RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
छोटी सी जान चूतो का तूफान--33
जैसे ही साहिल दोबारा अपने पुराने घर वाली गाली में पहुँचा तो, उसे कमला गेट पर खड़ी हुई नज़र आई…..साहिल अभी उसकी तरफ बढ़ ही रहा था कि, गाली के दूसरी वाली साइड से मोहित आता हुआ नज़र आया…मोहित को देख कर तो जैसे कमला गुस्से से पागल ही हो गई हो…..”इसे भी अभी आना था…..यूँ तो सारा दिन कुत्तो के तरह घूमता रहता है….और अब देखो मुँह उठा कर चला आ रहा है हरामी कही का…..
दूसरी तरफ से साहिल ने भी मोहित को अपने घर की तरफ आते हुए देख लिया था…और जैसे ही वो कमला के सामने पहुँचा तो मोहित भी पास आ गया….”और सुना यार कहाँ रहते हो…आज कल दिखाई नही देते….” मोहित ने साहिल की तरफ देखते हुए पूछा….इससे पहले कि साहिल को कुछ कहता, कमला बीच में बोल पड़ी….”तुम्हारी तरह सारा दिन वो आवारा गार्दी नही करता….घर पर रह कर पढ़ता है वो…तू चल अंदर आज तेरे खबर लेती हूँ….” ये कहते हुए कमला ने मोहित को घर के अंदर भेज दिया…और फिर साहिल को साथ लेकर अंदर आ गई….
अंदर आने के बाद कमला ने गेट लॉक किया…..और उसे अपने साथ रूम में ले गई…यहाँ पर मोहित सर झुकाए हुए बैठा हुआ था….”चल अब अपना स्कूल बॅग खोल कर जल्दी से होमवर्क शुरू कर दे…और जब तक तेरा होमे वर्क पूरा नही हो जाता तब तक यहाँ से हिलना नही…वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा….” मा की डाँट सुन कर मोहित घबराया हुआ अपना बॅग लेकर बेड पर बैठ गया…मोहित भले ही अपने बाप से इतना नही डरता था. पर कमला का अपने घर पर और सभी सदस्यों पर पूरा दबदबा था…
जैसे ही मोहित पढ़ने बैठा….कमला ने मुस्कुराते हुए साहिल की तरफ देखा, और बोली….”तू चल बेटा इसे पढ़ने दे…मुझे तेरे हाथ तेरे घर पर कुछ समान भिजवाना है….जाकर नेहा को दे देना…”
साहिल: जी आंटी….
उसके बाद कमला और साहिल उस रूम से बाहर निकल कर किचन की तरफ जाने लगे…जैसे ही दोनो किचन में पहुच कर, कमला ने मूड कर साहिल को अपने बाहों में भर लिया….उसकी 38 साइज़ की चुचियाँ उसके सीने में आ धँसी. ऊफ्फ क्या नरम अहसास था, कमला की चुचियों का….कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो गई…फिर कमला साहिल से अलग हुई, और किचन की विंडो से बाहर मोहित के रूम की तरफ झाँकते हुए बोली, “ओह्ह साहिल चल जल्दी से अपनी आंटी की फुद्दि में अपना लंड डाल दे…..बहुत तडफाया है तेरे लंड ने…”
और ये कहते हुए, उसने झुकते हुए, अपनी सलवार का नाडा खोल दिया….और अपनी सलवार पेंटी समेत अपने घुटनो तक सरका कर झुक कर खड़ी हो गई. ताकि वो खिड़की से बाहर मोहित के रूम के डोर पर नज़र रख सके…जैसे ही साहिल की नज़र कमला की झांतों भरी चूत पर पड़ी….उसका लंड उसकी पेंट में झटके खाने लगा…उसने भी बिना एक पल रुके अपने पेंट की ज़िप्प खोली, और अपना मुन्सल सा लंड बाहर निकाल कर कमला के पीछे आ गया…कमला ने अपनी टाँगो को फेलाते हुए, अपनी गान्ड को ऊपेर उठा कर अपनी चूत के छेद को और बाहर की तरफ निकाल दिया…और अगले ही पल साहिल के मुन्सल लंड का दहकता हुआ सुपाडा कमला की छूट के साथ जा लगा….
साहिल के लंड के सुपाडे की गरमी को अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही, कमला का पूरा जिस्म काँप गया….चूत ने अपने कामरस के खजाने को खोल दिया….और कुछ ही पॅलो में उसकी चूत गीली हो गई…”हाई साहिल जल्दी कर डाल दे अपनी आंटी की फुद्दि में अपना लंड…आह ओह्ह्ह हाइईईईईईई ओईईईईईई मार दिताअ अहह” साहिल ने एक ही झटके में अपना आधे से ज़्यादा लंड कमला की चूत में पेल दिया था….कमला अपनी चूत को साहिल के लंड के चारो तरफ बुरी तरह जकड़े महसूस कर रही थी…..और उसे अपनी चूत की दीवारों पर साहिल के लंड की नसे सॉफ महसूस होने लगी….
कमला: अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पुत्तर तेरा लंड तां बहुत मोटा हो गया है…..अपनी आंटी की फुद्दि फाड़ कर रख दी तूने…अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पुत्तर पर कोई परवाह नही करनी तूने मेरे…ज़ोर ज़ोर बाहर निकाल निकाल कर फुद्दि में लंड ठोक बेटा….
साहिल: धीरे मोहित सुन ना ले….
कमला: नही बेटा….तू मार मेरी फुद्दि जैसे मर्ज़ी मार….
ये कहते हुए, कमला आगे की तरफ झुक गई….साहिल ने अपने लंड को धीरे-2 कमला की चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….साहिल के लंड की रगड़ को अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके, कमला एक दम मस्त हो गई…और वो भी अपनी गान्ड को पीछे की तरफ धकेलते हुए, साहिल के लंड को अपनी चूत के गहराईयो में लेने को मचलने लगी… साहिल भी समझ चुका था कि, ये रांड़ भी अब पूरे रंग में आ चुकी है… इसीलिए उसने कमला के चुतड़ों को दोनो हाथों से फैलाते हुए, तेज -2 झटके मारने शुरू कर दिए…..साहिल का हर झटके के साथ कमला का पूरा बदन हिल जाता….और मुँह से मस्ती भरी सिसकारी निकल जाती…
कमला बार -2 ऐसे मुँह बना कर पीछे की तरफ साहिल को देख रही थी… जैसे उसे साहिल के मुन्सल जैसे लंड को झेलने में दिक्कत हो रही हो…”ओह्ह साहिल अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मोटा है रे तेरा लाउडा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लगता है आज आह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे कर ना पुत्तर अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तू मेरी फुद्दि फाड़ कर ही मानेगा…अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाइईईईईईईईईईईईईईईई कहाँ था उन इतने दिनो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….अपनी आंटी का ख्याल रखा कर पुत्तर…तेरे बिना तेरी आंटी की फुद्दि की सुध लेने वाला कोई नही है…”
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