंटी के मूह से निकलने वाली आहह को आंटी दबा नही सकी ऑर वो आवाज़ पूरे कमरे मे गूँज गई ,,,

इसी मोके की तलाश मे था मैं जब आंटी के मूह से एक तेज आहह निकली जिसने मुझे ये बता दिया कि बाजी अब
पूरी तरह से मेरे हाथ मे आ गई है तो पूरी हिम्मत के साथ मैं आंटी के उपर चढ़ गया ऑर बिना कोई देर
किए आंटी की चूत मे लंड पेलने लगा,,,,,मेरा एक हाथ आंटी के बूब पर था जबकि एक हाथ से मैने
आंटी के शोल्डर पर अपनी पकड़ बनाई हुई थी जिस से धक्का मारने मे मुझे आसानी हो रही थी,,,,मेरा
पूरा लंड आंटी की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था ऑर आंटी के मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकल रही थी


,,,आंटी का हाथ अभी तक उनके मूह पर था मैने आंटी एक हाथ को पकड़ा ऑर उठा कर बेड पर रख दिया
ऑर अपने लिप्स को आंटी एक लिप्स की तरफ मोड़ दिया एक ही पल बाद मेरे लिप्स आंटी के लिप्स पर थे ऑर मैने
आंटी के लिप्स को अपने मूह मे भर लिया लेकिन आंटी ने अपने सर को हिला कर अपने फेस को टर्न कर लिया ,,


मैने जल्दी से अपने हाथ से आंटी के सर को पकड़ा ऑर आंटी के लिप्स को दोबारा से अपने मूह मे भरके
चूसने लगा तभी आंटी ने भी एका एक ही मेरा साथ देना शुरू कर दिया,,,मैं ऐसे ही लेटा रहा ऑर आंटी
की चूत मे लंड डालके तेज़ी से झटके मारता हुआ आंटी को किस करने लगा ,,,,अब तक मेरा दूसरा हाथ भी
आंटी के बूब्स पर चला गया था,,,,मेरे दोनो हाथों मे आंटी एक बूब्स थे ऑर मैं उनके बूब्स
को मसलता हुआ आंटी को किस करता हुआ उनकी चुदाई कर रहा था,,,,

आंटी भी मेरा साथ देती हुई मुझे किस का पूरा रेस्पॉन्स दे रही थी ऑर उनके दोनो हाथ मेरी पीठ को
अच्छी तरह से सहला रहे थे,,,,मैं करीब 15 मिनट ऐसे ही चुदाई करता रहा फिर मेरा दिल किया पोज़
चेंज करने को इसलिए मैने आंटी के उपर से उतरना चाहा लेकिन आंटी ने मुझे उतरने नही दिया,,,,

इसीलिए मैं ऐसे ही लेटा लेटा आंटी की चूत मारता रहा,,,,मैं करीब 30-35 मिनट तक आंटी की चुदाई
'करता रहा ऑर लास्ट मे आंटी की चूत मे भी झड गया,,,,इतना टाइम मेरे हाथ आंटी के बूब्स पर रहे ऑर
हम दोनो के लिप्स भी आपस मे जकड़े रहे ,,,,आंटी के हाथ भी मेरी पीठ पर ही थे,,,30-35 मिनट
तक हम दोनो एक ही हालत मे रहे ,,,,,जब तक मेरा पानी निकाला तब तक आंटी की चूत ने 3 बार पानी
बहा दिया था,,,,इतना पानी निकला था उनकी चूत से कि मेरी टाँगे ऑर बेड भी पूरा गीला हो गया था ,,,हो ना
हो आंटी का पेशाब निकल गया था मस्ती मे पागल होके,,,,जब मेरे लंड से पानी निकल गया तो मैने अपने
लंड को आंटी की चूत से निकाल लिया ऑर बेड पर गिर गया,,,,आंटी कुछ देर अपनी सांसो पर क़ाबू करती
रही फिर उठ कर अपने रूम मे चली गई,,,,,,,


मैं उनके रूम मे नही गया,,,,मैं जानता था उन्होने आज मस्ती तो करली मेरे साथ लेकिन फिर भी वो कुछ
डरी हुई थी,,,,कुछ सहमी हुई थी,,,,,मैं भी उनके रूम मे नही गया ऑर पेशाब से गीले हो चुके बेड
पर ऐसे ही सो गया,,,,,दिल तो कर रहा था आंटी के रूम मे जाने को लेकिन मैं उनको ज़्यादा परेशान नही
करना चाहता था,,,,

सुबह उठा तो पूरे बदन से ऑर रूम से पेशाब की हल्की स्मेल आ रही थी जो मुझे नींद से जागते ही
फिर से उतेजित्त करने लगी थी,,,,,मुझे भी बहुत तेज पेशाब आया हुआ था इसलिए लंड पूरे आकड़ा हुआ था लेकिन
'आंटी के पेशाब की स्मेल से लंड की अकड़न कुछ ज़्यादा हो गई इसलिए जल्दी से भाग कर बाथरूम मे
जाके पेशाब किया ऑर फिर शवर लेके फ्रेश हो गया,,,,,,,रूम से बाहर जाने से पहले मैने मॅट्रेस ऑर
उसपे बिछी हुई बेडशीट उठा ली ऑर रूम से बाहर निकल गया,,,मैने देखा कि आंटी किचन मे अपना काम
कर रही थी,,,,जैसे ही आंटी की नज़र मेरे पर पड़ी वो एक दम से डर गई ऑर हल्के से शरमा भी गई,,,ऑर
जब उनका ध्यान मेरे हाथों मे पकड़े हुए मॅट्रेस ऑर बेडशीट पर गया तो उनका फेस शरम से लाल
हो गया ,,वो मेरे से नज़रे नही मिला सकी ऑर फेस को ज़मीन की तरफ कर लिया,,,,,मैं भी सीडियों की
तरफ गया ऑर जाते टाइम बेडशीट को वॉशिंग मशीन मे डाल गया ऑर मॅट्रेस को उपर छत पे जाके
धूप मे सूखने के लिए डाल दिया,,,,,अभी धूप नही निकली थी क्यूकी अभी सुबह के 6 बजे थे,,,मैं बहुत
जल्दी उठा गया था आज,,,,,आंटी भी जल्दी उठकर किचन के काम मे लग गई थी,,,,,,


मैं छत से उतर कर सीधा किचन मे चला गया,,,,,मुझे किचिन मे देख कर आंटी बुरी तरह से डर
गई शर्मा गई,,,,आंटी ने अभी सूट पहना हुआ था,,,,जो बहुत टाइट फिटिंग वाला था,,,आंटी ने एक बार मेरी
तरफ देखा ऑर फिर से अपने काम मे लग गई,,,,वो बर्तन धो रही थी,,,,,मैने फ्रिड्ज मे से पानी निकाला
ऑर पीने लगा फिर पानी पीने के बाद बॉटल को फ्रिड्ज मे रखा ओर फ्रिड्ज के डोर को थोड़ी तेज़ी से बंद
किया जिस से एक हल्का सा शोर हुआ ऑर आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया लेकिन एक ही पल मे आंटी ने अपने फेस को
वापिस टर्न कर लिया ऑर अपना काम करने लगी,,,,,,,आंटी की इसी हरकत से मैं बहुत खुश हो गया ऑर आंटी के
करीब जाके उनके पीछे खड़ा हो गया,,,,,मैं अपने हाथ आंटी के शोल्डर पर रख दिए जिस से आंटी
एक दम से सिहर गई,,,आंटी के हाथ मे जो बर्तन था वो नीचे गिर गया,,,,आंटी के इसी डर का फ़ायदा उठा कर
मैं आगे हुआ ऑर पीछे से आंटी के साथ चिपक गया,,,,ऑर आंटी को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया,,,,फिर आंटी
को अपनी तरफ घुमा लिया,,आंटी का फेस ज़मीन की तरफ था मैने अपने हाथ से आंटी की चिन को पकड़ा ऑर
आंटी के फेस को उपर उठा दिया लेकिन आंटी की नज़रे अभी भी झुकी हुई थी,,,मैने हल्के से आगे बढ़ कर
आंटी को किस करनी चाही तो आंटी ने अपने फेस को टर्न कर दिया मैने आंटी के फेस को पकड़ा ऑर अपनी
तरफ घुमा लिया ऑर फिर से किस करने की कोशिश करने लगा,,,,,,,

नही सन्नी बेटा ऐसा मत करो ,,ये ग़लत है,,,,,,


अगर ये ग़लत है तो रात को क्या हुआ था ,,,,,क्या तब वो ग़लत नही था,,,

रात को जो हुआ वो भी ग़लती थी,,,,,

चलो अगर वो ग़लती थी तो हम उस ग़लती को दोबारा से दोहरा लेते है,,,,,,

नही बेटा ,,,हमे उस ग़लती को दोबारा से दोहराना नही चाहिए,,,,क्यूकी फिर वो ग़लती नही होगी ,,,

हम लोग इंसान है आंटी जी ऑर इंसान तो ग़लतियों का पुतला है,,,,एक ग़लती एक बार करे या 100 बार कोई
फ़र्क नही पड़ता,,,,,इतने बोलकर मैने आंटी के लिप्स को अपने लिप्स मे जाकड़ लिये,,,,,वैसे तो आंटी बड़ा बोल
रही थी लेकिन लिप्स से लिप्स टच होते ही किस का रेस्पॉन्स देने मे उनको एक पल का भी टाइम नही लगा,,,,

