RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
यार बना प्रीतम - भाग (4)
गतान्क से आगे........
मुझे बहुत अच्च्छा लगा, थोड़ा आश्चर्य भी हुआ. मुझे लगा था कि गान्ड में लंड डाल'ने में थोड़ी मेहनत करना पडेगी. यहाँ तो वह आसानी से पूरा अंदर हो गया था. मैं समझ गया कि मेरा यार काफ़ी मरवा चुका है.
अब उस'ने चूतड छोडे और अपना छल्ला सिकोड कर मेरा लंड गान्ड से पकड़ लिया. अब मज़ा आया मुझे. उस'की गान्ड ने कस कर ऐसे मेरे लंड को पकड हुआ था जैसे मूठी में दबा लिया हो. मैं प्रीतम के ऊपर लेट गया और बेतहाशा उस'की चिकनी पीठ और मासल कंधे चूम'ने लगा.
मेरे राजा, बहुत प्यारा है तेरा लंड, बड मस्त लग रहा है गान्ड में, है थोड़ा छ्होटा पर एकदम सख़्त है, लोहे जैसा. मार यार, गान्ड मार मेरी उस'के कहते ही मैं धीरे धीरे मज़े लेकर उस'की गान्ड मार'ने लगा. मैने कल'पना भी नहीं की थी कि किसी मर्द की गान्ड मारना इतना सुखद अनुभव होगा. उस'की गान्ड एकदम कोमल और गरम थी और मेरे लंड को प्यार से पकड़े हुए थी. मैने अपनी बाँहें प्रीतम के शरीर के नीचे घुसा कर उस'की छा'ती को बाँहों में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से गान्ड मार'ने लगा.
शाबास मेरे राजा, मार और ज़ोर से, और मेरे चूचुक दबा यार प्लीज़, समझ औरत के हैं. मुझे मज़ा आता है यार चूचुक मसले जा'ने पर. और देख झद'ना नहीं साले नहीं तो मार खाएगा. प्रीतम के चमडीले बेरों जैसे चूचुक दबाता और उंगलियों में लेकर मसल'ता हुआ मैं एक चित्त होकर उस'की गान्ड को भोग'ने लगा. मक्खन से चिकनी गान्ड में लंड इतना मस्त फिसल रहा था की मैं जल्द ही बिलकुल झड'ने के करीब आ गया. किसी तरह अप'ने आप को मैने रोका और हांफ'ता हुआ पड रहा. मेरे इस संयम पर खुश होकर प्रीतम ने अपना सिर घुमाया और अपना हाथ पीछे कर'के मेरी गर्दन में डाल'कर मेरे सिर को पास खींच लिया.
बस ऐसे ही मार बिना झाडे. बहुत मस्त मार रहा है तू, इनाम मिलना चाहिए तुझे मेरी जान, चुम्मा दूँगा मस्त रसीला, अप'ने मुँह का रस चखाऊंगा तुझे. चुम्मा लेते हुए गान्ड मार अप'ने यार की. मैने अप'ने होंठ उस'के होंठों पर रख दिए और पास से उस'की वासना भरी आँखों में एक प्रेमी की तरह झाँक'ता हुआ उसका मुँह चूस'ने लगा. उस'के मुँह के रस का स्वाद किसी सुंदरी के मुँह से ज़्यादा मीठा लग रहा था. जल्द ही खुले मुँह में घुस कर हमारी जीभें लड़'ने लगीं और एक दूसरे की जीभ चूसते हुए हम'ने फिर संभोग शुरू कर दिया. गांद में मेरे लंड के फिर गहरे घुसते ही प्रीतम चहक उठा.
मार साली को ज़ोर से, फुकला कर दे, मा कसम, इतना मज़ा बहुत दिन में आया मेरी जान. घंटा भर मार मेरी राजा प्लीज़. . घंटे भर तो नहीं पर बीस मिनिट मैने ज़रूर प्रीतम की गान्ड मारी होगी. अप'ने चूतड उच्छाल उच्छाल कर पूरे जोरों से प्रीतम की गान्ड में मैं लंड पेल'ता और फिर सुपाडे तक बाहर खींच लेता. मेरी जांघें उस'के नितंबों से टकरा'कर 'सॅट' 'सॅट' 'सॅट' आवाज़ कर रही थी. आख़िर कामसुख के अतिरेक से मेरा संयम जवाब दे गया और उस'की जीभ चूसते हुए मैं कस कर झड गया.
प्रीतम ने मेरे लंड को अप'ने चूतडो की गहराई में पूरा झड जा'ने दिया और फिर मुझे अपनी पीठ से उतार कर उठ बैठा. उस'की आँखें अब वासना से लाल हो चुकी थी. उसका लंड उच्छल उच्छल कर फूफकार रहा था.
