RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --10
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अब, लडके ना सिर्फ़ मेरी कमज़ोरी बन चुके हैं बल्कि शौक़ भी... इतना कि ना तो मैने कभी शादी के बारे में सोचा और ना कभी अपने घरवालों के दबाव में आया! शादी की बात को मैं हर बार बस घुमा फ़िरा के टाल देता हूँ!
एक दिन सुबह सुबह अपनी बालकॉनी पर आया तो नीचे दीपयान अपने दोस्तों के साथ खडा मिल गया! मैने उनको देख के हाथ हिलाया!
"क्या बात है, आज स्कूल नहीं जाओगे क्या?"
"आज कुछ प्रोग्राम बनाने के मूड में हैं..." राजू बोला!
"आप भी आ जाओ..."
मैने उनको गौर से देखा! उस दिन, उनके साथ उनका एक और दोस्त था, जो मुझे काफ़ी पसंद था! वो सौरभ चौहान था! उसके पापा उस एरिआ के अखबार के एजेंट थे! मैनपुरी, यू.पी. का रहनेवाला सौरभ रसीला कमसिन जवान था, जिसका जिस्म अपने और दोस्तों के जिस्मों की तरह करारा था!
"आओ, थोडी देर ऊपर आओ... फ़िर चले जाना..." मैने कहा!
"चार-चार को कहाँ ऊपर चढाओगे भैया... चलने में दिक्कत हो जायेगी बडी..." राजू झट बोला और कहकर वो और सौरभ आपस में कोहनी मार के हँसे! दीपयान ने मुझे बडी हरामी सी नज़र से देखा जिस पर ये लिखा हुआ था कि वो अपने दोस्तों को सब बता चुका था! दीपू शायद अपनी सायकल की चेन सही करने में लगा था!
"आ जाओ, कोई दिक्कत नहीं होगी..."
"दिक्कत तो हम कर देंगे..." इस बार दीपू बोला!
"आओ, देखता हूँ... मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूँ... आज काम पर जाने का मूड नहीं है..."
"अरे, जब काम यहीं दिखने लगा तो आप सोच रहे होगे, कहीं और जाने का क्या फ़ायदा... हाहा..." वो चारों ऊपर आ गये! इतने पास से पसीने में डूबे उनके जिस्म और कसी हुई जवानियाँ और ज़्यादा खूबसूरत लग रहीं थी!
"तो आज स्कूल नहीं जाओगे?"
"आज हमारा बायलॉजी का टीचर नहीं आयेगा..."
"अच्छा... कैसे पता?"
"जब कल उसके साथ प्रैक्टिकल किया था तो वो बोला था कि वो अपनी मम्मी पापा के साथ ग़ाज़ियाबाद जा रहा है..."
"अच्छा? टीचर तुम्हें सब बता देता है?"
"हाँ, क्योंकि हम उसको प्रैक्टिकल करके सब बताते हैं ना..."
अब मैं समझा... वो अपने स्कूल के उस गाँडू लडके की बात कर रहे थे, जिसकी वो गाँड मारते थे!
"आज सोच रहे हैं, यमुना में खेलने जाते हैं... आओ, आज आपको भी बायलॉजी पढा दें..." दीपू बोला!
"नहीं नहीं... ये तो सिर्फ़ दीपयान से ही पढेंगे... क्यों?" सौरभ ने आँख मार के मुस्कुराते हुये मुझसे कहा और जब दीपयान की तरफ़ देखा तो वो मुस्कुराते हुए हरामी तरीके से शरमा रहा था!
"अबे चुप कर..."
"अरे भैया, हमारी किताबें भी उतनी ही मोटी हैं... आपको पढने में मज़ा आयेगा..."
"कैसी किताब?
"आओ साथ में चलो... आपको भी यमुना में नहला के तर कर दें... चलो भैया..." दीपयान बोला!
