Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
07-01-2018, 12:08 PM,
#15
RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --15

गतान्क से आगे........................

पर फिर भी अगर दिमाग़ लगाया जाए तो मुश्किल भी नही था. एक सीढ़ी लगाकर उपेर चढ़े, कोई चमड़े या लकड़ी की चीज़ से तारों को दबाना और अंदर कूद जाना मुश्किल नही था. बाउंड्री वॉल और हवेली के आस पास काफ़ी सारी ज़मीन खाली थी जिसमें गार्डेन बनाया हुआ था और काफ़ी सारे पेड़ थे. ये मुमकिन था का कोई पहले ही वहाँ आकर च्छूपा बैठा हो, मौका मिलने पर खिड़की से ठाकुर साहब के कमरे के अंदर गया हो और क़त्ल करने के बाद फिर वहीं से निकल कर बाहर आ गया हो. जब खून का पता चला तो हर कोई हवेली में ठाकुर साहब के कमरे पर पहुँच गया था. यानी बाहर कोई नही था और उस आदमी के लिए हवेली के कॉंपाउंड से निकल कर भागना बहुत आसान था.

पर उसकी इस थियरी को सिर्फ़ एक ही बात नाकाम कर देती थी. और वो बात ये थी के ठाकुर के कमरे की खिड़की अंदर से बंद थी. यांकी वहाँ से कोई निकल कर नही भागा था.

ख़ान ने ठंडी आह भारी और फिर अपनी पुरानी थियरी पर आ गया के खून किसी घर के आदमी ने ही किया है.

उसके सामने ठाकुर की पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट की एक कॉपी रखी थी. ख़ान ने वो फिर खोली और इस उम्मीद से पढ़ने लगा के शायद कुच्छ यहाँ से समझ आ जाए पर ऐसा भी नही हुआ.

ठाकुर का क़त्ल एक स्क्रूड्राइवर से किया गया था जो किसी भी घर में बड़ी आसानी से मिल जाता है. उनके राइट आर्म के नीचे 2 वार किए गये थे. पहला हल्का और दूसरा पूरी ताक़त के साथ. दूसरा वार जानलेवा साबित हुआ था.

ख़ान ने रिपोर्ट बंद की और फिर से अपनी डाइयरी में सबके नाम लिखे. हर क़त्ल एक मकसद से किया जाता है और इस खून की पिछे भी एक मकसद तो होगा ही.

1. पुरुषोत्तम - क्या मकसद हो सकता है? उसके बाप ने सब कुच्छ उसको ही सौंप रखा था. सारा काम वो खुद ही देखता था.... अपने बाप को मारकर इसको क्या मिलेगा?

2. रूपाली - ससुर को मारने की इसके पास भी कोई वजह नही. एक शादी शुदा औरत जिसके पास खुला पैसा था. ये क्यूँ मारेगी ???????

3. तेज - इसके पास मोटिव है. ठाकुर इसको जायदाद के मामलो से अलग ही रखता था और वजह थी इसकी अययाशी की आदत. जायदाद के लिए हो सकता है के इसने गुस्से में अपने बाप का काम कर दिया हो.

4. कुलदीप - फॉरिन में पढ़ता है. ब्राइट फ्यूचर है. छुट्टी में आया हुआ है. ये क्यूँ मारेगा ????

5. कामिनी - घर की सीधी सादी बेटी. शादी करके एक अमीर घर से दूसरे घर में चली जाती. इसके पास क्या वजह हो सकती है ???

6. सरिता देवी - व्हील चेर पर बैठी एक बीमार औरत जिसका नीचे का शरीर हिलता ही नही. पहली बात तो ये के अपने पति को मारकर ये जाए भी तो कहाँ और दूसरा ये के अगर मारना चाहे भी तो इसके बस का नही के ठाकुर

जैसे हत्ते कत्ते आदमी को मार सके. और जिस वक़्त खून हुआ ये बाहर बैठी हुई थी इस बात की गवाही कई लोग दे रहे हैं. कोई मकसद नही ......

7. भूषण - बुड्ढ़ा ड्राइवर. फिर वही बात. ठाकुर इसके जैसे 10 को अकेला संभाल लेता. ये भला ठाकुर को कैसे मारेगा. और दूसरा ये के जब खून हुआ तो ये बाहर गाड़ी निकाल रहा था इसकी गवाही भी कई लोग दे रहे हैं. कोई

मक़सद नही ....

8. बिंदिया - घर की नौकरानी. दूर दूर तक कोई मकसद नही ......

9. पायल - घर की नौकरानी. दूर दूर तक कोई मकसद नही ......

