RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
मैने अपना लँड उसकी दरार पर रखा और अब हाथ के बजाय लँड से उसकी दरार को रगडा! मेरा लौडा उसकी नमकीन गाँड पर लगते ही फ़नफ़नाया! मैं उससे लिपट गया और वैसे ही अपना लँड कुछ देर उसकी दरार पर रगडता रहा! लँड उसकी पीठ से होकर उसके आँडूओं की जड तक जाता था, वहाँ मेरा सुपाडा उसकी अंदरूनी जाँघ में फ़ँस जाता था, जिसको वापस बाहर खींचने में बडा मज़ा आता था! फ़िर कभी मैं उसकी गाँड हाथ से फ़ैला के उसका छेद खोल देता और उसके छेद पर डायरेक्टली सुपाडा रख के रगड देता! तो उसका छेद वाला पोर्शन जल्द ही मेरे प्री-कम से भीग कर चिकना होने लगा और शायद थोडा खुलने भी लगा! फ़िर उस पर मेरा थूक तो लगा ही था! जब मेरा सुपाडा पहली बार सही से उसके छेद पर फ़ँसा तो उसने पहली बार सिसकारी भरी... मतलब वो भी जग चुका था और उसको कोई आपत्ति नहीं थी! मैने अपनी उँगली से उसका छेद चेक किया जो अब खुल रहा था! उसने हाथ पीछे करके मेरा लँड थामा! मैने अपना हाथ लगा के उसको छेद पर लगाया और कहा!
"लगा के रखो..."
"नहीं, बहुत बडा है... जा नहीं पायेगा..." मुझे काम की कसक में उसकी आवाज़ बदली बदली सी लगी!
"चला जायेगा यार... बहुत आराम से जायेगा..."
"गाँड फ़ट जायेगी..." उसकी आवाज़ में भारीपन था!
"नहीं फ़टेगी बे... मेरी नहीं देखी थी, तेरा कितने आराम से लिया था..."
"नहीं यार... अच्छा पहले ज़रा चूसने दो..." उसने कहा!
"लो, चूस लो..." मैने कहा तो वो मेरी तरफ़ मुडा!
उसके मुडते ही मैं चौंक गया क्योंकि वो आसिफ़ नहीं था! इतनी देर से मेरे साथ वसीम था... मैं हल्का सा हडबडाया भी और खुश भी हुआ! मेरी वासना एकदम से और भडक गयी...
"अरे तुम... आसिफ़ कहाँ गया?"
"वो तो कब का चला गया... मैं जब आया तो आप सो रहे थे..."
"कहाँ गया?"
"हलवाई को उसके घर से लेने गया है..."
"तो तुमने इतनी देर से कुछ कहा क्यों नहीं?"
"कह देता तो आप रुक जाते क्या??? इसीलिये तो इतनी रात में वापस आया था..."
"पहले कह देते..."
"ये बात आसिफ़ को नहीं पता है..."
"क्या बात?"
"मतलब, उसे ये तो पता है कि मैं एक-दो लौंडों की ले चुका हूँ... मगर उसके अलावा ये जो आप करने को कह रहे हैं... वो सब नहीं पता है... अब अपनी इज़्ज़त है ना... उसने आपसे मरवायी क्या?"
"नहीं, उसने बस मारी..."
"कहोगे तो नहीं?"
"तू चूस तो... मैं बच्चा नहीं, जो ये सब कहता फ़िरूँगा किसीसे... मैं बस काम से काम रखता हूँ..."
"तब ठीक है!"
"लाओ ना, अपना भी तो दिखाओ..." मैने कहा और जब उसके लँड को हाथ में थामा तो मज़ा आ गया! उसका लँड लम्बा और पतला था, मगर चिकना और ताक़तवर...
"आसिफ़ का तेरे से मोटा है..."
"हाँ, उसका थोडा मोटा है... मगर मेरा उससे लम्बा है..."
"हाँ, ये तो है..."
वो नीचे हुआ और उसके होंठ जब मेरे सुपाडे से छुए तो मेरा लँड उछल सा गया! फ़िर उसने मुह खोल के जब मेरे सुपाडे को अपने मुह में लिया तो उसके मुह की गर्मी से मेरे बदन में सिरहन दौड गयी!
"आज उस भंगी के साथ क्या करवा रहे थे?"
"गाँड मरवायी उससे..."
"भंगी से?"
"हाँ, साले का लँड भी चूसा... तुझे कैसे..."
"साला, आसिफ़ सब देख के आया था... उसने बताया, मगर उसको ये नहीं पता चला कि बंद कैबिन में हुआ क्या क्या?"
"अच्छा... मैं समझा था कि वो चला गया था..."
