RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
और ये आवाज़ जुलीना फिट्ज़वॉटर के अलावा और किसी की नहीं हो सकती थी. इमरान ने सॉफ पहचाना था. वो अंधेरे मे आँखें फाड़ता रहा. साए धीरे धीरे आगे बढ़ते चले जा रहे थे. इमरान बहुत सावधानी से ढलान मे खिसकने लगा. चूँकि उन लोगों का रुख़ स्मिथ की कोठी
की तरफ था.....इस लिए सावधानी ज़रूरी थी. कभी कभी वो मूड कर पिछे भी देख लेता था की कहीं ये भी किसी प्रकार का जाल ना हो
. वरना क्या ये ज़रूरी था कि वो इसी समय इतनी आसानी से मिल जाते......और उन के साथ जूलीया भी होती.
उस ने महसूस किया कि जूलीया को बोलते रहने पर मजबूर किया जा रहा था. इस बार उस ने उसे तेज़ आवाज़ मे कहते सुना "कमीनो....! मुझ से हट कर चलो.....वरना एकाध की मैं जान ले लूँगी."
इमरान जहाँ था वहीं रुक गया. क्योंकि अब साए भी रुक गये थे.
"चटाख...." ये शायद थप्पड़ की आवाज़ सन्नाटे मे गूँजी थी. साथ ही किसी मर्द ने किसी को गंदी सी गाली दी.......और फिर जूलीया
चीखने लगी. बिल्कुल इस तरह जैसे उसी ने उन पर हमला कर दिया हो.
इमरान ने इसी से अनुमान लगाया कि उन लोगों मे चौहान और सफदार नहीं है.......वरना खामोश ना रह सकते थे.तो फिर ये जाल निश्चित रूप से उसे फाँसने के लिए ही बिच्छाया गया है.
अचानक उस ने अपने कंठ से पोलीस की विज़ल(साइरन) की आवाज़ निकाली. और दूसरे ही पल साए एक दूसरे पर गिरते पड़ते
भाग निकले. केवल एक साया वहीं पर आगे पिछे झूल रहा था. फिर वो ज़मीन पर गिर गया.
इमरान अब तक सीने के बल रेंग रहा था. उस से ऐसी मूर्खता नहीं हो सकती थी कि वो उठ खड़ा होता. अगर वो किसी तरह का जाल ही था तो कुच्छ आदमी उस की घात मे ज़रूर होंगे......जो बे-खबरी मे उस पर हमला कर सकें. और ज़रूरी नहीं कि पोलीस पोलीस की विज़ल की आवाज़ पर वो भी उसी तरह बौखला गये हों जैसे दूसरे लोग भाग गये थे.
वो जूलीया के पास पहुँच कर रुक गया. यहाँ भी उस ने ज़मीन नहीं छोड़ी. जूलीया को वहाँ से उठा कर ले जाना एक समस्या था. वो थोड़ी देर कुच्छ सोचता रहा. फिर बाएँ तरफ मूड कर एक तरफ रेंग गया. वास्तव मे अब वो जूलीया के आस पास ही कहीं छुप कर वेट करना चाह रहा था.
***
जुलीना फिट्ज़वॉटर होश मे आई तो उस ने महसूस किया कि जैसे कोई उसे कंधे पर उठाए हुए चल रहा हो. अर्थात उस का मस्तिष्क
अभी सॉफ नहीं हुआ था. लेकिन फिर भी उस ने आज़ाद होने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया.
जूलीया के हाथ पैर ढीले पड़ गये और एक बार फिर उस का सर चकरा गया. पोलीस......!! तो अब ये दूसरी मुसीबत.....! जिस मे शायद वो अब हमेशा फँसी रहे. ज़ाहिर बात थी कि वो अपनी असलियत कभी प्रकट नहीं कर सकती थी. इसी उलझन मे उस पर फिर बेहोशी च्छा गयी.
और जब दूसरी बार उसे होश आया तो तुरंत बेहोशी के प्रभाव से दूर हो गयी क्योंकि उसे अपने आस पास पोलीस के बजाए नक़ाब-पोश दिखाई दिए थे. साआँने ही बाली खड़ा उसे घूर रहा था.....जैसे कच्चा ही चबा जाएगा. उस के चेहरे पर नक़ाब नहीं थी.
"तुम अपनी ज़िद नहीं छोड़ोगी?" बाली ने कहा.
"मैं किसी तरह की भी बकवास सुन'ना नहीं चाहती."
"तुम्हें अंदाज़ा नहीं कि तुम्हारे साथियों का क्या हशर होने वाला है."