मेरी सील टूटी
बिना कुच्छ कहे उस'ने मुझे बिस्तर पर ऑंढा लिटा दिया और फिर मेरी गान्ड पर टूट पड़ा. मेरे नितंबों को चाट'ता हुआ और चूम'ता हुआ वह उन्हें ऐसे मसल रहा था जैसे चूचियाँ हों. मस्ती में उस'ने ज़ोर से मेरे नितंब को काट खाया. मेरी हल्की सी चीख निकल गयी. फिर झुक कर सीधा मेरा गुदा चूस'ने लगा. अप'ने हाथों से मेरे नितंब खींच कर उस'ने मेरी गान्ड खोली और उस'में अपनी जीभ उतार दी. प्रीतम की लंबी जीभ गहरी मेरे चूतदों में गयी और मैं सुख से सिहर उठा.
प्रीतम ऐसे मेरी गान्ड में मुँह मार रहा था जैसे खा जाना चाह'ता हो. कभी जीभ से चोदता, कभी मुँह में मेरे गुदा को भर'कर चबा'ने लगता. दर्द के साथ ही आसीन सुख की लहर मेरी नस नस में दौड़ जा'ती.
अब सहन नहीं होता मेरी जान, मार लेता हूँ तेरी. यार अब तू ही मेरे लंड पर मक्खन लगा. तेरे मुलायम हाथों से ज़रा लॉडा और मस्त होगा साला, देख तो कैसा उच्छल रहा है तेरी गान्ड लेने को. जा मक्खन ले आ यार प्रीतम ने मुझपर से उठते हुए कहा. पर मैं उठ'कर पहले टेबल के पास गया और स्केल ले कर आया. मन में बहुत कुतूहल था कि उस मतवाले लंड की आख़िर साइज़ क्या है! मैं स्केल से प्रीतम का लंड नाप'ने लगा. वह मुस्करा दिया.
नाप ले मेरी रानी. आख़िर गान्ड में लेना है, तुझे भी गर्व होगा कि इतना बड तूने लिया है. उसका शिश्न पूरा सवा आठ इंच लंबा था. डंडे की मोटायी दो इंच से थोड़ी ज़्यादा थी और सुपाड़ा तो करीब करीब ढाई इंच के व्यास का था. मेरे कौमार्य को कुच्छ ही देर में भंग कर'ने को मचलते उस हथियार को मैने फिर एक बार चूमा और फिर हथेली पर ढेर सा मक्खन लेकर उस'के लंड में चुपड'ने लगा. लोहे के डंडे जैसे उस लौडे को हाथ में लेकर उस'की फूली नसों को महसूस कर'के जहाँ एक तरफ मेरी वासना फिर भड़क'ने लगी वहीं मन में डर सा लग'ने लगा. घ्होडे के लंड जैसे इस लौडे को क्या मैं ले पाऊँगा?
पाँच मिनिट मालिश करवा कर प्रीतम की सहनशक्ति भी जा'ती रही. उस'ने मुझे फिर बिस्तर पर मुँह के बल पटका और मेरे गुदा में मक्खन लगाना शुरू किया. दो तीन लोन्दे उस'ने अंदर डाल दिए और फिर मेरे शरीर के दोनों ओर घुट'ने टेक कर बैठ गया.
बस मेरी रानी, अब नहीं रहा जाता, तैयार हो जा अपनी कुँवारी गान्ड मरवा'ने को. ऐसा कर अप'ने चूतड ज़रा खुद ही फैला, इससे आसानी से अंदर जाएगा, तुझे तकलीफ़ भी कम होगी मैने अप'ने चूतड फैलाए और मेरे गुदा पर उस'के सुपाडे का स्पर्श महसूस कर'के आँखें बंद कर'के प्रतीक्षा कर'ने लगा. आज मुझे महसूस हो रहा था कि सुहागरात में पहली बार लंड चूत में लेते हुए दुल्हन पर क्या बीत'ती होगी. दिल जोरों से धडक रहा था. बहुत डर लग रहा था. पर छूट कर भाग'ने की मेरी बिलकुल इच्च्छा नहीं थी.
