Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:33 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं भाभी के पास पहुँचा और भाभी को बाहों मे भरा लेकिन तभी भाभी एक दम से मेरे लिप्स
पर टूट पड़ी और अपनी पूरी ज़ुबान घुसा कर मेरे मुँह मे मुझे किस करने लगी,,,वो मेरे लिप्स को ऐसे
खाने लगी जैसे आज के बाद मैं कभी उसके हाथ ही नही लगने वाला ,,,जैसे रेगिस्तान मे किसी को पानी
मिलता है तो वो एक ही बार मे सारी प्यास भुजा लेना चाहता है वैसे ,,भाभी किसी भूखी शेरनी की तरह
टूट कर मुझपे झपट पड़ी थी,,,ऐसा लगता था जैसे ये बरसो से लंड के लिए तरस रही थी,,,लेकिन सूरज भाई
तो आज ही गया था बाहर कहीं,,,,

खैर मैं भी उसी अंदाज़ मे भाभी को किस करने लगा ,,,मेरी पॅंट खुल चुकी थी और मेरी टाँगों पर
घुटनो के करीब पहुँच गई थी जबकि मेरा उपर वाला जिस्म नंगा हो गया था,,,,मेरी बाहों मे जकड़ी
हुई भाभी पूरी नंगी थी उसका संगमरमर जैसा चिकना बदन मेरी बाहों मे फिसलता जा रहा था,,,मैं
जितना उसको बाहों मे कसने की कोशिश करता वो उतनी ही फिसलती जाती मेरी बाहों से,,हम दोनो काफ़ी देर
तक ऐसे ही खड़े रहे और पागलो की तरह एक दूसरे के लिप्स को चूस्ते रहे,,भाभी की ज़ुबान मेरे मुँह मे
और मेरी ज़ुबान भाभी के मुँह मे हर तरफ घूमती जा रही थी,,वो कभी मेरे उपर वाले लिप्स को अपने
लिस्प मे जकड लेती तो कभी नीचे वाले लिप्स को,,,मैं भी ऐसे ही कभी भाभी के उपर वाले लिप्स को तो
कभी नीचे वाले लिप्स को चूस्ता जा रहा था,,,पता नही चल रहा था कि आज कों ज़्यादा पागल हुआ जा रहा था
,,मैं या भाभी,,,,

तभी भाभी एक दम से मुझसे दूर हो गई ,,,,वो मेरे से करीब 3-4 फीट दूर जाके खड़ी हो गई और अपनी
उखड़ती हुई साँसों पर क़ाबू करती हुई मेरी तरफ देखने लगी,,वो अपने लिप्स से नीचे बहते हुए मेरे थूक
को सॉफ करने लगी और मदमस्त नज़रो से मुझे देखने लगी,,,,मेरे लिप्स और चिन भी थूक से सराबोर हो
गये थे,,हम लोगो का आधा फेस थूक से भीग गया था,,,हम एक दूसरे को किस नही कर रहे थे बल्कि
एक दूसरे के लिप्स को खा रहे थे,,,तभी मैं हल्के से चलता हुआ भाभी के पास गया तो वो पीछे हटने
लगी,,वो मुझे बड़े शरारती अंदाज़ मे देख रही थी और मुझे उनकी यही अदा अच्छी लग रही थी,,,आज वो
कहीं ज़्यादा खुलकर पेश आ रही थी,,शायद घर पर कोई नही था इसलिए आज बिना किसी डर के वो खुल कर
मस्ती करने के मूड मे थी,,,

मैं भाभी के पास जा रहा था जबकि वो पीछे लगे हुए बेड की तरफ जा रही थी,,,जब तक मैं बेड के करीब
पहुँचा तब तक भाभी बेड पर चढ़ गई थी,,मैं बेड के पास पहुँच कर अपनी पॅंट को अपनी टाँगों
से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा जबकि भाभी बेड पर आगे की तरफ झुक गई और मेरे लंड को मुँह मे
भरके चूसने लगी,,,,मैं हल्का झुका हुआ था और जैसे ही भाभी ने मेरे लंड को मुँह मे भरा मैं हल्की
मस्ती के झटके से हिल गया और मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं गिरने लगा था तभी भाभी ने मेरा हाथ
पकड़ा और मुझे बेड की तरफ खींच लिया,,,मैं बेड पर घूमकर पीठ के बल गिरा ,,,और तभी भाभी
उठी और जल्दी से मेरे सर के करीब आ गई,,इस से पहले मैं कुछ करता भाभी ने अपनी टाँगें खोली और
अपनी चूत को मेरे मुँह के उपर कस्के मेरे सर पर बैठ गई और खुद जल्दी से झुक कर मेरे लंड को मुँह
मे भर लिया,,,मेरी पॅंट अभी तक मेरे पैरो मे अटकी हुई थी लेकिन अब मैं पॅंट के बारे मे भूल ही गया
था क्युकि भाभी ने लंड को मुँह मे भरते ही बड़े मस्त अंदाज़ से चूसना शुरू कर दिया था,,,भाभी ने
आज पहली ही बार मे आधे से ज़्यादा लंड को मुँह मे भर लिया था और कुछ पल बाद ही मेरा पूरा लंड
भाभी के गले से नीचे उतर चुका था,,,इधर भाभी मेरे लंड को मुँह मे लेके उपर नीचे हिल रही थी
और उधर भाभी अपनी चूत को मेरे मुँह के उपर रखके अपनी कमर को हिला रही थी जिस से भाभी की
चूत के सॉफ्ट लिप्स मेरे लिप्स पर रगड़ खा रहे थे,,,अब तक मेरे हाथ भाभी की गान्ड पर चले गये
थे और मैने भाभी की गान्ड को दोनो हाथों से पकड़कर उनकी चूत को अपने मुँह पर और ज़्यादा ज़ोर
से दबा लिया था जिस से उनकी चूत के लिप्स मेरे मुँह मे भर गये थे और मैं तेज़ी से उनको चूसना शुरू
कर दिया था,,,,

मैं भाभी की चूत के लिप्स को इतनी तेज़ी से और पागलपन से चूस रहा था जैसे कुछ देर पहले मैं भाभी
के लिप्स को चूस रहा था,,,भाभी की चूत भी मेरे थूक से चिकनी हो गई थी और मस्ती मे भाभी की
चूत ने काफ़ी पानी भी बहाना शुरू कर दिया था जिस से चूत के उपर और आस-पास काफ़ी चिकनाहट हो गई थी,
उधर भाभी की गान्ड के उपर मेरे हाथों ने भाभी के दोनो नितंबों को एक एक करके हाथ मे पकड़
लिया था और कस कस के दबाना शुरू कर दिया था बीच बीच मे दोनो हिस्सों को ज़ोर लगा कर दोनो तरफ
से खोल देता जिस से भाभी की गान्ड का होल भी खुलने लगता,,,,मैने अपनी 2 उंगलियाँ भाभी की गान्ड मे
घुसा दी और उनकी गान्ड को दोनो तरफ करके खोल दिया फिर दोनो हाथों की 2 उंगलियाँ और डाली गान्ड के
'अंदर और तेज़ी से उंगलियों की अंदर बाहर करने लगा,,,भाभी की गान्ड अब पहले से कहीं ज़्यादा खुली हो
चुकी थी और होती भी क्यूँ नही मैने सूरज भाई को अपने लंड के साइज़ का मोटा स्ट्रॅप-ऑन जो लाके दिया था,,ये
उसी स्ट्रॅप-ऑन का कमाल था,,,मैने 2 उंगलियों से गान्ड को खोला हुआ था और 2 उंगलियों से गान्ड की हल्की
चुदाई कर रहा था साथ मे भाभी की चूत को कस कस के मुँह मे भरके चूस रहा था,,

उधर भाभी भी मेरे पूरे लंड को बिना किसी परेशानी के मुँह मे भरके गले से नीचे तक गटक रही थी
मेरे लंड का थोड़ा सा भी हिस्सा बाहर नही रहता था बस मेरी बॉल्स ही थी जो भाभी के लिप्स से टकरा रही
थी,,भाभी बड़ी तेज़ी से अपने सर को उपर नीचे कर रही थी,,,मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी टाइट
चूत या गान्ड की चुदाई कर रहा हूँ और जल्दी ही झड जाउन्गा,,,और ऐसे ही हुआ ,,,मैं भाभी की चूत को
15-20 मिनट से चाट और चूस रहा था भाभी भी मेरे लंड को मुँह मे गले से नीचे तक घुसा कर
चूस रही थी ,,अब हम दोनो ही झड़ने वाले थे और जब तक भाभी की चूत का पानी मेरे गले से नीचे
नही उतरा मैने भाभी की चूत को मुँह से दूर नही किया और जब तक मेरे लंड का पानी भाभी के गले
से नीचे तक नही उतरा भाभी ने मेरे लंड को मुँह से बाहर नही निकाला,,,लंड के पानी की लास्ट ड्रॉप तक
भाभी के गले से नीचे गटक चुकी थी लेकिन भाभी फिर भी मेरा लंड चूस रही थी भाभी मुझे
चुदाई के लिए तैयार कर रही थी और उधर मैं भी भाभी की चूत का सारा पानी पी चुका था लेकिन फिर भी
भाभी की चूत के पिंक और सॉफ्ट लिप्स को अपने मुँह मे भरके चूस्ता ही जा रहा था,,,,

उसके बाद मैने भाभी की खूब जोरदार चुदाई की,,भाभी ने चावल बनाए थे लेकिन चुदाई करके
भाभी की भूख मिट गई थी और डिन्नर टाइम तक मैने भाभी की 2 बार चुदाई की,,,हम लोग रूम से बाहर
भी नही निकले,,,,जब चुदाई नही भी कर रहे थे तब भी मैं और भाभी बेड पर लेट कर एक दूसरे को
हल्की हल्की किस करके टाइम पास कर रहे थे,,,,,
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12-21-2018, 02:33 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
सर्दी शुरू हो गई थी,,,अंधेरा जल्दी हो गया था,,,,भाभी को डिन्नर की तैयारी तो नही करनी थी क्यूकी पहले
ही चावल बना चुकी थी लेकिन चावल के साथ दाल बनाना ज़रूरी था,,,,इसलिए भाभी मुझे वहाँ छोड़कर
खुद किचन मे चली गई,,,,और जाते जाते बाहर से मुझे कुण्डी लगा गई,,,,

मैने दरवाजे पर नॉक करके पूछा तो भाभी ने मज़ाक मज़ाक मे बोला,,,,,,,सन्नी तूने मुझे किचन
मे भी आराम से काम नही करने देना है इसलिए तू डिन्नर रेडी होने तक रूम मे ही लॉक रहेगा,,,,

मैं भाभी की बात समझ गया था क्यूकी आज मैं बहुत मोड़ मे था मैने 2 बार भाभी की चुदाई की
थी वो भी इतनी दमदार की भाभी की तौबा तौबा हो गई थी,,,,

भाभी डिन्नर तैयार करने गई जबकि मैं बेड पर लेट गया और मेरी आँख लग गई,,,करीब 40-50 मिनट बाद
भाभी ने आके मुझे उठाया ,,,मैं उठा तो देखा कि डिन्नर भाभी बेड पर लेके आ गई थी,,,

अरे डिन्नर यहाँ क्यूँ लेके आ गई आप भाभी जी,,,,बाहर चलते है ना,,,,,

नही सन्नी,,आज मेरा बहुत मूड है,,,आज हम रूम से बाहर नही जाएँगे ,,,डिन्नर भी यहीं बेड पर
होगा आज तो,,,,इतनी बात भाभी ने शरमाते हुए बोली ,,,,,

अच्छा तो ये बात है,,,फिर तो जल्दी जल्दी डिन्नर ख़तम करना चाहिए,,,,,मैने भी मज़ाक मे बोला,,,


तभी मैने देखा कि भाभी ने रोटी भी बना ली थी जबकि पहले तो भाभी ने चावल ही बनाए थे,,लेकिन
अब रोटी भी बना ली थी,,,,,

अरे भाभी चावल ही काफ़ी थे ये रोटी क्यूँ बनाई अपने,,,,चावल से ही काम चला लेते हम लोग,,,

वो गॅस ऑफ करना भूल गई थी चावल नीचे लग गये थे,,,,ये थोड़े से चावल ही बचे थे इसलिए मैने
5-6 रोटी भी बना ली,,,,क्यूँ तुझे रोटी अच्छी नही लगती क्या दाल के साथ,,,,

नही ऐसी बात नही है मैने तो इसलिए पूछा था क्यूकी चावल बहुत ज़्यादा थे तो रोटी की क्या ज़रूरत,,,ये
तो अब पता चला चावल नीचे लग गये थे (जल गये थे),,,,

फिर हम लोगो ने डिन्नर ख़तम किया और भाभी बर्तन लेके किचन मे जाने लगी,,अब भाभी के दोनो
हाथों मे बर्तन थे और कुछ बर्तन बेड पर भी रह गये इसलिए मैं भाभी के बाहर जाते ही बेडशीट
को अपने जिस्म पर लपट कर बाहर चला गया बर्तन किचन मे रखने,,,,वैसे तो भाभी ने शायद रूम
लॉक कर देना था लेकिन दोनो हाथों मे बर्तन होने की वजह से भाभी रूम को लॉक नही कर सकी,,,और
मैं भाभी के पीछे पीछे चला गया,,,,मैं बर्तन लेके किचन मे गया था तो मैने देखा कि भाभी
किचन मे नही थी,,,,मैं किचन से बर्तन रखके बाहर निकला तो देखा भाभी एक रूम से बाहर निकल
रही थी,,,,लेकिन जैसे ही भाभी की नज़र मेरे पर पड़ी भाभी थोड़ा डर गई थी,,,ये रूम भाभी की सास और
ससुर का था ,,,,,

अरे भाभी आप वहाँ क्या कर रही थी,,,,वो कुउच न्ह्हि मैं तो,,,,,भाभी थोड़ा परेशान हो गई थी,,,

क्या हुआ भाभी इतना डर क्यूँ गई,,,मैने कोई चोरी पकड़ ली क्या आपकी,,,,

भाभी ने हँसते हुए बोला,,,,कैसी चोरी,,,मैं तो ये लेने गई थी रूम से,,,भाभी ने अपने हाथ मे पकड़ा
हुआ एक प्लास्टिक का नकली लंड मेरी तरफ करके मुझे दिखाया,,,,,1 से मज़ा नही आया ,,,अब रात को 2 लंड का
मज़ा लूँगी मैं,,,,भाभी ने इतना बोला और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापिस रूम मे ले गई,,


रूम मे जाके हम लोगो की मस्ती फिर से शुरू हो गई,,,मैने अपने जिस्म पर लिपटी हुई बेडशीट उतारकर
फैंक दी और नंगा होके भाभी से लिपट गया,,,,फिर मैने भाभी को चुदाई का मज़ा देना शुरू कर दिया वो
भी 2 लंड से,,,कभी मेरा लंड भाभी की चूत मे होता और नकली लंड भाभी की गान्ड मे और कभी मेरा
लंड भाभी की गान्ड मे होता और नकली लंड भाभी की चूत मे,,,,भाभी भी आज बहुत ज़्यादा मस्ती के
मूड मे थी और वही हाल मेरा था,,,

डिन्नर के बाद एक बार और चुदाई करके हम लोग आराम करने के लिए लेट गये,,,,क्यूकी आज की पूरी रात हम
लोगो की थी,,,,भाभी की आँख लग गई थी शायद,,5-6 अवर्स मे मैने 3 बार भाभी की जमकर चुदाई की थी
पूरा जिस्म हिला कर रख दिया था भाभी का इसलिए शायद वो थोड़ा थक गई थी और आराम करने लगी थी,,भाभी
की आँख लग गई तो मैं भी थोड़ा आराम करने लगा,,,

तभी मुझे हल्की प्यास लगने लगी,,मैने देखा उस रूम मे कोई पानी की बॉटल भी नही थी इसलिए मैं
उठकर किचन मे जाने लगा क्यूकी फ्रिड्ज वहीं पड़ा हुआ था,,,,मैं भाभी के रूम से निकला तो बाहर
बहुत अंधेरा था,,तभी मैने देखा कि कामिनी भाभी की सास के रूम से हल्की लाइट बाहर निकल रही थी
वैसे तो दरवाजा बंद था लेकिन दरवाजे के नीचे से पता चल रहा था रूम की लाइट जल रही थी,,मैने
कोई खास गौर नही किया और किचन की तफर चलने लगा,,,तभी मेरा पैर किसी टेबल या चेयर से टकरा गया और
हल्का शोर भी हुआ,,,मैं भी गिरते गिरते बचा,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी फिर से भाभी की सास के रूम की
तरफ तो उसकी लाइट ऑफ हो गई थी,,,,मुझे कुछ समझ नही आया,,,क्या कोई था उस रूम मे ,,क्यूकी लाइट अपने
आप तो ऑफ नही हो सकती थी,,,,मुझे कुछ ठीक नही लगा इसलिए मैं उस रूम की तरफ जाने लगा,,,अभी मैं
उस रूम की तरफ चलने ही लगा था कि मुझे कामिनी भाभी अपने रूम के दरवाजे के पास खड़ी हुई नज़र
आई,,,वहाँ अंधेरा तो बहुत था लेकिन भाभी के रूम की लाइट जल रही थी और भाभी रूम के दरवाजे के
पास खड़ी हुई थी,,,भाभी मेरी तरफ देख कर हँसने लगी क्यूकी मैं बिल्कुल नंगा था,,मैं भाभी के
रूम से नंगा ही बाहर आ गया था क्यूकी घर पर कोई नही था मेरे और भाभी के अलावा,,

