RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
यार बना प्रीतम - भाग (3)
गतान्क से आगे........
यार, तू चूस ले पहले, इतना गाढा वीर्य पिलाऊँगा कि रबडी भी उस'के साम'ने फीकी पड़ जाएगी. और असल में अभी इससे अगर तुझे चोदून्गा तो ज़रूर तेरी फट जाएगी. तू नहीं झेल पाएगा. अपनी जान की नाज़ुक गान्ड मैं फाड़ना नहीं चाहता. आख़िर रोज मारनी है! एक बार झड'ने के बाद जब थोड़ा ज़ोर कम हो जाए इस मुस्टंडे का, तो फिर मारूँगा तेरी प्यार से. और वह अपना सुपाड मेरे गालों और मुँह पर बड़े लाड से रगड़'ने लगा.
मैने प्रीतम के लंड को हाथ में लिया. वह ऐसा थिरक रहा था जैसे की कोई जिंदा जानवर हो. उस'की नसें सूज कर रस्सी जैसी फूल गयी थी. शुपाडे की बुरी तरह तनी हुई लाल चमडी बिलकुल रेशम जैसी मुलायम थी. शुपाडे के बीच के छेद से बड़ी भीनी खुशबू आ रही थी और छेद पर एक मोटी जैसी बूँद भी चमक रही थी. पास से उस'की घनी झाँटें भी बहुत मादक लग रही थी, एक एक घूंघराला बाल साफ दिख रहा था.
मैं अब और ना रुक सका और जीभ निकाल कर उस मस्त चीज़ को चाट'ने लगा. पहले तो मैने उस अमृत सी बूँद को जीभ की नोक से उठ लिया और फिर पूरे लंड को अपनी जीभ से ऐसे चाट'ने लगा जैसे की आइसक्रीम की कैंडी हो. प्रीतम ने एक सुख की आह भारी और मेरे सिर को पकड़'कर अप'ने पेट पर दबाना शुरू किया.
मज़ा आ गया यार, बड मस्त चाट'ता है तू, अब मुँह में ले ले मेरे राजा, चूस ले. मैं भी उस रसीले लंड की मलाई का स्वाद लेने को उत्सुक था इस'लिए मैने अप'ने होंठ खोले और सुपाड़ा मुँह में लेने की कोशिश की. वह इतना बड़ा था कि दो तीन बार कोशिश कर'ने पर भी मुँह में नहीं समा रहा था और मेरे दाँत बार बार उस'की नाज़ुक चमडी में लग'ने से प्रीतम सिसक उठ'ता था. आख़िर प्रीतम ने बाँये हाथ में अपना लौड पकड़ा और दाहिने से मेरे गालों को दबाते हुए बोला.
लग'ता है मेरे यार ने कभी लंड नहीं चूसा, चल तुझे सिखाऊँ, पहले तू अप'ने होंठों से अप'ने दाँत ढक ले. शाब्बा ... स. अब मुँह खोल. इतना सा नहीं राजा! और खोल! समझ डेन्टिस्ट के यहाँ बैठा है. उसका हाथ मेरे गालों को कस कर पिचका कर मेरा मुँह खोल'ने लगा और साथ ही मैने भी पूरी शक्ति से अपना मुँह चौड़ा दिया. ठीक मौके पर प्रीतम ने सुपाड़ा थोड़ा दबाया और मेरे मुँह में सरका दिया. पूरा सुपाड़ा ऐसे मेरे मुँह में भर गया जैसे बड़ा लड्डू हो. उस मुलायम चिक'ने लड्डू को मैं चूस'ने लगा.
प्रीतम ने अब लंड पर से हाथ हटा लिया और मेरे बालों में उंगलियाँ प्यार से चलाता हुआ मुझे प्रोत्साहित कर'ने लगा. मैने उस'के लंड का डंडा हाथ में लिया और दबा'ने लगा. ढाई इंच मोटे उस सख़्त नसों से भरे हुए डंडे को हाथ में लेकर ऐसा लग'ता था जैसे किसी मोटी ककडी को पकड़ा हुआ हूँ. अपनी जीभ मैने उस'के सुपाडे की सतह पर घुमाई तो प्रीतम हुमक उठा और दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़'कर अपनी ओर खींच'ता हुआ बोला.