वो उसी अंदाज़ ऑर मस्ती से मुझे किस करने लगी जिस अंदाज़ से मैं उनको किस कर रहा था,,,,,तभी किस
करते हुए मैं अपने हाथ नीचे ले गया ऑर आंटी की कमीज़ को उपर उठाने लगा ऑर जब आंटी की कमीज़
उपर उठने लगी तो आंटी ने भी मेरा साथ देते हुए अपने हाथ उपर उठा दिए जिस से मुझे उनकी कमीज़
निकालने मे कोई परेशानी नही हुई ऑर कमीज़ निकलते ही हम दोनो के लिप्स फिर से एक दूसरे के लिप्स मे
जकड गये,,,,,,ऑर फिर से शुरू हो गई एक मस्त किस ,,,,आंटी भी किस करने मे भी तेज थी वो मेरी ज़ुबान
को अपने मूह मे खींच खींच कर चूस रही थी ऑर अपनी ज़ुबान को मेरे मूह मे हर तरफ घुमा
रही थी,,,,,कमीज़ निकलते ही मैने आंटी के बॉल खोल दिए ऑर उनके सर से बलों को सहलाता हुआ उनकी
पीठ की तरफ बढ़ने लगा ऑर पीठ से नीचे की तरफ हाथ करके उनकी ब्रा के हुक्स पर ले गया ऑर बिना देर किए
उनकी ब्रा को खोल दिया ऑर आगे से उनकी ब्रा को हटा कर किचन के फ्लोर पर फैंक दिया,,,आंटी का उपर का
जिस्म अब नंगा हो गया था,,,,

आंटी ने एक बार मेरी तरफ देखा ऑर फिर अपने हाथों से अपने बूब्स को छुपाने लगी,,,सन्नी अभी भी टाइम
है रुक जाओ ये ग़लती मत करो,,,,,फिर से वही रात वाली ग़लती को मत दोहराओ,,,,

मैं रात वाली ग़लती नही दोहराने वाला आंटी जी,,,,,अबकी बार ये ग़लती एक नई ग़लती होगी,,,,,

आंटी सवालिया नज़रो से मुझे देखने लगी,,,,,,


जी आंटी जी ,,मैं सही कह रहा हूँ ,,,,रात वाली ग़लती अंधेरे मे हुई थी ,,बेड पर हुई थी,,,,ऑर सिर्फ़ आगे
से हुई थी,,,,,,,,जबकि ये ग़लती दिन की रोशनी मे,,,,किचन मे ,,ऑर पीछे से होगी,,,,,

मेरा बात सुनके आंटी शर्मा गई ऑर मैने आगे बढ़ कर आंटी के हाथों को उनके बूब्स से हटा दिया ऑर
उनके बूब्स को एक एक करके मूह मे भरके चूसने लगा,,,,आंटी के दोनो हाथ मेरे हाथों मे थे जिनको
मैने अपने सर पर रख दिया ऑर आंटी ने मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया ,,फिर मेरे हाथ फ्री होते
ही मैं अपने हाथों की नीचे की तरफ ले गया ऑर आंटी की सलवार के नाडे को खोल दिया ऑर एक पल बाद आंटी
की सलवार भी नीचे फ्लोर पर थी ऑर आंटी मेरे सामने नंगी हो गई थी,,,,आंटी ने सलवार के नीचे पेंटी
नही पहनी हुई थी,,,मेरा हाथ एक पल मे ही आंटी की चूत पर चला गया था,,,मैने महसूस किया कि
अब चूत पर एक भी बाल नही था जबकि रात को छोटे छोटे बाल थे चूत पर,,,,मतलब आंटी ने सुबह
सुबह ही चूत के बाल शेव किए थे,,,,,,उनको पता था मैं दिन मे भी चुदाई ज़रूर करूँगा,,,,


मैं अपने हाथ को उनकी चूत पर रखा ऑर हल्के से चूत की लाइन पर अपने हाथ की बीच वाली सबसे लंबी
उंगली को चूत की लाइन पर सहलाने लगा,,,,,मस्ती की वजह से आंटी की चूत ने पानी बहाना शुरू कर दिया
था जिस से चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी ऑर उंगली फिसल कर उनकी चूत मे घुस गई ऑर आंटी के मूह से आह
निकल गई साथ ही उनके हाथ मेरे सर पर ऑर भी ज़्यादा मस्ती से फिरने लगे,,,,मैं बारी बारी से आंटी के बूब्स
को चूस रहा था ऑर साथ मे अब उनकी चूत मे उंगली भी करने लगा था,जो उंगली उनकी चूत के पानी की
वजह से फिसल कर उनकी चूत मे घुस गई थी,,,मैने पहले एक उंगली से फिर 2 उंगली से आंटी की चूत
को सहलाना शुरू कर दिया,,,आंटी मस्ती मे सिसकियाँ लेते हुए मेरे सर को सहला रही थी,,,मेरा उपर का
बदन नंगा था इसलिए आंटी के हाथ मेरी पीठ तक भी आ गये थे ऑर पीठ को सहलाना शुरू भी कर
दिया था,,,,
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12-21-2018, 02:14 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कुछ देर बाद मैं बूब्स को चूस्ता हुआ आंटी के पेट पर किस करता हुआ नीचे की तरफ बढ़ते हुए ज़मीन
पर घुटनो के बल बैठ गया,,,आंटी मेरी तरफ हैरत भरी नज़रो से देखने लगी,,,,वो सोच रही होगी कि
अब मैं क्या करने वाला हूँ,,,,तभी मैने आंटी की एक टाँग को अपने हाथ मे पकड़ा ऑर उपर उठा दिया
जिस से उनकी चूत खुल कर मेरे सामने आ गई ऑर मैने बिना देर किए अपने लिप्स को आंटी की चूत पर रख
दिया ऑर पल भर मे आंटी की चूत के लिप्स को अपने लिप्स मे भर लिया,,,,आंटी एक दम से उछल गई ऑर मेरे
सर को अपनी चूत पर दबा लिया,,,,मैने आंटी की चूत को मूह मे भर लिया ऑर चूस्ते हुए एक हाथ की
उंगलियों को चूत मे घुसा दिया ऑर तेज़ी से 2 उंगलियों से उनकी चूत को चोदने लगा,,,ऑर साथ ही उनकी
चूत को मूह मे भरके चूसने लगा ,,,,बीच बीच मे मैं उंगलियों को निकाल कर अपनी ज़ुबान को
उनकी चूत मे घुसा देता ऑर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगता,,,आंटी ये 2-3 तरफ़ा हमला बर्दाश्त नही
कर पाई,,,एक तो मैं उनकी चूत के लिप्स को मूह मे भरके चूस रहा था साथ साथ उनकी चूत को अपनी
ज़ुबान से चाट भी रहा था ऑर 2 उंगलियाँ भी अंदर बाहर कर रहा था उनकी चूत मे ऑर अब उंगलियों
के साथ अपनी ज़ुबान को भी उनकी चूत मे घुसाने लगा था ,,,इस हमले से आंटी ज़्यादा देर तक नही टिक सकी
ऑर तेज़ी से चिल्लाते हुए अपनी चूत से एक सैलाब को आज़ाद करने लगी,,उनकी चूत से जो पानी निकला वो कुछ
आयिल जैसा गाढ़ा गाढ़ा था,,जिसका स्वाद तो अजीब था लेकिन उसकी खुश्बू किसी भी मर्द को पागल करने के
लिए काफ़ी थी,,,,,जैसे मैं पागल हो गया था,,,,मैने उनकी चूत के पानी की एक ड्रॉप भी जाया नही होने दी
बल्कि जो थोड़ा बहुत पानी उनकी चूत पर लगा था उसको भी अपनी ज़ुबान से चाट कर सॉफ कर दिया था,,,,


फिर मैं उठ कर खड़ा हो गया ,,,,मैं आंटी की तरफ देखा तो उनका डर अब कहीं उड़ गया था ऑर फेस
पर हल्की खुशी के साथ एक राहत थी,,,,उन्होने मुझे प्यार से देखा ऑर चलके मेरे करीब आके मेरे लिप्स
पर किस करने लगी ऑर अपने हाथों से मेरे हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिए,,लेकिन मैने अपने
हाथों को उनके बूब्स से हटा लिया ऑर उनसे थोड़ा पीछे हट गया,,आंटी ने मुझे अजीब नज़रो से देखा तो
मैं उनको नीचे अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला कि अब आपकी बारी है,,,,,तो वो हंस कर मेरे पास
आ गई ऑर फिर से मुझे किस करने लगी ऑर अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर हल्के से मसल्ने लगी,,मेरे
हाथ भी उनकी पीठ पर थे जो नीचे जाके उनकी गान्ड पर टिक गये,,,इस से पहले मैं आंटी की गान्ड को
सही तरीके से टच करता उस से पहले ही आंटी नीचे बैठ गई ऑर देखते ही देखते मेरी निक्कर भी उतार
दी ,,,,मैं नीचे आंटी की तरफ देखा तो वो मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर गौर से देख रही थी,,उनकी
आँखों मे अजीब चमक थी,,,,वो मेरे लंड को देख कर बहुत खुश थी,,,,तभी मैने उनको इशारा किया
लंड को मूह मे लेने को तो उन्होने हल्की किस करदी मेरे लंड पर लेकिन मूह मे नही लिया,,,,तो मैने उनके
सर को अपने हाथों मे पकड़ा ऑर अपने लंड को उनके मूह के करीब कर दिया,,,लेकिन आंटी ने अपना मूह
नही खोला तो मैं गुस्सा होके पीछे हो गया तभी आंटी जल्दी से आगे बढ़ी ऑर मेरे लंड को हाथ मे पकड़
लिया ऑर बिना देर किए अपना मूह खोल कर मेरे लंड को मूह मे भर लिया,,,,लेकिन आंटी ने सिर्फ़ लंड की
टोपी को ही मूह मे भरा था ,,तो मैने उनको ऑर ज़्यादा लंड मूह मे लेने का बोला तो उन्होने बोला इशारा
किया कि उनसे नही होगा तो मैने अपने हाथों से उनके सर को फिर से पकड़ा ऑर लंड को उनके मूह मे थोड़ा
ऑर अंदर घुसा दिया,,,,,जिस से मेरा 4 इंच लंड आंटी के मूह मे चला गया,,,,आंटी ने भी अपने हाथों
को मेरी गान्ड पर रखा ऑर मुझे अपना लंड आगे पीछे करने को बोला,,,,वो खुद अपना सर नही हिला रही
थी ऑर मुझे लंड आगे पीछे करने को बोल रही थी,,,,मैने भी अपनी कमर को हिला कर लंड को आगे पीछे
करना शुरू कर दिया,,,,पहले तो 4 इंच तक ही लंड अंदर कर रहा था फिर जब आंटी का सर भी मेरी कमर
की तरह आगे पीछे हिलने लगा तो वो खुद मेरे लंड को थोड़ा ज़्यादा मूह मे भरने लगी,,,,अब मेरा 6
इंच लंड उनके मूह मे था ऑर वो बड़े प्यार से अपने सर को आगे पीछे करने लगी थी,,मैने अब अपनी
कमर को हिलाना बंद कर दिया था ऑर आंटी खुद ही अपने सर को आगे पीछे हिला रही थी,,,


