Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
06-25-2017, 12:49 PM,
#8
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
मैं हूँ हसीना गजब की पार्ट--3

गतान्क से आगे........................

पंकज इतना खुला पन अच्छि बात नहीं है. विशलजी घर के हैं

तो क्या हुआ हैं तो पराए मर्द ही ना और हम से बड़े भी हैं. इस

तरह तो हुमारे बीच पर्दे का रिश्ता हुआ. परदा तो दूर तुम तो मुझे

उनके सामने नंगी होने को कह रहे हो. कोई सुने गा तो क्या कहेगा."

मैने वापस झिड़का.

"अरे मेरी जान ये दकियानूसी ख़याल कब से पालने लग गयी तुम. कुच्छ

नही होगा. मैं अपने पास एक तुम्हारी अंतरंग फोटो रखना चाहता हूँ

जिससे हमेशा तुम्हारे इस संगमरमरी बदन की खुश्बू आती रहे."

मैने लाख कोशिशे की मगर उन्हे समझा नही पायी. आख़िर मैं राज़ी

हुई मगर इस शर्त पर कि मैं बदन पर पॅंटी के अलावा ब्रा भी पहने

रहूंगी उनके सामने. पंकज इस को राज़ी हो गये. मैने झट से होल्डर

पर टाँगे अपने टवल से अपने बदन को पोंच्छा और ब्रा लेकर पहन ली.

पंकज ने बाथरूम का दरवाजा खोल कर विशाल जी को फोन किया और

उन्हे अपनी प्लॅनिंग बताई. विशलजी मेरे बदन को निवस्त्रा देखने की

लालसा मे लगभग दौड़ते हुए कमरे मे पहुँचे.

पंकज ने उन्हे बाथरूम के भीतर आने को कहा. वो बाथरूम मे आए तो

पंकज मुझे पीछे से अपनी बाँहों मे सम्हाले शवर के नीचे खड़े

हो गये. विशाल की नज़र मेरे लगभग नग्न बदन पर घूम रही थी.

उनके हाथ मे पोलेरॉइड कमेरे था.

"म्‍म्म्मम...... .बहुत गर्मी है यहाँ अंदर. अरे साले साहब सिर्फ़ फोटो

ही क्यों कहो तो केमरे से . ब्लू फिल्म ही खींच लो" विशाल ने हंसते

हुए कहा.

"नही जीजा. मूवी मे ख़तरा रहता है. छ्होटा सा स्नॅप कहीं भी

छिपाकर रख लो" पंकज ने हंसते हुए अपनी आँख दबाई.

"आप दोनो बहुत गंदे हो." मैने कसमसाते हुए कहा तो पंकज ने

अपनेहोंठ मेरे होंठों पर रख कर मेरे होंठ सील दिए.

"शवर तो ऑन करो तभी तो सही फोटो आएगा." विशाल जी ने कॅमरा का

शटर हटाते हुए कहा.

मेरे कुच्छ बोलने से पहले ही पंकज ने शवर ऑन कर दिया. गर्म पानी

की फुहार हम दोनो को भिगोति चली गयी. मैने अपनी चूचियो को

देखा. ब्रा पानी मे भीग कर बिकुल पारदर्शी हो गया था और बदन से

चिपक गया था. मैं शर्म से दोहरी हो गयी. मेरी नज़रें सामने

विशालजी पर गयी. तो मैने पाया कि उनकी नज़रें मेरे नाभि के नीचे

टाँगोंके जोड़ पर चिपकी हुई हैं. मैं समझ गयी कि उस जगह का भी वही

हाल हो रहा होगा. मैने अपने एक हाथ से अपनी छातियो को धक और

दूसरी हथेली अपनी टाँगों के जोड़ पर अपने पॅंटी के उपर रख दिया.