पूरा ले ले मुँह में सुकुमार राजा, निगल ले, पूरा लेकर चूस'ने में और मज़ा आएगा. मैने अपना गला ढीला छोडा और लंड और अंदर लेने की कोशिश की. बस तीन चार इंच ही ले पाया. मेरा मुँह पूरा भर गया था और सुपाड भी गले में पहुँच कर अटक गया था. प्रीतम ने अब अधीर होकर मेरा सिर पकड और अप'ने पेट पर भींच लिया. वह अपना पूरा लंड मेरे मुँह में घुसेड'ने की कोशिश कर रहा था.
पर गले में सुपाड फँस'ने से मैं गोंगिया'ने लगा. लंड मुँह में लेकर चूस'ने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था पर अब ऐसा लग रहा था जैसे मेरा दम घुट जाएगा. मुझे छटपाटाता देख प्रीतम ने अपनी पकड़ ढीली कर दी.
लग'ता है पहली बार है मेरे यार का, लंड नहीं चूसा कभी. चल कोई बात नहीं, पहली बार है, अगली बार पूरा ले लेना. अब चल, पलंग पर चल. वहाँ आराम से लेट कर तुझे अपना लंड चुसवाता हूँ कह'ता हुआ प्रीतम पलंग पर बैठ गया. पीच्चे सरक'कर वह सिराहा'ने से सॅट कर आराम से लेट गया और मुझे अपनी जाँघ पर सिर रख कर लिटा लिया. उसका लंड अभी भी मैने मुँह में लिया हुआ था और चूस रहा था.
देख अब मैं तेरे मुँह में साडाका लगाता हूँ, तू चूस'ता रहा, जल्दी नहीं करना मेरे राजा, आराम से चूस, तू भी मज़ा ले, मैं भी लेता हूँ. कह'कर उस'ने मेरे मुँह के बाहर निकले लंड को अपनी मूठी में पकड और मेरे सिर को दूसरे हाथ से तान कर सहारा दिया. फिर वह अपने हाथ आगे पीछे कर'ता हुआ सटासट साडाका लगा'ने लगा.
जैसे उसका हाथ आगे पीछे होता, सुपाड़ा मेरे मुँह में और फूल'ता और सिकुडता. मैं प्रीतम की जाँघ पर सिर रखे उस'की आँखों में आँखें डाल'कर मन लगा'कर उसका लॉडा चूस'ने लगा. प्रीतम बीच बीच में झुक'कर मेरा गाल चूम लेता. उस'की आँखों में अजब कामुक'ता और प्यार की खुमारी थी. पंद्रह बीस मिनिट तक वह सडक लगाता रहा. जब भी वह झड'ने को होता तो हाथ रोक लेता. बड़ा जबरदस्त कंट्रोल था अपनी वासना पर, मंजा हुआ खिलाड़ी था.
वह तो शायद रात भर चुसवाता पर अब मैं ही बहुत अधीर हो गया था. मेरा लंड भी फिर से खड़ा होने लगा था. प्रीतम का वीर्य पीने को मैं आतुर था. आख़िर जब फिर से वह झड'ने के करीब आया तो मैने बड़ी याचना भरी नज़रों से उस'की ओर देखा. उस'ने मेरी बात मान ली.
ठीक है, चल अब झाड़'ता हूँ, तैयार रहना मेरे दोस्त, एक बूँद भी नहीं छोडना, मस्त माल है, तू खुशकिस्मत है, सब को नहीं पिलाता मैं अप'ने लौडे की मलाई. कह कर वह ज़ोर ज़ोर से हस्तमैथुन कर'ने लगा. अब उस'के दूसरे हाथ का दबाव भी मेरे सिर पर बढ गया था और लंड मेरे मुँह में और गहराई तक ठूंस'ता हुआ वह सपासाप मूठ मार रहा था.
