RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
गतान्क से आगे........................
तो उन्हों ने हंस कर मेरी ओर देखते हुए एक आँख दबा कर कहा, "
यही सही है. तुम्हारी जगह कोई दूसरा ले भी नही सकती और बाइ दा
वे मेरा और कोई कुँवारा बेटा भी तो नही बचा ना."
अभी दो महीने ही हुए थे कि मैने राज जी को कुच्छ परेशान
देखा.
"क्या बात है डॅडी आप कुच्छ परेशान हैं." मैने पूचछा.
"शिम्रिति तुम कल से हफ्ते भर के लिए ऑफीस आने लागो." उन्हों ने
मेरी ओर देखते हुए पूचछा," तुम्हे कोई परेशानी तो नही होगी ना
अपने पुराने काम को सम्हालने मे?
"नही. लेकिन क्यों?" मैने पूचछा
"अरे वो नयी सेक्रेटरी अकल के मामले मे बिल्कुल खाली है. दस दिन
बाद पॅरिस मे एक सेमिनार है हफ्ते भर का. मुझे अपने सारे पेपर्स
और नोट्स तैयार करने हैं जो कि तुम्हारे अलावा और कोई नही कर
सकता. तुम जितनी जल्दी अपने काम मे एक्सपर्ट हो गयी थी वैसी कोई
दूसरी मिलना मुश्किल है."
"लेकिन डॅडी मैं वापस उस पोस्ट पर रेग्युलर काम नही कर सकती क्योंकि
पंकज आने पर मैं वापस मथुरा चली जौंगी"
"कोई बात नही. तुम तो केवल मेरे सेमिनार के पेपर्स तैयार कर दो
और मेरी सेक्रेटरी बन कर पॅरिस मे सेमिनार अटेंड कर लो. नही
इनकार मत करना. तुम्हे मेरे साथ सेमिनार अटेंड करना ही पड़ेगा.
सुनयना के बस का नही है ये सब. इन सब सेमिनार मे सेक्रेटरी स्मार्ट
और सेक्सी होना बहुत ज़रूरी होता है. जोकि सुनयना है नही. यहाँ
केच्छोटे मोटे कामो के लिए सुनयना रहेगी"
"ठीक है मैं कल से ऑफीस चलूंगी आपके साथ." मैने उन्हे
छेड़ते हुए पूचछा, "मुझे वापस स्कर्ट तो नही पहन्नि पड़ेगी ना?"
मैने अपनी राई सुना दी उन्हे. मैने ये कहते हुए उनकी तरफ हल्के से
अपनी एक आँख दबाई. वो मेरी बातों को सुन कर मुस्कुरा दिए.
"तुम्हारी जो मर्ज़ी पहन लेना. कुच्छ नही पहनो तो भी राज शर्मा के
बेटे की बीवी को लाइन मारने की हिम्मत किसी मे नही होगी." हम हंसते
हुए अपने अपने कमरों की ओर बढ़ गये. उस रात मुझे बहुत अच्छि
नींद आई. सपनो मे मैं उस ऑफीस मे बीते हर पल को याद करती
रही.
मैं अगले दिन से ऑफीस जाने लगी. डॅडी के साथ कार मे ही जाती और
उनके साथ ही वापस आती. ऑफीस मे भी अब सलवार कमीज़ या सारी मे
डीसेंट तरीके से ही रहती. लेकिन जब कॅबिन मे सिर्फ़ हम दोनो बचते
तो मेरा मन मचलने लगता. मैने महसूस किया था कि उस वक़्त
राज जी भी असहज हो उठते. जब मैं ऑफीस मे बैठ कर
कंप्यूटर पर सारे नोट्स तैयार करती तो उनकी निगाहों की तपिश
लगातार अपने बदन पर महसूस करती.
मैने सारे पेपर्स तैयार कर लिए. चार दिन बाद मुझे फादर इन
लॉ के साथ पॅरिस जाना था.