"चलो... हम हर एक को नहीं बुलाते हैं... आपका तो पता है इसलिये इन्वाइट कर रहे हैं... चलो..." राजू बोला! अब इतना साफ़ और खुला ऑफ़र मैं कैसे ठुकरा सकता था... चार-चार खूबसूरत, नमकीन, कमसिन, जवान, जोशीले, हरामी चिकने लडके मुझपर साफ़ तौर पर डोरे डाल रहे थे!
"चलो... मगर चलेंगे कैसे?"
"चलो ना, इन्तज़ाम हो जायेगा..."
"कुछ पहनने के लिये ले लूँ क्या?"
"अरे क्या करोगे पहनकर..." राजू हँसते हुये बोला!
"मतलब, हम सब ऐसे ही हैं... चलो जैसे हम नहायेंगे, वैसे आप साथ दे लेना... क्यों, आप शरमाते हो क्या?" दीपयान बोला तो मैं समझ गया कि उनका असली प्रोग्राम क्या है!
"आओ भैया, हम सब बडे बेशरम है..." दीपू बोला!
उन्होने अपने स्कूल बैग वहीं मेरे रूम पर रख दिये!
एक सायकल पर सौरभ और दीपयान बैठ गये, दूसरी पर मैं आगे, राजू सीट पर और दीपू पीछे! यमुना वहाँ से दूर नहीं थी, हम जल्दी ही वहाँ पहुँच गये! फ़िर वो मुझे पास के एक टीले के पीछे की तरफ़, जहाँ काफ़ी हरियाली थी, वहाँ ले गये! नदी में पानी ज़्यादा नहीं था पर धूप तेज़ थी! बगल में दो तीन पेड थे! दूर दूर तक कोई दूसरा नहीं था... समाँ काफ़ी सैक्सी था! वहाँ सायकल खडी करके राजू तो सीधा घास पर चारों खाने चित्त लेट गया!
"सायकल चलने में साली गाँड फ़ट गयी... लाओ भैया सिगरेट है क्या?" उन्होने मुझसे सिगरेट ले कर बारी बारी कश लगाना शुरु कर दिया! इतने में सौरभ ने पहले अपने कपडे उतारने शुरु कर दिये तो मेरी नज़र उसके कसे हुये कमसिन नमकीन जिस्म पर चिपकती चली गई! क्योंकि मैं बैठा और वो मेरे सामने खडा था, मुझे उसके जिस्म का एक बहुत ही बढिया नज़ारा मिल रहा था! उसने अपनी शर्ट तो बिना झिझक उतार दी और मेरी तरफ़ अपने बाज़ू कर के मुझे दिखाया!
"देखो, बढिया बॉडी... बढिया है ना?" मैने उसके बाज़ुओं के कटाव को देखा! फ़िर उसने अपनी टाँगें थोडा फ़ैला के अपना हाथ अपनी पैंट के ऊपर से अंदर घुसा के हिला के अपने आँडूए अड्जस्ट किये!
"बहनचोद, गोटियाँ चड्डी से बाहर आ जाती हैं... हाहाहाहा..."
"हाँ साले, अब तो तेरा लौडा भी बाहर आ रहा होगा..." दीपयान बोला!
"और क्या... अब तो पहले बाहर आयेगा, फ़िर अंदर जायेगा... ज़रा देखूँ तो, तेरी बात में कितना दम था..." मैं उनकी बातों और हाव-भाव से मस्त हो रहा था! लडके पूरे मज़े के मूड में थे... एक साथ चार-चार नमकीन जवान लडके... वो भी गज़ब के हरामी और चँचल... इस बीच दीपयान ने बैठे बैठे ही अपनी स्कूल बैल्ट खोली और अपनी पैंट अपने जिस्म से अलग कर दी! मुझे उसका बदन भी फ़िर से देखने में बडा मज़ा आ रहा था!
"आप भी कपडे उतार लो ना भैया, पानी में घुसना नहीं है क्या?" वो मुझसे बोला!
"पानी में घुसना भी होगा और घुसवाना भी होगा... भैया आप तो बेकार में शरमा रहे हो..." तो राजू बोला!