अचानक उस'के मुँह से एक सिस'की निकली और उसका शरीर ऐंठ सा गया. सुपाड़ा अचानक मेरे मुँह में एकदम फूला जैसे गुब्बारा फूल'कर फट'ने वाला हो. फिर गरम गरम घी जैसी बूँदें मेरे मुँह में बरस'ने लगीं. शुरू में तो ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने मलाई का नाल खोल दिया हो इस'लिए मैं उन्हें मुँह से ना निकल'ने देने के चक्कर में सीधा निगल'ता गया, जबकि मेरी इच्च्छा यह हो रही थी कि उन्हें जीभ पर लूं और चाखूँ.
जब लंड का उछलना कुच्छ कम हुआ तब जा'कर मैने अपनी जीभ उस'के छेद पर लगाई और बूँदों को इकठ्ठा कर'ने लगा. चम्मच भर माल जमा होने पर मैने उसे चखा. मानो अमृत था. गाढ़ा गाढा पिघले मक्खन सा, खारा और कुच्छ कसैला. मैने उस चिपचिपे द्रव्य को अपनी जीभ पर खूब घुमाया और जब वह पानी हो गया तो निगल लिया. तब तक प्रीतम का लंड एक और चम्मच माल मेरी जीभ पर उगल चुका था.
पाँच मिनिट लगे मुझे मेरे यार के इस अमूल्य उपहार को निगल'ने में. प्रीतम का लंड अब ठंडा होकर सिकुड'ने लगा था पर मैं उसे तब तक मुँह में लेकर प्यार से चूस'ता रहा जब तक वह बिलकुल नहीं मुरझा गया. आख़िर जब मैने उसे मुँह से निकाला तो प्रीतम ने मुझे खींच कर अप'ने साथ बिठ लिया और मेरा चुंबन लेते हुए बोला.
मेरे राजा, मेरी जान, तू तो लंड चूस'ने में एकदम हीरा है, मालूम है, साले नये नौसिखिए छोकरे शुरू में बहुत सा वीर्य मुँह से निकल जा'ने देते हैं पर तूने तो एक बूँद नहीं बेकार की. बस पूरा लंड मुँह में लेना तुझे सिखाना पड़ेगा, फिर तू किसी रंडी से कम नहीं होगा लंड चूस'ने में मैं उस'की इस शाबासी पर कुच्छ शरमा गया और उसे चूम'ने लगा.
अब हम आपस में लिपट'कर अप'ने हाथों से एक दूसरे के शरीर को सहला रहे थे. चुंबन जारी थे. एक दूसरे के लंड चूस'ने की प्यास बुझ'ने के बाद हम दोनों ही अब चूम चाटी के मूड में थे. पहले तो हम'ने एक दूसरे के होंठों का गहरा चुंबन लिया. प्रीतम की मून्छ मेरे ऊपरी होंठ पर गड़'कर बड़ी मीठी गुदगुदी कर रही थी.
फिर हम'ने अपना मुँह खोला और खुले मुँह वाले चुंबन लेने लगे. अब मज़ा और बढ गया. प्रीतम ने अपनी जीभ मेरे होंठों पर चलाई और फिर मेरे मुँह में डाल दी और मेरी जीभ से लड़ा'ने लगा. मैने भी जीभ निकाली और कुच्छ देर हम हँसते हुए सिर्फ़ जीभ लडाते रहे. फिर एक दूसरे की जीभ मुँह में लेकर चूस'ने का सिलसिला शुरू हुआ.