एक दिन खाना खाने के बाद मैं और पापा टी.वी. देख रहे थे. मम्मी
जल्दी सोने चली जाती है. कुच्छ देर बाद राज जी ने कहा
"स्मृति पॅरिस जाने की तैयारी करना शुरू करदो. टिकेट आ चुक्का
है बस कुच्छ ही दीनो मे फ्लाइट पकड़नी है."
"मैं और क्या तैयारी करूँ. बस कुच्छ कपड़े रखने हैं."
"ये कपड़े वहाँ नही चलेंगे." उन्हों ने कहा " ऑर्गनाइज़िंग कंपनी
ने सेमिनार का ड्रेस कोड रखा है. और उसकी कॉपी अपने सारे
कॅंडिडेट्स को भेजा है. उन्हों ने स्ट्रिक्ट्ली ड्रेस कोड फॉलो करने
के लिए सारी कंपनी के रेप्रेज़ेंटेटिव्स से रिक्वेस्ट की है. जिसमे
तुम्हे यानी सेक्रेटरी को सेमिनार के वक़्त लोंग स्कर्ट और ब्लाउस मे
रहना पड़ेगा. शाम को डिन्नर और कॉकटेल के समय माइक्रो स्कर्ट और
टाइट टी शर्ट पहँनी पड़ेगी विदाउट..... ....... अंडर गारमेंट्स"
उन्हों ने मेरी ओर देखा. मेरा मुँह उनकी बातों से खुला का खुला रह
गया. " शाम को अंडरगार्मेंट्स पहनना अल्लोव नही है. दोपहर और
ईव्निंग मे पूल मे टू पीस बिकनी पहनना पड़ेगा."
"लेकिन?" मैने थूक का घूँट निगल कर बोला" मेरे पास तो इस तरह
के सेक्सी ड्रेस हैं नही. और आपके सामने मैं कैसे उन ड्रेस को पहन
कर रहूंगी?"
"क्यों क्या प्राब्लम है?"
"मैं आपकी पुत्रवधू हूँ" मैने कहा.
"लेकिन वहाँ तुम मेरी सेक्रेटरी बन कर चलॉगी." राज जी ने
कहा.
"ठीक है सेक्रेटरी तो रहूंगी लेकिन इस रिश्ते को भी तो नही
भुलाया जा सकता ना" मैने कहा.
"वहाँ देखने वाला ही कौन होगा. वहाँ हम दोनो को पहचानेगा ही
कौन. वहाँ तुम केवल मेरी सेक्रेटरी होगी. एक सेक्सी और…." मुझे
उपर से नीचे तक देखते हुए आगे कहा" हॉट. तुम वहाँ हर अवक़्त
मेरी पर्सनल नीड्स का ख़याल रखोगी जैसा कि कोई अच्छि सेक्रेटरी
रखती है. ना कि जैसा कोई बहू अपने ससुर का रखती है."
उनके इस कथन मे गंभीर बात को मैने भाँप कर अपना सिर झुका
लिया.
"तुम परेशान मत हो सारा अरेंज्मेंट कंपनी करेगी तुम कल मेरे
साथ चल कर टेलर के पास अपना नाप दे आना. बाकी किस तरह के
ड्रेस सिलवाने हैं कितने सिलवनी हैं सब मेरी हेडएक है"
अगले दिन मैं उनके साथ जाकर एक फेमस टेलर के पास अपना नाप दे
आई. जाने के दो दिन पहले राज जी नेदो आदमियों के साथ एक बॉक्स
भर कर कपड़े भिजवा दिए.
मैने देखा की उनमे हर तरह के कपड़े थे. कपड़े काफ़ी कीमती थे.
मैने उन कपड़ों पर एक नज़र डाल कर अपने बेडरूम मे रख लिए. मैं
नही चाहती थी कि मेरी सास को वो एक्सपोसिंग कपड़े दिखें. पता नही
उसके बारे मे वो कुच्छ भी सोच सकती थी.
शाम को उनके वापस आने के बाद जब मैने उन्हे अकेला पाया तो मैने
उनसे पूचछा,
"इतने कपड़े! सिर्फ़ मेरे लिए हैं?"