मैने अपने लंड को आंटी के मूह से बाहर निकाल लिया ,,आंटी ने अपना सर उठा कर मेरी तरफ देखा ऑर अपना
मूह खोला ,,उनका मूह थूक से भर गया था मैने उनको मूह मे जमा थूक को लंड पर उगलने को
बोला तो उन्होने ऐसा ही किया ,,जितना थूक था मूह मे सब लंड पर उगल दिया ऑर अपने हाथों से लंड पर
थूक मलने लगी ऑर लंड की मालिश करने लगी,,फिर कुछ देर बाद मैने लंड को उनके मूह के करीब किया
तो
बिना कोई देर किए आंटी ने लंड को मूह मे भर लिया ऑर चूसने लगी,,,,करीब 7-8 मिनट तक आंटी ऐसे
ही लंड को चुस्ती रही ऑर थूक लगा कर सहलाती रही,,फिर मेरी तरफ सर उठा कर देखने लगी,,मानो
पूछ रही थी कि पानी कब निकलेगा तुम्हारे लंड से ,,तो मैने हंस कर आंटी की तरफ देखा ऑर बता दिया कि
इतनी जल्दी नही आंटी जी,,,,आंटी ने वापिस लंड को मूह मे भरना चाहा पर मैने झुक कर आंटी को
पकड़ा ऑर उपर उठने को बोला,,,,मैं जानता था पानी निकालने तक वो लंड नही चूस सकती और मैं भी
इतनी जल्दी झड़ने वाला नही,,,,,मैने आंटी को उठाया ऑर आंटी के लिप्स पर किस करने लगा,,,,फिर कुछ देर
बाद मैं आंटी से अलग हुआ ऑर पीछे की तरफ जाके किचन शेल्व पर पड़ी एक सरसों के आयिल की शीशी
उठा ली ,,,,आंटी ने मेरी तरफ देखा ऑर हँसने लगी,,,,,मैने आंटी का हाथ पकड़ा ऑर आंटी को बाहर
ड्रॉयिंग रूम मे ले आया ऑर सोफे पर बिठा दिया फिर आंटी को झुका कर कुटिया बना दिया ऑर खुद पीछे
से उनकी गान्ड के पास बैठ कर उनकी गान्ड को अच्छी तरह से दोनो हाथों मे पकड़ कर खोल दिया जिस से
ना सिर्फ़ उनकी गान्ड का होल बल्कि चूत का होल भी खुल कर मेरे सामने आ गया ऑर मैने उनकी चूत पर
अपनी ज़बान रखी ऑर चूत को चाट्ता हुआ अपनी ज़ुबान को उनकी गान्ड के होल तक ले आया ,,,मेरी ज़ुबान उनकी
गान्ड के होल पर रगड़ खाने लगी ऑर मैं हल्के हल्के उनकी चूत के साथ गान्ड के होल को भी अच्छी
तरह से चाटने लगा,,,,
Reply
12-21-2018, 02:14 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
फिर कुछ देर बाद मैं खड़ा हो गया ,,,आंटी ने पीछे मूड के मेरी तरफ देखा तो मैने अपने हाथ
से आयिल वाली शीशी से थोड़ा आयिल उनकी गान्ड पर गिरा दिया,,,आंटी समझ गई मैं क्या करने वाला हूँ तो
आंटी ने अपनी टाँगों को थोड़ा खोल दिया ,,,,,करण का बाप आंटी की गान्ड मारता तो था लेकिन बहुत ही
कम,,उनकी गान्ड खुली हुई थी लेकिन इतनी नही,,,,अभी भी काफ़ी टाइट लग रही थी उनकी गान्ड,,,,मैने गान्ड
पर आयिल लगाया ओर फिर गान्ड के होल को खोल कर उंगलियों से आयिल को गान्ड के अंदर तक भरने लगा जिस
से गान्ड अंदर से भी चिकनी हो जाए,,,,जब काफ़ी आयिल लग गया उनकी गान्ड पर तो मैने खूब सारा आयिल अपने
लंड पर लगा लिया ऑर फिर लंड की टोपी को उनकी गान्ड पर रखा ऑर हल्के से झटका लगाया तो आयिल की वजह
से लंड पहली बार मे ही आधा घुस गया आंटी की गान्ड मे ऑर आंटी ने मूह से एक लंबी अहह
निकल गई,,,, कोई शक नही था इसमे कि वो आह मस्ती की नही बल्कि दर्द की थी,,,,,मैने लंड को बाहर नही
निकाला ऑर ऐसे ही आगे की तरफ धाकेल दिया जिस से लंड फिसल कर ऑर ज़्यादा अंदर चला गया,,,,मैने लंड को
थोड़ा सा पीछे किया ऑर फिर से तेज झटका मारा तो लंड पूरा का पूरा अंदर घुस गया ऑर आंटी की तेज तेज
दर्द भरी आह निकलने लगी,,,,आंटी खुद को आगे करके मेरे से दूर होने की कोशिश करने लगी,,लेकिन
मैं कहाँ छोड़ने वाला था उनको,,,,मैने खुद को उनकी पीठ पर झुका दिया ऑर जल्दी से अपने एक हाथ
को उनके बूब्स पर ले गया ऑर दूसरे हाथ को उनकी चूत पर,,,,मेरी चेस्ट उनकी पीठ से चिपक गई थी,,


मेरा आयिल से भीगा हुआ लंड उनकी गान्ड मे था ,,जबकि आयिल से भीगे दोनो हाथ उनकी चूत ऑर बूब्स
पर पहुँच गये थे,,,,,मैने बिना देर किए आयिल से सनी हुई उंगलियों को उनकी चूत मे घुसा दिया ऑर
आयिल लगे हाथ से उनके बूब्स को मसल्ने लगा,,,,,जब भी मैं उनके बूब्स को मसलता तो आयिल की वजह से
मेरा हाथ फिसल जाता ऑर उनको हल्की मस्ती चढ़ जाती,,,,उधर मेरा दूसरा हाथ भी उनकी चूत पर कमाल
दिखा रहा था,,जल्दी ही उनकी मस्ती भरी सिसकियाँ शुरू हो गई,,,,इतनी देर तक मैने अपने लंड को ज़रा सा
भी नही हिलाया था उनकी गान्ड मे ऑर जब सिसकियाँ शुरू हुई तो मैने लंड को हल्के से आगे पीछे करना
शुरू किया,,आंटी के मूह से अब हल्की हल्की मस्ती भरी सिसकियाँ निकल रही थी क्यूकी आंटी को चूत ऑर
बूब्स पर आयिल लगे हाथों से मस्ती चढ़ रही थी इसलिए वो गान्ड मे लंड के दर्द को भूल ही गई थी ऑर
मेरे लिए ये सही मोका था मैं हल्के हल्के लंड को आगे पीछे करने लगा लेकिन मेरी स्पीड बहुत स्लो
थी,,,,,आंटी मस्ती मे सिसकियाँ लेती हुई अपनी गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ कर मुझे देखने लगी ऑर हल्के
से मुस्कुराने लगी,,मानो बोल रही हो सन्नी तुम बहुत तेज हो,,मैने भी हंस कर आंटी की तरफ देखा ऑर लंड
को धीरे धीरे गान्ड मे पेलने लगा तो आंटी ने अपने सर को हिला कर मुझे बता दिया कि अब मैं अपने
लंड की स्पीड तेज कर सकता हूँ ऑर मैने भी देर किए बिना स्पीड थोड़ी तेज करदी,,ऑर तभी आंटी की
सिसकियाँ भी तेज हो गई,,,,आंटी अब पूरी मस्ती मे आ चुकी थी अब उनको गान्ड मे भी मज़ा आने लगा था
जो मेरे लिए खुशी की बात थी,,,मैं हल्के हल्के बूब्स दबाता गया चूत मे उंगली करता गया ऑर गान्ड
मे लंड पेलता गया,,,,मेरा दिल कर रहा था कि मैं स्पीड ऑर तेज कर दूं लेकिन ऐसी हालत मे मैं स्पीड
तेज नही कर पा रहा था,,,,तभी आंटी ने मेरी बात समझ ली ऑर मेरे हाथ को अपने बूब्स ऑर चूत से
हटा दिया ,,मैने भी जल्दी से अपने हाथों को आंटी की कमर पर रख दिया ऑर स्पीड तेज करते हुए आंटी
की गान्ड को चोदने लगा,,,,,


