RE: Hindi Porn Story मेरा रंगीला जेठ और भाई
भैया ने करीब दस मिनट तक चोदकर मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने लगे ! उनको ज्यादा नशा हो रहा था और वो चोदते चोदते मुझे गाली भी देने लगे थे , बहनचोद ....तेरी बहन की चूत में मेरा लण्ड , आज मैं तेरी माँ चोद दूंगा ! मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , रमेश भी अब थोड़ा उत्तेजित होने लगे थे ! मैंने इशारे में रमेश को अपना लण्ड मेरे मुंह के पास लाने को कहा ! रमेश के पास आते ही मैंने उसका लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी , लण्ड खड़ा होने लगा ! उधर जेठ जी पूरे जोश में थे और अपनी पूरी ताक़त से मुझे चोदे जा रहे थे ! रमेश का लण्ड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था , और जेठ जी पानी छोड़ने की तयारी में थे ! अचानक जेठ जी का गरम गरम लव मैंने अपनी चूत में महसूस किया ! लगभग सात आठ बार अपना लण्ड निचोड़ कर जेठ जी लुढक गए ! मैंने रमेश को अपने ऊपर बुला लिया ! एक घंटे के अंदर रमेश दूसरी बार मुझे चोद रहे थे , अब लण्ड भी मोटा और सख्त लग रहा था ! चूत के अंदर रमेश का लण्ड मैं अच्छे से महसूस कर रही थी ! अपने बड़े भाई के वीर्य के बीच ही रमेश का लण्ड मेरी चूत में फिसल फिसल के जा रहा था ! इस बार रमेश काफी लम्बी चुदाई कर रहे थे , शायद पहली बार ! रमेश का लण्ड झरने का नाम नहीं ले रहा था , जेठ जी देख देख कर खुश हो रहे थे , बीच बीच में बोल पड़ते थे , फाड़ दे बहनचोद की चूत ...आज बता दे साली को की हम भाइयों की लण्ड में कितना दम है ! रमेश जोश को बर्दाश्त नहीं कर पाये और मेरी चूत में पिचकारी छोड़ दी ! बीच में मैं और दोनों भाई मेरे दोनों तरफ मेरी एक एक चूची को सहलाते हुए सो गए , और मैं भी बिना कुछ पोछे , दोनों भाइयों का पानी अपने चूत में समेटे सो गई !
सुबह जल्दी उठकर घर का काम निबटाया और घर को ठीक से साफ़ सुथरा कर लिया ताकि राहुल भैया को जरा भी शक न हो ! राहुल की शादी मेरी शादी के थोड़े दिनों बाद ही हो गई थी !शादी के बाद राहुल पहली बार मुझसे मिलने आ रहे थे ! राहुल के आते ही मैं उनसे लिपट गई , मेरी आँखों में आंसू आ गए थे !दुबला पतला राहुल अब हट्ठे कट्ठे नज़र आ रहे थे !काफी बॉडी बना ली थी राहुल ने ! मेरे पीछे मेरे जेठ जी भी आ गए थे और राहुल का स्वागत किया ! मैं दरवाज़ा बंद कर वापस मुड़ी, राहुल और जेठ जी आगे आगे चल रहे थे , एक मिनट के लिए मैं चौंक गयी ,क्यूंकि दोनों की डील डॉल , सेहत एक जैसी लग रही थी , अगर कपड़ों का फर्क नहीं होता तो बताना मुश्किल था की राहुल कौन है और जेठ जी कौन ? रमेश दफ्तर चले गए थे , हमने खाना खाने के बाद गप्प मरने में इतना मशगूल हो गए की शाम होने का पता ही न चला ! आज जेठ जी को गावँ वापस जाना था , पर राहुल भैया ने जिद कर के उनको आज के लिए रोक लिया ! दोनों बहुत घुल मिल गए थे और एकसाथ ताश भी खेल रहे थे ! रात को डिनर के बाद मैं और रमेश अपने बैडरूम में आ गए थे ! भैया और रमेश का बेड भी अगल बगल के दो कमरों में लगा दिया गया था ! जब मैंने दोनों को गुड नाईट बोलने आई तो उनके बीच जबर्दश्त ताश की बाज़ी लगी थी ! जेठ जी और मैंने ये निर्णय कर लिया था कि जब तक राहुल यहाँ है , हम दिन रात दूरी बना कर चलेंगे , और किसी भी तरह कि छेड़ छाड़ और इशराबाज़ी नहीं करेंगे !