"और नही तो क्या. तुम वहाँ मेरी सेक्रेटरी होगी. और मेरी सेकरटरी
सबसे अलग दिखनी चाहिए. तुम हर रोज एक नये डिज़ाइन का कपड़ा
पहनना. उन्हे भी तो पता चले हम इंडियन्स कितने शौकीन हैं.
तुमने पहन कर देखा उन्हे"
"नही, मैने अभी तक इन्हे ट्राइ करके तो देखा ही नही"
" कोई बात नही आज रात खाना ख़ान एके बाद तुम्हारा ट्राइयल लेलेटे
हैं. फिर मुस्कुरा कर बोले " मम्मी को जल्दी सुला देना"
रात को खाना खाने के बाद मम्मी सोने चली गयी. डॅडी ने खाना
नही खाया उन्हों ने कहा कि वो खाने से पहले दो पेग विस्की के लेना
चाहते हैं. मम्मी तो इंतेज़ार ना करके खुद खाना खाकर उन्हे मेरे
हवाले कर के चली गयी. मैने सारा समान सेंटर टेबल पर तैयार
कर के रख दिया. वो सोफे पर बैठ कर धीरे धीर ड्रिंक्स सीप
करने लगे. वो इस काम को लंबा खींचना चाहते थे. जिससे मम्मी
गहरी नींद मे डूब जाती. मैं उनके पास बैठी उनके काम मे हेल्प
कर रही थी कुच्छ देर बाद उन्हों ने पूचछा,
"मम्मी सो गयी? देखना तो सही" मैं उठ कर उनके बेड रूम मे जाकर
एक बार सासू जी पर नज़र मार आई. वो तब गहरी नींद मे सो रही
थी. मैं सामने के सोफे पर बैठने लगी तो उन्हों ने मुझे अपने पास
उसी सोफे पर बैठने का इशारा किया. मैं उठ कर उनके पास बैठ
गयी. उन्हों ने कुच्छ देर तक मुझे निहारा और फिर कहा,
" जाओ स्मृति और एक एक करके सारे कपड़े मुझे पहन कर दिखाओ."
कहते हुए उन्हों ने अपना ड्रिंक बनाया. मैं उठ कर अपने बेड रूम मे
चली गयी. बेडरूम मे आकर दोनो बॉक्स खोल कर
सारे कपड़ों को बिस्तर के उपर बिच्छा दी. मैने सबसे पहले एक
ट्राउज़र और शर्ट छेंटा. उसे पहन कर कॅट वॉक केरते हुए किसी
मॉडेल की तरह उनके सामने सोफे तक पहुँची और अपने हाथ कमर पर
रख कर दो सेकेंड रुकी फिर झुककर उन्हे बो किया और धीरे से
पीछे मूड कर उन्हे अपने पिच्छवाड़े का भी पूरा अवलोकन करने दिया
फिर मुड़कर पूचछा "ठीक है?"
उन्हों ने कुसकुरा कर कहा "सेक्सी…..एम्म्म"
मैं वापस अपने कमरे मे आ गयी फिर दूसरे कपड़े को पहन कर उनके
सामने पहुँची...फिर तीसरे..... बनाने वाले ने बड़े ही खूबसूरत
डेस्ज्ञ मे सारे कपड़े सिले थे. जो रेडीमेड थे उन्हे भी काफ़ी नाप
जोख करके सेलेक्ट किया होगा क्यों की कपड़े ऐसे लग रहे थे मानो
मेरे लिए ही बने हों. बदन से ऐसे चिपक गये थे मानो मेरे बदन
पर दूसरी चाँदी चढ़ गयी हो.
ट्राउज़र्स के बाद लोंग स्कर्ट और ब्लाउस की बारी आई. राज जी
मेरे शो का दिल से एंजाय कर रहे थे. हर कपड़े पर कुच्छ ना कुच्छ
कॉमेंट्स पास करते जा रहे थे.
