RE: Hindi Sex Kahani खाला के संग चुदाई
मैने कहा खाला ने थप्पड़ मारा था तो खून निकल आया.. सोबिया ने खाला की तरफ देखा ऑर अंबर खाला से बोली... अरे अंबर तुम ने इसको क्यू मारा है. ये तो इतना प्यारा लड़का है ऑर सोबिया ने मेरे गाल को अपनी 2 उंगली से पकड़ कर प्यार का इज़हार किया.. मगर जब सोबिया मेरे गाल से हाथ हाथ हटाने लगी तो उस ने अपनी एक उंगली को मेरे होंठो पर प्रेस कर दिया ऑर फिर मुझे देख कर मुस्कुराने लगी...
खाला भी मेरे जवाब से कुछ हद तक रिलॅक्स हो गई ऑर उनके फेस पर भी हल्की सी स्माइल आ गई....
सोबिया ने फिर खाला की तरफ देख कर कहा.... अरे अंबर तू तमीज़ भूल गई है क्या. जब कोई घर मे आता है तो कम आज़ कम पानी का तो पूछा करो.
खाला शर्मिंदगी सी हंस पड़ी ऑर सोबिया को कहा के सॉरी यार. गॅप शॅप मे भूल ही गई... मैं चाई बना कर लाती हूँ..
ये कहते कर खाला बेड से उतरने लगी तो जैसे ही वो अपने पैरों पर खड़ी हुई तो बे इकतियार उनके मुँह से सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल गई... शायद खाला को अभी तक गान्ड मे दर्द हो रहा था.. सोबिया ने खाला की आवाज़ सुनी तो एक दम से खाला को बोली...
अंबर क्या हुआ.. तेरी तबीयत तो ठीक है...
खाला ने उसको देखते हुए कहा... हां यार मैं ठीक हूँ. बस पाओं मे अचानक दर्द उठा है.
ये कहते कर खाला सोफे के क़रीब जाने लगी... अब यहाँ पर एक ऑर नज़ारा हमारा मुंतज़ीर था.. ऑर वो ये कि जब खाला बेड से उठी तो उनकी कमीज़ उनकी गान्ड से उठी हुई थी ऑर शायद शलवार के नेफे मे फँसी हुई थी.... खाला की बॅक हमारी तरफ ही थी, मैं ऑर सोबिया उनको ही देख रहे थे... खाला की गान्ड के उपर शलवार पर खून के हल्के से धब्बे लगे हुए थे... सोबिया की नज़र मुझ से पहले ही खाला की गान्ड पर पड़ी ऑर उसका मुँह खुल्ला का खुल्ला रह गया....
उसने खाला को देख कर एक दम से मुझे देखा तो मेरी नज़र भी उसी टाइम खाला की गान्ड पर पड़ी... ऑर मैं जल्दी से उठ कर खाला के पीछे खड़ा हो गया ता कि उनकी गान्ड कवर हो जाए मगर मुझे नही पता था कि मैं जिस चीज़ को छुपाने की कोशिश कर रहा हूँ वो सोबिया पहले ही देख चुकी है... ऑर आहिस्ता से मैने उनकी कमीज़ ठीक कर दी. खाला ने मुझे उनकी कमीज़ ठीक करते हुए देख लिया था ऑर वो समझ गई थी कि उनकी गान्ड पर भी खून लगा हुआ है... खाला ने परेशान नज़र से सोबिया को देखा ऑर फिर मुझे... मगर वो जान बूझ कर इस बात को इग्नोर कर गई ऑर सिर्फ़ इतना बोली कि मैं चाई बना कर आती हूँ. ये कह कर वो कमरे से बाहर जाने लगी... खाला की चाल देख कर अंदाज़ा हो रहा था कि वो अभी भी तकलीफ़ मे है क्योंकि वो अपनी लेग्स को थोड़ा सा ओपन कर के चल रही थी. रूम से बाहर जा कर खाला किचन मे चली गई...
अब रूम मे सोबिया ऑर मेरे अलावा कोई ऑर नही था... सोबिया मेरी तरफ शक भरी नज़रो से देखने लगी.. उस वक़्त पता नही क्यू मैं सोबिया से नज़रें नही मिला सका ऑर मेरा सिर खुद ही शरम से झुक गया...