तभी भाभी चलके मेरे पास आई,,,,वो नाइटी मे थी,,,भाभी हँसते हुए बोली,,,,क्या हुआ सन्नी कहाँ जा
रहे थे ,,,वो भी नंगे,,,,,

कुछ नही भाभी मुझे प्यास लगी थी इसलिए पानी पीने जा रहा था,,,,,

भाभी शरमाते हुए,,,,पानी तो किचन मे है तो इस रूम मे क्या करने जा रहे थे,,भाभी ने अपनी सास
के रूम की तरफ इशारा करते हुए बोला जिसके अंदर कभी लाइट ऑन थी और अभी ऑफ हो गई थी,,,

कुछ नही भाभी ,,मैं तो जस्ट देखने जा रहा था कि लाइट अपने आप कैसे ऑफ हो गई,,,पहले तो रूम मे
लाइट जल रही थी,,,

वो रूम की लाइट मे कुछ प्रोबलम है सन्नी,,खुद ही ऑन हो जाती है और खुद ही ऑफ,,,,इतना बोलकर भाभी
ने मुझे किचन मे जाने का इशारा किया,,,जाओ तुम किचन मे जाके पानी पी लो मैं देखती हूँ लाइट
का क्या पंगा है,,,,

मैं किचन की तरफ चला गया जबकि भाभी उस रूम मे चली गई,,,,किचन मे लाइट ऑफ थी,,लेकिन मुझे
पता था फ्रिड्ज कहाँ पड़ा हुआ है इसलिए मैने लाइट ऑन नही की बस फ्रिड्ज ओपन किया जिस से फ्रिड्ज की लाइट
से रोशनी हो गई थी किचन मे,,,,मैने पानी की बोटल निकाली और पानी पीने लगा,,,तभी मुझे दरवाजा बंद
होने की आवाज़ सुनाई दी,,मैने बाहर जाके देखा तो भाभी अपनी सास के रूम से निकलकर अपने रूम मे
जा रही थी,,उस रूम की लाइट अब ऑफ हो चुकी थी,,,भाभी भी अपने रूम मे चली गई और मैं वापिस फ्रिड्ज
के पास खड़ा होके पानी पीने लगा,,,,मुझे बहुत तेज प्यास लगी हुई थी,,,,मैने जबसे खाना खाया था तबसे
पानी नही पिया था,,,

मैं नंगा ही फ्रिड्ज के पास खड़ा हुआ था,,फ्रिड्ज का डोर खुला हुआ था और मैं एक हाथ से फ्रिड्ज के डोर
का सहारा लेके एक हाथ से पानी की बॉटल को उपर करके अपने मुँह को भी उपर उठाकर पानी को उपर से अपने
मुँह मे डालके पी रहा था,,मैं बॉटल को मुँह नही लगाना चाहता था और ना ही मैने पानी पीने के लिए
कोई ग्लास लिया था,,,,मैं अभी बॉटल उपर करके मुँह उपर उठाके पानी पी रहा था और जैसे ही मैने अपने
सर को वापिस नीचे किया तो मेरे होश उड़ गये,,,मेरे गले मे पानी अटका हुआ था और फिर भी मेरा गला बहुत
ज़्यादा सूखने लगा था,,,मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गई हो,,मैं
बहुत ज़्यादा डर गया परेशान हो गया,,,,मेरे सामने कविता खड़ी हुई थी,,,,


ऊओह म्मय्यी गूदडद यईी क्काहहानं ससी आ गगयइी,,,,,,मैं डरते हुए अपने मन मे खुद से ये बात
पूछ रहा था,,,,मैं एक दम से इतना ज़्यादा डर गया था कि मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,तभी
कविता ने हंस कर मुझे देखा और मेरे हाथ से वो पानी की बॉटल पकड़ ली और खुद सर को उपर छत की तरफ
करके पानी पीने लगी,,,,मैं एक दम से शांत खड़ा हुआ था और फ्रिड्ज की रोशनी मे कविता को देख रहा
था,,उसने एक ज़ींस का कुर्ता या कोई बनियान टाइप कुछ पहना हुआ था जो बहुत पतले कपड़े का था,,जब वो
सर को उपर करके पानी पी रही थी तो पानी की कुछ ड्रॉप्स उसके मुँह से बाहर निकलकर चिन से होते हुए उसके
कुर्ते पर गिरने लगी थी और जहाँ जहाँ भी पानी की ड्रॉप गिर रही थी वहाँ वहाँ से उसका कुर्ता उसके जिस्म से
चिपक रहा था और उसका जिस्म नज़र आ रहा था,,,मैं उसको ऐसे अपने करीब देखकर डर गया,,,तभी मुझे
याद आया कि उसका जिस्म तो पानी गिरने की वजह से नज़र आ रहा है जबकि मैं तो नंगा खड़ा हुआ हूँ इतना
याद आते ही मैने जल्दी से फ्रिड्ज को बंद करने की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी,,कविता पानी
पीकर अपने सर को नीचे कर चुकी थी,,अभी फ्रिड्ज का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि उसने दरवाजे को अपने
हाथ से पकड़ लिया और फिर से पूरा खोल दिया और पानी को बॉटल को फ्रिड्ज मे रखने लगी,,,तभी उसका ध्यान
मेरे नंगे जिस्म पर पड़ा और वो हँसने लगी लेकिन मेरी हालत खराब हो गई थी,,,वो मुझे नंगा देखकर
खुश हो रही थी जबकि मुझे उसके सामने नंगा खड़ा होके बहुत शरम आ रही थी ,,,मेरा फेस शरम
से लाल हो गया था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे इस टाइम कविता लड़का है और मैं लड़की हूँ ,,क्यूकी वो मुझे
देख कर शरमा नही रही थी बल्कि खुश हो रही थी,,,,

तभी उसने बॉटल को फ्रिड्ज मे रखा और फ्रिड्ज का दरवाजा बंद कर दिया,,,किचन मे एक दम से अंधेरा
हो गया और एक दम सन्नाटा भी हो गया,,बस मेरी डरती हुई साँसों की आवाज़ थी और कविता की साँसों की अजीब
आवाज़ थी,,,,तभी वो मेरे पास आ गई,,,मुझे बड़ा झटका लगा,,,,उसने मेरे पास आके मुझे बाहों मे
भर लिया ,,उसकी दोनो बाहें मेरे गले मे थी और तभी उसने अपने होंठों को मेरे कान के करीब किया और
बड़े प्यार से बोली,,,,

जू मुुझहही दीकखन्ना त्ता म्मैईन्न द्दईकखह चुउक्की हूंन,,अब ईट्टन्न्ना मात्त स्शहररम्माऊ
सन्नी,,,,,,उसका इतना सब बोलने का अंदाज़ बहुत मस्ती भरा था जो मुझे भी मस्त कर गया,,उसकी दोनो बाहें
मेरे गले मे थी उसका आधा नंगा जिस्म मेरे पूरे नंगे जिस्म से चिपका हुआ था उसने छोटे छोटे बूब्स
मेरी छाती से दबे हुए थे ,उसके दिल की तेज धड़कन मुझे अपने दिल पर महसूस हो रही थी वैसे मेरा दिल
भी डर के मारे बड़ी तेज़ी से धड़क रहा था लेकिन मस्ती मे दिल की धड़कन डर की धड़कन से कहीं ज़्यादा
तेज हो गई थी,,तभी उसने कुछ ऐसा किया जिस से मैं एक दम दंग रह गया,,,,उसने मेरे सर को अपने हाथों
से पकड़ा और मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया और इतनी जबरदस्त किस की मुझे कि मैं क़ाबू से बाहर
हो गया,,,उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे भरके इतनी मस्ती से चूसना शुरू किया कि मेरे लंड ने अंगड़ाई
लेना शुरू कर दिया था,,उसने मुझे कोई 8-10 सेकेंड तक किस की और फिर मेरे से दूर हो गई और किचन से बाहर
चली गई,,,,मैं कुछ सोच समझ नही सका,,,ये घर पर थी लेकिन भाभी ने तो कहा था कि घर पर कोई न्ही
है तो ये कहाँ से आ गई,,,,


वो तो किचन से बाहर चली गई थी लेकिन मैं यहाँ खड़ा हुआ सोच मे पड़ गया था एक तो मैं बहुत ज़्यादा
डरा हुआ था क्यूकी कविता ने मुझे नंगा देख लिया था उपर से उसने मुझे इतनी जबरदस्त छोटी सी किस करके
मुझे इतना मस्त कर दिया था कि मेरा लंड पूरे जोश मे खड़ा हो गया था वो भी बस 8-10 सेक मे ,,मैं
अब उस से अलग हो गया था लेकिन अभी भी मुझे उसके लिप्स का स्वाद अपने लिप्स पर महसूस हो रहा था,,मैं
अपने लिप्स पर अपनी ज़ुबान घुमा कर उसके लिप्स का बचा-खुचा स्वाद चखने की कोशिश करने लगा था ,,,

फिर मैं खुद पर क़ाबू करके किचन से बाहर गया,,,मैने देखा कि कविता के माँ के रूम की लाइट
जल रही थी और दरवाजा भी पूरा खुला हुआ था,,,,मुझे कविता कहीं नज़र नही आ रही थी शायद वो उसी रूम
मे थी तभी तो उस रूम की लाइट अपने आप ऑन-ऑफ हो रही थी,,,मैं हिम्मत करके उस रूम के पास जाने लगा
और जैसे ही मैं उस रूम के पास पहुँचा तो मैने अंदर देखा तो कविता बेड के पास खड़ी होके मुझे
ही देख रही थी,,,मैं नंगा रूम के बाहर खड़ा हुआ था और वो एक कुर्ते या बनियान पहन कर रूम
के अंदर खड़ी हुई थी,,,उसने कुर्ते के नीचे कुछ नही पहना हुआ था,,,उसकी टाँगें पूरी की पूरी नंगी थी
मैं तो उसको ऐसी हालत मे देखकर मस्त हो गया था और मस्ती मे मेरा लंड भी खड़ा हुआ था,,तभी उसने '
कुछ ऐसा किया कि लंड ने ज़ोर से झटके खाने शुरू कर दिए,,,,उसने मेरी तरफ देखते हुए अपने दोनो हाथ
उपर उठाकर अपने कुर्ते को अपने जिस्म से अलग कर दिया,,,मैं तो साला दंग हो रह गया,,,,उसने कुर्ते को उतारा
और एक तरफ फैंक दिया,,,और नंगी होके मुझे रूम मे अंदर आने का इशारा करने लगी,,,मैं भी उसके
इशारे से पहले किसी कट्पुतली की तरह उसके नंगे जिस्म से खिंचा हुआ उसके रूम की तरफ बढ़ने लगा था ,,


मेरी नज़रे उसके गोरे संगमरमर जैसे बदन पर अटक गई थी,,,,उसने अपने जिस्म से सभी पर्दे उठा दिए थे
और अपने खूबसूरत जिस्म की नुमाइश करते हुए मुझे अपने पास आने को उकसा रही थी लेकिन मैं उसके उकसाने
से पहले से उसके बदन की चमक से चोंधिया कर उसकी तरफ बढ़ने लगा था,,,,,मेरा हाल ऐसा था जैसे तेज
हवा मे किसी कटी पतंग का हाल होता है जो खुद को हवा के भरोसे छोड़ देती है मैने भी खुदको
उसके हवाले छोड़ दिया था ,,मेरा जिस्म उसके जिस्म को देखता हुआ उसके जिस्म की गर्म हवा मे उड़ता हुआ उसके
करीब जाने लगा था,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:34 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं उसके रूम की तरफ बढ़ने लगा था जबकि वो भी अपने रूम से दरवाजे की तरफ या बोलो कि मेरी तरफ
बढ़ने लगी थी,,मैं और वो दरवाजे से बस 2 कदम दूर थे तभी मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और
मेरा ध्यान गया उस तरफ तो मैने देखा कि कामिनी भाभी अपने रूम के दरवाजे के पास खड़ी होके मुझे
देख रही थी,,,मैं उनकी तरफ देखता हुआ कविता के रूम की तरफ चल रहा था तभी भाभी ने मुझे हाथ
उठाकर बाइ बोला फिर अपने लिप्स पर हाथ रखके मुझे एक फ्लाइयिंग किस की और वापिस अपने रूम के अंदर चली
गई और दरवाजा बंद कर लिया,,,,मैं भाभी की इस हरकत से थोड़ा टेन्षन मे आ गया ,,मेरा ध्यान अभी भी
भाभी के रूम की तरफ था जबकि मेरे कदम चल रहे थे कविता के रूम की तरफ ,,,तभी कविता ने आगे
बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपने रूम मे खींच लिया,,,जैसे ही मैं रूम के अंदर खींचा
गया कविता ने दरवाजा बंद कर लिया और जल्दी से मेरे से लिपट गई,,,

बंद कमरे मे हम दोनो नंगे जिस्म एक दूसरे से चिपक कर खड़े हुए थे ,,उसके दोनो हाथ मेरे जिस्म
से लिपट गये थे ,,,हम दोनो इतने करीब थे कि हम लोगो मे से हवा भी क्रॉस नही हो सकती थी,,,उसके
छोटे छोटे बूब्स मेरी छाती से थोड़ा नीचे दब रहे थे और मुझे एक मीठा और सॉफ्ट एहसास दे रहे थे


,,उसके हाथ तो मेरे जिस्म से लिपट चुके थे लेकिन मेरे हाथ अभी तक नीचे लटक रहे थे लेकिन मेरे हाथों
को उसके जिस्म तक जाने मे ज़्यादा देर नही लगी,,उसके जिस्म की खुसबू,, उसकी गर्म साँसों का मेरे जिस्म से टकराना
उसके हाथों का मेरे जिस्म पर कसते चला जाना यही सब काफ़ी था मुझे गर्म करने के लिए,,मेरा लंड इतना
ज़्यादा हार्ड हो गया कि मेरे से अब बर्दाश्त नही हो रहा था,,मैं बस उसको बाहों मे भर लेना चाहता
था लेकिन फिर भी मैं ना जाने क्यूँ उसको बाहों मे भरने से डर रहा था,,,शायद मैं थोड़ा कन्फ्यूज़ '
था जो सब भी हो रहा था मुझे अजीब लग रहा था,,,मुझे नही पता था कविता घर पर थी और जब उसने
मुझे नंगी हालत मे देख लिया था तबसे मुझे कुछ डर सा लगने लगा था शायद इसी वजह से मैं उसके
करीब होने मे थोड़ा टाइम लगा रहा था ,,लेकिन उसके जिस्म ने मेरे जिस्म से लिपटकर अपने जिस्म की गर्मी से
मेरे जिस्म को भी गर्म करना शुरू कर दिया था,,,

हम लोग काफ़ी टाइम तक ऐसे ही खड़े रहे ,,बिना हिले जुले ,,,,हम दोनो ने एक दूसरे को बाहों मे जकड़ा हुआ
था लेकिन कोई भी कुछ भी हरकत नही कर रहा था,,,बस उसके बूब्स मेरे जिस्म से लग रहे थे और मेरा हार्ड
हो चुका लंड उसके पेट और मेरे जिस्म मे दबकर नीचे की तरफ मूड गया था और एसी हालत मे मेरे लंड मे
हल्का दर्द भी होने लगा था,,,लेकिन वही दर्द मुझे हल्की मस्ती भी दे रहा था,,,और तभी उसने कुछ
ऐसा किया कि मेरे जिस्म की गर्मी और ज़्यादा बढ़ने लगी थी,,,उसने अपने सॉफ्ट लिप्स को मेरी छाती से टच कर दिया
था और मेरी छाती पर हल्की हल्की किस करने लगी थी और किस करते टाइम उसके हाथ भी मेरे जिस्म पर कस्के
पकड़ बनाने लगे थे लेकिन उसकी पकड़ ज़्यादा मजबूत नही बन रही थी इसलिए वो ऐसे ही खड़ी रहके मुझे
किस करती रही ,,एक के बाद एक उसने मेरी छाती पर कम से कम 15-20 किस करदी थी,,,उसके सॉफ्ट लिप्स का एहसास
अपनी छाती पर महसूस करके मैं भी काफ़ी गर्म हो गया था मेरे हाथ उसके जिस्म पर कसते चले जा रहे
थे,,,तभी उसने मेरी छाती से अपने लिप्स को हटा लिया और अपने सर को उपर करके मेरी तरफ देखने लगी,,,


