09-02-2018, 11:40 AM,
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Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
नशे की सज़ा पार्ट-1
यह तब की बात है जब मैं अपने कॉलेज के एक आन्यूयल फंक्षन को अटेंड करके अपनी गाड़ी खुद ड्राइव करके घर वापस लौट रही थी.फंक्षन के बाद हुई पार्टी मे दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए कुछ शराब भी पी ली थी मैने और शायद उसी नशे का खुमार था कि मेरी कार की स्पीड 70-80 को पार कर गयी थी .इसका ख़याल मुझे तब आया जब एक पोलीस जीप ने हॉर्न देकर मेरी कार को रोका.
पोलीस जीप में से 25-30 साल का जवान पोलीस इनस्पेक्टर निकला और मेरी कार के साइड विंडो की तरफ आकर रौब से बोला- “नशे मे गाड़ी चला रही है.मालूम नही यहाँ मॅग्ज़िमम स्पीड लिमिट 40 की है और तुम 70 की स्पीड पर गाड़ी भगा रही हो !”
इनस्पेक्टर के रौबीली आवाज़ से में एकदम डर गयी और बोली- “ ग़लती हो गयी इनस्पेक्टर साहिब .आगे से ध्यान से गाड़ी चलवँगी.”
“कार से बाहर निकलो और अपना ड्राइविंग लाइसेन्स दिखाओ “ इनस्पेक्टर भी इस हाथ आए सुनहरे मौके को हाथ से नही जाने देना चाहता था.
में ड्राइविंग लाइसेन्स अपने पर्स मे खोजने लगी लेकिन मिला नही शायद में घर पर ही भूल आई थी.मेरी घबराहट और बढ़ गयी- “ सर, लगता है मेरा लाइसेन्स घर पर ही रह गया है “
“बाहर आ आजा .तेरी तलाशी लेनी पड़ेगी.” इनस्पेक्टर ने मुझे बाहर निकलने का हुक्म दिया.
मैं घबराती हुई कार से बाहर निकलकर खड़ी हो गयी.मेरे बदन पर स्किन टाइट वाइट टॉप और घुटनो से काफ़ी ऊँची ब्लॅक स्कर्ट थी, जिसमे मेरी फिगर ठीक से नज़र आ रही थी.इनस्पेक्टर ने जी भरकर मेरी खूबसूरत फिगर को देखा फिर कड़क आवाज़ मे बोला-“अपने हाथ उपर उठाओ और घूम जाओ”
शरम से मेरा चेहरा लाल हो चुक्का था लेकिन मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नही था.मैने वोही किया जो इनस्पेक्टर चाहता था.उसने तलाशी लेने के बहाने मेरे पूरे बदन पर अपने हाथ फिराने शुरू कर दिए.
तलाशी लेने के बाद उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और मेरे चेहरे को बिल्कुल अपने नज़दीक कर लिया-,” मूह खोलो अपना”
मैने जैसे ही मूह खोला,वो बोला,”तुम्हारे मूह से शराब की स्मेल आ रही है.कहाँ से आ रही हो शराब पीकर ? “
मैं अब और भी घबरा गयी थी-“सर कॉलेज की पार्टी में थोड़ी सी पी ली थी.”
“शराब पीकर बिना ड्राइविंग लाइसेन्स के कार चलाने के जुर्म मे तुम्हे कम से कम दस साल की तो सज़ा होकर रहेगी” इनस्पेक्टर ने मेरी तरफ देखा और अपनी पॉकेट से हथकड़ी निकालकर मेरे हाथों को पीछे ले जाकर उन्हे बाँध दिया .अब में बिल्कुल हेल्पलेस हो गयी.
डर के मारे मई रोने गिड०गिदाने लगी लेकिन इनस्पेक्टर पर इसका कोई असर नही हुआ.वो बोला-अब बाकी की कार्यवाही थाने मे होगी.आओ और मेरी जीप मे बैठ जाओ.”
मेरे हॅंडकफ्ड हाथों को पकड़कर वो मुझे अपनी पोलीस जीप तक ले आया और गाड़ी की आगे अपने साथ बाली सीट पर बिठा दिया-मेरे हाथ पीछे से हॅंडकफ्ड होने की वजह से मुझे बैठने में काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी.मैने उसकी तरफ देखकर कहा-“सर, मेरे हाथ खोल दीजिए ना.मुझे बैठने मे बहुत तकलीफ़ हो रही है.” इसका सल्यूशन इनस्पेक्टर ने कर डाला-मेरी हथकड़ी खोलकर नही बल्कि अपनी चालाकी से.इनस्पेक्टर मुझसे बोला-“मेरी तरफ झुक कर मेरी जांघों पर अपना चेहरा टीका सकती हो.इससे तुम्हे कोई देख भी नही पाएगा और तुम्हे हॅंडकफ्ड होकर बैठना भी नही पड़ेगा”
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