सोबिया कुछ देर तक इसी तरह मुझे देखती रही ऑर फिर बहुत प्यार से बोली.... अरे अयान तुम खड़े क्यू हो... यहाँ आ कर बैठ जाओ ना. खड़े खड़े तक जाओगे.. मैं ने भी कुछ ना कहा ऑर आराम से जा कर बेड पर बैठ गया.. अब सोबिया के फेस पर एक स्माइल थी जैसे वो सब कुछ समझ गई हो...
सोबिया ने मुझसे कहा... अयान सच बताओ. अंबर की तबीयत ठीक है..???
मैं ने सोबिया की तरफ़ देखा जिसके फेस पर अभी भी स्माइल थी.. उसकी स्माइल देख कर मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कोई बहुत बड़ा मुजरिम हूँ.. मैने आराम से कहा कि... हां हां खाला बिल्कुल ठीक है..
सोबिया कुछ देर खामोश रहने के बाद फिर बोली... अच्छा वो टवल पर खून कैसे लगा.. उस वक़्त सोबिया जिस अंदाज़ मे सवाल पूछ रही थी मेरा दिल कर रहा था कि उठ कर उस का गला दबा दूं मगर अपने दिल पर कंट्रोल करने के बाद बोला.. वो आपको बताया था ना कि मेरा खून था..... मेरे बोलने मे कुछ सख्ती थी जिसे सोबिया ने सॉफ महसूस कर लिया था.... मगर वो भी बाज़ आने वाली नही थी... वो मुझे बोली.... अयान तुम्हे पता है कि तुम्हारी खाला मुझसे कोई बात नही छुपाती.... तुम भी ना छुपाओ ऑर सच बता दो... मैने उसकी तरफ देख कर गुस्से से कहा... मैं आप से झूट क्यू बोलूं गा... अगर मुझ पर यक़ीन नही तो खाला से पूछ लो..... सोबिया ने भी कंधे उचकाते हुए कहा... ठीक है उसी से पूछ लेती हूँ ऑर उठ खड़ी हुई... ऑर मेरी तरफ देखे बिना ही बाहर जाने लगी.... ऑर मैं पीछे से उसको गुस्से मे घूरता रहा... मेरे मुँह से उसके लिए आहिस्ता से गाली निकल गई... तेरी गान्ड मारु....
गान्ड का ख़याल आते ही मेरे फेस पर एक स्माइल आ गई ऑर सोबिया की गान्ड पर नज़र डाली मगर वो इतनी देर मे रूम से बाहर जा चुकी थी...
सोबिया के रूम से जाने के बाद मैं कुछ देर तक तो इसी तरह बैठा रहा.. मैं अपने ऑर खाला के बारे मे ही सोच रहा था के पास पड़े हुए मोबाइल की रिंग बज पड़ी....
मैने चोंक कर मोबाइल की तरफ देखा तो खाला के मोबाइल पर कॉल आ रही थी ऑर उस पर भाबी नेम डिसप्ले हो रहा था.. मेरे फेस पर स्माइल आ गई ऑर मैने कॉल अटेंड कर ली...
मैं: हेलो
मामी: हेलो, अयान कैसे हो..
मैं: मैं ठीक हूँ मामी, आप कैसी हो..
मामी: मैं भी ठीक हूँ. क्या हो रहा है?
मैं: कुछ नही, मैं रूम मे लेटा हुआ हूँ ऑर खाला किचन मे हैं, उनकी फ्रेंड आई हुई है. वो सोबिया...
मामी: ऊऊहहूऊ तो 2, 2 लड़कियों के साथ मज़े कर रहे हो...
मैं: मामी आप की बात नही समझ आई.
मामी: मेरी जान.. घर मे 2,2 जवान लड़कियाँ हैं ऑर तुम एक अकेले लड़के हो.... मज़े कर लो ...
मेरे फेस पर एक रंग आ कर गुज़र गया.. मुझे ऐसा लगा कि जैसे मामी को मेरे ऑर खाला के रीलेशन के बारे मे सब कुछ पता है.. मैं खामोश हो गया..