प्रीतम के मुँह के रस का स्वाद पहली बार मुझे ठीक से मिला और मुझे इतना अच्च्छा लगा कि मैं उस'की जीभ गोली जैसे चूस'ने लगा. उसे भी मेरा मुँह बहुत मीठा लगा होगा क्योंकि वह भी मेरी जीभ बार बार अप'ने होंठों में दबा कर चूस लेता. प्रीतम ने सहसा प्यार से मुझे डाँट कर कहा
साले मादरचोद, मुँह खोल और खुला रख, जब तक मैं बंद कर'ने को ना कहूँ, खुला रखना और फिर मेरे खुले मुँह में उस'ने अपनी लंबी जीभ डाली और मेरे दाँत, मसूडे, जीभ, तालू और आख़िर में मेरा गला अंदर से चाट'ने लगा. उसे मैने मन भर कर अप'ने मुँह का स्वाद लेने दिया. फिर उस'ने भी मुझे वही कर'ने दिया. अब हम दोनों के लंड फिर तन कर खड़े हो गये थे. एक दूसरे के लंडों को मूठी में पकड़'कर हम मुठिया रहे थे. बड़ा मज़ा आ रहा था.
अब क्या करें यार? मैने पूच्छा. हंस कर मेरा चुम्मा लेते हुए प्रीतम बोला.
अब तो असली काम शुरू होगा मेरी जान, गान्ड मार'ने का.
आज ही? मैने थोड़ा डर कर पूच्छा. मुझे उस'के मतवाले लंड को देख'कर मरवा'ने की इच्च्छा तो हो रही थी पर गान्ड में दर्द का भय भी था.
हां राजा, आज ही, इसीलिए तो दोपहर में सोए थे, आज रात भर जाग कर मस्ती करेंगे, कल तो छुट्टी है, देर तक सोएंगे. पहली बार गान्ड मरा रहा है तू, कल आराम मिल जाएगा! प्रीतम की प्यार भरी ज़ोर ज़बरदस्ती पर मैने भी जब यह सोचा कि अपनी गान्ड मरवा'ने के साथ साथ मैं भी प्रीतम की मोटी ताजी गान्ड मार सकूँगा तो मेरा डर कम हुआ और साथ साथ एक अजीब खुमार लंड में चढ गया.
पहले तू मरवाएगा या मैं मरवाऊ? प्रीतम ने अपना लॉडा मुठियाते हुए पूच्छा. मेरी झिझक देख'कर फिर खुद ही बोला.
चल तू ही मार ले. तेरे मस्त लंड से चुदवा'ने को मरी जा रही है मेरी गान्ड, साली बहुत कुलबुला रही है तेरा लॉडा देख'कर, बिलकुल चूत जैसी पुकपुका रही है वह ओन्धे मुँह बिस्तर पर लेट गया और अप'ने चूतड हिला कर मुझे रिझाता हुआ बोला.
देख अब मेरे चूतड तेरे हैं, जो करना है कर, तेरी गान्ड तो बहुत प्यारी है यार, बिलकुल लौन्दियो जैसी, मेरे चूतड ज़रा बड़े हैं, भारी भरकम. देख अच्छे लगते हैं तुझे या नहीं. मैं उस'के पास जा'कर बैठ गया और उस'के चूतड सहला'ने लगा. पहली बार किसी की गान्ड इतनी पास से सॉफ देख रहा था, और वह भी किसी औरत की नहीं बल्कि एक हट्टे कट्टे नौजवान की. प्रीतम के चूतड बहुत भारी भरकम थे पर पिलपिले नहीं थे. घठे हुए मास पेशियों से भरे, चिक'ने और गोरे उन नितंबों को देख मेरे लंड ने ही अपनी राय पहले जाहिर की और कस कर और तंन कर खड़ा हो गया. दोनों चूतदों के बीच गहरी लकीर थी और गान्ड का छेद भूरे रंग के एक बंद मुँह सा लग रहा था.
उस'में उंगली कर'ने का मेरा मन हुआ और मैने उंगली अप'ने मुँह से गीली कर के धीरे से उस'में डाली. मुझे लगा कि मुश्किल से जाएगी पर उस'की गान्ड में बड़ी आसानी से वह उतर गयी. उसका गुदाद्वार अंदर से बड कोमल था. मेरे उंगली करते ही प्रीतम ने हुमक कर कहा.
हाय यार मज़ा आ गया, और उंगली कर ना, इधर उधर चला. ऐसा कर जा'कर मक्खन ले आ, फ़्रिज़ में रखा है. मक्खन लगा कर उंगली कर, मस्त फिसलेगी मैं जा'कर मक्खन ले आया. ठोड उंगली पर लिया और उस'के गुदा में चुपड दिया.