लोंग स्कर्ट के बाद माइक्रो स्कर्ट की बारी आई. मैने एक पहना तो मुझे
काफ़ी शर्म आई. स्कर्ट की लंबाई पॅंटी के दो अंगुल नीचे तक थी. टी
शर्ट भी जस्ट मेरी गोलैईयों के नीचे ही ख़त्म हो रहे थे. टी
शर्ट्स के गले भी काफ़ी डीप थे. मेरे आधे बूब्स सामने नज़र आ रहे
थे. मैने ब्रा और पॅंटी के उपर ही उन्हे पहना और एक बार अपने
बदन को सामने लगे फुल लेंग्थ आईने मे देख कर शरमाती हुई उनके
सामने पहुँची.
"नो नो .... तुम्हे पूरे ड्रेस कोड को निभाना पड़ेगा" उन्हों ने अपने
ग्लास से सीप करते हुए कहा "नो अंडर गारमेंट्स"
" मैं वहाँ उसी तरह पहन लूँगी. यहाँ मुझे शर्म आ रही है"
मैने शरमाते हुए कहा.
"यहाँ मैं अकेला हूँ तो शर्म आ रही है वहाँ तो सैकड़ों लोग
देखेंगे फिर?"
"डॅडी वहाँ तो सारी लड़कियाँ इसी ड्रेस मे होंगी इसलिए शर्म नही
लगेगा"
"नही नही तुम तो उसी तरह आओ. नही तो पता कैसे चलेगा इन कपड़ों
मे तुम कैसी लगोगी." उन्हों ने कहा मैं चुपचाप लौट आई. और अपनी
ब्रा और पॅंटी उतार कर पैरों को सिकोडते हुए वापस पहुँची. उनके
सामने जाकर जैसे ही मैने अपने हाथ कमर पर रखे उनकी आँखें
बड़ी बड़ी हो गयी. उन्हों ने शॉर्ट्स पहन रखी थी उसमे से उनके
लिंग का उभार सॉफ दिख ने लगा. उनका लीग मेरे एक्सपोषर का सम्मान
देते हुए टंकार खड़ा हो गया. पॅंट के उपर से तंबू की तरह
उभार नज़र आने लगा..
"सामने की ओर थोडा झुको" उन्हों ने मुझे कहा तो मैं सामने की ओर
झुकी. मेरे टी शर्ट के गले से मेरे पूरे उभार बाहर झाँकने लगे.
पूरा स्तनउनकी नज़रों के सामने था.
"पीछे घूमओ" उन्हों ने फिर कहा
मैं धीरे धीरे पीछे घूमी. मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे झुके
होने के कारण पीछे घूमने पर छ्होटे से स्कर्ट के अंदर से मेरी
योनि उनको नज़र आ गयी होगी. उन्हों ने मेरी तारीफ करते हुए
कहा "बाइ गॉड तुम आग लगा दोगि सारे पॅरिस मे"
मुस्कुराते हुए मैं वापस बेड रूम मे चली गयी. कुच्छ देर बाद एक
के ब्बाद एक सारे स्कर्ट और टी शर्ट ट्राइ कर लिए. अब सिर्फ़ बिकनी बची
थी.
"डॅडी सारे कपड़े ख़त्म हो गये अब सिर्फ़ बिकनी ही बची हैं" मैने
कहा
"तो क्या उन्हे भी पहन कर दिखाओ" उन्हों ने कसमसाते हुए अपने तने
हुए लिंग को सेट किया. इस तरह की हरकत करते हुए उनको मेरे सामने
किसी तरह की शर्म महसूस नही हो रही थी.
मैं वापस कमरे मे जाकर पहली बिकनी उठाई. उसे अपने बदन पर पहन
कर देखी. बिकनी सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी की तरह टू पीस थी. बाकी
सारा बदन नग्न था. उन्ही कपड़ों मे चलती हुई राज जी के पास
आई. राज जी की जीभ मेरे लगभग नग्न बड़ा को देख कर
होंठों पर फिरने लगी.
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