मामी: हेलो अयान, कहाँ गये..
मैं: जी मामी मैं सुन रहा हूँ.
मामी: बात करो ना क्या हुआ...
मैं: जी जी बोलो. मैं सुन रहा हूँ..
मामी: तुम्हारी नींद पूरी हो गई? थकान उतर गई तुम्हारी..
मैं: हाँ ना मामी. जब कल घर से आए थे तो बहुत थके हुए थे... बस आते ही सो गये ऑर फिर रात को उठ कर खाना खा के फिर सो गये.. अब जा कर फ्रेश हुए हैं..
मामी: अब थकान उतर गई है या मैं आ कर उतार दूं...
मामी के बोलने मे शरारत छुपी हुई थी. उनकी बात सुन कर मैं भी मुस्कुरा दिया ऑर बोला....
मैं: मामी वो वाली थकान तो अभी नही उतरी ना.... वो तो आप ही उतार सकती हो. ऑर मैं हंस पड़ा.
मामी ने भी हंसते हुए कहा... बड़े तेज हो गये हो तुम..
मैं: मामी मुझे तो तेज भी आप ने ही किया है ना... अब आप बताओ कि आप कब मेरी थकान उतारोगी...
मामी: यार हमे तो अभी 2 , 3 दिन ऑर लग जाएँगे ... यहाँ पर मेहमान भी बहुत हैं ऑर काम भी बहुत है...
मैने अफसोस से कहा: यार जल्दी से आ जाओ ना..
मामी: क्यू...???? क्या पानी फिर से भर गया है...
मैने मामी का ख़ुशगवार मूड देखते हुए जवाब दिया के... हाँ ना जब आप आओ गी तो फिर ही निकले गा ना...
मामी: अरे तुम्हारे पास 2,2 लड़कियाँ हैं ना... उनको पकड़ लो ना....
मैं: कौन लड़कियाँ...
मैं ऑर मामी अब पूरी तरह खुल के गॅप शॅप लगा रहे थे.... ना मैं शरमा रहा था ऑर ना मामी शरमा रही थी...
मामी: अरे वो सोबिया ऑर अंबर (खाला) हैं ना...
जब मामी ने खाला का नाम लिया तो मैं हैरान रह गया कि मामी मुझे खाला के बारे मे बोल रही है..
मैं: म्म्म्मल म्म्म्म मामी वो खाला...
मामी ने मेरी परेशानी को महसूस कर लिया ऑर मुझे कन्फ्यूज़ करते हुए बोली.... हाँ ना... क्यू अंबर लड़की नही है क्या...
मैं: वो लड़की तो हैं मगर खाला हैं ना... उनके साथ कैसे...
मामी: अरे जब तुम अपनी मामी की मार सकते हो तो खाला वाली को क्या सुरखाब के पर लगे हैं... क्यू खाला मे जाता नही है क्या...
मामी की बातें सुन कर मैं हैरत के समंदर मे गोते खा रहा था... मैं खामोश था क्योंकि मेरे पास कोई जवाब ही नही था.. मैं हिम्मत कर के बोला...
मैं: मामी ये आप कैसी बातें कर रही हो..???
मामी: हाँ ना, मैं ठीक ही तो बोल रही हूँ.. तुम्हारी खाला लड़की नही है क्या...??? तुम तो बड़ा उसके साथ चिपके रहते हो.. बड़ा प्यार करते हो ना अपनी खाला से.. अरे बुद्धू... इस मोक़े से फ़ायदा उठाओ.... ऑर मज़े कर लो .. वरना बाद मे मोक़ा नही मिले गा....
मैं खामोश रहा.. मेरे पास कोई जवाब नही था.. मामी को पता था कि मैं उनकी बातें किसी को बताउन्गा नही तो इसीलिए उन्होने इस बारे मे मुझे कोई ताक़ीद नही की ऑर खाला से बात करवाने का कहा....
मैं मोबाइल ले कर किचन मे गया तो खाला ऑर उनकी फ्रेंड शायद मेरे बारे मे ही बात कर रही थी क्योंकि मैने किचन मे एंटर होते वक़्त खाला के मुँह से अपना नाम सुना... मुझे देख कर वो एक दम से खामोश हो गई... मैने खाला को मोबाइल दे दिया ओर वहाँ खड़ा हो कर उनकी ऑर मामी की बातें सुन'ने लगा...