मैं ऐसे ही 10 मिनट तक आंटी की गान्ड मारता रहा फिर लंड को आंटी की गान्ड से बाहर निकाल लिया
ऑर पीछे हट गया,,,,,आंटी ने जल्दी से पीछे मूड कर देखा और नज़रो ही नज़रो मे पूछा कि तुम रुक क्यूँ गये
तो मैने आगे बढ़ कर आंटी को पकड़ा ऑर सोफे पर सीधी तरह लेटने को बोला तो आंटी भी जल्दी से सीधी होके
लेट गई,,,,मैने आंटी की दोनो टाँगों को अपने हाथों मे पकड़ा ऑर उनके सर की तरफ मोड़ दिया ऑर
फिर उनके हाथों मे उनकी टाँगों को पकड़ा दिया ,,,,फिर पास पड़ी आयिल वाली शीशी से थोड़ा आयिल लगा दिया
उनकी गान्ड पर ऑर लंड पर भी ,,,,,फिर लंड को उनकी गान्ड मे घुसा दिया जो एक ही बार मे पूरा
अंदर तक घुस गया,, आंटी ने हल्के से मुस्कुरा कर मुझे देखा ऑर अपने हाथों से अपनी टाँगों को
छोड़ दिया ऑर मुझे अपने करीब आने को बोला तो मैं आंटी के करीब हो गया आंटी ने पल भर मे मेरे
लिप्स को अपने लिप्स से जकड लिया ऑर पागलो की तरह मुझे किस करने लगी,,मैं भी अब तक पूरा पागल हो गया
था ऑर तेज़ी से आंटी की गान्ड मारता हुआ आंटी को उसी अंदाज़ मे किस करने लगा था,,,,मेरे हाथ आंटी के
बूब्स पर थे मुझे झटके मारने के लिए कहीं पकड़ बनानी थी लेकिन हाथ ऑर बूब्स पर आयिल की वजह
से मैं पकड़ नही बना पा रहा था इसलिए मैने अपने हाथों से सोफे को पकड़ लिया ऑर तेज़ी से आंटी की
गान्ड मारने लगा,,,,आंटी भी अपने हाथों से मेरी पीठ पर पकड़ बना कर मुझे तेज़ी से उपर नीचे
'होने मे हेल्प करने लगी,,,,,आंटी के बूब्स पर आयिल लगा हुआ था जिस से मेरी चेस्ट पर भी आयिल लग गया ऑर
मुझे आंटी के उपर लेट कर फिसलने मे हेल्प मिलने लगी ऑर मेरी स्पीड काफ़ी तेज होने लगी,,,आंटी के हाथ
अब मेरी पीठ से मेरी गान्ड पर चले गये ऑर आंटी मेरी गान्ड को पकड़ कर तेज़ी से उपर नीचे करने लगी,
मेरी स्पीड इतनी ज़्यादा तेज हो गई थी कि मैं झड़ने ही वाला था ,,ऑर झडता भी क्यू नही मैं कम से कम
20-25 मिनट से आंटी की गान्ड मार रहा था,,,,चूत होती तो कम से कम 30-40 मिनट लगा देता लेकिन
गान्ड चूत के मुक़ाबले काफ़ी टाइट थी इसीलिए जल्दी ही झड़ने वाला था मैं,,,मैने देखा कि आंटी का
एक हाथ मेरी गान्ड से उठ गया ऑर मेरे पेट ऑर आंटी के पेट के बीच से होता हुआ उनकी चूत पर चला
गया,,मैं समझ गया कि शायद अब आंटी भी झड़ने वाली है,,,ऑर ऐसा ही हुआ,,,,आंटी का हाथ अभी उनकी
चूत पर गये 2 मिनट ही हुए थे कि आंटी के बदन ने झटके मारने शुरू कर दिए ऑर कुछ पल मे ही
वो झड गई आंटी के झाड़ते ही मेरा भी काम होने वाल हो गया था मैं भी जल्दी से उठा ऑर आंटी के
उपर से उठकर ज़मीन पर खड़ा हो गया ऑर अपने हाथ से अपने लंड को सहलाता हुआ आंटी के मूह के
पास चला गया ,,,आंटी को समझ नही आया मैं क्या करने वाला हूँ लेकिन मस्ती की वजह से आंटी अभी भी
सिसकियाँ ले रही थी जिस वजह से उनका मूह खुला हुआ था ऑर जैसे ही लंड से पानी निकलने लगा तो मैने आगे बढ़ कर
लंड को आंटी एक मूह मे घुसा दिया आंटी भी समझ गई मैं क्या करने लगा हूँ तो आंटी ने अपने मूह
को टर्न करने की कोशिश की लेकिन तब तक मैं एक हाथ से आंटी के सर को पकड़ चुका था ऑर मेरा लंड
भी आंटी के मूह मे गले तक नीचे जा चुका था ऑर तभी मेरे लंड से पानी की पिचकारी निकलने लगी जो
आंटी के गले से नीचे जाने लगी,,,,मेरे लंड से जितना भी पानी निकला उसकी एक भी ड्रॉप आंटी के मूह मे नही
बल्कि गले से नीचे चली गई,,,,,मैं जानता था आंटी पानी को मूह मे नही झड़ने देगी क्यूकी शायद उन्होने ऐसा
कभी किया भी नही था,,,,,

जब लंड से सारा पानी निकल गया तो मैने लंड को मूह से निकाला ऑर पीछे हटके दूसरे सोफे पर जाके बैठ
गया ,,आंटी भी जल्दी उठी ऑर तेज़ी से खांसने लगी,,,,ऑर हल्के गुस्से से मुझे देखने लगी,,,,,,,फिर आंटी भाग
कर अपने रूम मे चली गई,,शायद बाथरूम गई थी,,,,,,मैं भी उठा ऑर उनके पीछे पीछे चला गया
लेकिन मैं बाथरूम मे नही गया बल्कि उनके रूम मे बेड पर जाके लेट गया,,,,

आंटी बाथरूम से बाहर निकली तो वो फ्रेश होके आई थी ,,शायद शवर लिया था,,,,लेकिन मैं ऐसे ही
आयिल से सने हुए बदन से उनके बेड पर लेटा हुआ था,,,आंटी ने बाहर निकल कर एक बार मुझे हल्के गुस्से
से देखा ,,,,शायद गुस्सा इसलिए था क्यूकी मैं उनके मूह मे झड गया था,,,,,,,,,फिर आंटी ने मुझे प्यार से
देखा ऑर मेरे पास आके बेड पर लेट गई,,,,,,

करली अपनी मनमानी ,,,अब तो खुश है तू सन्नी बेटा,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:15 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
नही आंटी जी ,,अभी कहाँ खुश होने लगा मैं इतनी जल्दी,.,,,,अभी तो बहुत कुछ बाकी है खुश होने के
लिए,,,,


हाँ हाँ जानती हूँ कुछ ज़्यादा ही जोश है तेरे मे ,,,,आज कल मेहनत जो ज़्यादा करने लगा है


हाँ मेहनत तो करने लगा हूँ,,,,अभी देख ही लिया आपने कि मैं कितनी मेहनत करता हूँ,,,,

हाँ देख लिया,,,अभी भी देखा ऑर कल शाम को भी,,,,,,

मैं जान बूझ कर हैरान होते हुए,,,,,,,कल शाम को क्या देखा आपने आंटी जी,,,,

वही देखा जो तू कर रहा था,,,,,कितनी मेहनत की थी कल तूने,,,जब मैं माल गई थी,,इतना बोल कर आंटी
हँसने लगी,,,,

तो आपने सब देख लिया था,,,,,,

हाँ देख लिया तभी तो रात को तेरे साथ मस्ती करने लगी थी,,,,वर्ना तूने कुछ करना ही नही था,,,,

क्या करूँ आंटी जी डर लगता था,,,अगर आप कुछ नही करती तो सच मे मैं भी कुछ नही करता,,,,,,

अच्छा तो ये बता तू उस लड़की के साथ क्या कर रहा था,,,,,,

आपने तो सब कुछ देखा ना ,,,आपको तो पता होगा सब,,,,,,

पता तो है लेकिन तू क्या बात कर रहा था,,,,कि मुझे कब्से लाइक करता है,,,,क्या ये सच है,,,,,

जी आंटी जी,,मैं बहुत टाइम से आपको लाइक करता हूँ,,,,,

क्या अच्छा लगता है तुझे मेरे मे,,बता ज़रा,,,,,,,,

सब कुछ आंटी जी,,,,,अपने सॉफ्ट लिप्स,,बड़े बड़े बूब्न्स,,भरा हुआ बड़ा,,गोरा रंग,,,,,मस्त बड़ी गान्ड,,,

हाई राम इतना सब कुछ एक दम से बोल गया तू,,तुझे शरम नही आई क्या,,,,

इसमे शरमाने वाली क्या बात है आंटी जी,,शरमाता रहता तो आज आपके साथ मस्ती कैसे करता,,,

अच्छा बता ज़रा ,,मेरे साथ मस्ती करके मज़ा आया क्या,,,,,

हाँ आंटी जी बहुत मज़ा आया,,,,

कितना मज़ा ,,,,उतना मज़ा जितना कल उस लड़की को अलका आंटी बना कर आया या उस से भी ज़्यादा,,,,,

वो तो जस्ट रोल प्ले था आंटी जी ,,असली मज़ा तो आज आया है,,ऑर कल रात को भी,,,,

रोल प्ले,,,वो क्या होता है,,,,ऑर वो लड़की कॉन थी,,,,

वो मेरी दोस्त थी आंटी जी,,,,हम अक्सर वीडियो चॅट करते है ऑर मस्ती के लिए रोल प्ले भी करते है,,,


रोल प्ले क्या बला है सन्नी बेटा,,,,

आंटी जी मस्ती करते टाइम जब हम कोई किरदार प्ले करते है तो उसी को रोल प्ले बोलते है,,,,जैसे कल वो मेरे
लिया अलका आंटी बनी थी,,,,कभी मेरी टीचर बन जाती है,,,,कभी मेरी मालकिन ऑर मैं उसके घर पर रहने
वाला किरायेदार,,,ऐसे ही बहुत सारे किरदार है जो हम लोग प्ले करते है,,,,बस हम लोगो की शर्त होती है कि
हम लोग कभी अपनी शकल नही दिखाते कॅम पर,,बस बाकी का हिस्सा दिखा देते है,,,,पहचान छुपा कर रखते
है,,,
Reply
12-21-2018, 02:15 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
अभी मैं बोल रहा था कि आंटी मेरे बहुद करीब हो गई,,,,,,अच्छा बता मेरे साथ रोल प्ले करेगा क्या,,,,

