Hindi Sex Kahaniya कामलीला
09-11-2018, 11:40 AM,
#25
RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
मैंने उससे स्क्रू ड्राइवर माँगा और उसे खोल कर दुरुस्त करने लगा।
‘वैसे आप खुद को इतना अंडर एस्टीमेट क्यों करते हैं?’ उसने शायद पहली बार मुझे गौर से देखते हुए कहा।
‘कहाँ? नहीं तो। मैं जानता हूँ कि मैं क्या हूँ और मैं खामख्वाह की कल्पनाएं नहीं करता, न भ्रम पालता हूँ और इसका एक फायदा यह होता है कि मैं अपनी सीमायें नहीं लांघता कि कभी किसी की दुत्कार सहनी पड़े। अब जैसे आपने कभी मुझे दोस्त बनाया होता तो मैं हम दोनों के बीच का फर्क जानते समझते कभी अपनी सीमायें नहीं लांघता और न आपके हाथ से बढ़ कर गले तक पहुँचता।’
यह बात कहने के लिए मुझे बड़ी हिम्मत करनी पड़ी थी।
इस बार वो कुछ बोली नहीं, बस गहरी निगाहों से मुझे देखते रही।
मैंने प्लग सही किया और सॉकेट में लगा दिया, सप्लाई चालू हुई तो राऊटर में भी लाइन आ गई।
उसने लैप्पी के वाई फाई पे नज़र डाली, नेट चालू हो गया था।
‘तो मैं अब चलूँ?’
‘खाना खा के जाने का इरादा हो तो कहिये बना दूँ।’ कहते हुए वो इतने दिलकश अंदाज़ में मुस्कराई थी कि दिल धड़क कर रह गया था।
मेरे मुंह से बोल न फूटा तो मैं मुड़ कर चल पड़ा।
वो मुझे दरवाज़े तक छोड़ने आई थी और जब मुझे बाहर करके वापस दरवाज़ा बंद कर रही थी तो एक बात बोली ‘सोचूंगी।’
‘किस बारे में?’
पर जवाब न मिला और दरवाज़ा बंद हो गया।
उस रात मुझे बड़ी देर तक नींद नहीं आई, जितनी भी बात हुई अनपेक्षित थी और शांत मन में हलचल मचाने के लिए काफी थी।
उसकी आखिरी बात ‘सोचूंगी’ किसी तरह का साइन थी लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसका मकसद क्या था।
बहरहाल मैं उतरती रात में जाकर सो पाया।
सुबह उठा तो अजीब सी कैफियत थी… आज सोमवार था और काम का दिन था।
जैसे तैसे दस बजे जाने के लिए तैयार हुआ ही था कि फोन बज उठा।
कोई नया नंबर था लेकिन जब उठाया तो दिल की धड़कने बढ़ गईं।
‘निकल गए या अभी घर पे हो?’ आम तौर पर एकदम किसी की आवाज़ को पहचानना आसान नहीं होता लेकिन गौसिया की आवाज़ कुछ इस किस्म की थी कि लाखों नहीं तो हज़ारों में ज़रूर पहचानी जा सकती थी।
‘घर पे हूँ… निकलने वाला हूँ, बताओ?’
‘कोई बहाना मार के छुट्टी कर लो और इसी वक़्त मेरी छत पे आओ। दरवाज़ा खुला है, सीधे मेरे कमरे में आओ।’
‘इस वक़्त?’ मेरा दिल जैसे उछल के हलक में आ फंसा, धड़कनें बेतरतीब हो गईं।
‘हाँ! वैसे छत पे कोई नज़र नहीं रखे रहता लेकिन फिर भी दिखावे के लिए मॉडम वाला बॉक्स खोलकर चेक कर लेना कि लगे कुछ कर रहे हो। आस पास वाले जानते ही हैं कि क्या काम करते हो।’
फोन कट हो गया।
यह मेरी कल्पना से भी परे था, मेरे गुमान में भी नहीं था कि मुझे कभी ऐसा मौका मिलेगा।
पता नहीं क्या है उसके मन में?