उसने अपने सर को उपर किया और मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा ,,,वो अब शरमा तो रही थी लेकिन खुश भी
थी और उसकी आँखों मे हल्की नमी भी थी लेकिन वो नमी दुख की या किसी तरह की परेशानी की नही थी वो नमी
'थी खुशी की शायद वो खुश थी मेरी बाहों मे आके और मैं भी बहुत खुश था लेकिन मैं थोड़ा परेशान
भी था,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,तभी उसके जिस्म ने हल्के से उपर उठना शुरू किया,,,उसने अपने
दोनो पैरो को एडियों से उपर उठा लिया और अपने जिस्म के पूरे वजन को अपने पैरो की उंगलियों पर डालके
अपने जिस्म को हल्के से उपर उठा लिया,,,,जितनी देर उसका जिस्म हल्के से उपर उठता गया और उसके लिप्स मेरे लिप्स के करीब होते गये उतनी देर तक उसकी आँखे धीरे धीरे बंद होती गई,,,,मुझे उसकी आँखों मे आज अजीब सी
मदहोशी नज़र आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वो नशे मे है उसने ड्रिंक की हुई है लेकिन ये नशा शराब
का नही था ये था मस्ती का नशा सेक्स का नशा जो शराब से कही ज़्यादा तेज नशा था,,उसका जिस्म उपर उठता गया
और उसके लिप्स मेरे लिप्स की तरफ बढ़ते गये और उसकी आँखें धीरे धीरे बंद होती गई,जब तक उसके लिप्स मेरे लिप्स
तक पहुँचे उसकी आँखे बंद हो चुकी थी,,,और जैसे ही उसके लिप्स मेरे लिप्स से टच हुए मेरी आँखें बड़ी बड़ी
हो गई ,,,मैं एक दम से दंग सा रह गया हालाकी मुझे पता था सब क्या हो रहा है लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ
मैं कुछ सोचने समझने का क़ाबिल नही रह गया था ,,बस जो हो रहा था उसको महसोस करने लगा था फिर भी
कहीं एक डर था मेरे दिल मे,,,

उसके लिप्स मेरे लिप्स से टच होते ही एक तेज मस्ती भरी लहर दौड़ गई हम दोनो के जिस्म मे और हम दोनो ने
उस लहर को एक दूसरे के जिस्म मे महसूस भी किया था,,शायद वो लहर हम दोनो के जिस्म मे इधर से उधर
पास हो रही थी,,,हम दोनो इतने करीब होके लिपटे हुए थे कि उसका दिल मेरे दिल के करीब होके धड़क रहा
था और हम दोनो को अपने दिल की धड़कन भी एक दूसरे के दिल मे धड़कती महसूस होने लगी थी,,,उसके लिप्स
मेरे लिप्स से टच होते ही मैने अपने लिप्स को हल्के से खोल दिया और तभी उसने मेरे एक लिप्स को अपने लिप्स से
पकड़ लिया और मुझे हल्के से किस करने लगी थी,,,मैने भी उतने ही प्यार से और एक मीठे एहसास के साथ उसको
किस का रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया था,,,उसने मेरे लोवर लिप्स को अपने लिप्स मे जकड़ा और हल्के से चूसना
शुरू कर दिया जबकि मेरे दोनो लिप्स मे उसका उपर वाला लिप्स जकड़ा हुआ था और मैं उसको बड़े प्यार से और बिना
किसी जल्दबाज़ी से चूस रहा था,,,तभी उसका जिस्म हल्के से नीचे की तरफ खिसकने लगा ,,शायद उसके पैर की उंगलियाँ
उसके वजन को संभाल पाने मे नाकाम होने लगी थी ,,क्यूकी उसकी लड़खड़ाती हुई सांसो की तरह उसका जिस्म भी
लड़खड़ा रहा था,,उसके लड़खड़ाते हुए जिस्म का वजन पैरो की उंगलियाँ नही उठा पा रही थी इसलिए उसका जिस्म
नीचे होने लगा था और उसके लिप्स मेरे लिस्प से दूर होने लगे थे लेकिन उसको अपने लिप्स को मेरे लिप्स से दूर
नही करना था इसलिए वो बार बार अपने जिस्म को उपर करने की कोशिश कर रही थी और मेरे जिस्म को कस कर अपनी
बाहों मे भरने की कोशिश कर रही थी ताकि वो मुझे कस कर अपनी बाहों मे भर ले और उसका जिस्म नीचे की
तरफ नही हो सके लेकिन उसकी पकड़ इतनी मजबूत नही थी इसलिए मैने उसको अपनी बाहों मे कस लिया क्यूकी
मैं भी उसके मीठे और सॉफ्ट लिप्स को अपने लिप्स से दूर नही होने देना चाहता था,,,इसलिए मैने उसको अपनी
बाहों मे कसना शुरू कर दिया लेकिन उसका संगमरमर जैसा चिकना बदन मेरे हाथों से फिसलता जा रहा
था मुझे उसको पकड़ने मे मुश्किल हो रही थी इसलिए मैने अपने हाथों को उसकी पीठ से सहलाते हुए उसकी
कमर से नीचे उसकी गान्ड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया और मुझे ऐसा करने मे थोड़ी सी भी मेहनत नही करनी
पड़ी क्यूकी मेरे हाथ उसकी पीठ पर फिसलते हुए खुद-ब-खुद उसकी गान्ड के उपर तक चले गये थे,,


वो बहुत पतली सी कमसिन लड़की थी ,,,पतली सी कमर वाली और उसकी गान्ड भी बहुत छोटी थी ,,,उसकी गान्ड के दोनो
हिस्से मेरे दोनो हाथों मे दबे आराम से आ गये थे और मैने उसको उसकी गान्ड से पकड़ कर उपर उठा लिया
उसने भी मेरी मदद करने के लिए अपने हाथों को मेरी गर्दन मे डालके मुझे ज़ोर से पकड़ा और अपनी टाँगों
को भी मेरी कमर से लपेट कर मुझे कस कर अपनी पकड़ मे ले लिया,,,,ऐसा करते हुए उसका पूरा जिस्म हवा मे
उठ गया था उसकी गान्ड मेरे हाथों मे थी और मैने उसको हवा मे उठा लिया था,,,हम दोनो ऐसे ही खड़े
हुए कम से कम 5-7 मिनट तक किस करते रहे,,,,और एक दूसरे के जिस्म को गर्म करते रहे,,,उसका वजन फूलों
से भी कम था ,,और मस्ती के जोश मे मुझे उसको उठाने मे कोई दिक्कत नही हुई थी,,,,


कुछ देर बाद उसने अपने लिप्स को मेरे लिप्स से दूर किया और मुझे हंस कर देखा और फिर अपनी गर्दन को घुमा
कर रूम मे पड़े बेड की तरफ देखने लगी,,,मैने भी उसकी नज़र का पीछा किया और बेड की तरफ देखा और मैं
उसका इशारा भी समझ गया,,,मैने उसको गोद मे उठाया हुआ था और उसको ऐसे ही गोद मे उठाकर बेड के पास
ले गया और बेड के पास जाते ही मैने उसको बेड पर लेटा दिया और खुद उसके उपर लेट-ता चला गया,,ऐसा करने से
मेरा लंड एक बार उसकी चूत से रग्गड़ खा गया था,,,,,नौरमल हालत मे अगर कोई और होता मेरा साथ तो अब
तक मेरा लंड उसकी चूत मे घुस चुका होता लेकिन कविता की बारे मे मैं थोड़ा डर रहा था मैं बिना उसकी
रज़ामंदी से उसकी चूत तक नही जाना चाहता था,,क्यूकी मुझे पता था ऐसा करना जल्दबाज़ी होगी और शायद उसको
ऐसा करना अच्छा भी नही लगेगा,क्यूक लास्ट टाइम भी जब मैं उसकी चूत तक पहुँचा था वो रोने लग गई थी और
आज बड़ी किस्मत से शायद मुझे ये मोका मिला था मैं इसको गँवाना नही चाहता था,,,,मैं धीरे धीरे आगे
बढ़ना चाहता था ,,उसकी रज़ामंदी से,,,,,

मैने उसको बेड पर लेटा दिया और खुद भी उसके जिस्म पर गिरता चला गया,,,वो बेड पर लेट गई और मैं उसके
उपर लेट गया,,हम दोनो के लिप्स फिर से एक दूसरे के लिप्स का स्वाद लेने मे लग गये थे,,,अब उसके हाथ मेरी
पीठ पर चले गये थे जबकि मेरे दोनो हाथ बेड पर थे मैं उसको टच नही कर रहा था ये बात उसको
अच्छी नही लगी शायद,,उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स से अलग किया और मेरी तरफ देखते हुए मेरे दोनो हाथों
को पकड़ा और शरमाते हुए अपने बूब्स के पास अपने पेट पर रख दिया,,और जैसे ही मेरे हाथ उसके पेट पर उसके
बूब्स के पास रखे गये उसने शरमाते हुए मेरे सर को पकड़ा और नीचे करके वापिस मेरे लिप्स पर किस करने
लगी,,,किस करते हुए अभी उसको 2 पल का टाइम ही हुआ था कि उसने अपनी उंगलियों खोलकर मेरे बालों मे सहलाना'
शुरू कर दिया और मेरे हाथ भी जो उसके पेट पर थे हल्के से उसके पेट पर बूब्स के पास सहलाने लगे थे
Reply
12-21-2018, 02:34 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
,वैसे मुझे कुछ करने की ज़रूरत नही पड़ रही थी उसका चिकना खुशबूदार जिस्म खुद-ब-खुद मेरे से वो
सब करवा रहा था जो मैं करना चाहता था ,,,मेरे हाथ उसके पेट पर हल्के से सहलाते हुए उसके बूब्स की
तरफ बढ़ने लगे थे और इसी बात से उसका जिस्म रह रह कर झटके मारने लगा था और उन्ही झटको से मेरे हाथ
अपने आप आगे की तरफ बढ़ने लगे थे और जब तक उसका जिस्म झटके मारता रहा मेरा हाथ उसके बूब्स की तरफ
बढ़ते गये और कुछ ही देर मे मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे ,,उसको 2 छोटे छोटे बूब्स मेरे हाथों मे पूरे
के पूरे समा गये थे वो किसी छोटे सेब जितने बड़े थे और अपनी उमर के हिसाब से थोड़ा आकार भी ले चुके
थे ,,,मैने उसके बूब्स को बड़े प्यार से अपने हाथों मे पकड़ा और हल्के से दबा दिया और ऐसा करते ही उसने
अपने हाथों से मेरे सर को अपने करीब खींच कर मेरे लिप्स को थोड़ा तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया और उसके
हाथ भी मेरे सर पर तेज़ी से सहलाने लगे थे,,,,उसके बूब्स की छोटी छोटी ब्राउन कलर की डुंड़िया जो किसी
काली मिर्च के दाने जितनी बड़ी थी वो हल्की हल्की हार्ड हो गई थी जिस पर मैने अपनी उंगलियों से हल्की हल्की
छेड़खानी शुरू करदी थी और वो डुंड़िया और ज़्यादा हार्ड होने लगी थी ,,,मैने उन घुंडीयों को उंगलियों मे
पकड़ कर हल्के से दबाना शुरू कर दिया था ,,


कुछ देर हम ऐसे ही किस करते रहे उसके हाथ मेरे सर पर सहलाते रहे जबकि मेरे हाथ उसके छोटे छोटे बूब्स
को सहलाने मे लगे हुए थे मैं उसके बूब्स की घुंडीयों को भी उंगलियों मे पकड़ कर दबा रहा था फिर
कुछ देर बाद उसने मेरे बालों को हल्के से खींचा और मेरे लिप्स को अपने लिप्स से दूर करके मेरे सर को
अपने जिस्म पर नीचे की तरफ लेके जाना शुरू कर दिया मैं उसकी बात समझ गया और खुद अपने जिस्म को नीचे'
की तरफ ले जाने लगा ,,मैने अपने लिप्स को उसके लिप्स से अलग करके उसकी चिन पर अपने लिप्स रखके और हल्की किस करते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा ,,मस्ती मे उसकी गर्दन अकड़ कर उपर की तरफ हो गई और मैं उसकी गर्दन
से किस करता हुआ धीरे धीरे नीचे बढ़ता जा रहा था,,,मेरे हाथ अभी भी उसके बूब्स को सहला रहे थे और
उसके हाथ भी मेरे सर पर थे ,,वो मेरे सर पर ज़ोर डालके मुझे नीचे की और खिसका रही थी ,,,और मैं भी
उसके जिस्म को चूमता हुआ नीचे की तरफ आ रहा था और जल्दी ही मेरा सर उसके बूब्स के पास आ गया और मैं कुछ
पल के लिए उसके छोटे छोटे बूब्स को निहारता रहा और हल्के हल्के सहलाता रहा ,,,फिर मैने उसके फेस की तरफ
देखा और उसने शर्माके मुझे देखा और अपने हाथों से मेरे सर को अपने बूब्स की तरफ झुका दिया और कुछ
ही पल मे मेरे लिप्स उसके राइट बूब्स की डुँड़ी के उपर थे और मैने बूब्स पर लिप्स टच करने से पहले
अपनी ज़ुबान को बाहर निकाला और अपनी ज़ुबान से उसके बूब की डुँड़ी को हल्के से टच कर दिया और ऐसा होते ही
उसकी कमर ने एक झटका मारा और उसका जिस्म उपर की तरफ उछल गया और उसके बूब मेरे लिप्स से टकरा गया लेकिन जल्दी ही वो नीचे भी हो गया और मेरे लिप्स से उसके बूब्स फिर से दूर हो गया लेकिन उसने फिर से मेरे सर को
अपने बूब्स पर दबा दिया और मैने भी जल्दी से मुँह खोलकर उसके बूब को मुँह मे भर लिया और हल्के से
चुस्के मुँह से बाहर निकाल दिया,,,और फिर से अपने हाथ से उसके बूब्स को पकड़ा और हल्के से दबा कर फिर से
अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगा ,,मेरे मुँह मे बूब्स जाते ही उसके मुँह से हल्की हल्की आह अह्ह्ह्ह
की आवाज़ निकलने लगी जिस से पता चल गया कि वो मस्ती मे डूबने लगी थी और उसके डूबने से ही मेरी नोका
पार लगने वाली थी,,,,


मैने उसके बूब्स को हाथों मे पकड़ा हुआ था और हल्के हल्के चूस रहा था उसके छोटे छोटे बूब्स मेरे
हाथों मे भी और मेरे मुँह मे भी बड़े आराम से आ रहे थे और मैं बड़े प्यार से उनको चूस रहा था,
उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकल रही थी और उसके हाथ मेरे सर को बड़े प्यार से सहला रहे थे,,,तभी
करीब मैं 4-6 मिनट तक ऐसे ही उसके बूब्स को चूस्ता रहा मेरा दिल करने लगा नीचे की तरफ बढ़ने के लिए
लेकिन मैं जल्दबाज़ी नही करने वाला था लेकिन आज शायद कविता को जल्दी थी उसने खुद ही मेरे सर को अपने बूब्स
से हटा दिया और मुझे नीचे की तरफ खिसकाने लगी,,,मैं उसकी तेज़ी से उसकी जल्दबाज़ी से थोड़ा हैरान था लेकिन
मैं बहुत मस्त भी हो गया था और उसके ऐसा करते ही मैने भी अपने सर को उसके बूब्स से उठा लिया और उसके
पेट पर किस करते हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा,,,,,मैने खुद की टाँगों को घुटनो से मोड़ लिया था
और उसकी खुली टाँगों के बीच मे बैठ गया था,,मेरा खड़ा लंड उसकी चूत पर घिस रहा था लेकिन मैने
लंड को आगे नही किया ,,बल्कि मैने तो अपने लंड को कोई भी हरकत नही करने दी थी क्यूकी मैं पहले उसकी
तरफ से कदम आगे बढ़ाने के बारे मे सोच रहा था,,,,,