ज़रूर आंटी जी,,,,आप बोलो आपको कॉन्सा रोप प्ले करना है,,,,,,

मुझे तो यही वाला करना है,,,,,तू सन्नी ओर मैं तेरी अलका आंटी,,,,,

ये तो अभी कर चुके है ,,,आप कोई न्यू बताओ अब,,,,

अच्छा तू बता तुझे कॉन्सा रोल प्ले करना है,,,,,

ऐसे नही चुदाई करते हुए बताउन्गा,,,,,इतना बोलकर मैं आंटी के उपर चढ़ गया,,,मस्ती की वजह से लंड
पहले से अकड़ चुका था मैं लंड को आंटी की चूत मे घुसा दिया,,,,

आहह कुछ सबर कर बेटा,,पहले बता ना रोल कॉन्सा प्ले करना है फिर मस्ती करते है,,,,

नाह्ीऊ आंटी जी मस्ती करते करते रोल की बात करते है,,इतना बोलकर मैने झटके लगाना शुरू कर दिया,,मेरा
पूरा लंड आंटी की चूत की जड तक जाने लगा था,,

आहह आछ्ह्ह्ह्ह बाट्टा कून्न्स्सा रूल्ली प्पलाय क्काररन्ना हाइी ,,,,,ब्बातता ना

स्सच्च बूलुउउ औउन्नती ज्जिई,,,,

हां बोल न्ना अबीतता आज्ज तटूउ कककुउहह बहिी बूल्ल,,

मुउजझी आअज आपपक्के साथ मा बेटे का रोल प्लाय क्कारन्ना हाइईइ,,,आंटी मूह खोल कर
मुझे देखने लगी लेकिन उनके खुले मूह से भी सिकियाँ निकल रही थी,,,,,,

क्या बोल रहा है बेटा कुछ शरम कर,,,,,

शरम कैसी आंटी जी,,,,इसमे क्या बुरी बात है,,,,,मुझे शुरू से भारी बदन की लॅडीस अच्छी लगती है ऑर जैसा
बदन आपका है वैसा ही बदन मेरी माँ का भी है,,,,,,उसके बूब्स भी बहुत बड़े बड़े है,,,,मस्त गान्ड
है उनकी,,,,,,

क्या बूल्ल राहहा हहाई सन्नी,,,,,,

सही तो बोल राहहा हूँ,,,,अब अगर मेरी जगह करण का लंड होता आपकी चूत मे तो क्या अपने उसको चोदने
से मना कर देना था,,,,,जबकि आपको पता हो कि करण का लंड भी मेरे लंड जितना बड़ा है,,,,,


आंटी मेरी तरफ बड़ी हैरत से देख रही थी,,,,,क्या बोल रहा है बेटा कुछ तो शरम कर,,,,,

मैं बेशर्म ही ठीक हूँ अगर बेशर्म रहके माँ के साथ मस्ती कर सकता हूँ तो ठीक है मैं बेशर्म
ही सही,,,,लेकिन एक बात पक्की है अगर एक बार आप भी करण का लंड चूत मे लोगि तो मस्ती किए बिना नही रह
पाओगी,,,उसका लंड भी 9 इंच लंबा है,,,,जब चूत मे जाएगा आपकी तो मस्त कर देगा आपको,,,,,


बस कर सन्नी ऐसे मत बोल प्लज़्ज़्ज़,,,,ये सब अजीब है,,,,,बहुत बुरा लगता है सुनने मे


बुरा क्या इसमे आंटी जी,,,एक बार चुदाई करके तो देखो कारण से,,मज़ा आ जाएगा,.,अगर इस टाइम मेरी जगह
यहाँ करण होता तो अप उसके साथ मस्ती किए बिना रह नही पाती,,,,,

बस बहुत हो गया सन्नी,,,क्या तेरी माँ होती यहाँ तो तू उसको चोद लेता,,,,,

हाँ बिल्कुल चोद लेता अगर वो मना नही करती,,,,,ऑर मैं तो कब्से मोका ढूँढ रहा था आपको ऑर अपनी
माँ को चोदने का,,,,आपको चोदने का मोका मिल गया अब माँ के साथ पता नही कब मोका मिलेगा,,,,

क्या बोल रहा है तू,,कुछ तो सोच सन्नी,,कुछ तो शरम कर,,,,,,वो मुझे समझा रही थी लेकिन चूत मे
अंदर बाहर होता लंड उसको मस्त करता जा रहा था,,,,,

प्ल्ज़्ज़ आंटी एकक बार मेरी माँ बन जाओ,,,,रियल मे ना सही रोल प्ले मे सही एक बार मुझे अपनी माँ को
चोद लेने दो ,,,प्ल्ज़्ज़ आंटी,,इतना बोलकर मैं अपनी स्पीड तेज काद्री,,,,,प्ल्ज़्ज़ आंटी,,,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ,,,

ठीक है बेटा,,,,आजज्ज तूऊ मुउज़्झहह्ी अपनी माँ सरिता समझ ले,,,,


ऑर आप भी मुझे अपना बेटा करण समझ लो आंटी जी,,,,,,,,मैने स्पीड ऑर भी ज़्यादा तेज करदी,,,,पहले तो
सिसकियों के साथ आंटी सन्नी सन्नी कर रही थी लेकिन जल्दी ही वो करण करण करने लगी,,,मैं उनकी तरफ देख
कर हँसने लगा,,,,लेकिन मस्ती मे शरमाने की जगह आंटी मुझे करण ही बुला रही थी,.


माज्जा आ राहहा हहाइी म,,,,बूल्लू म्मा ंमाज़्जा आ र्हाहहा हाइईइ


हाँ कार्रान्ण बेटा भ्हुत्त मा ज्जा आ राहा हहा,,,टीज़्ज चोद आपपननीी माँ कूओ कार्रान्ण बेटा
ऊरर टीज़्जज आहह उउउहह स्पीदड़ काम मॅट काररन्ना ब्बीत्ताअ,,,

त्ीिक हाइी मा जिित्टनीी टटेज बूलूओगीइ उउतन्ना तेज करूँगा,,,,बस मुज्झहही आपपन्ना अबबीतता ब्बांना
क्कार म्मा्स्स्ती कार्रत्ती र्राहूऊ,,,,,,

आंटी मुझे अपना बेटा करण बना रही थी ऑर मैं उनको अपनी माँ सरिता,,,इस बात से पक्का हो गया था कि आंटी
'भी करण से चुदने को तैयार हो जाएगी ,,,मुझे पक्का यकीन था सीलिए मैं कारण को मेसेज कर चुका था
जब आंटी वॉशरूम मे थी,,,,वो अब किसी भी पल मेरी माँ को लेके यहाँ आने वाला था,,,,,


रोल प्ले करते हुए मैं तेज़ी से आंटी को चोद्ता रहा ऑर आंटी भी मुझे तेज़ी से झटके मारने को बोलती
रही,,,,तभी बाहर बेल बजी,,,,

कौन आ गगया ब्बीतता इतनी सुबह हहूऊंम ल्ल्लूग्गू क्कू ददीईसस्तटुउर्ब्ब क्कररनी,,,,,,,

माँ आप लेटी रहो आराम से मैं देख कर आता हूँ,,,,,,,

लेकिन बेटा अपनी हालत तो देख ज़रा,,,,,आंटी ने मेरे जिस्म पर लगे आयिल की तरफ इशारा किया,,,


कोई बात नही माँ आप फ़िक्र मत करो,,,,,मैं बाथरूम मे गया ऑर टवल लपेट कर बाहर चला गया,,,,मैने
देखा कि गेट पर माँ ऑर करण थे,,,लेकिन जैसे ही मैने गेट खोला तो साथ मे शिखा भी थी,,,,

गेट खुलते ही करण मेरे गले लग गया,,,,साले मार लिया मैदान ,,,,,कहाँ है माँ,,,,,

मैने सबको अंदर आने को बोला,,,,शिखा ऑर माँ मुझे देख कर बहुत खुश थी,,,,,

बता ना माँ कहाँ है,,,,मैने गेट बंद किया ऑर टवल के अंदर अपने लंड पर इशारा किया,,,,जो फुल मस्ती
मे खड़ा हुआ था,,,,,माँ ऑर शिखा की नज़र उसपे चली गई,,,,

साले इतनी सुबह सुबह लगा हुआ है मेरी माँ को चोदने मे,,,,

तू भी तो करण बेटा मुझे रात से चोद रहा है,,,,,फिर क्या हुआ अगर इसने तेरी माँ को चोद लिया,,,,इतना
बोलकर माँ और करण हँसने लगे साथ मे शिखा भी,,

मैं सब को चुप रहने को बोला ऑर अंदर चलने को बोला लेकिन कोई आवाज़ किए बिना,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:15 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
सब लोग अंदर आ गये ऑर मैं आंटी के रूम की तरफ जाने लगा,,,,तभी अंदर से आवाज़ आई,,,कॉन था बेटा,,,

मैं दरवाजे के पास चला गया,,,,,,,

कोई नही था माँ,,,,

फिर तू वहाँ क्या कर रहा है ,,चल आजा ऑर अपनी माँ को खुश कर,,,,,मैं दरवाजे पर खड़ा था ऑर बाकी
लोग बाहर खड़े मेरी ऑर आंटी की बातें सुन रहे थे,,,,,