10. चंदर - ये चाहता तो खून कर सकता था. लंबा चौड़ा जवान है. ठाकुर को संभाल सकता था. पर ये हवेली के मैन गेट पर ये पहरा दे रहा था इस बात की गवाही भी कई लोग दे रहे हैं. और इसके पास भला क्या मकसद हो सकता है .....

ख़ान ने अपनी लिस्ट को ख़तम किया और सिगरेट जलाई. अचानक उसको ध्यान आया के वो एक नाम भूल गया.

11. इंद्रासेन राणा - ये खून की रात एग्ज़ॅक्ट्ली हवेली में कर क्या रहा था? पर अपनी बहेन के ससुर को मारकर उसका घर उजाड़ने की इसके पास भी क्या वजह होगी?????

ख़ान ने लिस्ट को फिर देखा और परेशान होकर सर खुजाने लगा.

बिस्तर पर चंदर कंबल ओढ़े पढ़ा था. उसी कंबल में उसके साथ उसके साथ बिंदिया थी, पूरी की पूरी नंगी. चंदर ने उसको थोड़ी देर पहले ही चोदा था ज्सिके बाद वो फ़ौरन ही सो गयी थी. बिंदिया का सर चंदर की छाती पर था और वो उससे लिपटी हुई सो रही थी.

चंदर ने एक नज़र बिंदिया के चेहरे पर डाली और मुस्कुरा उठा.

इस औरत ने उसको वो सब दिया था जो एक औरत किसी भी मर्द को दे सकती है.

बिंदिया उसके लिए कभी माँ बनी, तो कभी बड़ी बहेन, कभी एक अच्छी दोस्त की तरह उसके साथ बातें की और आज बीवी बनी उसकी बाहों में नंगी पड़ी थी. एक औरत एक ही साथ इतने रूप निभा सकती है, ये चंदर कभी सोच भी नही सकता था.

बिंदिया ने उसको हमेशा ही अपने सगे बेटे की तरह माना था.उसने कभी चंदर और अपनी बेटी पायल में कोई फरक नही किया. जो पायल को दिया, वही और उतना ही चंदर को भी दिया. पर ना जाने क्यूँ चंदर कभी उसको अपनी माँ के रूप में नही देख पाया. चंदर के लिए वो सिर्फ़ एक औरत थी जिसने उसको उस वक़्त सहारा दिया था जब उसके माँ बाप मर चुके थे.

ऐसा नही था के चंदर ने उस एहसान का बदला नही चुकाया था. बड़ा होने के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारी उसने उठा ली थी. इस वक़्त भी खेतों में मज़दूरी करके वही कमाकर लाता था जिससे बिंदिया और रूपाली का भी पेट भरता था.

वो एक बेटे होने के पूरे फ़र्ज़ तो निभा रहा था पर कभी एक बेटा नही बन पाया. बिंदिया में कभी उसको अपनी माँ नज़र नही आई.

माँ ... चंदर को अपनी माँ आज भी याद थी. वो छ्होटा ज़रूर था पर माँ की कुच्छ यादें आज भी उसके साथ थी. और उन में से एक वो याद भी थी जब उसने अपनी माँ को ज़िंदा जलते देखा था.

गाओं के एक बानिए के घर में पूजा थी. उसके माँ बाप दोनो बानिए के घर काम करने गये थे. चंदर छ्होटा था और बोल नही पता था इसलिए उसको साथ ले गये थे. ठीक से तो चंदर को याद नही था पर फिर रात में कोई हंगामा मचा, गोलियों की आवाज़ सुनाई दी और हर तरफ आग लग गयी.

चंदर भाग दौड़ में अपने माँ बाप से अलग हो गया. और जब वो थोड़ी देर बाद उसको मिले तो उसके बाप की लाश ज़मीन पड़ी थी और उससे लिपटी उसकी माँ रो रही थी.

और फिर कमरे की छत भरभरा कर नीचे आ पड़ी.

उसकी माँ के उपेर.

वो जानता था के अंदर उसकी माँ ज़िंदा जल रही थी. उसकी चीख की आवाज़ वो आज भी सुन सकता था. और फिर उसको वो इंसान नज़र आया जो इस सबका ज़िम्मेदार था. काले घोड़े पर बैठा वो आदमी जिसके हाथ में एक बड़ी सी बंदूक थी.

वो आदमी जिसने चेहरे पर एक कपड़ा बाँध रखा था और कपड़ा एक पल के लिए हटा था.

वो आदमी जिसका चेहरा चंदर ने उस रात देखा था पर जानता नही था के कौन है.

वो आदमी जो उसको बाद में पता चला था के ठाकुर शौर्या सिंग था.

उसी दिन से वो ठाकुर से नफ़रत करने लगा. जैसे जैसे वो बड़ा होता गया, ये नफ़रत बदले की भावना में बदल गयी. और जाने कब ये बदले की भावना ठाकुर का खून करने के इरादे में तब्दील हो गयी.