उसकी टाँगें खुली हुई थी और मैं अपनी टाँगों को घुटनो से मोड़ कर उसकी टाँगों के बीच मे बैठ गया
था मेरा सर अभी भी झुका हुआ था उसके पेट के उपर और मैं उसके पेट पर किस करता जा रहा था वो भी बड़े
प्यार से मेरे सर को सहला रही थी अपनी उंगलियों से,,,,,मुझे उसके बूब्स से लेके चूत के 3 इंच उपर तक
जाने मे कम से कम 3-4 मिनट का टाइम लग गया था ,,,मैं बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था,,,जब मैं उसकी
चूत के 3 इंच उपर था तो मुझे उसकी चूत की हल्की नमकीन खुश्बू आने लगी थी ,,उसकी चूत पर उगे
हुए हल्के हल्के भूरे रंग के सॉफ्ट बाल मेरी चिन पर लगने लगे थे और मुझे अपनी चिन पर हल्की गुदगुदी
महसूस होने लगी थी,,,,उसी गुदगुदी और नमकीन खुसबू से मेरे लिप्स किस करते हुए उसकी चूत पर और ज़्यादा
नीचे की तरफ बढ़ने लगे और कुछ पल बाद मैं उसकी चूत तक पहुँच गया था,,,जैसे ही मैं उसकी चूत पर
पहुँचा मुझे याद आया पिछली बार वो रोने लगी थी इसलिए मैने सर को उपर उठाकर उसकी तरफ देखा और
नज़रो ही नज़रो मे उस से आगे बढ़ने की इजाज़त माँगी उसने भी रज़ामंदी मे अपने सर को हाँ मे हिला दिया और
मुझे आगे बढ़ने का इशारा दे दिया,,,,मैने भी जल्दी से अपने लिप्स को उसकी चूत पर रख दिया ,,,उसकी चूत
के सॉफ्ट बाल मेरी नाक से टकराने लगे थे जो हल्के भूरे रंग के थे,,उसकी चूत के बालों से भी हल्की
नमकीन खुसबू आ रही थी लेकिन जैसे ही मेरी नाक उसकी चूत के उपर जाके टिक गयी तो मुझे इतनी तेज और
तीखी खुश्बू आने लगी थी उसकी चूत से कि मेरा पागलपन बढ़ने लगा था एक ही पल मे लेकिन फिर भी पता
नही मैं कैसे खुद पर क़ाबू कर रहा था,,,,

मैं उसकी चूत की खुश्बू को अपनी नाक के रास्ते से अपने पूरे जिस्म तक पहुचाने लगा था जिस से मेरे पूरे
जिस्म मे मस्ती की लहर दौड़ने लगी थी,,,मैं तेज़ी से साँसे लेता हुआ उसकी चूत को सूंघने लगा था और खुद के
जिस्म मे मस्ती की खुश्बू को भरने लगा था और उसी खुश्बू से मस्त होके पता नही कब मेरी ज़ुबान मेरे
मुँह से बाहर निकली और मैने अपनी ज़ुबान को उसकी चूत की लाइन पर टच कर दिया और उसकी चूत की लाइन पर
लगे हल्के नमकीन पानी को चाटने लगा,,,,मेरी ज़ुबान उसकी छूट की एक पतली सी लाइन पर उपर से नीचे तक
घूमने लगी थी,,,,उसकी चूत के नमकीन पानी का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ये एक नया स्वाद था
मेरे लिए,,,,हालाकी मैने बहुत चूत का पानी पिया था लेकिन इस चूत का पानी मुझे बाकी सब चूत से ज़्यादा
नमकीन लग रहा था क्यूकी ये मेरी लाइफ की पहली जवान चूत थी अब तक तो मुझे ढली उमर की चूत ही मिली
थी जो काफ़ी नमकीन थी लेकिन इस चूत का नमकीन स्वाद किसी नीब्बू के अचार की तरह था,,,,ये बात वही बता
सकता है जिसने चूत के पानी चखा हो कभी,,,,,


मैं हल्के हल्के उसकी चूत के पानी को चखने लगा था और हल्के हल्के उसकी चूत को चाट रहा था और वो
मस्ती मे बस सिसकियाँ लेती जा रही थी उसका सर बेड पर इधर से उधर हिलने लगा था,,,,वो किसी मछली की तरह
झटपटाने लगी थी करवटें ले रही थी बेड पर और मेरे सर को अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा रही थी


उसका बस चलता तो मेरे सर को अपनी चूत मे घुसा लेती ,,वो कुछ ज़्यादा ही मस्त हो गई थी और उसकी चूत को
चाट-ता हुआ मैं भी काफ़ी मस्त हो गया था,,,मेरे हाथ जो अब उसकी चूत के दाने तरफ पहुँच गये थे
मैने उन हाथों से उसकी चूत को हल्के से पकड़ा और खोल दिया,,,मैं एक दम से दंग रह गया ,,मैं ज़िंदगी
मे पहली बार जवान चूत देख रहा था उसका रंग एक दम गुलाबी था और अंदर से वो सिंधुरी रंग की थी
मैं इतना ज़्यादा खुश हो गया था कि मेरा दिल करने लगा अभी अपने लंड को घुसा दूं इसकी चूत मे लेकिन
तभी मुझे हल्की मायूसी हुई ,,क्यूकी इसकी चूत की सील खुली हुई थी,,,,मैने दोनो हाथों से उसकी चूत को
खोला और कुछ देर उसकी चूत को देखता रहा फिर मैने उसकी तरफ देखा तो वो मेरी घुरती हुई आँखों से
डर गई और उसकी आँखें नम होने लगी,,मुझे लगा शायद वो फिर से मुझे चूत तक नही जाने देना चाहती
इसलिए रोने लगी थी इसलिए मैं जल्दी से उसकी चूत से डोर हो गया और उसको ये बता दिया कि मैं कुछ नही
करने वाला जब तक उसकी मर्ज़ी नही होगी ,


मैं उस से दूर होके उठकर बैठ गया और उसकी तरफ देखने लगा,,,कविता रोते हुए जल्दी से बेड से उठी और
मेरे उपर झपट पड़ी उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद मेरे उपर चढ़ गई,,,मैं कुछ नही समझा लेकिन
तभी उसने कुछ ऐसा किया कि मैं दंग रह गया,,,उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे जकड़ा और किस करते हुए मेरे
हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रखे और तभी उसने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर
रखते हुए अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाने लगी,,,मेरा लंड बहुत मोटा था और उसकी चूत बहुत टाइट
थी इसलिए लंड को चूत मे जाने मे दिक्कत हो रही थी ,,,चूत तो पानी बहा चुकी थी लेकिन लंड अभी काफ़ी
खुश्क था जो चूत मे घुसने मे दिक्कत कर रहा था लेकिन वो नही मान रही थी वो लंड को हाथ मे
पकड़कर चूत के होल पर रखकर खुद के जिस्म को लंड पर नीचे दबा रही थी जिस से लंड चूत के अंदर
घुसने लगा था और उसके मुँह से हल्की चीख निकलने लगी थी,,,उसके लिप्स मेरे लिप्स मे क़ैद थे लेकिन फिर भी
उसकी चीख रूम मे गूँज रही थी,,,वो चीख को दबाने के लिए मुझे बहुत ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी थी
ताकि उसकी आवाज़ नही निकल पाए लेकिन मेरा लंड बहुत मोटा था जो उसकी जवान और टाइट चूत मे मुश्किल से घुस
रहा था और उसको दर्द भी हो रहा था इसलिए उसकी आवाज़ निकलती जा रही थी जिस से सॉफ पता चल रहा था कि उसको
दर्द हो रहा है,,,,लेकिन वो फिर भी रुक नही रही थी बस अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाती जा रही थी,,,


वो काफ़ी टाइम से कोशिश कर रही थी ,,मुझे किस करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए लेकिन मेरा
लंड बहुत मोटा था जो उसकी टाइट चूत मे नही घुस रहा था ,,वो बार बार दर्द से बिलखती हुई मेरे लंड
पर अपनी चूत रखके अपनी चूत को नीचे दबा रही थी ताकि मेरा लंड उसकी चूत मे घुस जाए लेकिन उसकी
सारी कोशिश नाकाम जा रही थी,,,,इतने टाइम बाद भी मेरे लंड की हल्की सी टोपी ही घुसी उसकी चूत मे जिसको
वो हल्के हल्के अंदर बाहर करते हुए दर्द से तड़प रही थी,,,तभी एक दम से उसने अपने लिप्स को मेरे लिप्स से
दूर किया और अपने सर को मेरे सर से उपर उठा लिया तभी मैने उसकी आँखों मे देखा तो उसकी आँखों मे
आँसू आ गये थे और चेहरा पर एक डर नज़र आ रहा था,,सॉफ पता चल रहा था कि उसकी चूत मे मेरा लंड
नही घुस रहा था लेकिन टोपी की वजह से ही उसको दर्द होने लगा था,,,,वो रोते हुए एक दम से मेरे उपर से
उठी और बेड पर मेरे से दूर होके पीठ करके बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी,,,,

मुझे कुछ समझ नही आया कि अब इसको क्या हो गया,,,,अब तो मैने कुछ नही किया जो किया इसने किया फिर क्यूँ
रोने लगी ये,,,,क्या मेरे से कोई ग़लती हो गई,,,,क्या मैने कुछ ग़लत कर दिया,,,,,लेकिन मैने तो कुछ किया ही
नही था,,जो भी किया उसने किया,,,,,,,मुझे कुछ समझ नही आया लेकिन उसके रोने की आवाज़ से मुझे उसपे दया आ
गई और मैं उसके करीब चला गया,,,,,,,,,,,,,हालाकी मुझे उसपे गुस्सा भी आ रहा था क्यूकी उसकी टाइट चूत मे
मेरे लंड की टोपी घुस गई थी और हल्के हल्के अंदर बाहर भी होने लगी थी और मुझे हल्का हल्का मज़ा भी
आने लगा था लेकिन उसने सारा मज़ा खराब कर दिया था,,,लेकिन उसके रोने की आवाज़ से मेरा दिल पसीज गया था और
मैं हिम्मत करके उसके करीब हो गया,,,,और जैसे ही मैने पीछे से उसके शोल्डर पर हाथ रखा तो वो मेरी
तरफ पलट गई,,,,और आँखों मे आँसू लेके मुझे रोते हुए देखने लगी,,,,फिर एक दम से वो आगे बढ़ कर मेरे
से लिपट गई,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:34 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं थोड़ा परेशान हो गया ,,,,वो नंगे बदन रोते हुए बेड पर बैठकर मेरे गले लगी हुई थी और रोती जा रही
थी,,,उसने मुझे बाहों मे भर लिया और मैने भी अपने हाथों को उसकी पीठ पर रखा लेकिन मस्ती से नही
प्यार से,,,मैने प्यार से उसके सर पर हाथ रखा और बड़े प्यार से हाथ को उसके सर पर फिराते हुए उस से बात
करने लगा,,,,उस से उसके रोने की वजह पूछने लगा,,,,

क्या हुआ कविता,,,,,,तुम एक दम से इतना रोने क्यूँ लगी,,,क्या मुझसे कोई ग़लती हो गई,,,,,

वो कुछ नही बोली बस रोती रही,,,,उसका रोने अब और भी ज़्यादा हो गया था,,,वो बिलख-बिलख कर फुट -फुट कर
रोने लगी थी,,,,मुझे उसको संभालना मुश्किल हो रहा था,,,,,


मैने फिर बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फिराते हुए उस से पूछा,,,,,,,,क्या हुआ कविता ,,कुछ तो बोलो,,
क्या मेरे से कोई ग़लती हो गई,,,,बोलो ना,,प्ल्ज़्ज़ ऐसे रोओ मत तुम,,,,अगर मेरे से कोई ग़लती हुई तो बता दो मैं
चला जाता हूँ यहाँ से,,,,,

तभी उसने अपने सर को मेरे शोल्डर से उठाकर थोड़ा पीछे किया और मेरी तरफ देखते हुए मुझे किस करने
लगी,,,,,,,,,,,नही सन्नी तुम्हारी कोई ग़लती नही है,,,ग़लती तो मेरी है,,,,,इतना बोलकर वो फिर रोने लगी,,,

क्या हुआ कुछ तो बोलो ना,,,तुम्हारी क्या ग़लती कुछ तो बोलो,,,

तभी उसने मेरे मुँह पर हाथ रखा और बोली,,,,,,,अब कुछ मत बोलो सन्नी,,बस मुझे प्यार करो,,मुझे अपनी
बाहों मे भरके बस मुझे प्यार करो सन्नी,,,इतना प्यार करो कि मैं सब कुछ भूल जाउ,,,बस खो जाउ
तुम्हारी बाहों मे ,,,,मुझे प्यार करो सन्नी मुझे प्यार करो सन्नी प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी ,,वो यही बोलती
जा रही थी और मेरे लिप्स पर हल्की हल्की किस करती जा रही थी,,,,

मैने उसके सर को अपने हाथों मे पकड़ा तो उसने रोते हुए नज़रे झुका ली लेकिन उसकी आँखों से आँसू अभी
भी बह रहे थे,,,,,उसका मासूम चेहरा किसी डर से किसी शरम झुका हुआ था,,,,लेकिन फिर भी वो झुके
चेहरे से नम आँखों से धीर धीरे बोलती जा रही थी,,,मुझे प्यार करो सन्नी,,,मुझे प्यार करो सन्नी,


मैं उसकी मुँह से ये अल्फ़ाज़ सुनके थोड़ा खुश हो गया और थोड़ा बेचैन भी,,,मैने उसके सर को पकड़ा हुआ था
दोनो हाथों से फिर मैने उसके चेहरे को थोड़ा उपर किया ताकि उसकी आँखों मे देख सकू लेकिन जैसे ही
मैने उसके चेहरे को उपर किया उसने अपनी नमी से भरी हुई आँखों को थोड़ा और झुका लिया और मेरे से
डरने लगी शरमाने लगी,,,लेकिन नम आँखों से आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे,,,,मैने आगे बढ़ कर
अपने लिप्स को उसकी एक आँख पर रखा और हल्की किस करदी,,,फिर दूसरी आँख पर भी किस करदी किस करने के बाद
उसकी आँखे बंद हो गई लेकिन बंद आँखों से भी पानी की धारा निकलती जा रही थी,,,,मैने अपनी ज़ुबान को
उसकी चिन पर रखा और आँखों से निकलने वाली आँसू को चिन से चाट-ता हुआ उसकी आँख की तरफ बढ़ने लगा ,
ऐसे ही मैने चिन से होते हुए दोनो तरफ की आँखों से बहने वाले आँसुओं को चाट कर सॉफ कर दिया और फिर
से एक बार उसकी आँखों पर किस करदी,,,,

आँसू पीने के बाद आँखों पर किस की तो उसने दोनो आँखों को खोला और मुझे गौर से बड़े प्यार से देखने
लगी,,,,,,,,

मैं काफ़ी टाइम तक उसके फेस को हाथों मे पकड़ कर उसकी तरफ देखता रहा,,,उसकी आँखों से आँसू अब रुक गये
थे और वो बड़े प्यार से मुझे देख रही थी,,,,,,,,,,,,,कुछ टाइम रूम मे सन्नाटा रहा फिर धीरे से बड़े
प्यार से कविता बोली,,,,,

ऐसे क्या देख रहे हो सन्नी,,ऐसे मत देखो मुझे शरम आ रही थी,,,

मैं कुछ नही बोला बस उसकी तरफ देखता रहा,,,

क्या हुआ सन्नी बोलो ना,,,सन्नी ,,,बोलो ना क्या हुआ,,,,वो बड़े प्यार से बोल रही थी,,

कुछ नही कविता,,,,सोच रहा हूँ तेरे नमकीन आँसू भी मैं किसी मीठे शरबत की तरह पी गया अब
तुझे चाहूं तो कैसे चाहूं किस क़दर चाहूं ,,,,,कैसे प्यार करूँ ,,,

तभी उसने हंस कर शरमा कर मुझे देखा और बड़े प्यार से आगे बढ़ कर मेरे लिप्स पर हल्की किस करदी और बोली,,,,
ऐसे,,,,,ऐसे प्यार करो मुझे सन्नी,,,इतना प्यार करो कि मैं खुशी से पागल हो जाउ,,,,
Reply
12-21-2018, 02:34 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने उसकी तरफ देखा और उसको शोल्डर से पकड़ा और बेड पर पीछे की तरफ लेटा दिया और खुद उसके पास उसकी
तरफ मुँह करके लेट गये और अपने लिप्स को उसके लिप्स पर रख दिया,,,,लेकिन बड़े आराम से बड़े प्यार से,,इस बार
उसने भी जल्दबाज़ी नही की और ना ही मैने,,,,मैने उसके लिप्स को अपने लिप्स से हल्के से पकड़ा और चूसने लगा अब
वो शांत होके लेटी रही उसने कुछ नही किया बस सब कुछ मुझे ही करने दिया,,,,उसने खुद को मुझे पूरी तरह
से सौंप दिया मेरे हवाले कर दिया,,,,मैं भी अब उसको बड़े प्यार से बड़े आराम से मस्त करने लगा था,,प्यार
करने लगा था,,,,