बहरहाल मैंने ऑफिस फोन करके तबियत ख़राब होने का बहाना मारा और सीढ़ी से होकर ऊपरी छत पर आ गया।
मैंने आसपास नज़र दौड़ाई लेकिन कहीं कोई ऐसा नहीं दिखा जो इधर देख रहा हो। दोनों छतों के बीच की चार फुट की दीवार फांदी और उसकी छत पे पहुँच कर मॉडम वाला बॉक्स खोलकर ऐसे चेक करने लगा जैसे कुछ खराबी सही कर रहा होऊँ।
फिर उसे बंद करके सीढ़ियों के दरवाज़े पे आया जो कि खुला हुआ था और उससे होकर नीचे आ गया।
नीचे दो कमरे थे जिनके बारे में मुझे पता था कि एक उसके भाइयों का था और एक उसका।
मैंने उसके कमरे के दरवाज़े को पुश किया तो वो खुलता चला गया।
और सामने का नज़ारा देख कर मेरी धड़कने रुकते रुकते बचीं।
वो हसीन बला सामने ही खड़ी थी… लेकिन किस रूप में??
उसके घने रेशमी बाल खुले हुए थे जो उसके चेहरे और कन्धों पे फैले हुए थे… गोरा खूबसूरत चेहरा कल की ही तरह बेपर्दा था और क़यामत खेज बात यह थी कि उसने कपड़े नहीं पहने हुए थे, उसने पूरे जिस्म पर सिर्फ एक शिफॉन का दुपट्टा लपेटा हुआ था, दुपट्टे से सीना, कमर, और जांघों तक इस अंदाज़ में कवर था कि आवरण होते हुए भी सबकुछ अनावृत था।
शिफॉन के हल्के आवरण के पीछे उसके मध्यम आकार के वक्ष अपने पूरे जलाल में नज़र आ रहे थे जिनके ऊपरी सिरों को दो इंच के हल्के भूरे दायरों ने घेरा हुआ था और जिनकी छोटी छोटी भूरी चोटियाँ सर उठाये जैसे मुझे ही ललकार रही थीं।
उनके नीचे पतली सी कमर थी जहाँ एक गहरा सा गढ्ढा नाभि के रूप में पेट पर नज़र आ रहा था और पेट की ढलान पर ढेर से बालों का आभास हो रहा था… वहाँ जो भी था, वे घने बाल उसे पूरी बाकायदगी से छुपाए हुए थे।
और जो आवरण रहित था वो भी क्या कम था- संगमरमर की तरह तराशा, दूध से धुला, मखमल सा मुलायम… उसकी पतली सुराहीदार गर्दन, उसके भरे गोल कंधे, उसकी सुडौल और गदराई हुई जांघें…
उसमें हर चीज़ ऐसी ही थी जिसे घंटों निहारा जा सकता था।
मेरा खुला हुआ मुंह सूख गया था और साँसें अस्तव्यस्त हो चुकी थीं, जबकि वो बड़े गौर से मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी।
‘कल तुम कह रहे थे न कि तुम अपनी सीमायें जानते हो। मैंने तुम्हें दोस्त बनाया होता तो तुम हम दोनों का फर्क जानते समझते और अपनी सीमाओं को देखते हुए कभी मेरे हाथ से बढ़ कर मेरे गले तक न पहुँचते।’
‘तो?’ मेरे मुंह से बस इतना निकल पाया।
‘तो चलो मैंने तुम्हें अपना दोस्त समझो कि बना लिया और मेरा दोस्ती वाला हाथ तुम्हारे हाथ में है। मैं देखना चाहती हूँ कि तुम मेरे गले तक पहुँचते हो या नहीं।’
ओह ! तो यह बात थी, मेरा इम्तेहान हो रहा था।
भले उसे देखते ही मेरी हालत खराब हो गई थी, पैंट में तम्बू सा बन गया था लेकिन मैं कोई नया नया जवान हुआ छोरा नहीं था जिसका अपनी भावनाओं पर कोई नियंत्रण ही न हो।
तीस पार कर चुका था और ज़माने की भाषा में समझदार और इतना परिपक्व तो हो ही चुका था कि ऐसी किसी स्थिति में खुद को नियंत्रण में रख सकूँ।
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला - by sexstories - 09-11-2018, 11:40 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 14,062 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 6,750 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 4,646 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,756,779 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,493 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,343,745 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,028,101 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,805,166 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,206,321 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,168,676 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 28 Guest(s)