किस्मत ने उसका साथ दिया था और बिंदिया ने उसको गोद ले लिया, वो बिंदिया जो खुद ठाकुर के यहाँ काम करती थी. हवेली में घुसना चंदर के लिए नामुमकिन था. वो ठाकुर के कहीं आस पास नही फाटक सकता था, उसको मारना तो दूर की बात थी. वो सही मौके के इंतेज़ार में ही था के एक दिन जैसे उसकी उपेरवाले ने सुन ली.

बिंदिया ने उसको बताया के वो हवेली में ही रहेगी क्यूंकी ठकुराइन को बहुत चोट आ गयी है. चंदर खुश हो उठा.

वो जानता था के बिंदिया का हवेली में रहना मतलब उसका और पायल का भी हवेली में ही रहना. इस तरह से वो 24 घंटे हवेली में ठाकुर के आस पास रह सकता था और मौका मिलने पर उसका काम तमाम कर सकता था. दिल ही दिल में उसने पूरा एक प्लान तक बना डाला था.

पर किस्मत को कुच्छ और ही मंज़ूर था.

बिंदिया ने उसको बताया के वो अकेली ही हवेली में रहेगी. ठाकुर साहब ने कहा था के वो चंदर को खेतों में ही रहने को छ्चोड़ दे ताकि वो खेतों की रखवाली कर सके.

चंदर को उस दिन अपना बना बनाया प्लान बिखरता नज़र आया. उसने बिंदिया से लाख ज़िद की के वो अकेला नही रहेगा और हवेली जाएगा पर बिंदिया ने उसकी एक नही सुनी. चंदर दिन रात इसी कोशिश में रहता के बिंदिया को इस बात के लिए मना ले के वो उसे अपने साथ हवेली ले जाए.

और ये मौका भी किस्मत ने अपने आप ही उसकी झोली में डाल दिया.

उस दिन खेत पर सुनीता उससे मिलने आई थी. सुनीता दिखने में सीधी थी पर थी पक्की रांड़. किसी ना किसी बहाने से चंदर को अपना शरीर का कोई ना कोई हिस्सा दिखती रहती थी. कभी उसके सामने झुक कर अपनी चुचियाँ दिखाती तो कभी गांद मटका मटका कर चंदर के सामने से गुज़र जाती.

और फिर उस दिन तो हद ही हो गयी थी. वो चंदर के सामने ही ट्यूबिवेल में बैठी नहाने लगी. कपड़े उसने यूँ तो पहेन रखे थे पर उनका होना ना होना एक बराबर ही था. उसका एक एक अंग कपड़ो के उपेर उभर आया था और चंदर का अपने आपको रोकना मुश्किल हो गया था. उसका लंड तन कर टाइट खड़ा हो गया था और वो कुच्छ करने की सोच ही रहा था के वहाँ बिंदिया आ गयी.

उस दिन घर आकर बिंदिया के सो जाने के बाद चंदर घर के पिछे जाकर अपना लंड हिलाने लगा ताकि ठंडा हो सके. सुनीता को देखने के बाद उसके तन मंन में आग सी लगी हुई थी. तभी जाने कैसे बिंदिया उठकर सीधा झोपड़ी के पिछे आ गयी.

चंदर हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ और फिर पाजामा उपेर कर ही रहा था के उसको एहसास हुआ के बिंदिया उसके लंड की और ही देख रही थी और एकटूक देखे जा रही थी.

और उसी पल चंदर समझ गया था के उसको क्या करना है.

ये औरत बिस्तर पर जाने कितने सालों से गरम थी. वो बिना झिझके बिंदिया की तरफ बढ़ा. उसको लगा था के बिंदिया मना करेगी पर ऐसा हुआ नही. वो किसी पक्की रंडी की तरह बिस्तर पर चुदी.

अगर चंदर ने अपने और उस औरत के बीच के रिश्ते की कोई कदर नही की तो बिंदिया ने भी उस रिश्ते को दिल दिमाग़ से पूरा निकाल दिया था.

उस दिन से वो दिन में तो माँ बेटे की तरह होते थे पर रात में दोनो मिलकर चारपाई तोड़ते थे.

और चंदर समझ गया था के जब तक वो इस भूखी शेरनी को बिस्तर पर मास डालता रहेगा वो चंदर को अपने साथ रखेगी. और ऐसा हुआ भी. कुच्छ रातों बाद बिंदिया ने कह दिया के वो ठाकुर साहब से ज़िद करके उसे भी अपने साथ हवेली ले जाएगी क्यूंकी अब चंदर के बिना उसे नींद आएगी नही.

चंदर को अपना प्लान सफल होता नज़र आ रहा था.

क्रमशः........................................
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