अपने बेड रूम में आकर मैंने अपना गाउन उतारा और रमेश के पास आ गयी , रमेश मुझे बाँहों में लेकर चूमने लगे ! रमेश के हाथ मेरी चूचियों को हौले हौले दबा रहे थे ! रमेश और जेठ जी में ये फर्क था कि जहाँ रमेश हौले हौले चूचियाँ दबाते थे , जेठ जी चूचियों को बेदर्दी से मसल देते थे , और घुंडियों को भी मसल मसल कर लाल कर देते थे ! ब्रा उतारकर रमेश ने मेरी एक चूची चूसना शुरू कर दिया ,अपने हाथों से वो मेरी गांड भी सहला रहे थे ! मैंने भी रमेश की अंडरवियर उतार कर लण्ड को हाथ में ले लिया था , और मसलने लगी थी ! रमेश पूरे तनाव में आ गए थे ! रमेश ने कहा , डार्लिंग जल्दी से एक राउंड कर लो , फिर सो जायेंगे जल्दी , भैया की सुबह की ट्रैन है , जल्दी उठना पड़ेगा ! मैंने भी हाँ में सर हिलाया और रमेश को लिटा कर उसपर सवार हो गई ! मैं ज्यादा उत्तेजित अभी थी नहीं ,इसलिए रमेश का लौड़ा भी मुझे सख्त लग रहा था ! हलके हलके सरका कर पूरा लण्ड मैंने अपने चूत में लिया और धक्के मारने लगी !मुझे अभी एक जबर्दश्त चुदाई की जरुरत थी , पर मेरा मनपसंद लण्ड जो मेरी प्यास बुझा सकता था , राहुल भैया के साथ ताश में लगा था ! थोड़ी देर के लिए मैं राहुल को कोसने लगी की क्यों वो इन्ही दिनों में दिल्ली आया ! रमेश पूरा मस्त गए थे और मुझे पकड़ कर जोर जोर से चोदने की कोशिश कर रहे थे, साथ ही मेरी चूचियों से भी खेल रहे थे ! रमेश के साथ अब चुदाई लम्बी होती जा रही थी और मैं मस्त हो रही थी ! मेरी चूत से पानी की फुहारें भी निकली थी एक बार , बहुत अच्छा लगा था की अब रमेश भी मेरा पानी निकाल सकते हैं ! हमारा खेल अब स्पीड पकड़ चूका था , मै अब जोर जोर से धक्के लगाने लगी थी, रमेश भी आह... उह... कर रहे थे , रमेश को मस्ती में देख मैं पूरी मस्ती में आ गई थी , अब मैं जम कर चुदाई की उम्मीद में कस के छह सात शॉट लगाये की रमेश का नलका पानी छोड़ गया ! अभी मैं संभलती की लाइट चली गई , मैं प्यासी रमेश से लिपट गई ! रमेश का लण्ड सिकुड़ के चूत से बाहर आ गया था , और वो अलग हट कर निढाल लेट गए थे ! मैं भी बिज़ली के इंतज़ार में छत घूर रही थी , बदन में आग लगी थी लेकिन आग बुझाने का कोई इंतज़ाम नहीं था ! अगर राहुल नहीं होते तो मैं दौड़ कर जेठ जी के लण्ड से अपनी प्यास बुझा लेती लेकिन लोकलाज ने मुझे बाँध रखा था !
करीब एक घंटा बीतने के बाद भी लाइट नहीं आई थी ! मैं चूत में ऊँगली कर कर के थक गई थी , पर तन की ज्वाला और भड़क गई थी ! मैं अजीब उलझन में थी , रमेश खर्राटे ले रहे थे और मैं आँखें फाड़ के जगी हुई थी ! जेठ जी की बहुत जरुरत महसूस हो रही थी , अब तक तो वो सो भी गए होंगे , कल सुबह उन्हें निकलना था ! मैं खुद को रोक न सकी ,और नाईट गाउन डाल कर आहिस्ते से जेठ जी के कमरे में आ गई ! बिलकुल घना अँधेरा था , जेठ जी शायद सो गए थे ! मैं आहिस्ते से उनके पलंग पर उनके कंधे के पास बैठ गई ,और झुक कर उनके होंठों को अपने होंठों से बंद कर लिया ! जेठ जी हरबड़ा गए थे , उठने की कोशिश करने लगे , पर मैंने दवाब देकर उन्हें लिटा लिया ! उनके मुंह से अपने होंठ हटा कर अपना हाथ रख दिया और उनके कान में बोली ," भैया , जरा भी शोर मत करना , चुपके से मेरी प्यास बुझा दो ! जरा आहिस्ता , कहीं दूसरे कमरे में भैया न सुन लें !" अब मैं भैया का लण्ड पजामे के ऊपर से सहलाने लगी , लण्ड तुरंत अकड़ कर खड़ा हो गया !पजामे को सरका कर मैं नीचे किया और लण्ड पर बैठ गई , मस्ताई हुई चूत सटाक से लण्ड को लील गई , और मैं धक्के लगाने लगी ! भैया का एक हाथ मैंने चूची पर रख दिया और दूसरे में अपनी उँगलियाँ फंसा कर जोर लगा कर भैया को चोदने लगी ! भइया की नींद शायद अभी टूटी नहीं थी , चूची भी बस रमेश की तरह सहला रहे थे और नीचे से धक्का भी नहीं लगा रहे थे ! मैंने अपनी चुदाई जारी राखी और सटा सट लण्ड चूत में सरकने लगी ! आज भैया का लण्ड बहुत कड़क लग रहा था, मेरी चुदाई ने उन्हें पागल बना रखा था , पर दूसरे कमरे में राहुल के होने के डर से वो खुल के चोद नहीं पा रहे थे ! मैं अब पूरे मस्ती में थी , भैया को कलेजे से चिपका कर धक्के लगाते हुए उनके कान में फुसफुसाने लगी , भैया ..फाड़ दो मेरी चूत ...क्या मस्त लण्ड है भैया आपका .... और चोदो भैया ...अपने वीर्य से मेरी चूत भर दो भैया .... आह भैया ...बस भैया..., मैं झरी भैया ....! भैया का फौवारा छूट गया और मैं रस से सरोबार हो गई ! हम दोनों पसीने से लथपथ थे और चूत में भैया के लण्ड के पानी का सैलाब था ! मैंने जल्दी जल्दी अपनी नाईट ड्रेस से चूत और लण्ड को पोछा और भैया को गुड नाईट किस करके कमरे में लौट गई !
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