प्रीतम ने हौले हौले लंड पेलना शुरू किया. अपनी धधक'ती वासना के बावजूद वह बड़े प्यार से लंड अंदर डाल रहा था. पर मेरा गुदा अप'ने आप सिकुड'कर मानो अंदर घुस'ने वाले शत्रु को रोक रहा था. प्रीतम ने मुझे समझाया
यार सुकुमार, मेरी रानी, गान्ड खोल, जैसे टट्टी के समय कर'ता है, तब घुसेगा अंदर आसानी से नहीं तो तकलीफ़ देगा तुझे मेरी जान. मैने ज़ोर लगाया और गान्ड ढीली छोडी. एक सेकंड में मौका देख'कर प्रीतम ने मंजे खिलाड़ी जैसे सुपाड़ा पचाक से अंदर कर दिया. मेरा गुदा ऐसा दुखा जैसे फट गया हो. मैं चीख पड़ा. प्रीतम इस'के लिए तैयार था, मेरा मुँह दबोच कर उस'ने मेरी चीख बंद कर दी. मैं छ्टेपाटा'ने लगा. आँखों में आँसू आ गये. प्रीतम ने लंड पेलना बंद किया और एक हाथ मेरे पेट के नीचे डाल कर मेरा लंड सहला'ने लगा.
बस मेरे राजा, हो गया, रो मत, हाथी तो चला गया, अब पूंच्छ आराम से जाएगी. तू गान्ड मत सिकोड ढीली छोड पाँच मिनिट में ऐसा मरवाएगा कि कोई रंडी भी क्या चुदवा'ती होगी. कह'कर वह मेरी गर्दन चूम'ने लगा. उस'की मीठी पुचकार ने और मेरे लंड में होती मीठी चुदासी ने आख़िर अपना जादू दिखाया. मेरी यातना कम हुई और मैने सिसकना बंद कर'के गान्ड ढीली छोडी. बहुत राहत मिली.
बस अब दो मिनिट में पूरा डाल'ता हूँ, दुखे तो बताना, मैं रुक जाऊँगा. कह'कर प्रीतम ने इंच इंच लंड मेरे चूतडो के बीच पेलना शुरू किया. आधा तो मैने ले लिया और फिर दर्द होने से सिसक पड़ा. वह रुक गया. कुच्छ देर बाद दो इंच और डाला तो मुझे लगा कि पूरी गान्ड ठूंस ठूंस कर किसीने भर दी हो. अंदर जगह ही नहीं थी.
प्रीतम कुच्छ देर और धीरे धीरे लंड पेल'ने की कोशिश कर'ता रहा पर अब वह अंदर नहीं जा रहा था. वह ज़ोर लगाता तो मुझे बहुत दर्द होता था. एकाएक उस'ने मेरा मुँह दबोचा और एक शक्तिशाली झट'के से बचा हुआ तीन चार इंच का डंडा एक ही बार में अंदर गाढ दिया. मुझे लगा कि जैसे मेरी गान्ड फट गयी. मैं तिलमिला उठ और चीख'ने की कोशिश कर'ता हुआ हाथ पैर मार'ने लगा. प्रीतम ने अब मुझे पूरी तरह दबोच लिया था और मेरे ऊपर ऐसे चढ गया था जैसे शेर हिरण पर शिकार के लिए चढ जाता है. उसका लॉडा जड़ तक मेरी गान्ड में उतर गया था. मेरे तन कर खुले खींचे गुदा के छल्ले पर उस'की झाँटें महसूस हो रही थी.
दो मिनिट बाद जब उस'ने हाथ मेरे मुँह से हटाया तो मैं कराह कर सिसक'ने लगा. घान्ड में भयानक दर्द हो रहा था. मुझे चूम चूम कर और मेरा लंड मुठिया मुठिया कर उस'ने मुझे चुप कराया.
सॉरी मेरी जान पर आख़िर के तीन इंच इसी तरह ज़बरदस्ती पेल'ने पड़ते हैं नहीं तो रात निकल जा'ती है उसे अंदर डाल'ने में. असल में वहाँ तेरी आँत में बेंड है और उस'के आगे जा'ने में लंड बहुत दर्द देता है. आज अब तेरी सील टूट गयी, मालूम है, वहाँ तेरी आँत अब सीधी हो गयी होगी. अब दर्द इतना नहीं होगा. अब बस मत रो मेरी जान, अब मज़ा ही मज़ा है. कह कर वह मेरा सिर अपनी ओर घुमा कर मुझे चूम'ने लगा और मेरे आँसू अपनी जीभ से चाट'ने लगा.
उस'की आँखों में बेहद प्यार और तीव्र कामुक'ता थी. धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ और लंड भी कस कर खड़ा हो गया. दर्द तो अब भी हो रहा था पर गान्ड में अब एक अजीब मादक खुमार सा भर गया था. इसका प्रमाण यह था कि अचानक मेरा गुदा अप'ने आप सिकुड कर प्रीतम के लंड को पकड़'ने लगा.