खाला दूसरी तरफ से कुछ बातें सुनती रही ऑर फिर मामी से बोली... भाबी, अयान से पूछ लो वो आता भी है या नही...
खाला ने मोबाइल मुझे दिया तो मामी ने मुझे कुछ कपड़े वाघेरा ले कर अपने पेरेंट्स के घर आने को कहा... मैने बहुत बहाने बनाए मगर मामी ने मेरी ना सुनी ऑर मुझे जल्दी आने का बोल कर कॉल बंद कर दी....
मैने बेबुसी से खाला की तरफ देखा... क्योंकि मैं अभी इस टाइम खाला को छोड़ कर नही जाना चाहता था मगर खाला ने मेरी रोती सूरत देख कर मुझे कहा... चंदा मैं क्या कर सकती हूँ. भाबी को चीज़े भी ज़रूरी पहुँचानी हैं...
मैं खामोश ही रहा तो सोबिया बोली... अरे अयान. कुछ नही होता.. मैं यहाँ ही तुम्हारी खाला जाआअंन्न के साथ हूँ... सोबिया ने जान के लफ्ज़ पर ज़ोर देते हुए कहा...
खाला ने मेरा हाथ पकड़ा ऑर मुझे कहा कि चलो मैं तुम्हे भाबी की चीज़े दे देती हूँ... ऑर हम मामी के रूम की तरफ जाने लगे.. सोबिया भी हमारे साथ ही जाने लगी...
हम मामी के रूम मे एंटर हुए तो सोबिया मामी ऑर मामू के बेड पर चढ़ कर बैठ लेट गई ऑर खाला को मुखातिब हुई...
अंबार इसी बेड पर..................
अभी सोबिया ने इतनी सी ही बात कही थी कि खाला ने आँखें निकाल कर उसको देखा तो वो मुँह पर हाथ रख कर हंस पड़ी..
खाला ने उसको कहा... कमीनी कुत्ति कम अज कम बच्चे के सामने तो चुप हो जाया कर...
सोबिया ने मेरी तरफ देखा ऑर मुस्कुरा कर बोली... बच्चा... कौन बच्चा.... अरे अयान अब बच्चा नही है यार... ऑर मेरी तरफ देख कर... क्यू अयान क्या तुम अभी भी बच्चे हो.. मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया ऑर खाला की तरफ देखने लगा ...
सोबिया ने फिर मुझसे कहा कि अच्छा अयान ये बताओ कि शादी कैसी रही.. मैने उसको देखा ऑर फिर कहा कि शादी बहुत अच्छी रही.. बीच मे खाला ने भी टोका दिया... सोबिया... अयान ने डॅन्स भी किया था एक लड़की के साथ.. सोबिया ने मेरी तरफ देखा ऑर मुस्कुराते हुए बोली... वाह जी वाह लड़कियों के साथ डॅन्स हो रहे हैं ऑर अभी भी बच्चे हो....
मैने कुछ ना कहा... मगर जब खाला ने डॅन्स ऑर लड़की का ज़िक्र किया तो मेरे दिल मे सितार बज उठा ऑर मेरे फेस पर एक स्माइल आ गई थी. मेरी आँखों के सामने वोही चेहरा, वो लंबे लंबे बाल ऑर शरारती आँखें घूमने लगी ऑर मेरा दिल किया कि मैं अभी उड़ कर जाऊ ऑर उस हसीन चेहरे को अपनी आँखों मे बसा लूँ ऑर उस लड़की को देखूं ऑर अपनी आँखों को उसके हुश्न से ठंडा कर दूं... मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा ऑर मुझे ऐसा लगा कि वो मुझे बुला रही हो... मेरे कानो मे सिर्फ़ एक ही आवाज़ गूंजने लगी... सबीन... सबीन.. ऑर मेरे दिमाग़ मे वोही लम्हात आने लगे कि जब मैं मामी के घर से वापस आ रहा था तो उसका वो उदास चेहरा, भीगी हुई आँखें ऑर हाथों मे मेरा एक लाइन का लव लेटर...