"वही हशर मेरा भी होगा." जूलीया ने लापरवाही से कहा,
"नादानी की बातें मत करो." बाली ने नरम स्वर मे कहा. "तुम लोग ना तो इस आइलॅंड से निकल सकते हो और ना यहाँ रह सकते हो. हां जैल ज़रूर जा सकते हो."
"मुझे जो कुच्छ कहना था कह चुकी."
"देखो लड़की मुझे गुस्सा मत दिलाओ."
"इस से पहले भी तुम्हें गुस्सा आ चुका था." जूलीया ने लापरवाही से कंधे उच्काये और चारों तरफ देखने लगी. ये शायद कोई अंडर ग्राउंड रूम था. दीवारों की बनावट यही बता रही थी.
एक तरफ एक बड़ी मेज़ पर दो आदमी अचेत पड़े हुए थे. उन मे से एक को तो उस ने पहली नज़र मे पहचान लिया था......क्यों कि उस की तस्वीर वो पादरी की कोठी मे देख चुकी थी. ये पादरी स्मिथ ही हो सकता था. लेकिन दूसरे आदमी को वो पहचान ना सकी......क्यों की वो पहले कभी निगाहों से नहीं गुज़रा था.
वो दोनों या तो सो रहे थे या बेहोश थे.
तभी बाली ने फिर उसे संबोधित किया "क्या तुम ये समझती हो कि वो अर्ध-पागल तुम लोगों के लिए कुच्छ कर सकेगा."
"मैं कुच्छ नहीं समझती."
"फिर ये ज़िद क्यों? इधर देखो......तुम पहली लड़की हो जिस ने मुझे इस तरह प्रभावित किया है वरना आज तक कोई लड़की मेरी ज़िंदगी मे दखल नहीं दे सकी."
जूलीया ने अपने दोनों कानों मे उंगली डाल ली और बाली ने बुरा सा मूह बना कर कहा.
"अच्छी बात है अब देखोगी."
उस की ये बात सुन कर जूलीया ने अपने चेहरे से परेशानी प्रकट नहीं होने दी.
बाली थोड़ी देर कुच्छ सोचता रहा फिर उस के होंठो पर हल्की सी मुस्कुराहट दिखाई दी.
"क्या तुम इन्हें जानती हो?" उस ने बेहोश आदमियों की तरफ इशारा करते हुए पुछा.
जूलीया ने कानों से उंगलियाँ निकाल लीं और बोली...."मैं क्या जानूँ."
"हलाकी तुम जानती हो." बाली मुस्कुराया.
"अगर जानती भी हूँ तो मुझे इस से क्या इंटेरेस्ट हो सकती है?"
"तुम्हारी दिलेरी मुझे पसंद है. तुम ख़तरों मे घिर कर भी अपने को संयमित रखती हो......और मैं भी ऐसा ही हूँ. अच्छा तो सुनो. आज
इस पादरी का खेल ख़तम हो रहा है. आज जंगल की रूहे अंतिम बार चीखेंगी."
"मैं नहीं समझी."
"तुम इस आदमी को ज़रूर पहचानती होगी." उस ने पादरी स्मिथ की तरफ इशारा किया.
"शायद.....मैं ने इस की तस्वीर कोठी मे देखी थी."
"यस......ये पादरी स्मिथ है. आज मैं इसे पोलीस के हवाले कर रहा हूँ. और ये दूसरा आदमी उस का सेक्रेटरी है." बाली बाईं आँख दबा कर बोला. "पोलीस इस की तलाश मे थी. इस लिए मेरा फ़र्ज़ है कि इसे क़ानून के हवाले कर दूं. बस जहाँ ये जैल मे पहुँचा......जंगलों मे
चीखने वाली रूहे हमेशा हमेशा के लिए खामोश हो जाएँगी. लेकिन आज तो उन्हें चीखना ही पड़ेगा. केयी दिनों से खामोश रही हैं. पहले
तो वो किसी अजगर की तरह फुफ्कार्ति थीं......मगर आज अनगिनत रूहे चीखेंगी. समझ रही हो ना मतलब?"
"बिल्कुल नहीं......पता नहीं तुम क्या कह रहे हो. क्या ये सच है कि वो बुरी रूहे पादरी स्मिथ के क़ब्ज़े मे थीं?"
"बुरी रूहे....?" बाली ने ठहाका लगाया. "क्या तुम जैसी चालाक और जीनियस लड़की भी इतनी सीरियस्ली बुरी रूहों की बात कर सकती हैं?"
"मगर इसे पोलीस के हवाले क्यों कर रहे हो?" जूलीया ने पादरी स्मिथ की तरफ इशारा कर के कहा.
(जारी)
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