मैने उसके लिप्स को अपने लिप्स मे जकड़ा और प्यार से चूमने और चूसने लगा,,,वो भी बड़े प्यार से मुझे किस
का रेस्पॉन्स देने लगी थी,,,अब मेरा राइट वाला हाथ उसकी गर्दन के पास उसके बूब्स के उपर था जबकि लेफ्ट
वाला हाथ उसके सर पर था और उसके बालों को बड़े प्यार से सहला रहा था,,,उसका एक हाथ मेरे जिस्म और बेड के
बीच मे से मेरी पीठ पर था जबकि दूसरा हाथ मेरे सर पर मेरे कान और गाल के पास से मेरे सर को सहला
रहा था,,,हम दोनो बिना किसी जल्दबाज़ी के हल्के हल्के मस्ती करने लगे थे,,,,अब मेरा हाथ जो उसकी गर्दन
पर था वो उसकी सुराही जैसी गर्दन को बड़े प्यार से महसूस करते हुए सहलाने लगा था और धीरे धीरे वो
हाथ गर्दन से होता हुआ नीचे उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगा था लेकिन मैने उसके बूब्स को टच नही किया
बल्कि बूब्स के उपर वेल हिस्से पर गर्दन के पास ही अपने हाथ को घूमता रहा और धीरे धीरे उसके बूब्स की
तरफ बढ़ने लगा,,,,मेरा राइट हॅंड अब उसके बूब्स के उपर पहुँच गया और मैने बारी बारी से उसके बूब्स को
हाथ मे लेके हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया ,कभी मैं उसके राइट वाले बूब को सहलाता तो कभी लेफ्ट
वाले बूब को और कभी गर्दन से लेके बूब्स की लाइन मे नीचे उसकी कमर तक अपने हाथ से सहलाने लगता और
ऐसा करते हुए जब भी मेरा हाथ उसकी बूब्स की लाइन से होता हुआ उसकी कमर और पेट तक जाता तो उसका जिस्म
हल्के झटके मारने लगता,,,और उसी पलों के दौरान वो मेरे सर को हल्का कस कर अपने हाथ मे पकड़ लेती,,,


मैं उसको किस करते हुए उसके बूब्स को कभी उसके पेट को कभी कमर को सहला रहा था फिर कुछ देर बाद
मैने उसके लिप्स से अपने लिप्स दूर किए और एक बार उसके चेहरे की तरफ देखा जो काफ़ी राहत महसूस कर रही
थी उसकी आँखें बंद थी,,मैने उसकी चिन पर हल्की किस की और उसकी गर्दन से होता हुआ उसके बूब्स पर आ गया
और बूब्स को मुँह मे भरके चूसने लगा,,,जब मैं उसके बूब्स चूस रहा था तो उसने मेरे सर पर अपने
हाथ रखे और मेरे सर को सहलाने लगी ,,कुछ टाइम मैं भी उसके पेट और कमर को सहलाता रहा फिर मेरा
हाथ उसकी चूत पर चला गया मैने बड़े प्यार से उसकी चूत की लाइन को अपनी 2 उंगलियों से खोला और तीसरी उंगली
को उसकी चूत की लाइन से सहलाता हुआ उसकी चूत के अंदर घुसा दिया और मेरे ऐसा करते ही वो थोड़ा हिलने
जुलने लगी,,तभी मैने उसकी शांत करने के लिए अपनी उंगली को चूत से बाहर किया और फिर से उंगली को वापिस
चूत मे घुसा दिया और इस बार उसके हिलने से पहले मैने 1 नही 2 उंगलियों को उसकी चूत मे घुसा दिया और
जल्दी ही बाहर भी निकाल लिया,,,उसकी चूत की सील खुली हुई थी लेकिन फिर भी उसकी चूत बहुत टाइट थी,,,मैने
2 उंगलियों को उसकी चूत मे हल्के हल्के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया जिसमे मुझे थोड़ी सी भी दिक्कत
नही हुई क्यूकी उसकी चिकनी चूत अपने ही पानी की वजह से काफ़ी ज़्यादा चिकनी हो गई थी और मेरी 2 उंगलियाँ उसकी
चूत मे बड़े आराम से अंदर बाहर होने लगी थी,,,,साथ साथ मैं उसके बूब्स को भी चूस रहा था और वो
मेरे सर को बड़े प्यार से सहलाते हुए हल्की हल्की सिसकियाँ ले रही थी,,,उसकी सिसकियों से सॉफ पता चल रहा था
कि वो काफ़ी मस्ती मे आ गई थी,,,जब उसकी सिसकियाँ कुछ तेज हुई तो मैने उसके बूब्स को मुँह से निकाल दिया और
जल्दी से उठकर उसकी चूत के पास चला गया और उसके कुछ सोचने से पहले ही चूत के उपर जाके अपने लिप्स को
उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत को मुँह मे भर लिया,,,उसकी चूत को मुँह मे भरके मैने हल्के हल्के
अपनी उंगलियों को भी चूत मे अंदर बाहर करना जारी रखा और उसकी चूत को अपने मुँह मे भरके भी
चूसने लगा और साथ साथ अपनी ज़ुबान से चूत को उपर से भी चाटने लगा,,,,फिर मैने उसकी चूत से अपनी
उंगलियाँ बाहर निकली और उसकी चूत को अपने हाथों से दोनो तरफ खोल दिया और अपनी ज़ुबान को उसकी चूत
मे घुसा दिया मेरे ऐसा करते ही उसके मुँह से एक लंबी अहह के साथ मेरा नाम निकला,,


सुउुुउउन्न्ञननननननननननन्न्नयययययययययययययययययययययययययी आआआआआआआआआहह


ये आवाज़ सुनके मुझे कुछ हो गया और मैने उसकी चूत मे अंदर तक जहाँ तक मेरी ज़ुबान घुस गई घुसा
दी और अपनी ज़ुबान को अंदर बाहर करने लगा और उसकी चूत को अपनी ज़ुबान से चोदने लगा,,,मुझे अभी 2-3
मिनट ही हुए थे उसकी चूत को अपनी ज़ुबान से चोदते हुए कि उसकी सिसकियाँ तेज हो गई और उसके बदन ने झटके
मारने शुरू कर दिए और देखते ही देखते उसने तेज आवाज़ से सिसकियाँ लेते हुए चूत से पानी बहाना शुरू कर
दिया और मैने भी उसकी चूत के पानी को पीना शुरू कर दिया ,,,जब मैं उसकी चूत का पानी पी रहा था तो
मैने देखा कि वो सिसकियाँ लेते हुए अपने सर को उठाकर मेरी तरफ देख रही थी,,,उसने बड़ी अजीब नज़रो से
मुझे देखा शायद उसको मेरा उसकी चूत का पानी पीना अच्छा नही लगा लेकिन उसको क्या पता ये भी किस्मत की
बात है जो किसी को जवान चूत का पानी पीना नसीब होता है,,,,मैने उसकी चूत से निकलने वाला सारा पानी
पी लिया और उसकी चूत को अच्छी तरह चाट कर सॉफ कर दिया ,,,

फिर मैं बेड से उठा और उस रूम मे एक तरफ टेबल पर पड़ी हुई आयिल की शीशी की तरफ बड़ा ,,,वो बेड पर लेटी
हुई हल्की हल्की सिसकियाँ ले रही थी और मुझे उठकर जाते देख रही थी,,,तभी मैं आयिल वाली शीशी लेके वापिस आया
और उसकी तरफ देखा,,,,मुझे उसके चेहरा पर एक राहत भरी मुस्कान नज़र आ रही थी लेकिन जल्दी ही उसके चेहरे
पर मस्ती छाने लगी थी क्यूकी मैने उसके सामने अपने लंड को हाथ मे लिया और उसपे आयिल लगाने लगा ,,वो भी
समझ गई थी अब क्या होने वाला है लेकिन वो थोड़ा डर रही थी,,,मैं बेड से नीचे खड़ा होके लंड पर आयिल
लगा रहा था जबकि वो बेड पर लेटी हुई मेरे लंड को देख कर मस्ती मे भरती जा रही थी लेकिन उसके चेहरे पर
एक डर भी सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था,,वो मेरे लंड के साइज़ से डर रही थी और मन ही मन सोच रही थी कि ये
मूसल उसकी चूत मे जाएगा भी या नही क्यूकी थोड़ी देर पहले उसने खुद कोशिश की थी लेकिन नाकाम रही और
'उसको दर्द भी बहुत हुआ था,,,,,वो बड़े डर से मेरे लंड को तरफ देख रही थी,,,और मैं मस्ती मे अपने लंड
पर आयिल लगाता हुआ उसकी तरफ और उसके नंगे जिस्म की तरफ बड़े प्यार और मस्ती से देख रहा था,,,

मैं बेड के उपर चढ़ गया और घुटनो के बल उसकी टाँगों के बीच मे बैठ गया ,,मेरे एक हाथ मे आयिल
वाली शीशी थी जबकि दूसरे हाथ से मैं अपने लंड पर आयिल लगा कर हल्की हल्की मालिश करता हुआ आयिल को पूरे
लंड पर लगा रहा था,,,,उसकी नज़रे मेरे लंड पर टिकी हुई थी वो कुछ डरी हुई थी,,तभी मैने अपने लंड
से हाथ हटा लिया और उसी हाथ को उसकी चूत पर रखा और आयिल लगे हाथ की 2 उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसा दी
चूत ने फिर से पानी बहाना शुरू कर दिया था मेरा लंड देख कर वो मस्ती मे आ गई थी,उंगलियों पर भी
काफ़ी आयिल लगा हुआ था इसलिए उंगलियाँ एक पल से पहले उसकी चूत मे घुस गई थी मैने उंगलियों को आधा चूत
मे घुसा दिया और आधी उंगलियों को चूत से बाहर रखते हुए थोड़ा उपर उठा लिया और चूत के अंदर वाले
हिस्से की उंगलियों को चूत के अंदर की तरफ झुका दिया और चूत के बाहर बची उंगलियों पर शीशी से आयिल
गिराने लगा ,,उंगलियों का झुकाव चूत के अंदर की तरफ था इसलिए जब शीशी से आयिल उंगलियों पर गिरने लगा
तो खुद-ब-खुद उसकी चूत के अंदर की तरफ बहने लगा,,,उसकी चिकनी चूत आयिल की वजह से और भी ज़्यादा चिकनी
हो गई थी और अब तो मैने उसी चूत के अंदर भी आयिल भर दिया था और 2 उंगलियों से आयिल को चूत के अंदर की
दीवारों पर भी लगा दिया था,,,,,जब चूत अंदर से भी चिकनी हो गई तो मैने अपने हाथ को उसकी चूत से
बाहर निकाला और आयिल वाले हाथ को वापिस अपने लंड पर लगा कर हल्की मालिश की फिर मैं उसके जिस्म पर आगे
की तरफ झुकने लगा,,,,वो समझ गई कि मैं लंड को उसकी चूत मे डालने वाला हूँ इसलिए उसने अपने दोनो
हाथ मेरी चेस्ट पर रखे और मुझे रोकने लगी,,,,मुझे उसके फेस पर डर के भाव सॉफ नज़र आ रहे थे


इसलिए मैने उसका डर कम करने क लिए उसको प्यार से देखा और नीचे उसके जिस्म की तरफ झुकने लगा जैसे जैसे
मैं नीचे झुकता चला गया वैसे वैसे मेरा आयिल लगा लंड उसकी चूत के करीब आता चला गया ,,लेकिन मैं
अभी चूत मे लंड घुसाने के लिए नही उसको किस करने के लिए नीचे की तरफ झुका था,,मैने झुक कर उसके
फोरहेड पर हल्की किस की और उसको ये यकीन दिलवाया कि मैं ज़्यादा दर्द नही करूँगा और उसने भी रज़ामंदी
मे मेरे सर को पकड़ा और हल्की किस करते हुए मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर दिया,,मैने अपने एक हाथ से
अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत के होल के उपर रखा और मेरे ऐसा करते ही उसने तेज तेज साँसे लेना शुरू
कर दिया उसकी सांसो की आवाज़ मे उसकी घबराहट का सॉफ सॉफ पता चल रहा था,,,


मैने लंड को हाथ मे पकड़ा और चूत के होल पर रखा और हल्के से लंड को आगे की तरफ खिसका दिया,लंड
बहुत हार्ड था और चूत बहुत टाइट फिर भी आयिल की वजह से लंड और चूत काफ़ी चिकने हो गये थे और जैसे ही
मैने हल्का ज़ोर लगाया मेरा लंड उसकी चूत मे घुसने लगा अभी लंड की टोपी आधी ही अंदर घुसी थी कि उसकी
साँसे और ज़्यादा तेज हो गई हार्ट बीट बढ़ने लगी,,,,मैने अपने लंड को वहीं रोक दिया और ज़्यादा आगे नही किया
फिर कुछ देर उसके फोरहेड पर किस करता रहा,,,जब फिर उसकी हालत ठीक हुई तो मैने लंड को फिर से हल्का आगे
की तरफ खिसका दिया इस बार मेरे लंड की पूरी टोपी उसकी चूत मे घुस गई थी,,,उसकी चूत इतनी टाइट थी कि
मुझे लग रहा था जैसे मैने मेरे लंड की टोपी को अपनी मुट्ठी मे कस के पकड़ा हुआ है,,,,जब टोपी अंदर
घुस गई तो उसके माथे पर पसीना आने लगा घबराहट के मारे मैने बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फिराते
हुए उसके लिप्स पर हल्की हल्की किस शुरू करदी मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा और मैने उस हाथ
को उसकी चूत के उपर रखा और हल्की हल्की उंगली से उसको मस्त करने की कोशिश करने लगा ताकि उसे दर्द का
एहसास थोड़ा कम हो और कुछ देर ऐसे ही रुक कर चूत पर उंगली करते हुए उसको किस करता रहा,,,,फिर कुछ
देर बाद मैने लंड को हल्का सा आगे किया तो मेरा लंड फिसल कर 4 इंच तक उसकी चूत मे घुस गया और उसका
मुँह दर्द से खुल गया वो चिल्लाने वाली थी लेकिन मैने अपनी उंगली की स्पीड को उसकी चूत पर थोड़ा तेज कर दिया
जिस से उसको थोड़ी ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी और वो दर्द को थोड़ा भूल गई ,,,मैने उंगली की स्पीड को तेज करते
हुए उसको मस्ती देनी शुरू की और मोका देखकर लंड को थोड़ा और ज्याद अंदर खिसका दिया अब मेरा 6 इंच तक
लंड उसकी चूत मे घुस गया था और उसकी दर्द भी नही हुआ था,,मैं कुछ देर ऐसे ही रुका रहा फिर मैने
अपने जिस्म को उसके जिस्म से उठा लिया और दोनो हाथों को बेड पर रखते हुए अपने जिस्म को उसके जिस्म से उपर
करके खुद को अड्जस्ट किया फिर हल्की हल्की स्पीड के साथ लंड को अंदर बाहर करने लगा,,,करीब 2-3 मिनट
तक मैं बड़ी स्लो स्पीड मे लंड को आगे पीछे करता रहा उसके हाथ जो बेड पर थे अब वो हाथ मेरी चेस्ट
पर आ गये थे और उसने मेरी चेस्ट को हल्के से सहलाना शुरू कर दिया था मैं समझ गया कि थोड़ा ही सही लेकिन
इसको मज़ा तो आने ही लगा था इसलिए मैने स्पीड थोड़ी तेज करने के लिए उसकी रज़ामंदी माँगते हुए नीचे झुककर
उसको एक किस करदी तो उसने मुझे अपनी बाहों मे भरके अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर रखे और मुझे
स्पीड तेज करने का इशारा कर दिया और मैने भी स्पीड थोड़ी तेज करदी,,,




मैने लंड को और ज़्यादा अंदर नही किया बस 5-6 इंच तक लंड को अंदर करके चुदाई शुरू करदी थी वो भी
ज़्यादा तेज स्पीड से नही ,,लेकिन स्पीड पहले से थोड़ी तेज हो चुकी थी और इस बात का पता मुझे उसकी सिसकियों से
लग रहा था वो मस्ती मे सिसकियाँ लेते हुए मेरा नाम लेने लगी थी,,,,आहह सुउन्न्ञनययययययी आह
उुउऊहह हमम्म्ममममममम उसका सर मस्ती के मारे बेड पर इधर उधर हिलने लगा था