"अरे, हम आपस में किसी बात में नहीं शरमाते..."
"स्कूल में सारे प्रैक्टिकल साथ साथ करते हैं भैया..." दीपू ने अपने कपडे उतारते हुये कहा तो मैने भी उनके साथ घुलने मिलने के लिये अपने कपडे उतरना शुरु कर दिये! देखते देखते अब हम सभी सिर्फ़ चड्डियों में हो गये! मैने ध्यान से तरस के उन सबको देखा! दीपू का जिस्म अच्छा सुडौल और कटावदार था! वो नीले रँग की वी.आई.पी. की चड्डी पहने था! दीपयान ने उस दिन व्हाइट फ़्रैंची पहन रखी थी! सौरभ ने जाँघिया स्टाइल वाली अमूल की ब्राउन कलर की अँडरवीअर पहनी थी और राजू ने काले रँग की चुस्त सी नायलॉन की चड्डी पहनी हुई थी! सबसे कटीला जिस्म दीपू का था! उसका रँग भी अच्छा सुनहरा सा था! राजू का जिस्म सबसे गठीला और साँवला था! बिल्कुल देसी... लगता था मसल्स में ठूँस ठूँस के सारे में नमक भर दिया गया हो! उसकी छाती में गोश्त के कटाव थे! सौरभ सबसे चिकना था! उसकी कमर पतली, रँग गोरा और फ़िगर बल खाती हुई थी! उसकी गाँड भी गोल गोल थी! दीपयान का पहाडी गुलाबी जिस्म और उसका मज़ा तो मैं चख ही चुका था... मगर उस दिन भी वो वैसा ही लग रहा था जैसे पहली बार मिला हो! शायद इसलिये कि आज वो अपने दोस्तों के साथ था!
तभी राजू दौडता हुआ पानी की तरफ़ गया और वैसे ही तेज़ 'छप्पाक्क' के साथ पानी में कूद गया! सौरभ और दीपू भी उसके पीछे भागे और उन्होने भी वैसे ही पानी में छलाँग लगा दी! मैने अब दीपयान को देखा!
"क्यों भैया, हैं ना हरामी लौंडे?"
"हाँ यार..."
"पसंद आया इनमें से कोई?"
"कोई? सभी बढिया हैं बे..."
"तो शरमा क्यों रहे हो... एक बार हामी भर दो, साले एक एक करके चालू हो जायेंगे..."
"यार, समझ नहीं आ रहा.. कैसे..."
"इधर आओ, मैं समझा देता हूँ..." कहकर उसने मेरा हाथ पकड के अपनी तरफ़ खींचा और मुझे अपने जिस्म से लँड पर लँड दबा के चिपका लिया और सीधा अपना हाथ पीछे मेरी गाँड पर दबा दिया! तभी उधर से सौरभ की आवाज़ आयी!
"वाह बेटा, चालू हो गया... सही है... गाँडू को तॄप्त कर दे..." मैं वहाँ खुले आम कुछ करने में कतरा रहा था इसलिये मैने हल्के से दीपयान से अलग होने की कोशिश की!
"यहाँ कोई देख लेगा..."
"अरे, यहाँ कोने में कौन आयेगा देखने... ये हमारा अड्डा समझो..."
"यार, फ़िर भी..."
"सही जा रहा है बेटा..." उधर से राजू की आवाज़ आयी!
"यहाँ ले आ ना हमारे पास... क्या तू ही खायेगा अकेला अकेला?"
"अरे, साला घबरा रहा है..." दीपयान ने अपने दोस्तों की तरफ़ देखते हुये कहा!
"क्यों, बहुत मोटा लग गया क्या हमारा?"
"नहीं, कह रहा है... यहाँ खुले में कोई देख लेगा हाहाहाहा..." सौरभ ने कहा तो दीपयान ने जवाब दिया!
"हाहाहाहा... देख लेगा तो क्या हुआ भैया, उसका भी ले लेना... तुम्हारी गाँडू गाँड मस्त हो जायेगी..." दीपू ने कहा!