मैं अब जल्दी से उस से मिलना चाहता था... ऑर मैने खाला को कहा कि खाला जल्दी करो... मैने वापस भी तो आना है... लेकिन अगर मेरे बस मे होता तो मैं उसके पास से वापस ही ना आता ऑर उसकी बाँहों मे रहता...
कुछ देर बाद खाला ने सब चीज़े एक शोप्पर मे रखी ऑर मेरे हवाले कर दी... मैने वो शोप्पर बाइक पर रख कर अच्छी तरह बाँधा ऑर बिके स्टार्ट कर दी... खाला मुझे आराम से जाने का कहा ऑर कहा कि बाइक आराम से चलाना ऑर मेन डोर ओपन कर दिया... मैं बाइक ले कर निकला ऑर मेरी बाइक रोड पर दौड़ने लगी..
मैं बाइक तो रोड पर चला रहा था मगर मेरा दिल ऑर दिमाग़ तो कहीं ऑर खोया हुआ था... पता नही कैसे ऑर कितनी देर मे मैं मामी के पेरेंट्स के घर पहुँचा. बाइक स्टॅंड की ओर घर के अंदर चला गया..
वहाँ सहन मे ही मामी की अम्मी ऑर उनकी रिलेटिव्स कुछ फीमेल लॅडीस थी. मैने सब को सलाम किया.. मामी की आमी ने मेरे सिर पर हाथ फेर कर मुझे प्यार दिया ऑर मुझे कहा कि... जाओ तुम्हारी मामी अंदर हैं...
मैं अंदर चला गया ऑर मामी को ढूँढने लगा.. एक रूम मे देखा फिर दूसरे रूम मे देख मगर मामी नही मिली.. किसी लॅडीस से पूछने पर पता लगा कि मामी लास्ट वाले रूम मे हैं....
मैं लास्ट रूम की तरफ चल दिया तो डोर बंद था मगर लॉक नही था... मैं ने डोर के हॅंडल पर हाथ रखा ऑर दरवाज़ा बिना कोई आवाज़ किए ही खुलता चला गया. मैने दरवाज़ा पूरी तरह ओपन नही किया था. हाफ डोर ओपन था.
मैने जैसे ही अपना पहला क़दम रूम के अंदर रखना चाहा तो अंदर की तरफ से दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की गई.... कोई दरवाज़े के पीछे खड़ा हुआ दरवाज़े को बंद करने की कोशिश कर रहा था..
मुझे बस इतनी आवाज़ आई...
ओये............... अंदर नही आना... मैं कपड़े बदल रही हूँ
मैने जब ये आवाज़ सुनी तो मैं एक दम से पीछे हो गया ऑर अंदर से डोर क्लोज़ हो गया...
मैं एक दम हैरान परेशान सा खड़ा बंद दरवाज़े को देख रहा था ऑर अपने आप को दिल ही दिल मे गालियाँ भी दे रहा था कि कम अज कम पहले डोर नॉक करना चाहिए था... मैं पत्थर की तरह साकित खड़ा था कि एक दम से डोर ओपन हुआ ऑर एक चेहरा डोर से बाहर आया.. उस चेहरे पर पहले तो गुस्सा भरा हुआ था जिसकी वजह से वो फेस लाल हो रहा था...
फ्रेंड्स... वो चेहरा किसी ऑर का नही था बल्कि उसी लड़की का था जिसकी वजह से मैं यहाँ आया था मतलब वो चेहरा किसी ऑर का नही सबीन का था.. जिस से मुझे मुहब्बत हो गई थी... जब वो कमरे से निकली तो उसके फेस पे गुस्सा था लेकिन जैसे ही उनकी नज़र मुझ पर पड़ी उसका फेस पर शर्म ओ हया की लाली छा गई... वो मुझे देख कर खुश भी थी ऑर हैरान भी.. खुशी ऑर हैरानी के मिले जुले तासुरात उसके फेस से महसूस हो रहे थे.. उस ने वाइट कलर का सूट पहना हुआ था जिस मे बिल्कुल वो एक परी लग रही रही थी...
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