RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
मुझे गैर मर्दो के साथ हाथ मिलाने की आदत नही थी. इसीलिए मैने एक दम अपने शौहर यासिर की तरफ देखा तो यासिर ने अपनी गर्दन को हल्का से हिलाते हुए “हां” कर दी.
में आम हालत में शायद विनोद से हाथ ना ही मिलाती. मगर अब यासिर की इजाज़त के बाद मुझे चार-ओ-नचार एक गैर मर्द से ज़िंदगी में पहली बार हाथ मिलना पड़ ही गया.
मुझ से हाथ मिलाते हो विनोद ने बड़े प्यार और नर्मी से मेरे हाथ को सहलाया… जिस से मुझे एक करेंट सा लगा.. में थोड़ी सी अनकंफर्टबल महसूस करने लगी .
जब कि मैने नोट किया कि मेरा शौहर यासिर इस लम्हे मेरी और विनोद की हालत से लुफ्त अंदोज़ हो रहा था..
सपना मुझे और विनोद यासिर को साथ ले कर लाउन्ज में आ गये. और लाउन्ज में बिछे सोफे पर बैठ कर हम सब एक दूसरे से बातों में मसरूफ़ हो गये.
इस दौरान में महसूस कर रही थी. कि विनोद बे शक मेरे शौहर यासिर के साथ इधर उधर की बातें तो कर रहा है. मगर इस के बावजूद विनोद मुझे बार बार देखे जा रहा था.
मुझे विनोद का यूँ नदीदों की तरह देखना अच्छा नही लग रहा था.
मगर उस के घर में होने की वजह से खुद उठ कर कहीं जा भी नही सकती थी.
“यार ये दोनो तो शुरू हो गये… आओ हम किचन में चल कर बाते भी करते है और साथ में डिन्नर भी लगाते है” यासिर और विनोद को अपनी गुफ्तगू में गुम देख कर सपना ने मुझे अपने साथ चलने की दावत दी.
में इस मोके को गनीमत जानते हुए सपना के साथ चलती हुई उन के किचन में चली आई.
ये मेरी ज़िंदगी का दुबई में पहला दिन था. और अपने शौहर यासिर के इंडियन दोस्त विनोद और उस की बीवी सपना से पहली मुलाकात थी.
दूसरे दिन यासिर के जॉब पर जाने के बाद सपना ने मुझे कॉल की.
और फिर मुझे अपनी कार में पिक अप कर के दुबई के माल में शॉपिंग के लिए ले गई.
वो पूरा दिन मेने और सपना ने एक साथ गुज़ारा … सपना ने एमरेट्स माल से मेरी लिए थोड़ी शॉपिंग भी की…
चूँकि इंडियन और पाकिस्तानी कल्चर में खाने,ज़ुबान,लिबास समेत काफ़ी चीज़े आपस में एक दूसरे से मिलती जुलती हैं.
इसीलिए दो अलग अलग कंट्रीज़ और मज़हब के होने के बावजूद बाहर के मुमालिक में इंडियन और पाकिस्तानी लोग अक्सर एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन जाते हैं.
ये ही मेरे साथ भी हुआ कि पहले ही दिन से विनोद और यासिर की तरह मेरी और सपना की भी आपस में अच्छी दोस्ती हो गईं.
उस एक दिन में हम दोनो एक दूसरे के इतनी क़रीब आ गई,, जैसे बरसो से एक दूसरे से पहचान हो…
सपना बाते करने में बहुत माहिर थी…. बातों बातों में वो मेरी तारीफ भी करती थी .. और एक औरत के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर में दिल ही दिल में खुशी से फूले नही समा पाती थी.
मुझे अब दुबई आए 2,3 महीने होने वाले थे. और इस अरसे में सपना और में एक दूसरे की बहुत बे तकल्लुफ सहेलियाँ बन चुकी थी.
मेरे दुबई आने के कुछ महीने बाद विनोद और यासिर को अपनी जॉब के सीलसले में एक हफ्ते के लिए बॅंकाक जाना पड़ गया.
और ये अब पहला मोका था जब में अपने शौहर से कुछ अरसे के लिए दूर हुई थी.
दुबई आने के बाद अब मुझे बिना नागा अपने शौहर के लंड लेने की आदत पड़ चुकी थी.
इसीलिए यासिर के जाने के दूसरी ही रात मुझे अपना बिस्तर काटने को दौड़ने लगा.
मेरी चूत एक ही दिन में अपने शौहर की जुदाई में गरम हो हो कर अपना पानी छोड़ने लगी थी.
में रात के तकरीबन 9 बजे अभी बिस्तर पर करवट बदलते हुए अपनी गरम चूत को तसल्ली देने का नाकाम कॉसिश में मसरूफ़ थी. कि इतने में दरवाज़े की बेल बज उठी.
में हड़बड़ा कर उठी और जल्दी से अपने कपड़ों को ठीक करती दरवाज़े की तरफ लपकी.
मैने ज्यों ही दरवाज़ा खोला तो रात के उस वक्त सपना को अपने सामने खड़े पाया.
“तुम और इस वक्त ख़ैरियत” मैने सपना को अपने सामने देखा. तो हैरत से पूछने लगी.
“” वो कहते हैं ना कि खूब गुज़रे गी जब मिल बैठेंगे दीवाने दो, मुझे कल से विनोद के बगैर नींद नही आ रही थी, तो सोचा तुम्हारे पास चली आऊ,क्योंकि यासिर के बगैर तुम्हारी हालत भी मेरी जैसे ही हो गी” मेरे दरवाज़ा खोलते ही सपना ये बात कहते हुए अंदर आई और मुझे ले कर सीधा मेरे बेडरूम में घुस आई.
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