"अरे, डरो नहीं छमिया... यहाँ इस वक़्त, कोई नहीं आता जाता है" राजू मुझसे बोला फ़िर दीपयान की तरफ़ देख के बोला!
"साले को यहाँ पानी में तो ला... एक बार भीगेगा तो इसका डर खत्म हो जायेगा" मुझे उन हरामियों की लैंगुएज भी मस्त कर रही थी! दीपयान ने मेरा हाथ पकडा और मुझे भी पानी की तरफ़ ले गया! जैसे ही मैं कमर तक पानी में पहुँचा, वो चारों मेरे ऊपर चिपट गये! चार कमसिन हरामी नमकीन लडकों ने मेरे हर तरफ़ अपने अपने लँड एक साथ चिकपा दिये!
"बोलो भैया, पहले किसका लोगे?" दीपू बोला!
"अबे, पहले मुझे लेने दे... क्यों भैया, गाँड में लोगे ना? मैं तो सीधा गाँड मारता हूँ..." राजू बोला!
"अबे, भैया को ही फ़ैसाला करने दे ना..." फ़िर दीपयान ने कहा!
"हाँ, भैया ऐसा करो.. सबका थाम के देख लो... जिसका पसंद आये, उसका पहले ले लो... आप ही डिसाइड कर लो..." मैं तो पूरी तरह मस्ती में आ चुका था!
"लाओ, दिखाओ... जिसका बडा होगा, उसका पहले लूँगा..." मैने कहा!
"ये हुई ना असली गाँडू वाली बात... ले, मेरा थाम के देख साले, तुझे मेरा ही पसन्द आयेगा... पूरा बिजली का खम्बा है..." राजू बोला और कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड के अपने लँड पर लगाया!
"रहने दे साले, तुझसे बडा तो मेरा है... तू फ़ालतू में उछलता रहता है..." उधर से दीपू बोला! राजू का लँड लोहे सा सख्त था और करीब पाँच इँची रहा होगा! थोडा मोटा भी था! मैने उसको मसल के अपने हाथ में पकड के उसको नापा!
"क्यों, बढिया है?" उसने मुझसे पूछा!
"हाँ..."
"अब इसका देख लो..." उसने दीपू की तरफ़ इशारा किया तो मैने अपना हाथ पानी के अंदर से ही दीपू की टाँगों के बीच दे दिया! उसका लँड लम्बाई में यकीनन राजू से बडा था, मगर उसके जैसा मोटा नहीं था! साला करीब ७ इँच का रहा होगा!
"अबे, इससे बडा तो दीपयान का है..." मैने कहा!
"देख लो सालों, ये खुद ही कह रहा है..." दीपयान ने गर्व से फ़ूलते हुये कहा!
"हाँ बेटा, जब चुसवायेगा तो कहेगा ही..."
"तो तुम भी चुसवा दो..."
"ला ना, अपना दिखा..." मैने फ़ाइनली सौरभ से कहा! मैने जब उसका लँड अपने हाथ में लिया तो लगा कि वो जीत गया! उसका भी करीब सात इँची था और सबसे मोटा था! दीपयान से भी मोटा... पूरा मर्दाना था!
"ये वाला बढिया है..."
"वाह बेटा... ये बात सही की तूने गाँडू... आजा, तेरी गाँड में लँड का नकेल डाल दूँ, आजा..." सौरभ ने खुशी से कहा और मुझे अपनी कमसिन चिकनी बाहों में भर लिया! पहली बार मैने उसकी कमर में हाथ डाल के उसके मचलते खडे लँड से अपना लँड भिडा दिया!
"चल ना गाँडू, चल साइड में चल..." उसने मुझे बाहर की तरफ़ खींचते हुये कहा!
"ओये, कुछ लगाने को है?" उसने अपने दोस्तों से पूछा!
"मेरी पॉकेट में तेल है... ले ले साले..."
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