आ गया रास्ते पर. चल अब मार'ने दे, और ना तडपा. हंस कर वा बोला. मैं भी शरमा सा गया और आँसू भरी आँखों से उस'की आँखों में देख'कर उसे चूम कर मुस्करा दिया. प्रीतम ने मेरे मुँह पर अप'ने होंठ दबा दिए और एक गहरा चुंबन लेता हुआ वह धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर कर'ने लगा. मेरी गान्ड की चुदाई शुरू हो चुकी थी.
आधे घंटे तक प्रीतम ने मेरी मारी. पूरे मज़े ले लेकर, प्यार से मेरी कुँवारी गान्ड को उस'ने भोगा. दो तीन आसन उस'ने इस आधे घंटे में मुझे सीखा दिए. पहले कुच्छ देर मुझपर चढ कर वह बड़े साधे अंदाज में मेरी मार'ता रहा. धीरे धीरे रफ़्तार भी बढाइ. जब लंड आराम से 'पच' 'पच 'पच' की सेक्सी आवाज़ के साथ मेरी गान्ड में फिसल'ने लगा तब कुच्छ देर और मार'ने के बाद वह उठा और मुझे पकड़ कर चलाता हुआ दीवार तक ले गया.
गांद में लंड लेकर चलना भी एक अलग अनुभव था. हर कदम के साथ मेरे चूतड जब डोलते थे तो लंड गान्ड में रोल होता था. दुख'ता भी था और मज़ा भी आता था. प्रीतम ने मुझे दीवार से मुँह के बल सट कर खड किया और फिर खड़े खड़े ही मेरी मारी. अब तक मेरे गुदा में दर्द कम हो गया था और लबालब भरे मक्खन के कारण उसका लॉडा आराम से घचाघाच फिसल रहा था.
पसंद आया आसन मेरे राजा? या लेटे लेटे लेने में मज़ा आया? उस'ने मेरी गान्ड में लंड पेलते हुए पूच्छा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
यार तुम उलट लटक'कर भी मारो तो मुझे मज़ा आएगा. क्या शाही लॉडा है तेरा मेरे राजा! मैं तो फिदा हो गया. मैने भाव विभोर होकर उससे कहा. प्रीतम हंस दिया पर मेरी बात उसे बहुत अच्छी लगी यह सॉफ था क्योंकि उस'ने और जोश से मेरी मारना शुरू कर दिया. फिर वह मुझे टेबल तक ले गया और मुझे झुक कर टेबल का आधार लेकर खड़े होने को कहा. मैं टेबल का किनारा पकड़ कर झुक कर खड हुआ और वह मेरे पीछे खड़ा खड़ा मेरी मार'ता रहा.
ये खजुराहो स्टाइल है. देखी है ना वो मूर्ति? फ़र्क सिर्फ़ यह है कि उस'में एक मर्द औरत को ऐसे चोद'ता है. उस'के कंट्रोल की मैने दाद दी, इत'ने तन कर खड़े लंड के बावजूद वह बड मज़ा ले लेकर सधी हुई लय से मुझे आसन सीखा सीखा कर मेरी मार रहा था.
उस'के बाद मुझे फिर बिस्तर पर ले गया. बिस्तर पर मुझे कोहानियों और घुटनों पर कुतिया स्टाइल में खड़ा किया और पीछे से मेरे ऊपर चढ कर कुत्ते जैसी मेरी मार'ने लगा. अब उस'के हाथ मेरे बदन को भींचे हुए थे और वह घुट'ने टेक कर आधा वजन मेरे ऊपर देता हुआ मेरी मार रहा था.
यह आखरी आसन है यार. अब मैं ये मस्ती और सह नहीं सकूँगा. वैसे पशुसंभोग का यह आसान मरा'ने वाले के लिए ज़रा कठिन है. वजन सहन पड़'ता है, जैसे कुतिया कुत्ते का या घोडी घोड़े का सह'ती है. हाँ, मार'ने वाले को बहुत मज़ा आता है मैं अब कामुक'ता में डूबा हुआ हाम्फते हुए कुतिया जैसे मरवा रहा था. इतना मज़ा आ रहा था कि मैने सोचा कि अगर प्रीतम मेरे ऊपर पूरा चढ जाए तो क्या मज़ा आएगा. मैने उससे कहा तो वह ज़ोर से साँस लेता हुआ बोला कि बस दो मिनिट बाद. असल में उस'के स्खलन का समय करीब आ रहा था. कुच्छ देर बाद उस'की साँस और तेज चल'ने लगी. वह मुझे बोला
क्रमशः................
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