ऐसे नही आउन्गा माँ पहले मेरा नाम लो ऑर अपने बेटे को पास बुलाओ अपने,,,,

आजा सन्नी बेटा अब और मत तडपा अपनी माँ को,,,,,

सन्नी नही ,,अपने बेटे को बुलाओ माँ,,,,

ओह भूल गई करण बेटा,,,,,जल्दी आ जाओ ऑर अपनी माँ की प्यास भुजा दो,,,,,

क्या बोला फिर से बोलना माँ,,,,,

जल्दी आ जाओ करण बेटा ऑर अपनी माँ की प्यास भुजा दो,,,,,जल्दी कर तडपा मत अपनी माँ को,,,

आंटी ने इतना बोला ही था कि करण नंगा होके मेरे साथ आके दरवाजे पर खड़ा हो गया,,,,आंटी ने जब
करण को मेरे साथ नंगा देखा तो आंटी का मूह इतना ज़्यादा खुल गया कि एक साथ 2 लंड जा सकते थे
उनके मूह मे,,,,,

क्या मैं आ जाउ माँ आपकी प्यास भुजाने ,,,,करण ने इतना बोला ऑर थोड़ा आगे बढ़ गया,,,उसका लंड अभी
पूरा तन चुका था अपनी माँ को देख कर,,

उसकी माँ जल्दी से उठी ऑर पास पड़े पिल्लो को अपने उपर रख लिया ऑर अपने बदन को छुपाने की कोशिश
करने लगी,,,,,

तभी करण ऑर आगे बढ़ कर बेड पर जाके अपनी माँ के पास बैठ गया,,,उसकी माँ की नज़रे झुक गई,,वो अपने
बेटे से नज़रे नही मिला रही थी,,,,,

क्या हुआ आंटी जी अभी तो बोल रही थी करण बेटा आ जाओ ऑर मेरी प्यास भुजा दो अब करण आ गया तो आपकी
चूत की जगह आपका गला भी सूखने लगा,,,,

मैं ऑर करण हँसने लगे,,ऑर तभी पीछे से माँ ऑर शिखा भी अंदर आ गई,,,,वो भी नंगी हो चुकी थी,,
ऑर हँसते हुए अंदर आ रही थी,,,,

अलका आंटी इतना हैरान हो गई थी कि मुझे डर था कहीं इसको अटॅक नहीं आ जाए,,,,

क्यू अलका मज़ा आया सन्नी का लंड लेके,,अब शर्मा क्यू रही है ,,करन का भी लंड लेले एक बार फिर देख
कितना अमज़ा आता है,,,,इतना बोलकर माँ भी बेड पर चढ़ गई ऑर करण के लंड को हाथ मे लेके सहलाते हुए
अलका आंटी को दिखाने लगी ऑर कुछ देर बाद झुक कर करन के लंड को मूह मे भर लिया,,,इधर मैं
बेड से थोड़ा पीछे खड़ा हुआ था ऑर शिखा मेरे पास थी,,,मेरा लंड भी आकड़ा हुआ था शिखा मेरे पास
आई ऑर हम दोनो किस करने लगे ,,फिर शिखा घुटनो के बल बैठ गई ऑर मेरा लंड चूसने लगी,,,,लेकिन
ज़्यादा देर तक नही,,,,माँ ने करण का ऑर शिखा ने मेरा लंड बस कुछ पल ही चूसा फिर माँ ऑर शिखा
दोनो अलका आंटी के पास हो गई,,,,,,


क्या देख रही है अलका रानी,,,,ये सब हम लोगो का ही प्लान था,,,तुझे भी खेल मे शामिल करने का,,,,

तभी आंटी ने मेरी तरफ देखा,,,,,हाँ आंटी जी,,,,,ऑर शिखा ही वो लड़की है जो कल मेरे साथ लॅपटॉप पर
थी,,,,,अलका आंटी को कुछ समझ नही आ रहा था,,,,तभी माँ ने आगे बढ़ कर पिल्लो के नीचे से आंटी के
बूब्स को पकड़ लिये ऑर खुद आंटी के उपर होके आंटी के लिप्स पर किस करने लगी,,,आंटी अभी तक बेसूध
ही थी,,,कुछ समझ नही पा रही थी,,,,लेकिन माँ के हाथों ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया ऑर इतने
मे शिखा भी अलका आंटी ऑर माँ के पास चली गई ऑर अलका आंटी के हाथ से पिल्लो लेके साइड पर रख दिया,,,,इस
से पहले अलका आंटी कुछ समझ सकती शिखा ने उनकी टाँगों को खोल दिया ऑर अपने लिप्स रख दिए उनकी चूत
पर और उनकी चूत को मूह मे भरके चूसने लगी,,,,,अलका आंटी की हैरत ख़तम हो चुकी थी वो एक दम
से मस्ती मे आ गई थी,,,एक तो माँ उनको किस करने लगी थी ऑर साथ ही उनके बूब्स को मसल रही थी ऑर नीचे
से शिखा अपनी माँ की चूत पर टूट पड़ी थी ऑर उसको मूह मे भरके चूसने लगी थी,,,करीब 5-7 मिनट
तक माँ अलका आंटी को किस करती रही ऑर फिर उनके बूब्स को चूसने लगी जब अलका आंटी के लिप्स माँ के लिप्स
से दूर हुए तो वो अपनी ही बेटी को उनकी चूत चाट-ते देख थोड़ा हैरान हो गई लेकिन मस्ती की वजह से उनकी
हैरत कहीं हवा मे उड़ गई,,,इधर माँ जल्दी से पलट कर करन के पास हो गई तब तक मैं भी माँ और
उन लोगो के पास चाल गया था,,,,,माँ ने करण के लंड को पकड़ा ऑर मूह मे भर लिया ऑर बेड पर झुक गई
जिस से माँ की गान्ड मेरे सामने हो गई ,,मैने कोई देर नही की ऑर अपने लंड पर थोड़ा थूक लगा लिया ,


मेरे लंड पर पहले से आयिल लगा हुआ था लेकिन थूक की वजह से लंड ऑर चिकना हो गया था,,मैने थोड़ा
थूक माँ आकी गान्ड पर लगाया तो मस्ती मे माँ की गान्ड खुलने लगी ऑर मैने माँ की गान्ड के अंदर थूक
दिया ऑर उंगली से हर तरफ लगा दिया,,,फिर अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ा ऑर अलका आंटी की तरफ देखते
हुए अपने लंड को माँ की गान्ड मे घुसा दिया,,,,,अलका आंटी कुछ मस्ती मे थी लेकिन अभी भी परेशान
थी,,,,नीचे से शिखा उनकी चूत को चूस रही थी,,ऑर अब शिखा के हाथ उपर अपनी माँ के बूब्स पर
चले गये थे जिनको वो हाथ मे लेके मसल्ने लगी थी,,,,अलका आंटी की सिसकियाँ भी शुरू हो गई लेकिन उस से
तेज थी मेरी माँ की सिसकियाँ जो गान्ड मे लंड लेके मस्ती मे पागल होने लगी थी,,,लेकिन माँ के लिए एक लंड
काफ़ी नही था ,,माँ ने करण के लंड को मूह से निकाला ऑर करण खुद को अड्जस्ट करता हुआ माँ के नीचे
घुस्स कर लेट गया जिस से करण का लंड माँ की चूत तक पहुँच गया ऑर माँ ने अपने हाथ से करण का लंड
पकड़ा ऑर अपनी चूत मे घुसा लिया ,,,,करीब 5-10 मिनट तक मैं पीछे से माँ की गान्ड ऑर करण नीचे से
माँ की चूत मारता रहा ऑर उधर शिखा अपनी माँ की चूत को चुस्ती हुई उनके बूब्स मसल रही थी,,अलका
आंटी कभी अपनी बेटी की तरफ देख रही थी ऑर कभी हम तीनो की तरफ,,,,


शिखा काफ़ी देर से अपनी माँ की चूत को चूस रही थी इसलिए अलका आंटी की चूत ने पानी बहाना शुरू कर
दिया ऑर शिखा ने सारा पानी पी लिया,,अलका अपनी बेटी को देख कर हैरान हो गई,,,,तभी शिखा उठी ऑर अपनी
माँ के पास जाके उनके लिप्स को किस करने लगी ऑर करण को इशारा करने लगी,,,,माँ ने भी शिखा की तरफ
देखा ऑर मुझे हटने को बोला जिस से माँ उठ गई ऑर करण माँ के नीचे से उठा कर अपनी माँ के पास
चला गया,,,शिखा ने करण के पास आते ही उसका लंड अपने हाथ मे पकड़ा ऑर फिर मूह मे भर लिया ,,,,अलका
फिर से मूह खोले अपने बेटे ऑर बेटी को देखने लगी थी,,लेकिन उसको असली हैरत तब हुई जब शिखा ने अलका
की टाँगों को खोल दिया ऑर करण को अलका के उपर चढ़के उसको चोदने का इशारा किया,,,,करण भी जल्दी ही
अपनी माँ पर चढ़ गया ऑर अपने लंड को अपनी माँ की चूत मे घुसा दिया ऑर अपनी माँ को किस करने लगा,,

पहले तो अलका बेसूध पड़ी रही लेकिन करण की स्पीड तेज होते ही मस्ती मे वो अपने बेटे का साथ देने लगी