वो मस्ती मे पागल होने लगी थी उसने अपने दोनो हाथों से मुझे कस के पकड़ा हुआ था और अपने हाथों से
मेरी पीठ को सहलाते हुए सिसकियाँ लेती जा रही थी,,,,मैं भी बहुत मस्त हो गया था क्यूकी अब मुझे डर नही
था उसको दर्द होने का अब वो मस्ती मे मज़ा लेने लगी थी मैं भी अब मज़ा लेना चाहता था मैने अपने
सर को उसके बूब्स पर रखा और उसके एक बूब को मुँह मे भर लिया तभी उसने मेरे सर को बालों से पकड़ा और
अपने बूब्स से दूर कर दिया फिर उसने अपने उसी बूब को अपने हाथ मे पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरे सर को
पकड़ा और बड़े प्यार से मेरे सर को अपने बूब्स पर दबा कर मुझे अपने हाथ से पकड़ कर अपने बूब को
चुसवाने लगी,,,वो हाथ से दबा दबा कर अपने बूब को मेरे मुँह मे भरने लगी थी और दूसरे हाथ से मेरे
सर को सहलाने लगी थी ,,अब मेरी स्पीड भी पहले से तेज होने लगी थी,,मुझे इतनी टाइट चूत पहले कभी नही
मिली थी,,,,मैं सोच रहा था ये वर्जिन होगी लेकिन इसको सील खुली हुई थी लेकिन फिर भी इसकी चूत अब तक की
सबसे टाइट चूत थी मेरे लिए,,,,सच बोलू तो मेरे लिए ये किसी वर्जिन चूत से कम नही थी,,,मुझे ऐसा
लग रहा था जैसे मेरा 6 इंच का लंड मेरे दोनो हाथों मे मेरी मुठियों मे क़ैद है और मैं ज़ोर ज़ोर से
अपने लंड को दबा दबा कर मूठ मार रहा हूँ,,,,सच मे मुझे इतना ज़्यादा मज़ा आ रहा था कि मैं
बता नही सकता,,,
Reply
12-21-2018, 02:34 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कविता भी अब काफ़ी मस्ती मे थी,,,उसके मुँह से अब सिसकियों की आवाज़ भी तेज हो गई थी और वो अपने हाथ से अपने
बूब को ज़ोर ज़ोर से दबा कर मुझे चुस्वा रही थी,,,और दूसरे हाथ से मेरे सर को सहला रही थी साथ साथ
सिसकियाँ लेती हुई मेरा नाम ले रही थी,,,मैं करीब 8-10 मिनट से उसे ऐसे ही चोद रहा था फिर मेरा
दिल किया पोज़ चेंज करने को लेकिन मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मेरा दिल नही कर रहा था उसके उपर से
उठने को या अपना लंड उसकी चूत से बाहर करने को,,इसलिए मैं ऐसे ही लेटा लेटा उसकी चूत मारता रहा कुछ
देर बाद उसकी आवाज़ तेज होने लगी थी करीब 12-15 मिनट बाद मैं समझ गया कि अब वो झड़ने वाली है इसलिए
मैने स्पीड थोड़ी तेज करदी लेकिन इतनी देर मे वो झड गई थी और झडते हुए उसकी आवाज़ पूरे रूम मे घूजने
लगी थी,,,मुझे पता था अब वो दूसरी बार लगातार नही कर सकेगी इसलिए मैने उसके उपर से उतरने की कोशिश
की लेकिन तभी उसने सिसकियाँ लेते हुए मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और मेरी पीठ को तेज़ी से आगे पीछे करने
लगी ,मैं उसकी हिम्मत से हैरान हो गया लेकिन मस्ती मे होने की वजह से मैने झटके लगाना चालू रखा और
तेज़ी से उसकी चूत मारनी शुरू करदी अभी वो ठीक से झड़ी भी नही थी कि दूसरी बार मेरे साथ मस्ती करने
लगी थी,,,,फिर जब तक मेरे लंड से पानी नही निकला मैं उसकी चूत मरता रहा ,,,मैने कोई पोज़ चेंज नही
किया बस उसके उपर लेटा रहा वो भी ऐसे ही लेटी लेटी मेरी पीठ को सहलाती रही,,,जब मेरे लंड से पानी निकलने
लगा तो मैने लंड को बाहर निकाला और अपने हाथ मे पकड़ कर उसके पेट पर रखा और तेज़ी से मूठ मारते हुए
अपने स्पर्म को उसके पेट पर गिरा दिया,,तभी उसकी चूत ने भी पाना बहाना शुरू कर दिया उसकी चूत से
इतना पानी निकला कि बेडशीट भीग गई,,,शायद उसने पेशाब कर दिया था ,,लंड से स्पर्म निकलते टाइम जब उसकी
चूत से निकलने वाले पानी की छींटे मेरी टाँगों पर पड़ी तो मैने मस्ती मे उसकी तरफ देखा तो उसने अपने
फेस को शरमाते हुए एक तरफ मोड़ लिया और तेज़ी से सिसकियाँ लेते हुए तेज तेज साँसे लेने लगी,,,


लंड से पानी निकलने के बाद मैं बेड पर उसकी बगल मे लेट गया और खुद की हालत पर क़ाबू करने की
कोशिश करने लगा,,,,,मैं आज बहुत खुश था कविता के साथ मस्ती करके,,,,मैं तबसे भरा हुआ था जबसे
मैने करण को रितिका को गोद मे उठाकर रूम मे लेके जाते देखा था ,,,मेरा भी दिल था सुहागरात मनाने
के लिए और ये थी मेरी सुहागरात,,भले ही मैने कुछ टाइम पहले कामिनी भाभी के साथ भी मस्ती की थी लेकिन
मुझे जो मज़ा आज कविता के साथ आया था वो मज़ा पूरी ज़िंदगी मे कभी नही आया था,,,,,,,


मैं और कविता दोनो नंगे जिस्म बेड पर लेटे हुए थे ,,,मैं भी बहुत थक गया था और कविता भी ,,सर्दी
शुरू हो गई थी लेकिन फिर भी हम दोनो नंगे ही लेटे हुए थे ,,अभी कुछ देर पहले चुदाई की थी एक दूसरे
के जिस्म को अपने जिस्म की गर्मी से गर्म किया था इसलिए सर्दी का एहसास तक नही हो रहा था,,,काफ़ी टाइम तक रूम
मे सन्नाटा रहा बस मेरी और कविता की तेज तेज साँसे गूँज रही थी रूम मे,,फिर कुछ देर बाद मुझे बेड
के हिलने की आवाज़ हुई शायद कविता हिली थी,,मैने अपने सर को कविता की तरफ किया तो देखा कि उसका ध्यान मेरी
तरफ था लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा उसने अपने फेस को दूसरी तरफ टर्न कर लिया और बेड पर उठकर
बैठ गई,,उसकी टाँगे ज़मीन पर थी शायद वो उठने लगी थी,,,तभी उसने उठने की कोशिश की पर शायद उसकी
हालत ठीक नही थी,,उसके जिस्म मे जान नही बची थी उठने के लिए वो बहुत ज़्यादा थकि हुई लग रही थी,,लेकिन
फिर भी उसने कोशिश करके अपने जिस्म को बेड से उठाया और पास मे पड़ी एक चद्दर को अपने नंगे जिस्म पर
ओढ़ लिया और वहाँ से चलके थोड़ी आगे की तरफ हो गई,,,वो आगे को चलने की कोशिश कर रही थी लेकिन सॉफ पता
चल रहा था कि उस से चला नही जा रहा था,,,शायद चुदाई के दर्द की वजह से या फिर चुदाई के सुख की वजह
से उसका जिस्म बहुत ज़्यादा थक गया था,,,,,वो हल्के हल्के कदम बढ़ाती हुई आगे की तरफ बढ़ने लगी फिर एक जगह
रुक कर नीचे झुक गई,,,मैने बेड पर उपर उठके देखा तो वो ज़मीन पर पड़ी हुई अपनी बनियान नुमा कुर्ते
को उठा रही थी जो उसने उतार कर फैंका था अपने जिस्म से,,,,वो जैसे ही कुर्ता उठाने के लिए झुकी तो खुद को
संभाल नही सकी और नीचे गिर गई,,,,


मैं एक दम से बेड से उठा और उसके पास चला गया,,मैने पास जाके उसको सहारा दिया और उठाकर खड़ा कर दिया
फिर नीचे से उसका कुर्ता उठाकर उसको पकड़ा दिया,,,उसने कुर्ता पकड़ते टाइम मेरी तरफ देखा और मेरे नंगे
जिस्म को देखकर शरमाने लगी,,उसने शरमाते हुए अपने कुर्ते को पकड़ लिया,,मैं समझ गया कि ये मेरे से
शरमा रही है इसलिए कुर्ता पहनने के लिए यहाँ आ गई थी,,,क्यूकी और कोई कपड़ा नही था आस पास मे एक चद्दर
थी जिसको उसने पहले ही ओढ़ लिया था अपने जिस्म पर,,,,,मैने उसको सहारा दिया हुआ था फिर मैने उसको बेड की
तरफ लेके आने की कोशिश की लेकिन उसने अपना हाथ उठाकर मुझे बाथरूम की तरफ चलने का इशारा किया,,

मैं उसको बाथरूम की तरफ लेके जाने लगा,,,उसका चलना बहुत मुश्किल हो गया था,,,उसके जिस्म मे शायद जान
ही नही बची थी,,,वो बड़े हल्के कदमो से चल रही थी 1-2 बार तो गिरते गिरते बची थी,,,जैसे तैसे मैने
सहारा देके उसको बाथरूम तक पहुँचा दिया,,,

बाथरूम के दरवाजे के पास जाके उसने मुझे वहीं रोक दिया और बाथरूम के दरवाजे को पकड़कर बाथरूम
के अंदर चली गई और अंदर जाते ही दरवाजा भी बंद कर लिया,,,
Reply
12-21-2018, 02:35 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
दरवाजा बंद करते टाइम भी वो सर झुका कर नीचे की तरफ देख रही थी,,सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे
से शरमा रही है,,,,

वो बाथरूम मे चली गई और मैं वापिस बेड पर आके लेट गया और खो गया अपने ख़यालो मे,,,आज इतना मज़ा
आया था मुझे कि मैं बहुत ज़्यादा खुश था ,,इतना खुश कि मुझे डर था मैं कहीं खुशी से पागल ही नही
हो जाउ कहीं,,,इतनी खूबसूरत लड़की आ गई थी आज मेरी ज़िंदगी मे जिसके बारे मे मैं सपने मे ही सोचता
रहता था अक्सर,,,सपने मे ना जाने कितनी बार उसकी चुदाई की थी मैने लेकिन आज हक़ीक़त मे उसकी चुदाई करके
जो मज़ा आया था उसको मैं शब्दो मे बयान नही कर सकता ,,,

करण ने तो अपनी सुहागरात मना ली थी रितिका के साथ और तबसे मैं भरा बैठा हुआ था,,,हालाकी कामिनी भाभी
की चुदाई भी करली थी मैने लेकिन फिर भी जो मज़ा मुझे कविता के साथ आया था वो कामिनी भाभी के साथ
नही आ सकता था,,,सही मायने मे ये थी मेरी सुहागरात,,मेरी और मेरी प्यारी कविता की सुहाग रात,,,मैं
अपने ही हसीन सपनो मे खोया हुआ था तभी मुझे बाथरूम के दरवाजा खुलने की आवाज़ आई,,,

मैने बाथरूम की तरफ देखा तो कविता वहाँ से बाहर निकल रही थी,,उसने वही कुर्ता पहना हुआ था,,,उस
कुर्ते के नीचे उसने कुछ नही पहना था,,,तभी वो बाथरूम से बाहर आते आते मेरी तरफ देखकर वापिस बाथरूम
मे भाग गई,,,,मैने सोचा इसको क्या हुआ,,,तभी मुझे याद आया कि मैं नंगा हूँ शायद इसलिए वो शरमा
कर वापिस भाग गई होगी,,,,और ऐसा ही हुआ,,,वो शरमा गई थी मुझे नंगा देखकर इसलिए बाथरूम मे वापिस
भाग गई थी मेरे लिए टवल लेने के लिए,,,,

वो टवल को हाथ मे पकड़कर शरमाते हुए बेड के पास आ रही थी,,,उसकी नज़रे झुकी हुई थी,,,उसने बेड के
पास आके टवल को मेरी तरफ फेंका और खुद पलट कर खड़ी हो गई,,,टवल पकड़कर मैं खड़ा हुआ और
टवल को अपनी कमर पर लपेट लिया और लपेट कर हल्का सा खांसने की आवाज़ करदी ताकि उसको पता चल जाए कि
अब मैं नंगा नही हूँ,,,

मेरे खांसने की आवाज़ सुनके वो मेरी तरफ पलटी और मुझे देखने लगी,,,वो अभी भी शरमा रही थी,,,


अब इतना क्यूँ शरमा रही हो,,,और ये टवल किस लिए,,हम दोनो एक दूसरे को बिना कपड़ो के देख चुके है
और बिना कपड़ो के एक जिस्म जो दूसरे जिस्म के साथ करता है वो सब कर चुके है तो भला अब ये शरम कैसी
अब ये परदा कैसा,,,,इतना बोलकर मैं उसके पास गया तभी वो मेरे से दूर हट गई और बेड के दूसरी तरफ चली
गई,,फिर उसने शरमाते हुए बेड पर पड़ी बेडशीट उठा ली जो बहुत ज़्यादा भीग चुकी थी उसकी चूत के पानी
से,,,,वो बेड शीट उठाने लगी तभी मैं बोल पड़ा,,,

अरे ये क्या हुआ,,,इतना पानी किसने गिरा दिया बेड पर,,पूरी शीट गीली हो गई है,,,,

मैने इतना बोला ही था कि उसने पहले मेरी तरफ गुस्से से देखा ,,,और फिर शरमा कर मुस्कुरा कर अपने फेस को
झुका लिया और अपना काम करने लगी,,,,उसने बेडशीट उठाकर साइड पर रख दी फिर न्यू बेडशीट लेके बेड पर
बिछा दी,,,,पहले वाली बेडशीट लाइट कलर की थी लेकिन ये दूसरी वाली डार्क कलर की थी,,,,इस पर भी मुझे
मज़ाक सूझने लगा,,,


हां ये बेडशीट अच्छी है डार्क कलर की,,,जितना भी पानी गिरे जितनी भी गंदी हो किसी को पता नही चलेगा,
मैने इतना बोला तो वो फिर से मुझे गुस्से से देखने लगी,,,,

उसने गुस्से से मुझे देखा तो मैं चुप करके उसकी हेल्प करने लगा बेडशीट सेट करने मे ,,बेड शीट ठीक
तरह से बिछ गई तो उसने एक कंबल लिया और बेड पर लेट गई कंबल लेके,,,,

मैं थोड़ा परेशान था,,,,इसको क्या हुआ ऐसे क्यूँ बिहेव करने लगी ये,,,जैसे कि कुछ हुआ ही नही था,,या शायद
कुछ ज़्यादा ही शरम आ रही थी उसको मेरा सामना करने मे,,,

वो कंबल लेके लेट गई थी जबकि मैं ऐसे ही टवल लपेट कर बेड पर लेट गया,,,,मुझे ठंडी तो नही लग रही
थी और अगर किसी जवान लड़की के साथ इस उमर मे एक ही बेड पर लेटने मे मुझे ज़रा भी ठंडी का एहसास होता
तो लानत थी मेरी जवानी पर,,,,आख़िर जवान खून था मेरा भी और गरम भी,,,,

हालाकी मुझे ठंड नही लग रही थी फिर भी मैं जानभूज कर नाटक करने लगा,,,,,जैसे मुझे बहुत ज़्यादा
ठंड लग रही हो,,,,

आहह कितनी ठंड है यहाँ,,,कोई इस ग़रीब को एक कंबल दे देता तो,,,क्या कोई नही यहाँ जो इस ग़रीब को
ठंड से बचा सके,,मैं इतना बोलता हुआ जानभूज कर काँपने लगा था ताकि मेरे हिलने से बेड भी हिलने
लगे और कविता का ध्यान मेरी तरफ आ जाए,,,,और ऐसा ही हुआ,,,,उसने मेरी तरफ मुँह किया और अपने कंबल को
चारों तरफ से ठीक करके ढक लिया खुद को,,,मुझे तो लगा था ये मुझे अपने कंबल मे बुला लेगी लेकिन'
इसने तो ऐसा नही किया,,,,,,,

तभी वो बोली,,,,,बहुत बेशरम है तू,,,कितना हर्ट करता है,,ज़रा भी तरस नही ख़ाता किसी पर,,,,तेरी यही
सज़ा है कि ठंडी मे लेटा रह तू,,,उसने इतना बोला और हँसने लगी,,,लेकिन उसके हँसने मे भी एक दर्द था जो सॉफ
सॉफ बता रहा था कि उसको चूत मे दर्द हो रहा है,,,फिर भी वो मेरे से मज़ाक करने मे लगी हुई थी,,

उसकी यही बात मुझे अच्छी लगी,,,इसलिए मैं उसके करीब हो गया,,,अच्छा तो मैं बेशरम हूँ,,,तो ठीक है
इतना बोलकर मैने टवल निकाल दिया और साइड मे फैंक दिया,,,,अब मैं बेशरम हूँ तो इसकी क्या ज़रूरत