"नहीं, सब देखा था उसने... तभी तो हम आपको यहाँ लाये थे..."
"वाह यार, सही है... तो सीधा बोल देते..."
"अब, थोडी बहुत हिचक होती है ना..."
"हिचक के चलते काम बिगड जाता तो?"
"हाँ... जब बिल्कुल लगता कि मामला हाथ से निकल रहा है, तो कह भी देते... मगर उसके सामने तो बस आपकी मारता... चूस थोडी पाता और ना ही गाँड पर लगवा पाता..."
"हाँ सही है... रुक..." मैने उसका मुह हटवाया और उलट के लेट गया... ६९ पोजिशन में!
"अब सही है... ज़रा तेरा भी देखूँ ना..."
हम ६९ पोजिशन में एक दूसरे का लँड चूसने लगे! उसका सुपाडा, लम्बा लँड होने के कारण, सीधा हलक के छेद तक जा रहा था! मेरा लँड तो उसका पूरा ही मुह भर दे रहा था! मैने उसकी टाँगें फ़ैलवा दी! अब उसकी एक टाँग उठ के मुडी हुई थी और दूसरी सीधी थी, जिसकी जाँघ पर मैने अपना सर रखा हुआ था! उस पोजिशन से मुझे उसके आँडूए और छेद तक दिख रहे थे और उसकी गाँड की गदरायी फ़ाँकें और मस्क्युलर इनर थाईज़ भी! मैने उसका लँड छोड कर उसके आँडूए छुए और फ़िर अपनी नाक फ़िर से उसके छेद पर रख दी और उसको चाटने लगा! इस बार मैने उसे अपने हाथों के दोनो अँगूठों से फ़ैला दी और आराम से उसकी गाँड के सुराख की किसिंग शुरु कर दी!
"अआह... हाँ... हाँ..." उसने हताश होकर कहा!
मैने उसका सुराख जीभ डाल डाल कर ऐसा चूसा कि उसकी चुन्नटें सीधी हो गयी और वो खुलने लगा! तब मैने अपनी एक उँगली उसके अंदर किसी स्क्रू की तरह हल्के हल्के घूमाते हुये डाली तो उसका छेद मेरी उँगली पर अँगूठी की तरह सज गया!
"बहुत... बढिया... बडी ज़बर्दस्त गाँड है..."
"आह... होगी नहीं क्या... किसी को हाथ थोडी लगाने देता हूँ..."
"हाँ राजा... टाइट माल है..." कहकर मैने उँगली निकाली और फ़िर उसका एक चुम्बन लेने में लग गया! वो भी साथ साथ मेरा लँड मेरे आँडूए सहला सहला के चूसे जा रहा था!
"आसिफ़ को भी नहीं दी?"
"नहीं, साले ने ट्राई तो बहुत किया था..."
"क्यों नहीं दी?"
"आपस में एक दूसरे को इतनी बडी कमज़ोरी नहीं बतानी चाहिये..."
"अच्छा?"
"उसकी मारी कभी?"
"ना... बस साथ में मुठ मारते हैं... या किसी और की गाँड... इसलिये उसको प्लीज मत बताना..."
"अबे... वो कौन सा मेरा खसम है, जो उसको बताऊँगा... जब तेरे साथ तो तेरे से मज़ा, जब उसके साथ तो उससे मज़ा..."
"कभी हम साथ भी लें ना... तो भी प्लीज ये सब मत करना या बोलना..."
"अब कैसे बोलूँ... एक बार बोल तो दिया यार... तेरी गाँड पर स्टाम्प लगा कर लिख कर दूँ क्या?"
मैने अब उसको चुसवाना बन्द किया और उसको वैसे ही लिटाये रहा! फ़िर खुद टेढा होकर उसकी जाँघों के बीच लेट गया! अब वो एक दिशा में लेटा था और मैं उसके परपेन्डिकुलर लेटा था! फ़िर मैने अपना लँड उसकी गाँड पर रगडना शुरु कर दिया! मगर उस पोज़ में मुश्किल हो रही थी तो मैने उसको सीधा लिटा के उसके पैर उसकी छाती पर करवा दिये और उसकी गाँड खोल दी! उसके बाद जब मेरा सुपाडा उसके अंदर घुसा तो वो छिहुँका, मगर जब मैने हल्का हल्का फ़ँसा के दिया तो मेरा लँड आराम से अंदर हो गया और वो मज़ा लेने लगा!
"अआहहह... सा..ला.. ब..हुत... मो..टा.. लौडा है आ..पका..." उसने मज़ा लेते हुये कहा!