दो उंगली डाल मेरे राजा, प्लीज़. ! मैने उंगली अंदर घुमामी और फिर धीरे से दूसरी भी डाल दी. फिर उन्हें अंदर बाहर कर'ने लगा. मेरी उंगलियाँ आराम से मक्खन से चिक'ने उस मुलायम छेद में घुस रही थी जैसे गान्ड नहीं, किसी युव'ती की चूत हो.
मैने झुक'कर उस'के नितंबों को चूम लिया. फिर चूम'ता हुआ और जीभ से चाट'ता हुआ उस'के छेद की ओर बढ़ा. मुँह छेद के पास ला'कर मैने उंगलियाँ निकाल ली और उन्हें सूँघा. नहाते हुए अपनी ही गान्ड में उंगली कर के मैने बहुत बार सूँघा था, आज प्रीतम की गान्ड की वह मादक गंध मुझे बड़ी मतवाली लगी. मैने उंगलियाँ मुँह में ले लीं और चूस'ने लगा. मक्खन में मिली गान्ड की सौंधी सौंधी खुशबू थी.
चुम्मा दे दे यार उसे, बिचारी तेरी जीभ के लिए तडप रही है. प्रीतम ने मज़ाक किया. वह मेरी ओर देख रहा था कि गान्ड चूस'ने से मैं कतराता हूँ या नहीं. मैं तो अब उस गान्ड की पूजा करना चाह'ता था, इस'लिए तुरंत अप'ने होंठ उस'के गुदा पर रख दिए और चूस'ने लगा.
उस सौंधे स्वाद से जो आनंद मिला वाह क्या कहूँ. प्रीतम ने भी अप'ने हाथों से अप'ने ही चूतड फैला कर अपनी गुदा कोखोला. मैं देख'कर हैरान रह गया. मुझे लग रहा था कि जैसा सबका होता है वैसा छोट सकरा भूरा छेद होगा. पर प्रीतम का छेद तो किसी चूत जैसा खुल गया. उस'के अंदर की गुलाबी कोमल झलक देख कर मैने उस'में जीभ डाल दी. मक्खन से चिकनी उस गान्ड को चूस'ने में ऐसा आनंद आया जैसे कोई मिठायी खा'कर भी नहीं आता.
शाब्बास मेरे राजा, मस्त चाट'ता है तू गान्ड, ज़रा जीभ और अंदर डाल. जीभ से चोद दे यार. जीभ डाल डाल कर मैने उस'की गान्ड को खूब चॅटा और चूसा. बीच में प्यार से उस'में नाक डाल कर सूंघ'ता पड़ा रहा. अंत में मन नहीं माना तो मुँह में उस'के नितंब का मास भर'कर उसे दाँतों से हल्के हल्के काट'ने लगा. प्रीतम बोला.
गांद खाना चाह'ता है मेरी? खिला दूँगा यार वह भी, क्या याद करेगा तू. अपनी गान्ड भरपूर चुसवा कर प्रीतम ने मुझे पास खींच कर ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चूस कर गीला किया और फिर बोला.
चढ़ जा यार, मार ले मेरी, अब नहीं रहा जाता. मस्त गीली है गान्ड तेरे चूस'ने से, मक्खन भी लगा है, आराम से घुस जाएगा तेरा लौडा मैं प्रीतम के कूल्हों के दोनों ओर घुट'ने जमा कर बैठ और अपना सुपाड़ा उस'के गुदा में दबा दिया. प्रीतम ने अप'ने चूतड पकड़ कर खींच रखे थे इस'लिए बड़े आराम से उस'के खुले छेद में सपप से मेरा शिश्न अंदर हो गया. उस मुलायम छेद के सुखद स्पर्श से मैं और उत्तेजित हो उठ और एक धक्के में अपना लंड जड़ तक प्रीतम की गान्ड में उतार दिया.
क्रमशः................
|