उसने जल्दी से अपना फेस को कंबल के अंदर कर लिया,,,,सन्नी टवल लपेट ले प्लज़्ज़्ज़ मुझे शरम आ रही है

अच्छा तो अब शरम आ रही है,,तब कहाँ थी शरम जब बिना कपड़ो की मेरी बाहों मे थी,,,इतना बोलकर
मैं उसके करीब हो गया,,तब शरम नही आ रही थी क्या,,,

उसने अपने सर को कंबल से बाहर किया और आँखें बंद करके अपने सर को ना मे हिला दिया और बता दिया कि
'उस टाइम उसको शरम नही आ रही थी,,,

अच्छा शरम नही आ रही थी,,तो क्या मज़ा आ रहा था,,

उसने अपने सर को शरमाते हुए हां मे हिला दिया और जल्दी से कंबल को वापिस सर पर ले लिया,,,

अच्छा अगर तब मज़ा आ रहा था तो भला अब शरमाना कैसा,,,अब ये शरम का परदा कैसा,,हटा दो अब ये
परदा कि अब तो हम बेपर्दा हो चुके है ,,,,

लेकिन वो कुछ नही बोली ना ही कोई इशारा किया,,,,मैने फिर बोला,,,हटा दो ना परदा,,प्लज़्ज़्ज़्ज़

वो फिर चुप रही और कुछ नही बोली,,,,

अच्छा चलो नही हटाओ परदा लेकिन इतना तो बता दो मज़ा आया था क्या,,,और कितना मज़ा आया था,,,,बता ना कविता
प्लज़्ज़्ज़

तभी उसने कंबल को उतारा और हंस कर मुझे देखा,,,,,,,बहुत मज़ा आया,,,यही सुनना है ना तूने सन्नी,,तो सुन
ले ,,बहुत बहुत बहुत मज़ा आया मुझे,,,,तू मेरी लाइफ का पहला मर्द है जिसने मुझे इतना मज़ा दिया है,,

उसने इतना बोला तो मैं बीच मे बोल पड़ा,,,,,पहला मर्द ,,लेकिन तुम तू वर्जिन नही,,,,,,मैं इतना बोलता बोलता
चुप हो गया,,,


और वो भी हँसते हँसते एक दम से उदास हो गई,,,,,उसकी आँखे नम हो गई,,,,शायद वो रोने लगी थी,,,


अरे तू रो मत प्ल्ज़्ज़ मैं तुझे हर्ट नही करना चाहता था,,,मैं तो बस,,,,

मैं जानती हूँ सन्नी तो क्या बोलना चाह रहा है और तू क्या सोच रहा है मेरे बारे मे,,,,तुझे लगता होगा
मैं अच्छी लड़की नही हूँ,,क्यूकी मैं वर्जिन नही हूँ,,,,तुमको नही पता मेरे साथ,,,,अभी वो बोलने ही
लगी थी कि दरवाजा खुला और कामिनी भाभी अंदर आ गई,,,


भाभी के आते ही कविता ने जल्दी से एक पिल्लो मेरे उपर फैंक दिया क्यूकी मैं नंगा था,,,भाभी ने
अंदर आते हुए मुझे हंस कर देखा और बेड पर कविता के पास जाके बैठ गई,,,,,भाभी के हाथ मे एक नकली लंड
था,,,,भाभी ने वो लंड मेरी तरफ किया और बोलने लगी,,,,सन्नी तू पहला मर्द नही जिसने कविता के साथ मस्ती
की है ये रहा वो पहला मर्द जिसके साथ कविता पहले भी मस्ती कर चुकी है,,,यही वो मर्द है जो कविता की
सील खोल चुका है,,,,

भाभी ने इतना बोला तो कविता थोड़े गुस्से से भाभी की तरफ देखने लगी,,,,

अरे गुस्सा क्यूँ करती है,,चूत को चूत नही तो क्या बोलू बता ज़रा,,,,और मैं क्या ग़लत बोल रही हूँ यहीं
है ना वो मर्द जो तेरी चूत मे घुस चुका है पहले और सील खोल चुका है तेरी,,,

मैं थोड़ा हैरान रह गया,,मुझे याद आया कि कुछ देर पहले भाभी इसी रूम से इस नकली लंड को लेके गई
थी,,,,,,,,,,,,,,,,तो क्या तुम इस नकली लंड के साथ मस्ती करती हो कविता,,,मैने इतना बोला तो कविता चुप करके
मुझे देखने लगी,,,


और नही तो क्या सन्नी,,,यही है वो लंड और तू मुझे वो मर्द समझ सकता है जिसने ये लंड घुसाया था इसकी
कुवारि चूत मे,,,इतना बोलकर भाभी ने कविता की टाँगों पर हाथ रख दिया,,,

तभी कविता गुस्से से बोली,,,भाभी ये क्या कर रही हो,,,,

अरे अब गुस्सा क्यूँ करती है,,,,,ओह्ह अच्छा समझ गई सन्नी के सामने तुझे नही टच करूँ मैं,,,ठीक है
जी अब बचपन का प्यार है तेरे पास तो मुझे क्यूँ छूने देगी तू खुद को,,,

भाभी ने इतना बोला तो कविता फिर से भाभी को गुस्सा होने लगी,,भाभी चुप कर जाओ बॅस,,,

अरे अब मैं बोल भी नही सकती क्या,,,तेरा ये बचपन का प्यार इतना अज़ीज़ हो गया कि अपनी दोस्त जैसी भाभी को
चुप करवाने लगी तू,,,,

क्या बोल रही हो भाभी मैं कुछ समझा नही,,,,,,

तू कुछ समझेगा भी नही सन्नी क्यूकी तेरी उमर के लड़के अक्सर बुद्धू होते है,,,ये कविता बचपन से तुझे
लाइक करती है,,,जब देखो घर मे बस तेरी ही बात करती रहती है,,,सन्नी ऐसा है सन्नी वैसा है ,,,मेरे तो
कान पक जाते थे ये सुन सुन कर,,,,देखा ना अब भी तेरे सामने मुझे खुद को टच नही करने दे रही
जबकि अक्सर मेरे साथ ही मस्ती करती है,,और मेरे से ही चूत की सील भी खुलवाई है इसने,,,

बस बहुत हो गया भाभी ,,,अब आप जाओ यहाँ से,,,,कविता चिल्ला कर गुस्से मे बोली तो भाभी बेड से उठकर
दरवाजे की तरफ चली गई,,,,

अच्छा अच्छा जा रही हूँ मैं,,,अब जितना मर्ज़ी प्यार करो तुम दोनो,,,,जब तक दिल करे ऐसे ही मस्ती करते रहो
बेड पर नंगे लेट कर,,,भाभी ने मेरा नंगा जिस्म देखकर ये बात बोली थी,,,मेरे लंड के उपर एक पिल्लो
पड़ा हुआ था बस ,,,


भाभी के बाहर जाते ही कविता उठी और हल्के कदमो से चलके दरवाजे के पास गई और दरवाजे को अंदर से
लॉक कर दिया,,,,और वापिस बेड पर आके बैठ गई,,,


तू इतना भड़क क्यूँ गई थी भाभी पर,,,,,वो क्या झूठ बोल रही थी,,,

नही सन्नी वो बस मैं,,,,

तो क्या भाभी सब सच बोल रही थी,,,तू मुझे लाइक करती है,,,मुझे चाहती है,,,लेकिन कब्से ,,और कभी मुझे
बताया क्यूँ नही तूने,,,


क्या बोलती,,,तुझे खुद पता नही चलता कि एक लड़की जो अपनी जवानी मे है और उसका अभी तक कोई भी बाय्फ्रेंड
नही है,,,बस एक तू ही दोस्त है उसका,,,तेरे सिवा उसने किसी भी लड़के से दोस्ती नही की कभी,,,क्या इतना सब कुछ
होने के बाद भी तुझे बताना कि मैं तुझे प्यार करती हूँ ये ज़रूरी था क्या,,,

देख मैं ठहरा पागल ,,,और तुझे पता है लड़के होते ही पागल है,,,दिल की बात समझने मे हम लड़को को
अक्सर देर हो जाती है,,,और अगर तू एक बार बता देती तो तेरा क्या घिस जाता ,,,एक बार बस इशारा कर देती तो
मैं समझ जाता ना,,,

कितनी बार इशारा किया मैने पर तूने ध्यान ही नही दिया मेरी तरफ,,,तेरा ध्यान पता नही किस तरफ रहता था,,

मेरा ध्यान तो हमेशा ही तेरी तरफ था कविता,,,बस मुझे बताना नही आया,,

मेरी तरफ ध्यान रहता तो बात ही क्या थी सन्नी,,,मैं तो तेरे ध्यान के लिए तरस गई थी,,,तू कभी ध्यान नही
देता था मेरी तरफ,,,

मैं डरता था कविता कहीं तुम गुस्सा कर गई कहीं तुम मुझे लाइक नही करती हुई तो मेरी तो दोस्ती भी ख़तम
हो जाएगी तेरे से,,,मैं तेरे जैसी अच्छी दोस्त को खोना नही चाहता था,,,,

मैं भी अच्छे दोस्त को खोना नही चाहती सन्नी,,,इसलिए तुझे कुछ नही बता सकी कभी,,,क्यूकी अगर बता देती
तो डर था कहीं कोई दोस्त मेरे से दूर नही हो जाए,,,और अब अगर दोस्त करीब है तो मैं उस से कुछ झूठ
भी नही बोलना चाहती,,,,


झूठ कैसा झूठ,,,

अभी जो कुछ भाभी बोलके गई है सब झूठ है सन्नी,,,,,भाभी ने आज तक मुझे हाथ भी नही लगाया और
ना ही भाभी ने उस नकली वाले खिलोने से मेरे साथ कुछ किया था,,,,और उस खिलोने की ज़रूरत मुझे कभी
महसूस भी नही हुई आज तक,,

क्या मतलब ,,,अगर उस नकली लंड से तुम्हारी चूत की सील नही खुली थी तो कैसे खुली थी ,,कॉन था वो मर्द


वो थोड़ा उदास होके,,,,,,,वो मर्द कोई और नही था सन्नी,,,,वो मेरा बाप था,,,,इतना बोलकर वो रोने लगी,,,


मैं थोड़ा हैरान हो गया था,,,ये क्या बोल रही हो तुम कविता,,,

सच बोल रही हूँ सन्नी,,क्यूकी मैं किसी रिश्ते की शुरुआत झूठ से नही करना चाहती,,,मेरा बाप ही था
वो मर्द जिसने मेरे साथ वो सब किया,,,,मैं अपनी ज़िंदगी का पहला सेक्स उसके साथ करना चाहती थी जिस से प्यार
करती हूँ लेकिन मेरे बाप ने अपनी झूठी शान और झूठी मर्यादा की खातिर मेरे सभी सपनो पर सभी
उम्मीदो पर पानी फेर दिया और बर्बाद कर दिया मुझे

तुमको पता है ना कि मेरे भैया सूरज कैसे है,,,,वो बच्चा पैदा नही कर सकते क्यूकी वो नामर्द है,और
मेरे बाप ने ही भाभी के साथ 2 बार वो घटिया हरकत की ताकि हम लोगो के परिवार को एक लड़का मिल सके
एक वारिस मिल सके लेकिन 2 बार लड़की ही हुई ,,,,मुझे कुछ पता नही था इसके बारे मे क्यूकी मुझे किसी ने पता
लगने ही नही दिया था ,,,और जब तीसरी बार वो सब होने लगा तो भाभी ने मुझे सब बता दिया और मैने अपने
बाप के खलाफ भाभी का साथ दिया,,,,तो मेरे बाप ने मेरे साथ ही मुँह कला कर लिया शराब के नशे मे

ना तो माँ कुछ कर सकी और भाई तो वैसे भी कुछ नही कर सकता था अगर भाई कुछ कर सकता होता तो ये
सब नही होता,,,

मैं जानती हूँ तुम्हारे और भाभी के बारे मे ,,तुम्हारे और भाई के बारे मे भी क्यूकी भाभी ने मुझे
सब बता दिया था ,,भाई और डॅड के बारे मे भी,,,,मैं तो सब से अंजान ही थी,,,और जब सब कुछ जाना तो सबकी
सज़ा भी मिली मुझे,,,,,एक बार तो डॅड ने शराब के नशे मे ऐसे हरकत की थी लेकिन बाद मे उनको ये सब
अच्छा लगने लगा,,,उन्होने 4 बार मेरे साथ वो गंदी हरकत की थी,,,,मैं किसी को बता भी नही सकती थी ना ही
पोलीस मे जा सकती थी क्यूकी इस से मेरे ही घर की बदनामी होती,,,,मैने ये बात सोनिया को बता दी थी इसलिए
जब भी डॅड घर पर आते थे मैं उन दिनो सोनिया को अपने घर पर रख लेती थी अपने साथ,क्यूकी मोम और
भाई ने तो कुछ नही करना था लेकिन सोनिया के होते हुए डॅड मेरे पास भी नही आ सकते थे,,,,

वो रो रही थी और सारी बात बता रही थी,,,,


भले ही मेरे बाप ने मेरे साथ सेक्स किया था सन्नी लेकिन एक आग भी लगा दी थी मेरे जिस्म मे,,,तभी तो तेरे
हल्का सा टच करने भर से मैं बहक जाती थी क्यूकी मैं भी उसी के साथ वो सब करना चाहती थी जिसपर
यकीन करती थी और दुनिया मे सबसे ज़्यादा तेरे पर यकीन करती हूँ मैं तेरे से प्यार करती हूँ मैं,,,


जब भी तू मेरे पास आता मुझे टच करता तो मेरे जिस्म मे एक अजीब सी मस्ती छाने लगती और मैं कुछ
ही पॅलो मे बहक जाती थी,,मेरा खुद पर क़ाबू नही रहता था,,,,मैं जवानी का मज़ा ले चुकी थी भले
ही वो मज़ा मेरे साथ ज़बरदस्ती से हुआ था वो भी मेरे बाप ने किया था लेकिन फिर भी मैं उस जवानी के
मज़े को उस मस्ती को पहचान गई थी,,,मैं अब असली मज़ा तेरे साथ करना चाहती थी क्यूकी मैं तुझे बहुत
प्यार करती हूँ सन्नी और तेरे पर ही सबसे ज़्यादा यकीन करती हूँ,,,

लेकिन जब तू मेरी चूत के पास जाता तो मैं डर जाती कि अगर तुझे पता चल गया कि मैं वर्जिन नही हूँ तो
पता नही तू मेरे बारे मे क्या सोचेगा,,,शायद तू मुझे बाकी लड़कियों की तरह ग़लत लड़की समझ लेगा तो मेरा
तो दिल ही टूट जाएगा,,,क्यूकी मैं ग़लत नही हूँ सन्नी,,,वक़्त ने मेरे साथ बहुत कुछ ग़लत किया था,,,वो
बोलती जा रही थी और रोती जा रही थी,,,,

कुछ देर बाद उसके अल्फ़ाज़ ख़तम हो गये लेकिन आँसू अभी भी बहते जा रहे थे,,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:35 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं उसके पास गया और उसको अपने गले से लगा लिया,,,,,,इतना सब हो गया तेरे साथ तो तूने मुझे बताया क्यूँ नही
एक बार बता सकती थी ना,,,,अगर तुझे मेरे भाभी के और सूरज भाई के बारे मे सब पता था तो तू अपने बारे
मे भी मुझे बता ही सकती थी,,,,और भाभी भी तो बता सकती थी,,,,लेकिन नही,,,,आज भी भाभी ने झूठ ही
बोला मेरे साथ,,,,,और मैं जानता हूँ उन्होने ऐसा क्यूँ किया था,,,,ताकि मैं तुझे ग़लत नही समझु और ना
ही तेरे और तेरे बाप के बारे मे मुझे कुछ पता चले,,,,लेकिन इतना सब कुछ हो गया और तू इतना सब सहती
गई,,,


मैं उस से बात करता हुआ दिल मे ये भी सोच रहा था कि मेरा बाप भी तो मेरी बेहन को चोदता है लेकिन
वो सब रज़ामंदी से हुआ था ना कि कोई ज़ोर ज़बरदस्ती से,,,अगर कविता भी अपने बाप से रज़ामंदी मे सेक्स करती
तो कुछ बुरा नही था लेकिन उसके बाप ने तो शराब के नशे मे उसके साथ ज़बरदस्ती की थी जो बहुत बुरी बात
थी,,,,वो बेचारी को कितना कुछ सहना पड़ा था,,,,वो भी अपने ही घर मे वो भी अपनो के साथ,,,,अब मुझे ये
भी पता चल गया था कि ये जब अपनी माँ को मिलने गई थी सूरज भाई के साथ तो सोनिया को क्यूँ लेके गई थी अपने
साथ,,,ताकि वहाँ पर उसका बाप उसके साथ फिर कोई घटिया हरकत नही कर सके,,,लेकिन साथ ही मुझे डर भी
लगने लगा था कि इसने अपने और अपने बाप के बारे मे सोनिया को बता दिया था तो क्या मेरे ,,कामिनी भाभी और
सूरज भाई के बारे मे भी सोनिया को कुछ बता तो नही दिया था,,,,