"हाँ है तो..." मैने अपने लँड को उसकी गाँड की जड तक घुसा के फ़िर बाहर अंदर करते हुये कहा! साथ मैं उसकी जाँघें भी सहलाये जा रहा था, जो मेरी छाती से रगड रहीं थी!
कमरे में "घप्प घप्प... चपाक... चप चप... धक धक..." की आवाज़ें गूँज रहीं थीं और उनके साथ "सिउउउहहहह..." "अआहहह..." "उहहह..." भी...
"अब मुझे अपनी लेने दो ना..." कुछ देर के बाद वसीम बोला!
"आओ, ले लो..."
"नहीं, ऐसे... तुम आओ और लँड पर बैठो ना... मैं लेट जाता हूँ..."
मैने उसकी तरफ़ मुह करके उसके लौडे पर अपनी गाँड रखी और आराम से अपनी गाँड से उसके लँड को गर्म करने लगा और फ़िर वो मेरी गाँड के छेद में अंदर तक घुसता चला गया!
"अआह... हा..अआहहह... उहहह... बहुत खुली हुई गाँड है..."
"हाँ... काफ़ी चुदवा रखी है ना..."
कुछ देर में वो धकाधक मेरी गाँड में लँड डालने लगा!
"अब मेरा भी ले ले..."
"हाँ, दे ना यार... दे दे... जितना देना है दे... ला, दे दे..."
वो अंदर बाहर तो कर रहा था, मगर जब पूरा अंदर देता तो उसको कुछ देर वहीं रहने देता... जिस पर मैं अपनी गाँड का सुराख कसता और ढीला करता... फ़िर वो उसको बाहर निकालता... और वापस धक्के के साथ अंदर घुसा देता!
उसके हर धक्के पर आवाज़ आती और उसकी जाँघ मेरी जाँघ से टकराती... जिससे मुझे उसके जिस्म और उसके गोश्त में बसी बेपनाह ताक़त का अन्दाज़ होता!
फ़िर वो थक गया तो हम लिपट के लेट गये!
"अब तो तेरे दोस्त ने सील तोड दी होगी... लगता था, काफ़ी कोशिश कर रहा था..."
"हाँ, अब तो फ़ाड दी होगी... वैसे... साले को माल बढिया मिला है... बडी गुलाबी आइटम है..."
"अच्छा साले?"
"हाँ, मुझे मिल जाती तो मैं ही रगड देता... मगर अफ़सोस आज तो चुद ही गयी..."
"तो अब ट्राई कर लियो..."
"कहाँ यार... अब कहाँ..."
"चल तो कोई और मिल जायेगी..."
"हाँ, अब तो मिलनी ही होगी..."
थोडा सुसताने के बाद मैने फ़िर उसकी लेनी शुरु कर दी!
"यार, अब गिरा ले... क्योंकि मुझे सुबह से काम भी करना है..."
"चार तो बज रहे हैं..."
"हाँ यार, नाश्ता बनना शुरु हो गया होगा... अगर नीचे नहीं पहुँचा तो अच्छी बात नहीं होगी..."
"और आसिफ़?"
"वो पता नहीं कहाँ होगा..."
फ़िर मैने उसकी गाँड में लँड घुसाना शुरु कर दिया और उसकी गाँड पर लौडे के थपेडे मार मार कर उसकी गाँड को खोल दिया और उसके बाद मेरे लौडे का लावा उसकी गाँड में ना जाने कितनी गहरायी तक भर गया! उसके बाद उसने ज़रा भी समय बर्बाद नहीं किया और तुरन्त मेरे ऊपर चढ कर अपना लँड मेरी गाँड में डालना शुरु कर दिया! इस बार उसके धक्को में तेज़ी थी, वो जल्दी से अपना माल झाडना चाहता था, इसलिये धक्कों में ताक़त भी ज़्यादा आ गयी थी! वो हिचक हिचक के मेरे ऊपर गिर रहा था! उसका जिस्म मेरे जिस्म पर किसी हथौडे की तरह गिर रहा था! मुझे उसकी मर्दानी ताक़त का मज़ा मिल रहा था! फ़िर उसने मुझे जकड लिया! उसकी गाँड के धक्के तेज़ हो गये! अब वो डालता तो डाले रखता, जब निकालता तो तुरन्त ही वापस डाल देता!
फ़िर वो करहाया "अआह... हाँ..."
"क्या हुआ? झडने वाला है क्या?" मैने पूछा!
"अआह... हाँ... हाँ... अआह... उहहह... हाँ..." करके उसका लँड मेरी गाँड में फट पडा और उसने अपना गर्म माल मेरी गाँड में भर दिया! उसके बाद उसने कपडे पहने और चला गया!
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