"अरे अरे क्या कर रही हो.........पूरा स्नॅप बिगड़ जाएगा. कितना प्यारा

पोज़ दिया था पंकज ने सारा बिगाड़ कर रख दिया" मैं चुप चाप

खड़ी

रही. अपने हाथों को वहाँ से हटाने की कोई कोशिश नही की. वो तेज

कदमों से आए और जिस हाथ से मैं अपनी बड़ी बड़ी छातियो को उनकी

नज़रों से च्चिपाने की कोशिश कर रही थी उसे हटा कर उपर कर

दिया.उसे पंकज की गर्दन के पीछे रख कर कहा, "तुम अपनी बाहें

पीछेपंकज की गर्दन पर लपेट दो." फिर दूसरे हाथ को मेरी जांघों के

जोड़से हटा कर पंकज के गर्दन के पीछे पहले हाथ पर रख कर उस

मुद्रा मे खड़ा कर दिया. पंकज हुमारा पोज़ देखने मे बिज़ी था और

विशाल ने उसकी नज़र बचा कर मेरी योनि को पॅंटी के उपर से मसल

दिया. मैं कसमसा उठी तो उसने तुरंत हाथ वहाँ से हटा दिया.

फिर वो अपनी जगह जाकर लेनसे सही करने लगा. मैं पंकज के आगे

खड़ीथी और मेरी बाहें पीछे खड़े पंकज के गर्दन के इर्दगिर्द थी.

पंकज के हाथ मेरे स्तानो के ठीक नीचे लिपटे हुए थे. उसने

हाथोंको थोड़ा उठाया तो मेरे स्तन उनकी बाहों के उपर टिक गये. नीचे की

तरफ से उनके हाथों का दबाव होने की वजह से मेरे उभार और उघड़

कर सामने आ गये थे.

मेरे बदन पर कपड़ों का होना और ना होना बराबर था. विशाल ने एक

स्नॅप इस मुद्रा मे खींची. तभी बाहर से आवजा आई...

"क्या हो रहा है तुम तीनो के बीच?"

मैं दीदी की आवाज़ सुनकर खुश हो गयी. मैं पंकज की बाहों से फिसल

कर निकल गयी.

"दीदी.....नीतू दीदी देखो ना. ये दोनो मुझे परेशान कर रहे हैं.

मैं शवर से बाहर आकर दरवाजे की तरफ बढ़ना चाहती थी लेकिन

पंकज ने मेरी बाँह पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मैं वापस उनके

सीने से लग गयी. तब तक दीदी अंदर आ चुकी थी. अंदर का महॉल

देख कर उनके होंठों पर शरारती हँसी आ गयी.

"क्यों परेशान कर रहे है आप?" उन्हों ने विशाल जी को झूठमूठ

झिड़कते हुए कहा, "मेरे भाई की दुल्हन को क्यों परेशान कर रहे

हो?"

"इसमे परेशानी की क्या बात है. पंकज इसके साथ एक इंटिमेट फोटो

खींचना चाहता था सो मैने दोनो की एक फोटो खींच दी." उन्हों ने

पोलेरॉइड की फोटो दिखाते हुए कहा.

"बड़ी सेक्सी लग रही हो." दीदी ने अपनी आँख मेरी तरफ देख कर

दबाई.

"एक फोटो मेरा भी खींच दो ना इनके साथ." विशाल जी ने कहा.

"हन्हन दीदी हम तीनो की एक फोटो खींच दो. आप भी अपने कपड़े उतार

कर यहीं शवर के नीचे आ जाओ." पंकज ने कहा.

"दीदी आप भी इनकी बातों मे आ गयी." मैने विरोध करते हुए कहा.

लेकिन वहाँ मेरा विरोध सुनने वाला था ही कौन.

विशलजी फटा फॅट अपने सारे कपड़े उतार कर टवल स्टॅंड पर रख

दिए. अब उनके बदन पर सिर्फ़ एक छ्होटी सी फ्रेंचिए थी. पॅंटी के

बाहर

से उनका पूरा उभार सॉफ सॉफ दिख रहा था. मेरी आँखें बस वहीं

पर

चिपक गयी. वो मेरे पास आ कर मेरे दोसरे तरफ खड़े होकर मेरे

बदन से चिपक गये. अब मैं दोनो के बीच मे खड़ी थी. मेरी एक बाँह

पंकज के गले मे और दूसरी बाँह विशलजी के गले पर लिपटी हुई थी.

