RE: Hindi Porn Story दोस्त का परिवार
जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाइट चली गयी मैने सोचा कि भगवान भी मेरा साथ दे रहा हैं. मैने अपना लंड शॉर्ट से निकाल कर लंड के सूपदे की टोपी नीचे सरका कर सूपदे पर ढेर सारा थूक लगा कर सूपदे को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा. गाड़ी के धक्के के कारण आधा सूपड़ा उनकी चूत मैं चला गया लेकिन मा की तरफ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद मैं थी या वो जनभूज़ कर कोई हरकत नही कर रही थी मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. एक बार तो मेरा दिल हुवा कि एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लंड चूत में डाल दूं लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिमत नहीं हुई. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोडा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लंड ने ढेर सारा फुवरा उनकी चूत और झांतो के उपर फेक दिया. अब मैं अपना लंड शॉर्ट मैं डाल कर सो गया. करीब सवेरे 7 बजे मा ने उठाया और कहा कि चाइ पीलो और तैयार हो जाओ क्यूंकी 1 घंटे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ्रेश हो कर तैयार होगया. स्टेशन आने तक मा बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम सुखबिंदर के घर पहुँचे. वहाँ पर सुखबिंदर की भुवा ने हमारा स्वागत किया और कहा नो धो कर नाश्ता कर्लो. हम नहा धो कर आँगन मैं बैठ कर नास्टा करने लगे. करीब 11:00 बजे भुवा ने मा से कहा “भाभी जी आप लोग थक गये होंगे, आप आराम कीजिए मैं खेत मैं जा रही हूँ और मैं शाम को लोटूगी. मा ने कहा ठीक हैं और मुझसे बोली अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर्लो नहीं तो भुवा के साथ जा कर खेत देख लेना. मैने कहा कि मैं आराम नहीं करूँगा क्यूकी मेरी नीद पूरी होगयी हैं, मैं भुवा के साथ खेत चला जाता हूँ वहाँ पर मेरा टाइम पास भी हो जाएगा.
मैं और भुवा खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगो ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था खेत की एक कोने मे एक छ्होटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी नही आता. खेत पहुँच कर भुवा काम मैं लग गयी और कहा कि तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लूँगी भी हैं चाहे तो लूँगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद करदो.
मैने मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लूंघी बनियान पहनकर भुवा जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी कभी मेरा हाथ भुवा के चूतर पर टच होता था. कुच्छ देर बाद बुवा से मैने पुछा, भुवा यहाँ कहीं पेसाब करने की जगह हैं ? भुवा बोली कि मकान के पिछे झाड़ियो में जाकर कर्लो. मैं जब पिसाब कर के वापस आया तो देखा भुवा अब भी काम कर रही थी. थोड़ी देर बाद भुवा बोली “आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फिर काम में लग जाते हैं” अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और भुवा दोनो ने पहले हाथ पैर धोए फिर खाना खाने बैठ गये. भुवा मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थी. खाना खाते समय मैने देखा कि मेरे लूँगी ज़रा साइड में हट गयी थी जिस कारण मेरे अंडरवेर से आधा निकला हुवा लंड दिखाई दे रहा था.
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