मैं यही सोचता हुआ उसको बाहों मे भरके बेड पर बैठा हुआ था,,,मैं अभी भी नंगा ही था लेकिन अब
कोई ग़लत इरादा नही था दिल मे ना ही मस्ती का मूड था,,,,तभी मैं आराम से उसको बाहों मे भरके बेड
पर लेट गया और साथ मे उसको भी लेटा लिया और हम दोनो पर कंबल ओढ़ लिया ,,,उसने अपने सर को मेरे शोल्डर
के पास मेरी चेस्ट पर रखा हुआ था और रो रही थी जबकि मैं उसके आँसू पोछता हुआ उसको चुप करवाने की
कोशिश कर रहा था,,,ऐसे ही दुख सुख बाँट-ते हुए हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे भरके सो गये,,कब
आँख लगी पता ही नही चला,,,,,,,,,

सुबह जब उठा तो देखा कि मैं अकेला ही था बेड पर,,,,मैने रूम मे नज़र घुमाई तो कविता वहाँ नही
थी ,,,तभी मैने टेबल पर देखा तो मेरे कपड़े पड़े हुए थे जो शायद प्रेस भी किए हुए थे,,मेरे जूते
भी वहीं पास मे थे,,,,ये सब तो रात को कामिनी भाभी के रूम मे थे,,,,खैर मैं उठा और फ्रेश होके
कपड़े पहन कर बाहर आ गया,,,,देखा तो कविता और कामिनी भाभी नाश्ता तैयार कर रही थी,,,दोनो किचन मे
खड़ी होके बातें भी कर रही थी,,,,


तभी मैं भी किचन मे चला गया,,,अरे ननद भाभी मे क्या बात हो रही है हमे भी तो पता चले,,,

मेरी बात सुनके भाभी और कविता मेरी तरफ पलट गई,,,,

कुछ खास नही सन्नी बस ,,,,,,और वैसे हम ननद और भाभी नही दोस्त है,,,,क्यूकी एक ननद और भाभी से
कहीं ज़्यादा प्यार है हम दोनो मे,,लेकिन अब लगता है कविता को प्यार करने वाला कोई और मिल गया है,,,भाभी
ने ये बात मज़ाक मे बोली थी,,,,,


कविता शरमा गई भाभी की बात सुनके,,,तभी भाभी किचन से बाहर आ गई ,,नाश्ता बन गया था और भाभी
ने कविता के साथ मिलकर नाश्ता टेबल पर लगा दिया,,,मैने भी थोड़ी हेल्प करदी थी,,,,

फिर हम लोग बैठकर नाश्ता करने लगे,,,नाश्ता करते टाइम मैं और कविता पास पास बैठे हुए थे जबकि
भाभी सामने की तरफ थी,,,मैं भाभी की तरफ ध्यान दे रहा था लेकिन भाभी मेरी तरफ बिल्कुल भी ध्यान
नही दे रही थी,,,,नाश्ता ख़तम हो गया और भाभी उठकर अपने रूम मे चली गई,,मैं भाभी को जाते हुए
पीछे से देख रहा था,,,,मेरा ध्यान भाभी की तरफ था तभी कविता ने मुझे भाभी की तरफ देखते हुए
पकड़ लिया ,,,,,


उस रूम की तरफ ध्यान देना छोड़ दो सन्नी,,,,क्यूकी अगर तुम दोबारा उस रूम मे जाओगे तो मेरे पास
कभी वापिस नही आओगे,,,,याद रखना,,,,,कविता ने ये बात ऐसे बोली थी जैसे मुझे ओरडर दिया हो,,अपना फैंसला
सुनाया हो,,,,

मैं कुछ नही बोला बस अपने बर्तन लेके किचन मे चला गया,,,,किचन से बर्तन रखके बाहर आया और
कविता को बाइ बोलके वहाँ से जाने लगा,,,,,

अभी मैं बाहर दरवाजे की तरफ जाने ही लगा था कि भाभी बाहर आ गई,,,,,भाभी ने बाहर आके मुझे
कविता के सामने बाहों मे भर लिया ,,,,,,मैं कविता की तरफ देख रहा था क्यूकी उसके सामने भाभी ने
मुझे बाहों मे भरा था मुझे डर लग रहा था,,,,

ये आख़िरी बार है सन्नी जब तुम और मैं इतने करीब है,,,,आज के बाद तुम मेरे करीब नही आ सकते क्यूकी
अब तुमको कविता के करीब रहना है,,,मुझे तुमसे जो चाहिए था मिल गया है,,भाभी ने अपने पेट पर
हाथ लगाते हुए ये बात बोली,,,,तुम्हारा बीज़ मेरे पेट मे पलने लगा है सन्नी,,,अब मुझे तेरे से और कुछ
नही चाहिए,,अब तू पूरी तरह से कविता का है,,,कविता मेरी ननद कम और दोस्त ज़्यादा है,,इस घर मे वहीं
एक है जिसने हर कदम मेरा साथ दिया है हर मुश्किल मे मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई
थी ये,,,अब तुझे अपने पास रखके मैं इस से दूर नही हो सकती और ना ही तुझे इस से दूर कर सकती हूँ,अब
तक जो हम लोगो मे हुआ वो आज के बाद नही होगा,,,

कल रात जितना मज़ा लेना था तेरे साथ मैने ले लिया है,,,जितनी मस्ती करनी थी करली,,कल की रात हम लोगो की
आख़िरी रात थी और तेरे साथ कविता की एक शुरूवात थी,,आख़िरी रात को भूल जाओ और कविता के साथ एक नई शुरुआत
करो,,,कल की रात मैने तुझे इसी लिए बुलाया था ताकि तेरे साथ आख़िरी रात की मस्ती कर सकूँ और ये कविता
तुझे मेरे साथ मस्ती करते हुए देखना चाहती थी,,जितना टाइम हम लोग रूम मे थे ये रूम के बाहर
से हम लोगो को देख रही थी,,,,,इसका इरादा ये नही था कि ये तेरे साथ वो सब करेगी ये तो बहुत डरती थी इसलिए
तो मैने इसको वो नकली लंड भी दिया था ताकि तेरी और मेरी मस्ती देखकर इसके जिस्म मे जो आग लगी उसको ये नकली लंड
से ठंडा कर सके लेकिन इसको नकली लंड से मस्ती नही करनी थी इसको तो तेरे साथ मस्ती करनी थी,,,जब मैने इसको
बताया कि तू किचिन मे है और वो भी नंगा तो इस से रहा नही गया और ये वहाँ आ गई,,,और फिर जो हुआ तुझे
पता है,,,,मेरा तो मूड था सारी रात तेरे साथ एक लास्ट बारी मस्ती करने का लेकिन कविता की वजह से मुझे पीछे
हटना पड़ा,,,,,और अब मैं कभी आगे बढ़ भी नही सकती ,,,,अब जितना आगे बढ़ना है तुझे कविता के साथ बढ़ना
होगा,,,,,भाभी ने इतना सब बोला और मेरे गले लग के मेरे फोरहेड पर किस की बरसात करदी और नम आखों मे
आँसू लेके वहाँ से अपने रूम मे चली गई,,,,
Reply
12-21-2018, 02:35 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कविता वहीं खड़ी होके मुझे देख रही थी,,,उसने एक बार हंस कर मुझे देखा और मैं भी वहाँ से चल
पड़ा कविता को बाइ बोलके,,,,,अब मुझे कविता की बात का जवाब भी मिल गया था जो बात उसने बोली थी,,,कि
अगर भाभी के रूम मे जाना है तो मेरे रूम का रास्ता भूल जाना,,,,,,,

मैं बाइक पर घर आ रहा था ,,खुश भी था और परेशान भी,,,एक चूत मिल गई थी और एक चूत हमेशा
के लिए दूर हो गई थी,,,लेकिन जो भी हुआ था अच्छा हुआ था,,,सबकी मर्ज़ी से हुआ था,,,,और सबसे बड़ी बात थी
कि कविता मिल गई थी मुझे जिसके लिए मैं इतना तरस रहा था,,,कब्से उसके साथ सेक्स करना चाहता था लेकिन हम,
दोनो मे सेक्स का नही एक प्यार का रिश्ता भी बन गया था जो सेक्स से कहीं ज़्यादा एहमियत रखता था मेरे
लिए,,,,,,,

कविता के घर से खुशी खुशी मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,जहाँ एक तरफ कविता जैसी लड़की के मिलने'
की खुशी थी वहीं दूसरी तरफ कामिनी जैसी भाभी से दूर होने का गम भी था,,लेकिन कविता के करीब रहने
के लिए कामिनी भाभी से दूर होना ज़रूरी भी था,,यही सोच और ख्याल से परेशान होता हुआ मैं घर पहुँच
गया,,,,,मैं घर के गेट के पास पहुचा तो देखा कि 2 लोग खड़े हुए थे मेरे घर के पास जो मेरे घर
की तरफ घूर रहे थे और जैसे ही मैने उनकी तरफ देखा तो वो लोग वहाँ से चले गये,,,

मुझे ये लोग ठीक नही लग रहे थे,,,,और जिस अंदाज़ से वो वहाँ से गये थे सॉफ पता चल रहा था वो
मुझे देखकर भाग गये थे,,,,ये लोग कहीं अमित और उसके बाप के लोग तो नही थे,,,,मुझे थोड़ा डर
लगने लगा था,,अपने लिए नही ,,अपनी फॅमिली के लिए,,,,

मैने गेट खोला और घर के अंदर चला गया,,,,अंदर घुसा ही था कि माँ हाथ मे कुछ समान लिए खड़ी
हुई थी,,,,

अरे आ गया तू ,,सही टाइम पर आया,,,तुझे पता होगा कि बुटीक की चाबी कहाँ है,,,माँ ने मेरे पास
आते हुए बोला,,,,

हाँ पता है लेकिन आपको क्या ज़रूरत पड़ गई बुटीक की चाबी की,,,मैने माँ से सवाल किया,,,,


कुछ नही सन्नी बेटा थोड़ा काम था मुझे बुटीक पर,,,,चल जल्दी बता चाबी कहाँ है और मेरे साथ
चल तू भी,,,,

लेकिन कहाँ माँ ,,,,कहाँ जाना है अपने,,,,

मुझे अलका के घर जाना है,,,और फिर शिखा को कुछ काम है बुटीक पर,,,,चल जल्दी चाबी बता कहाँ
है और मेरे साथ चल,,,,


मैने माँ को चाबी दी और माँ के साथ चल पड़ा करण के घर की तरफ,,,,जाने से पहले मैने सोनिया को अच्छी
तरह से गेट बंद करने को बोला,,,,

हम लोग जा रहे है,,,,गेट अच्छी तारह बंद कर लेना,,कोई भी आए तो मत खोलना,,,मैने सोनिया को ऐसा इसलिए
बोला था क्यूकी मुझे डर था कहीं वो लोग फिर से नही आ जाए जो मेरे घर के बाहर खड़े हुए थे,,,

मैं कोई छोटी बच्ची नही हूँ जो ऐसे बात कर रहा है मेरे साथ,,सोनिया ने थोड़ा नखरे से बोला और गेट
बंद करके वहाँ से अंदर चली गई,,,,मैं भी माँ को लेके करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,,


माँ ये बुटीक की चाबी का क्या करना है और क्या काम है बुटीक पर शिखा दीदी को,,,

अरे बेटा जबसे करण की शादी हुई है अलका और शिखा तरस गई है मस्ती के लिए,,,आज हम लोगो का प्लान है
बुटीक पर रहके मस्ती करने का,,,,तेरा दिल करे तो तू भी चलना हम लोगो के साथ,,,,

नही माँ मेरा दिल नही है आप लोग ही जाना ,मेरी तबीयत ठीक नही है,,,,

मैं जानती थी तू ऐसा ही बोलेगा इसलिए घर से नकली लंड लेके आई हूँ वो भी बड़े वाला,,,माँ ने इतनी बात
हँसते हुए बोली,,,,,

ऐसे ही मज़ाक करते हुए बातें करते हुए हम लोग करण के घर पहुँच गये,,,,करण के घर जाके कुछ ही
देर बाद माँ अलका आंटी और शिखा घर से शॉपिंग के लिए बोलकर वहाँ से चली गई जबकि मैं वहीं रुक गया
,,मेरा दिल तो नही था रुकने का लेकिन करण ने मुझे रोका तो मुझे रुकना पड़ा,,,,

और सूनाओ सन्नी भाई क्या हाल चाल है आपका,,कहाँ थे ,,,कल भी हम लोगो ने इंतेज़ार किया था आपका,आंटी
तो आई थी लेकिन तुम नही आए थे,,,,

मैं ठीक हूँ करण भाई,,,,कल किसी काम से बिज़ी था इसलिए नही आया,,,,तुम लोग सूनाओ क्या हाल है,,,शादी
करके खुश तो हो ना,,,,और तुम लोगो की शादी से शिखा दीदी और अलका आंटी भी खुश है ना,,,

हाँ सन्नी भहँ लोग बहुत खुश है,,,,ये बात करण ने बोली,

तभी मैने कविता की तरफ देखा,,,,तो वो भी बोली,,,हाँ सन्नी मैं भी बहुत खुश हूँ,,माँ और शिखा दीदी
भी बहुत खुश है और वो दोनो बहुत अच्छी है,,,,

चलो अच्छी बात है,,,,आंटी जी और शिखा दीदी भी खुश है तुम दोनो की शादी से,,अब मेरी दुआ है किसी क़ी
नज़र नही लगे तुम दोनो को,,,हमेशा ऐसे ही हंसते खेलते रहो तुम दोनो,,,,


अब किसकी नज़र लगनी है सन्नी भाई,,,,करण ने थोड़ी उत्सुकता से पूछा,,,

भाभी के पिता जी की,,,,लेकिन मुझे नही लगता अब वो कुछ कर सकते है लेकिन अमित और उसका बाप कोई पंगा
कर सकते है,,,,उन लोगो से थोड़ी परेशानी हो सकती है शायद,,,


सही कहाँ तुमने सन्नी,,,,मेरे डॅड कुछ न्ही कर सकते अब,,,,कल वो शगुन लेके आए थे यहाँ पर,,,
ये बात रितिका ने बोली थी बड़े प्यार से खुश होके,,,

क्या,,,,तुम्हारे डॅड आए थे कल यहाँ,,,और वो भी शगुन लेके,,,,

हाँ सन्नी भाई,,,,इसके पिता जी आए थे,,,लेकिन सुरेश नही था उनके साथ वो अकेले आए थे,,,माँ से शिखा
से मेरे से और रितिका से माफी भी माँग कर गये थे जो भी सुरेश ने किया उसके लिए,,,वो अब बहुत शर्मिंदा
थे,,कल हम लोगो के साथ लंच भी किया था उन्होने ,,,आंटी जी भी यहीं थी तब,,,,

ये तो बहुत अच्छी बात है,,चलो कुछ तो अच्छा हुआ इन दिनो मे तुम दोनो की शादी के बाद,,,,अब बस अमित और
उसके बाप का कुछ करना पड़ेगा वर्ना वो लोग पंगा कर सकते है,,,,

उन लोगो का जो करना है वो बाद मे करते है पहले नाश्ता तो करले सन्नी भाई,,,,,

नाश्ता अभी,,,अभी तो लंच टाइम हो गया है करण भाई,,,,

हम लोगो का तो नाश्ता टाइम है सन्नी भाई,,,,अभी तो सोके उठे है कुछ देर पहले हम लोग,,,,करण ने इतना
सब हंस कर बोला लेकिन रितिका मुझे देखकर शरमा गई,,,,और उठकर बाहर चली गई,,,

उसके जाते ही करण हँसने लगा,,,,साथ मे मैं भी,,,,

अच्छा लगा मुझे करण भाई तुम दोनो को इतना खुश देखकर,,,हमेशा ऐसे ही हंसते खेलते रहना तुम दोनो,,

ये सब तुम्हारी मेहरबानी है सन्नी भाई,,,,जो कुछ भी किया तुमने ही किया है,,,चलो अब बाहर चलते है
हम लोग नाश्ता करते है और तुम लंच कर लेना,,,,इतना बोलकर करण और मैं हंसते हुए रूम से बाहर आ गये
और बाहर आके देखा कि रितिका किचन मे चली गई थी,,,,

मैं और करण भी वहाँ चले गये,,,,,
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