दोनो मेरे कंधे पर हाथ रखे हुए थे. विशलजी ने अपने हाथ को

मेरे कंधे पर रख कर सामने को झूला दी जिससे मेरा एक स्तन उनके

हाथों मे ठोकर मारने लगा. जैसे ही दीदी ने शटर दबाया विशलजी

ने मेरे स्तन को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और मसल दिया. मैं जब तक

सम्हल्ती तब तक तो हुमारा ये पोज़ कमेरे मे क़ैद हो चुका था.

इस फोटो को विशाल जी ने सम्हाल कर अपने पर्स मे रख लिया. विशाल

तोहम दोनो के संभोग के भी स्नॅप्स लेना चाहता था लेकिन मैं एकद्ूम से

आड़गयी. मैने इस बार उसकी बिल्कुल नही चलने दी.

इसी तरह मस्ती करते हुए कब चार दिन गुजर गये पता ही नही

चला.

हनिमून पर विशाल जी को और मेरे संग संभोग का मौका नही मिला

बेचारे अपना मन मसोस कर रह गये.हम हनिमून मना कर वापस

लौटने के कुच्छ ही दीनो बाद मैं पंकज के साथ मथुरा चली आई.

पंकज उस कंपनी के मथुरा विंग को सम्हलता था. मेरे ससुर जी

देल्हीके विंग को सम्हलते थे और मेरे जेठ उस कंपनी के बारेल्ली के

विंग के सीईओ थे.

घर वापस आने के बाद सब तरह तरह के सवाल पूछ्ते थे. मुझे

तरह तरह से तंग करने के बहाने ढूँढते. मैं उनसब की नोक झोंक

से शर्मा जाती थी.

मैने महसूस किया कि पंकज अपनी भाभी कल्पना से कुच्छ अधिक ही

घुले मिले थे. दोनो काफ़ी एक दूसरे से मज़ाक करते और एक दूसरे को

छ्छूने की या मसल्ने की कोशिश करते. मेरा शक यकीन मे तब बदल

गया जब मैने उन दोनो को अकेले मे एक कमरे मे एक दूसरे की आगोश मे

देखा.

मैने जब रात को पंकज से बात की तो पहले तो वो इनकार करता रहा

लेकिन बार बार ज़ोर देने पर उसने स्वीकार किया कि उसके और उसकी

भाभीमे जिस्मानी ताल्लुक़ात भी हैं. दोनो अक्सर मौका धहोंध कर सेक्स का

आनंद लेते हैं. उसकी इस स्वीकृति ने जैसे मेरे दिल पर रखा

पत्थर हटा दिया. अब मुझे ये ग्लानि नही रही कि मैं छिप छिप कर

अपने पति को धोका दे रही हूँ. अब मुझे विश्वास हो गया की पंकज

को किसी दिन मेरे जिस्मानी ताल्लुकातों के बारे मे पता भी लग गया तो

कुच्छ नही बोलेंगे. मैने थोडा बहुत दिखावे को रूठने का नाटक

किया. तो पंकज ने मुझे पूछकरते हुए वो सहमति भी दे दी. उन्हों

नेकहा की अगर वो भी किसी से जिस्मानी ताल्लुक़ात रखेगी तो वो कुच्छ नही

बोलेंगे.

अब मैने लोगों की नज़रों का ज़्यादा ख़याल रखना शुरू किया. मैं

देखनाचाहती थी की कौन कौन मुझे चाहत भरी नज़रों से देखते है.

मैनेपाया कि घर के तीनो मर्द मुझे कामुक निगाहों से देखते हैं. नंदोई

और ससुर जी के अलावा मेरे जेठ जब भी अक्सक मुझे निहारते रहते थे.

मैने उनकी इच्च्छाओं को हवा देना शुरू किया. मैं अपने कपड़ों और

अपनेपहनावे मे काफ़ी खुला पन रखती थी. आन्द्रूनि कपड़ों को मैने

पहननाछ्चोड़ दिया. मैं सारे मर्दों को भरपूर अपने जिस्म के दर्शन

करवाती.
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