,,इधर मैने भी माँ को बेड पर लेटा लिया ऑर अपने लंड को माँ की चूत मे घुसा दिया,,,,माँ तेज़ी से
सिसकियाँ लेते हुए मुझे स्पीज़ तेज करने को बोलने लगी,,,,,आहह ऊरर तीज्ज काररर ब्बीत्टता ऊरर तीएजज़्ज़्ज
फादद्ड़ द्दी आपपनन्ी ,माआअ क्कीी छ्छूटतत ककूऊ प्पूउर्राा मूऊवस्साल्ल्ल ग्घुउस्साआआ डदीए
उउन्नड़दीर्र त्टाककककक आहह ऐसी हहीी बीत्ताअ ऊरर तीएजज ऊरर तीज़्ज़ज्ज ,,,,अलका ने करण के लिप्स से
अपने लिप्स को अलग किया ऑर मेरी ऑर मेरी माँ की तरफ देखने लगी,,,,फिर कुछ ही पल मे अलका की भी सिसकियाँ
शुरू हो गई,,,करण अपनी माँ पर लेट कर तेज़ी से झटके लगा रहा था ऑर दोनो हाथों से अपनी माँ के बूब्स
को मसल रहा था,,,,अलका भी मस्ती मे पागल हो गई ऑर अपने बेटे करण को तेज़ी से चोदने को बोलने लगी,,,


ओररर तीज्ज्ज्ज करन्णन्न् बीत्ताअ आअज्ज ततुउउउ बभिईीई त्टीजजिि ससीए छ्ोपूओद्दड़ आपपननीी माआ ककूऊऊ
प्पूउर्रा ल्लुउन्न्ड्ड़ ग्घुउस्स्साअ डदीई आपपननन्िईीईई माआअ क्कीईइ चूटतत मीईए आहह ऊओरर
त्टीज्जज बीत्ताआअ ,,,,माँ ऑर अलका आंटी के सर एक दूसरे से बस 2 फीट दूर थे ऑर बीच मे बैठी हुई थी
शिखा जो कभी अपनी माँ के जिस्म पर तो कभी मेरी माँ के जिस्म पर हाथ घुमा रही थी,,,दोनो बेटे अपनी
माँ को चोदने मे लगे हुए थे ऑर दोनो माँ अपने बेटे को स्पीड तेज करने को बोल रही थी,,,,अलका पहले
बहुत शर्मा रही थी घबरा रही थी लेकिन अब उसकी शरम ऑर डर हवा मे उड़ गये थे,,,,तभी कुछ देर
बाद माँ ने मुझे हटने को बोला ऑर उठकर बैठ गई ऑर अपनी जगह पर शिखा को लेटा दिया ऑर मैने भी
जल्दी से अपने लंड को शिखा की चूत मे घुसा दिया ऑर तेज़ी से शिखा की चूत को चोदने लगा,,,
Reply
12-21-2018, 02:15 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
फिर उस दिन कभी मैने माँ को कभी अलका आंटी को कभी शिखा को चोदा ऑर कभी मैने ऑर करण के
मिलकर माँ शिखा ऑर अलका आंटी को चोदा,,,,हमने अलका आंटी को भी 2 लंड का मज़ा दे दिया,,,कभी चूत
मे मेरा ऑर गान्ड मे करण का लंड तो कभी गान्ड मे मेरा ऑर चूत मे करण का लंड,,,इतनी मस्ती की
हम सब ने मिलकर की अलका आंटी ने तो कभी सपने मे भी नही सोचा था,,,,,,,,वो तो अपने बेटा ऑर बेटी से
मस्ती करके पागल ही हो गई थी,,,,,,




जब चुदाई ख़तम हुई तो करीब नून टाइम हो गया था ऑर 12 बजे का टाइम हो गया था,,,

क्यू अलका कैसा लगा अपने ही बेटे से चुदाई करके,,,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,,,,

दीदी आपने अच्छा नही किया,,,मेरे साथ इतना बड़ा गेम खेला,,,सीधी तरह नही बता सकती थी सब कुछ,,,,,

सीधी तरह बता देती तो शायद तू मेरी बात नही मानती अलका,,,,ये सब करना ज्रूरी था,,,मेरा बेटा सन्नी
मुझे कब्से चोद रहा है,,,फिर उसने करन को भी मेरे साथ मस्ती करने के लिए तैयार किया था,,,फिर बाद
मे पता चला कि करण भी तेरे को बहुत पसंद करता है तुझे चोदना चाहता है,,,,,,

अलका ने करण की तरफ देखा तो करण ने हां मे सर हिला दिया,,,,,

बस फिर करण की खातिर मैने ये सब किया,,,,ऑर ये सन्नी भी तो तेरी मस्त गान्ड पर लट्तू हो गया था,,,

लेकिन ये शिखा कब शामिल हुई आप लोगो के साथ,,,,,,,

ये भी बहुत पहले से शामिल है हम लोगो के साथ ऑर ये ही नही ,,मेरी बेटी शोबा भी शामिल है,,,,

क्या बोल रही हो दीदी,,,,,,

सही बोल रही हूँ अलका,,,,,,मैं अपने पति से खुश हूँ लेकिन कुछ ज़्यादा ही चुड़क्कड़ हूँ मैं इसलिए तो
अपने ही घर मे अपने पति के अलावा आपने भाई से ऑर दोनो लड़को से चुदती हूँ,,,,विशाल भी मुझे चोदता
है ऑर अब सन्नी भी,,,,अब तो ऐसी आदत हो गई है कि एक साथ 2-3 लंड से ही संतुष्टि होती है,,,,एक लंड से
कुछ नही होता,,,,,,मैं चाहती तो घर से बाहर जाके भी खुद को संतुष्ट कर सकती थी लेकिन इसमे बहुत
टेन्षन होती है ,,बदनामी का डर रहता है लेकिन अब मैं अपने घर मे मस्ती करती हूँ ऑर जब दिल करे
तब मस्ती करती हूँ,,,ना कोई डर ना कोई टेन्षन,,,,,,,ऑर आज के बाद तू भी अपने बेटे ऑर बेटी के साथ जब दिल
करे तब मस्ती कर सकती है,,,बिना किसी डर के,,आख़िर परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई ऑर सुख कहाँ
है ,,,एक चुदाई का सच ही बड़ा होता है सब सुखों से,,,,,,,

अब ना तुझे अपनी पति की याद आएगी ना उसके लंड की याद सताएगी,,,ऑर देख ज़रा करण के लंड को तेरे
पति के लंड से भी कहीं ज़्यादा बड़ा है,,,,,

अलका ने शरमाते हुए करन के लंड को देखा तो सिकुड कर भी कम से कम 4 इंच का था,,,,,

अब शरमाना छोड़ दे,,ऑर दिल खोल कर मस्ती कर अपने परिवार के साथ,,,जब तक करण का बाप वापिस नही
आ जाता,,फिर उसको भी शामिल कर लेना अपने खेल मे,,,,पूरा परिवार मिलकर मस्ती करना फिर,,,,,जैसे मैं ऑर
मेरा परिवार करते है,,,,,,,,,,

इतना बोलकर माँ ने मुझे कपड़े पहनने को बोला ऑर खुद भी कपड़े पहनने लगी,,,,,,,अरे कहाँ चली आप दीदी
रूको ना थोड़ी ओर मस्ती करते है,,,,अलका बोली,,,

नही अलका अब मुझे जाना है,,,मैं तो बस तेरी प्रोबलम दूर करना चाहती थी वो हो गई अब तू अपने परिवार
के साथ सुखी रह,,,

रूको ना आंटी अभी इतनी भी क्या जल्दी है,,,,,


तुझे तो पता है ना मेरी जल्दी की वजह करण बेटा,,,,,,

ओह्ह हां भूल गया मैं आंटी जी,,,,,

माँ ऑर करण की क्या बात हुई मैं कुछ समझा नही ,,,लेकिन मुझे ऐसा लगा कि शिखा भी उनकी बात को जानती
थी इसलिए माँ करण के साथ शिखा भी हँसने लगी,,,,,

अब तुम लोग करो मस्ती मैं चली,,,,,,माँ तैयार होने लगी ऑर मैं भी करण के रूम मे जाके अपना समान
पॅक करने लगा,,,,तभी शिखा ऑर करण मेरे पास आ गये,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भाई तेरी वजह से ऑर सरिता आंटी की वजह से अब मैं ऑर दीदी जब दिल करे तब मस्ती कर सकते
है ऑर अब तो माँ भी शामिल हो गई है हम लोगो के खेल मे,,,,

अच्छा वैसे तुझे मज़ा आया करण अपनी माँ को चोद कर,,,,,

हाँ भाई बहुत मज़ा आया,,,,करण बोला,,,,,,,

मुझे भी बहुत मज़ा आया ,,,,शिखा भी बोली,,,,,

अच्छा तो तुम दोनो को सर्प्राइज़ अच्छा लगा,,,,

हाँ बहुत अच्छा लगा,,ऑर जैसे तूने हमे सर्प्राइज़ दिया है वैसे एक सूप्राइज़ तेरा घर पर वेट कर रहा है,,

कॉन्सा सरप्राइज,,,,इस से पहले मैं या कोई कुछ बोलता माँ वहाँ आ गई साथ मे अलका आंटी भी थी,,,उनके जिस्म
पर बेडशीट थी जबकि करण ऑर शिखा नंगे थे,,,,,मैं ऑर माँ वहाँ से चलने लगे तो आंटी ने एक बार
मुझे बाहों मे भर लिया ऑर एक डीप किस करदी ,,,,,,फिर मैं ऑर माँ वहाँ से चल पड़े घर की तरफ,,


करण शिखा ऑर अलका आंटी को मस्ती करने के लिए छोड़ कर,,,,,,,

करण को उसकी माँ मिल गई थी ऑर अलका को उसका बेटा ,,,अब करण बिना किसी डर के अपनी बेहन शिखा के साथ
जब दिल करे तब चुदाई कर सकता था ऑर अलका को भी अब बाज़ार से बैगन लेके आने को कोई ज़रूरत नही थी
उसको इतना बड़ा मूसल जो मिल गया था,,,जो उसके पति के छोटे से लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा था,,शिखा भी अब
अपनी माँ ऑर भाई के साथ दिल खोल कर मस्ती कर सकती थी,,,,बोलो तो पूरा परिवार अब एक ही छत के नीचे एक
ही बेड पर हर रात नंगा सोया करेगा बिना किसी डर के बिना किसी टेन्षन के,,ऑर एक दूसरे के जिस्म का सुख
लिया करेंगे,,,,आख़िर इसी को कहते है,,,,परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई सुख नही,,,,,,,


माँ को साथ लेके मैं करण के घर से निकला तो माँ बहुत खुश थी,,,,अलका से तो मस्ती करली बेटा अब ज़रा
घर चल ऑर मुझे भी खुश कर,,ऑर साथ ही तेरे लिए एक सर्प्राइज़ आया हुआ है वो भी देख लेना,,,,

माँ सर्प्राइज़ तो कितने दिन से आया हुआ है आपने मुझे बताया क्यूँ नही,,,

माँ हैरान होते हुए हुए,,,,,तुझे किसने बताया सर्प्राइज़ के बारे मे,,,,,

कविता ने बताया था कॉलेज मे ,,,,लेकिन अपने क्यू नही बताया,,,,,,

अगर तुझे बता देती तो बेटा सर्प्राइज़ कैसे रहता वो,,,,

वैसे सर्प्राइज़ है क्या माँ,,,,,

अब घर जा रहा है ना घर जाके देख लेना,,,,वैसे तेरा दिल खुश हो जाएगा सर्प्राइज़ देख कर,,,,

अभी हम बात कर ही रहे थे तभी मेरा फोन बजने लगा,,,,पॉकेट से मोबाइल निकालने ही लगा था कि बेल
बंद हो गई,,,,,,मैं फिर आगे बढ़ चला ,,,बातें करते हुए मैं ऑर माँ घर पहुँच गये ,,,,माँ ने गेट
खोला ऑर मैं बाइक अंदर करने लगा तभी फोन फिर से बजने लगा,,,,

मैने फोन पॉकेट से निकाला तो देखा ये कामिनी भाभी की कॉल थी,,,,,ओह्ह शिट्ट मैं तो भूल ही गया था
क़ि कामिनी भाभी ने मुझे सुबह घर पर बुलाया था,,,,,अलका आंटी की मस्त गान्ड के चक्कर मे मैं
कामिनी की सॉफ्ट चूत को भूल ही गया था,,,,

हेलो भाभी,,,,,

शुक्र है सन्नी तुझे मेरी आवाज़ तो याद है,,मुझे तो लगा भाभी के साथ-साथ भाभी की आवाज़ भी भूल
गया है तू,,,,,

नही ऐसी बात नही है भाभी बस थोड़ा काम आन पड़ा था इसलिए सुबह नही आ पाया मैं,,,,

अच्छी बात है सुबह नही आया,,,सुबह आता तो काम नही बनता हम लोगो का,,,,अभी कहाँ है तू,,,

मैं बस घर से निकलने ही लगा था भाभी,,,,

अरे वाह,,,,तो ठीक टाइम पर फोन किया है मैने,,,,,मैने भी फोन इसलिए किया था ताकि तुझे याद दिला
दूं,,,कब तक आ रहा है तू सन्नी,,,,

बोला ना भाभी घर से निकलने लगा हूँ,,,,15-20 मिनट मे पहुँच जाउन्गा,,,,


ठीक है ,,,जल्दी आजा फिर,,,इतना बोलकर भाभी ने फोन कट कर दिया ,,,,

किसका फोन था बेटा,,,,,,माँ ने गेट के अंदर से पूछा,,,,

कुछ नही माँ किसी दोस्त का फोन था ,,कुछ काम है मुझे जाना होगा,,,,जब मैं माँ से बात कर रहा
था तो मेरी नज़र पड़ी घर के अंदर खड़ी हुई एक चमचमाती न्यू कार पर,,,जिसका अभी नंबर भी नही
आया था,,,,,मैं न्यू कार देख कर खुश हो गया,,,,मेरा सर्प्राइज़ तो बहुत अच्छा है,,,,,दिल तो कर रहा था न्यू
कार को ड्राइव करने का लेकिन ये कार कहाँ जाने लगी है अब,,अपनी ही है घर पर रहेगी लेकिन भाभी रोज रोज
नही मिलने वाली,,,,,ऑर वैसे भी न्यू कार से कहीं ज़्यादा मज़ा था भाभी की सवारी करने का,,,,,इसलिए माँ को
बाइ बोला ऑर मैं वहाँ से चलने लगा,,,,

पहले अंदर तो आजा बेटा,,फिर चला जाना,,,सर्प्राइज़ तो देख ले ,,,,शायद तेरा जाने को दिल ही नही करे,,,,

वो मैने देख लिया माँ ,,अब मैं चला ,,शाम को आता हूँ,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:15 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
इस से पहले माँ कुछ बोलती मैं वहाँ से चल पड़ा,.,,,,पीछे से माँ ने कुछ बोला भी था लेकिन मेरा
ध्यान नही गया उनकी बात पर,,,मेरे ध्यान मे तो अब भाभी की चूत थी बस,,,,

मैं तेज़ी से बाइक चलाता हुआ भाभी के घर पहुँच गया,,,,बाहर एक कार खड़ी हुई थी जो सूरज भाई की थी
,,तभी सूरज भाई घर से बाहर निकला ऑर उसके हाथ मे कुछ समान था जो उसने कार मे रख दिया,,

इतने मे मैं बाइक साइड पर लगाने लगा,,,सूरज का ध्यान मेरी तरफ हुआ,,,,,

आ गया तू सन्नी,,,,बड़ी जल्दी आ गया,,,,

जी भाई ,,,वो भाभी का फोन आया था,,,,

हाँ हाँ जानता हूँ तभी इतनी जल्दी आ गया तू,,मैने फोन किया होता तो इतनी जल्दी नही आता तू,,,,,इतना बोलकर
सूरज हँसने लगा,,ऑर मेरी बोलती बंद हो गई,,

चल आ अंदर चलते है,,,,

मैं सूरज भाई के साथ अंदर चला गया,,अंदर जाके देखा तो भाभी ,,कविता ऑर सोनिया तीनो बातें
कर रही थी,,,,मैने देखा कि ज़मीन पर कुछ बॅग भी पड़े हुए थे,,,,

अरे जल्दी चलो अब क्या सारा दिन बैठ कर बातें ही करती रहोगी,,जाना नही है क्या,,,,,

मुझे अंदर आते ही कामिनी भाभी ऑर कविता ने मुझे हेलो बोला जबकि सोनिया अपने वहीं हमेशा
वाले अंदाज़ मे मुझे घूर्ने लगी,,,,

जाना है भैया ,,,,इतना बोलकर कविता उठी ऑर एक बॅग उठा कर बाहर की तरफ जाने लगी,,,ऑर जाते जाते
मुझे बड़े अजीब अंदाज़ से हंस कर देख कर गई,,,

सूरज भाई ने मुझे सोफे पर बैठने को बोला ओर खुद भी मेरे साथ बैठ गये,,,,,कामिनी सन्नी के
लिए कुछ चाइ कॉफी लेके आओ,,,,,

जी अभी लेके आती हूँ ,,,इतना बोलकर भाभी किचन की तरफ जाने लगी,,,

नही भाभी रहने दो मैं अभी कॉफी लेके ही आया हूँ,,,,

अरे तुम इतने दिनो बाद आते हो ऑर फिर भी हमे खातिरदारी करने का मोका नही देते,,भाभी ने
हल्के नखरे से बोला,,,,,

हम लोगो ने चले जाना है कामिनी फिर आराम से खातिरदारी करना सन्नी की,,,,इतना बोलकर सूरज हँसने
लगा ऑर साथ मे कामिनी भाभी भी,,,,

लेकिन सोनिया ,,,उसके बारे मे क्या बोलू,,,,

आप लोग कहीं घूमने जा रहे हो क्या सूरज भाई,,,,,

तभी कविता अंदर आ गई,,,,,हाँ सन्नी हम लोग सूरज भाई के साथ घमने जा रहे है,,,,

हम लोग मतलब ,,,,,,,

मतलब कविता ऑर सोनिया मेरे साथ जा रही है,,,,मुझे माँ के पास जाना है उनके कुछ कपड़े यहाँ
पर थे ऑर भी कुछ समान था मुझे वो देने जाना है तो कविता ने बोला कि उसको भी माँ से मिलना
है,,,,ऑर कविता के साथ सोनिया भी तैयार हो गई जाने के लिए,,,,

तो क्यूँ ना तैयार होती,,,मेरी दोस्त है वो,,,,आंड आपको कोई प्रोबलम है क्या अगर सोनिया साथ चलेगी,,,,

हां हां बोलो सूरज भाई क्या प्रोबलम है मेरे जाने से,,एक एक करके कविता ऑर सोनिया दोनो सूरज
भाई के पीछे पड़ गई,,,,,अरे नही मेरी माँ कुछ प्रोबलम नही है मुझे तुम दोनो से मैं तो यूँ
ही बता रहा था सन्नी को,,,,

सोनिया ऑर कविता हँसने लगी साथ मे भाभी भी,,,,,,

सोनिया की तबीयत ठीक नही है कुछ दिन से सन्नी तो मैने सोचा भाई के साथ मैं तो जा रही हूँ तो
क्यू ना सोनिया को भी साथ ले जाउ,,,,,वहाँ माउंटन्स की खुली हवा मे घूम कर शायद कुछ बेहतर
महसूस करे ये,,,,ओर दिल भी बहल जाएगा,,,,

हाँ सन्नी,,तभी तो फोन किया है तुझे,,,,हम लोग शायद कल वापिस आने वाले है,,,या फिर परसो
तब तक तुझे यहाँ रहना होगा भाभी के साथ,,,,,मैने शोबा को भी फोन कर दिया है वो भी
यहाँ रहने आ जाएगी,,,,इतना बोलकर सूरज भाई उठे ऑर मुझे बाइ बोलने लगे,,,
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